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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
स्वर संधि इन हिंदी परिभाषा, भेद और उदाहरण – Swar Sandhi Examples
स्वर के बाद स्वर के मेल से उनमें जो विकार-सहित परिवर्तन होता है, उसे ‘स्वर संधि‘ कहते हैं; जैसे :
- परम + अणु = परमाणु
- देव + आलय = देवालय
स्वर संधि के भेद के नाम
स्वर संधि के निम्नलिखित पाँच भेद हैं :
(क) दीर्घ संधि
(ख) गुण संधि
(ग) वृद्धि संधि
(घ) यण संधि
(ङ) अयादि संधि
(क) टीर्घ संधि- दो सवर्ण स्वर जब पास-पास आते हैं तो दोनों मिलकर उसी वर्ण का दीर्घ स्वर बन जाते हैं. इसे ‘दीर्घ संधि’ कहते हैं।
स्वर संधि के भेद उदाहरण सहि
अ + अ = आ
संधि (भेद) | परिवर्तन (नियम) | उदाहरण |
दीर्घ संधि (स्वर संधि) | अ + अ = आ | निम्न + अंकित = निम्नांकित |
अ + आ = आ | भोजन + आलय = भोजनालय | |
आ + अ = आ | शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी | |
आ + अ = आ | कारा + आवास = कारावास | |
इ + इ = ई | कवि + इंद्र = कवींद्र | |
इ + ई = ई | परि + ईक्षा = परीक्षा | |
ई + इ = ई | योगी + इंद्र = योगींद्र | |
ई + ई = ई | जानकी + ईश = जानकीश | |
उ + उ = ऊ | अनु + उदित = अनूदित | |
उ + ऊ = ऊ | साधु + ऊर्जा = साधूर्जा | |
ऊ + उ = ऊ | भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग | |
ऊ + ऊ = ऊ | वधू + ऊर्मि = वधूर्मि |
दीर्घ संधि के भेद और उदाहरण
स्व | + | अर्थ | = | स्वार्थ |
राम | + | अवतार | = | रामावतार |
शस्त्र | + | अस्त्र | = | शस्त्रास्त्र |
परम | + | अणु | = | परमाणु |
देव | + | अर्चन | = | देवार्चन |
वेद | + | अंत | = | वेदांत |
सत्य | + | अर्थ | = | सत्यार्थ |
सूर्य | + | अस्त | = | सूर्यास्त |
चर | + | अचर | = | चराचर |
परम | + | अर्थ | = | परमार्थ |
मत | + | अनुसार | = | मतानुसार |
शास्त्र | + | अर्थ | = | शास्त्रार्थ |
शरण | + | अर्थी | = | शरणार्थी |
धर्म | + | अर्थ | = | धर्मार्थ |
स्व | + | अधीन | = | स्वाधीन |
भाव | + | अर्थ | = | भावार्थ |
धर्म | + | अधर्म | = | धर्माधर्म |
सत्य | + | असत्य | = | सत्यासत्य |
अन्य | + | अर्थ | = | अन्यार्थ |
अ +आ = आ
देव | + | आलय | = | देवालय |
हिम | + | आलय | = | हिमालय |
धर्म | + | आत्मा | = | धर्मात्मा |
पुस्तक | + | आलय | = | पुस्तकालय |
विस्मय | + | आदि | = | विस्मयादि |
प्राण | + | आयाम | = | प्राणायाम |
देव | + | आगम | = | देवागम |
नित्य | + | आनंद | = | नित्यानंद |
रत्न | + | आकर | = | रत्नाकर |
नव | + | आगत | = | नवागत |
शिव | + | आलय | = | शिवालय |
छात्र | + | आलय | = | छात्रालय |
सत्य | + | आग्रह | = | सत्याग्रह |
सचिव | + | आलय | = | सचिवालय |
नील | + | आकाश | = | नीलाकाश |
गज | + | आनन | = | गजानन |
आ +अ = आ
रेखा | + | अंश | = | रेखांश |
विद्या | + | अभ्यास | = | विद्याभ्यास |
विद्या | + | अर्थी | = | विद्यार्थी |
सीमा | + | अंत | = | सीमांत |
सीतम | + | अर्थ | = | सीतार्थ |
परा | + | अस्त | = | परास्त |
परीक्षा | + | अर्थी | = | परीक्षार्थी |
यथा | + | अर्थ | = | यथार्थ |
सीमा | + | अंकित | = | सीमांकित |
विद्या | + | अध्ययन | = | विदयाध्ययन |
दीक्षा | + | अंत | = | दीक्षांत |
यथा | + | अवसर | = | यथावसर |
आ + आ = आ
महा | + | आत्मा | = | महात्मा |
विद्या | + | आलय | = | विद्यालय |
वार्ता | + | आलाप | = | वार्तालाप |
दया | + | आनंद | = | दयानंद |
दिवा | + | आकर | = | दिवाकर |
कृपा | + | आलु | = | कृपालु |
कारा | + | आवास | = | कारावास |
महा | + | आशय | = | महाशय |
श्रद्धा | + | आनंद | = | श्रद्धानंद |
श्रद्धा | + | आलु | = | श्रद्धालु |
इ + इ = ई
कवि | + | इंद्र | = | कवींद्र |
गिरि | + | इंद्र | = | गिरींद्र |
रवि | + | इंद्र | = | रवींद्र |
अति | + | इव | = | अतीव |
मुनि | + | इंद्र | = | मुनींद्र |
कपि | + | इंद्र | = | कपींद्र |
अभि | + | इष्ट | = | अभीष्ट |
शशि | + | इंद्र | = | शशींद्र |
इ + ई = ई
कवि | + | ईश्वर | = | कवीश्वर |
फणि | + | ईश्वर | = | फणीश्वर |
कवि | + | ईश | = | कवीश |
कपि | + | ईश | = | कपीश |
परि | + | ईक्षा | = | परीक्षा |
गिरि | + | ईश | = | गिरीश |
मुनि | + | ईश्वर | = | मुनीश्वर |
हरि | + | ईश | = | हरीश |
रवि | + | ईश | = | रवीश |
प्रति | + | ईक्षा | = | प्रतीक्षा |
इ + ई = ई
अवनी | + | इंद्र | = | अवनींद्र |
देवी | + | इच्छा | = | देवीच्छा |
नदी | + | इंद्र | = | नदींद्र |
नारी | + | इंद्र | = | नारींद्र |
मही | + | इंद्र | = | महींद्र |
शची | + | इंद्र | = | शचींद्र |
नारी | + | इच्छा | = | नारीच्छा |
पत्नी | + | इच्छा | = | पत्नीच्छा |
इ + ई = ई
मही | + | ईश | = | महीश |
योगी | + | ईश्वर | = | योगीश्वर |
रजनी | + | ईश | = | रजनीश |
जानकी | + | ईश | = | जानकीश |
नारी | + | ईश्वर | = | नारीश्वर |
नदी | + | ईश | = | नदीश |
सती | + | ईश | = | सतीश |
श्री | + | ईश | = | श्रीश |
उ +उ = ऊ
गुरु | + | उपदेश | = | गुरूपदेश |
सु | + | उक्ति | = | सूक्ति |
लघु | + | उत्तर | = | लघूत्तर |
भानु | + | उदय | = | भानूदय |
अनु | + | उदित | = | अनूदित |
विधु | + | उदय | = | विधूदय |
बहु | + | उद्देशीय | = | बहूद्देशीय |
लघु | + | उपदेश | = | लघूपदेश |
उ + ऊ = ऊ
सिंधु | + | ऊर्मि | = | सिंधूमि |
लघु | + | ऊर्मि | = | लघूमि |
ऊ + उ = ऊ
वधू | + | उत्सव | = | वधूत्सव |
भू | + | उद्धार | = | भूद्धार |
ऊ + ऊ = ऊ
वधू | + | ऊर्मि | = | वधूमि |
भू | + | ऊर्ध्व | = | भूज़ |
(ख) गुण संधि-जब अ या आ के बाद इ या ई हो तो दोनों के स्थान पर ‘ए’, यदि उ या ऊ हो तो दोनों के स्थान पर ‘ओ’ और यदि ऋ हो तो ‘अर्’ हो जाता है।
गुण संधि के भेद और उदाहरण
संधि (भेद) | परिवर्तन (नियम) | उदाहरण |
गुण संधि (स्वर संधि) | अ + इ = ए | नर + इंद्र = नरेंद्र |
अ + ई = ए | कमल + ईश = कमलेश | |
आ + इ = ए | यथा + इष्ट = यथेष्ट | |
आ + ई = ए | महा + ईश्वर = महेश्वर | |
अ + उ = ओ | वन + उत्सव = वनोत्सव | |
अ + ऊ = ओ | जल + ऊर्मि = जलोर्मि | |
आ + उ = ओ | गंगा + उत्सव = गंगोत्सव | |
आ + ऊ = ओ | दया + ऊर्मि = दयोर्मि | |
आ + ऋ = अर् | राज + ऋषि = राजर्षि | |
आ + ऋ = अर् | ब्रह्मा + ऋषि = ब्रह्मर्षि |
जैसे :
1. अ या आ के बाद इ या ई मिलकर ‘ए’ होता है :
स्व | + | इच्छा | = | स्वेच्छा |
देव | + | इंद्र | = | देवेंद्र |
सुर | + | इंद्र | = | सुरेंद्र |
गज | + | इंद्र | = | गजेंद्र |
धर्म | + | इंद्र | = | धर्मेंद्र |
सत्य | + | इंद्र | = | सत्येंद्र |
नग | + | इंद्र | = | नगेंद्र |
पूर्ण | + | इंद्र | = | पूर्णेद्र |
वीर | + | इंद्र | = | वीरेंद्र |
नर | + | इंद्र | = | नरेंद्र |
भारत | + | इंदु | = | भारतेंदु |
योग | + | इंद्र | = | योगेंद्र |
अ + ई = ए
गण | + | ईश | = | गणेश |
राम | + | ईश्वर | = | रामेश्वर |
नर | + | ईश | = | नरेश |
योग | + | ईश | = | योगेश |
लोक | + | ईश | = | लोकेश |
परम | + | ईश्वर | = | परमेश्वर |
सुर | + | ईश | = | सुरेश |
सोम | + | ईश | = | सोमेश |
देव | + | ईश्वर | = | देवेश्वर |
दिन | + | ईश | = | दिनेश |
आ + इ = ए
महा | + | इंद्र | = | महेंद्र |
यथा | + | इष्ट | = | यथेष्ट |
रमा | + | इंद्र | = | रमेंद्र |
राजा | + | इंद्र | = | राजेंद्र |
आ + ई = ए
महा | + | ईश | = | महेश |
रमा | + | ईश | = | रमेश |
राजा | + | ईश | = | राजेश |
महा | + | ईश्वर | = | महेश्वर |
राका | + | ईश | = | राकेश |
उमा | + | ईश | = | उमेश |
2. अ या आ के बाद उ या ऊ मिलकर ‘ओ’ होता है :
अ + उ = ओ
नर | + | उत्तम | = | नरोत्तम |
चंद्र | + | उदय | = | चंद्रोदय |
पर | + | उपकार | = | परोपकार |
वीर | + | उचित | = | वीरोचित |
पुरुष | + | उत्तम | = | पुरुषोत्तम |
मद | + | उन्मत | = | मदोन्मत |
भाग्य | + | उदय | = | भाग्योदय |
देव | + | उत्सव | = | देवोत्सव |
सूर्य | + | उदय | = | सूर्योदय |
सर्व | + | उदय | = | सर्वोदय |
लोक | + | उक्ति | = | लोकोक्ति |
हित | + | उपदेश | = | हितोपदेश |
उत्तर | + | उत्तर | = | उत्तरोत्तर |
अछूत | + | उद्धार | = | अछूतोद्धार |
प्रश्न | + | उत्तर | = | प्रश्नोत्तर |
सर्व | + | उत्तम | = | सर्वोत्तम |
सागर | + | ऊर्मि | = | सागरोर्मि |
समुद्र | + | ऊर्मि | = | समुद्रोर्मि |
अ + ऊ = ओ
नव | + | ऊढ़ा | = | नवोढ़ा |
जल | + | ऊर्मि | = | जलोर्मि |
आ + उ = ओ
महा | + | उदय | = | महोदय |
गंगा | + | उदक | = | गंगोदक |
महा | + | उत्सव | = | महोत्सव |
महा | + | उदधि | = | महोदधि |
आ + ऊ = ओ
गंगा | + | ऊर्मि | = | गंगोर्मि |
रंभा | + | ऊरु | = | रंभोरु |
3. अ या आ के बाद ऋमिलकर ‘अर्’ होता है :
अ + ऋ = अर्
देव | + | ऋषि | = | देवर्षि |
ब्रह्म | + | ऋषि | = | ब्रह्मर्षि |
सप्त | + | ऋषि | = | सप्तर्षि |
वसंत | + | ऋतु | = | वसंतर्तु |
आ + ऋ = अर्
महा | + | ऋषि | = | महर्षि |
राजा | + | ऋषि | = | राजर्षि |
(ग) वृद्धि संधि-जब अ या आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों के स्थान पर ‘ऐ’; यदि ओ या औ हो तो दोनों के स्थान पर ‘औ’ हो जाता है।
वृद्धि संधि के भेद और उदाहरण
संधि (भेद) | परिवर्तन (नियम) | उदाहरण |
वृद्धि संधि (स्वर संधि) | अ + ए = ऐ | एक + एक = एकैक |
अ + ऐ = ऐ | परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य | |
आ + ए = ऐ | सदा + एव = सदैव | |
आ + ऐ = ऐ | विद्या + ऐश्वर्य = वियैश्वर्य | |
अ + ओ = औ | परम + ओज = परमौज | |
आ + ओ = औ | महा + ओजस्वी = महौजस्वी | |
अ + औ = औ | वीर + औदार्य = वीरौदार्य | |
आ + औ = औ | महा + औषध = महौषध |
जैसे:
1. अ या आ के बाद ए या ऐ मिलकर ‘ऐ’ होता है :
अ + ए = ऐ
एक | + | एक | = | एकैक |
लोक | + | एषण | = | लोकषण |
अ + ऐ = ऐ
मत | + | ऐक्य | = | मतैक्य |
राज | + | ऐश्वर्य | = | राजैश्वर्य |
आ + ए = ऐ
तथा | + | एव | = | तथैव |
सदा | + | एव | = | सदैव |
आ + ऐ = ऐ
महा | + | ऐश्वर्य | = | महैश्वर्य |
राजा | + | ऐश्वर्य | = | राजैश्वर्य |
2. अया आ के बाद ओ या औ मिलकर औ’ होता है :
अ + ओ – औ
जल | + | ओध | = | जलौध |
दंत | + | ओष्ठ | = | दंतौष्ठ |
अधर | + | ओष्ठ | = | अधरौष्ठ |
परम | + | ओज | = | परमौज |
आ + ओ = औ
महा | + | ओज | = | महौज |
महा | + | ओध | = | महौध |
अ + औ = औ
परम | + | औषध | = | परमौषध |
वन | + | औषध | = | वनौषध |
अत्यंत | + | औदार्य | = | अत्यंतौदार्य |
वीर | + | औदार्य | = | वीरौदार्य |
जल | + | औध | = | जलौध |
परम | + | औदार्य | = | परमौदार्य |
आ + औ = औ
महा | + | औदार्य | = | महौदार्य |
महा | + | औषध | = | महौषध |
(घ) यण संधि-जब इ या ई के बाद इ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो इ-ई के स्थान पर ‘य’; यदि उ या ऊ के बाद उ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो, उ या ऊ का ‘व्’ तथा ऋ के बाद ऋ के अतिरिक्त कोई भिन्न स्वर आता है तो, ऋका ”हो जाता है।
यण संधि के (भेद) उदाहरण
संधि (भेद) – परिवर्तन (नियम) – उदाहरण
संधि (भेद) | परिवर्तन (नियम) | उदाहरण |
यण संधि (स्वर संधि) | इ + अ = य् | अति + अंत = अत्यंत |
इ + आ = या | अभि + आगत = अभ्यागत | |
ई + अ = य | सखी + अपराध = सख्यापराध | |
ई + आ = या | सखी + आगमन् = सख्यागमन | |
इ + उ = यु | प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर | |
इ + ऊ = यू | वि + ऊह = व्यूह | |
ई + उ = यु | नदी + उद्गम = नद्युद्गम | |
ई + ऊ = यू | नदी + ऊर्जा = नयूर्जा | |
इ + ए = ये | अधि + एषणा = अध्येषणा | |
ई + ऐ = ये | नदी + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य | |
इ + अ = य् | प्रति + अंग = प्रत्यंग | |
उ + अ = व् | सु + अच्छ = स्वच्छ | |
उ + आ = व् | गुरु + आदेश = गुर्वादेश | |
ऊ + आ = वा | वधू + आगमन = वध्वागमन | |
उ + इ = वि | अनु + इत = अन्वित | |
उ + इ = वी | अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण | |
उ + ए = वे | अनु + एषण = अन्वेषण | |
ऋ + अ = र् | मातृ + अनुमति = मात्रानुमति | |
ऋ + आ = रा | पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा | |
ऋ + उ = रु | पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश | |
ऋ + इ = रि | पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा |
1. इ या ई के बाद इ वर्ण के अतिरिक्त अन्य स्वर आए तो इ या ई का ” हो जाता है :
इ + अ = य्
यदि | + | अपि | = | यद्यपि |
अति | + | अधिक | = | अत्यधिक |
अति | + | अंत | = | अत्यंत |
गति | + | अवरोध | = | गत्यवरोध |
इ + आ = या
अति | + | आचार | = | अत्याचार |
अति | + | आनंद | = | अत्यानंद |
अभि | + | आगत | = | अभ्यागत |
देवी | + | अर्पण | = | देव्यर्पण |
इ + आ = या
इति | + | आदि | = | इत्यादि |
वि | + | आप्त | = | व्याप्त |
परि | + | आवरण | = | पर्यावरण |
ई + अ = य्
नदी | + | अर्पण | + | नद्यर्पण |
ई | + | आ | + | या |
देवी | + | आगम | + | देव्यागम |
देवी | + | आलय | + | देव्यालय |
इ + उ = यु
अभि | + | उदय | = | अभ्युदय |
उपरि | + | उक्त | = | उपर्युक्त |
इ + ऊ = यू
नि | + | ऊन | = | न्यून |
वि | + | ऊह | = | व्यूह |
सखी | + | आगमन | = | सख्यागमन |
प्रति | + | उपकार | = | प्रत्युपकार |
प्रति | + | उत्तर | = | प्रत्युत्तर |
प्रति | + | ऊष | = | प्रत्यूष |
ई + उ = यु
- सखी + उचित = सख्युचित
ई + ऊ = यू
- नदी + ऊर्मि = नयूर्मि
इ + ए = ये
प्रति | + | एक | = | प्रत्येक |
अधि | + | एता | = | अध्येता |
ई + ऐ = यै
नदी | + | ऐश्वर्य | = | नवैश्वर्य |
सखी | + | ऐश्वर्य | = | सख्यैश्वर्य |
इ + अं = यं
प्रति | + | अंग | = | प्रत्यंग |
प्रति | + | अंचा | = | प्रत्यंचा |
उ या ऊ के बाद उ वर्ण के अतिरिक्त अन्य स्वर आए तो उ या ऊ का ‘व्’ हो जाता है :
उ + अ = व्
अनु | + | अय | = | अन्वय |
सु | + | अच्छ | = | स्वच्छ |
सु | + | अल्प | = | स्वल्प |
सु | + | अस्ति | = | स्वस्ति |
मधु | + | अरि | = | मध्वरि |
मनु | + | अंतर | = | मन्वंतर |
अ + अं = वं
उ | + | आ | = | वा |
मधु | + | आलय | = | मध्वालय |
सु | + | आगत | = | स्वागत |
ऊ + आ = वा
वधू | + | आगमन | = | वध्वागमन |
अनु | + | इत | = | अन्वित |
अनु | + | इति | = | अन्विति |
उ + ई = वी
अनु | + | ईक्षण | = | अन्वीक्षण |
अनु | + | ईक्षक | = | अन्वीक्षक |
उ + ए = वे
अनु | + | एषण | = | अन्वेषण |
अनु | + | ऐषक | = | अन्वेषक |
3. ऋ के बाद ऋ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आने पर ऋका ‘र’ हो जाता है :
ऋ + अ = र्
- पितृ + अनुमति = पित्रानुमति
ऋ + आ + रा
पितृ | + | आदेश | = | पित्रादेश |
मातृ | + | आदेश | = | मात्रादेश |
मातृ | + | आनंद | = | मात्रानंद |
मातृ | + | आज्ञा | = | मात्राज्ञा |
पितृ | + | आज्ञा | = | पित्राज्ञा |
पितृ | + | आलय | = | पित्रालय |
भ्रातृ | + | आज्ञा | = | भ्रात्राज्ञा |
ऋ + उ = रु
पितृ | + | उपदेश | = | पित्रुपदेश |
मातृ | + | उपदेश | = | मात्रुपदेश |
ऋ + इ = रि
मातृ | + | इच्छा | = | मात्रिच्छा |
पितृ | + | इच्छा | = | पित्रिच्छा |
(ङ) अयादि संधि : ए या ऐ के बाद ए वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ए का ‘अय्’ तथा ऐ का ‘आय’ हो जाता है। यदि ओ या औ के बाद ओ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ओ का ‘अव्’ तथा औ का ‘आव’ हो जाता है। इसे ‘अयादि संधि’ के नाम से जाना जाता है।
अयादि संधि का उदाहरण
“संधि (भेद) | परिवर्तन (नियम) | उदाहरण |
अयादि संधि (स्वर संधि) | ए + अ = अय् | चे + अन = चयन |
ऐ + अ = आय | सै + अक = सायक | |
ऐ + इ = आयि | नै + इका = नायिका | |
ओ + अ = अव् | भो + अन = भवन | |
ओ + इ = अवि | भो + इष्य = भविष्य | |
ओ + अ = आव् | पौ + अक = पावक | |
नौ + इक = आवि | नौ + इक = नाविक | |
औ + उ = आवु | भौ + उक = भावुक |
1. ‘ए’ के बाद अ आए तो ‘अय्’ बन जाता है :
ने | + | अन | = | नयन |
चे | + | अन | = | चयन |
शे | + | अन | = | शयन |
2. ऐ के बाद अ आए तो ‘आय’ बन जाता है :
नै | + | अक | = | नायक |
गै | + | अन | = | गायन |
गै | + | अक | = | गायक |
3. ऐ के बाद इ आए तो ‘आयि’ बन जाता है :
गै | + | इका | = | गायिका, |
नै | + | इका | = | नायिका |
4. ओ के बाद आया अ’अव’ बन जाता है :
हो | + | अन | = | हवन |
पो | + | अन | = | पवन |
भो | + | अन | = | भवन |
5. ओ के बाद इ आए तो अवि’ बन जाता है :
भो | + | इष्य | = | भविष्य |
पो | + | इत्र | = | पवित्र |
6. औ के बाद आया अ’आ’ बन जाता है :
पौ | + | अन | = | पावन |
पौ | + | अक | = | पावक |
7. औ के बाद इ आए तो ‘आवि’ बन जाता है :
- नौ + इक = नाविक
8. औ के बाद उ आए तो आवु’ बन जाता है :
- भौ + उक = भावुक