लड़की का पिता – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत कहानी में लेखक श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने एक शहीद के परिवार की व्यथा तथा उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करने वाले एक महानुभाव व्यक्ति के योगदान का वर्णन किया है। इसके माध्यम से वे आज के नवयुवकों में देशप्रेम, त्याग, बलिदान, उदारता, सहानुभूति एवं संवेदना की भावना जगाना चाहते है।
काकोरी कांड के अभियुक्त ठाकुर रोशनसिंह को प्राणदंड की सजा मिली। वे तो हँसते- हँसते झूल गए परंतु उनकी पत्नी के लिए वैधत्व का भार ढोना मुश्किल हो गया। इस लिए वह अपने जीवन का अंत करना चाहती थी।
Solution 2:
प्रस्तुत कहानी में लेखक श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने एक शहीद के परिवार की व्यथा तथा उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करने वाले एक महानुभाव व्यक्ति के योगदान का वर्णन किया है। इसके माध्यम से वे आज के नवयुवकों में देशप्रेम, त्याग, बलिदान, उदारता, सहानुभूति एवं संवेदना की भावना जगाना चाहते है।
काकोरी कांड के अभियुक्त ठाकुर रोशनसिंह को प्राणदंड की सजा मिली। उनकी पत्नी ने अपनी बेटी की देखभाल करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। लड़की के बड़े होने पर उसके विवाह के लिए वर खोजना मुश्किल हो गया क्योंकि जो भी उससे विवाह के लिए तैयार होता दारोगा उसे डराता कि क्रांतिकारी की लड़की से विवाह करने कराने वाले देशद्रोही समझे जाएँगे। इस प्रकार उसकी शादी रुकी हुई थी।
Solution 3:
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने एक शहीद के परिवार की व्यथा तथा उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करने वाले एक महानुभाव व्यक्ति के योगदान का वर्णन किया है। इसके माध्यम से वे आज के नवयुवकों में देशप्रेम, त्याग, बलिदान, उदारता, सहानुभूति एवं संवेदना की भावना जगाना चाहते है।
काकोरी कांड के अभियुक्त ठाकुर रोशनसिंह को प्राणदंड की सजा मिली। उनकी पत्नी ने अपनी बेटी की देखभाल करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। लड़की के बड़े होने पर उसके विवाह के लिए वर खोजना मुश्किल हो गया क्योंकि जो भी उससे विवाह के लिए तैयार होता दारोगा उसे डराता कि क्रांतिकारी की लड़की से विवाह करने कराने वाले देशद्रोही समझे जाएँगे। इस प्रकार उसकी शादी रुकी हुई थी। युवक ने इस बात की जानकारी संपादक को दी।
Solution 4:
प्रस्तुत कहानी में लेखक श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने एक शहीद के परिवार की व्यथा तथा उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करने वाले एक महानुभाव व्यक्ति के योगदान का वर्णन किया है। इसके माध्यम से वे आज के नवयुवकों में देशप्रेम, त्याग, बलिदान, उदारता, सहानुभूति एवं संवेदना की भावना जगाना चाहते है।
काकोरी कांड के अभियुक्त ठाकुर रोशनसिंह को प्राणदंड की सजा मिली। उनकी पत्नी ने अपनी बेटी की देखभाल करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। लड़की के बड़े होने पर उसके विवाह के लिए वर खोजना मुश्किल हो गया क्योंकि जो भी उससे विवाह के लिए तैयार होता दारोगा उसे डराता कि क्रांतिकारी की लड़की से विवाह करने कराने वाले देशद्रोही समझे जाएँगे। इस प्रकार उसकी शादी रुकी हुई थी। युवक ने इस बात की जानकारी संपादक को दी। यह जानकर संपादक चौबीस कि.मी. पैदल चलकर युवक के साथ थाने पहुँचे। उन्होंने दरोगा को बाहर बुलाकर फटकारा। विधवा की बेटी के विवाह को रोकते तुम्हें शर्म नहीं आती। लड़की के विवाह के लिए तो अनजान लोग भी सहायता करते हैं। एक निर्दोष लड़की और एक असहाय विधवा को सताना ही क्या आपकी मनुष्यता है।
यह सुनकर पुलिस दरोगा की गर्दन शर्म से झुक गई।
Solution 5:
प्रस्तुत कहानी में लेखक श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने एक शहीद के परिवार की व्यथा तथा उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करने वाले एक महानुभाव व्यक्ति के योगदान का वर्णन किया है। इसके माध्यम से वे आज के नवयुवकों में देशप्रेम, त्याग, बलिदान, उदारता, सहानुभूति एवं संवेदना की भावना जगाना चाहते है।
क्रांतिकारी की विधवा को उसकी बेटी का ब्याह कराने में अड़ंगा डालने वाले दरोगा को गणेश शंकर विद्यार्थी ने फटकार कर आँखें खोल दी तथा उसका हृदय परिवर्तन कर दिया कि वह शादी का सारा खर्च उठाने को तैयार हो गया।
इस प्रकार दया, समझदारी, मानवता एवं राष्ट्रभावना से ओतप्रोत गणेश शंकर विद्यार्थी का अनोखा व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरक है।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- वह ऐसी आग है, जो सुलगती और धधकती रहती है।
- पुलिस दारोगा की अक्ल ठिकाने आई।
- पति के नाम पर भोली लड़की का विवाह रुक रहा था।
- लड़का राजी होना चाहिए, खर्च का प्रबंध मैं कर लूँगा।
- चौबीस कि.मी. पैदल चलकर संपादक उस युवक के साथ थाने पर पहुँचे।
- आतिथ्य का भार दरोगाजी पर था।
Solution 2:
- युवक ने संपादक महोदय से कहा।
- संपादक ने युवक से कहा।
- संपादक ने युवक से कहा।
- संपादक ने दारोगा से कहा।
Solution 3:
- उसे खयाल आता कि उसके पति दो-तीन वर्ष और बने रहते तो लड़की के विवाह की जिम्मेदारी उन्हीं पर पड़ती।
- उसका सारा समय अपनी लड़की के लिए वर तलाश करने और विवाह के लिए खर्च जुटाने की योजना में ही जाता था।
Solution 4:
- ठाकुर रोशनसिंह को प्राणदंड की सजा हुई।
- ठाकुर रोशनसिंह की विधवा असहाय और बेबसी की मूर्ति बनी जैसे-तैसे अपने दिन काटने लगी।
- पति की याद करके ठाकुर रोशनसिंह की विधवा के मन में ख्याल आता था कि यदि उनके पति दो-तीन वर्ष और जीवित रहते तो लड़की के विवाह की जिम्मेदारी उन्हीं पर पड़ती।
- अपनी लड़की के लिए वर की तलाश में वह किसे भेजेगी, बारातियों के आतिथ्य का भर कौन लेगा और विवाह का खर्च कहाँ से आएगा इन बातों को सोचकर विधवा की आँखों के सामने अँधेरा छा जाता था।
- हलके के पुलिस दारोगा ने लड़के को धमकी दी कि क्रांतिकारी की लड़की से विवाह करने-कराने वाले राजविद्रोही समझे जाएँगे।
- दारोगा से मिलने के लिए संपादक जी चौबीस कि.मी. पैदल चलकर थाने पहुँचे।
भाषा अध्ययन
Solution 1:
- हम इस वक्त मरीजों को नहीं देखते।
- माँ-बाप के जीवन का यही एक आधार था।
- संध्या का समय था।
Solution 2:
- जो – समुच्चयबोधक अव्यय
- अब – क्रियाविशेषण अव्यय
- जी हाँ – विस्मयादिबोधक अव्यय
- और – समुच्चयबोधक अव्यय
Solution 3:
- दोनों कारण हैं।
- वहाँ अब मैं नहीं जाऊँगी।
- स्थिति बहुत खराब थी।
Solution 4:
- वैधव्य
- राजविद्रोह
- स्थिति
Solution 5:
Solution 6:
Solution 7:
Solution 8:
परन्तु – परंतु
गुमसुम – गुम-सुम
मन्दिर – मंदिर
बच् चा – बच्चा
रूपये – रुपए
अभेघ – अभेद्य
विश् वास – विश्वास
क् रुद्ध – क्रुद्ध
व्यक्ति – व्यक्ति
विद्यालय – विद्यालय
विरुद्ध – विरुद्ध
चाहिये – चाहिए
टुकडे टुकडे – टुकड़े-टुकड़े
तय्यारी – तैयारी
वाञ्छित – वाँछित
नन्दा – नंदा
Solution 9:
- रोशनसिंह को प्राणदंड की सज़ा मिली थी।
- विवाह का खर्चा कहाँ से आता है।
- उसकी टीस कुछ कम जरूर हो गई है।
- भोली लड़की का विवाह रुक जाएगा।
- एक लड़का विवाह के लिए राजी हो रहा है।