भारतीय जनतंत्र का भविष्य संकेत बिंदु:
- भारत विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र
- जनतंत्र के बिखराव के कारण
- पारस्परिक सौहार्द्र
- समस्या का समाधान।
आप अधिक अनुच्छेद लेखन, लेख, घटनाओं, आयोजन, लोग, खेल, प्रौद्योगिकी और अधिक पढ़ सकते हैं।
भारतीय जनतंत्र का भविष्य पर अनुच्छेद लेखन | Paragraph on The Future of Democracy in India in Hindi
भारत में प्रजातंत्र का भविष्य पर निबन्ध | Essay on The Future of Democracy in India in Hindi
तृतीय विश्व के देशों में भारत को सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश होने का गौरव प्राप्त है। स्वतंत्रता के पश्चात एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अन्य देशों ने भी जनतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने की कोशिश की थी, किंतु उनमें से अधिकांश ने सैनिक, कम्युनिष्ट अथवा व्यक्तिगत तानाशाही के आगे घुटने टेक दिए। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना ही कही जाएगी कि भारत जैसे विभिन्नता वाले देश में वामपंथी पार्टियों के अतिरिक्त विपक्ष के नेताओं के पास विभिन्न सामाजिक और आर्थिक नीतियों पर आधारित कोई कार्यक्रम नहीं है और वे घूम फिर कर (विपक्षी दल भी) एक ही तरह की नीतियों का राग अलापते रहते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नीतियों पर आधारित न होकर, व्यक्तिगत हो जाती है जो जनतांत्रिक विचारधारा के विकास के लिए रोड़े ही हैं।
भारत में जनतंत्र अनुच्छेद-लेखन बिखराव का तीसरा कारण हिंसा है, जो विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी की नीतियों में मतभेद और विद्वेषों के कारण होता है। जिनके पास कुछ अलग नीतियाँ हैं वे भी धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र पर आधारित हैं। इस प्रकार की प्रवृत्तियाँ जातीय दंगे, धार्मिक टकराव और क्षेत्रीय विवादों को तो जन्म देती ही हैं, राजनीति में भी हिंसा पैदा करती हैं। हमारे जनतंत्र का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू भ्रष्टाचार भी है और जो हर स्तर पर व्याप्त है। भाई-भतीजावाद, गरीब मतदाताओं की गरीबी का लाभ उठाने वाले लोग देश के लिए नासूर बनते जा रहे हैं।
आज आवश्यकता है रूढ़िवाद, अशिक्षा, असमानता से लड़ने की। भारत नेताओं के गलत रवैये, हिंसा, सत्ताधारी पार्टियों के मतभेद, भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार आदि सभी बुराइयों से जूझ रहा है। अतः जनतंत्र के उजले भविष्य के लिए कठोर कानून बनाकर सभी को कानूनों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।