नारी सशक्तिकरण संकेत बिंदु:
- नारी की वर्तमान स्थिति
- नारी की अतीत में स्थिति
- आधुनिक नारी का सशक्त रूप
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi
आधुनिक भारतीय नारी एक साथ दो भूमिकाएं निभा रही है। वह एक ओर घर-गृहस्थी संभालकर पारिवारिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर रही है, वहीं दूसरी ओर नौकरी तथा अन्य व्यवसायों के माध्यम से धनोपार्जन कर रही है। इस कारणवश उस पर दोहरे दायित्व आ गए हैं। वे आज इन दोनों स्थितियों के मध्य अत्यधिक संघर्षशील हो गई हैं। उसकी इस संघर्ष-शक्ति के कारण समाज विकास के मार्ग पर तेज़ी से अग्रसर हो रहा है।
आधुनिक नारी की स्थिति को कवि ने इस दोहे में चित्रित किया है-
खुश होकर दुख पी रही, नारी इस संसार।
उसके कारण ही सुखी, रहता हर परिवार॥
पहले नारी का स्थान घर की चारदीवारी तक सीमित था। समाज पुरुष प्रधान था। पुरुष और नारी के कार्यों का स्पष्ट विभाजन था। पुरुष धन कमाता था। नारी पारिवारिक उत्तरदायित्वों का पालन करती थी। वह आर्थिक रूप से पूर्णतया पुरुष पर आश्रित थी। इसलिए उसे पुरुष के समान नहीं समझा जाता था। उसे ‘भोग्या’ की संज्ञा दी गई थी।
उसके चारों ओर मर्यादाओं का चक्रव्यूह रच दिया जाता था। उसे त्याग की मूर्ति कहकर त्याग की अपेक्षाएँ की जाती थीं। विदेशी आक्रमणकारी लूट-मार करते थे। वे नारियों पर विशेष रूप से अत्याचार करते थे। उन्हें लूट का माल समझकर बाँटा जाता था। इसी कारणवश नारी को परदे में रखने का प्रथा का प्रचलन हुआ। वैदिक युग में यह स्थिति नहीं थी। तब नारी को पुरुष से बढ़कर सम्मान मिलता था। नारी की शिक्षा पर बल दिया जाता था।
वेदों की अनेक ऋचाएँ नारियों द्वारा ही लिखी गई हैं। उस समय गार्गी जैसी विदुषी नारियाँ पुरुषों के साथ शास्त्रार्थ करती थीं। याज्ञवल्क्य ऋषि की पत्नी मैत्रेयी सीता की शिक्षिका थीं। समय के परिवर्तन के साथ-साथ नारी की सामाजिक स्थिति में भी परिवर्तन होता चला गया। स्वतंत्रता के पश्चात् नारी-शिक्षा पर विशेष बल दिया गया। इसके सुपरिणाम अब सामने आ रहे हैं। आज जीवन का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं बचा है जहाँ नारी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल रही है। वह स्कूटर-मैकेनिक से लेकर अंतरिक्ष तक उड़ान भर आई है। वह पेट्रोल पंपों पर नौकरी करने लगी है।
वह रिक्शा से लेकर टैक्सी ड्राइवर तक का कार्य करने लगी है। कुछ समय पूर्व तक नारी के लिए अध्यापिका, क्लर्क आदि के कार्य ही उपयुक्त माने जाते थे। आज की नारी ने प्रधानमंत्री तक के पद पर सम्मानपूर्वक कार्य करके राजनेताओं को चुनौती दे दी है। स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भारत की प्रधानमंत्री के रूप में विश्व भर में अपनी धाक जमा दी थी। सरोजनी नायडू ने राज्यपाल का पद सुशोभित किया था। विजय लक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। सुषमा स्वराज कुशल विदेश मंत्री रहीं। निर्मला सीतारमण रक्षामंत्री के पश्चात् अब वित्तमंत्री हैं।
आज किसी भी कार्यालय, व्यापारिक संस्थान, कारखानों, दुकानों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों आदि में चले जाएँ, नारियाँ विभिन्न पदों पर कार्य करती मिलेंगी। कंप्यूटर के क्षेत्र में तो नारियों की प्रतिभा ने सभी को विस्मय में डाल दिया है। भारत की प्रगति में नारियों की प्रशंसनीय भूमिका रही है। उसके उत्थान से ही देश का मान बढ़ा है।
नारी का हर तरह से, जब होता उत्थान।
सभी तरह से देश का, तब बढ़ता है मान॥
आधुनिक भारतीय नारी ने जहाँ अपनी विजय पताकाएँ एवरेस्ट की चोटियों तक फहरा दी हैं वहीं दूसरी ओर उसकी सामाजिक स्थिति दयनीय भी है। आज भी पुरुष प्रधान मानसिकता के समाज में ‘बेटी’ का जन्म लेना अभिशाप माना जाता है। गर्भस्थ शिशु के लिंग का पता करा लिया जाता है। यदि गर्भ में लड़की होती है तो गर्भपात करा लिया जाता है। लड़कियों की भ्रूण हत्या करने में आज का तथाकथित सभ्य समाज नहीं चूकता।
नारी का सभी प्रकार से शोषण किया जाता है। नन्हीं बालिकाओं से लेकर वृद्ध नारियाँ तक बलात्कार की शिकार हो जाती हैं। दहेज के कारण नवविवाहिताओं पर दिन-प्रतिदिन अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। उनकी हत्या तक कर दी जाती है-
नारी जननी है। वह मातृरूपा है। नारी की कोख से जन्म लेने वाला पुरुष ही उस पर अत्याचार करता है। उसकी इस स्थिति पर कष्ट में डूबा कवि विवश होकर कहता है
नारी पर संसार में, क्यों हो अत्याचार।
जिसको वह पैदा करे, उससे खाती हार॥
खुद खाना खाती नहीं, नर को रही परोस।
दुःख सारा वह सह रही, रहकर के खामोश॥
आधुनिक भारतीय नारी संघर्ष करके समाज में अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। समाज एकाएक नहीं बदलता। पुरुष और नारी समाज के दो अनिवार्य अंग हैं। दोनों के समान विकास से ही समाज का सर्वांगीण विकास संभव है। नारी की उपेक्षा से समाज प्रगति पथ पर अग्रसर होगा, ऐसा सोचना मूर्खतापूर्ण है। नारी के सशक्तिकरण से पूरे समाज का सशक्तिकरण होगा।
मानवता का रूप है, नारी गुण की खान।
नारी इस संसार में, ईश्वर का वरदान॥