जीवन में खला का महत्व संकेत बिंदु:
- खेलों से स्वास्थ्य
- खेलों के प्रकार
- खेल भावना
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जीवन में खला का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Games in Life In Hindi
जीवन को सुखमय बनाने के लिए शारीरिक स्वस्थता आवश्यक होती है। शारीरिक स्वस्थता के लिए खेलों का सर्वाधिक महत्व होता है। खेलों के द्वारा शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है। खेलों से शरीर के समस्त अंगों का व्यायाम हो जाता है। इस प्रकार व्यक्ति स्वस्थ और सानंद रहता है।
खेल कई प्रकार के होते हैं। क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, वालीबॉल, टेनिस, बास्केटबॉल, कबड्डी और कुश्ती आदि खेल मैदानों में खेले जाते हैं। कैरमबोर्ड, शतरंज, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस और बिलियर्डज़ आदि खेल हॉल या कमरों में खेले जाते हैं। तैराकी के लिए तरण-ताल होते हैं। इन समस्त खेलों से शारीरिक व्यायाम होता है। कैरमबोर्ड और शंतरज ऐसे खेल हैं इनसे बौद्धिक विकास होता है। इन्हें खेलने के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक होता है।
खेलने के लिए खिलाड़ी नियमित रूप से व्यायाम करते हैं। वे दौड़ने का अभ्यास करते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों को सक्रिय बनाए रखने के लिए उपयुक्त अभ्यास करते हैं। भारोत्तोलन, चक्का फेंक, दौड़ें, नौकायन, साइकिल-दौड़, घुड़दौड़, पोलो, एथलेटिक्स आदि सभी प्रकार के खेलों के लिए खिलाड़ियों का शारीरिक रूप से सक्षम होना आवश्यक होता है। वे इसके लिए घंटों व्यायाम करते हैं। इन खेलों से भी शरीर का व्यायाम हो जाता है।
खेलों से केवल शारीरिक व्यायाम ही नहीं होता, इनसे व्यक्ति का मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है। खिलाड़ी खेलों की तकनीक का ज्ञान प्राप्त करता है। वह खेलों के कौशल को जानता है। उसमें प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित होती है। वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना सीखता है।
वह अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हो जाता है। वह चाहे क्रिकेट का खिलाड़ी हो अथवा फुटबॉल का, वह चाहे पिस्तौल से निशानेबाजी करता हो अथवा बैडमिंटन खेलता हो, प्रत्येक खिलाड़ी सर्वप्रथम ध्यान केंद्रित करना सीखता है। एक कुशल गेंदबाज़ का ध्यान विकटों पर लगा रहता है।
उसका लक्ष्य बल्लेबाज को आउट करना होता है। वह स्वयं को अपने लक्ष्य तक सीमित कर लेता है। इसी प्रकार बल्लेबाज़ का ध्यान आ रही प्रत्येक गेंद पर होता है। उसे स्वयं को आउट होने से बचाना होता है और साथ ही अपनी टीम के लिए रन भी बनाने होते हैं। खेल में बुद्धि पर अधिक बल पड़ता है। इससे व्यक्ति जीवन के विभिन्न पक्षों के निर्णय लेना सीखता है।
खेलों का मुख्य संदेश मैत्री होता है। खेल मित्रता की भावना से खेले जाते हैं। इनसे टीम के सदस्यों में मैत्री भाव जाग्रत होता है। उनमें एक-दूसरे के साथ मिलकर रहने की आदत विकसित होती है। खेलों से विभिन्न देशों में मित्रता की भावना जाग्रत होती है। अनेक देशों के संबंधों में सुधार खेलों द्वारा ही आया है। ओलंपिक खेल विश्व मैत्री के प्रतीक हैं। विश्व के कोने-कोने से आए खिलाड़ी एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं।
एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी होने पर भी उनमें मित्रता की भावना विकसित हो जाती है। ओलंपिक खेलों के मध्य विभिन्न देशों के खिलाड़ियों को एकसाथ रहते देखकर लगता है मानो वे सभी एक परिवार के सदस्य हैं। खेल व्यक्ति को अनुशासनबद्ध रहना सिखाते हैं। प्रत्येक खेल के नियम होते हैं।
खिलाड़ी खेल के नियमों का पालन करके अनुशासन में रहना सीखता है। खेलों द्वारा जय-पराजय की दोनों स्थितियों में संयमित रहना आता है। जीवन में सदा सफलताएँ ही नहीं मिलती, असफलताओं के मध्य धैर्य रखना चाहिए। खेलों में पराजित हो जाने पर खिलाड़ी धैर्य रखना सीखता है। इससे वह जीवन में निराश नहीं होता।
खेलों को खेल-भावना से खेलने पर व्यक्ति के जीवन में संतुलन बना रहता है। बालक-बालिकाओं, किशोर-किशोरियों, युवाओं, प्रौढ़ों और वृद्ध-वृद्धाओं सभी को अपनी आयु अवस्थानुसार कोई-न-कोई खेल अवश्य खेलना चाहिए। इससे मनोरंजन भी होता है। और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। खेलों के बिना जीवन नीरस होता है। अतः सभी को अपने व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए खेलना चाहिए।