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कछुआ और दो हंसों के बीच संवाद (Samvad Lekhan Kachhua aur Do Hanson ke Beech) | Dialogue Writing In Hindi Topics
संवाद लेखन की परिभाषा
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में परस्पर व्यवहार करने के लिए वह अधिकतर बातचीत का सहारा लेता है। यह बातचीत दो-तीन या अधिक व्यक्तियों के बीच हो सकती है। बातचीत को हम संवाद भी कहते हैं। यह संवाद (बातचीत) आमने-सामने भी हो सकता है और फोन के माध्यम से भी।
दो, तीन या अधिक व्यक्तियों की परस्पर बातचीत को ज्यों का त्यों लिखना संवाद-लेखन कहलाता है। संवाद व्यक्तियों के नाम लिखकर उनके द्वारा बोली गई बात को (ज्यों-का-त्यों) उसी रूप में लिख दिया जाता है।
संवाद-लेखन अपने आप में एक साहित्यिक विधा का रूप लेता जा रहा है। चलचित्रों, नाटकों तथा एकल अभिनय में भी संवाद महत्त्वपूर्ण होते हैं। किसी भी प्रसंग, घटना या कहानी के लिए संवाद लिखते समय निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
संवाद लेखन की बिंदुओं
- संवाद में प्रभावशाली, सरल और रोचक भाषा का प्रयोग होना चाहिए।
- विचारों को तर्कसम्मत रूप से प्रस्तुत करना चाहिए।
- देश काल और व्यक्ति के अनुरूप संवाद की शब्दावली एवं भाषा का चयन करना चाहिए।
- संवाद में स्वाभाविक प्रवाह बना रहना चाहिए।
- संवाद छोटे व रोचक होने चाहिए।
- कहानी या घटना को आगे ले जाने वाले होने चाहिए।
- उचित मुहावरों व शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
- चरित्र को बखूबी प्रस्तुत करने वाले होने चाहिए। आइए संवाद-लेखन के कुछ उदाहरण देखें
संवाद लेखन के उदाहरण
Samvad Lekhan in Hindi Dialogue Between Tortoise and Two Swans
कछुआ: भाइयो! झील का पानी सूखने वाला है। दो-चार दिन बाद यह पानी इतना भी नहीं रहेगा, जितना अब है।
हंस एक: हाँ भाई कछुए! और पानी के बिना हम कैसे जिएंगे! तुम भी पानी के अंदर रहते हो और हम भी नदी का किनारा नहीं छोड़ सकते। .
हंस दो: पानी के बिना तो हम मर जाएँगे। इस वर्ष इतना सूखा पड़ा है, जितना पहले कभी नहीं पड़ा था।
कछआ: (चिंतित भाव से) अब क्या करें! अपनी जान कैसे बचाएँ। हंस एक : हम तो भाई उड़ने वाले प्राणी हैं। उड़कर किसी और देश में चले जाएंगे। तुम क्या करोगे? तुम तो उड़ भी नहीं सकते।
हंस दो: पर हमारे साथ एक परेशानी है, कछुए भैया। हमारा तुम्हारा वर्षों पुराना साथ है। हम तुम्हें अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहते।
हंस एक: और ऐसा कोई उपाय भी नहीं है कि हम तुम्हें अपने साथ ले जाएँ।
कछआ: (चिंता के साथ दोनों हंसों की बात सुनते हुए) क्या तुम सचमुच मुझे अकेला छोड़कर चले जाओगे?
हंस एक: हम नहीं चाहते कछुए भैया, हम ऐसा नहीं चाहते। पर इस संकट से निकलने का उपाय तो निकालो।