परोपकार संकेत बिंदु:
- परोपकार का अर्थ
- परोपकार एक मानवीय गुण
- प्रकृति और परोपकार
- इतिहास और परोपकार।
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परोपकार पर अनुच्छेद लेखन (Paropakar) | Paragraph on Philanthropy in Hindi
परोपकार का अर्थ है अपनी चिंता किए बिना, शेष सभी सामान्य-विशेष की भले की बात सोचना, आवश्यकतानुसार और यथाशक्ति हर संभव उपाय से भलाई करना। भारतीय सभ्यता-संस्कृति की आरंभ से ही यह विशेषता रही है कि इसने व्यक्ति से लेकर वर्ग तक अपने लाभ की चिंता छोड़कर परहित-साधन अर्थात् परोपकार की सीख दी है। ऐसी सीख उसने प्रकृति से प्रेरणा लेकर दी है, यह एक सर्वमान्य तथ्य है।
मनुष्य के कर्म की सुंदरता जिन गुणों में प्रकट होती है, उनमें परोपकार सबसे ऊपर है। दान, त्याग, सहिष्णुता, धैर्य, समता और ईश्वरीय सृष्टि का सम्मान करना आदि अनेक गुण परोपकार में आते हैं। प्रकृति हमें परोपकार का पाठ सिखाती है। सूर्य-प्रकाश व ताप, चंद्रमा-शीतलता, अग्नि-तेज, वायु-प्राण, पर्वत-वनस्पति व जड़ी-बूटियाँ और वृक्ष-हमें छाया और सरस फल प्रदान करते हैं।
मनुष्यता की कसौटी परोपकार है। जगत-कल्याण के लिए शिव ने हलाहल पान किया; देवताओं की रक्षा के लिए दधीचि ने अपनी हड्डियाँ अर्पित कर दी; महुष दयानंद, श्रद्धानंद और महात्मा गांधी ने परोपकार के लिए ही अपने प्राण न्योछावर कर दिए; सुकरात ने जहर पिया तो ईसा मसीह सूली पर चढ़ गए। प्रकृति का वरद पुत्र ऐसा करे भी क्यों न? प्रकृति का आदर्श जो उसके सामने है :
“बृच्छ कबहुँनहि फल भखें, नदीनसंचै नीर।
परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥”