बँटवारा – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत कहानी ‘बँटवारा’ के रचियता विष्णु प्रभाकर हैं। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक संयुक्त परिवार में बँटवारे से उत्पन्न स्थिति का चित्रण किया है। यहाँ पर नंदा के देवर और देवरानी के प्रति उसके संबंधों की चर्चा की गई है।
नंदा ने अपने देवर का एक बेटे की तरह पालन-पोषण किया था। नंदा ने हर समय अपने देवर का ही पक्ष लिया करती थी। यहाँ तक कि नंदा देवेन के लिए अपने पति से भी झगड़ा मोल ले लेती थी। देवेन की जब शादी होती है तब अपनी देवरानी के साथ भी वह पुत्रवधू सा बर्ताव करती है और अपना सब-कुछ अपनी देवरानी पर निछावर कर देती है।
इस प्रकार नंदा ने एक आदर्श भाभी और जेठानी के कर्तव्य को देवर को माँ जैसा प्यार और देवरानी को बहू समान मानकर भलीभॉति पूरा किया।
Solution 2:
प्रस्तुत कहानी ‘बँटवारा’ के रचियता विष्णु प्रभाकर हैं। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक संयुक्त परिवार में बँटवारे से उत्पन्न स्थिति का चित्रण किया है।
देवेन जब कभी भी स्कूल से पिट कर आता तो अपनी भाभी से चिपट जाता। वह रोते हुए नंदा से कहता कि उसे स्कूल का सबक याद नहीं है इसलिए वह स्कूल नहीं जाना चाहता। इस बात पर उसके पति रामदास देवेन पर नाराज हो उठते और उसे डाँटने लगते जो नंदा से बर्दाश्त न होता और वह देवेन का पक्ष लेकर अपने पति से ही लड़ने लगती। उस समय देवर के प्रेम में अंधी नंदा को डाँटते हुए उसके पति रामदास उपर्युक्त कथन कहते हैं कि वह उसका सर्वनाश करके रहेगी।
Solution 3:
प्रस्तुत कहानी ‘बँटवारा’ के रचियता विष्णु प्रभाकर हैं। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक संयुक्त परिवार में बँटवारे से उत्पन्न स्थिति का चित्रण किया है।
नंदा और उसका परिवार जब साथ रहते तब नंदा का अपने देवर और पति की कमाई पर समान अधिकार था। लेकिन अलग होने के कारण देवेन के रुपयों पर नंदा का कोई अधिकार नहीं था। साथ ही अब अलग होने से नंदा के परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनकी अपनी थी और यदि वे देवेन से रूपए लेते भी हैं तो उसके पति में इतनी शक्ति नहीं है कि वे देवेन के रूपए लौटा पाएँ रुपए न लौटाने पर रिश्तों में कड़वाहट आ सकती थी।
अत:यही सब सोचते हुए नंदा ने अपने देवर से रूपए लेने से इंकार कर दिया।
Solution 4:
प्रस्तुत कहानी ‘बँटवारा’ के रचियता विष्णु प्रभाकर हैं। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक संयुक्त परिवार में बँटवारे से उत्पन्न स्थिति का चित्रण किया है।
नंदा और रामदास के बेटे को डॉक्टरी की पढ़ाई करनी थी। उनके के पास इतने रूपए नहीं थे कि वे गोपाल की पढ़ाई का खर्चा उठा पाते। इस समस्या का समाधान दोनों ने मिलकर यह किया कि वे अपनी दुकान अपने ही भाई देवेन के पास गिरवी रख देंगे इससे उन्हें दोहरा फायदा होगा एक तो गोपाल की पढ़ाई की खर्चा निकल जाएगा और दूसरा घर की जायदाद भी घर में ही रहेगी।
इस प्रकार गोपाल की डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए नंदा और रामदास ने अपनी दुकान गिरवी रखने की सोची।
Solution 5:
प्रस्तुत कहानी ‘बँटवारा’ के रचियता विष्णु प्रभाकर हैं। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक संयुक्त परिवार में बँटवारे से उत्पन्न स्थिति का चित्रण किया है।
नंदा प्रस्तुत कहानी की मुख्य स्त्री पात्र है। वह अपने देवर से असीम और निस्वार्थ प्रेम करती है। उसी बेटे समान देवर के घर से अलग हो जाने पर भी वह अपना संतुलन नहीं खोती और परिवार को जोड़े रखती है। नंदा एक व्यवहार कुशल और स्वाभिमानी स्त्री भी है। रिश्तों को ठेस पहुँचाएँ बिना वह देवर से आर्थिक सहायता लेने से इंकार कर देती है तो समय आने पर अपनी दुकान उसी के पास गिरवी भी रखवाती है।
इस प्रकार नंदा एक आदर्श भारतीय महिला के सभी गुणों को अपने में समेटे हुए हैं।
Solution 6:
प्रस्तुत कहानी ‘बँटवारा’ के रचियता विष्णु प्रभाकर हैं। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक संयुक्त परिवार में बँटवारे से उत्पन्न स्थिति का चित्रण किया है।
देवेन का भतीजा गोपाल डॉक्टरी की पढ़ाई करना चाहता था। देवेन के भाई-भाभी यह खर्चा उठाने में असमर्थ थे। देवन को यह भी पता था कि उसके स्वाभिमानी भाई- भाभी उसकी आर्थिक सहायता को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। तब देवन पहले दुकान गिरवी रखने के ठुकराए पूर्व प्रस्ताव को मान लेता है और गोपाल की पढ़ाई के लिए भरपूर पैसे देता है।
इस प्रकार देवेन ने व्यापारिक और पारिवारिक दायरे में रहकर अपनी भाभी के प्रति कर्तव्य को बखूबी निभाया।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- यह वाक्य छोटे बेटे गौरी ने अपनी माँ नंदा से कहा।
- यह वाक्य नंदा ने अपने पति रामदास से कहा।
- यह वाक्य नंदा ने अपने देवर देवेन से कहा।
- यह वाक्य नंदा ने अपने देवर देवेन से कहा।
- यह वाक्य देवेन ने अपनी भाभी नंदा से कहा।
- यह वाक्य विद्या ने अपने पति देवेन से कहा।
- यह वाक्य देवेन ने अपनी पत्नी विद्या से कहा।
Solution 2:
- नंदा का देवेन के साथ भाभी देवर का रिश्ता था।
- नंदा के पति का नाम रामदास था।
- पाल कॉलेज को पढ़ाई समाप्त करने के बाद डॉक्टरी पढ़ना चाहता था।
Solution 3:
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
- रही-सही मुहब्बत भी मिट जायेगी।
- कुलीगिरी करेगा या कुछ भी करेगा, तुम्हारे हाथ पसारने नहीं आएगा।
- नंदा अप्रतिभ हुई कुछ बोली नहीं।
- तू लेने-देने की बात मत कर।
- पैसे जुटाने के लिए परमात्मा ने बुद्धि सभी को दी है।
- यह भी बुरा होगा कि बाप-दादा जायदाद गैर लोगों के हाथ पड़े।
- न जाने क्या हुआ कि उसके ह्रदय में एक विचित्र घबराहट भर चली।
- “सुनो विद्या, रुदन और हास्य का यह दृश्य यही समाप्त होता है।