प्रदूषण की समस्या संकेत बिंदु:
- प्रदूषण की स्थिति
- प्रदूषण के प्रकार
- प्रदूषण के कारण
- प्रदूषण रोकने के उपाय अपना
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution In Hindi
प्रदूषण की समस्या आज सारे विश्व के सामने विकराल रूप धारण करती जा रही है। जिस प्रकृति ने हमें शुद्ध जल, शुद्ध पर्यावरण, वायु और हरियाली दी, भौतिक सुख साधनों की प्राप्ति के लिए हम उसे ही अनेक प्रकार से प्रदूषित कर रहे हैं। परिणाम यह हुआ कि आज यह समस्या इतनी विकराल हो गई है कि संसार भर के सभी प्राणियों के स्वास्थ्य को खतरा उपस्थित हो गया है।
प्रदूषण के मुख्यतः चार प्रकार हैं-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।
वायु हमारे जीवन की पहली आवश्यकता है। लेकिन आज साँस लेने के लिए शुद्ध वायु ही दुर्लभ हो गई है। वायुमंडल में प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरूप गैसों का संतुलन बना रहता है लेकिन आज मनुष्य ने अपने कार्यकलापों से वायुमंडल को असंतुलित कर दिया है। कल कारखानों की चिमनियों से निरंतर निकलता ज़हरीला धुआँ तथा डीज़ल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों द्वारा छोड़ी गई विषाक्त गैसें वायुमंडल को निरंतर प्रदूषित कर रही हैं।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिए तथा कल-कारखाने शहर से दूर लगाने चाहिए।
जल प्रदूषण भी आज विकट समस्या बन गया है। जो जल हम प्रयोग में ला रहे हैं वह अधिकांशतः प्रदूषित है। नलों और नदियों का पानी ही नहीं अब तो सागर और भूमिगत जल भी प्रदूषित हो गया है। पिछले दशक में जल में बहाए जाने वाले म्युनिसिपल सीवेज, घरेलू कूड़ा, उद्योगों का कचरा आदि की मात्रा बहुत बढ़ गई है। जो नालों से होता हुआ सीधा नदियों में जाता है। खेतों में डाले जाने वाले उर्वरक व कीटनाशक भी मिट्टी में रिसकर जलधारा तक पहुँच जाते हैं।
जल प्रदूषण को दूर करने के लिए आवश्यक है कि औद्योगिक कचरे को जल में बहाने से पूर्व उसका उपचार कर लिया जाए।
नगरों और महानगरों में मानव जीवन को तनावमुक्त बनाए रखने वाले कारणों में प्रमुख है-ध्वनि प्रदूषण। शोर पर पिछले दशकों में कोई ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन इधर शोर करने वाले साधन बढ़े हैं और शोर की मात्रा भी। जल और वायु प्रदूषण की तरह शोर भी एक गंभीर समस्या बन गया है। औद्योगीकरण के साथ ही शोर के जनक साधनों में वृद्धि हुई है।
पेड़-पौधे शोर को फैलने से रोकते हैं अतः वृक्षारोपण द्वारा भी इस समस्या पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है।
उपज बढ़ाने के लिए डाले जाने वाले रसायन और कीटनाशक दोनों ही विषाक्त होते हैं और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। फलतः अनाज और सब्जियाँ भी प्रदूषित हो गए हैं जो कई बीमारियों के कारण बनते हैं। हमें ऐसे रसायनों का प्रयोग करना चाहिए जो बहुत अधिक हानिकारक न हों और जिनका प्रयोग अल्पकालिक हो।