धन्यवाद – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
AlgebraGeometryScience and TechnologyHindi
लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
‘धन्यवाद’ पाठ लेखक सियारामशरण गुप्त की व्यंगात्मक रचना है। यहाँ पर लेखक ने धन्यवाद शब्द पर प्रकाश डाला है।
लेखक के अनुसार धन्यवाद को हम निरर्थक नहीं कह सकते उल्टे यह आधुनिक सभ्यता की बहुत बड़ी देन है जिसे बेखटके कहीं भी चलाया जा सकता है। धन्यवाद ऐसा सिक्का है जो परस्पर विरोधी देशों में भी एक समान चल सकता है। धन्यवाद ‘हाँ’ और ‘ना’ दोनों में एक जैसा ही भाव प्रकट करता है। यदि धन्यवाद किसी को दिया जाता है तो उसमें उदारता होती है और न दिया जाय तो भी धन्यवाद की उदारता में कोई कमी नहीं आती।
Solution 2:
‘धन्यवाद’ पाठ लेखक सियारामशरण गुप्त की व्यंगात्मक रचना है। यहाँ पर संपादक महोदय द्वारा धन्यवाद सहित लौटा दिए गए लेख के संदर्भ में लेखक ने अकिंचन का उदाहरण दिया है।
किसी अकिंचन ने एक विशेष अवसर पर किसी धनी बंधु को उपहार भेजा। उस धनी बंधु ने वह उपहार दस रूपए के नोट के साथ दूसरे दिन लौटा दिया। पाने वाले के लिए दस रूपए का मूल्य थोड़ा नहीं था। फिर भी उसे यह नहीं समझ आता था कि वह उस नोट का क्या करे। और ऐसी ही दशा लेखक की उस धन्यवाद को पाकर हो गई थी।
इस तरह अकिंचन का उदाहरण देकर लेखक ने उनके सामने उभरी असमंजस की स्थिति का वर्णन किया है।
Solution 3:
‘धन्यवाद’ पाठ लेखक सियारामशरण गुप्त की व्यंगात्मक रचना है।
लेखक ने संपादक महोदय को अपनी एक रचना भेजी जिसे संपादक महोदय ने कोई कारण न बताते हुए रचना को धन्यवाद सहित लौटा दिया। लेखक की ऐसी अपेक्षा थी कि संपादक महोदय उनके लेख के विषय में अपने विचार लिखते। लेख में प्रशंसा लायक कुछ नहीं था तो निंदा ही लिख देते कि लेख की भाषा बुरी है, लेख सार्वजानिक हित में नहीं है। लेखक को सीख भी दे सकते थे पर उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया केवल रचना को लौटा दिया।
इस प्रकार लेखक संपादक महोदय से अपेक्षा करता है कि रचना वापस भेजते समय धन्यवाद के बदले वे उस रचना को वापस भेजने के कारणों का जिक्र करते तो अच्छा होता।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
- मेरा लेख उन्होंने लौटा दिया, फिर भी यह कैसे कहूँ कि वे निर्दय हैं।
- किसी अन्य लेखक को भी ऐसी भूल नहीं करनी चाहिए।
- कुछ समझ नहीं आता कि इस गोल लट्टू का सिरा कहाँ पर।
- उनके धन्यवाद को निरर्थक नहीं कह सकते।
- उनके लिए मेरा लेख निरर्थक है, मेरे लिए उनका धन्यवाद।
Solution 2:
- संपादक महोदय ने लेखक का लेख ‘धन्यवाद पूर्वक’ लौटा दिया है।
- किसी अकिंचन ने एक विशेष अवसर पर किसी धनी बंधु को उपहार भेजा।
- संपादक महोदय लेख के विषय में सूचित कर सकते थे कि उनका लेख सार्वजनिक हित में नहीं है।
- लेखक के लिए ‘धन्यवाद’ शब्द दुरूह और ऐसा सिक्का है जो परस्पर विरोधी देशों में एक-सा चल सकता है?
- ‘धन्यवाद’ आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी देन हैं, जो अच्छे में और बुरे में, खोटे में और खरे में, कहीं भी बेखटके चलाया जा सकता है। इसलिए लेखक ‘धन्यवाद’ को सँभालकर रखेगा।