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Patra lekhan in Hindi – पत्र-लेखन (Letter-Writing) – Hindi Grammar

Contents

  • 1 पत्र लेखन की परिभाषा और उदाहरण (Patra Lekhan in Hindi) | Letter Writing in Hindi Examples
    • 1.1 पत्र लेखन की परिभाषा
    • 1.2 पत्र लेखन की विशेषताएँ
    • 1.3 पत्र का प्रारूप
    • 1.4 पत्रों के प्रकार
    • 1.5 1. अनौपचारिक-पत्र (IX)
    • 1.6 निमंत्रण पत्र का अर्थ
    • 1.7 निमंत्रण पत्र का उदाहरण
    • 1.8 संवेदना पत्र इन हिंदी | Sanvedana Patr In Hindee
    • 1.9 बधाई पत्र इन हिंदी
    • 1.10 धन्यवाद पत्र इन हिंदी
    • 1.11 शुभकामना पत्र इन हिंदी
    • 1.12 सूचना सद्भावना व अन्य पत्र
    • 1.13 2. औपचारिक-पत्र (X)
    • 1.14 आवेदन पत्र इन हिंदी
    • 1.15 शिकायती पत्र लेखन इन हिंदी
    • 1.16 पूछताछ संबंधी-पत्र

Patra Lekhan in Hindi | पत्र लेखन की परिभाषा एवं उनके और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

आम लोगों की यह धारणा है कि पत्र लिखने में किसी तरह का कोई प्रयास नहीं करना पड़ता है, लेकिन वास्तव में पत्र लेखन भी एक कला है। यही वह माध्यम है, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने स्वजन-परिजनों के बीच अपने हृदयगत भावों की अभिव्यक्ति करके संतोष प्राप्त करता है। यही वह साधन है, जिसके माध्यम से दूसरों के दिलों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। अतः पत्र लिखना एक ऐसी कला है, जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान की परिपक्वता, विचारों की विशालता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता है।

पत्र लेखन की परिभाषा और उदाहरण (Patra Lekhan in Hindi) | Letter Writing in Hindi Examples

हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।

पत्र लेखन की परिभाषा

इसके बिना हमारे पत्र अत्यंत साधारण होंगे। वे किसी को प्रभावित भी नहीं कर पाएँगे और हमारी अल्प-बुद्धि का प्रतीक भी बन जाएंगे। पत्र केवल हमारे कुशल समाचारों के आदान-प्रदान का ही माध्यम नहीं हैं, बल्कि उनके द्वारा आज के वैज्ञानिक युग में संपूर्ण कार्य-व्यापार चलता है। व्यावसायिक क्षेत्र में भी आज पत्रों का महत्त्व बहुत बढ़ता जा रहा है। पत्र-व्यवहार, व्यवसाय का एक अनिवार्य अंग बन गया है, इसलिए पत्र-लेखन में अत्यंत सावधानी रखनी चाहिए। पत्र लिखने तथा उसके आकार-प्रकार की पूरी जानकारी आज के संदर्भ में अत्यंत आवश्यक है।

पत्र लेखन की विशेषताएँ

  1. सरलता-पत्र की भाषा सरल, सीधी, स्वाभाविक तथा स्पष्ट होनी चाहिए। इसमें कठिन शब्द या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। उलझी हुई, अस्पष्ट तथा जटिल भाषा के प्रयोग से पत्र नीरस और प्रभावहीन बन जाता है।
  2. स्पष्टता-सरल भाषा-शैली, शब्दों का चयन, वाक्य-रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाती है। पत्र में स्पष्टता लाने के लिए अप्रचलित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  3. संक्षिप्तता-आज मनुष्य अधिक व्यस्त रहता है, वह पत्र पढ़ने में अधिक समय देना नहीं चाहता, विशेषकर व्यावसायिक-पत्र में। पत्रों में अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
  4. आकर्षकता-व्यावसायिक-पत्र सुंदर तथा आकर्षक होने चाहिए। लिखते समय स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  5. मौलिकता-मौलिकता पत्र की विशेषता होती है, पत्र में घिसे-पिटे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए। पत्र-लेखक को पत्र में स्वयं के विषय में कम तथा प्राप्तकर्ता के विषय में अधिक लिखना चाहिए।

पत्र का प्रारूप

1. संबोधन-पत्र प्राप्तकर्ता का पता बाईं ओर लिखा जाता है, अपने संबंध के अनुसार संबोधन शब्द लिखा जाता है:
(क) अपने से बड़े पुरुषों के लिए:
पूज्य, पूजनीय, आदरणीय, माननीय, श्रद्धेय, श्री।

(ख) बड़ी स्त्री के लिए:
पूजनीया, पूज्या, आदरणीया, माननीया।

(ग) विवाहित स्त्री के लिए:
श्रीमती, सौभाग्यवती।

(घ) अविवाहित स्त्री के लिए:
सुश्री।

(ङ) अपने से छोटे के लिए:
प्रिय, प्रियवर, चिरंजीव।

(च) मित्रों के लिए:
प्रिय, प्रियवर, प्यारे, स्नेहिल, मित्रवर।

(छ) सखी के लिए:
प्रिय, प्यारी, स्नेही।

(ज) पुरुष अधिकारी के लिए:
मान्यवर, श्रीमान, महानुभाव, महोदय, आदरणीय, परमादरणीय।

(झ) स्त्री अधिकारी के लिए:
माननीया, आदरणीया, महोदया।

(ञ) व्यापार संबंधी:
श्रीमान जी, प्रिय महोदय, महोदय, महोदया, प्रिय महोदया।

2. अभिवादन-संबोधन के बाद पत्र प्राप्तकर्ता के संबंधानुसार अभिवादन किया जाता है:
(क) बड़ों को-प्रणाम, सादर प्रणाम, चरण-स्पर्श, सादर नमस्कार, नमस्ते।
(ख) छोटों को-आशीर्वाद, शुभाशीष, चिरायु हो, चिरंजीवी हो, खुश रहो, प्रसन्न रहो।

3. पत्र का विषय-वस्तु निरूपण-विषय, पत्र का प्राण है। आकर्षक तथा प्रभावशाली ढंग से आवश्यकतानुसार अनुच्छेदों में विभाजित पत्र ही लेखक के मूल उद्देश्य को सुगमतापूर्वक पूरा कर सकता है।

4. हस्ताक्षर-पत्र के अंत में लिखने वाला अपने हस्ताक्षर करता है। हस्ताक्षर न टाइप किया जाए, न ही रबर की मोहर से होना चाहिए, हस्ताक्षर अपने हाथ से और स्याही में ही होना चाहिए। हस्ताक्षर के नीचे अपने पद का उल्लेख | (केवल व्यावसायिक और कार्यालयीय पत्रों में) करना चाहिए।

पत्रों के प्रकार

पत्रों को मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. अनौपचारिक-पत्र
  2. औपचारिक-पत्र।

1.अनौपचारिक-पत्र-जिन व्यक्तियों के साथ हमारे नज़दीकी, घनिष्ठ एवं आत्मीय संबंध होते हैं, उन्हें लिखे गए पत्र अनौपचारिक-पत्र कहलाते हैं। ये व्यक्तिगत पत्र होते हैं और इनकी भाषा भी अनौपचारिक होती है। परिवार के सदस्यों तथा सगे-संबंधियों व मित्रों को लिखे जाने वाले पत्र इसी श्रेणी में आते हैं।
2. औपचारिक-पत्र-सरकारी, गैर-सरकारी तथा अर्धसरकारी, प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र, संपादक का पत्र, व्यावसायिक-पत्र आदि औपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते हैं।

1. अनौपचारिक-पत्र (IX)

अनौपचारिक या व्यक्तिगत-पत्रों के निम्नलिखित भेद हैं:

  • निमंत्रण-पत्र
  • संवेदना-पत्र
  • बधाई-पत्र
  • धन्यवाद-पत्र
  • शुभकामना-पत्र
  • सूचना, सद्भावना व अन्य पत्र।

निमंत्रण पत्र का अर्थ

विवाह, जन्म-दिन, गृह-प्रवेश, उद्घाटन, पाठ, जागरण आदि अनेक मांगलिक कार्यक्रमों पर हम अपने प्रियजनों व मित्रों को आमंत्रित करने के लिए पत्र लिखते हैं। ये पत्र व्यक्तिगत भी होते हैं और सामाजिक भी। व्यक्तिगत-पत्र हम स्वयं अपने हाथों से लिखकर भेजते हैं और सामाजिक-पत्र छपवाए जाते हैं। यहाँ हम व्यक्तिगत-पत्रों के कुछ उदाहरण देखेंगे।

निमंत्रण पत्र का उदाहरण

1. अपने भाई के जन्म-दिवस के उत्सव पर अपने मित्र को निमंत्रण-पत्र लिखिए।
418, लक्ष्मी नगर
दिल्ली-92
दिनांक: 18 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र राहुल

सप्रेम नमस्कार
बहुत दिन हुए तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। निश्चित ही तुम सभी सकुशल होंगे। राहुल पहले तुम पत्र व्यवहार में बहुत कुशल थे, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हो, अपने पुराने मित्रों को भूलते जा रहे हो, परंतु मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूंगा। मित्र इस बार तुम्हें मेरे यहाँ अवश्य आना है।

तुम्हें यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि 28 मार्च को मेरे छोटे भाई विवेक का जन्म-दिवस है। हमने उसके जन्म-दिवस पर एक उत्सव का आयोजन किया है। सायंकालीन 5 बजे जलपान की व्यवस्था है। इस अवसर पर उसके कुछ मित्र सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करना चाहते हैं। इस कार्यक्रम द्वारा सभी का मनोरंजन होगा। मैं चाहता हूँ कि इस शुभ अवसर पर तुम अपने परिवार के साथ आओ और विवेक को आशीर्वाद दो। वैसे भी तुमसे मिले काफ़ी समय हो गया है, इसी बहाने हम एक-दूसरे के साथ थोड़ा समय गुजार लेंगे। मैंने अपने और मित्रों को भी बुलाया है, सभी एक साथ मिलकर अच्छा समय बिताएँगे, नाचेंगे, गाएँगे। बहुत मज़ा आएगा।

मुझे आशा है कि तुम इस अवसर पर अपने परिवार के साथ ज़रूर आओगे और हमारे कार्यक्रम की शोभा बढ़ाओगे।

शेष मिलने पर
तुम्हारा मित्र
अमित खन्ना

2. अपने जन्मदिन पर मामा जी को बुलाने के लिए आलोक की ओर से एक निमंत्रण-पत्र लिखिए।
सी-23, सेक्टर-31
नोएडा
दिनांक: 10 अगस्त, 20XX
आदरणीय मामा जी

सादर नमस्कार
आशा है, आप सपरिवार आनंद से होंगे। हम सभी यहाँ सकुशल हैं । मामाजी इस बार ग्रीष्मावकाश पर आपसे मिलने न आ सका। इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। मैं अपने विद्यालय के मित्रों के साथ शिमला घूमने चला गया था सो न आ सका। आप सभी की याद बहुत आई थी। हर वर्ष आपके साथ एक सप्ताह बिताकर जो आनंद प्राप्त होता है उसका वर्णन नहीं कर सकता।

समाचार यह है कि इस बार मैं अपना जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाने जा रहा हूँ। मेरी हार्दिक इच्छा है कि आप भी इस दिन मामी जी तथा भावेश के साथ मेरी इस खुशी में शामिल हों। मेरा जन्मदिन 20 अगस्त को है। मैं चाहता हूँ, आप 19 अगस्त को ही नोएडा पहुँच जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने में मुझे आपके सहयोग की आवश्यकता है। मैं जानता हूँ कि आप इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन सहज ही कर लेते हैं। इस अवसर पर आपके साथ काम करके मैं आपके सानिध्य में बहुत कुछ सीखना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे। मैं आपका इंतज़ार कर रहा हूँ।

आपका
आलोक

3. अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश अपने साथ बिताने का निमंत्रण देते हुए पत्र लिखिए।
1237, मदरसा रोड
कश्मीरी गेट
दिल्ली -110006
दिनांक: 22 जनवरी, 20XX

प्रिय रवि
सप्रेम नमस्ते आज की डाक से तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर विदित हुआ कि तुम्हारे पिता जी की विदेश यात्रा के कारण तुम्हारा ग्रीष्मावकाश में शिमला जाने का कार्यक्रम रद्द हो गया है। जैसा कि तुमको मैंने बताया था कि ग्रीष्मावकाश में हम मुंबई जा रहे हैं। हम 25 मई को वहाँ जाएँगे और एक सप्ताह वहाँ रुकेंगे। मैं जानता हूँ कि तुम भी मुंबई जाना चाहते हो। इस शहर को देखने की तुम्हारी बहुत इच्छा है, तो क्यों न तुम भी हमारे साथ ही चल दो।

मेरी इच्छा है कि यह छुट्टियाँ हम दोनों एक साथ मिलकर मनाएँ। मुंबई में हम एसलवर्ड, जुहू बीच, मरीन ड्राईव, चौपाटी, हाजी अली आदि अनेक जगहों पर घूमेंगे। पिछले साल मैं तुम्हारे परिवार के साथ श्रीनगर घूमने गया था। अतः तुम्हारे पिता जी तुम्हें हमारे साथ चलने की अनुमति दे देंगे। फिर भी यदि कोई समस्या हो तो मुझे लिखना, मैं दूरभाष पर अपने पिता जी की तुम्हारे पिता जी से बात करवा दूंगा।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
राहुल

4. अपने जन्मदिन पर मित्र को बुलाने के लिए निमंत्रण-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 26 फरवरी, 20XX
प्रिय मित्र

मधुर स्मृति
मित्र, जब से तुमने अपना विद्यालय बदल लिया है, मेरा मन ही नहीं लग रहा। हम दोनों इतने अच्छे मित्र थे कि लोग हमारी मित्रता की मिसाल दिया करते थे। सच मैं उन दिनों को बहुत याद करता हूँ और सदैव तुम्हारा साथ पाने की कामना करता रहता हूँ। तुम जानते ही हो कि मेरा जन्मदिन 3 मार्च को है। तुम्हें यह जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि मेरे माता-पिता इस बार भी मेरा जन्मदिन बहुत धूम-धाम से मना रहे हैं। तुम्हारे प्रिय भोजन का इंतजाम करने के साथ-साथ संगीत का आयोजन भी किया है। खूब नाचेंगे और मजे करेंगे। सच मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है।

हमारे पुराने और मेरे नए मित्र भी आ रहे हैं। इस अवसर पर तुम्हारा यहाँ होना बहुत ज़रूरी है। यदि इस खुशी के मौके पर तुम मेरे साथ होओगे, तो मज़ा दुगुना हो जाएगा। मुझे याद है कि पिछले वर्ष किन्हीं कारणों से तुम इस अवसर पर नहीं आ सके थे, तब भी तुम्हारी कमी बहुत खली थी, अब कोई बहाना नहीं चलेगा मित्र, क्योंकि तुम्हारा साथ पाकर तो मेरी खुशी एवं उत्साह दुगुना हो जाता है। कम-से-कम चार-पाँच दिन का समय लेकर आना। हम खूब मज़े करेंगे। दिल्ली दर्शन को भी चलेंगे। चाचा जी एवं चाची जी को मेरा चरण-स्पर्श कहना। अपने छोटे भाई को प्यार।

तुम्हारी प्रतीक्षा में
तुम्हारा अभिन्न मित्र
अ०ब०स०

5. अपने भाई के विवाह में सम्मिलित होने के लिए मित्र को निमंत्रण-पत्र लिखिए।
16/40, विवेक विहार
दिल्ली
दिनांक: 10 अप्रैल, 20XX

प्रिय मित्र
करण मधुर याद तुम्हें सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि मेरे बड़े भाई सिद्धार्थ का विवाह दिनांक 10 अप्रैल, 20XX को होना निश्चित हुआ है। बारात 9 अप्रैल को सुबह की फ्लाइट से मुंबई जाएगी। तुम्हें 8 अप्रैल तक मेरे घर अवश्य पहुँच जाना है। इन दिनों कोई परीक्षा नहीं होती, इसलिए समय के अभाव या छुट्टी न मिलने का बहाना तो नहीं होगा। अतः मैं चाहता हूँ कि तुम सही समय पर आकर हमारी खुशियों में शामिल हो जाओ।

मित्र, तुम्हारे आने से विवाहोत्सव की खुशियाँ दुगुनी हो जाएँगी। अतः अपने आगमन की तिथि के विषय में शीघ्रातिशीघ्र सूचित करना। माता जी एवं पिता जी को मेरा सादर चरण-स्पर्श कहना और अपनी छोटी बहन दिव्या को प्यार देना।

तुम्हारा दर्शनाभिलाषी
शिवा

संवेदना पत्र इन हिंदी | Sanvedana Patr In Hindee

अपने मित्रों, संबंधियों या प्रियजनों को अचानक होने वाली किसी हानि पर हम जो पत्र लिखते हैं, वे पत्र संवेदना-पत्र कहलाते हैं।
इन पत्रों को लिखते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी होती हैं:

– इन पत्रों की भाषा सहानुभूति से भरी हों।
– पत्र की शुरुआत दुख की अनुभूति प्रकट करते हुए होनी चाहिए।
– दुख के कारण पर टिप्पणी करते हुए हमदर्दी जतानी चाहिए।
– हमदर्दी जताने के बाद सांत्वना दी जानी चाहिए।
– सांत्वना देने के बाद धैर्य के साथ आगे बढ़ने की हिम्मत देनी चाहिए।
– अंत में अपनी सेवा या सहयोग को सम्पत करने की बात करनी चाहिए।

6. मित्र के पिता जी के असामयिक निधन पर मित्र को सांत्वना-पत्र लिखिए।
11, रोशनारा मार्ग लखनऊ
दिनांक: 10 अगस्त, 20XX

प्रिय मित्र
नमस्कार मुझे अभी-अभी तुम्हारा दुख-भरा पत्र प्राप्त हुआ। तुम्हारे पिता जी के असामयिक स्वर्गवास के दुखद समाचार को पढ़कर मन वेदना से भर गया। मुझे स्वप्न में भी ऐसी आशा न थी कि वे हमें निराश्रित कर इतना शीघ्र स्वर्गारोहण करेंगे। खैर, जो ईश्वर की इच्छा।

पूज्य अंकल जी का मुझ पर विशेष स्नेह था। उनका मुस्कराता एवं खिला-खिला चेहरा अब भी मेरी आँखों के आगे घूम रहा है। जब पिछले दिनों मैं तुम्हारे घर आया था, तो वे देर रात तक मेरी पढ़ाई एवं भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते रहे थे। उनके द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मेरे जीवन का प्रेरणा-स्रोत बन गया है।

मित्र! अब तुम्हें बहुत हिम्मत से काम लेना होगा, क्योंकि घर की ज़िम्मेदारियाँ तुम्हारे कंधों पर आ गई हैं । पूज्या माता जी एवं अनुजा, नीरजा का विशेष ध्यान रखना होगा। ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है कि वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। इस संकट की घड़ी में अपने माता-पिता के साथ मैं तुम्हारे पास शीघ्र पहुँच रहा हूँ। अपने को अकेला एवं निस्सहाय मत समझना। संकट के समय में मनोबल ही कार्य करता है।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
विनय

7. छात्रावास में अस्वस्थ अपने निराश मित्र को पत्र लिखकर आने वाली परीक्षा की पढ़ाई के लिए मनोबल बढ़ाएँ।
बी 26/21 महावीर नगर
नई दिल्ली
10 जनवरी, 20XX प्रिय

मित्र मयंक
सप्रेम नमस्ते कल तुम्हारे पिताजी से पता चला कि तुम्हारी तबियत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही है। आने वाली परीक्षा को लेकर तुम बहुत चिंतित हो। निराशा ने तुम्हें घेर लिया है। अब परीक्षा को केवल थोड़ा ही समय रह गया है। अतः तुम और भी अधिक अधीर हो गए होंगे। दसवीं की परीक्षा वैसे भी बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। लेकिन इस समय तुम्हें सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

मयंक जान है तो जहान है। मैं समझता हूँ कि तुम सबसे पहले अपना स्वास्थ्य ठीक कर लो। पढ़ाई करने के लिए शारीरिक क्षमता भी उतनी ही जरूरी है जितनी मानसिक क्षमता। एक बार अच्छे डॉक्टर से तुम्हें अपना इलाज करवाना बहुत जरूरी है। साथ ही परिवार के बीच में रहना भी। तुम्हें चार-पाँच दिन की छुट्टी लेकर घर आना होगा। अच्छे डॉक्टर का इलाज और माता-पिता, भाई का प्यार तुम्हें शारीरिक रूप से ही केवल स्वस्थ नहीं कर देगा, बल्कि मानसिक रूप से भी तुम स्वस्थ हो जाओगे।

देखो, अपने इस मित्र के रहते तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है। परीक्षाएँ अभी दूर हैं; तैयारी का पर्याप्त समय तुम्हारे पास है। वैसे भी तुम पूरे साल नियम से पढ़ते रहे हो, इसलिए कुछ दिनों के लिए आए इस व्यवधान से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझसे जो बन पड़ेगा। मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगा। वैसे भी हम सबको तुम्हारी प्रतिभा व योग्यता पर पूरा भरोसा है। हम सबकी शुभकामनाएँ, माताजी व पिताजी की दुआएँ तुम्हारे साथ हैं, फिर चिंता किस बात की? तुम्हें इस बार भी शानदार सफलता मिलेगी।

अच्छा मित्र, घर पहुँचते ही मुझे जानकारी देना। मैं तुम्हें तुरंत ही मिलने आऊँगा।

तुम्हारा शुभचिंतक
राजीव

8. नवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण अपने मित्र को सांत्वना-पत्र लिखिए।
1618, कूँचा महाजन
चाँदनी चौक,
दिल्ली
दिनांक: 10 नवंबर, 20XX

प्रिय गौतम
सप्रेम नमस्कार कल मुझे देवेश का पत्र मिला। उसने अपना तथा अपने साथियों का प्रथम-सत्र का परिणाम लिखा था। मुझे यह जानकर अत्यंत दुख हुआ कि तुम इस बार अपनी प्रथम-सत्र की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुए हो। इस बात की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। गौतम, मुझे तुमसे यह उम्मीद न थी। आठवीं कक्षा की परीक्षा में तुमने 65 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। हो सकता है कि परीक्षा के दिनों में तुम्हारे साथ कोई परेशानी हुई होगी, लेकिन मित्र अब भी देर नहीं हुई है। यदि तुम द्वितीय-सत्र की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर लोगे तो तुम्हें दसवीं कक्षा में जाने से कोई रोक नहीं पाएगा।

खैर, जो हुआ, सो भूल जाओ। आगे की सोचो कि किस प्रकार अब तुम्हें कठिन परिश्रम करके द्वितीय-सत्र में अच्छे अंक प्राप्त करने हैं। अब कम-से-कम 85 प्रतिशत अंक लेने का लक्ष्य बनाकर चलो। मुझे पूरा विश्वास है कि दृढ़-निश्चय कर लेने पर आप अपने लक्ष्य में अवश्य सफलता प्राप्त करोगे।

आशा करता हूँ कि मुझे आपसे दूसरे सत्र में अच्छे अंक प्राप्त करने का शुभ समाचार ही प्राप्त होगा।

तुम्हारा मित्र
अमन

9. आपके मित्र के पिता की फैक्टरी में आग लगने से करोड़ों का नुकसान हुआ है। मित्र को संवेदना-पत्र लिखिए।
1325, सेक्टर 23
ग्रेटर नोएडा
दिनांक: 25 जनवरी, 20XX

प्रिय वरुण
सप्रेम नमस्ते राजेश से यह जानकर बहुत दुख हुआ कि तुम्हारे पिता की फैक्टरी में आग लग गई और पूरी फैक्टरी राख में बदल गई। यह एक ऐसा झटका है, जिसे सहना बहुत मुश्किल है।

वरुण, मैं जानता हूँ कि इससे तुम्हारी आर्थिक स्थिति को बहुत धक्का लगा होगा, लेकिन इस बात के लिए तो हमें ईश्वर का धन्यवाद करना होगा कि कोई जान का नुकसान नहीं हुआ। पैसा तो फिर कमाया जा सकता है, लेकिन जाने वाला इंसान वापस नहीं आता।

वरुण, यह भी अच्छा है कि तुम्हारे पिता जी ने सारी मशीनों और अन्य सामान का बीमा कराया हुआ था। अब देर सवेर तुम्हारे पिता जी को इसका मुआवज़ा मिल जाएगा। परंतु दृढ़-संकल्प के साथ अब फिर से फैक्टरी को नए सिरे से खड़ा करना होगा।

वरुण, इस समय अपने पिता का पूरा ध्यान रखना। उनको मानसिक संबल देना। मेरी किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो बेझिझक कहना। मैं भरसक सहयोग प्रदान करूँगा।

तुम्हारा मित्र
अमित

10. अपनी सहेली के दुर्घटना ग्रस्त होने पर सांत्वना-पत्र लिखिए।
121, दरीबा कलां,
लखनऊ
दिनांक: 12 अगस्त, 20XX

प्रिय तान्या
सप्रेम नमस्ते
आशा है, अब तुम स्वस्थ होगी। वृंदा के पत्र से यह जानकर बहुत दुख हुआ कि तुम्हारे साथ दुर्घटना घटित हो गई और तुम अस्पताल में भर्ती हो। अस्पताल का नाम सुनते ही अनेक प्रकार की कुशंकाएँ मन को घेर लेती हैं। वृंदा ने लिखा कि तुम साइकिल पर सवार होकर अपने स्कूल जा रही थी और एक ट्रक ने पीछे से तुम्हें टक्कर मार दी। भगवान का शुक्र है कि तुम्हारे गिरते ही ट्रक ड्राइवर ने ट्रक को मोड़ लिया, वरना न जाने क्या हो जाता! तान्या, तुम्हें अपना पूरा ध्यान रखना होगा। तुम्हारी स्थिति की कल्पना कर मन भय से भरा जा रहा है। पैर की टूटी हड्डी को जुड़ने में समय लगेगा, लेकिन तुम जल्दबाजी मत करना। डाक्टर जितना कहे उतना आराम ज़रूर करना। छोटी-मोटी खरोंचें तो जल्द ही ठीक हो जाएंगी।

सोचती हूँ, इस समय यदि मैं तुम्हारे पास आ पाती तो कितना अच्छा होता। परीक्षाएँ सर पर हैं। पढ़ाई भी करनी है सो मन को समझाना होगा।

आशा है, तुम जल्द ही अच्छी हो जाओगी। तुममें बहुत हिम्मत है। तुम अवश्य ही इस संकट का सामना पूरी बहादुरी से करोगी। माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना और छोटे भाई को प्यार।

तुम्हारी सहेली
कल्पना

बधाई पत्र इन हिंदी

अपने मित्र, प्रियजन व संबंधी को किसी खुशी या सफलता पर बधाई-पत्र लिखे जाते हैं।
इस तरह के पत्रों में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए:

– ये पत्र बधाई से शुरू होने चाहिए तथा शाबाशी या शुभकामना से समाप्त होने चाहिए।
– पूरे पत्र में खुशी व प्रशंसा का भाव हो।
– खुशी दिल से हो रही है, इस बात का अहसास होना चाहिए।
– सफलता के महत्त्व को भी पत्र में शामिल किया जाना चाहिए।

11. बड़े भाई का छोटे भाई को बधाई-पत्र।
24/36, मयूर विहार
दिल्ली
दिनांक: 12 दिसंबर, 20xx

प्रिय संजय
सदा खुश रहो तुम्हारे पत्र से ज्ञात हुआ कि तुम इस वर्ष अपने विद्यालय के खेलों में सर्वप्रथम पुरस्कार विजेता (Champion) घोषित किए गए हो। तुम्हें मेरी ओर से इस महान सफलता के लिए हादक बधाई। मुझे तुमसे यही आशा थी। संजय! तुमने जीवन में सफलता की पहली लड़ाई तो जीत ली, अब तुम्हें दूसरी लड़ाई जो इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है और जिसे परीक्षा कहते हैं-इसी शानदार सफलता से जीतनी है। पिछली बार तुम सर्वप्रथम रहे, इस बार भी तुम मुझे अवश्य बधाई देने का अवसर दोगे और पिछली बार से भी अधिक अच्छे अंक प्राप्त कर हम सब का मस्तक ऊँचा करोगे। अब संपूर्ण शक्ति पढ़ाई में लगाकर तन-मन से जुट जाओ। हमारी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं।

ईश्वर करे तुम पहले से भी अधिक गौरव प्राप्त करो। परीक्षा समाप्त होने तक मैं घर वापस आ रहा हूँ।

तुम्हारा अग्रज
हरीश

12. अपने मित्र को उसकी वर्षगाँठ पर बधाई-पत्र।
210, एम०जी० रोड
फोर्ट, मुंबई
दिनांक: 25 अक्टूबर, 20XX

प्रिय मित्र राहुल
सप्रेम नमस्ते वर्षगाँठ के संबंध में तुम्हारा निमंत्रण-पत्र प्राप्त हुआ। मैं तुम्हारी वर्षगाँठ भूला थोड़े ही था, जो तुम्हें याद दिलानी पड़ी। तुम्हारा पत्र मिलने के पूर्व ही मैंने तुम्हें एक छोटा-सा उपहार भेजा है। इस अकिंचन की उस छोटी-सी भेंट को यदि तुमने सानंद स्वीकार किया तो मैं अपनी मित्रता को सार्थक समझूगा। क्या करूँ! मैं इस समय तुमसे बहुत दूर हूँ। इच्छा तो थी कि एक बार आकर तुमसे मिल लूँ, लेकिन पिता जी के अस्वस्थ होने के कारण यह संभव नहीं हो सका है। मुझे विश्वास है कि तुम बुरा नहीं मानोगे। तुम्हें अमेरिका के प्रति सदा आकर्षण रहा है।

इसी से संबंधित एक पुस्तक जिसमें वहाँ की सचित्र झलकियाँ भी हैं, मैंने तुम्हारे लिए सबसे उचित उपहार समझा। मुझे विश्वास है कि उस पुस्तक से तुम्हें अमेरिका से संबंधित अनेक जानकारियाँ प्राप्त होंगी। तुम अपनी गर्मी की छुट्टियों की योजना के बारे में लिखना। अच्छा होगा कि तुम गर्मियों में मुंबई चले आओ। यहीं से कोई और कार्यक्रम बनाएँगे।

अपने माता जी और पिता जी को मेरा सादर प्रणाम कहना। अपनी वर्षगाँठ पर पुनः एक बार मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
अशोक

13. मित्र के कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उसे बधाई-पत्र लिखिए।
ई-28, भानुपार्क मुंबई
दिनांक: 15 जुलाई, 20xx
प्रिय मित्र रमेश

सप्रेम नमस्ते
कल तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर मन प्रसन्नता से उछल पड़ा। यह तो मैं जानता ही था कि तुम अवश्य प्रथम श्रेणी से पास होगे, लेकिन प्रथम स्थान भी प्राप्त करोगे इसका अंदाज़ा न था। तुम्हारे पत्र में इस समाचार को पढ़कर हृदय असीम प्रसन्नता से भर गया। मेरे हर्ष की कोई सीमा नहीं रही। मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। भगवान करे तुम इसी तरह दिन दुगुनी और रात चौगुनी प्रगति करो। तुम्हें जीवन की प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने का सौभाग्य मिलता रहे। तुम सदैव इसी तरह प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ते रहो। एक बार फिर हार्दिक बधाई स्वीकार करो।अपने माता जी और पिता जी को मेरा सादर चरण स्पर्श कहना न भूलना।

तुम्हारा प्रिय मित्र
योगेश

14. अपनी सखी को वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम आने पर बधाई-पत्र लिखिए।
ई-109, सरस्वती विहार
‘दिल्ली
दिनांक: 3 सितंबर, 20xx
प्रिय अनुराधा

सस्नेह नमस्ते
अभी थोड़ी देर पहले कविता ने दूरभाष पर बताया कि तुम अपने स्कूल में हुई अंतर विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर आई हो तथा तुम्हें सर्वश्रेष्ठ वक्ता भी चुना गया है। मेरी ओर से तुम्हें बहुत-बहुत बधाई। मुझे विश्वास है कि तुम भविष्य में भी इसी प्रकार अपने विद्यालय तथा अपने माता-पिता का नाम रोशन करोगी। मेरे मम्मी पापा भी तुम्हारी इस जीत पर तुम्हें बधाई स्वरूप आशीर्वाद भेज रहे हैं। मेरी ईश्वर से भी प्रार्थना है कि वह तुम्हारा मार्ग इसी प्रकार प्रशस्त करते रहें और तुम इसी प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में नए-नए कीतमान स्थापित करती रहो।

अनेक शुभकामनाओं सहित
तुम्हारी सखी
अंजली

15. आप अपने मित्र के भाई की शादी पर नहीं जा सके। भाई की शादी पर मित्र को बधाई-पत्र लिखिए।
821, गोरस वाड़ी
इलाहाबाद
दिनांक: 22 सितंबर, 20xx

प्रिय आशीष
प्यार हम सभी यहाँ कुशल से हैं और तुम्हारी कुशलता के लिए ईश्वर से कामना करते हैं। मित्र, दो दिन पहले ही मैं जर्मनी से वापस लौटा हूँ। घर लौटने पर तुम्हारे भाई रवि की शादी का निमंत्रण पत्र देखा। मुझे तुम तक समय पर न पहुँच पाने का बहुत दुख हुआ। मैं तो हमेशा ऐसे मौकों की तलाश में रहता हूँ।

जब हम एक साथ मिलकर समय का आनंद ले सकें और अपने पुराने समय को याद कर ठहाके लगा सकें, पर अफसोस है कि मैं समय पर तुम्हारे पास न पहुँच सका। मित्र, उन्हीं दिनों मुझे स्कूल की ओर से जर्मन भाषा सीखने के एक सेमिनार में जर्मनी भेज दिया गया।

मित्र, मैं विवाह पर उपस्थित न हो सका इसका मुझे बहुत दुख है। मैं इस बात के लिए तुमसे क्षमा चाहता हूँ। मेरी ओर से अपने भाई के विवाह की बधाई स्वीकार करो। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हारे भाई भाभी के वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की वर्षा हो।

तुम्हारे बड़े भैया बहुत ही हँसमुख और मिलनसार हैं। वे तुम्हारी भाभी को बहुत खुशी देंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। तुम्हारी भाभी बहुत ही खुशकिस्मत हैं जिन्हें तुम्हारे परिवार में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मेरी ओर से उन्हें भी बधाई। तुम्हें, तुम्हारे भाई व माता-पिता को एक बार फिर मेरी ओर से बधाई।

तुम्हारा मित्र
कवींद्र

16. आपका मित्र बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आया है, उसे बधाई-पत्र लिखिए।
16/32, शिवाजी पार्क
दादर, मुंबई
दिनांक: 30 मई, 20XX

प्रिय भरत

प्यार
कल के ‘नवभारत टाइम्स’ से तुम्हारी शानदार सफलता के संबंध में जानकारी प्राप्त कर मुझे जिस आनंद का अनुभव हुआ है, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। मुझे विश्वास था कि एक दिन तुम अवश्य इन ऊँचाइयों को पा लोगे। तुममें जो साहस और लगन है, वह आम आदमियों से हटकर है। आज तुम्हारे माता-पिता को ही नहीं मुझे भी तुम पर बहुत गर्व है। भरत, लगन और मेहनत से निश्चित किए लक्ष्य को पाना कठिन नहीं है। यह तुमने साबित कर दिया है। उन लोगों के लिए तम आदर्श हो जो इस ऊँचे लक्ष्य को पाना चाहते हैं।

प्रिय मित्र! अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हादक बधाई स्वीकार करो। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ, कि वह तुम्हें जीवन के हर क्षेत्र में सदैव सफलता प्रदान करें। इसी प्रकार तुम उन्नति के शिखर पर आगे बढ़ते रहो। अभी तो भविष्य की केवल पहली सीढ़ी पर ही तुमने कदम रखा है। भरत एक मित्र होने के नाते मैं तुम्हें सलाह देना चाहूँगा कि अपनी इन सफलताओं को पाकर विनम्रता की ओर आगे बढ़ना। आमतौर पर ऐसी सफलताएँ मनुष्य को घमंडी बना देती हैं। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।

तुम्हारा अभिन्न
मित्र प्रभात

धन्यवाद पत्र इन हिंदी

किसी के द्वारा हमारे लिए किए गए किसी कार्य या दिए गए उपहार के लिए धन्यवाद-पत्र लिखा जाता है। इस तरह के पत्रों में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

– पत्र की शुरुआत धन्यवाद से तथा अंत भी पुनः धन्यवाद से हो।।
– पत्र की भाषा हृदयस्पर्शी हो। ऐसा लगे जैसे धन्यवाद हृदय से दिया जा रहा है।
– किए गए कार्य या दिए गए उपहार की प्रशंसा भी पत्र में शामिल की जाए।

जब कोई व्यक्ति हृदय से हमारा सहयोग करता है, हमें उपहार देता है या हम पर कोई उपकार करता है तो ऐसी स्थिति में धन्यवाद-पत्र लिखना शिष्टता का व्यवहार माना जाता है। आमतौर पर सभी को इस तरह के पत्र लिखने की आवश्यकता कभी-न-कभी अवश्य पड़ती है।

ऐसे पत्रों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:

  1. ऐसे पत्र संक्षिप्त होते हैं।
  2. ये धन्यवाद से शुरू होते हैं और धन्यवाद पर ही समाप्त होते हैं।
  3. पत्र के मध्य भाग में व्यक्ति के द्वारा किए गए सहयोग या उपकार के महत्त्व पर प्रकाश डाला जाता है।
  4. पत्र में केवल दिखावा न होकर गहरी आत्मीयता का भाव झलकता है।

17. आप 16/40 शक्ति नगर दिल्ली में रहने वाली प्रीति हैं। परीक्षा में विशेष उपलब्धि पर आपकी सखी ‘मेधा’ ने आपको बधाई भेजी है। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
16/40, शक्ति नगर
दिल्ली
दिनांक: 3 अप्रैल, 20XX
अभिन्न हृदया मेधा

प्रेम
तुम्हारा बधाई-पत्र मिला, सफलता का आनंद दुगुना हो गया, बहुत-बहुत धन्यवाद। तुम्हारा और मेरा साथ एक लंबे समय का अनुबंध था जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज की मेरी इस उपलब्धि के लिए मैं तुम्हें भी कोटि-कोटि धन्यवाद देना चाहती हूँ, क्योंकि कहा जाता है कि संगति का असर हम पर अवश्य पड़ता है। एक अच्छे मित्र का साथ हमें ऊँचाइयों की ओर ले जाता है।

मेधा, क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि व्यक्ति की उपलब्धियों का श्रेय केवल स्वयं को ही नहीं जाता, अपितु उसकी उपलब्धि में उसके माता-पिता, इष्ट-मित्र भी उतने ही भागीदार होते हैं। मेरी अभिन्न सखी होने के नाते तुम्हारा योगदान भी कम नहीं है। यदि मुझे इष्ट-मित्रों का सहयोग और प्रोत्साहन न मिला होता, तो निश्चय ही यह परिणाम न होता। आज का दिन सच . में ही मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का दिन है, लगता है जैसे मैंने आसमान छू लिया है।

अपनी सखी को याद करने और बधाई देने के लिए एक बार फिर धन्यवाद।

अपने माता-पिता को मेरा नमस्कार कहना और संपर्क बनाए रखना। अपने विषय में भी सूचना देना। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में।

तुम्हारी अपनी
प्रीति

18. अपने जन्म-दिवस पर मित्र द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद-पत्र लिखिए।
35/40, सरस्वती विहार, दिल्ली
दिनांक: 12 जनवरी, 20XX
प्रिय रवि

सप्रेम नमस्कार
हम सपरिवार यहाँ पर कुशल है और तुम्हारे परिवार की कुशलता की ईश्वर से कामना करते हैं। मैं दो दिन से लगातार तुम्हें याद कर रहा था और आज ही तुम्हारे द्वारा भेजा हुआ पार्सल मिला।खोलकर देखा तो एक सुंदर घड़ी थी। मेरे जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में भेजे गए तुम्हारे इस उपहार को देखकर मन प्रसन्नता से भर गया। घड़ी अत्यंत ही आकर्षक व उपयोगी है। जब वह घड़ी मेरे माता-पिता व भाई ने देखी तो वे भी बहुत खुश हुए। मेरे दूसरे मित्रों ने भी इस घड़ी को देखा और सराहा। मेरा मन प्रसन्नता से खिल गया।

मित्र, मेरे जन्म-दिवस पर तुम्हारे न आने से मैं सचमुच तुमसे नाराज़ था, परंतु उपहार के साथ तुम्हारा पत्र मिला और जब तुम्हारी परेशानी का पता चला तो मन से सारी नाराजगी जाती रही। शारीरिक अस्वस्थता से तो अच्छे-अच्छे पस्त हो जाते हैं, फिर तुम्हें तो बहुत तेज़ बुखार था। इस सुंदर उपहार के लिए धन्यवाद। वैसे इतना कीमती उपहार भेजने की क्या आवश्यकता थी? तुम्हारा स्नेह और प्रेम ही मेरे लिए काफ़ी है। मैं तो ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि हमारी दोस्ती और प्यार इसी प्रकार बना रहे।

अब तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है? अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना। हमारी परीक्षा भी अब निकट आ रही है। अतः बीमार रहने से हमारा बहुत नुकसान है। जल्द ही मैं तुमसे मिलने आऊँगा। इस बार परीक्षा की तैयारी में मुझे तुम्हारा सहयोग चाहिए। मैं भगवान से तुम्हारे जल्दी ही स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूँ। अपने माता-पिता को सादर प्रणाम कहना। इतने सुंदर तथा आकर्षक उपहार के लिए एक बार पुनः धन्यवाद।

तुम्हारा प्रिय मित्र
विवेक

19. अपने मामा जी को पत्र लिखिर जिसमें उनके द्वारा भेजी गई कहानी की किताब के लिए धन्यवाद प्रकट किया गया हो।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 3 फरवरी, 20XX
पूज्य मामा जी

सादर चरण स्पर्श
मैं यहाँ सकुशल हूँ। आशा है आप सपरिवार कुशल-मंगल होंगे। आपके द्वारा भेजी गई रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियों की पुस्तक मिली। मामा जी यह उपहार मेरे लिए अमूल्य है। जब मैंने इनमें लिखी कहानियाँ पढ़ीं, तो जिस आनंद का अनुभव हुआ उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। मुझे इस संकलन में से ‘अंतिम शिक्षा’ कहानी बहुत ही अच्छी लगी। मामा जी इन कहानियों में जो गहराई है उसे वही समझ सकता है, जो साहित्य में रुचि रखता है। आपने मेरी रुचि को जानते हुए यह उपहार जो मुझे भेजा है, उसके लिए मैं आपको दिल से धन्यवाद दे रहा हूँ। घर पर मामी जी को मेरा प्रणाम कहना और दिवेश को प्यार।

आपका भाँजा
क०ख०ग०

20. खोई हुई पुस्तकें डाक से लौटाने के लिए आभार प्रदशत करते हुए किसी अपरिचित ‘अनुराग मिश्रा’ को पत्र लिखिए।
16/39, शक्ति नगर
नई दिल्ली
दिनांक: 23 फरवरी, 20XX
आदरणीय अनुराग जी

सादर अभिवादन
आज ही मुझे आपका भेजा हुआ पार्सल मिला। उस पार्सल में अपनी खोई हुई पुस्तकों को देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। मैं सोच भी नहीं सकता था कि आज के समय में भी भले लोग हैं। अच्छे लोगों से अभी दुनिया खाली नहीं हुई है, जो अपने पैसे खर्च करके दूसरों की भलाई करते हैं। मेरे लिए ये पुस्तकें बहुत ही आवश्यक और महत्त्वपूर्ण हैं । एक तो ये पुस्तकें बहुत महँगी हैं। इन्हें दुबारा खरीदने की क्षमता मुझ में नहीं है और साथ ही ये बाज़ार में आसानी से उपलब्ध भी नहीं होती।

मैं तो इन पुस्तकों को प्राप्त करने की आशा ही छोड़ चुका था और इन पुस्तकों के अभाव में मैं अपनी परीक्षा की तैयारी भी अच्छी तरह नहीं कर पा रहा था। खीझ और झुंझलाहट मेरे स्वभाव में बढ़ती जा रही थी, क्योंकि मैं निराशा के अंधकार में घिरता जा रहा था। ऐसे में आप मेरे लिए प्रकाश की किरण बनकर आए। आपकी इस सज्जनता ने मुझ पर उपकार ही किया है। आपकी इस सज्जनता व महानता के लिए अपने आभार को मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। आपने अत्यंत कृपा की है। इस कृतज्ञता के लिए मैं आपका आभारी हूँ। आपने यह सिद्ध कर दिया कि अच्छाई सदैव जीवित रहती है। पुनः मैं आपको धन्यवाद देता हूँ।

आपका शुभाकांक्षी
करन मेहरा

शुभकामना पत्र इन हिंदी

नववर्ष की मंगल-बेला, जन्म-दिवस, विवाह, गृह-प्रवेश आदि के लिए हम शुभकामना-पत्र लिखते हैं। ध्यान रहे शुभकामनाएँ अवसरानुकूल हों। भाषा हृदय-स्पर्शी व आत्मीयता से भरी हो।

21. विदेश यात्रा पर जाने वाले मित्र को उसकी मंगलमय यात्रा की कामना करते हुए पत्र लिखिए।
14-सी, सूर्या अपार्टमेंट्स
पटपड़गंज
नई दिल्ली-92
दिनांक: 20 मार्च, 20xx

प्रिय मित्र सिद्धार्थ

सप्रेम नमस्कार
आज ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर अत्यंत खुशी हुई कि तुम कंप्यूटर की वेब साइट डिजाइनिंग प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर विजयी रहे हो। अब तुम इस प्रतियोगिता के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने के लिए कनाडा जा रहे हो। तुम्हें मेरी ओर से हार्दिक बधाई। काफ़ी समय से तुम कनाडा जाना भी चाहते थे, यह अवसर तो तुम्हारे लिए ‘आम के आम, गुठलियों के दाम’ जैसा है। तुम कनाडा घूमने की अपनी चिर अभिलाषित इच्छा को भी पूरा कर लोगे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में भाग भी ले लोगे।

मुझे विश्वास है कि तुम इस प्रतियोगिता में भी अवश्य विजयी रहोगे। दृढ़-निश्चय, लगन व परिश्रम की भावना तुम में कूट-कूट कर भरी है। तुम जिस कार्य में भी हाथ डालते हो उसमें सफलता प्राप्त करके ही रहते हो। कनाडा में तो तुम्हारे मामा जी व मामी जी भी हैं। उनसे भी इसी बहाने तुम्हारी मुलाकात हो जाएगी। इस यात्रा में तुम्हारे साथ तुम्हारे मित्र भी जा रहे हैं, इसलिए तुम यात्रा का आनंद अच्छे से उठा सकोगे।

मैं तुम्हारी इस महत्त्वपूर्ण यात्रा पर अपनी शुभकामनाएँ प्रकट करता हूँ। ईश्वर तुम्हारी यात्रा को मंगलमय बनाए और तुम इस प्रतियोगिता में विजयी रहो। अपना तथा अपने देश का नाम ऊँचा करो। हमें तुम पर गर्व है।

पुनः मंगलमय यात्रा के लिए मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ। चाचा जी तथा चाची जी को चरण-स्पर्श तथा मोनू को प्यार।

सद्भावनाओं सहित
तुम्हारा अभिन्न मित्र
शैलेश

22. अपने मित्र को नववर्ष की शुभकामना देते हुए पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 25 अप्रैल, 20XX
प्रिय हरीश

सप्रेम नमस्ते
मित्र! समय के द्वार पर नया वर्ष दस्तक दे रहा है और पिछले साल को हम विदाई देकर नववर्ष का स्वागत कर रहे हैं। आज अचानक तुम्हारी याद आ गई। तुम्हारे साथ पिछली बार नए साल की पूर्व संध्या पर बहुत मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। सबने मिलकर खूब मौज-मस्ती की थी।

1 जनवरी, 20XX से शुरू होने वाला यह नववर्ष तुम्हें व तुम्हारे प्रियजनों को बहुत-बहुत मुबारक हो। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि यह नया वर्ष तुम सभी के जीवन में सुख-समृद्धि की वर्षा करे। तुम्हारी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हों। तुम्हारा जीवन सुख-समृद्धि से भर जाए। मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार करो।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और उनसे ऐसा आशीर्वाद देने को कहना कि आने वाले वर्ष में मैं उन्नति की सीढ़ियाँ चढ़कर कुछ बनने में सक्षम हो जाऊँ।

धन्यवाद तुम्हारा
प्रिय मित्र
क०ख०ग०

23. आपके मित्र के भाई के विवाह का निमंत्रण आपको मिला था। आप अपने मामा की शादी की वजह से वहाँ नहीं जा सकते। अत: अपनी विवशता बतलाते हुए मित्र को उसके भाई के विवाह की शुभकामनाएँ व्यक्त करें।
सी-2/115, जनकपुरी
नई दिल्ली
दिनांक: 18 मार्च, 20XX
प्रिय सुधांशु

सप्रेम नमस्कार
मित्र, आज ही तुम्हारे भाई के विवाह का निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ। मन को प्रसन्नता हुई। अब शीघ्र ही तुम्हारे घर में भाभी के आने से रौनक आ जाएगी। घर खुशियों से भर जाएगा। तुम्हें अपने भाई के विवाह की ढेर सारी शुभकामनाएँ। मित्र, तुम तो यह जानते हो कि जिस दिन तुम्हारे भाई का विवाह है ठीक उसी दिन मेरे मामा जी का भी विवाह होना निश्चित हुआ है। मुझे मामाजी के विवाह में दस दिन के लिए अमेरिका जाना होगा।

उस पूरे सप्ताह मैं यहाँ नहीं हूँ। अतः मैं तुम्हारे भाई के विवाह पर नहीं आ पाऊँगा। मुझे इस बात का बहुत अफ़सोस रहेगा। लेकिन जैसे ही मैं वहाँ से लौटूंगा तो भाभी से मिलने अवश्य आऊँगा।

मेरी ओर से अपने भाई के विवाह पर मंगलकामनाएँ स्वीकार करो। तुम्हें व तुम्हारे परिवार को इस मंगल-वेला पर एक बार फिर ढेर सारी शुभकामनाएँ।

तुम्हारा मित्र
कुणाल

सूचना सद्भावना व अन्य पत्र

व्यक्तिगत-पत्र अनेक प्रकार के होते हैं। इन्हें भिन्न-भिन्न अनेक विषयों में बाँटा जा सकता है। कुछ पत्र सलाह व सीख देने वाले होते हैं। कुछ जानकारी देने वाले होते हैं। कुछ में केवल सूचना ही दी गई होती है। कुछ में चिंता व्यक्त की होती है तो कुछ में आदेश का भाव भी होता है। इनमें से कुछ पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

24. अपनी दिनचर्या बताते हुए अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 22 सितंबर, 20XX
पूज्य पिता जी
चरण स्पर्श

आपका कृपा पत्र प्राप्त हुआ। यह मेरा पहला अवसर है कि मैं आपसे अलग हुआ हूँ, इसलिए आपका मेरे बारे में चिंतित होना स्वाभाविक है। आपने मेरी दिनचर्या के बारे में पूछा है, सो इस पत्र में मैं आपको इसकी जानकारी दे रहा हूँ।

यहाँ छात्रावास में हम सभी को प्रातः पाँच बजे उठा दिया जाता है। नित्य-क्रिया से साढ़े पाँच बजे निवृत्त होकर हम सभी स्कूल के बड़े-से मैदान में पहुँच जाते हैं। वहाँ शुरू होता है व्यायाम का दौर। हम सभी साथ मिलकर व्यायाम करते हैं और खेलते भी हैं। एक घंटा बीत जाने पर हम सभी फिर अपने-अपने कमरों में पहुँच जाते हैं। साढ़े छः बजे से सात बजे के बीच स्नान कर हम बिलकुल तैयार हो जाते हैं।

सात बजे नाश्ते की घंटी बजती है। आधे घंटे में वहाँ से निवृत्त होकर हम फिर अपने कमरे में चले आते हैं और फिर एक घंटे के लिए पढ़ाई करते हैं। साढ़े आठ बजे हमारा स्कूल शुरू हो जाता है। दोपहर बारह बजे की ब्रेक में हम फिर यहीं आकर खाना खाते हैं और फिर साढ़े बारह बजे तक वापस स्कूल में पहुँच जाते हैं। साढ़े तीन बजे स्कूल की छुट्टी हो जाती है। फिर अपने कमरे में आकर हम आराम करते हैं। पाँच बजे नाश्ते की घंटी बजती है।

नाश्ता करने के बाद सात बजे तक का समय हमारे खेलने के लिए निश्चित है। सात से नौ बजे तक अध्ययन करने के पश्चात रात का खाना खाया जाता है और रात दस बजे सभी छात्रों को अनिवार्य रूप से सो जाना पड़ता है।

पिता जी, हमारे छात्रावास के अधीक्षक हमारा बहुत ख्याल रखते हैं और हमें किसी प्रकार की तकलीफ़ नहीं होने देते। मैं अपने आप को यहाँ स्वस्थ महसूस करता हूँ। मेरा मन भी यहाँ लग गया है। क्रिसमस की छुट्टियों में मैं घर आऊँगा। माता जी को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भैया को प्यार।

आपका प्रिय पुत्र
क०ख०ग०

25. प्रातःकालीन सैर के लाभों का वर्णन करते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
छात्रावास मुंबई
विश्वविद्यालय
दिनांक: 11 नवंबर, 20XX
प्रिय दिनेश
शुभाशीष

ईश्वर की कृपा से मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ। आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ स्वस्थ और प्रसन्न होगे। जैसा कि तुमने पत्र-लेखन मुझसे वादा किया था, अब तुम नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे होगे तथा माता जी और पिता जी का कहना मानते होगे। दो रोज़ पहले पिता जी के पत्र से पता चला कि तुम कक्षा में प्रथम आए हो। पढ़कर मन प्रसन्न हुआ। इस सफलता पर तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। पिता जी ने यह भी लिखा है कि तुम अब आगे मेडिकल में प्रवेश पाना चाह रहे हो सो देर रात तक पढ़ते हो और सुबह देर तक सोते हो। खाना भी ठीक समय पर नहीं खाते। लेकिन मेरे भाई, इस प्रकार तो तुम अपना स्वास्थ्य बिगाड़ लोगे। यह तुम भली प्रकार जानते हो कि बिना स्वास्थ्य के जीवन में प्रगति संभव नहीं।

स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए यह आवश्यक है कि समय पर सोकर समय पर उठो। ऐसे में प्रातःकाल यदि सैर रना शरू कर दोगे तो यह तम्हारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होगा। प्रातःकालीन भ्रमण से शरीर स्वस्थ व निरोगी बना रहता है। सूर्योदय से पहले की वायु जो कि प्रदूषण रहित होती है, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी होती है। प्रात:कालीन भ्रमण एक व्यायाम के समान है। इससे तुम्हारा शरीर हृष्ट-पुष्ट रहेगा और पूरा दिन तुम अपने आप को तरोताजा महसूस करोगे।

मैं विश्वास करता हूँ कि तुम्हें मेरा सुझाव पसंद आया होगा और अब तुम इसे अपनी दिनचर्या का अंग बना लोगे। माता जी और पिता जी को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा शुभचिंतक
राजीव

26. अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर अध्ययनशील होने की सलाह दीजिए।
21/24, मदरसा रोड
कश्मीरी गेट
दिल्ली
दिनांक: 15 अप्रैल, 20XX
प्रिय राहुल

शुभाशीष
कल तुम्हारे छात्रावास से तुम्हारे मित्र का पत्र प्राप्त हुआ। शायद तुम समझ ही गए होंगे कि उसने यह पत्र क्यों लिखा था। आजकल तुम्हारी संगति बिगड़ रही है और तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हटकर अन्य शरारतों की ओर जा रहा है, यह जानकर बड़ा दुख हुआ। भाई, तुम यह भली-भाँति जानते हो कि तुम्हें छात्रावास में भेजने का मूल उद्देश्य क्या था। पिता जी चाहते हैं कि तुम पढ़-लिखकर बड़े अफ़सर बनो और इसके लिए तुम्हें अध्ययन करना होगा।

अध्ययनशील व्यक्ति ही जीवन में कुछ बन सकता है। अध्ययन केवल तुम्हारी ज्ञान वृद्धि ही नहीं करता, बल्कि तुम्हें सही रास्ता दिखाकर कुसंगति से भी बचाता है। अध्ययन का अपना एक अलग ही आनंद है। अध्ययन हमें आम लोगों की श्रेणी से ऊपर उठा देता है। अध्ययनशील व्यक्ति जीवन में तरक्की करते हैं और उच्च स्थान को हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम निश्चित ही मेरे द्वारा कही बातों पर अमल करके अध्ययनशील बनोगे।

तुम्हारा शुभचिंतक
सुनील

27. किसी पर्यटन स्थल की यात्रा पूरी करके विद्यालय में सकुशल पहुँच जाने की सूचना पत्र द्वारा अपने पिता जी
को दीजिए। परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 22 जुलाई, 20xx
पूज्य पिता जी
चरण स्पर्श

पर्यटन स्थल की यात्रा पूरी करके आने पर आपका पत्र मिला। आपने लिखा है कि छात्रावास में पहुँचते ही आपको अपनी यात्रा के विषय में सूचना दूँ। सो पिता जी आगरा की यह यात्रा बहुत ही मनोरंजक व ज्ञानवर्धक रही। आगरा में सबसे अच्छा मुझे ‘ताजमहल’ लगा। इसके बारे में जितना मैंने आज तक पढ़ा था, इसका सौंदर्य उससे भी कहीं बढ़कर है। चंद्रमा की छिटकी चाँदनी में इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यह मुमताज महल की स्मृति में शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया है। कुछ इतिहासकार इसे महाराजा जयसिंह का प्राचीन किला बताते हैं । यह समूचा महल संगमरमर का बना हुआ है।

यह यमुना नदी के किनारे पर बना है। ताजमहल के द्वार से लेकर मुख्य भवन तक सड़क के दोनों ओर पंक्तिबद्ध खड़े सरों के वृक्षों की पंक्ति तथा इनके बीच लगे फव्वारों की शोभा देखते ही बनती है। आगे संगमरमर के विशाल चबूतरे पर इस महल का निर्माण किया गया है। चबूतरे के चारों कोनों पर चार गगनचुंबी मीनारें हैं। इस विशाल भवन के बीचों-बीच शाहजहाँ और मुमताज की कब्र हैं, पर उनकी असली कब्र ठीक इनके नीचे तहखाने में हैं।

पूर्णिमा की चाँदनी रात में हमने इस महल के अद्वितीय सौंदर्य को देखा। महल की शिल्पकारी और नक्काशी देखकर इसके निर्माता कारीगरों की प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जाता। पिता जी आप भी अवश्य माता जी को लेकर इस अद्भुत सौंदर्य को देख आएँ, तभी आप मेरे आनंद का अनुभव कर सकेंगे। बस पत्र अब यहीं समाप्त करता हूँ। माता जी को मेरा प्रणाम कहिएगा।

आपका सुपुत्र
अ०ब०स०

28. कुसंगति से बचने की शिक्षा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
27, मॉडल टाउन
दिल्ली
दिनांक: 1 जून, 20XX
प्रिय सूरज

शुभाशीष
आज ही पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ। पत्र से ज्ञात हुआ कि आजकल तुम पढ़ाई पर ध्यान न देकर बुरे दोस्तों की संगति में अपना समय बर्बाद कर रहे हो। पिता जी के द्वारा चिंता करना स्वाभाविक है। सूरज, तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि कुसंगति पैरों में पड़ी वह बेड़ी है, जिसमें जकड़कर मनुष्य की प्रगति पंगु हो जाती है। मनुष्य की सही पहचान उसके मित्र ही होते हैं। यदि तुम बुरे मित्रों के साथ रहोगे, तो उनके दुष्प्रभावों से बच नहीं सकते।

समय बहुत मूल्यवान है। बीता समय फिर लौटकर नहीं आता। ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ वाली उक्ति तो तुम्हें ध्यान होगी। इसलिए समय रहते ही सँभल जाने में तुम्हारी भलाई है। जिन्हें तुम मित्र समझ रहे हो, वे वास्तव में तुम्हारे शत्रु हैं। ये तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे।

अभी भी देर नहीं हुई है। परीक्षाएँ तीन महीने बाद शुरू होने वाली हैं। इसलिए अपने इन तथाकथित मित्रों से विदा लो और अपने भविष्य को सँवारने में जुट जाओ। मुझे विश्वास है कि तुम हम सभी को निराश नहीं करोगे और न ही भविष्य में फिर शिकायत का अवसर दोगे।

तुम्हारा भाई
रवि

29. बड़े भाई की ओर से छोटे भाई को पत्र, यह समझाते हुए कि फैशन में रुचि न लेकर पढ़ाई की ओर ध्यान दे।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 25 मार्च, 20xx
प्रिय अर्जुन

शुभाशीष
माता जी के नाम लिखा हुआ तुम्हारा पत्र आज ही प्राप्त हुआ, जिसमें तुमने अपने लिए कुछ अधिक रुपयों की मांग की है। इतने अधिक रुपये की माँग ने माता जी, पिता जी और साथ ही मुझे भी चिंता में डाल दिया है। इस संदर्भ में तुम्हें पत्र लिखने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी गई है। मैं जानता हूँ कि तुमने ये रुपये क्यों मँगवाए हैं? तुम्हारे मित्र से मुझे यह पता लग चुका है कि आजकल तुम फैशन की दौड़ में शामिल हो गए हो। दूसरों की देखा-देखी तुम भी नए फैशन के जूते और कपड़े खरीदना चाह रहे हो, लेकिन यह हम जैसे साधारण परिवार के लोगों के बस की बात नहीं है।

वैसे भी फैशन तो एक हवा का झोंका मात्र है, हर पल बदलता रहता है। यदि तुम इसकी तरफ़ अपना ध्यान लगाओगे तो निश्चित ही अपने मार्ग से विचलित हो जाओगे। जीवन की यह तड़क-भड़क तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी। पथ-भ्रष्ट होकर तम अपनी मंजिल तक कभी नहीं पहँच पाओगे। यह ध्यान रहे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ ही जीवन का ध्येय होना चाहिए। इस पर चलकर ही तुम सफलता के सोपान पर पहुँच पाओगे। परिवार वालों की उम्मीदें तुम पर ही लगी हुई हैं। वे समझते हैं कि तुम ही इस घर की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाओगे। हर वर्ष प्रथम आने वाले तुम, यदि भटक गए तो इस परिवार का क्या होगा?

मैं चाहता हूँ कि तुम समय रहते ही सँभल जाओ। इस फ़िजूलखर्ची को छोड़कर अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान दो और अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करो।

माता जी और पिता जी की तरफ़ से शभाशीर्वाद। पत्र का उत्तर शीघ्र देने का प्रयत्न करना।

तुम्हारा भाई
अ०ब०स०

30. छात्रावास से अपने पिता को एक पत्र लिखिए।
छात्रावास डी०ए०वी० स्कूल
नई दिल्ली
दिनांक: 15 फरवरी, 20XX
परम पूज्य पिता जी

सादर प्रणाम
आपको विदित हो कि मैं यहाँ सानंद हूँ। जिस दिन आप मुझे यहाँ छोड़कर गए, मेरा मन बहुत उदास हो गया था। घर की बहुत याद आ रही थी। बार-बार आँखों में आँसू आ रहे थे। मन को समझाते हुए मैंने अपना नया दिन शुरू किया और अब समय बदल गया है। मैंने अपने स्वभाव से मिलते कई सहपाठियों को अपना मित्र बना लिया है, जो परिश्रमी एवं अध्ययनशील हैं। मुझे सबका सहज स्नेह प्राप्त है। हम सभी मिलकर अपना समय सानंद बिताते हैं। एक-दूसरे की पूर्ण सहायता भी करते हैं। हमारे छात्रावास के विद्यार्थी तथा प्राध्यापक सभी बहुत अच्छे हैं।

यहाँ शैक्षणिक गतिविधियों के कारण व्यस्तता रहती है। अनेकानेक अध्ययन, पठन-पाठन संबंधी प्रतियोगिताएँ होती रहती हैं, जिनमें मैं उत्साह से भाग लेता हूँ। हिंदी निबंध प्रतियोगिता तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता में मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यहाँ प्रत्येक छात्र सदा एक-दूसरे से आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील रहता है। इसलिए मुझे भी कड़ा परिश्रम करना पड़ रहा है। आप विश्वास कीजिए कि मैं अच्छी श्रेणी में उत्तीर्ण होकर आपकी आशा के अनुरूप बनने के प्रयास में जी-जान से लगा हूँ। मेरा परीक्षाफल संतोषप्रद होगा। आप सबकी बहुत याद आती है। पूज्यनीय माता जी को मेरा सादर प्रणाम कहना। छोटू को ढेर सारा प्यार। उससे कहना स्कूल की छुट्टियाँ होते ही मैं उससे मिलने अवश्य आऊँगा।

आपका स्नेहाकांक्षी
राहुल

31. परीक्षा में नकल करते पकड़े जाने पर अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।
छात्रावास
मुंबई विश्वविद्यालय
मुंबई
दिनांक: 15 मार्च, 20XX
प्रिय नितिन

आशीर्वाद
कैसे हो? उम्मीद करता हूँ तुम अपना पूरा ध्यान रख रहे हो। समय बहुत तेजी से बदल रहा है। ऐसे में माहौल भी बदलता है। अच्छे और बुरे की समझ रखते हुए हमें आगे बढ़ना है इस बात का ख्याल अवश्य होना चाहिए।

कल पूज्य पिता जी द्वारा भेजा हुआ पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर बहुत दुख हुआ कि तुम परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े गए हो। तुम्हारे इस निकृष्ट कर्म के कारण तुम्हें तो अपमानित होना ही पड़ा, साथ ही पिता जी को भी अपमान का घूट पीना पड़ा। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सफलता प्राप्त करने के लिए तुम ऐसा गलत कार्य भी कर सकते हो। यह सब तुम्हारे उन गलत मित्रों का ही प्रभाव है, जिनके साथ तुम सालभर यहाँ से वहाँ घूमते रहे हो। तुम्हारे द्वारा किए इस गलत कार्य का फल केवल तुम अकेले ही नहीं भोगोगे, बल्कि इसे तो पूरे परिवार को भोगना होगा। तुमने परिवार के सम्मान को ठेस पहुँचाई है।

भाई! अभी भी समय हाथ से नहीं निकाला है। अब इस घटना से तुम्हें शिक्षा लेनी चाहिए। अपने उन मित्रों का साथ छोड़ पढ़ाई में इस प्रकार जुट जाना चाहिए कि नकल करने का ख्याल तक तुम्हारे मन में न आए। इस वर्ष तो तुम अपने स्कूल में परीक्षा दे रहे हो, अगले वर्ष जब बोर्ड की परीक्षा दोगे और यही कुकृत्य करते पकड़े जाओगे तो पूरे तीन साल के लिए परीक्षा भवन से निकाल दिए जाओगे और वह दिन शायद हम सभी के लिए मरने के समान होगा। सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला नहीं कहते। मेरा विश्वास है कि तुम्हें मेरे इस पत्र से नई दिशा मिलेगी। निश्चित ही अब तुम अपनी पढ़ाई में जुट जाओगे। पूज्य माता जी और पिता जी को चरण स्पर्श।

तुम्हारा भाई
अनिल

32. अपने पिता जी की बीमारी पर चिंता प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
छात्रावास
डी०पी०एस०
नई दिल्ली
दिनांक: 28 अगस्त, 20XX
परम पूज्य पिता जी
चरण वंदना

कल माता जी के द्वारा लिखा पत्र प्राप्त हुआ। पत्र से यह जानकर अत्यंत दुख हुआ कि आपका स्वास्थ्य आजकल ठीक नहीं चल रहा है। शायद काम का बोझ कुछ ज़्यादा बढ़ गया है। आप यह भली-भाँति जानते हैं कि ज्यादा काम करना आपके वश में नहीं। फिर आप ऑफिस से कुछ दिनों के लिए अवकाश क्यों नहीं ले लेते? अवकाश लेकर ही आप अपने शरीर पर ठीक तरह से ध्यान दे पाएंगे। यदि इस समय इन छोटी-छोटी बीमारियों पर ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर यही बड़ा रूप धारण कर लेंगी। आशा करता हूँ कि आप अपना इलाज सुचारु रूप से करवा रहे होंगे।

इस समय चाह कर भी मैं आपकी सेवा में हाज़िर नहीं हो पा रहा हूँ। जैसा कि आप जानते हैं मेरी परीक्षाएँ अगले सप्ताह शुरू हो रही हैं। परीक्षा समाप्त होते ही सीधा आपके पास आऊँगा और आपको किसी पहाड़ी क्षेत्र में ले जाऊँगा। वहाँ आपको अच्छे वातावरण के साथ पूर्ण आराम भी मिलेगा। अपना पूरा ख्याल रखना। माता जी से मेरा प्रणाम कहना।

आपका प्रिय पुत्र
नवीन

33. आपके विद्यालय में होने वाले वार्षिकोत्सव में आपको पुरस्कृत किया जाएगा।आप चाहती हैं कि आपकी माता जी भी इसे देखें। माता जी को बुलाने के लिए पत्र लिखिए।
छात्रावास
समरविला पब्लिक स्कूल
नोएडा
दिनांक: 2 अक्टूबर, 20XX
पूज्या माता जी

सादर प्रणाम
आज ही आपका पत्र मिला है। आप मेरा पत्र न पाने पर चिंतित थीं। मैं आपको पत्र नहीं लिख सकी। इसके लिए क्षमा चाहती हूँ। पहले मेरी परीक्षाएँ चल रही थीं जिस कारण मैं व्यस्त थी। परीक्षाओं के समाप्त होते ही हमारे वार्षिकोत्सव की तैयारी आरंभ हो गई। आप तो जानती ही हैं कि हमारे विद्यालय में प्रत्येक वर्ष वार्षिकोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

इस वर्ष भी यह उत्सव 28 अक्टूबर को है। इस उत्सव में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। हमारी कक्षा की छात्राएँ इस अवसर पर एक नाटिका प्रस्तुत कर रही हैं। मैं भी इसमें भाग ले रही हूँ। हमारे इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्री आ रहे हैं। उनके द्वारा पुरस्कार वितरण भी किया जाएगा।

आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि मुझे भी ‘सर्वश्रेष्ठ वक्ता’ तथा ‘श्रेष्ठ खिलाड़ी’ के पुरस्कार दिए जाएंगे। मैं चाहती हूँ कि इस शुभ अवसर पर आप भी उपस्थित हों और मुझे पुरस्कृत होते देखें। आप 27 तारीख तक अवश्य यहाँ पहुँच जाएँ। आपके रहने की उचित व्यवस्था विद्यालय द्वारा की गई है। आप आएँगी तो मुझे बहुत खुशी होगी।

पिता जी को सादर प्रणाम तथा हनी को प्यार देना।

आपकी पुत्री
श्रुति

34. आपकी किसी गलती की वजह से आपके पिता जी आपसे नाराज हैं। छात्रावास से अपने रुष्ट पिता जी से क्षमा-याचना का पत्र लिखिए।
छात्रावास
रामजस स्कूल, दरियागंज
नई दिल्ली।
15 फरवरी, 20XX
पूजनीय पिता जी,

सादर प्रणाम। पिता जी मैं यह जानता हूँ कि आप मुझसे बेहज नाराज़ हैं। यही कारण है कि मैं आपको पत्र लिखने का साहस नहीं जुटा पा रहा था। मैंने आपसे झूठ बोला और आपके विश्वास को चोट पहुँचाई, इसके लिए मैं बहुत शर्मिदा हूँ। यह अपराध-बोध मुझे रात-भर सताता रहा है। आप से क्षमा-याचना करके मन हल्का कर लूँ, इसी इच्छा से मैं आपको पत्र लिखने बैठा हूँ। मुझे उम्मीद है कि मेरा यह पत्र पढ़कर आप मुझे अवश्य क्षमा कर देंगे।

पिता ज तकें मँगवाने की बात लिखकर आपसे दो हजार रुपए मैंगवाए थे और आपने भेज भी दिए थे। वास्तव में मैंने आपसे झूठ बोला था। मुझे विद्यालय की ओर से आयोजित श्रीनगर की शैक्षिक यात्रा पर जाना था। मेरे सभी मित्रों ने मुझसे बहुत आग्रह किया था और एक मित्र के कहने पर मैंने यह बड़ा झूठ आप से बोला। मेरा यह सोचना था कि आप मुझे श्रीनगर जाने की इजाजत नहीं देंगे, सो जोश में होश खो बैठा था। अतः मैंने – खुद आपसे यह सच बता दिया था। जिसके बाद आपने मुझसे बात न करने का निर्णय किया।

मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे क्षमा करें। मुझे अपने किए पर पछतावा है। आप जो चाहे सजा दें। मैं आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगा। कृपया मुझे माफ कर दें।

माँ को मेरा चरण स्पर्श। भैया को सादर नमस्कार।

आपका आज्ञाकारी पुत्र
रमेश

35. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए, जिसमें अपनी आने वाली परीक्षा की तैयारी के विषय में उससे सलाह माँगिए।
1630, मदरसा
रोड दिल्ली -110006
दिनांक: 5 फरवरी, 20xx

प्रिय मित्र आलोक
कैसे हो तुम? कई दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। लगता है आजकल तुम पढ़ने में व्यस्त हो। पिछले वर्ष भी तुमने 94 प्रतिशत अंक लेकर विद्यालय में नया कीतमान स्थापित किया था। इस बार भी तुम ऐसा ही कुछ करोगे, इसका मुझे विश्वास है। मेरी परीक्षाएँ भी समीप आ रही हैं। मैं विद्यालय से आने के पश्चात भोजन करते ही पढ़ने बैठ जाता हूँ। शाम को कुछ समय के लिए ही दूरदर्शन के निकट दर्शन करता हूँ, पर फिर भी सभी विषयों का पुनरावर्तन नहीं कर पा रहा। मैं चाहता हूँ कि मैं भी तुम्हारी तरह अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण होऊँ। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा मार्ग-दर्शन करो। मुझे कुछ ऐसे सुझाव दो जिस पर अमल कर मैं भी प्रथम श्रेणी प्राप्त कर सकूँ। मुझे किस तरह अपनी समय-सारणी बनानी चाहिए जिससे सभी विषयों पर ध्यान दे सकूँ और किस प्रकार अपनी परीक्षा की तैयारी करूँ।

मुझे विश्वास है कि तुम्हारे अमूल्य सुझावों द्वारा मैं भी अपने माता-पिता का नाम रोशन करूँगा। अच्छा, तुम्हारी परीक्षाओं के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएँ।

चाचा जी तथा चाची जी को सादर प्रणाम तथा रिंकू को प्यार देना।

तुम्हारा मित्र
अश्विनी

36. किसी अपरिचित को अपना ‘पत्र-मित्र’ बनाने के लिए अपना परिचय देते हुए पत्र लिखिए।
1 बी, सरस्वती विहार
विजय कुंज, हरियाणा
25 अप्रैल, 20xx
प्रिय मारिया

नमस्ते।
हमारे विद्यालय से मुझे तुम्हारा परिचय पत्र-मित्र श्रृंखला को आगे बढ़ाने के लिए दिया गया। यह एक अच्छा प्रयास है जो दो देशों के बीच लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है। तुम्हारी पत्र-मित्रता के लिए मैं बहुत उत्सुक हूँ। अपने बारे में इस पत्र में मैं आपको जानकारी दे रही हूँ और तुमसे यही उम्मीद करूँगी।

मैं नीना शर्मा हूँ। मैं दिल्ली पब्लिक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ती हूँ। मेरे पिता व्यवसाय करते हैं और मेरी माताजी अध्यापिका हैं। हम दिल्ली में रहते हैं। मेरा एक भाई है जो मुझसे दो साल छोटा है। वह आठवीं कक्षा में पढ़ता है। मुझे मेरा परिवार बहुत प्यारा है मुझे तैराकी का बहुत शौक है। मैं विद्यालय, अंतविद्यालय तथा जिला स्तर पर कई प्रतियोगिताएँ जीत चुकी हूँ। तैराक होने के अलावा मैं एक अच्छी प्रवक्ता भी हूँ। मैं वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता में भाग लेती रहती हूँ। मैं भविष्य में एक नेता बनना चाहती हूँ। अपने देश के लिए कुछ करना चाहती हूँ। इसकी प्रेरणा मुझे अपने दादाजी से मिली है। उनका यही सपना था जिसे मैं साकार करूँगी।

मुझे उम्मीद है मेरा पत्र पढ़ने के बाद तुम्हें भी मुझसे मित्रता करने में रूचि होगी। इस पत्र के साथ मैं अपना एक चित्र भी भेज रही हूँ और चाहती हूँ कि यथाशीघ्र तुम भी अपना पूर्ण परिचय देते हुए अपने चित्र सहित मुझे पत्र लिखोगी। शेष अगले पत्र में।

तुम्हारी अनदेखी मित्र
श्रावणी

37. परीक्षा समाप्त होने पर अपने मामाजी के पास पहुँचने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
25, माले गो टाऊन
गुड़गाँव, हरियाणा
25 मार्च, 20XX
आदरणीय मामा जी।

सादर प्रणाम।
हम सभी यहाँ पर कुशलता से हैं। आशा है, आप सपरिवार स्वस्थ तथा आनंदपूर्वक होंगे। मामा जी जैसा कि आप जानते हो इन दिनों मेरी परीक्षाएँ चल रही हैं और अगले सप्ताह 28 मार्च को मेरी अंतिम परीक्षा होगी। परीक्षा समाप्त होते ही मैंने आपके पास आने का निश्चय किया है। वैसे भी पिछले तीन साल से मैं आपसे मिला नहीं। यही नहीं पढ़ाई के कारण कहीं आ जा न सका। अब कुछ दिन के लिए आपके देहरादून आकर चैन से प्रकृति की गोद में रहना चाहता हूँ।

मेरे आने के बाद मामाजी हम सभी मसूरी घूमने चलेंगे। परीक्षा की तैयारी करते-करते मेरा मन थक गया है, अतः पहाड़ों की ठंडी हवा खाकर इस थकान को दूर करना चाहता हूँ। पहाड़ों की ताज़गी मन को फिर स्वस्थ कर देगी और बहुत दिनों से प्रकृति के बीच रहने की इच्छा भी पूरी होगी। शहरी हवा और शहरी वातावरण से भी मेरा मन थक गया है। _मामी जी को मेरा चरण स्पर्श कहना और भाई विनय को प्यार।

आपका भांजा
गिरीश

38. अपने विद्यालय की विशेषता बताते हुए अपने विदेशी मित्र/साथी को पत्र लिखिए।
21/24 सरोजनी नगर,
नई दिल्ली
28 जनवरी, 20XX
प्रिय करण

सप्रेम नमस्ते।
आशा है, तुम कुशल होंगे। तुमसे बिछड़ने के बाद जब मैं दिल्ली आया तो मेरा मन बहुत उदास था। मैं बहुत अकेला भी महसूस कर रहा था लेकिन जब मैंने अपने नए विद्यालय में प्रवेश किया तो धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया। विद्यालय की सुंदरता ने मेरा मन मोह लिया। जितना सुंदर भवन उससे ज्यादा सुंदर वहाँ का उपवन। विशाल खेल प्रांगण और बड़ी-बड़ी कक्षाएँ, चारों ओर फैले सुंदर पौधे इसकी खुबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे।

इस विद्यालय में 4000 से भी अधिक बच्चे पढ़ते हैं। हमारी प्रधानाचार्या का नाम श्रीमती विमला शर्मा है। वे अत्यंत विदुषी, कुशल तथा स्नेही महिला हैं। वे दिन-रात विद्यालय की उन्नति की चिंता किया करती हैं। कभी विद्यालय के प्रवेश द्वार पर, तो कभी खेल के मैदान में, कभी सुबह की प्रार्थना सभा में, तो कभी चल के बीच आकर बच्चों से मिलती-जलती हैं और बहत स्नेह और अपनापन देती हैं। मेरे विदयालय का अनुशासन बहुत कठोर है।

सभी बच्चे अपने अध्यापकों की बात मानते हैं और उनका बहुतं सम्मान करते हैं। हमारे विद्यालय में बड़े-बड़े पुस्तकालय, प्रयोगशालाएँ और कंप्यूटर की प्रयोगशालाएँ भी हैं। हमें हर तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए तैयार किया जाता है। यहाँ आकर अब मैं तैराकी और क्रिकेट में भी हिस्सा लेने लग गया हूँ।

यहाँ बहुत अच्छे प्रशिक्षक हैं। मित्र, यहाँ भी मैंने एक-दो मित्र बनाए हैं। वे अभी मेरे अधिक करीब नहीं आए हैं। मित्र यदि वहाँ की कोई बात मुझे सताती है तो तुम। तुम मेरे अच्छे मित्र थे, अब भी हो और आगे भी रहोगे। अब मैं पत्र समाप्त कर रहा है माताजी-पिताजी को मेरा प्रणाम कहना। छोटी बहना को प्यार।

तुम्हारा प्रिय मित्र
कमल

2. औपचारिक-पत्र (X)

सरकारी, गैर-सरकारी तथा अर्धसरकारी प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र, संपादकको पत्र, व्यावसायिक-पत्र आदि औपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते हैं। औपचारिक-पत्र निम्न प्रकार के होते हैं:

  1. वेदन-पत्र
  2. शिकायती-पत्र
  3. संपादकीय-पत्र
  4. पूछताछ संबंधी-पत्र
  5. व्यावसायिक-पत्र।

आवेदन पत्र इन हिंदी

1. अपने विद्यालय की प्रधानाचार्या को संध्याकालीन खेल के प्रबंध के लिए प्रार्थना करते हुए एक आवेदन पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्या जी
डी०ए०वी० विद्यालय
विकास पुरी
नई दिल्ली
विषय: संध्या समय खेलों का प्रबंध।

आदरणीय महोदया,
सविनय निवेदन है कि अब तक हमारे विद्यालय में संध्या के समय खेलने की कोई व्यवस्था नहीं हुई है। विद्यालय में पढ़ाई के समय खेल पर पूरा ध्यान नहीं दिया जा सकता। विद्यालय की पढ़ाई समाप्त कर शाम के समय खेलने की इच्छा सभी विद्यार्थियों की रहती है। वे क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, टेबल-टेनिस, बॉस्केट बाल आदि खेलों में अभ्यास कर पारंगतता हासिल करना चाहते हैं जो पढ़ाई के समय संभव नहीं।

कृपया शाम के समय विद्यालय के मैदान में इन खेलों का अभ्यास कराने का प्रबंध करें। कुशल प्रशिक्षकों के नेतृत्व में हम प्रशिक्षण लेकर विद्यालय का नाम रोशन कर सकते हैं। कृपया इस ओर ध्यान दें तथा खिलाड़ियों के अभ्यास और प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था करवाने की कृपा करें। सधन्यवाद।

आज्ञाकारी शिष्य
भरत वर्मा
कक्षा-नौवीं ‘स’
दिनांक-20 फरवरी, 20xx

2. अपने प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 26 जून, 20Xx
प्रधानाचार्य एल०सी०वी०
विद्यालय राजेंद्र नगर
नई दिल्ली
विषय: छात्रवृत्ति प्राप्त करने हेतु

माननीय महोदय
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल का दसवीं ‘ब’ कक्षा का छात्र हूँ। मैं अपनी कक्षा में हर वर्ष अच्छे अंक से पास होता रहा हूँ। यही नहीं चित्रकला तथा संगीत की प्रतियोगिताओं में भी मैंने अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। मैं फुटबॉल का एक अच्छा खिलाड़ी हूँ। मैंने कक्षा 9वीं में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। मैं अपनी कक्षा का सुशील तथा आज्ञाकारी छात्र हूँ तथा सभी अध्यापक मुझे बहुत प्यार करते हैं।

मैं आपसे यह निवेदन करना चाह रहा हूँ कि मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण आप मुझे छात्रवृत्ति देने की कृपा करें। मेरे पिता जी की मृत्यु पिछले महीने सड़क दुर्घटना में हो गई थी। माँ जो कि एक कार्यालय में छोटे से पद पर है, उनके लिए पूरी गृहस्थी का बोझ उठाना संभव नहीं है। मुझे खेदपूर्वक कहना पड़ रहा है कि मेरे पास अगले माह की फीस देने के लिए पैसे नहीं हैं। यदि आप मुझ पर कृपा कर मुझे छात्रवृत्ति दिला दें, तो मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँगा। भविष्य में अपनी माँ का एकमात्र सहारा मैं ही हूँ। यदि आगे न पढ़ सका, तो मेरा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। आप मुझे इस अंधेरे कुएं में गिरने से बचा सकते हैं। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अ०ब०स०
कक्षा-10 ‘ब’

3. अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर पुस्तकालय में हिंदी कहानियों और कविताओं की अधिक पुस्तकें मँगवाने के लिए आग्रह कीजिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
मॉडर्न स्कूल
बाराखंभा,
नई दिल्ली
विषय: पुस्तकालय में हिंदी कहानियों तथा कविताओं के पुस्तकों की कमी

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा नवीं का विद्यार्थी हूँ। साहित्य से मुझे बेहद लगाव है। हिंदी के प्रति मेरा प्रेम बहुत अधिक है। मैं ही नहीं हमारे विद्यालय में ऐसे अनेक विद्यार्थी हैं। हम सभी अपने पुस्तकालय से प्रेमचंद, दिनकर, हरिवंशराय बच्चन, मन्नू भंडारी, उषा प्रियवंदा, महादेवी वर्मा का साहित्य लेकर पढ़ते हैं। अब तक हमने हमारे विद्यालय में रखी लगभग सभी पुस्तकें पढ़ ली हैं। अब पुस्तकालय में जाने पर किताबें खोजने पर भी नहीं मिलती। पुस्तकालय में हिंदी की अधिक पुस्तकें नहीं हैं।

आज के आधुनिक कवियों की किताबें तो न के बराबर हैं। जब अंतर्विद्यालय कविता प्रतियोगिता के लिए. तैयारी करनी होती है तो बहुत कठिनाई होती है। ऐसे में प्रतियोगिता के लिए अच्छी सामग्री उपलब्ध नहीं होती।

अतः आपसे निवेदन है कि पुस्तकालय में छात्रोपयोगी और अधिक साहित्यिक पुस्तके मैंगाएँ। विशेष रूप से हिंदी साहित्य की कहानियों तथा कविताओं की पुस्तकें यथाशीघ्र मँगाने की कृपा करें।

धन्यवाद।
भवदीय
गणेश
अनुक्रमांक- 10
कक्षा- नवीं ‘ए’
दिनांक- 25 अप्रैल, 20XX 350

4. ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान विषय लेने के लिए अपनी प्रधानाचार्या को आवेदन-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 28 मार्च, 20XX
प्रधानाचार्या
सर्वोदय विद्यालय
मयूर विहार, फेस-I
नई दिल्ली
विषय: विज्ञान विषय देने के लिए

माननीय महोदया
सेवा में निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैंने अभी अपनी बोर्ड की परीक्षाएँ दी हैं। मेरे पिता जी की इच्छा है कि मैं डॉक्टर बनूँ। मेरी भी विज्ञान में विशेष रुचि है। विज्ञान में मेरे अच्छे अंक हैं। विद्यालय में होने वाली ‘पूर्व परीक्षा में भी मैंने 87 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं तथा विज्ञान में तो मुझे 94 प्रतिशत अंक मिले हैं।

अत: मैं आपसे प्रार्थना करती हूँ कि आप मुझे ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान विषय’ लेने की अनुमति प्रदान करें, ताकि मैं अपने जीवन-लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हो सकूँ। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
अ०ब०स०
कक्षा-10 ‘ए’

5. चरित्र प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
जयपुर (राजस्थान)
दिनांक: 10 मार्च, 200x
प्रधानाचार्य महोदय
सलवान पब्लिक स्कूल
राजेंद्र नगर
नई दिल्ली
विषय: चरित्र प्रमाण-पत्र हेतु

महोदय
मैं आपके विद्यालय की 9वीं ‘अ’ कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी का तबादला मुंबई हो जाने के कारण अब मुझे यह विद्यालय छोड़कर जाना होगा। मैं आपके स्कूल में नर्सरी से पढ़ रहा हूँ। मैंने हर वर्ष 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं।

मैं पढ़ने के साथ-साथ स्कूल में होने वाली अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में भी हमेशा बढ़-चढ़कर भाग लेता रहा हूँ। मैंने खेलकूद के क्षेत्र में भी अनेक पुरस्कार जीते हैं।

महोदय, मैंने मुंबई स्कूल में प्रवेश प्राप्त करने हेतु आवेदन किया है जिसके लिए चरित्र प्रमाण-पत्र आवश्यक है। अतएव आपसे प्रार्थना है कि मुझे चरित्र प्रमाण-पत्र देकर कृतार्थ करें।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
क०ख०ग०
कक्षा-9वीं ‘अ’

6. अपनी कक्षा अध्यापिका के प्रति किए गए दुर्व्यवहार पर क्षमा माँगते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 12 जनवरी, 20XX
प्रधानाचार्य महोदय
सेंट कोलंबस स्कूल
कैंट छावनी, नई दिल्ली

विषय: कक्षा अध्यापिका के प्रति किए गए दुर्व्यवहार पर क्षमा प्रार्थना

महोदय
कक्षा अध्यापिका श्रीमती शीला शर्मा जी के प्रति मैंने जो अभद्र व्यवहार किया, उसके लिए मैं बहुत लज्जित हूँ और हृदय से क्षमा याचना करता हूँ।

आज दूसरे पीरियड में मैं पिछली सीट पर बैठा था। मेरी साथ वाली सीट पर बैठे हुए छात्र आपस में बातचीत कर रहे थे। अध्यापिका महोदया इतिहास पढ़ा रही थीं। उन्होंने मुझे कहा कि मैं उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहा और बातें कर रहा हूँ, जबकि मैं पूरी लगन के साथ उनकी बातें सुन रहा था। मुझे उनका इस तरह कक्षा में डाँटना बुरा लगा। कक्षा में इस बात को सभी जानते हैं कि मैं कक्षा में बातें करने के बिलकुल पक्ष में नहीं हूँ। अध्यापिका की डाँट से मैं अपना आपा खो बैठा। मैंने अध्यापिका महोदय के सामने ज़ोर से जवाब दे दिया। उन्होंने भी उत्तेजित होकर मुझे कक्षा के बाहर निकाल दिया और मेरी शिकायत लिखकर आपके पास भेज दी।

मैं यह महसूस कर रहा हूँ कि अध्यापिका महोदया के प्रति मेरा व्यवहार अभद्र व अशिष्ट था। वे मेरी अध्यापिका हैं और मैं उनका हृदय से सम्मान करता हूँ। मैं अपने आचरण पर लज्जित हूँ और अपनी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिला रहा हूँ कि भविष्य में मैं कभी भी शिकायत का मौका नहीं दूंगा। यह मेरी पहली और आखिरी गलती होगी। मुझे आशा है कि आप मुझे क्षमा कर देंगे।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
क०ख०ग०
कक्षा-9वीं ‘ब’

7. अपने प्रधानाचार्य को स्कूल की संपत्ति को हानि पहुँचाने वाले छात्रों की जानकारी देते हुए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन:
लुधियाना (पंजाब)
दिनांक: 14 फरवरी, 20XX
प्रधानाचार्य
राजकीय उच्च विद्यालय-III
पंजाब
विषय: कक्षा छात्रों द्वारा स्कूल की संपत्ति को हानि पहुँचाना

श्रीमान
सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा नवीं ‘स’ का छात्र हूँ। आपने कुछ दिन पहले प्रार्थना सभा में विद्यालय में होने वाले लगातार नुकसान की बात की थी तथा विद्यालय की संपत्ति को हानि पहुँचाने वाले छात्रों के प्रति अफ़सोस प्रकट किया था। महोदय आपने ऐसे छात्रों का नाम बताने वाले को पुरस्कृत करने की घोषणा की थी। मैं उसी दिन से अपनी कक्षा के छात्रों पर दृष्टि रख रहा था।

कल मैंने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। ये छात्र अर्ध-अवकाश के समय सभी छात्रों के बाहर जाने पर तथा पूरी छुट्टी होने के समय डेस्कों को उलट-पलट कर, उठा-पटक कर तोड़ रहे थे। बिजली की फिटिंग को उखाड़ रहे थे। उन्होंने कक्षा में लगी ट्यूब-लाइट को भी अपनी पानी की बोतल से तोड़ा था। मेरी कक्षा के उन छात्रों के नाम हैं-रवि राज, दिनेश वर्मा, नवजोत सिंह, कार्तिक त्रिवेदी।

महोदय, मुझे विश्वास है कि अपने कथनानुसार आप मुझे पुरस्कृत करेंगे। मैं चाहता हूँ मेरा नाम गोपनीय रखा जाए। इन छात्रों के संबंध में सूचित करना मेरा कर्तव्य है। अतः विद्यालय की संपत्ति को हानि पहुँचाने वाले छात्रों की जानकारी देकर, अपना कर्तव्य ही निभा रहा हूँ।

धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी
अ०ब०स०
कक्षा-9वीं ‘स’

8. बहन की शादी के लिए अवकाश प्राप्ति के लिए आवेदन-पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 10 अप्रैल, 20xx
प्रधानाचार्या जी
सनातन धर्म विद्यालय
नई दिल्ली
विषय: अवकाश प्राप्त करने हेतु

महोदया
निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 9वीं ‘अ’ का छात्र हूँ। मेरी बड़ी बहन का विवाह 13 अप्रैल, 20XX को होना निश्चित हुआ है। विवाह उत्सव एवं घर के कामों में व्यस्त होने के कारण मैं तीन दिन विद्यालय न आ सकूँगा। कृपया 12 अप्रैल से 14 अप्रैल, 20XX तक तीन दिनों का अवकाश प्रदान करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।

धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी
क०ख०ग०
कक्षा-9वीं ‘अ’

9. जुर्माना माफ़ कराने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 7 नवंबर, 20XX
प्रधानाचार्य
मॉडर्न स्कूल
बाराखंभा रोड
नई दिल्ली
विषय: जुर्माना माफ़ कराने हेतु

श्रीमान
निवेदन है कि मैं कक्षा 9वीं ‘क’ का छात्र हूँ। विद्यालय में 1 नवंबर से सर्दियों की यूनिफ़ार्म पहननी अनिवार्य थी। मैंने भी अपने स्कूल से ही यूनिफ़ार्म समय से पहले खरीद ली थी, लेकिन पहनकर नहीं देखी थी। 1 नवंबर की सुबह मैंने जब यूनिफ़ार्म पहनकर देखी तो वह बहुत छोटी थी। अतः उस दिन मैं स्कूल में गर्मियों की यूनिफ़ार्म पहनकर ही आ गया था। जब मैं स्कल में यनिफार्म बदली करवाने गया तो उन्होंने कहा कि अब दो दिन बाद ही बडी यनिफ़ार्म मिल पाएगी। मुझे चार दिन तक नई यूनिफ़ार्म का इंतजार करना पड़ा। अब मैं 6 नवंबर से यूनिफ़ार्म पहनकर आने लगा हूँ, पर पिछले दिनों यूनिफ़ार्म न पहनने के लिए मुझ पर 10 रुपये रोज़ के हिसाब से 50 रुपये जुर्माना लग गया है। मैं यह जुर्माना देने में असमर्थ हूँ। कृपया मेरी विवशता को समझते हुए जुर्माना माफ़ करने का अनुग्रह करें।

धन्यवाद सहित।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क०ख०ग०
कक्षा-9वीं ‘क’

10. प्रधानाचार्य को कंप्यूटर शिक्षा को बेहतर करवाने हेतु पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक 4 अप्रैल
प्रधानाचार्य
एमटी स्कूल
नई दिल्ली।
विषय: कंप्यूटर शिक्षा की सुविधा के संबंध में।

महोदय,
आपसे विनम्र अनुरोध है कि हम कक्षा 10वीं के छात्र चाहते हैं कि अपने विद्यालय में प्राप्त कंप्यूटर शिक्षा के स्तर को अधिक बेहतर और आधुनिक बनाया जाए। आप तो जानते ही हैं कि आज कंप्यूटर ज्ञान कितना आवश्यक हो गया है। बिना कंप्यूटर के ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलता है। जिस स्तर का ज्ञान और उपकरण हमारे विद्यालय में उपलब्ध है वह संतोषजनक नहीं है। हम सभी चाहते हैं कि हमारे लिए बेहतर उपकरण और शिक्षा का इंतजाम किया जाए। इसके लिए हम सभी छात्र आपके बहुत आभारी होंगे। कंप्यूटर की शिक्षा की माँग-मात्र बढ़ते हुए उसके महत्त्व और उपयोगिता के कारण ही है। उम्मीद है कि आप हमारी इस मांग को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाएँगे।

सधन्यवाद।
आपका शिष्य
क०ख०ग०
कक्षा-10 ‘अ’

11. आप किसी अन्य विद्यालय के साथ कबड्डी का मैच खेलना चाहते हैं। मैच खेलने की अनुमति प्राप्त करने के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक आवेदन-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 10 अक्तूबर, 20XX
प्रधानाचार्य
मॉडर्न स्कूल
नई दिल्ली।
विषय: कबड्डी मैच खेलने की अनुमति हेतु आवेदन।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम कक्षा 10वीं के छात्र इन दिनों बढ़ रही कबड्डी खेल की लोकप्रियता की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस खेल को बढ़ावा देने हेतु हम मात्र विद्यालय में इसके प्रशिक्षण की व्यवस्था को बढ़ावा देने के पक्ष में ही नहीं बल्कि अन्य विद्यालयों के साथ मैच खेलकर इसे स्पर्धा के स्तर पर लाने के इच्छुक हैं। कबड्डी एक बेहतरीन और परंपरागत खेल है जिसे आगे बढ़ावा देना हम सभी का मौलिक धर्म है। हमारा विद्यालय प्रत्येक क्षेत्र में आगे है और दूसरे विद्यालयों से सभी तरह की प्रतियोगिताओं व स्पर्धाओं में बेहतर प्रदर्शन करते रहे हैं। मुझे विश्वास है कि कबड्डी खेल में भी हम इसी तरह अपनी जीत के झंडे गाड़ कर विद्यालय का नाम रोशन करेंगे। * अतः आपसे अनुरोध है कि हमारी उक्त माँग को स्वीकार कर हमें अनुगृहित करें।

सधन्यवाद
आपका शिष्य
च०छ०ज०
कक्षा 10 ‘स’

12. नौकरी के लिए आवेदन-पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 1 जनवरी, 20xx
प्रधानाचार्य जी
समरविला हाई स्कूल
मयूर विहार
दिल्ली-110091

विषय: हिंदी अध्यापक के पद हेतु आवेदन-पत्र

महोदय
आपके द्वारा ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित विज्ञापन के प्रत्युत्तर में मैं हिंदी अध्यापक के पद हेतु अपना आवेदन-पत्र भेज रहा हूँ। मेरा व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है:
नाम: क०ख०ग०
पिता का नाम: अब०स०
जन्म तिथि: 20 मई, 1970

शैक्षणिक योग्यता अर्थ

  1. मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 1986 में 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
  2. मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से बारहवीं की परीक्षा 1988 में 78% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
  3. दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा 1992 में 72% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
  4. मैंने रोहतक विश्वविद्यालय से बी०एड्० की परीक्षा 1993 में 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।

मैं पिछले वर्ष डी०ए०वी० स्कूल, कृष्णा नगर में हिंदी अध्यापक के पद पर कार्य कर चुका हूँ। यह पद मात्र एक वर्ष के लिए ही रिक्त था। इसलिए मुझे वहाँ से कार्य छोड़ना पड़ा है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि आपकी चयन समिति ने मुझे यह अवसर प्रदान किया, तो निश्चित ही मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूँगा और अपनी पूरी निष्ठा व लगन के साथ काम करूँगा।

धन्यवाद सहित
भवदीय
क०ख००

13. बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
बी०पी० 153
शालीमार बाग
दिल्ली
दिनांक: 25 जनवरी, 20XX
बेसिक शिक्षा अधिकारी
जिला परिषद
लखनऊ (उ०प्र०)

विषय: प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए आवेदन-पत्र

मान्यवर
दिनांक 24 जनवरी, 20XX के दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ से ज्ञात हुआ कि आपके विभाग में प्राइमरी शिक्षकों के कुछ स्थान रिक्त हैं। उन पदों के लिए आवेदन-पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मैं भी अपने को इस पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करना चाहती हूँ। मेरी योग्यताएँ व अन्य विवरण इस प्रकार हैं:

नाम: संगीता जुनेजा
पिता का नाम: श्री सुरेश कुमार जुनेजा।
जन्मतिथि: 17 अगस्त, 1975
स्थायी पता: बी०पी० 153, शालीमार बाग, दिल्ली

शैक्षणिक योग्यताएँ:

बारहवीं  प्रथम श्रेणी  1992  उ०प्र० बोर्ड  हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास, गणित, अर्थशास्त्र
बी०ए०  प्रथम श्रेणी  1995  लखनऊ वि०वि०  हिंदी, अंग्रेज़ी, इतिहास, अर्थशास्त्र
बेसिक टीचर कोर्स  द्वितीय श्रेणी  1997  मेरठ वि०वि०  हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास

अन्य योग्यताएँ:
शास्त्रीय संगीत में डिप्लोमा
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पुरस्कृत
महाविद्यालय की हिंदी साहित्य परिषद की सचिव

अनुभव: डी०ए०वी० मिडिल स्कूल, कानपुर में प्राइमरी शिक्षक के पद पर कार्यरत।

महोदय, यदि उक्त पद पर कार्य करने का अवसर प्रदान करें, तो मैं अपनी कार्यकुशलता से अपने अधिकारियों को संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगी तथा पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करूँगी। प्रार्थना-पत्र के साथ सभी प्रमाण-पत्रों की प्रतियाँ संलग्न हैं।

धन्यवाद
भवदीया
संगीता जुनेजा

14. दैनिक समाचार-पत्र में उपसंपादक के पद के लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए आवेदन-पत्र लिखिए।
478, गली नं0 4, पटेल नगर
नई दिल्ली
दिनांक: 20 मार्च, 20XX
संपादक
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह जफ़र मार्ग
नई दिल्ली-2
विषय: उपसंपादक के लिए आवेदन-पत्र

महोदय
आपने अपने समाचार-पत्र के लिए उपसंपादक के पद के रिक्त स्थान के लिए 18 मार्च के समाचार-पत्र में विज्ञापन दिया था। मैं अपने को इस पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करना चाहता हूँ। मेरी योग्यताएँ व अन्य विवरण निम्नलिखित हैं:

नाम:  रोहन गुप्ता
पिता का नाम:  श्री किशन गुप्ता
जन्मतिथि:  17 अगस्त, 1976
स्थायी पता:  478, गली नं0 4, पटेल नगर, नई दिल्ली
शिक्षा:  हिंदी में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि
अनुभव:  ‘जनसत्ता’ में दो वर्ष तक उपसंपादक के पद पर कार्यानुभव
अतिरिक्त योग्यता:  टंकण तथा आशुलिपि में डिप्लोमा; कंप्यूटर में डिप्लोमा

यदि आप मुझे इस पद पर कार्य करने का अवसर दें तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि समाचार-पत्र की उन्नति के लिए भरसक प्रयत्न करूँगा।

धन्यवाद
भवदीय
रोहन गुप्ता

शिकायती पत्र लेखन इन हिंदी

नगर प्रशासन में होने वाली ढिलाई या कमी के कारण विभिन्न शासकीय अधिकारियों को लिखे गए पत्र ‘शिकायती-पत्र’ कहलाते हैं। इन पत्रों में मुख्यतः सफाई, जल, बिजली, सड़क, यातायात आदि का न होना; प्रदूषण फैलना, बीमारी फैलना, ट्रैफिक जाम तथा चोरी आदि की घटना से संबंधित अधिकारियों को लिखी शिकायतें आती हैं।

15. चुनाव प्रचार में देर रात तक लाउड स्पीकर से प्रचार करने के विरुद्ध शिकायत करते हुए चुनाव आयुक्त को पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 26 मार्च, 20XX
चुनाव आयुक्त, चुनाव आयोग,
दिल्ली सरकार,
नई दिल्ली।
विषय: लाउडस्पीकर पर देर रात तक चुनाव प्रचार पर रोक लगाने के संबंध में।

महोदय,
चुनाव के इस दौर में अपनी पार्टी को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में जुटी प्रचार समितियों ने नाक में दम कर दिया है। देर रात तक बज रहे भोपूओं से शहर का हर व्यक्ति परेशान है।

आपको ज्ञात ही है कि मार्च माह में सभी स्कूलों और कॉलेजों की परीक्षा शुरू हो जाती है। इस माह में वैसे तो चुनाव होने ही नहीं चाहिए। अब जब चुनाव हो ही रहे हैं तो कम-से-कम रात को तो इतना शोर नहीं होना चाहिए कि हम पढ़ ही न पाएँ। परीक्षा सिर पर है और चुनाव में खड़े प्रत्याशी होड़ में लगे हैं कि कौन किससे अधिक कान फोड़ शोर कर सकता है। हर परिवार में कोई-न-कोई परीक्षा देने वाला छात्र है। मेरे ही मुहल्ले में हम चार दोस्त बोर्ड की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। स्थिति यह है कि हम बिल्कुल भी पढ़ नहीं पा रहे हैं।

अतः आपसे अनुरोध है कि आप अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए शाम 7 बजे के बाद लाउडस्पीकर प्रचार पर रोक लगाने का आदेश देने की कृपा करें ताकि हम सभी परीक्षा देने वाले छात्रों का भला हो सके। हम आपके अत्यंत आभारी होंगे।

सधन्यवाद
भवदीय
दिल्ली प्रदेश के सभी परीक्षार्थी

16. दूरदर्शन के निदेशक को राष्ट्रीय एकता और भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित करने के संबंध में पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 27 अगस्त, 20XX
निदेशक
दूरदर्शन, पार्लियामेंट स्ट्रीट
नई दिल्ली।
विषय: राष्ट्रीय एकता और भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता से संबंधित कार्यक्रमों के प्रसारण हेतु।

महोदय,
आपको विदित ही है कि इस समय प्राइवेट चैनलों में पैसा कमाने की अंधी होड़ लगी है। अतः कोई भौंडे कॉमेडी कार्यक्रम दिखा रहे हैं तो कोई भद्दे नृत्य प्रदर्शन प्रतियोगिताओं का आयोजन। जिस चैनल को भी खोलिए, इतने बेहुदे कार्यक्रम परोसे जा रहे हैं कि मन बहुत विचलित हो जाता है। खुलेआम ऐसे कार्यक्रमों का प्रदर्शन जिन्हें हम बच्चों के साथ बैठकर देख नहीं सकतें, आम बात हो गई है। प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में कुछ कार्यक्रम ज्ञान पर भी आधारित हैं; जैसे-डिसकवरी, चैनल जोग्रोफी चैनल आदि। लेकिन किसी को भी राष्ट्रीय एकता और भारतीय संस्कृति के विकास और प्रचार-प्रसार की सुध नहीं है। सभी घटिया मनोरंजन से भरे नृत्य-संगीत के कार्यक्रम दिखाकर या सनसनीखेज समाचार दिखाकर जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास करते हैं।

अतः आपसे अनुरोध है कि राष्ट्रहित में दूरदर्शन पर आप ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण सुनिश्चित करने की कृपा करें, जिससे आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता और संस्कृति, सहिष्णुता को बढ़ाने की प्रेरणा मिल सके।

सधन्यवाद
भवदीय
क०ख०ग०
अ०ब०स०
विद्यालय
कक्षा 10 ‘ब’

17. अपने घर में चोरी हो जाने की सूचना देते हुए पुलिस थाना अधिकारी को पत्र लिखिए।
16/24 शक्ति नगर
नई दिल्ली
दिनांक: 10 दिसंबर, 20XX
थानाध्यक्ष
थाना शक्ति नगर
नई दिल्ली।
विषय: अपने घर में हुई चोरी के संबंध में।

महोदय,
मैं शक्तिनगर के 16/24 का निवासी हूँ। मेरे पिता जी अपनी एक छोटी-सी दुकान इस जगह पर चलाते हैं। हमारे घर में मेरे माता-पिता के अलावा मेरी एक छोटी बहन भी है।

कल दोपहर जब मैं घर से बाहर था उस समय एक आदमी घर पर आया। उसने अपने आप को महानगर टेलिफोन का कर्मचारी बताया और उसी बहाने घर में घुस आया। जब माताजी उसके लिए पानी लेने भीतर गई तो वह घर के कुछ कीमती सामान लेकर गायब हो गया। उसमें मेरा एक लैपटॉप, माता जी का मोबाइल, 5000 रुपए नगदी और एक साइकिल मुख्य है।

मैं आपसे अनुरोध करना चाहूँगा कि चोरों को यथाशीघ्र पकड़कर हमारा सामान दिलवाने की कृपा करें तथा उन्हें उचित दंड भी दें। हमारी कॉलोनी में पिछले चार महीनों में होने वाली यह पाँचवीं चोरी है। एक बार फिर प्रार्थना करते हुए मैं आपके सहयोग की अपेक्षा रखता हूँ।

धन्यवाद
भवदीय
क०ख०ग०

18. बस में छूटे हुए सामान का पता लगाने के लिए दिल्ली परिवहन निगम के मुख्य प्रबंधक को एक पत्र लिखिए।
सी-12/38, कमला नगर
दिल्ली
दिनांक: 8 मार्च, 20XX
मुख्य प्रबंधक
दिल्ली परिवहन निगम
दिल्ली
विषय: बस में छूटे सामान का पता लगाने हेतु

महोदय
मैंने कल शाम अमृतसर से दिल्ली आने वाली 7 बजकर 30 मिनट की बस पकड़ी थी। मुझे कनॉट प्लेस उतरना था। बस रास्ते में खराब हो जाने के कारण अपने निर्धारित समय से एक घंटा देर से पहुँची। समय काफ़ी हो चुका था, इसलिए घबराहट में मैं मात्र एक ही अटैची लेकर बस से उतर गया। मेरे साथ एक छोटा एयरवेज़ का बैग भी था। उसका रंग गहरा नीला था। वह बैग मैं उसी बस में भूल आया। सुबह मैं बस अड्डे गया भी था, लेकिन उस बैग का कोई पता न चला। कृपया आप उसे ढूंढ़ निकालने का प्रयत्न करें। मैं आपका विशेष आभारी रहूँगा। यदि मेरा बैग मिल जाए तो उसे उपर्युक्त पते पर भिजवाने की कृपा करें।

भवदीय
रमेश वर्मा

19. बस कर्मचारी के अशिष्ट व्यवहार की शिकायत क अपने प्रदेश के परिवहन प्रबंधक को पत्र लिखिए।
15/9, शकरपुर
दिल्ली-92
दिनांक: 4 दिसंबर, 20XX
प्रबंधक
पटपड़ गंज डिपो
दिल्ली
विषय: कंडक्टर के अभद्र व्यवहार हेतु

महोदय
निवेदन यह है कि मैं हर रोज़ शकरपुर से मायापुरी जाने के लिए 73 नं० बस, जिसका वाहन कं० डी एल पी 2808 है, लेता हूँ। इस बस पर श्री राधेश्याम कंडक्टर नियुक्त है। यह कंडक्टर यात्रियों के साथ सही ढंग से पेश नहीं आता।

10 रुपये देकर 7 रुपये का टिकट माँगने पर बाकी पैसे लौटाता ही नहीं है। बस को निश्चित बस स्टॉप पर न रुकवाकर आगे-पीछे रुकवाता है और यात्रियों के बस में चढ़ने से पहले ही बस चलवा भी देता है। स्त्रियों के साथ भी इसका व्यवहार अशिष्ट ही रहता है। परसों ही आई०टी०ओ० पर उसने बस निर्धारित स्थान से आगे रुकवाई। एक महिला अभी बस में चढ़ भी नहीं पाई थी कि बस चलवा दी। वह महिला गिरते-गिरते बची। इतना होने पर भी उस महिला से माफ़ी माँगने के स्थान पर उसने ही बेरुखी के साथ कहा-‘आप तो मरेगी, हमें भी अंदर करवाएगी।’ इसी प्रकार खुले पैसे होने पर भी यात्रियों को खुले पैसे नहीं देता, बल्कि उन्हीं को बुरा-भला कहता है। उसके इस प्रकार के व्यवहार से सभी यात्रियों में रोष है।

अतः आपसे अनुरोध है कि आप इस कंडक्टर के अभद्र व्यवहार की जाँच करवाएँ तथा राधेश्याम जी को यात्रियों के साथ शिष्टतापूर्ण व्यवहार करने की हिदायत दें।
धन्यवाद
भवदीय
सुमित थापर

20. अपने क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप का वर्णन करते हुए उचित कार्यवाही के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।
1/2 कृष्णा नगर मोहल्ला
शाहदरा, दिल्ली
दिनांक: 29 जून, 20XX
श्रीमान स्वास्थ्य अधिकारी महोदय
नगरपालिका
शाहदरा, दिल्ली
विषय: मोहल्ले में फैली गंदगी के सम

महोदय
इस पत्र के द्वारा मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले में फैली हुई गंदगी की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इन ऊँचे होते हुए गंदगी के ढेरों के साथ मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। पिछले रोज़ हुई तेज़ बारिश ने हाल और भी बुरा कर दिया है। अब इस गंदगी से उठने वाली बदबू और भी बढ़ गई है। आस-पास बनी झोंपड़-पट्टियों का हाल तो और भी बुरा हो गया है।

इस गंदगी में पैदा होने वाले मच्छरों की वजह से मलेरिया भी फैल गया है। इस मलेरिया ने चार-पाँच लोगों की जान भी ले ली है। स्वास्थ्य निरीक्षक को इसकी जानकारी पहले भी कई बार दी जा चुकी है, लेकिन वे कहते हैं कि कर्मचारियों की कमी है।

आपसे अनुरोध है कि आप हमारी इस समस्या पर गौर करेंगे तथा यथाशीघ्र मोहल्ले की इस गंदगी को हटवाने का प्रबंध करेंगे।

धन्यवाद सहित
भवदीय
सुरेश शर्मा

21. अपने मोहल्ले में वर्षा के कारण उत्पन्न हुई जल-भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए नगरपालिका अधिकारी को पत्र लिखिए।
105, विश्वास नगर शाहदरा,
दिल्ली
दिनांक: 12 नवंबर, 20XX
प्रशासनिक अधिकारी
दिल्ली नगरपालिका
शाहदरा, दिल्ली
विषय: जल-भराव की समस्या के समाधान हेतु

महोदय
निवेदन यह है कि मैं विश्वास नगर, शाहदरा का निवासी हूँ। पिछले कई दिनों से यहाँ के कुछ सीवर बंद पड़े हैं। गंदा पानी गलियों और सड़कों पर बह रहा है। निरंतर हो रही वर्षा ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है। जगह-जगह सड़कों पर गड्ढे बन गए हैं, जिनमें वर्षा का पानी भर गया है और अब सड़ता जा रहा है। वर्षा के पानी ने स्थान-स्थान पर जलाशयों का रूप धारण कर लिया है। इन जलाशयों के कारण मक्खी-मच्छर पैदा हो रहे हैं। इन मच्छरों के कारण अनेक बीमारियों के फैलने की आशंका है।

मेरा आपसे अनुरोध है कि आप रुके पानी की निकासी का कोई उचित प्रबंध करवाएँ। बंद सीवरों को खुलवाएँ व जगह-जगह बने गड्ढों को भरवाने का प्रबंध करें जिससे पानी इकट्ठा न हो सके और मच्छर न फैलें। इसके लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे।

धन्यवाद सहित
प्रार्थी
केवल कुमार

22. आपका टेलीफ़ोन गत दो सप्ताह से खराब है। क्षेत्रीय कार्यालय में आपने कई बार इसकी शिकायत की है, किंतु परिणाम ज्यों-का-त्यों है। इसकी शिकायत करते हुए किसी प्रसिद्ध समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
283, मयूर विहार, फेस-I
दिल्ली-92
दिनांक: 24 अगस्त, 20XX
संपादक
नवभारत टाइम्स
7, बहादुरशाह ज़फर मार्ग
नई दिल्ली-2
विषय: टेलीफ़ोन विभाग की लापरवाही के संबंध में

महोदय
आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र द्वारा मैं टेलीफ़ोन अधिकारियों का ध्यान अपने टेलीफ़ोन की ओर दिलवाना चाहता हूँ। मेरे घर का टेलीफ़ोन (22244324) पिछले दो सप्ताह से खराब पड़ा है। इसकी शिकायत मैं तीन बार क्षेत्रीय कार्यालय में जाकर कर चुका हूँ, पर परिणाम ज्यों-का-त्यों। वहाँ के अधिकारी अपने कान में तेल डाले रहते हैं। वे न तो सीधे मुँह बात करते हैं और न ही कोई कार्य करते हैं। मेरे पिता जी अस्वस्थ रहते हैं। माता जी घर में अकेली होती हैं। आवश्यकता पड़ने पर वह टेलीफ़ोन कर मुझे घर बुला लेती थीं। अब टेलीफ़ोन खराब होने से उनकी चिंता और बढ़ गई है। वैसे भी आज के समय में टेलीफ़ोन हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है। इसके खराब होने से लगता है कि परिवार का कोई सदस्य ही अस्वस्थ है।

संचार मंत्री ने कुछ समय पूर्व घोषणा की थी कि टेलीफ़ोन खराब होने की शिकायत मिलने के 24 घंटों के भीतर उसे ठीक कर दिया जाएगा। उनकी यह घोषणा लगता है केवल घोषणा-मात्र ही थी। उसे अमल में नहीं लाया गया।

मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप अपने समाचार-पत्र द्वारा इन सोए हुए कर्मचारियों की नींद भगाने का प्रयत्न करें तथा संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की कृपा करें, जिससे मेरे मृतप्राय टेलीफ़ोन में जीवन संचार हो सके। आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।

धन्यवाद
भवदीय
आजाद कुमार सचदेवा

23. अपने नगर के शिक्षा अधिकारी को एक पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में एक और विद्यालय खोलने के लिए अनुरोध कीजिए।
राजपुर रोड
दिल्ली
दिनांक: 3 अगस्त, 20XX
क्षेत्रीय शिक्षाधिकारी
सिविल लाइन ज़ोन
नगर निगम कार्यालय
राजपुर रोड
दिल्ली
विषय: क्षेत्र में एक और विद्यालय खोलने के संबंध में

महोदय
मैं जिस क्षेत्र में रहता हूँ वह क्षेत्र घनी आबादी वाला है। यहाँ लगभग दो से तीन हज़ार तक परिवार बसे हुए हैं। इस क्षेत्र में उचित शिक्षा केंद्र मात्र दो ही हैं। इससे हर वर्ष प्रवेश पाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन्हें अपने क्षेत्र के स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पाता, वे दूसरे क्षेत्रों में प्रयत्न करते हैं, लेकिन यहाँ से आने-जाने में उन लोगों का काफ़ी समय खराब हो जाता है।

अतः आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही एक और विदयालय खोलने की व्यवस्था करने की कृपा करें।

धन्यवाद
भवदीय
लोकेश मिश्रा

24. अपने क्षेत्र में पार्क विकसित कराने के लिए नगर विकास प्राधिकरण के सचिव को पत्र लिखिए।
मोहल्ला सुधार समिति
अमीनाबाद, लखनऊ
दिनांक: 15 मई, 20XX
सचिव
नगर विकास प्राधिकरण
अमीनाबाद
लखनऊ
विषय: पार्क विकसित कराने हेतु अनुरोध

महोदय
मैं इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान अमीनाबाद के अव्यवस्थित एवं उपेक्षित पार्क की ओर दिलाना चाहता हूँ। कुछ समय पत्र-लेखन पूर्व आपके विभाग द्वारा यहाँ एक पार्क बनाने की योजना बनाई गई थी। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए कुछ समय पूर्व पार्क की चारदीवारी बनाई गई थी तथा पौधों को लगाने के लिए खुदाई भी की गई थी, पर इस पार्क में न तो पौधे लगाए गए और न ही कभी दुबारा आपके विभाग ने याद किया। जगह-जगह गड्ढे हो जाने के कारण वर्षा का पानी उसमें भर जाता है, जिससे मच्छर-मक्खियाँ पैदा होती हैं और बीमारियाँ फैलती हैं। कुछ असामाजिक तत्वों ने इस पार्क में अपना अड्डा बना लिया है और वे आने-जाने वाले लोगों को परेशान किया करते हैं।

मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस ओर थोड़ा-सा ध्यान दें। यदि पार्क को इस उपेक्षित दशा से निकाल कर व्यवस्थित करवाने का प्रयत्न किया जाए तो यहाँ के निवासियों के लिए बहुत अच्छा होगा। बच्चे इस पार्क में खेलकर अपना समुचित विकास कर सकेंगे तथा अन्य लोग भी इस पार्क में अपने स्वास्थ्य का विकास कर सकेंगे। पार्क में हरे-भरे पेड़-पौधों तथा घास से चारों ओर हरियाली फैल जाएगी। इस हरियाली से वातावरण स्वच्छ होगा तथा लोगों का चित्त प्रसन्न रहेगा। अतः मेरा अनुरोध है कि आप इस ओर थोड़ा-सा ध्यान दें तथा पार्क की समुचित व्यवस्था करवाएँ। हम सभी इसके लिए आपके आभारी रहेंगे।

धन्यवाद
भवदीय
शेखर अग्रवाल

25. अपने इलाके की अव्यवस्थित डाक वितरण की शिकायत करते हुए डाकपाल को पत्र लिखिए।
14 बी, गोल मार्केट
नई दिल्ली-1
दिनांक: 5 जून, 20XX
मुख्य डाकपाल
जी०पी०ओ०
गोल मार्केट
नई दिल्ली
विषय: अव्यवस्थित डाक वितरण की सूचना हेतु

महोदय
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने क्षेत्र की अव्यवस्थित डाक-प्रणाली की ओर दिलाना चाहता हूँ। पहले यहाँ दिन में तीन बार डाक वितरित की जाती थी, पर आजकल यदि दिन में एक बार भी डाकिए के दर्शन हो जाएँ तो हम अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं। यह महाशय तो कई बार तीन-चार दिन तक दर्शन देने नहीं आते। आते भी हैं तो डाक को सही ढंग से वितरित नहीं करते। पत्रों को लेटर बॉक्स के अंदर नहीं डालते। कभी तो लेटर बॉक्स के ऊपर रख देते हैं और कभी ऐसे ही घर के अंदर फेंक जाते हैं जिससे वह उड़ कर कहीं और ते हैं। इतना ही नहीं हमारी चिट्ठी किसी और के घर डाल जाते हैं तथा किसी और की चिट्ठी हमारे घर में।

अभी पिछले हफ्ते ही मेरी परीक्षा का अनुक्रमांक परीक्षा होने के बाद प्राप्त हुआ, जिस कारण मेरा एक वर्ष ख़राब हो गया। आप सोच सकते हैं कि इस प्रकार हमारा कितना नुकसान हो रहा है और हमें कैसी-कैसी परेशानियाँ उठानी पड़ रही हैं। डाकिए सचित्र पत्रिकाओं को तो कभी डालते ही नहीं बल्कि इसे हज़म करना अपना पुनीत कर्तव्य समझते हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि आप इस ओर ध्यान दें और समुचित डाक वितरण का प्रबंध करवाएँ। इस कृपा के लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगे।

धन्यवाद
सहित
प्रवीण गुप्ता

26. आपके मोहल्ले में आए दिन चोरियाँ हो रही हैं। उनकी रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को गश्त बढ़ाने हेतु पत्र लिखिए।
गुरु अंगददेव नगर मोहल्ला समिति
लक्ष्मी नगर, दिल्ली-92
दिनांक: 15 जुलाई, 20XX
थानाध्यक्ष
लक्ष्मी नगर पुलिस चौकी
लक्ष्मी नगर, दिल्ली
विषय: गश्त बढ़ाने हेतु निवेदन

महोदय
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान आपके थाने के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र लक्ष्मी नगर की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले कुछ दिनों से यहाँ चोरी की घटनाएँ निरंतर बढ़ती जा रही हैं। अभी परसों की ही बात है, कुछ चोरों ने दिन में ही हमारे पड़ोसी के घर के दरवाज़े तोड़ दिए। उनके घर का सारा कीमती सामान लेकर चोर रफूचक्कर हो गए। इस घटना से कुछ दिन पहले हमारी गली में एक घर के ताले टूटे पाए गए और तो और दिन-दहाड़े भरे-बाज़ार में एक स्त्री के गले की चेन कुछ गुंडों ने छीन ली। पार्क में भी कुछ लोग बैठकर जुआ खेलते रहते हैं और अवसर पाते ही पार्क में आने वालों को लूट लेते हैं। गली में खड़ी कार के स्टीरियो तथा स्कूटरों की स्टेपनी की चोरी तो रोज़मर्रा की बात है। कुछ लोग तो चरस, अफ़ीम, गांजा जैसे नशीले पदार्थों को भी बेचते रहते हैं।

यहाँ पुलिस का केवल एक सिपाही गश्त लगाता है, कभी-कभी वह भी नहीं आता। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप यहाँ पर गश्त बढ़ा दीजिए। चार सिपाहियों की लगातार गश्त से किसी का साहस नहीं होगा कि वह इस ओर देख भी सके। पुलिस की गाड़ी का भी एक चक्कर लगाने को कहें। हमें आशा है कि आप हमारी परेशानी को समझेंगे और समुचित सुरक्षा का प्रबंध करेंगे। आपके इस कार्य के लिए यहाँ के सभी नागरिक आपके आभारी रहेंगे।

धन्यवाद
भवदीय
सुरेश शर्मा

27. दूरदर्शन के निदेशक को किसी अप्रिय कार्यक्रम के विषय में शिकायती-पत्र लिखिए।
सेवा में
निदेशक-दूरदर्शन
दिल्ली दूरदर्शन
मंडी हाऊस, दिल्ली
विषय: असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे सीरियल के बारे में पत्र।

महोदय,
मैं आपका ध्यान दूरदर्शन पर दिखाए जा रहे ‘हम हैं आज़ाद’ नामक सीरियल की ओर खींचना चाहता है। यह सीरियल इतना अधिक निम्न श्रेणी का है कि इसे सीरियल के नाम पर धब्बा कहा जा सकता है। इस सीरियल में प्रस्तुत परिवार और कुछ चरित्र वास्तव में हमारे समाज में कहीं नज़र नहीं आते। बच्चों को आधुनिकता के नाम पर क्या परोसा जा रहा है, इसका आप लोगों को अंदाज़ा नहीं है।

इन्हीं सीरियल को देखकर उनका अपने माता-पिता के प्रति सम्मान समाप्त होता जा रहा है। उन्हें अपने माता-पिता खिलौने के समान लगते हैं। अबोध बच्चे इसी को सचं मानकर अपना जीवन उस ओर धकेल रहे हैं, जहाँ सिर्फ गंदगी ही है।

मेरा अनुरोध है कि इस तरह के कार्यक्रमों को बढ़ावा न दें। इसे तत्काल बंद करने की कृपा करें।

भवदीय
नंदन
दिनांक: 9 सितंबर, 20XX

28. सड़क परिवहन के प्रबंधक को बसों की कुव्यवस्था के लिए शिकायती पत्र लिखिए।
लोक निर्माण मंच, दिल्ली
दिनांक: 10 मार्च, 20xx
प्रबंधक महोदय
दिल्ली परिवहन निगम
इंद्रप्रस्थ एस्टेट
नई दिल्ली

विषय: दिल्ली में बसों की कुव्यवस्था

मान्यवर
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान दिल्ली में बसों की कुव्यवस्था की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। दिल्ली न केवल भारत की राजधानी है अपितु विश्व के प्रसिद्ध नगरों में भी गिनी जाती है। अत्यंत खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि इस महानगर में बसों की समुचित व्यवस्था नहीं है। दिल्ली परिवहन निगम की बसों के दर्शन तो कभी-कभी होते हैं। ब्लू लाइन, रेड लाइन तथा अन्य बसों की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। बस स्टाप से पहले या बाद में रोकना, उनका अत्यंत तेज़ गति से चलाया जाना, बसों में अत्यंत भीड़-भाड़, बस संवाहकों का अभद्र व्यवहार, बसों की खराब हालत आदि कुछ ऐसी समस्याएँ हैं, जिनका निराकरण किए बिना दिल्ली की बस व्यवस्था नहीं सुधर सकती।

दिल्ली परिवहन निगम की गिनी-चनी बसों की हालत तो और भी खस्ता है। उनके चालक निर्धारित बस स्टॉप पर बसें रोकते ही नहीं और उनके आगे-पीछे रोकते हैं। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि बहुत प्रतीक्षा के बाद किसी डी०टी०सी० बस के दर्शन हुए, मगर सवारी हाथ देती रही और चालक महोदय ने बस रोकने का कष्ट ही नहीं किया। आश्चर्य तो तब होता है जब ऐसी बसें खाली होती हैं और चालकों को इसकी कतई परवाह नहीं। आप एक अनुभवी एवं योग्य प्रबंधक हैं। आशा है कि आप दिल्ली की बसों की व्यवस्था को सुधारने में कोई कसर न उठा रखेंगे।

धन्यवाद
भवदीय
राजीव मल्होत्रा

29. अपने क्षेत्र के पोस्ट मास्टर को मनीआर्डर प्राप्त न होने की शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 20 फरवरी, 20XX
डाकपाल महोदय
जी०पी०ओ०
कश्मीरी गेट
दिल्ली
विषय: मनीआर्डर क्रमांक 3285, दिनांक 6.1.20XX

महोदय
मैंने जी०पी०ओ० कश्मीरी गेट डाकघर से दिनांक 6.1.20XX को पाँच हज़ार रुपये का मनीआर्डर अपने पिता श्री रामेश्वर दयाल जिला फतेहपुर, सीकर (राजस्थान) के नाम करवाया था, जिसकी रसीद का क्रमांक 3285 था। जब तीन महीने तक धनराशि मेरे पिता जी के पास नहीं पहुँची, तो मैंने डाकघर में पता लगाया परंतु कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इससे पूर्व भी इस संबंध में मैंने दो पत्र लिखे, उनका भी कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। फतेहपुर के डाकघर से संपर्क करने पर विदित हुआ कि यह मनीआर्डर वहाँ पहुँचा ही नहीं।

आपसे अनुरोध है कि इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें तथा मनीआर्डर की धनराशि मुझे दिलवाकर अनुगृहीत करें।

धन्यवाद सहित
भवदीय
क०ख०ग०

30. अपने क्षेत्र में पेय-जल की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
स्वास्थ्य विहार विकास समिति, दिल्ली
दिनांक: 3 फरवरी, 20XX
स्वास्थ्य अधिकारी
नगर निगम (उत्तरी क्षेत्र)
कश्मीरी गेट, दिल्ली
विषय: स्वास्थ्य विहार में पेय-जल की आपूर्ति

मान्यवर
हम दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र के स्वास्थ्य विहार के निवासी इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने क्षेत्र की पेय-जल की समस्या की ओर आकर्षित कर रहे हैं। स्वास्थ्य विहार में आजकल पेय-जल का इतना गहरा संकट छाया हुआ है कि यहाँ के निवासियों का जीना दूभर हो गया है। चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है। नलों में पानी सुबह-शाम केवल एक-एक घंटे के लिए आता है, पर वह भी इतने कम दबाव के साथ कि बस मुश्किल से एक-दो बाल्टियाँ ही भर पाती हैं। ऊपर की मंजिलों में तो पानी चढ़ता ही नहीं। यद्यपि समाचार-पत्रों में टैंकरों से पानी देने की सुविधा का विज्ञापन आपकी ओर से दिया गया था, परंतु एक सप्ताह से हमने तो यहाँ कोई टैंकर आता हुआ नहीं देखा।

आपसे अनुरोध है कि इस क्षेत्र के निवासियों को इस भीषण संकट से राहत दिलाने के लिए पानी का दबाव तथा उसके आने की समयावधि को भी बढ़वाने के लिए संबंधित अधिकारियों को तुरंत निर्देश दें।

सधन्यवाद
भवदीय
दर्शन जैन

31. आपके नगर में अनधिकृत मकान बनाए जा रहे हैं। इनकी रोकथाम के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखिए।
प्रेषक:
अवतार अहमद
25, अंसारी रोड
दरियागंज
नई दिल्ली
विषय: नगर में बढ़ रहे अनधिकृत मकानों की शिकायत

महोदय
सविनय निवेदन है कि आजकल बहुत से अनधिकृत मकान बनाए जा रहे हैं। यह सब जिला प्रशासन के अफसरों और आम जनता की मिली भगत का मामला है। अफसरों को मिलने वाली मोटी रकम से आज प्रशासन के अधिक-से-अधिक अफसरों की जेब हरी हो रही है।

शाहदरा के एक पालिका पार्क के सामने कम-से-कम दस मकान इसी तरह के बन चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि आज तक किसी अधिकारी ने इसे रोकने का प्रयत्न नहीं किया है। पसे प्रार्थना है कि समय रहते इस अवैध निर्माण को रोकें। हम नागरिकों के लिए पार्क की भूमि बहुत महत्त्वपूर्ण है। हमारे बच्चों का भविष्य है। हमारे अधिकारों की इस चोरी को आपको रोकना होगा। आशा है, आप शीघ्र कार्यवाही करेंगे।

धन्यवाद।
भवदीय
रमण पुरी
डाकखाना रोड़
अमरौली, दिल्ली
दिनांक-22 अगस्त, 20xx

32. अपने क्षेत्र में पेड़-पौधों की अनियंत्रित कटाई को रोकने के लिए जिलाधिकारी को एक पत्र लिखिए।
रामनगर, दिल्ली
दिनांक: 16 मई, 20XX
श्रीमान जिलाधिकारी महोदय
पश्चिमी दिल्ली ज़िला
रामनगर, दिल्ली
विषय: रामनगर क्षेत्र में पेड़-पौधों की अनियंत्रित कटाई

महोदय
हम पश्चिमी दिल्ली के रामनगर क्षेत्र के निवासी इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान इस क्षेत्र में पेड़-पौधों की अनियंत्रित और गैरकानूनी कटाई की ओर आकृषत कराना चाहते हैं।

अत्यंत दुख एवं खेद का विषय है कि आज जब चारों ओर वन महोत्सव मनाए जा रहे हैं, वृक्षारोपण किया जा रहा है, तभी रामनगर क्षेत्र में कुछ स्वार्थी परंतु प्रभावशाली लोगों द्वारा स्वच्छता के नाम पर वृक्षों की अनियंत्रित कटाई जोरों पर है।

सड़कों के दोनों ओर तथा कॉलोनियों में सरकार द्वारा जो वृक्ष लगाए गए थे, उनमें से अधिकांश या तो काटे जा चुके हैं या फिर उनके काटने की योजना बन गई है। कुछ समाजसेवी संस्थाओं द्वारा जब इस कटाई के विरुद्ध प्रदर्शन किया गया तथा धरना दिया गया, तो कुछ दिनों तक यह कटाई रुक गई पर बाद में वही सिलसिला फिर शुरू हो गया। महोदय, यदि यह कटाई इसी प्रकार चलती रही, तो एक दिन इस क्षेत्र में कोई भी वृक्ष नज़र नहीं आएगा तथा प्रदूषण रूपी दैत्य अपना पुरा तथा भयावह प्रकोप दिखाने में समर्थ हो जाएगा। . आपसे अनुरोध है कि आप पुलिस तथा सतर्कता विभाग को इस स्थिति से निपटने के लिए उचित निर्देश देकर कृतार्थ करें।

सधन्यवाद
भवदीय
रामचंद्र शुक्ला

33. आपने किसी पुस्तक-विक्रेता से पुस्तकें मँगवाई थीं, किंतु अभी तक आपको पुस्तकें नहीं मिली। पुस्तक-विक्रेता को एक शिकायती पत्र लिखिए।
17, शिवाजी मार्ग
नई दिल्ली
दिनांक: 23 मई, 20xx
व्यवस्थापक महोदय
न्यू सरस्वती हाउस (इंडिया) प्रा०लि.
19 अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली
कश्मीरी गेट, दिल्ली
विषय: डाक द्वारा मँगवाई पुस्तकें न पहुँचने के संदर्भ में

महोदय
मैंने दिनांक 21 अप्रैल को पत्र द्वारा आपसे निम्नलिखित पुस्तकें मँगवाई थीं:

पस्तकों के नाम  प्रतियाँ
पराग (भाग 2)  4 प्रतियाँ
स्वाति (भाग 2)  4 प्रतियाँ
व्याकरण विशेष  3 प्रतियाँ
निबंध सुधा  5 प्रतियाँ

मैंने इन पुस्तकों की सूची के साथ 300 रुपये का ड्राफ्ट (बैंक ऑफ बड़ौदा सं० 497246 दिनांक 20 अप्रैल) भी भेजा था। मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आपने अभी तक न तो पुस्तकें भेजी हैं और न ही कोई सूचना भेजी है कि आप कब तक इन पुस्तकों को भेज रहे हैं। आपके जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से ऐसी लापरवाही की अपेक्षा नहीं की जाती। हमारी परीक्षाएँ समीप आ रही हैं, इसलिए आप कृपया शीघ्र ही इन पुस्तकों को भेजने का प्रबंध करें।

धन्यवाद
भवदीय
राधिका वर्मा

संपादकीय-पत्र

34. रचना प्रकाशित करवाने के लिए संपादक महोदय को पत्र लिखिए।
1428, कश्मीरी गेट
दिल्ली
दिनांक: 16 जुलाई, 20XX
श्रीयुत संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
नई दिल्ली
विषय: रचना प्रकाशित करवाने हेतु पत्र

महोदय
निवेदन है कि आपके रविवारीय परिशिष्ट के लिए मैं अपनी लिखी एक कहानी प्रकाशनार्थ भेज रहा हूँ। यह कहानी आज की युवा पीढ़ी के भटकने की कहानी है। इस कहानी में मैंने पथभ्रष्ट युवा पीढ़ी की समस्याओं को उभारा है। यही नहीं इसका समाधान भी प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है। आज के परिप्रेक्ष्य से जुड़ी यह कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी, ऐसा मेरा विश्वास है। इससे पहले मेरी दो कहानियाँ ‘धर्मयुग’ तथा ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान’ में छप चुकी हैं। कहानी की अस्वीकृति की स्थिति में वापसी के लिए पाँच रुपये के डाक टिकट सहित अपना पता लिखा लिफ़ाफा भेज रहा हूँ।

धन्यवाद
भवदीय
योगेश राव

35. अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करते हुए किसी दैनिक-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
सुंदर कॉलोनी शाहदरा,
दिल्ली
दिनांक: 16 जुलाई, 20XX
संपादक महोदय
दैनिक-पत्र हिंदुस्तान
18-20 कस्तूरबा गांधी मार्ग
नई दिल्ली-110001
विषय: बिजली संकट की समस्या के निवारण हेतु पत्र

महोदय
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक-पत्र के माध्यम से अपने नगर में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृषत कराना चाहता हूँ।

मैं शाहदरा क्षेत्र में रहने वाला नागरिक हूँ। आजकल उपस्थित बिजली संकट ने यहाँ के निवासियों की नाक में दम कर दिया है। आज से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। इस संकट का सामना सबसे अधिक आम लोगों व छात्रों को करना पड़ रहा है। शाम होते ही सब कुछ अंधकार की छाया में समा जाता है। अध्ययनशील छात्र कुछ पढ़ पाने में असमर्थ हो जाते हैं। बिना बिजली के घर श्मशान-सा दिखाई देने लग जाता है। बिजली के अभाव में तीन-तीन दिन तक आटे की पिसाई नहीं हो पाती। पानी की समस्या तो इससे भी दुगुनी हो गई है। बिजली के अभाव में पानी की मोटरों से पानी ऊपर की मंज़िलों तक नहीं पहुँच पाता।

यह आश्चर्य की बात है कि इस क्षेत्र में रहने वाले अधिकारियों व उद्योगपतियों के घर बिजली एक पल के लिए भी नहीं जाती। ऐसे में आम लोगों की कठिनाइयों का अनुमान उन्हें कैसे लगेगा। यह स्पष्ट है कि उद्योगपति इन भ्रष्ट बिजली अधिकारियों की पोल खोलने में मेरा साथ नहीं देंगे। अतः मैं चाहता हूँ कि आपके दैनिक पत्र द्वारा इनकी पोल खोली जाए। इस कार्य के लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।

धन्यवाद
भवदीय
रमाकांत विज

36. चुनाव के दिनों में कार्यकर्ता घरों, विद्यालयों और मार्गदर्शक चित्रों आदि पर बेतहाशा पोस्टर आदि लगा जाते हैं। इससे लोगों को होने वाली असुविधा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ‘नवभारत टाइम्स’ पत्र के कॉलम ‘हमारी आवाज़’ के लिए पत्र लिखिए।
सी-4, ग्रेटर कैलाश
नई दिल्ली
दिनांक: 18 जुलाई, 20XX
प्रधान संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग
नई दिल्ली-110002
विषय: चुनाव प्रचार के पोस्टर आदि से होने वाली असुविधा

मान्यवर
आजकल आम चुनावों के दिन हैं तथा चुनाव की सरगुमयाँ जोरों पर हैं। इन दिनों जिधर देखिए पोस्टर-ही-पोस्टर दिखाई पड़ते हैं। पोस्टर लगाने वाले इन लोगों के घरों, विद्यालयों, दुकानों आदि की दीवारों को पोस्टरों से बुरी तरह ढक दिया है। इनसे सुंदरता को तो ठेस पहुँचती ही है, गलियों के नाम, उनके नंबर, मकानों के नंबर आदि भी ढूँढ़ने में दिक्कत होती है। पोस्टर लगाने वाले इन उत्साही कार्यकर्ताओं ने मार्गदर्शक चित्रों को भी नहीं छोड़ा है। उन्हें भी पोस्टरों से ढक दिया है। इस स्थिति में यदि किसी आगंतुक को किसी स्थान का पता आदि ढूँढ़ना हो तो वह बेचारा कैसे ढूँढ़े?

मेरे विचार से प्रत्याशियों व उनके सहयोगियों द्वारा की जाने वाली प्रचार की इन हरकतों पर कुछ रोक होनी चाहिए। घरों के नंबर, गलियों के नाम, नंबर तथा मार्गदर्शक चित्रों पर पोस्टर लगाने पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए था ऐसा करने वालों के विरुदध काननी कार्यवाही की जानी चाहिए। आपसे अनरोध है कि मेरे इन विचारों को अपने समाचार-पत्र के ‘हमारी आवाज़’ कॉलम में छापने का कष्ट करें, जिससे कि राजनैतिक दल अपने कार्यकर्ताओं को इस दिशा में सावधानी बरतने को कह सकें।

सधन्यवाद।
भवदीय
रवींद्र अग्रवाल

37. विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह का वर्णन करते हुए समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
पर्यावरण समिति
ग्रीन फील्ड स्कूल
मयूर विहार, दिल्ली
दिनांक: 5 फरवरी, 20xx
संपादक महोदय
हिंदुस्तान टाइम्स
कस्तूरबा गांधी मार्ग
नई दिल्ली
विषय: विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह का आयोजन

मान्यवर
हमारे विद्यालय में आज दिनांक 5 फरवरी, 20XX को वृक्षारोपण समारोह संपन्न हुआ, जिसका संक्षिप्त विवरण मैं आपको प्रेषित कर रहा हूँ। आशा है आप इसे कल प्रकाशित होने वाले अपने दैनिक-पत्र में छापकर हमें कृतार्थ करेंगे।

आज दिनांक 5 फरवरी, 20XX को ग्रीन फील्ड स्कूल मयूर विहार में वृक्षारोपण समारोह बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाया गया। इस समारोह का उद्घाटन पर्यावरण मंत्री ने किया। सर्वप्रथम उन्होंने प्रधानाचार्य एवं विद्यार्थियों के एक दल के साथ विद्यालय के समीप बनाए गए ‘मिनी फॉरेस्ट’ का निरीक्षण किया। तत्पश्चात विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया। विद्यालय के छात्रों एवं प्रधानाचार्य ने भी पौधे रोपे।

साथ-ही-साथ वृक्षों के संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण का भी संकल्प लिया गया। वृक्षों की देख-रेख एवं निरीक्षण का कार्य विज्ञान के विद्यार्थी रवि दीक्षित को सौंपा गया। पर्यावरण मंत्री ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए पर्यावरण के महत्त्व पर प्रकाश डाला। समारोह के अंत में पर्यावरण से जुड़ी हमारी पृथ्वी’ शीर्षक नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसे अत्यंत सराहा गया। अंत में प्रधानाचार्य के धन्यवाद प्रस्ताव से कार्यक्रम का समापन हुआ।

भवदीय
करण शर्मा

38. ‘नवभारत टाइम्स’ या किसी अन्य समाचार-पत्र के संपादक को दयनीय जल-व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट करवाते हुए एक पत्र लिखिए।
1342, कश्मीरी गेट
दिल्ली
दिनांक: 28 मार्च, 20XX
प्रधान संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग
नई दिल्ली-110002
विषय: दयनीय जल-व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट करवाना

महोदय
मैं आपके प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय समाचार-पत्र’ के माध्यम से दिल्ली जल बोर्ड एवं दिल्ली प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान नगर की दयनीय जल-व्यवस्था की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। आपसे अनुरोध है कि मेरे इस पत्र को ‘लोकवाणी’-स्तंभ में प्रकाशित करने का कष्ट करें।

दिल्ली हमारे देश की राजधानी है तथा विश्व के प्रमुख नगरों में गिनी जाती है। आज दिल्ली महानगर की जल-आपूर्ति या जल-व्यवस्था की समस्या अत्यंत शोचनीय है। हालाँकि इसे और भी बदतर बनाने में दिल्ली विद्युत बोर्ड ने भी अपना पूरा योगदान दिया है, परंतु फिर भी कुछ बातें ऐसी हैं, जिनका संबंध जल-व्यवस्था से ही है।

दिल्ली में ‘जल आपूर्ति’ ज़रूरत से बहुत कम है। अधिकांश अनधिकृत बस्तियों तथा क्षेत्रों में लोगों को हैंड पंप आदि का पानी पीना पड़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। दिल्ली जल विभाग द्वारा भी जो पानी नलों के द्वारा भेजा जाता है, उसकी शुद्धता भी संदेहात्मक है। अमीर लोग या तो ‘मिनरल वाटर’ पीकर गुजारा करते हैं या फिर उन्होंने अपने घरों में एक्वागार्ड जैसी मशीनें लगवाई हुई हैं, परंतु मध्यम या निम्नवर्ग के लोगों को ये सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं, अतः उन्हें विवश होकर ऐसा पानी पीना पड़ता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

जल की आपूर्ति केवल एक दो घंटे प्रातः और सायं को की जाती है। वह भी बहुमंजिली इमारतों में नहीं चढ़ता। दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए गए फ्लैट्स में भी ऊपर की मंज़िलों में पानी बिलकुल नहीं चढ़ता, जिससे उनमें रहने वालों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ता है। एक ओर तो भीषण गर्मी पड़ती है, दूसरी ओर पानी की तंगी। लगता है अधिकारी वर्ग की कार्य-प्रणाली तथा योजना में कमी है। अधिकारियों को इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए।

धन्यवाद
भवदीय
रतन विश्वास

39. सार्वजनिक स्थानों पर बढ़ते धूम्रपान पर चिंता व्यक्त करने तथा उसे रोकने के लिए हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक को पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 3 फरवरी, 20XX
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग
नई दिल्ली -110002
विषय: सार्वजनिक स्थानों पर बढ़ते धूम्रपान पर चिंता व्यक्त करना

महोदय
निवेदन है कि कई वर्षों से केंद्रीय सरकार की सिफारिश पर उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्थानों पर बीड़ी, सिगरेट पीने पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश से कुछ प्रबुद्ध लोग बहुत प्रसन्न हुए तथा कुछ बीड़ी, सिगरेट बनाने वाली कंपनियाँ एवं इनका सेवन करने वाले नागरिक नाराज़ एवं परेशान हुए। आदेश जारी होने के कुछ दिनों तक तो स्थिति बहुत अच्छी रही।

लोगों ने सज़ा एवं जुर्माने के डर से सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना बंद कर दिया, परंतु अब स्थिति धीरे-धीरे पहले जैसी ही हो गई है। महोदय, आज रेलवे स्टेशनों, औषधालयों, बस अड्डों, न्यायालयों, यहाँ तक कि विद्यालयों में भी निर्भय होकर धूम्रपान करके न्यायालय के नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। इसका प्रमुख कारण है, इस बुराई के प्रति सरकार का कड़ा रुख न होना तथा लोगों में सामाजिक चेतना का अभाव।

धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक है ही, यह बुद्धि तथा स्मरण शक्ति का विनाश भी करता है। इससे टी०बी० तथा कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ पनपती हैं। धूम्रपान करने वाले लोगों के पास बैठने वालों तथा रहने वालों पर भी असर पड़ता है। यह अन्य लोगों को भी प्रभावित करता है। सार्वजनिक स्थानों पर छात्रों, बीमार महिलाओं तथा सदाचारियों पर कुप्रभाव डालता है। अतः आप अपने समाचार-पत्र के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान न करने के लिए जन चेतना आंदोलन छेड़ें।

धन्यवाद
भवदीय
क०ख०ग०

40. स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपके क्षेत्र की गंदगी की ओर कोई ध्यान न दिए जाने पर किसी दैनिक-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
डब्ल्यू० जैड० 16/24
कश्मीरी गेट, सुधार समिति
दिनांक: 10 फरवरी, 20XX
संपादक महोदय
दैनिक हिंदुस्तान
कस्तूरबा गांधी मार्ग
नई दिल्ली-110001
विषय: क्षेत्र की गंदगी की ओर ध्यान दिलाने के लिए

मान्यवर
मैं आपके लोकप्रिय तथा प्रतिष्ठित पत्र के माध्यम से दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान कश्मीरी गेट क्षेत्र की गंदगी की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। आपसे अनुरोध है कि मेरा यह पत्र अपने समाचार-पत्र के ‘लोकवाणी’ शीर्षक कॉलम में प्रकाशित कर अनुगृहीत करें।

कश्मीरी गेट पश्चिमी दिल्ली का ऐसा क्षेत्र है, जहाँ बड़ी-बड़ी कोठियाँ या बंगले नहीं हैं, बल्कि मध्यम तथा निम्नवर्ग के लोगों के आवास हैं । यहाँ की गलियाँ और सड़कें छोटी तथा तंग हैं, जिनमें पानी के निकास की समुचित व्यवस्था का अभाव है। पिछले कई महीनों में इस क्षेत्र में स्थान-स्थान पर पानी भरा है तथा कूड़े के ढेर यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। अनेक बार दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क किया गया, उन्हें लिखित में ज्ञापन भी दिया गया, क्षेत्र का शिष्टमंडल भी व्यक्तिगत रूप से उनसे मिला, पर सिवाय कोरे आश्वासनों के कुछ हाथ नहीं लगा।

विवश होकर समाचार-पत्र का सहारा लेना पड़ा। _हमें आशा है, अधिकारी वर्ग एक बार स्वयं इस क्षेत्र का भ्रमण करेंगे तथा सफाई कर्मचारियों को तुरंत सफ़ाई करने का आदेश देंगे। साथ ही अपने काम को कर्तव्य भावना से न करने वाले तथा कामचोर कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने से भी न चूकेंगे।

भवदीय
विमल भाटिया
अध्यक्ष

पूछताछ संबंधी-पत्र

41. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के प्रबंधक को पत्र लिखकर पूछिए कि आपको उस बैंक में एक लॉकर चाहिए, उसके लिए आपको क्या करना होगा?
1619, मालीवाड़ा
चाँदनी चौक
दिल्ली -110006
दिनांक: 3 फरवरी, 20XX
महाप्रबंधक
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
चाँदनी चौक
दिल्ली-110006
विषय: बैंक में लॉकर की सुविधा प्राप्त करने हेतु

महोदय
मैं चाँदनी चौक का निवासी हूँ। यहीं मेरी दुकान भी है। मेरा आपके बैंक में एक खाता पिछले दस सालों से है, जिसकी संख्या 3894 है। अब मैं आपके बैंक में एक लॉकर की सुविधा प्राप्त करना चाहता हूँ। कृपया आप बताएँ कि मुझे इसके लिए क्या करना होगा।

धन्यवाद
आवेदक
डॉ० विमल बत्रा

42. किसी पुस्तक विक्रेता की ओर से किसी प्रकाशक को पूछताछ संबंधी-पत्र लिखिए।
वर्मा बुक सेंटर
1632, नई सड़क
चाँदनी चौक
दिल्ली-110006
दिनांक: 3 जनवरी, 20XX
प्रबंधक
सरस्वती हाउस प्रा०लि०
9, दरियागंज
दिल्ली
विषय: पुस्तक विक्रेता द्वारा प्रकाशक से पूछताछ संबंधी-पत्र

महोदय
पिछले बीस सालों से हमारी दुकान नई सड़क पर है। हम अब तक दूसरे प्रकाशक की पुस्तकें अपनी दुकान से बेचते रहे हैं, लेकिन आप के साथ संपर्क नहीं हुआ। हम आपके प्रकाशन की पुस्तकें भी अब बेचना चाहते हैं। कृपया बताएँ कि आपके पास किन-किन विषयों व कक्षाओं की पुस्तकें उपलब्ध हैं। आप पाठ्य-पुस्तकों व सामान्य पुस्तकों पर कितनी छूट देंगे। पुस्तकें पहुँचाने, उनका भुगतान तथा पुस्तकों की वापसी के बारे में भी विस्तृत जानकारी दें।

धन्यवाद
भवदीय
मोहनलाल

43. ‘पंजाब एवं सिंध’ बैंक सिविल लाइन के प्रबंधक को पत्र लिखकर ज्ञात कीजिए कि चार वर्ष की अवधि के लिए पैसे जमा कराने पर कितना ब्याज मिलेगा?
25/23, रोहतगी अपार्टमेंट
सिविल लाइन
दिल्ली
दिनांक: 2 मार्च, 20XX
प्रबंधक
पंजाब एंड सिंध बैंक
सिविल लाइन
दिल्ली
विषय: जमा राशि पर ब्याज-संबंधी जानकारी लेने हेतु

महोदय
मैं सिविल लाइन का निवासी हूँ। मैं आपकी शाखा में एक लाख रुपये की राशि चार वर्ष के लिए जमा कराना चाहता हूँ। कृपया मुझे ब्याज दर के बारे में जानकारी दें।

धन्यवाद
आवेदक
कैलाश चंद्र

44. आपने अपना नया मकान बनवाया है, उसके लिए आपको बिजली के नए मीटर लगवाने हैं। बिजली विभाग के अधिकारी को पत्र लिखकर यह पूछे कि नए मीटर को लगवाने के लिए आपको क्या करना होगा?
26/14 सरस्वती विला
रोहिणी, दिल्ली
दिनांक: 30 जनवरी, 20XX
उपमंडल अधिकारी
दिल्ली विद्युत
बोर्ड दिल्ली

विषय: नए मीटर लगवाने के बारे में जानकारी लेने हेतु

मैंने रोहिणी सेक्टर-26 में अपना नया मकान बनवाया है। मुझे अपने नए मकान के लिए बिजली के नए कनेक्शन की आवश्यकता है। कृपया मुझे यह बताएँ कि इसके लिए क्या औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।

धन्यवाद
प्रार्थी
वसंत जुनेजा

45. पुस्तकें मँगवाने के लिए प्रकाशक के नाम पत्र लिखिए।
ई-24, ग्रेटर कैलाश
नई दिल्ली
दिनांक: 2 मार्च, 20xx
श्रीमान व्यवस्थापक महोदय
रचना सागर प्रा० लिमिटेड
7/19 अंसारी रोड, दरियागंज
नई दिल्ली -110002
विषय: पुस्तकें मँगवाने हेतु

महोदय
कृपया निम्नलिखित पुस्तकें अविलंब वी०पी०पी० द्वारा उचित कमीशन काटकर उपर्युक्त पते पर भिजवाने का कष्ट करें। इस पत्र के साथ 50/- रुपये का ड्राफ्ट मैं अग्रिम भिजवा रहा हूँ। यदि ये किताबें स्टॉक में न हों तो, कृपया लौटती डाक से सूचित करने का कष्ट करें।

पुस्तकें भेजते समय कृपया इस बात का ध्यान रखें कि किताबें कहीं से कटी-फटी न हों। संस्करण बिल्कुल नया हो तथा देखने में सही ढंग की हों। पुस्तकों के नाम अग्रलिखित हैं:

  1. गोदान-प्रेमचंद
  2. निबंध निकुंज
  3. समाजशास्त्र (दसवीं कक्षा हेतु)
    सभी पुस्तकों की एक-एक प्रति ही चाहिए।

धन्यवाद
भवदीय
अभिनव शर्मा

46. दिल्ली परिवहन निगम के अधिकारी को बस कर्मचारियों के प्रशंसनीय और साहसिक व्यवहार की सूचना देते हुए, उन्हें सम्मानित करने का आग्रह करते हुए पत्र लिखिए।
216, कश्मीरी गेट
नई दिल्ली
दिनांक: 19 फरवरी, 20XX
श्रीमान मुख्य प्रबंधक
दिल्ली परिवहन निगम
सिंधिया हाउस
कनॉट प्लेस
नई दिल्ली -110001
विषय: बस कर्मचारियों को उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्य पर पुरस्कृत करने हेतु

माननीय महोदय
इस पत्र के द्वारा मैं आपका ध्यान उन बस कर्मचारियों के प्रशंसनीय व साहसिक व्यवहार की ओर दिलाना चाह रही हूँ, जिन्होंने कल अपनी सूझ-बूझ से अनेक यात्रियों की जान बचा ली।

मैंने अपने घर के बस स्टॉप से तीव्र मुद्रिका ली थी, जिसका नंबर था डी०एच०पी० 3329, समय था दोपहर के दो बजे का। बस यात्रियों से भरी हुई थी। मेरे घर के बाद अभी एक या दो ही स्टॉप गुजरे होंगे कि अचानक बस के ब्रेक ख़राब हो गए। यात्रियों को पता चलते ही सभी घबरा गए, लेकिन बस कंडक्टर ने अपना संतुलन नहीं खोया। वह चिल्ला-चिल्ला कर सभी से शांत रहने को कहता जा रहा था। ऐसे विकट समय में बस के ड्राइवर ने भी बड़े ही शांत दिमाग तथा सूझ-बूझ से काम लिया। सभी गाड़ियों और मोटरों से बचाता हुआ वह हमें ऐसे स्थान पर ले गया जहाँ बहुत-सी रेत थी।

जैसे ही पहिए रेत में धंसे, बस की रफ़्तार अपने-आप ही कम होती चली गई और आखिर पास ही एक पेड़ से धीरे से टकरा कर रुक गई। कुछ यात्रियों को छोटी-मोटी चोटें आईं, लेकिन कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ। ड्राइवर के इस प्रशंसनीय और साहसिक व्यवहार ने अनेक यात्रियों को मरने से बचा लिया।

मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि दिल्ली परिवहन निगम की इस बस के ड्राइवर तथा कंडक्टर दोनों को प्रशंसनीय तथा साहसिक व्यवहार के लिए पुरस्कृत किया जाना चाहिए।

भवदीया
शिवानी

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