अपनी भाषा – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत प्रश्न ‘अपनी भाषा’ कविता से लिया गया है जिसके कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपनी भाषा के महत्त्व को समझाते हुए उसके प्रति प्रेमभाव रखने और उसके प्रचार-प्रसार एवं विस्तार के लिए प्रयत्नरत रहने की प्रेरणा दी है।
भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। भाषा के द्वारा ही मानव अपने विचारों व भावों को दूसरे के सामने व्यक्त करता है। मानव भाषा के बिना मूक है क्योंकि भाषा के बिना वह अपने विचारों का आदान-प्रदान और अपने को अभिव्यक्त नहीं कर सकता। इसी मातृभाषा के कारण एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से जुड़ता है यदि मातृभाषा न हो तो मानव के सारे क्रिया-कलाप, दिनचर्या और विकास थम जाएँगे।
अत: मानव अपनी मातृभाषा के बिना मूक है।
Solution 2:
प्रस्तुत प्रश्न ‘अपनी भाषा’ कविता से लिया गया है जिसके कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपनी भाषा के महत्त्व को समझाते हुए उसके प्रति प्रेमभाव रखने और उसके प्रचार-प्रसार एवं विस्तार के लिए प्रयत्नरत रहने की प्रेरणा दी है।
भाषा ईश्वर प्रदत्त वह सौगात है जिसके इर्द-गिर्द मानव का जीवन घूमता है। भाषा के कारण ही मानव परिवार और समाज से संवाद साध पाता है। मानव भाषा के जरिए ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान कर पाता है। हमारे पूर्वजों द्वारा भाषा को विस्तार मिला है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी धरोहर के रूप में आगे बढ़ती जा रही है। भाषा ही विज्ञान और ज्ञान संबंधित जानकारी भविष्य के लिए आगे बढ़ाती जाती है।
अत:हमें अपनी भाषा के प्रति प्रेमभाव रखते हुए उसकी समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए।
Solution 3:
प्रस्तुत प्रश्न ‘अपनी भाषा’ कविता से लिया गया है जिसके कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपनी भाषा के महत्त्व को समझाते हुए उसके प्रति प्रेमभाव रखने और उसके प्रचार-प्रसार एवं विस्तार के लिए प्रयत्नरत रहने की प्रेरणा दी है।
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जो प्रगति हुई है उसमें भाषा का अहम् स्थान है। आज हम सभ्यता और संस्कृति के शिखर को छू रहे हैं यह भाषा की ही बदौलत है। इसके बिना ईश्वरीय ज्ञान भी अधूरा होता है। मानव के सारे कार्य, व्यापार, रोजमर्रा का जीवन भाषा के माध्यम से ही साकार हो रहे हैं।
इस प्रकार अपनी भाषा का हम सब पर बड़ा उपकार है।
Solution 4:
प्रस्तुत प्रश्न ‘अपनी भाषा’ कविता से लिया गया है जिसके कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं।
अपनी भाषा से हमें प्रेम करना चाहिए क्योंकि इसके बिना मानव मूक है। भाषा बिना मानव न अपने विचार व्यक्त कर सकता है और न ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान कर सकता है। भाषा के बिना उसकी प्रगति और विकास रुक जाएगा। अपनी भाषा संस्कारों की भाषा और सांस्कृतिक धरोहर होने के कारण हमें इसके उत्कर्ष के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। भाषा के बिना ईश्वरीय ज्ञान भी अधूरा है। भाषा ईश्वरप्रदत्त अनमोल सौगात है। भाषा के मनुष्य पर अनंत उपकार हैं।
भाषा से ही हमें अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी मिलती है और आने वाली पीढ़ी को आज के युग का ज्ञान भी भाषा द्वारा ही प्राप्त होता है अत:कवि चाहते हैं कि हम सब भाषा का उपकार मानते हुए इसके संवर्धन में अपना योगदान दें।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार।
- भाषाबिन व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान।
- सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान।
- यही पूर्वजों का देती है, तुमको ज्ञान प्रसाद।
Solution 2:
- कवि ने अपनी मातृभाषा से प्यार करने की बात की है।
- ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान भाषा है।
- मानवजीवन पर मातृभाषा के अनंत उपकार हैं।
- हमारे भविष्य को शुभसंवाद अपनी भाषा दे सकती है।