हे नम्रता के सम्राट – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
कवि भगवान से यह प्रार्थना करते है कि दीन-दलितों की सेवा करने का जो व्रत हमने लिया है उसमें हमें सफलता प्राप्त हो। आपकी शरण में जो भी अहम् छोड़कर आता है, आप उनकी सहायता अवश्य करते हैं।
मैं भी आपसे विनती करता हूँ कि मुझे आपके जैसी ग्रहण शीलता तथा खुला दिल दो। हमें त्याग, भक्ति तथा नम्रता की मूर्ति बना दो ताकि एक सच्चे सेवक और मित्र के नाते हम जनता की निस्वार्थ भाव से सेवा कर सके।
Solution 2:
‘हे नम्रता के सम्राट’ द्वारा कवि की सेवा, त्याग तथा भक्ति की भावना उजागर हुई है।
कवि भगवान से यह प्रार्थना करते है कि दीन-दलितों की सेवा करने का जो व्रत हमने लिया है उसमें हमें सफलता प्राप्त हो। इसलिए वे भगवान से उनकी थोड़ी नम्रता माँगते हैं। हमें त्याग, भक्ति तथा नम्रता की मूर्ति बना दो ताकि एक सच्चे सेवक और मित्र के नाते हम जनता की निस्वार्थ भाव से सेवा कर सके।
इस प्रकार कवि ईश्वर से मानव सेवा का वरदान माँगते हैं।
Solution 3:
‘हे नम्रता के सम्राट’ द्वारा महात्मा गांधी हमें दीन-दलितों की सेवा, नम्रता, देश भक्ति तथा त्याग का संदेश देना चाहते हैं।
कवि कहते है कि ईश्वर सर्वस्व विद्यमान है परंतु उसे ढूँढना हो तो गरीब की कुटियाँ में जाओ। दीन-दलितों की मदद करके ही तुम ईश्वर का आशीर्वाद पा सकते हो। मानव सेवा ही सच्ची भक्ति है। इसलिए कवि ईश्वर से नम्रता माँगते हैं।
यही संदेश महात्मा गांधी इस प्रार्थना द्वारा देना चाहते हैं।