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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
शब्द और पद की परिभाषा और उदाहरण – Shabd aur Pad in Hindi Examples
शब्द और पद की परिभाषा उदाहरण सहित
परिभाषा-एक या अधिक अक्षरों से बनी हुई स्वतंत्र, सार्थक ध्वनि को ‘शब्द’ कहते हैं; जैसे-राम, स्कूल, आत्मा, विद्वान आदि।
शब्द और पद – Shabd aur Pad
ये शब्द जब तक वाक्य में प्रयुक्त नहीं किए जाते तब तक स्वतंत्र होते हैं, लेकिन वाक्य में प्रयुक्त इन शब्दों का अस्तित्व स्वतंत्र न रहकर वाक्य के लिंग, वचन, कारक और क्रिया के नियमों से अनुशासित हो जाता है। व्याकरण के नियमों में बंधने से ये शब्द, शब्द न रहकर पद बन जाते हैं।
परिभाषा-वाक्य में प्रयुक्त शब्द ही ‘पद’ कहलाते हैं।
इस प्रकार प्रचलित भाषा में शब्द को ही पद कहा जाता है, लेकिन दोनों में स्पष्ट अंतर पाया जाता है। वाक्य से परे शब्द, ‘शब्द’ होता है और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’। ‘शब्द’ शब्दकोश में पाए जाते हैं, लेकिन वाक्य और भाषा पद में। वाक्य पदों से मिलकर बनता है शब्दों से नहीं। वाक्य में प्रयक्त शब्द की आकति और रूप में परिवर्तन किया जाता है। इस परिवर्तन के सहायक शब्दांश को व्याकरण की ‘विभक्ति’ कहते हैं। विभक्ति वाक्य के प्रत्येक पद में गुप्त अथवा प्रकट रूप से विद्यमान रहती है; जैसे-‘राम गोविंद को देखता है। इस वाक्य में राम निर्विभक्ति पद है और ‘देखता है’ क्रिया का कर्ता है। कर्तृत्व प्रकट करने के कारण यह पद है, यद्यपि कोई विभक्ति साथ नहीं है। इस अध्याय में हम पदभेदों पर विचार करेंगे।
शब्द और पद के भेद
रूप परिवर्तन अथवा प्रयोग के आधार पर शब्द के मुख्यतः दो भेद होते हैं :
(1) विकारी और
(2) अविकारी।
1. विकारी-जिन शब्दों में प्रयोगानुसार कुछ परिवर्तन उत्पन्न होता है, वे ‘विकारी शब्द’ कहलाते हैं। बुढ़ापा, सोना, बुरा, जागना, दौड़ना, तू, मैं आदि विकारी शब्द हैं। इसके मुख्य चार भेद हैं :
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण और
- क्रिया।
2. अविकारी-जो शब्द प्रयोगानुसार परिवर्तित नहीं होते, वे शब्द ‘अविकारी शब्द’ कहलाते हैं। धीरे-धीरे, तथा, अथवा, और, किंतु, वाह!, अच्छा! ये सभी अविकारी शब्द हैं। इनके भी मुख्य रूप से चार भेद हैं :
- क्रियाविशेषण
- समुच्चयबोधक
- संबंधबोधक और
- विस्मयादिबोधक।