CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 1 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 1.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 1
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi A |
Sample Paper Set | Paper 1 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme, as prescribed by the CBSE, is given here. Paper 1 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैंक, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [ 15 अंक ]
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
हम चाहते हैं कि भविष्य में अच्छे नागरिक मिले, तो हमें विद्यार्थियों को सभी दृष्टि से योग्य बनाना पड़ेगा। पहली बात उनमें राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार कराने की है। हमारा विद्यार्थी वर्ग अपने को राष्ट्र की धरोहर समझकर अपनी रक्षा करे। उसे यह बात मन में ठान लेनी है कि उसके ऊपर भारत की रक्षा का भार है। उसे स्मरण रखना होगा कि वह उस महान् राष्ट्र का नागरिक होने जा रहा है, जिसने आदिकाल में ही ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की उद्घोषणा की थी। उसे इसका हमेशा पालन करना है। दूसरी बात यह है कि उसे कर्मठ बनना है। आलस्य को अपना महान् शत्रु समझकर उसकी छाया से भी घृणा करनी है। आज आवश्यकता है अधिक-से-अधिक उत्पादन करने की, अधिक-से-अधिक कर्तव्यपरायण, अधिक-से-अधिक प्रगतिशील बनने की। विदेशों से होड़ करने के लिए हमारे छात्रों को समय से काम करने की आदत डालनी होगी। अधिक समय तक काम करने के लिए धैर्य के गुण का विकास करना होगा। आज सामूहिक प्रयत्नों की आवश्यकता है। तभी देश से दरिद्रता खत्म होगी और अज्ञान को अंधकार दूर होगा।
(क) गद्यांश में किसे योग्य बनाने की बात की गई है तथा योग्य बनाने के लिए क्या करना होगा?
(ख) देश के विकास के लिए विद्यार्थी को क्या करना चाहिए?
(ग) विद्यार्थियों को विदेशों से होड़ करने के लिए क्या करना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
(घ) ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में किस विराम चिह का प्रयोग हुआ है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है।
मेरे मन में मृदुल वसंत अभी न होगा मेरा अंत
हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुलकर
फेरूंगा निद्रित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
(क) नई-नई, हरी-हरी पत्तियों के अभाव में निर्जीव और कठोर दिखाई देने वाले पेड़-पौधे अब कैसे दिखाई दे रहे हैं ?
(ख) प्रस्तुत काव्यांश में कवि क्या चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि का मन कैसा है?
(घ) कवि को ऐसा क्यों लगता है कि उसके जीवन का अंत अभी नहीं होगा?
(ङ) ‘पुष्प-पुष्प’ में कौन-सा अलंकार है?
खंड {ख} व्याकरण [ 15 अंक ]
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) ‘दुस्साहस’ शब्द में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए।
(ख) “सम्’ उपसर्ग लगाकर दो शब्द लिखिए।
(ग) “अपनापन’ शब्द में से प्रत्यय और मूल शब्द अलग कीजिए।
(घ) “आहट’ प्रत्यय लगाकर दो शब्द लिखिए।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कर समास का भेद लिखिए
(क) सुख-दु:ख
(ख) यथासमय
(ग) कमलनयन
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) जो परिश्रम करते हैं, वे विद्यार्थी सदा सफल रहते हैं। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए)
(ख) शायद! वह सपना सत्य हो जाता तो भारत की कथा कुछ और होती। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए)
(ग) चक्कर लगाने से जूता फटता है। (निषेधवाचक वाक्य में बदलिए)
(घ) आप इस महल की रक्षा करो। (प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में निहित अलंकार का नाम बताइए
(क) पेड़ झुक झाँकने लगे गर्दन उचकाए
(ख) जहाँ जुगल जोड़ी रहती है।
(ग) फूले कांस सकल महि छाई, जनु वर्षा कृत प्रकट बुढाई…
(घ) कहै कवि बेनी ब्याल की चुराई लीनी बेनी
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [ 30 अंक ]
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में दीजिए
1857 ई. के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी; पर विद्रोह दमन करने के बाद अंग्रेज़ों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया। उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है।
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया; पर उसमें बहुत थोड़ी संपत्ति अंग्रेज़ों के हाथ लगी। इसके बाद अंग्रेज़ों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। सैनिक दल ने जब वहाँ तोपें लगाईं, उस समय महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई। उसे देखकर अंग्रेज़ सेनापति को बड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि महल लूटने के समय वह बालिका वहाँ कहीं दिखाई ने दी थी।
(क) मैना के साथ अंग्रेज़ों ने कैसा व्यवहार किया?
(ख) अंग्रेज़ सेनापति को किस बात से आश्चर्य हुआ?
(ग) अंग्रेज़ों के दल ने कानपुर में हत्याकांड क्यों किया?
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
(क) “मैं तुम्हारी फोटो देखते-देखते रो पड़ना चाहता हूँ।” यहाँ लेखक ने प्रेमचंद के किन दु:खों को व्यक्त करने का प्रयास किया है? ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) ज़ेबुन्निसा, महादेवी वर्मा के लिए बहुत कार्य करती थीं। ज़ेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होते तो महादेवी जी से आपकी क्या अपेक्षा होती? ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
(ग) “ल्हासा की ओर’ पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि भारत की तुलना में तिब्बती महिलाओं की सामाजिक स्थिति किस प्रकार भिन्न थी?
(घ) “इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे’। मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-उन के सँवर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(क) मेघों के आने की सूचना कौन दे रहा है तथा कैसे?
(ख) बादलों का स्वागत कौन व किस प्रकार कर रही है?
(ग) नदी ने मेहमान को कैसे देखा?
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
(क) आपके अनुसार, किसी व्यक्ति की पहचान का आधार क्या है? कबीर के पदों के आधार पर तर्कसहित उत्तर दीजिए।
(ख) कवि रसखान किसकी लाठी और कंबल पर क्या न्योछावर करने को तैयार हैं और क्यों?
(ग) कवि ने चित्रकूट का वर्णन करते हुए क्या कहा? ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(घ) ‘यमराज की दिशा’ कविता में कवि की माँ द्वारा दक्षिण दिशा में पैर करके न सोने की सलाह देना क्या इंगित करता है?
प्रश्न 11.
“उमा का स्वर आज की नारी का स्वर है।” इस कथन के आलोक में रीढ़ की हड्डी’ पाठ के आधार पर अपने विचार लिखिए।
अथवा
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका ने बच्चों की शिक्षा के लिए स्वयं प्रयास किया है। पठित पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चों के लिए शिक्षा कितनी आवश्यक है और हमें उनकी शिक्षा के लिए क्या प्रयास करना चाहिए?
खंड {घ} लेखन [ 20 अंक ]
प्रश्न 12.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए
(क) दिल्ली मेट्रो रेल
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- मेट्रो रेल की विशेषताएँ
- मेट्रो रेल से लाभ
- उपसंहार
प्रश्न 13.
दिल्ली परिवहन निगम के महाप्रबंधक के नाम एक पत्र लिखिए, जिसमें बस कंडक्टर के अभद्र व्यवहार की शिकायत की गई हो।
अथवा
आप एक ट्रैकिंग कैंप में जाना चाहते थे, पर आपके पिताजी ने मना कर दिया है। उन्हें ऐसे कैंपों की उपयोगिता बताते हुए जाने की अनुमति देने के लिए पत्र लिखिए।
प्रश्न 14.
आप मुकेश हैं और आपकी कक्षा के अध्यापक आपसे गृह-कार्य में होने वाली गलती पर आपसे कारण पूछ रहे। हैं। उनके साथ होने वाला संवाद लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
अथवा
परीक्षा भवन से निकलने के पश्चात् दो मित्रों के मध्य संवाद लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
जवाब
उत्तर 1.
(क) गद्यांश में विद्यार्थियों को योग्य बनाने की बात की गई है। विद्यार्थियों को योग्य बनाने के लिए उनमें राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार करना होगा।
(ख) देश के विकास के लिए विद्यार्थियों को स्वयं को राष्ट्र की धरोहर समझना चाहिए तथा अपनी रक्षा करनी चाहिए। उसे यह बात मन में निश्चित कर लेनी चाहिए कि देश की रक्षा का भार उसके ऊपर है।
(ग) विद्यार्थियों को विदेशों से होड़ करने के लिए समय से काम करने की आदत डालनी चाहिए तथा इसके लिए अधिक समय तक काम करने के लिए धैर्य के गुण का विकास करना होगा।
(घ) ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में उद्धरण विराम चिह्न का प्रयोग हुआ है। उद्धरण विराम चिह्न दो रूपों में प्रयोग किया जाता है। इकहरे ‘…….’ व दोहरे “…….”| इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किसी रचना, किसी का उपनाम लिखते समय, किसी लेख, कविता, सूक्ति, पुस्तक इत्यादि का शीर्षक लिखने में होता है।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘विद्यार्थी का कर्तव्य’ होगा।
उत्तर 2.
(क) नई-नई, हरी-हरी पत्तियों के अभाव में निर्जीव और कठोर दिखाई देने वाले पेड़-पौधे अब कोमल और हरे-भरे दिखाई दे रहे हैं।
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूंगा मैं,
अपने नव-जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत
(ख) कवि चाहता है कि वह आलस्य में डूबी हुई कलियों को जगाकर खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से सींचकर उन्हें हरा-भरा कर दे, जिससे ये कलियाँ फूलों का आकार ले सकें।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि का मन वसंत ऋतु के आगमन पर प्रकृति के मनमोहक वातावरण को देखकर अत्यंत प्रसन्न
(घ) कवि को ऐसा इसलिए लगता है कि उसके जीवन का अंत अभी नहीं होगा, क्योंकि अभी उसके जीवन में खुशियों को आगमन हुआ है।
(ङ) “पुष्प-पुष्प’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है, क्योंकि सौंदर्य के बहाने एक ही शब्द की आवृत्ति को पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार कहते हैं।
उत्तर 3.
(क) उपसर्ग-दुस्, मूल शब्द-साहस
(ख) सम्मान, संपूर्ण
(ग) मूल शब्द-अपना, प्रत्यय-पन
(घ) घबराहट, गड़गड़ाहट
उत्तर 4.
(क) द्वंद्व समास यहाँ दोनों पद प्रधान होने के कारण द्वंद्व समास है।
(ख) अव्ययीभाव समास यहाँ प्रथम पद (यथा) अव्यय शब्द है, इसलिए यहाँ अव्ययीभाव समास है।
(ग) कर्मधारय समास यहाँ प्रथम पद (कमल) विशेषण तथा उत्तरपद (नेत्र) विशेष्य है, इसलिए यहाँ कर्मधारय समास है।
उत्तर 5.
(क) मिश्र वाक्य
(ख) विस्मयवाचक वाक्य
(ग) चक्कर लगाने से जूता नहीं फटता है।
(घ) क्या आप इस महल की रक्षा करेंगे?
उत्तर 6.
(क) मानवीकरण अलंकार यहाँ पेड़ को मनुष्य के रूप में चित्रित किया गया है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
(ख) अनुप्रास अलंकार यहाँ ‘ज’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार यहाँ फूले हुए कांस (उपमेय) में वर्षा के श्वेतकेश (उपमान) की सम्भावना की गई है।
(घ) यमक अलंकार यहाँ पर ‘बेनी’ शब्द दो बार आया है। प्रथम ‘बेनी’ का अर्थ कवि का नाम तथा द्वितीय ‘बेनी का अर्थ चोटी है। अतः यमक अलंकार है।
उत्तर 7.
(क) अंग्रेज़ों ने मैना के साथ बहुत ही क्रूर व्यवहार किया। नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके, तब अंग्रेज़ों ने उस निरीह और निरपराध बालिका (मैना) को आग में जलाकर मार डाला।
(ख) अंग्रेज़ सेनापति को इस बात से आश्चर्य हुआ कि जब अंग्रेज़ों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया, तब वहाँ तोप लगाने के बाद एक सुंदर बालिका महल के बरामदे में आकर खड़ी हो गई, जबकि महल लूटने के समय वह महल में कहीं दिखाई नहीं दी थी।
(ग) अंग्रेज़ों के दल ने नाना साहब की विद्रोही गतिविधियों से क्षुब्ध होकर कानपुर में भीषण हत्याकांड किया।
उत्तर 8.
(क) प्रेमचंद के जीवन में अनेक परेशानियाँ रही होंगी, जिनके कारण वे दुःखी होंगे, किंतु उन दुःखों को उन्होंने अपने मन में ही छुपाए रखा; लेकिन जब वह अपनी पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे थे, तब वह दुःख पूर्ण रूप से उनके चेहरे से गायब नहीं हो सका। लेखक को सबसे अधिक दुःख यही हुआ है कि इतने बड़ा कथाकार, उपन्यासकार होने के बाद भी प्रेमचंद के पास ढंग की वेशभूषा और जूते नहीं थे।
(ख) लेखिका जब छात्रावास में रहकर पढ़ती थी, उस समय छात्रावास में ज़ेबुन्निसा नामक एक छात्रा ने लेखिका की बहुत सहायता की। वह लेखिका का डेस्क साफ़ कर देती थी और पुस्तकें ठीक कर देती थी। यदि मैं ज़ेबुन्निसा के स्थान पर होती/होता तो मेरी महादेवी जी से निम्नलिखित अपेक्षाएँ होती
- कार्य करने में सहायता करने के कारण महादेवी वर्मा मुझे भी कविता लिखना सिखाएँ।
- वह इस बात को अपनी सभी सहेलियों को बताकर मेरी प्रशंसा करें।
(ग) भारत की तुलना में तिब्बती महिलाओं की सामाजिक स्थिति अत्यंत सुदृढ़ तथा सुरक्षित कही जा सकती है। वहाँ की महिलाओं में पर्दा प्रथा नहीं है। वे निडर तथा सहज होती हैं। वे किसी भी बाहरी अपरिचित को अपने घर में घुसने की अनुमति आसानी से दे देती हैं। वे सहज रूप से अपरिचितों पर भी विश्वास कर लेती हैं, जबकि भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है भारतीय महिलाएँ पर्दा करती हैं। बाहरी या किसी अपरिचित पर आसानी से विश्वास नहीं करती हैं, क्योंकि वे असुरक्षित एवं भयभीत अनुभव करती हैं।
(घ) इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे मोती के इस कथन से पता चलता है कि मोती की उग्रता के पीछे दयालुता की भावना छिपी है वह किसी पर भी अत्याचार या अन्याय होते हुए नहीं देख सकता, उसमें परहित की सर्वश्रेष्ठ भावना है। वह स्वयं को जोखिम में डालकर अत्याचारी से लड़ सकता है।
उत्तर 9.
(क) गाँव में मेघों के आने की सूचना बयार अर्थात् हवा दे रही है। वह मेघों के आगे-आगे नाचती-गाती चल रही है और सभी को मेघों के आने की सूचना दे रही है।
(ख) गाँव के सारे लोग बादलों का स्वागत कर रहे हैं। बादलों के आने की सूचना मिलते ही गाँव के सभी खिड़की-दरवाज़े खुलने लगे और लोग उन्हें देखने के लिए उमड़ने लगे। गाँव का बूढ़ा पीपल बुजुर्ग व्यक्ति की भाँति आगे बढ़कर मेघों का स्वागत करता है।
(ग) इस कविता में नदी गाँव की बहू की प्रतीक है। वह मेघों को देखकर ठिठक गई। उसने घूधट हटाकर तिरछी नज़रों से मेघ रूपी मेहमान को देखा।
उत्तर 10.
(क) सामान्यतया किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल के आधार पर की जाती है, जबकि उसके कर्मों के आधार पर की जानी चाहिए, क्योंकि यह आवश्यक नहीं है कि ऊँचे कुल में जन्म लेने वाला व्यक्ति योग्य ही हो और निम्न कुल में जन्म लेने वाला व्यक्ति अयोग्य ही हो। व्यक्ति के कर्म ही उसे श्रेष्ठ या निम्न बनाते हैं। अतः व्यक्ति की पहचान का आधार उसके कर्म ही हैं।
(ख) कवि रसखान कृष्ण की लाठी एवं कंबल के बदले तीनों लोकों का राज न्योछावर करने को तैयार हैं, क्योंकि वह कृष्ण के अनन्य भक्त हैं। कृष्ण की प्रत्येक वस्तु उन्हें कृष्ण की भाँति ही प्रिय है, इसलिए वह इस प्रकार का त्याग करना चाहते हैं।
(ग) कवि नगरीय जीवन की ओर संकेत करते हुए चित्रकूट के प्राकृतिक परिवेश का वर्णन करता है कि चित्रकूट में कम ऊँची व चौड़ी पहाड़ियाँ दूर-दूर तक फैली हुई हैं। पक्षियों का स्वर नीरवता को समाप्त कर देता है। इस प्रकार वहाँ का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत करुण है।
(घ) कवि जब छोटा था, तब उसकी माँ ने उसे यह परामर्श दिया था कि कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके मत सोना, क्योंकि दक्षिण दिशा मृत्यु की दिशा है और उधर पैर करने से यमराज अप्रसन्न हो सकते हैं। यह परामर्श देना माँ की अपने बच्चे के प्रति चिंता और ममता की ओर इंगित करता है, क्योंकि वह अपने बच्चे की भलाई की कामना करती है।
उत्तर 11.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य उद्देश्य लड़कियों की आवाज़ को समाज के सामने लाना और लड़कियों को निम्न वर्ग का प्राणी मानने वालों को बेनकाब करना है। इस एकांकी की केंद्रीय पात्र उमा उन लोगों की कलई खोल देती है, जो लड़कियों को भेड़-बकरियाँ या फर्नीचर का सामान मानते हैं। उमा लड़कियों के स्वतंत्र व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती है। लड़कियों के स्वतंत्र व्यक्तित्व के लिए उनका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा उनमें आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन की भावना संचरित करती है।
आज की नारी उमा जैसी शिक्षा प्राप्त कर स्पष्टवादी, निर्भीक एवं चरित्रवान बनना चाहती है। उमा समाज के तथाकथित नकाब लगाए हुए सफेदपोशों की परवाह किए बिना अपनी आंतरिक भावनाओं को स्पष्ट करती है। वह एक सशक्त चरित्र की शिक्षित एवं समझदार लड़की है, जो अपने युग का प्रतिनिधित्व करती है। वह बिना किसी दबाव में आए लोगों की वास्तविकता को प्रकट करती है और अपनी शिक्षा के माध्यम से समाज में प्रचलित कुप्रथाओं एवं रूढ़ियों को दूर करने का प्रयास करती है।
अथवा
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका ने बच्चों की शिक्षा के लिए। स्वयं सराहनीय प्रयास किया है। शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ संबंधी धारणा में विश्वास करने वाली लेखिका ने कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट में कोई भी स्तरीय शिक्षा देने वाला स्कूल न होने के कारण, वहाँ एक अच्छा प्राइमरी स्कूल खुलवाया और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलवाई।
बच्चों के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। शिक्षित नागरिक ही अपना तथा अपने समाज एवं देश का विकास कर सकते हैं। समाज में व्याप्त अधिकांश बुराइयों की जड़ निर्धनता या गरीबी होती है और गरीबी की जड़ अशिक्षा है। यदि बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाए, तो समाज एवं देश का कभी भी कल्याण नहीं हो सकता है और कभी विकास भी नहीं हो सकता है। हमें बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वैयक्तिक एवं सामाजिक दोनों स्तरों पर क्रियाशील होना चाहिए। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति अपने आस-पास के निर्धन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर सकता है। उन्हें पढ़ने के आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए तथा उनके भोजन की व्यवस्था करनी भी आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को इसमें यथासंभव अपना योगदान देना चाहिए।
उत्तर 12.
प्रस्तावना दिल्ली की यातायात व्यवस्था में क्रांति लाने का श्रेय मेट्रो रेल सेवा को है। 24 दिसंबर, 2002 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली की पहली मेट्रो रेल को हरी झंडी दिखाकर इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का आरंभ किया। मेट्रो रेल का विस्तार सर्वप्रथम शाहदरा से तीस हजारी तक हुआ। 19 दिसंबर, 2004 को कश्मीरी गेट से दिल्ली विश्वविद्यालय तक विश्व की सबसे सुरक्षित और तकनीकी रूप से उन्नत भूमिगत मेट्रो यात्रा का शुभारंभ हुआ। 23 सितंबर, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बदरपुर से फरीदाबाद तक की मेट्रो का शुभारंभ किया गया। दिल्ली मेट्रो ने वर्ष 2016 में एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में सर्वप्रथम निःशुल्क वाई-फाई सेवा का प्रारंभ कर दिया है, जिससे साधारण नागरिकों को इंटरनेट की सुविधा का लाभ हुआ है। 2017 में वॉयलेट लाइन का विस्तार करके इसे हेरिटेज लाइन का गौरव प्राप्त हुआ है। इसके अंतर्गत लालकिला, जामा मस्जिद एवं दिल्ली गेट स्टेशन जैसे ऐतिहासिक स्थलों को इससे जोड़ा गया है। इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो की नई लाइन (मेजेंटा लाइन) का शुभांरभ हाल ही में मई, 2018 को हुआ है। यह सेवा दक्षिण दिल्ली के कालकाजी मंदिर होते हुए नोएडा के बोटेनिकल गार्डन से उत्तर पश्चिम दिल्ली के जनकपुरी (पश्चिम) के बीच चलती है। इसे नॉलेज कॉरीडोर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि राजधानी के तीन प्रमुख विश्वविद्यालय आई.आई.टी. दिल्ली, ऐमिटी विश्वविद्यालय एवं जामिया मिलिया इस्लामिया इससे जुड़े हुए हैं।
मेट्रो रेल की विशेषताएँ
मेट्रो रेल की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं।
- वातानुकूलित स्टेशन
- भूमिगत गलियारे में मोबाइल फोन संपर्क
- विश्वसनीय सुरक्षा मापदंड
- बहुश्रेणी की विद्युत सहायक प्रणाली
- आधुनिक एस्केलेटर, लिफ्ट और पूर्णतः प्रकाशित स्टेशन
- विकलांगों के लिए विशेष सुविधाएँ
मेट्रो रेल की सहायता से 21वीं सदी में भारत को विश्व स्तर का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम उपलब्ध हो पाया है। इससे पर्यावरण और लोगों की आवश्यकताएँ तो पूरी होती ही हैं, इसके साथ-साथ दूसरे देशों से आयात होने वाले ईंधन पर भी देश की निर्भरता कम होती चली जाएगी। महँगा साधन होने के पश्चात् भी मेट्रो में यात्रा करना कामकाजी लोगों की पहली पसंद है। इसमें उन्हें सुरक्षा अधिक मिलती है तथा दिल्ली मेट्रो सभी प्रकार की सुविधाओं से संपन्न है।
मेट्रो रेल से लाभ दिल्ली मेट्रो विश्व की एक आधुनिक सेवा है। यह मेट्रो अब विश्व की पाँचवीं बड़ी (क्षेत्रफल से) मेट्रो प्रणाली बन गई है। यात्रियों की सुविधाओं के लिए सभी भूमिगत स्टेशनों पर उचित वातानुकूलन व सुरंगों में आवश्यक वेंटीलेशन किया गया है।
सभी मेट्रो स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। ट्रेनों के आवागमन की जानकारी के लिए घड़ियाँ, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली तथा सीसी टीवी कैमरों की व्यवस्था की गई है। स्टेशनों पर ऑप्टिकल फाइबर लाइन द्वारा दूरसंचार प्रणाली का प्रबंध किया गया है। इन केबलों में ध्वनि व डाटा प्रेषण की क्षमता है। हम मेट्रो रेल की इस सेवा का भरपूर लाभ उठा सकते हैं, यदि हम आवश्यक निर्देशों का पालन करें; जैसे- स्टेशन परिसर में खाने की वस्तु न लाएँ, पालतू जानवर न लाएँ, धूम्रपान न करें, बिना टोकन के यात्रा न करें, प्लेटफॉर्म पर पीली रेखा को पार न करें और मेट्रो रेल के दरवाजों को ज़बरदस्ती खोलने का प्रयास न करें तथा उनसे सटकर न खड़े हों आदि।
उपसंहार मेट्रो रेल सेवा के परिचालन के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने संयुक्त रूप से एक संस्था डी.एम.आर.सी. का गठन किया है। यह संस्था अत्यंत सराहनीय ढंग से अपना कार्य निर्धारित समय-सीमा से पहले ही पूरा कर रही है। इससे दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या, चरमराती सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी। सुविधाजनक परिवहन उपलब्ध होने पर निकटवर्ती शहरों के लोग अपना कामकाज करके रात्रि को घर लौट सकेंगे। मेट्रो रेल का विकास दिन-प्रतिदिन होता जा रहा है।
(ग) विश्व योग दिवस
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- योग का महत्त्व
- विश्व योग दिवस की घोषणा
- योग भारत की धरोहर
- उद्देश्य
- उपसंहार
उत्तर
प्रस्तावना योग शब्द संस्कृत की ‘यजु’ धातु से बना है। महर्षि पतंजलि ने योगशास्त्र में कहा है ‘योगश्चित्तवृत्ति निरोधः अतः योग जीवन में मन व चित्त को नियंत्रित करने में सहायता करता है। स्वस्थ रहने का प्रमुख साधन ‘योग’ है। योग का मनुष्य जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। वे सभी क्रियाएँ, जो शरीर को स्वस्थ बनाती हैं, ‘योग’ कहलाती हैं।
योग का महत्त्व योग में पूरी मानव जाति को एकजुट करने की शक्ति है। यह ज्ञान, कर्म और भक्ति का आदर्श मिश्रण है। दुनियाभर के अनगिनत लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है। दुनिया के अनेक हिस्सों में इसका प्रचार-प्रसार हो चुका है। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही योग का विकास किया गया था। यह हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
‘विश्व योग दिवस की घोषणा 21 जून, 2015 को प्रथम बार संपूर्ण विश्व में विश्व योग दिवस मनाया गया। इसके पश्चात् यह घोषणा की गई कि प्रत्येक वर्ष यह दिवस 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन पूरे उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन’ होने के साथ-साथ बहुत महत्त्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ‘सैम के कुटेसा’ ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की और कहा कि 170 से अधिक देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिससे पता चलता है कि योग के अदृश्य और दृश्य लाभ विश्व के लोगों को कितना आकर्षित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी’ को बधाई दी, जिनकी पहल से 21 जून को प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है। वर्ष 2018 का राष्ट्रीय स्तरीय योग दिवस देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मनाया गया।
योग भारत की धरोहर ऐसा माना जाता है कि योग की शुरुआत भारत में पूर्व-वैदिक काल में हुई। योग हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन शैली का हिस्सा रहा है। यह भारत की धरोहर है। योग को किसी धर्म से जोड़कर देखा जाना ठीक नहीं है। योग किसी धर्म से संबंधित नहीं है, बल्कि शारीरिक क्रिया है।
उद्देश्य विश्व योग दिवस का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में योग से प्राप्त होने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। आधुनिक युग में मनुष्य का मन तथा शरीर अत्यधिक तनाव और रोग ग्रस्त हो चला है। मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में योग पूर्णतः सक्षम है।
उपसंहार मनुष्य अपने जीवन की श्रेष्ठता के चरम पर अब योग के माध्यम से ही आगे बढ़ सकता है, इसलिए योग के महत्त्व को समझते हुए इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
(ग) गंगा प्रदूषण
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- गंगा की वर्तमान स्थिति
- गंगा के प्रदूषित होने का कारण
- गंगा शुद्धिकरण के उपाय
- उपसंहार
उत्तर
प्रस्तावना भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। और गंगा का सभी नदियों में श्रेष्ठ स्थान है। गंगा केवल एक नदी नहीं है, अपितु भारतीय जन-मानस की आस्था का प्रतीक है। इसी आस्था का प्रभाव है कि हम इसे अनेक नामों से पुकारते हैं। इनमें गंगा मैया, गंगा जी, भागीरथी, पतित-पावनी, देवनदी, त्रिपथगामिनी, सुरनदी आदि प्रमुख हैं। गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री नामक स्थान से निकलकर हज़ारों मील लंबा सफ़र तय करती है। इसका जल अत्यंत पवित्र होता है, वर्षों तक संगृहीत किए जाने पर भी वह खराब नहीं होता।
गंगा की वर्तमान स्थिति गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना गया है। कहते हैं इसमें स्नान करने से तन-मन शुद्ध हो जाता है, परंतु दुर्भाग्य की बात है कि आज इसका पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि इसमें सामान्य जलीय जीव भी जीवित नहीं रह पाते। सबका उद्धार करने वाली और सबको पवित्र करने वाली गंगा को आज स्वयं उद्धार की आवश्यकता है। धीरे-धीरे यह एक गंदे नाले में परिवर्तित होती जा रही है। अमृत समझा जाने वाला गंगा जल, आज विष की भाँति हानिकारक हो गया, जिससे अनेक बीमारियों का जन्म होने लगा है।
गंगा के प्रदूषित होने का कारण सदियों से गंगा ने अपने पवित्र जल से जगत का कल्याण किया है, परंतु वर्तमान में यह प्रदूषण का प्रकोप झेल रही है। इसके प्रदूषण के लिए भारतवासी स्वयं जिम्मेदार हैं। अपनी बढ़ती आवश्यकताओं की अंधाधुंध पूर्ति में हमने गंगा के प्रदूषण की ओर ध्यान ही नहीं दिया। गंगा प्रदूषण के अनेक कारण हैं। गंगा नदी के तट पर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में बड़े-बड़े औद्योगिक नगर बसे हुए हैं। एक ओर वृहद् जनसंख्या का दबाव, तो दूसरी ओर उद्योगों से निकलने वाला हानिकारक अपशिष्ट मिलकर गंगा को अपवित्र करते रहते हैं। नगरों से बड़े-बड़े गंदे नाले, सीधे गंगा नदी में आकर मिल जाते हैं और अपने साथ लाई हुई ढेर सारी गंदगी को गंगा में डाल देते हैं, जिससे गंगा भी उन्हीं की भाँति एक गंदा नाला बनकर रह गई है। इसके अतिरिक्त, धार्मिक प्रवृत्ति तथा मान्यताओं के कारण प्रत्येक वर्ष गंगा में मृतकों की अस्थियाँ, अवशिष्ट, राख, पूजा-सामग्री, शव आदि भी प्रवाहित कर दिए जाते हैं, जिससे गंगा में प्रदूषण की भयानक स्थिति उत्पन्न हो गई है।
गंगा शुद्धिकरण के उपाय गंगा प्रदूषण को रोकना असंभव कार्य नहीं है, परंतु इसके लिए दृढ़ राजनीतिक और सामाजिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि गंगा में पड़ने वाले गंदे नालों का रुख मोड़ दिया जाए या उनका गंदा जल संशोधन के बाद ही गंगा में मिलने दिया जाए। उद्योगों को स्पष्ट चेतावनी दी जाए कि वे अपने हानिकारक रासायनिक अवशिष्ट का शोधन करें। इस आदेश को न मानने वाले उद्यमियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त साधारण जनता को भी धर्म के नाम पर गंगा को दूषित करने से बचना चाहिए।
उपसंहार यद्यपि ऐसा नहीं है कि गंगा शुद्धिकरण के प्रयास नहीं किए जाते, परंतु यह सत्य है कि गंगा प्रदूषण समय के साथ बढ़ता जा रहा है। गंगाजल का प्रदूषण समाप्त करने के लिए बनाई गई योजनाएँ भ्रष्टाचार तथा अकर्मण्यता की भेंट चढ़ जाती हैं, लेकिन अभी भी समय है कि हम जाग जाएँ और ‘मैया’ के नाम से संबोधित की जाने वाली इस नदी के संरक्षण हेतु गंभीर तथा प्रभावी कदम उठाएँ अन्यथा भारतीय संस्कृति और समृद्धि की वाहक यह नदी आने वाले समय में विलुप्त हो जाएगी।
उत्तर 13.
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 16 नवंबर, 20××
सेवा में,
महाप्रबंधक,
दिल्ली परिवहन निगम,
सिंधिया हाउस,
नई दिल्ली।
विषय कंडक्टर के अभद्र व्यवहार की शिकायत हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं प्रतिदिन प्रातः 8 : 00 बजे आनंद विहार से द्वारिका के लिए बस रूट नंबर 318 से यात्रा करता हूँ। यहाँ मुझे प्रतिदिन कोई-न-कोई नई बात देखने को मिलती है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता, जब यात्रियों का कंडक्टर से झगड़ा न होता हो। इस नंबर की बस में मोहनलाल नामक एक कंडक्टर नियुक्त है जो सभी यात्रियों से खुले पैसे माँगता है और यात्रियों द्वारा अपना बाकी पैसा वापस माँगे जाने पर पूरा पैसा नहीं देता। एक रुपया अपने पास रख लेना तो जैसे उसकी आदत बन गई है। यदि कोई यात्री अपना एक रुपया वापस माँगने की जिद पकड़ लेता है तो उसे “जाने कहाँ-कहाँ के भिखारी चले आते हैं, इस बस में” जैसी अपमानजनक भाषा सुननी पड़ती है। यहाँ तक कि वह महिला यात्रियों को भी नहीं छोड़ता। कई बार उसकी शिकायत ए. टी. आई. से भी की जा चुकी है, फिर भी उसके व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इस कंडक्टर के विरुद्ध विभागीय जाँच कराई जाए तथा इसे किसी अन्य रूट नंबर पर नियुक्त कर दिया जाए। यदि ऐसा करना संभव नहीं है, तो उसे शिष्टाचार का पालन करने अथवा विनम्रतापूर्वक बात करने की चेतावनी दी जाए।
धन्यवाद!
भवदीय
क.ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
रामपुर।
दिनांक 20 अगस्त, 20××
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम!
पत्र लिखने का विशेष कारण यह है कि मैं अगले माह विद्यालय की ओर से देहरादून में आयोजित होने वाले ट्रैकिंग कैंप में जाना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि आप मुझे इस कैंप में जाने की अनुमति नहीं देना चाहते, फिर भी मैं आपको इस कैंप की कुछ विशेषताओं के विषय में बताना चाहती हैं, ताकि आप मुझे वहाँ जाने की अनुमति देने के संबंध में अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें।
कैंप की विशेषताएँ इस प्रकार हैं।
- इन कैंपों में विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले छात्र आपस में मिल-जुलकर रहते हैं, जिससे उनमें परस्पर सहयोग और विश्वास की भावना का विकास होता है।
- विभिन्न संस्कृतियों से आने वाले छात्रों का आपस में परिचय होता है। इससे राष्ट्रीय एकता की भावना का भी विकास होता है।
- ट्रैकिंग कैंप में अनेक साहसिक कार्य कराए जाते हैं, जिससे शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है।
मुझे विश्वास है कि आप इन कैंपों की उपयोगिता समझकर मुझे ट्रैकिंग कैंप में भाग लेने की अनुमति प्रदान करेंगे।
आपका पुत्र
क.ख.ग.
उत्तर 14.
अध्यापक मुकेश, तुमने अपना गृह-कार्य ध्यान से नहीं किया है। क्या मैं इसका कारण जान सकता हूँ?
मुकेश सर, मैं बहुत लज्जित हूँ , लेकिन कारण जानकर आपको भी मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी।
अध्यापक अच्छा बताओ तो क्या कारण है? मैं भी तो जानें।
मुकेश सर, कल मेरे घर में एक दुर्घटना हो गई। मेरा छोटा भाई खेल-खेल में गिर गया, जिससे उसके पैर की हड्डी टूट गई।
अध्यापक सच कह रहे हो!
मुकेश सर, मैंने आज तक कोई झूठा बहाना नहीं बनाया है। दुर्घटना के बाद देर रात तक मैं अस्पताल में ही था।
अध्यापक अच्छा, यह कारण है तो फिर ठीक है, लेकिन अपने गृह-कार्य को सुधारकर दोबारा मुझे दिखाना।
मुकेश धन्यवाद सर! आगे से ऐसी शिकायत का कभी आपके अवसर नहीं दूंगा।
अथवा
कृतिका राव्या, कैसा हुआ तुम्हारा हिंदी का प्रश्न-पत्र?
राव्या मैं तो बहुत प्रसन्न हूँ, क्योंकि मेरा प्रश्न-पत्र बहुत अच्छ हुआ है और तुम्हारा कैसा हुआ?
कृतिका मुझे 2 अंक का केवल एक प्रश्न स्पष्ट नहीं था अतः मै उसका सही उत्तर नहीं दे सकी।
राव्या वह कौन-सा प्रश्न था?
कृतिका जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक सेवा क : कीजिए। मैंने उनकी भाषा-शैली का वर्णन किया।
राव्या तुम्हें प्रसाद जी की रचनाओं का एवं भाषा-शैली के संदर्भ में उनका योगदान बताना था।
कृतिका यही तो मैं समझ न पाई और मैंने उसका गलत उत्तर दे दिया।
राव्या यदि तुमने भाषा-शैली के क्षेत्र में प्रसाद जी की नवीनता बताई होगी तो यह साहित्य में उनका योगदान ही है। अतः एक अंक अवश्य ही मिल जाएगा।
कृतिका चलिए, अब तो दूसरे प्रश्न-पत्र की तैयारी करें।
राव्या हाँ चलते हैं।
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