CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 4 are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 4.
CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 4
Board | CBSE |
Class | 10 |
Subject | Social Science |
Sample Paper Set | Paper 4 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 10 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 4 of Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium is given below with free PDF download Answers.
समय : 3 घण्टे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 26 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न के अंक उसके सामने दिए गए हैं।
- प्रश्न संख्या 1 से 7 अति लघु-उत्तरीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।
- प्रश्न संख्या 8 से 18 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- प्रश्न संख्या 19 से 25 तक प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- प्रश्न संख्या 26 मानचित्र से सम्बंधित है। इसके दो भाग हैं 26(A) और 26(B) / 26(A) 2 अंक का इतिहास से तथा 26(B) 3 अंक का भूगोल से है। मानचित्र का प्रश्न पूर्ण होने पर उसे अपनी उत्तर-पुस्तिका के साथ नत्थी करें।
- पूर्ण प्रश्न-पत्र में विकल्प नहीं हैं। फिर भी कई प्रश्नों में आंतरिक विकल्प हैं। ऐसे सभी प्रश्नों में से प्रत्येक से आपको एक ही विकल्प हल करना है।
प्र० 1.
1960 के दौरान अधिकतर विकासशील देशों ने अपने आपको समूह 77 में क्यों संगठित किया? 1
अथवा
‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने गुमाश्तों की नियुक्ति क्यों की? 1
अथवा
18वीं शताब्दी में लंदन में बड़ी संख्या में बच्चों को उनके अभिभावकों द्वारा मामूली वेतन के काम पर क्यों धकेला गया? 1
प्र० 2.
यूरोप में 14वीं सदी के दौरान पाण्डुलिपियाँ, किताबों की बढ़ती माँग को पूरा क्यों नहीं कर सकीं? 1
अथवा
चार्ल्स डिकिन्स द्वारा लिखित ‘पिकविक पेपर्स’, 1836 की एक महत्त्वपूर्ण घटना क्यों बनी? 1
प्र० 3.
समाप्यता के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए। 1
प्र० 4.
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार और श्रीलंका की बहुसंख्यकवादी सरकार में अंतर स्पष्ट कीजिए। 1
प्र० 5.
दो व्यक्तियों के विकास के लक्ष्य किस प्रकारे भिन्न हो सकते हैं? 1
प्र० 6.
जब हम प्राकृतिक उत्पादों को अन्य रूपों में परिवर्तित करते हैं, तब यह गतिविधि किस आर्थिक क्षेत्रक के अन्तर्गत आती है? 1
प्र० 7.
मुद्रा को विनिमय को माध्यम क्यों स्वीकार किया जाता है? 1
प्र० 8.
‘प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक दशाओं का वर्णन कीजिए। (3 x 1 = 3)
अथवा
बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में भारत में जॉबर्स’ की भूमिका का वर्णन कीजिए।
अथवा
उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान बंबई (मुम्बई) में अप्रवासियों की किन्हीं प्रमुख तीन समस्याओं का वर्णन कीजिए।
प्र० 9.
“छापेखाने से विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार और बहस-मुबाहिसे के द्वार खुले।” कथन का विश्लेषण यूरोप में धर्म के संदर्भ में कीजिए। 3
अथवा
प्रेमचंद के उपन्यासों में समाज के हर स्तर से आए नानाविध शक्तिशाली चरित्र हैं।” कथन का विश्लेषण उदाहरणों सहित कीजिए।
प्र० 10.
भारत में वर्षा जल संग्रहण करने की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए। 3
प्र० 11.
भारत में सड़क परिवहन की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 12.
भारत किस प्रकार की संघीय व्यवस्था के अंतर्गत आता है? इस प्रकार की संघीय व्यवस्था की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (1 + 2 = 3)
प्र० 13.
भारत में जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारकों का वर्णन कीजिए। 3
प्र० 14.
“चुनौती उन्नति के लिए अवसर है।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। 3
प्र० 15.
आर्थिक वृद्धि के लिए सतत पोषणीय विकास अति आवश्यक क्यों है? स्पष्ट कीजिए। 3
प्र० 16.
सार्वजनिक क्षेत्रक राष्ट्र के आर्थिक विकास में किस प्रकार योगदान करता है? स्पष्ट कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 17.
“अनौपचारिक क्षेत्रक की ऋण गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।” तर्को सहित कथन की पुष्टि कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 18.
“उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया जटिल, खर्चीली और समय साध्य साबित हो रही है। इस समस्या के समाधान के लिए किन्हीं तीन तरीकों को स्पष्ट कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 19.
फ्रांसीसी क्रांतिकारियों द्वारा फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए प्रारम्भ किए गए किन्हीं पाँच उपायों का वर्णन कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
‘मेकोंग डेल्टा क्षेत्र के विकास के लिए फ्रांसीसियों द्वारा उठाए गए किन्हीं पाँच कदमों का वर्णन कीजिए।
प्र० 20.
गाँधीजी ने प्रस्तावित रॉलट एक्ट (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय क्यों लिया? इसका विरोध किस प्रकार किया गया? व्याख्या कीजिए। (2 + 3 = 5)
अथवा
‘नमक यात्रा’ उपनिवेशवाद के विरुद्ध विरोध का प्रभावी प्रतीक क्यों मानी गई? व्याख्या कीजिए।
प्र० 21.
लोहा तथा इस्पात उद्योग के मुख्यतः ‘छोटा नागपुर’ पठारी क्षेत्र में संकेन्द्रण के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
पटसन उद्योग के मुख्यतः हुगली नदी के तटों के साथ-साथ स्थित होने के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए।
प्र० 22.
“भारत में कृषि का ‘सकल घरेलू उत्पाद’ में घटता अंश गंभीर चिंता का विषय है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए। (5 x 1 = 5)
प्र० 23.
लोकतंत्र को मजबूत बनाने में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के महत्त्व का वर्णन कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
लोकतांत्रिक सरकार में राजनीतिक दलों के महत्व का वर्णन कीजिए।
प्र० 24.
“शिकायतों को बने रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही है।’ इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। 5
प्र० 25.
‘विदेशी व्यापार’ से उपभोक्ता और उत्पादक किस प्रकार लाभान्वित हो सकती हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
कुछ ही वर्षों में हमारे बाज़ार किस प्रकार परिवर्तित हो गए हैं? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
प्र० 26.
(A) दो लक्षण (a) और (b) भारत के दिए गए राजनीतिक रेखा-मानचित्र में अंकित किए गए हैं। इन लक्षणों को निम्नलिखित जानकारी की सहायता से पहचानिए और उनके नाम मानचित्र पर खींची गई रेखाओं पर लिखिएः (2 x 1 = 2)
(i) वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ।
(ii) वह नगर जहाँ जलियाँवाला बाग की घटना हुई।
(B) इसी दिए गए भारत के राजनीतिक रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित को उपयुक्त चिह्नों से दर्शाइए और उनके नाम लिखिएः (3 x 1 = 3)
(i) कांडला : प्रमुख समुद्री पत्तन
(ii) भिलाई : लोहा और इस्पात संयंत्र
(iii) कैगाः आण्विक ऊर्जा संयंत्र
नोटः निम्नलिखित प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए प्रश्न संख्या 26 के स्थान पर हैं : (5 x 1 = 5)
- उस स्थान का नाम जहाँ से ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था।
- उस राज्य का नाम लिखिए जहाँ चौरी-चौरा घटना घटित हुई।
- उस राज्य का नाम जहाँ कांडला समुद्री पत्तन स्थित है।
- उस राज्य का नाम जहाँ भिलाई लौह और इस्पात संयंत्र स्थित है।
- उस राज्य का नाम जहाँ कैगा आणविक ऊर्जा संयंत्र स्थित है।
Answers
उत्तर 1.
पचास तथा साठ के दशक में विकासशील देशों को पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के विकास से कोई लाभ नहीं हो रहा था। इसलिए विकासशील देशों ने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक आर्थिकप्रणाली को बनाने की आवश्यकता अनुभव की। परिणाम यह हुआ कि इन देशों ने स्वयं को समूह-77 (G-77) के रूप में संगठित कर लिया।
अथवा
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापारियों तथा दलालों की भूमिका को समाप्त करने तथा बुनकरों पर और अधिक नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से ‘गुमाश्तों’ की नियुक्ति की। गुमाश्तों का कार्य बुनकरों पर नज़र रखना तथा कपड़े की गुणवत्ता तथा आपूर्ति पर ध्यान देना भी था।
अथवा
लंदन में फैली अत्यंत गरीबी तथा अपनी कमाई में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति न कर पाने के कारण विवश होकर अभिभावकों द्वारा बड़ी संख्या में बच्चों को मामूली वेतन के काम पर धकेला गया।
उत्तर 2.
हस्तलिखित पाण्डुलिपियों के अत्यंत नाजुक होने के कारण उनके रख-रखाव और लाने-ले जाने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। यही नहीं इनकी नकल उतारना बहुत खर्चीला, समयसाध्य तथा श्रमसाध्य कार्य था। यही कारण था कि पाण्डुलिपियाँ, किताबों की बढ़ती माँग को पूरा नहीं कर पाई।
अथवा
चार्ल्स डिकिन्स द्वारा लिखित ‘पिकविक पेपर्स’ का एक पत्रिका में धारावाहिक रूप में छपना ही 1836 की एक महत्त्वपूर्ण घटना साबित हुई। पत्रिका में उपन्यास को आकर्षक एवं सचित्र रूप में छापा गया था। धारावाहिक मुद्रण के कारण लोग उपन्यास के रहस्य को जानने हेतु पत्रिका के अगले अंक की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते थे। वे आपस में उपन्यास के चरित्रों पर चर्चा करते थे तथा हफ्तों तक उन्हीं कहानियों में जीते थे।
उत्तर 3.
समाप्यता के आधार पर संसाधनों को दो रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
- नवीकरणीय संसाधन तथा
- अनवीकरणीय संसाधन।
उत्तर 4.
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार ने शिक्षा, आर्थिक विकास के लाभों तथा विचार-विमर्श करने का अधिकार समृद्ध परंतु अल्पसंख्यक फ्रेंचभाषी लोगों के साथ-साथ बहुसंख्यक डच बोलने वाले लोगों को भी दिया। इसके विपरीत श्रीलंका की बहुसंख्यकवादी सरकार ने बहुसंख्यक सिंहलों के अधिकारों को अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकारों के ऊपर प्राथमिकता दी।
उत्तर 5.
भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न हो सकते हैं क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की आकांक्षाएँ, इच्छाएँ, विचार एवं जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं। व्यक्ति उसी वस्तु पसंद करता है जो उसके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो। हो सकता है एक व्यक्ति के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए ना हो। बल्कि वह दूसरे के लिए हानिकारक भी हो सकता है। उदाहरणतया, एक उद्यमी के लिए बिजली उत्पादन के लिए अधिक से अधिक बांधों का निर्माण फायदेमंद हो सकता है परंतु उन बांधों के निर्माण के कारण विस्थापित होने वाले लोगों के लिए यह बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं हो सकती।
उत्तर 6.
जब हम प्राकृतिक उत्पादों को अन्य रूपों में परिवर्तित करते हैं, तब वह गतिविधि द्वितीयक क्षेत्र के अंतर्गत आती है। द्वितीयक क्षेत्रक में प्रकृति द्वारा प्राप्त आदानों में परिवर्तन करके इसे मानवोपयोगी वस्तुओं में बदल दिया जाता है। उदाहरण गन्ने को कच्चे माल के रूप में प्रयोग कर उससे चीनी अथवा गुड़ बनाना।
उत्तर 7.
मुद्रा को किसी भी देश की सरकार विनिमय के रूप में स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत करती है इसलिए इसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।
उत्तर 8.
युद्ध से पहले ब्रिटेन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। युद्ध के बाद सबसे लंबा संकट उसे ही झेलना पड़ा। जिस समय ब्रिटेन युद्ध से जूझ रहा था, उसी समय भारत और जापान में उद्योग विकसित होने लगे थे। युद्ध के बाद भारतीय बाजार में पहले वाली वर्चस्वशाली स्थिति प्राप्त करना ब्रिटेन के लिए बहुत कठिन हो गया था। युद्ध समाप्त होने तक ब्रिटेन भारी विदेशी ऋण में दब चुका था। युद्ध के बाद उत्पादन गिरने लगा और बेरोजगारी बढ़ने लगी। दूसरी ओर सरकार ने भारी-भरकम युद्ध संबंधी व्यय में भी कटौती शुरु कर दी जिससे रोज़गार भारी मात्रा में खत्म हुए। 1921 में हर पाँच में से एक ब्रिटिश मजदूर के पास काम नहीं था।
रोज़गार के विषय में बेचैनी और अनिश्चितता युद्धोत्तर वातावरण का अंग बन गई थी।
अथवा
18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी। इससे देश में भोजन की मांग भी बढ़ने लगी। सरकार ने बड़े भूस्वामियों के दबाव में कानून पास करके मक्के के आयात पर रोक लगा दी। जिस कानून की सहायता से मक्के के आयात पर रोक लगाई थी, उसे ही ‘कॉर्न-लॉ’ कहा जाता था। कॉर्न-लॉ की समाप्ति तथा उसके परिणाम-खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी नागरिकों ने सरकार को इस कानून को तुरंत वापिस लेने के लिए बाध्य कर दिया। कॉर्न-लॉ के निरस्त होने का परिणाम यह हुआ कि अब बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी। फलस्वरूप ब्रिटिश किसानों की स्थिति दयनीय हो गई क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो गए तथा गाँवों से उजड़ कर वे या तो शहरों या दूसरे देशों में जाने लगे।
अथवा
उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान बंबई (मुम्बई) में अप्रवासियों की प्रमुख समस्याएँ :
- अब तक बंबई घनी आबादी वाला शहर बन गया था। रहने के लिए अधिक स्थान न होने के कारण एवं शहर के निरंतर विस्तार के कारण अप्रवासियों को आवास की समस्या का सामना करना पड़ा।
- बंबई की 70% कामकाजी जनसंख्या घनी आबादी वाली चॉलों (chawls) में रहती थी। प्रत्येक चॉल में हर एक मंजिल पर कमरों की कतारें होती थीं। परंतु सबके लिए शौचालय एक ही होता था।
- कमरों का किराया बहुत अधिक होने के कारण अप्रवासी मजदूर अपने रिश्तेदार अथवा अपनी जाति-बिरादरी वाले के साथ एक ही कमरे में रह लेते थे।
- लोगों का रहन-सहन बहुत ही घटिया था। गंदे गटर, बदबू मारती नालियों तथा तबेलों के निकट होने के कारण लोगों को आर्द्र मौसम में भी अपने कमरे की खिड़कियाँ बंद रखनी पड़ती थीं।
- लोगों को हमेशा से पानी की कमी का सामना करना पड़ता था। सुबह पानी भरने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा में अक्सर लोगों में झगड़ा होना आम बात थी। (कोई तीन)
उत्तर 9.
यह कथन बिल्कुल सत्य है कि छापेखाने से विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार तथा बहस-मुबाहिसे के द्वार खुल गए। छापेखानों के स्थापित होने से आम आदमी को ये लाभ हुआ कि यदि वह सरकारी तंत्र के काम-काज से नाखुश है तो वह उससे संबंधित सामग्री को छाप कर सबके समक्ष प्रस्तुत कर सकता था। छपा हुआ संदेश जनमानस को अधिक प्रभावित करता था और साथ ही एक नए दृष्टिकोण के साथ सोचने और विरोधात्मक कार्यवाही करने के लिए भी मजबूर करता था। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इस बात का अत्यंत महत्त्व था। परंतु समाज का एक वर्ग इन मुद्रित पुस्तकों से खुश नहीं था। इस वर्ग को यह भी डर था कि यदि छपने वाली सामग्री तथा पढ़ने वालों पर किसी ने नियंत्रण नहीं रखा तो समाज में कई प्रकार की बागी और अधार्मिक भावनाएँ भी फैल सकती हैं और यदि ऐसा होता है तो ‘मूल्यवान साहित्य की सत्ता नष्ट हो जाएगी। धर्मगुरुओं, राजाओं और कई लेखकों एवं कलाकारों द्वारा व्यक्त इस चिंता ने जनता के लिए तेजी से उपलब्ध इस नव-मुद्रित साहित्य की व्यापक आलोचना को जन्म दिया।
अथवा
मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान् लेखक हैं। उन्होंने लगभग 300 कहानियाँ, एक दर्जन उपन्यास तथा दो नाटक भी लिखे हैं। उनके उपन्यासों में समाज के हर वर्ग से विभिन्न शक्तिशाली चरित्र उभर कर आते हैं|
- उनके उपन्यासों में अभिजात वर्ग, ज़मींदार, मध्यवर्गीय किसान, भूमिहीन मजदूर, मध्यवर्गीय व्यापारी तथा समाज के प्रत्येक वर्ग से संबंध रखने वाले लोगों का वर्णन है।
- उपन्यासों में वर्णित महिला पात्र काफी मजबूत हैं विशेषकर निम्न वर्ग से संबंधित महिला पात्र जो कि आधुनिक नहीं हैं।
- उनकी कहानी रंगभूमि गांधीवादी विचारों से प्रेरित थी तथा यह कहानी जातिप्रथा के कुप्रभावों पर प्रकाश डालती है जो कि सामाजिक अन्याय को जन्म देते हैं। उनके उपन्यास के पात्रों ने लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर एक समुदाय बनाया।
- उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों में बाल-विवाह, दहेज प्रथा आदि मुद्दों को केन्द्रीय समस्या के रूप में प्रस्तुत किया ताकि शिक्षित वर्ग एवं सुधारकों का ध्यान समाज में व्याप्त इन बुराइयों की ओर आकृष्ट हो तथा वे इनके समूल नाश के लिए कुछ सुधारवादी कदम उठाएँ।
- मुंशी जी ने अपने लेखन में उच्चवर्गीय भारतीयों के रहन-सहन तथा औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा उनको प्रदान किए गए अंग्रेजों को नियंत्रित करने के बहुत कम अवसरों को भी दर्शाया है। (कोई तीन)
उत्तर 10.
भारत में वर्षा जल संग्रहण करने की अति आवश्यकता है। इसके कारण निम्न हैं :
- बढ़ती जनसंख्या, कृषि आधुनिकीकरण, नगरीकरण तथा औद्योगीकरण से भारत की नदियाँ अत्यधिक प्रदूषित होती जा रही हैं जिसके कारण स्वच्छ जल दुर्लभ होता जा रहा है।
- बढ़ती हुई जनसंख्या से अभिप्राय है-दैनिक आवश्यकताओं के लिए जल की अधिक मांग एवं अधिक खाद्यान्न उत्पादन। इसलिए पानी के स्रोत सूखते जा रहे हैं तथा भौम जल स्तर में भी गिरावट आ रही है।
- भारत कृषि प्रधान देश है। वर्षा की अनियमितता के कारण पूरे वर्ष सिंचाई के लिए जल संसाधनों पर निर्भर करना पड़ता है। उद्योगों को स्थापित करने के साथ-साथ उनको चलाने हेतु विद्युत की आवश्यकता होती है जिसकी आपूर्ति जल विद्युत से होती है।
- शहरी क्षेत्रों में पानी का अत्यंत शोषण होता है। हाउसिंग सोसाइटीज़ तथा बड़ी कालोनियों के पास अपने-अपने भूजल पंपिंग उपकरण होते हैं। शहरों में इन कारणों से अल्प होते जा रहे जल संसाधनों में और कमी आती है। (कोई तीन)
उत्तर 11.
भारतीय सड़क परिवहन की समस्याएँ :
- भारत में जनसंख्या 102.7 करोड़ से अधिक है। साथ ही साथ ढोये जाने वाले माल की मात्रा अत्यधिक है। इन दोनों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सड़क जाल कम पड़ता है।
- भारत में लगभग 50% सड़कें कच्ची हैं जो वर्षा ऋतु में उपयोगहीन हो जाती हैं क्योंकि वर्षा ऋतु में ये कीचड़ से भर जाती हैं जिससे जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है।
- सड़कों के किनारे सुविधाओं का अभाव है। सड़कों पर बने पुल तथा पुलिया सँकरी हैं तथा अधिकतर पुरानी होने के कारण इनके टूटने का डर रहता है।
- दुर्घटनाओं के समय प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएँ सड़कों के किनारे पीड़ितों को नहीं दी जा सकती है। इससे अनेकों लोगों की अकारण मृत्यु हो जाती है।
- राष्ट्रीय महामार्ग कम चौड़े होने के कारण वाहनों की गति मंद होती है जिससे पेट्रोल-डीजल का खर्च अधिक आता है और यात्रा महँगी पड़ती है।
उत्तर 12.
भारत ‘सबको साथ लेकर चलने जैसी संघीय व्यवस्था के अंतर्गत आता है।
ऐसी संघीय व्यवस्था की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं|
- इस प्रकार की शासन व्यवस्था में भारत जैसा एक विशाल देश अपनी आंतरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों का गठन करता है। तत्पश्चात् केन्द्र और राज्यों के बीच सत्ता का विभाजन किया जाता है।
- इस प्रकार की शासन व्यवस्था में राज्य की तुलना में केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है क्योंकि केन्द्र सरकार के पास राज्य सरकार से अधिक अधिकार होते हैं।
- संघीय शासन व्यवस्था में सभी राज्यों को एक-समान अधिकार प्राप्त नहीं होते। कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होता है। जैसे भारत में जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं।
- केन्द्र तथा राज्य अपने-अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए स्वतंत्रतापूर्वक अपना-अपना शासन चलाते हैं। (कोई दो)
उत्तर 13.
भारत में जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए उत्तरदायी तीन कारक :
- ज्योतिबा फुले, गाँधीजी तथा डॉ० अंबेडकर जैसे समाज सुधारकों तथा राजनेताओं ने जातिगत भेदभावों से मुक्त समाज की स्थापना हेतु कई सुधारवादी कदम उठाए।
- आर्थिक विकास, शहरीकरण, साक्षरता का प्रचार-प्रसार, व्यवसाय चुनने की आजादी तथा गाँवों में जमींदारी व्यवस्था के कमजोर होने के कारण भी जातिगत असमानता में भारी कमी आई है।
- धर्म के आधार किए जाने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव को संवैधानिक दृष्टि से अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
- जाति व्यवस्था को कमजोर करने के लिए मौलिक अधिकारों के प्रावधान ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है क्योंकि इन अधिकारों को बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को प्रदान किया जाता है। (कोई तीन)
उत्तर 14.
एक चुनौती केवल एक समस्या नहीं है। केवल उन कठिनाइयों में एक चुनौती’ है जो महत्त्वपूर्ण हैं और जिन्हें दूर किया जा सकता है। इसलिए प्रत्येक चुनौती के साथ सुधार की संभावनाएँ भी जुड़ी हुई होती हैं। समकालीन विश्व में लोकतंत्र सरकार का एक प्रमुख स्वरूप है। लोकतंत्र को पूरी तरह से कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कानूनी एवं संवैधानिक अधिकारों में असमानता, बेरोजगारी, निरक्षरता, आर्थिक असमानता, जाति तथा लिंग भेदभाव जैसी चुनौतियों से अपने-आप निपटा नहीं जा सकता। लोकतांत्रिक सुधारों का काम भी मुख्यतः राजनीतिक गतिविधियों, राजनीतिक दलों, आंदोलनों और राजनीतिक रूप से सचेत नागरिकों के द्वारा ही हो सकता है। यदि मनुष्य चुनौतियों को समस्या न समझ कर उनको अवसर के रूप में लेता है तो यह चुनौतियाँ उसके जीवन में उन्नति का मार्ग खोलती हैं। एक बार यदि हमने चुनौतियों पर जीत प्राप्त कर ली तो हम पहले की तुलना में उन्नति के और अधिक उच्च स्तर पर पहुँच जाते हैं।
उत्तर 15.
सतत पोषणीय विकास का अर्थ है कि प्रकृति के विभिन्न साधनों का प्रयोग इस प्रकार किया जाए ताकि उसका अस्तित्व समाप्त न हो जाए। धारणीयता विकास का ऐसा स्तर है जिसमें विकास वर्तमान में पर्यावरण को बिना हानि पहुचाएँ तथा भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का बहुत सावधानी एवं समझदारी से प्रयोग करना चाहिए ताकि उनका लाभ वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों को भी प्राप्त होता रहे।
प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कोयला, कच्चे तेल आदि, के भण्डार सीमित तथा अनवीकरणीय हैं अर्थात् इन्हें एक बार प्रयोग करने के पश्चात् प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। हमें प्राकृतिक संसाधनों को मानव शोषण से बचाना चाहिए। इनके दोहन पर रोकथाम लगाना भी अति आवश्यक है, अन्यथा वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढ़ियों को भी प्राकृतिक संसाधनों के लाभों से वंचित रहना पड़ेगा। ऐसा सम्पूर्ण विश्व के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण होगा। हमें अपने संसाधनों का प्रयोग एक सीमित मात्रा में तथा बड़ी सूझबूझ के साथ करना चाहिए।
उत्तर 16.
किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी राष्ट्र के औद्योगिक व आर्थिक विकास के लिए पहली एवं अनिवार्य शर्त है उसकी आधारभूत संरचना का विकास। इसे सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा ही विकसित किया जा सकता है। सार्वजनिक क्षेत्रक में अधिकतर परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। सार्वजनिक क्षेत्रक भारी उद्योगों का निर्माण करता है। और इनके माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है। यह क्षेत्रक लघु व कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहन देता है। सार्वजनिक क्षेत्रक भारी लागत वाली सेवाएँ तथा सुविधाएँ, जैसे सड़कें एवं पुल बनाना, रेल की पटरियों का निर्माण, बांधों के द्वारा सिंचाई आदि, प्रदान करता है। स्कूलों, अस्पतालों, आवासों का निर्माण तथा शुद्ध पेयजल की आपूर्ति जैसे कार्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है।
कुछ गतिविधियाँ ऐसी हैं, जिन्हें सरकारी समर्थन की आवश्यकता पड़ती है जैसे लघु इकाइयों को कम दरों पर बिजली उपलब्ध करवाना क्योंकि उत्पादन मूल्य पर बिजली की बिक्री से औद्योगिक उत्पादन-लागत में वृद्धि हो सकती है परिणामस्वरूप अनेक लघु इकाइयाँ बंद हो सकती हैं। यहाँ सरकार उस दर बिजली उत्पादन और वितरण के लिए कदम उठाती है जिस पर ये उद्योग बिजली खरीद सकते हैं। सरकार लागत का कुछ भाग स्वंय उठाती है। अत: कहा जा सकता है कि सार्वजनिक क्षेत्रक की अधिकतर गतिविधियाँ राष्ट्र कल्याण के लिए होती हैं। सरकार इन गतिविधियों पर किए गए व्यय की पूर्ति करों या अन्य तरीकों से करती है।
उत्तर 17.
अनौपचारिक क्षेत्रक की ऋण गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि-
- अनौपचारिक क्षेत्रक का 85% ऋण लेने वाले गरीब ग्रामीण लोग होते हैं जिनके पास ऋण के बदले में देने के लिए कोई गारंटी नहीं होती।
- अनौपचारिक क्षेत्रक के ऋणदाताओं की कार्यप्रणाली का निरीक्षण करने वाली कोई संस्था नहीं होती। ऋणदाता ऐच्छिक दरों पर ऋण देते हैं तथा ऋण को गैरकानूनी तरीके से वसूलने में भी पीछे नहीं हटते।
- इस क्षेत्रक में ऋणदाता दिए गए ऋण पर अधिक से अधिक ब्याज लेने की कोशिश करते हैं क्योंकि उनकी कोई सीमा नहीं होती एवं ना ही उन पर कोई बंधन होता है।
- ऋण की दरें बहुत ऊँची होने के कारण ऋण लेने वाले की आय का अधिकतर भाग ब्याज की अदायगी में ही चला जाता है। मूलधन वहीं का वहीं रह जाता है परिणामस्वरूप ऋण लेने वाला ऋणदाता के जाल में ही फंसा रह जाता है।
उत्तर 18.
उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया जटिल, खर्चीली और समय साध्य साबित हो रही है। अत: इसे सुधारने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं :
- उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की रक्षा हेतु आवश्यक जानकारी लेने के लिए स्वयं भी आगे आना चाहिए। उपभोक्ता आंदोलन तभी प्रभावकारी हो सकते हैं जब उपभोक्ता उनमें सक्रिय रूप से भाग लें। उदाहरण के लिए उपभोक्ता को छोटी वस्तु खरीदने पर भी विक्रेता से रसीद की माँग करनी चहिए।
- दोषयुक्त उत्पादों से पीड़ित उपभोक्ताओं की क्षतिपूर्ति के विषय पर मौजूदा कानून स्पष्ट नहीं हैं। अतः सरकार को इस विषय पर बने कानूनों के प्रावधान में संशोधन करने की आवश्यकता है।
- एक आम उपभोक्ता के पास समय और धन दोनों ही अल्प होते हैं। इसलिए उनके साथ धोखाधड़ी होने पर वह उपभोक्ता अदालतों के चक्कर काटने से कतराते हैं। अतः सरकार का कर्तव्य बनता है कि उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए वह इस प्रक्रिया को सरल गए। साथ ही प्रत्येक उपभोक्ता को भी चाहिए कि वह अपने साथ हुई धोखाधड़ी के विरुद्ध लड़े। इसके लिए स्वैच्छिक प्रयास एवं ‘सबकी साझेदारी की आवश्यकता है।
उत्तर 19.
फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए :
- सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों पर बल दिया गया।
- एक नया फ्रांसीसी झंडा (तिरंगा) चुना गया जिसने पहले के राष्ट्रध्वज की जगह ले ली।
- स्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदल कर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
- नयी स्तुतियाँ रची गईं, शपथे ली गईं, शहीदों का गुणगान हुआ और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
- एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
- आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार तथा नापने की एक समान व्यवस्था लागू की गई।
- क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया। उस समय पेरिस में फ्रेंच बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की सांझी भाषा बन गई।
अथवा
‘मेकोंग डेल्टा क्षेत्र के विकास के लिए फ्रांसीसियों द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए :
- फ्रांसीसियों ने वियतनाम के मेकोंग डेल्टा इलाके में खेती बढ़ाने के लिए सबसे पहले वहाँ नहरें बनाई और जल निकासी का प्रबंध शुरू किया।
- सिंचाई की विशाल व्यवस्था बनाई गई।
- बहुत सारी नई नहरें और भूमिगत जलधाराएँ बनाई गईं।
- अधिक से अधिक लोगों को जबरदस्ती काम पर लगाकर निर्मित की गई इस व्यवस्था से चावल के उत्पादन में वृद्धि हुई।
- मेकोंग डेल्टा के विकास से सन् 1931 तक वियतनाम दुनिया में चावल का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया।
उत्तर 20.
गाँधीजी ने रॉलट एक्ट के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन चलाने का फैसला लिया क्योंकि :
- भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद रॉलट एक्ट को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी में पारित कर दिया था।
- इस कानून द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकद्दमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था।
- महात्मा गाँधी जी ने इसे बेहद अन्यायपूर्ण कानून माना तथा वे ऐसे कानून के विरुद्ध अहिंसक तरीके से नागरिक अवज्ञा चाहते थे।
रॉलट एक्ट का विरोध – रॉलट एक्ट को गांधीजी ने अन्यायपूर्ण कानून बताया और उसके खिलाफ़ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया। विभिन्न शहरों में रैली व जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप्स में कामगार हड़ताल पर चले गए। बाजार बंद हो गए। विरोध से भयभीत होकर अंग्रेज़ी सरकार ने राष्ट्रवादियों तथा शांत आंदोलनकारियों के विरुद्ध दमन की नीति अपनाई। अमृतसर में बहुत सारे स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। गांधीजी के दिल्ली प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में जनरल डायर के नेतृत्व में एक शांत सभा पर गोलियाँ चलाई गईं जिसमें कड़ों लोग मारे गए।
परिणामस्वरूप लोगों में रोष फैल गया। पूरे देश में विरोधस्वरूप पुलिस थानों, सरकारी बैंकों, डाकखानों तथा रेलवे स्टेशनों पर हमले होने लगे। लोगों के गुस्से को दबाने के लिए ब्रिटिश प्रशासन ने मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने पुलिस की कमान संभाल ली।
अथवा
नमक एक ऐसी वस्तु है जिसे अमीर-गरीब सभी इस्तेमाल करते हैं। यह भोजन का एक अभिन्न अंग है। इसलिए नमक पर कर और उसके उत्पादन पर सरकारी कर प्रणाली को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया।
महात्मा गाँधी ने अपने 78 विश्वस्त साथियों के साथ नमक यात्रा शुरू की। यह यात्रा गुजरात के साबरमती में स्थित गाँधीजी के आश्रम से आरंभ होकर 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक गुजरात के तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। गाँधीजी की टोली ने 24 दिन तक प्रतिदिन लगभग 10 मील का सफर तय किया। 6 अप्रैल, 1930 को वह दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया जो कानून की उल्लंघन था। इस बार लोगों को न केवल ब्रिटिश शासन का सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया गया था। अतः कहा जा सकता है कि यह घटना ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक थी।
उत्तर 21.
भारतीय प्रायद्वीप का उत्तर-पूर्वी भाग छोटा नागपुर का पठारी क्षेत्र है। उसका विस्तार बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश राज्यों में है। इस क्षेत्र में देश के पाँच बड़े इस्पात केंद्र स्थापित हैं। ये हैं-जमशेदपुर, बोकारो, कुल्टी, बर्नपुर, दुर्गापुर, राउरकेला। लोहा-इस्पात उद्योग के इस क्षेत्र में केंद्रित होने के निम्नलिखित कारण हैं :
- कच्चे माल की उपलब्धता – लोहा इस्पात उद्योग के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में निकटवर्ती क्षेत्रों से कच्चा माल मिल जाता है।
- जलापूर्ति – इस उद्योग के लिए नियमित रूप से पर्याप्त जलापूर्ति की आवश्यकता होती है। दामोदर तथा दामोदर की सहायक नदियों से पर्याप्त मात्रा में पानी सुलभ है।
- शक्ति – कोयला तथा जल दोनों ही यहाँ शक्ति के साधन के रूप में सुलभ हैं।
- परिवहन – इस क्षेत्र में सड़क तथा रेलमार्गों का विस्तार कर दिया गया है। इनके विस्तार से न केवल खनन क्षेत्रों का विकास हुआ है अपितु औद्योगिक केंद्रों की स्थापना में भारी मदद मिली है।
- कुशल व सस्ते श्रमिक – यह सघन आबादी का क्षेत्र है। अतः यहाँ अकुशल परंतु सस्ते श्रमिक पर्याप्त संख्या में मिलते हैं। कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिक भी सुविधाओं के मिलने से यहाँ खिंचे चले आते हैं।
अथवा
पटसन उद्योग के मुख्यतः हुगली नदी के निकट स्थित होने के कारण :
- हुगली नदी क्षेत्र पटसन उत्पादन में अग्रणी है। इसलिए मिलों को कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
- हुगली नदी अंत:स्थानीय जल मार्ग का केन्द्र भी है तथा इसके समीप सड़कों और रेलवे की अच्छी सुविधाएँ हैं जिससे तैयार माल का परिवहन सरलता से हो जाता है।
- पटसन उत्पादन करने वाली मिलों में उपयोग किए जाने वाले पानी की माँग हुगली नदी द्वारा आसानी से पूरी हो जाती है।
- इन मिलों के लिए सस्ते मज़दूर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा और उत्तर प्रदेश से आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
- वर्षा के अधिक होने से नदियाँ, तालाब और जलाशय जल से भरे रहते हैं। पटसन को रंगने, साफ करने, गलाने आदि के लिए विपुल मात्रा में जल चाहिए, जो यहाँ सहज सुलभ है।
उत्तर 22.
भारत में कृषि का सकल घरेलू उत्पाद’ में घटता अंश गंभीर चिंता का विषय है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :
- कृषि में किसी भी प्रकार की गिरावट अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगी जो कि समाज के लिए कल्याणकारी नहीं है।
- विगत् वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है परंतु इस कारण देश में पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।
- कृषि क्षेत्र में किसानों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए किसान कृषि में पूँजी निवेश करने से कतरा रहे हैं और यही कारण है कि कृषि में रोजगार घटते जा रहे हैं।
- कृषि में सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट का एक प्रमुख कारण सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक पूँजी निवेश को लगातार कम करना भी है।
- रासायनिक उर्वरकों पर सहायिकी कम करने से उत्पादन लागत में वृद्धि हो रही है। कृषि उत्पादों पर आयात कर घटाने से भी देश में कृषि पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है।
उत्तर 23.
क्षेत्रीय अथवा प्रांतीय दलों से अभिप्राय ऐसे दलों से है जिनका प्रभाव किसी एक प्रांत अथवा क्षेत्र तक ही सीमित होता है। परंतु इनकी विचारधारा उसी क्षेत्र अथवा प्रांत तक सिमट कर रह जाए यह कोई आवश्यक नहीं है। पिछले तीन दशकों में क्षेत्रीय दलों की संख्या व ताकत निरंतर बढ़ ही रही है। इन्हीं कारणों के चलते भारतीय संसद राजनीतिक रूप से और अधिक विविधता संपन्न हो गई है।
कोई भी राष्ट्रीय दल लोकसभा में पूर्ण बहुमत से अपनी सीटें नहीं ले पाया है। चुनावों में किसी भी एक राष्ट्रीय दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता परिणामस्वरूप राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रीय दलों अथवा अन्य दलों के साथ गठबंधन करने को विवश होना पड़ता है। 1996 से लगभग प्रत्येक क्षेत्रीय दल को पहली या दूसरी राष्ट्रीय स्तर की गठबंधन सरकार का हिस्सा बनने का अवसर मिला है। विभिन्न प्रकार के गठबंधनों के कारण देश में संघवाद वे लोकतंत्र और अधिक विकसित हुआ है।
अथवा
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ बिना राजनीतिक दलों के नहीं ठहर सकतीं क्योंकि
- राजनीतिक दलों का उदय प्रतिनिधित्व पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था के उभार के साथ जुड़ा है।
- जब समाज बड़ा और जटिल हो जाता है तब समाज के विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को समेटने और सरकार की नज़रों में लाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की आवश्यकता होती है।
- विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों को एकत्र करने की आवश्यकता होती है ताकि एक उत्तरदायी सरकार का गठन हो सके। इस कार्य को राजनीतिक दल ही पूरा कर सकते हैं।
- अगर दल न हों तो सारे उम्मीदवार स्वतंत्र या निर्दलीय होंगे। तब, इनमें से कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा।
- निर्वाचित प्रतिनिधि सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों में किए गए कामों के लिए जवाबदेह होंगे। लेकिन, देश कैसे चले इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होगा।
उत्तर 24.
लोकतंत्र से अभिप्राय है लोगों का शासन अर्थात् जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा जनता पर शासन। लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमेशा लोगों की शिकायतों के लिए स्थान होता है और यही शिकायतें लोकतंत्र की सफलता की गवाही भी हैं|
- लोकतंत्र से लगाई गई उम्मीदों को किसी लोकतांत्रिक देश के मूल्यांकन का आधार भी बनाया जा सकता है। लोगों को जब लोकतंत्र से थोड़ा लाभ मिलना शुरू होता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं। वे लोकतंत्र से और अच्छे काम की आशा करते हैं।
- शिकायतों का बने रहना भी लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है। इससे पता चलता है कि लोग सचेत हो गए हैं और वे सत्ता में बैठे लोगों के कामकाज को आलोचनात्मक मूल्यांकन करने लगे हैं।
- लोकतंत्र के कामकाज से जनता को असंतोष जताना लोकतंत्र की सफलता को तो दर्शाता ही है साथ ही यह लोगों का “प्रजा से नागरिक” बनने की गवाही भी देता है।
- आज अधिकांश लोग मानते हैं कि सरकार के काम करने के ढंग का असर उनके वोट बैंक पर पड़ता है और यह उनके अपने हितों को भी प्रभावित करता है।
- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आंदालनों व संवर्षों आदि तरीकों द्वारा विभिन्न वर्गों के लोग शासन के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाते हैं और लोकतांत्रिक शासन में सबको यह अधिकार भी है। एक लोकतांत्रिक सरकार ही एकमात्र सरकार है जो शिकायतों से लगातार खुद को सुधारती है। इस प्रकार शिकायतें लोकतंत्र में सुधार करने में मदद करती हैं तथा लोकतंत्र को मजबूत और गहरा बनाती हैं।
उत्तर 25.
विदेशी व्यापार से उपभोक्ता और उत्पादक दोनों ही लाभान्वित हुए हैं। विदेशी व्यापार का आधारभूत कार्य घरेलू बाज़ारों (अपने देश के बाजार) के साथ-साथ शेष विश्व के बाजारों से कच्चा माल खरीदना तथा उन बाज़ारों में अपने द्वारा निर्मित वस्तुएँ बेचना है। विदेशी व्यापार के कारण ही उत्पादक अपने देश के बाजारों के साथ ही विदेशी बाजारों में विदेशी कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। विदेशी व्यापार विदेशों से वस्तुएँ आयात करके उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं में चुनाव के अनेक विकल्प उपलब्ध करवाने में भी सहायक होता है। विदेशी व्यापार के कारण ही एक देश की वस्तुओं को किसी विदेशी बाज़ार में सरलता से आवागमन होता है।
उपभोक्ता को एक ही स्थान पर अपने देश से हज़ारों मील दूर देशों की वस्तुएँ उपलब्ध हो जाती हैं। उदाहरण-भारतीय बाजार में असंख्य ब्रांड्स के जूते एवं चप्पलें उपलब्ध हैं। एक उपभोक्ता, जिसे अंतर्राष्ट्रीय प्रवृत्तियों का पूर्ण ज्ञान है, किसी भी स्थानीय ब्रांड जैसे बाटा, लखानी आदि और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड जैसे रिबोक, नाइकी, एडीडास आदि के जूते-चप्पलों के बीच चुनाव कर अपनी पसंद के जूते एवं चप्पल खरीद सकता है।
अथवा
हमारे बाजारों में वस्तुओं के बहुव्यापी विकल्प अपेक्षाकृत नवीन परिघटना हैं। दो दशक पहले भी आपको भारत के बाजारों में वस्तुओं की ऐसी विविधता नहीं मिलेगी जो आज दृष्टिगोचर हैं। इन वर्षों में हमारे बाजार पूर्णत: परिवर्तित हो गए हैं, जिसे निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा समझा जा सकता है :
- हाल ही के वर्षों में बाजारों में परिवर्तन इस कारण भी आया है कि अब कई कानूनी कंपनियाँ उपभोक्ताओं की सहायता करने में, दोषपूर्ण वस्तुओं के बदले मुआवजा प्राप्त करने में तथा उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे आ रही हैं। इससे उपभोक्ता जागरूक हो गए हैं तथा विक्रेताओं पर भी वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व आ गया है।
- विश्व के शीर्षस्थ विनिर्माताओं द्वारा निर्मित डिजिटल कैमरे, मोबाइल फोन तथा टेलिविज़न के नवीनतम मॉडल हमारे बाजारों में सुलभ हैं। गाड़ियों के नए-नए मॉडल भी सड़कों पर देखे जा सकते हैं।
- अनेक दूसरी वस्तुओं के ब्रांडों में भी इसी प्रकार की तीव्र वृद्धि देखी जा सकती है। कमीज़ों से लेकर टेलिविज़नों और प्रसंस्करित फलों के रस तक यह वृद्धि सर्वव्यापी है।
- बाजार में उत्पादकों को सख्ती से आवश्यक सुरक्षा नियमों और विनियमों का पालन करने की आवश्यकता है। वस्तुओं के निर्माताओं के लिए भी अब उत्पादों में प्रयुक्त सामग्री, बैच नंबर, निर्माण एवं एक्सपायरी की तारीख और निर्माता के पते के बारे में जानकारी प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
- बाजारों में देसी और विदेशी उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा है से शीर्ष भारतीय कंपनियों को बहुत फायदा पहुँचा है। वे अब नई तकनीकी तथा उत्पादन के नए तरीकों में निवेश कर रहे हैं जिसका परोक्ष रूप से फायदा भारतीय बाजारों के उन उपभोक्ताओं को है जो उच्चस्तरीय जीवन जीना चाहते हैं।
उत्तर 26.
- डांडी
- उत्तरप्रदेश
- गुजरात
- छत्तीसगढ़
- कर्नाटक
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