CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 1 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 1.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 1
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi B |
Sample Paper Set | Paper 1 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 1 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B is given below with free PDF download solutions.
समय :3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं-क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [15 अंक]
प्रश्न 1:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (9)
आज से प्रायः सौ-सवा-सौ साल पहले वाले किसान-संघर्षों एवं आंदोलनों का वर्णन मिलता है। इसमें सबसे पुराना मालाबार के मोपला किसानों का विद्रोह है, जो सन् 1836 में शुरू हुआ था। कहने वाले कहते हैं कि ये मोपले कट्टर मुसलमान होने के नाते अपना आंदोलन धार्मिक कारणों से ही करते रहे हैं। असहयोग-युग के उनके विद्रोह के बारे में तो स्पष्ट ही यही बात कही गई है। मगर ऐसा कहने-मानने वाले अधिकारियों एवं जमींदार-मालदारों के लेखों तथा बयानों से ही यह बात सिद्ध हो जाती है कि दरअसल आर्थिक एवं सामाजिक उत्पीड़न ही इस विद्रोह के असली कारण रहे हैं और धार्मिक रंग अगर उन पर चढ़ा है तो कार्य-कारणवश ही, प्रसंगवश ही। वर्ष 1920 और 1921 वाले विद्रोह को तो सबने, यहाँ तक कि महात्मा गांधी ने भी धार्मिक ही माना है। असहयोग युग के बाद जो भी किसान-आंदोलन हुए हैं, उन्हें संगठित रूप मिला है, यह बात सही है। संगठित से हमारा आशय सदस्यता के आधार पर बनी किसान-सभा और किसानों की पंचायत से है, जिसका कार्यालय नियमित रूप से काम करता रहता है और समय पर सभी समितियाँ गठित होती रहती हैं। कागज़ी घुड़दौड़ भी चालू रहती है। यह पहले न थी। इसी से पूर्ववर्ती आंदोलन असंगठित था। विद्रोहों को तत्काल सफल होने के लिए उनका किसी-न-किसी रूप में संगठित होना अनिवार्य था। ‘पतिया’ जारी करने का रिवाज़ अत्यंत प्राचीन है। मालूम होता है, पहले दो-चार अक्षरों या संकेतों के द्वारा ही संगठन का मंत्र फेंका जाता था। यातायात के साधनों के अभाव में उसे वर्तमानकालीन सफलता एवं विस्तार प्राप्त न होते थे।
(क) मोपला किसानों के विद्रोह का मुख्य कारण क्या था? (2)
(ख) संगठित किसान आंदोलन की क्या विशेषताएँ थीं? (2)
(ग) असहयोग युग के बाद किसान आंदोलनों में क्या बदलाव आए? (2)
(घ) ‘मालदार’ तथा ‘सामाजिक’ शब्दों में प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग कीजिए। (2)
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। (1)
प्रश्न 2:
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए।
ले चल नाविक मॅझधार मुझे,
दे-दे बस अब पतंवार मुझे इन लहरों के टकराने पर आता
रह-रहकर प्यार मुझे मत रोक मुझे,
भयभीत न कर मैं सदा कँटीली राह चला,
मेरे पथ के पतवारों में ही नव नूतन मधुमास पला,
मैं हूँ अबाध, अविराम अथक, बंधन मुझको स्वीकार नहीं
मैं नहीं अरे, ऐसा राही जो बेबस-सा मन मार चला।
दोनों ही ओर निमंत्रण है. इस पार मुझे उस पार मुझे।
रंगीन विजय-सी लगती है, संघर्षों में हर हार मुझे।
मैं हूँ अपने मन का राजा इस पार रहूँ, उस पार चलें,
मैं मस्त खिलाड़ी हैं, ऐसा जो चाहे जीतू,
हार चलें मेरी पतवारों पर साथी।
लहरों की घात नहीं चलती मेरी तो आदत ही
ऐसी-संघर्ष बीच हर बार चलें फिर कहाँ मुझे पाएगा
यह विप्लवमय पारावार मुझे
उन लहरों के टकराने पर आता रह-रहकर प्यार मुझे
(क) ‘अपने मन का राजा’ होने से क्या आशय है? (2)
(ख) काव्यांश का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए। (2)
(ग) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए । (2)
(i) बंधन (ii) रंगीन
खंड {ख} व्याकरण [15 अंक]
प्रश्न 3:
(क) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए (2)
स्वर्गीय, द्वितीय ।
(ख) अनुस्वार तथा अनुनासिक में क्या अंतर है? (1)
प्रश्न 4:
(क) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर लगे अनुनासिक विहों के प्रयोग वाले शब्द छाँटकर लिखिए (1)
गॅवार, साँसारिक, आँख, सँन्यासी
(ख) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान वाले नुक्ते के प्रयोग वाले शब्द छाँटिए (1)
करीब, ज़्यादा, राज, सिर्फ
प्रश्न 5:
(क) ‘लाइलाज’ शब्द में मूल शब्द व उपसर्ग अलग-अलग करके लिखिए । (1)
(ख) निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्द व प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग-अलग करके लिखिए (2)
भिक्षुक, मिठास
प्रश्न 6:
(क) यण संधि को परिभाषित करते हुए दो उदाहरण लिखिए। (2)
(ख) निम्नलिखित संधि-विच्छेद से निर्मित शब्दों को लिखिए (2)
(i) दिक् + गज
(ii) भूष + अन
प्रश्न 7:
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए (3)
(क) रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रकवि थे
(ख) अरे आज तुम यहाँ?
(ग) हाँ आज मैं वहाँ जाऊँगा
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [25 अंक]
प्रश्न 8:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘दु:ख का अधिकार’ पाठ के आधार पर बताइए कि बुढ़िया के किस कार्य को अन्य लोग अपराध बता रहे थे? (2)
(ख) नास्तिक व्यक्तियों का आचरण कैसे अच्छा है? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
(ग) कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती? कीचड़ का काव्य पाठ के आधार पर समझाइए। (1)
प्रश्न 9:
लेखिका पर मृत्यु का संकट कैसे आया? उसकी रक्षा किसने और कैसे की? ‘एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर बताइए। लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए।
अथवा
“देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।” ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के आधार पर आशय स्पष्ट करते हुए लगभग 100 शब्दों में उत्तर
लिखिए।
प्रश्न 10:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘आदमीनामा’ कविता के आधार पर बताइए कि आदमी आदमी में अंतर दर्शाने के लिए कवि ने कौन-से उदाहरण दिए हैं? (2)
(ख) कवि की दृष्टि में ‘अग्नि पथ कैसा होता है? (2)
(ग) रैदास ने अपने प्रभु के किन-किन गुणों का बखान किया है? (1)
प्रश्न 11:
कवि रहीम के अनुसार, विपत्ति में हमारा सहायक कौन बनता है? स्पष्ट करें। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
‘एक फूल की चाह’ कविता में समाज में फैली किस सामाजिक बुराई का वर्णन किया गया है? समझाइए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 12:
‘हामिद खाँ’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? अपने शब्दों में लगभग 150 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5)
अथवा
“गिल्लू एक संवेदनशील प्राणी है।” कैसे? स्पष्ट कीजिए। उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखिए।
खंड {घ} लेखन [25 अंक]
प्रश्न 13:
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
1. मादक-द्रव्य सेवन का दुष्प्रभाव
संकेत बिंदु
- एक समस्या के रूप में
- मादक-द्रव्य का अर्थ ।
- लक्षण, प्रभाव एवं निदान
2. वृक्षारोपण
संकेत बिंदु
- वृक्षारोपण का अर्थ
- वृक्षारोपण से लाभ
- इससे संबंधित अभियान
3. शिक्षा का उद्देश्य
संकेत बिंदु
- शिक्षा का अर्थ
- जीवन में शिक्षा का महत्त्व
- प्रमुख उद्देश्यों की प्राप्ति
प्रश्न 14:
अपनी छोटी बहन को कुसंगति से बचने व सदाचार के विषय में बताते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आपके विद्यालय में कुछ अतिथि आए थे, जिनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी आपको सौंपी गई थी। अपनी माताजी को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखकर बताइए कि वे अतिथि विद्यालय में क्यों आए थे और आपने उनके लिए क्या-क्या किया?
प्रश्न 15:
दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर 20 से 30 शब्दों में चित्र का वर्णन अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए। (5)
अथवा
प्रश्न 16:
सी.एन.जी. की कमी को लेकर कंडक्टर और ड्राइवर के बीच होने वाले संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
वस्तुओं पर निरंतर बढ़ती महँगाई की चिंता को लेकर दो गृहिणियों के मध्य संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 17:
एक वॉटर प्यूरीफायर कंपनी का विज्ञापन 25 से 50 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
किसी विद्यालय की ओर से विद्यालय में प्रवेश हेतु 25 से 50 शब्दों की एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
जवाब
उत्तर 1:
(क) मोपला किसानों के विद्रोह का मुख्य कारण किसानों का आर्थिक एवं सामाजिक उत्पीड़न था। यह बात तत्कालीन अधिकारियों एवं जमींदारमालदारों के लेखों एवं कथनों से सिद्ध होती है। इस मूल आर्थिक एवं सामाजिक उत्पीड़न संबंधी कारण पर प्रसंगवश धार्मिक रंग चढ़ गया।
(ख) संगठित किसान आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार थीं
- इसका कार्यालय नियमित रूप से काम करता रहता था।
- समय पर सभी समितियाँ गठित होती रहती थीं।
- कागजी घुड़दौड़ भी चालू रहती थी।
(ग) असहयोग आंदोलन से पूर्व होने वाले किसान आंदोलनों के न तो स्थायी सदस्य हुआ करते थे, न ही कार्यालय और न ही कार्यकारिणी समितियाँ थीं। असहयोग आंदोलन के उपरांत किसानों ने किसान आंदोलनों को संगठित रूप प्रदान करना। आरंभ किया, जिसके लिए उन्होंने कार्यालय खोले, कार्यकारिणी समितियाँ बनाई और लोगों को उसकी सदस्यता ग्रहण करवाई।
(घ) शब्द मूल शब्द प्रत्यय
मालदार माल दार
सामाजिक समाज इक
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘किसान-आंदोलन’ हो सकता है।
उत्तर 2:
(क) ‘अपने मन का राजा’ होने से आशय है- स्वतंत्र होना।
अपनी इच्छा के अनुसार चलना या कार्य करना। कवि किसी भी प्रकार के बंधन को स्वीकार नहीं करता, वह अपनी स्वतंत्र चेतना को बनाए रखना चाहता है।
(ख) काव्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि कवि लोगों को अपने-अपने जीवन-पथ, कर्म-पथ पर निर्भीक होकर चलने की सलाह देते हुए किसी भी बाधा से भयभीत न होने के लिए प्रेरित करता है।
(ग) (i) बंधन – मुक्ति , मोक्ष
(ii) रंगीन – रंगहीन
उत्तर 3:
(क) स्वर्गीय स् + व् + अ + + + ई +य् + अ
द्वितीय द् + व् + इ + त् + ई + य् + अ
(ख) अनुस्वार मूलतः अनुनासिक व्यंजन (ङ, ञ, ण, न, म्) का मात्रा रूप है। इसे बोलते समय प्रश्वास वायु नाक से बाहर निकलती है; जैसे-शंका।
दूसरी ओर, अनुनासिक मूलतः स्वर होते हैं। इनका उच्चारण मुख एवं नासिका दोनों से होता है; जैसे- आँख।
उत्तर 4:
(क) मँवार, आँख
(ख) ज़्यादा, सिर्फ
उत्तर 5:
(क) लाइलाज ला (उपसर्ग), इलाज (मूल शब्द)
(ख) मिक्षुक भिक्षु (मूल शब्द), क (प्रत्यय)
मिठास मीठा (मूल शब्द), आस (प्रत्यय)
उत्तर 6:
(क) जब ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’, ‘ऋ’ के बाद भिन्न स्वर आए तो ‘इ’ और ‘ई’ का ‘य’; ‘उ’ और ‘ऊ’ का ‘व’ तथा ‘ऋ’ का ‘र’ हो जाना, यण संधि कहलाता है।
उदाहरणे सु+आगत = स्वागत
अति+आचार = अत्याचार
(ख) (i) दिक् +गज = दिग्गज
(ii) भूष + अन = भूषण
उत्तर 7:
(क) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ राष्ट्रकवि थे।
(ख) अरे! आज तुम यहाँ?
(ग) हाँ, आज मैं वहाँ जाऊँगा।
उत्तर 8:
(क) बाज़ार के लोग बुढिया के इस कार्य को अपराध बता रहे थे कि वह अपने पुत्र की मृत्यु के अगले दिन ही खरबूजे बेचने के लिए बाज़ार में आ गई थी। उन लोगों के अनुसार, बुदिया के घर में अभी सूतक समाप्त नहीं हुआ था और बुदिया को सामाजिक धर्म-ईमान की चिंता नहीं थी। किसी ने उसे बेशर्म कहा, क्योंकि वह दुकान लगाने के लिए एक दिन का भी इंतज़ार न कर सकी और किसी ने तो उसकी नीयत को ही संदेह की दृष्टि से देखा।
(ख) वे लोग जो ईश्वर को या किसी धर्म को नहीं मानते, किंतु वे मानवता से प्रेम करते हैं, अन्य मनुष्यों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तथा दूसरों के सुख-दुःख में उनका ध्यान रखते हैं तथा स्वयं की स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी का अनुचित उपयोग नहीं करते। ऐसे ही नास्तिक व्यक्तियों का आचरण अच्छा है।
(ग) कीचड़ का काव्य पाठ के आधार पर कीचड़ के प्रति किसी को भी सहानुभूति नहीं होती, क्योंकि लोग इसे गंदा मानते हैं तथा इसे छूना पसंद नहीं करते हैं।
उत्तर 9:
लेखिका बचेंद्री पाल सुंदर रंगीन नायलॉन के बने तंबू के कैंप-तीन में गहरी नींद में सोई हुई थी कि रात में लगभग 12:30 बजे उनके सिर के पिछले हिस्से में किसी कठोर चीज़ के टकराने से उनकी नींद खुल गई और तभी एक ज़ोरदार धमाका भी हुआ। उन्होंने महसूस किया कि एक ठंडी एवं भारी चीज़ उनके शरीर पर से उन्हें कुचलती हुई चल रही है, जिससे उन्हें साँस लेने में भी कठिनाई हो रही है। वास्तव में, एक लंबा बर्फ (हिम) का पिंड उनके कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और एक विशाल हिमपुंज बन गया था। उस हिमपुंज ने उनके कैंप को तहस-नहस कर दिया था और प्रत्येक व्यक्ति को चोट पहुँचाई थी।
लोपसांग अपनी स्विस छुरी की सहायता से उनके तंबू का रास्ता साफ़ करने में सफल हो गए थे। बड़े-बड़े हिमपिंडों को कठिनाई से हटाते हुए उन्होंने लेखिको बचेंद्री पाल के चारों ओर जमी कड़ी बर्फ की खुदाई की और उसे बर्फ की कब्र से निकालकर बाहर लाने में सफल रहे। इस प्रकार, लोपसांग ने लेखिका के सामने खड़े मृत्यु के संकट से उसकी रक्षा की।
अथवा
आकाशीय तारों में शुक्र का स्थान विशेष है, जिसे चंद्रमा का साथी भी माना गया है। इसकी आभा-प्रभा का वर्णन अनेक कवियों द्वारा किया गया है। यह आकाश में अधिक समय तक दिखाई नहीं देता। इसकी तीक्ष्ण आभा (तेज चमक) के कारण ही पृथ्वीवासी इसे अधिक देर तक अपनी आँखों से नहीं देख सकते। ठीक इसी प्रकार महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के प्रारंभिक काल में अपनी आभा से देश को जगमगाकर, सबको मुग्ध कर, अपनी अमिट छाप छोड़ हमारे बीच से विदा हो गए। सेवाधर्म का पालन करने वाला कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का उनसे अच्छा उदाहरण और कोई नहीं। वे गांधीजी के सचिव की भूमिका में थे। मित्रों के बीच विनोद में, स्वयं को गांधीजी का हम्माल (बोझ उठाने वाला) कहने में उन्हें बड़ा गर्व होता था। कभी-कभी वे अपना परिचय ‘पी-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे। गांधीजी से जुड़ाव के बाद वे प्रत्येक कदम पर गांधीजी के अनुगामी बने रहे। उन्होंने सेवाधर्म को अपने जीवन का आधार बना लिया। वे अपने विशिष्ट व्यक्तित्व के कारण लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गए, लेकिन अचानक ही उनकी अकाल मृत्यु हो गई। महादेव भाई देसाई आधुनिक भारत की स्वतंत्रता की पवित्र घड़ी को न देख पाए। यह किसी सदमे से कम नहीं है।
उत्तर 10:
(क) आदमी-आदमी में अंतर दर्शाने के लिए कवि ने राजा और रंक, नमाज़ और कुरान पढ़ने वाला तथा जूते चुराने वाला, दूसरों के लिए जान देने वाला और दूसरों की जान लेने वाला, सम्मान करने वाला और अपमान करने वाला, सभ्य और असभ्य, भक्त और धर्मगुरु आदि के उदाहरण दिए हैं।
(ख) कवि हरिवंशराय बच्चन की दृष्टि में ‘अग्नि पथ’ संघर्ष और चुनौतियों से भरा होता है। इस पथ को कवि ने ‘अश्रु’, ‘स्वेद’ और ‘रक्त’ अर्थात् कष्ट एवं भावुकता, श्रम और बलिदान एवं चुनौतियों से युक्त माना है। उनके अनुसार इस पथ पर चलने वाले व्यक्ति को कष्ट सहने, परिश्रम करने और बलिदान हेतु तैयार रहना चाहिए।
(ग) रैदास ने अपने ‘लाल’ अर्थात् प्रभु की विशेषताओं का बखान करते हुए कहा है कि वे दीनदयालु, गरीब निवाजु (गरीबों पर दया करने वाला) समदर्शी हैं।
उत्तर 11:
कवि रहीम अपने दोहे में कहते हैं कि विपत्ति में अपने ही साधन एवं संबंध काम आते हैं, दूसरों के नहीं। कवि का कहना है कि किसी भी संकट की स्थिति में मनुष्य की निजी संपत्ति, उसकी धन-दौलत ही उसकी सहायता करती है। जिस प्रकार, पानी का अभाव होने पर सूर्य कमल की कितनी भी रक्षा करने की कोशिश करे, वह उसे बचा नहीं सकता, मात्र कमल का पानी ही उसे बचा सकता है। ठीक उसी प्रकार, अपनी संपत्ति नहीं रखने वालों को विपत्ति के समय कोई भी बचा नहीं पाता।। इसलिए सभी को विपत्ति काल से निपटने के लिए अपनी संपत्ति अवश्य ही रखनी चाहिए। इसके लिए मितव्ययी होना एवं तार्किक रूप से खर्च करने की प्रवृत्ति को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि वही संपत्ति विपत्ति में उसकी सहायक हो सकती है। मनुष्य को बाहरी सहायता के भरोसे नहीं रहना चाहिए।
अथवा
प्रस्तुत कविता समाज में व्याप्त छुआछूत की सामाजिक बुराई का चित्रण करती है। इसमें बताया गया है कि उच्च जाति तथा कुलीन लोग निम्न जाति के लोगों को अछूत समझकर उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं। उनका शोषण करते हैं। इसलिए इस कविता में सुखिया के पिता का मंदिर में प्रवेश बहुत बड़ा अपराध बन गया है और उसे पीट-पीटकर अधमरा कर दिया जाता है। छुआछूत के कारण ही उसे न्यायालय में सज़ा सुनाई जाती है। हमारे अनुसार ऐसा करना पूर्ण रूप से गलत है, क्योंकि हम सभी को ईश्वर ने एकसमान बनाया है और उसके लिए सभी व्यक्ति एकसमान हैं। ईश्वर के भक्त होने का दावा करने वाले व्यक्ति ही यदि ईश्वर एवं धर्म की सच्ची भावना से भली-भाँति परिचित नहीं हैं, तो वे उसके सच्चे भक्त नहीं, बल्कि ढोंगी हैं। सब प्राणियों को ईश्वर की रचना मानकर सभी को एकसमान रूप से प्रेम करना चाहिए। यही मानवता की
पहचान व मनुष्य का वास्तविक धर्म है। |
उत्तर 12:
‘हामिद खाँ’ कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हिंदू-मुसलमान के बीच भेदभाव करना नासमझी एवं व्यर्थ है। इन दोनों समुदायों के बीच जो अलगाव एवं भ्रम उत्पन्न किए गए हैं, वे वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण एवं अतार्किक हैं। यह कहानी हमें संदेश देती है कि सभी मनुष्यों की भावनाएँ एवं सोच एक जैसी होती हैं, लेकिन कुछ स्वार्थी तत्त्व उन्हें अपने हितों की पूर्ति के लिए विकृत करते हैं तथा इन दोनों समुदायों के लोगों को विभाजित रखते हैं। यह कहानी हमें यह भी संदेश देती है कि इन दोनों समुदायों के बीच के भ्रम शीघ्र ही दूर किए जाने चाहिए और इन समुदायों के लोगों को भी एक-दूसरे को अपनाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। हिंदुओं एवं मुसलमानों के बीच एक-दूसरे के प्रति घृणा की जो भावना है, उसे आपसी मेल-मिलाप से ही दूर किया जा सकता है। कहानी के लेखक की भाँति यदि इन समुदायों के अन्य लोग भी एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें, तो आपसी भाईचारा बनाए रखा जा सकता है।
अथवा
गिल्लू एक संवेदनशील प्राणी है। प्रस्तुत पाठ में गिल्लू ने अपने संवेदनशील होने के अनेक प्रमाण दिए हैं। लेखिका महादेवी वर्मा ने जब अस्वस्थ गिल्लू का उपचार किया, तो स्वस्थ होते ही उसने अपने पंजों से लेखिका की उँगली को पकड़ लिया। एक प्रकार से उसने लेखिका को धन्यवाद दिया। वह धीरे-धीरे महादेवी जी के साथ घुल मिल गया, अपनी क्रीड़ाओं में वह उन्हें शामिल करने की कोशिश करता था। उसने भोजन खाने के लिए थाली के पास बैठना भी सीख लिया। गिल्लू की संवेदनशीलता का गहन परिचय दो मुख्य घटनाओं से मिलता है। एक यह कि जब महादेवी जी बीमार थीं और अस्पताल में रहीं, तब गिल्लू ने अपना प्रिय भोजन काजू भी खाना छोड़ दिया। दूसरी यह कि जब महादेवी जी अस्पताल से घर लौटीं तो गिल्लू उनके सिरहाने वैठा रहता। वह एक कुशल परिचारिका की भाँति अपने नन्हें-नन्हें पंजों से महादेवी का सिर और बाल सहलाता रहता था। इस प्रकार, इन घटनाओं से स्पष्ट हो जाता है कि गिल्लू एक संवेदनशील प्राणी है।
उत्तर 13.1:
(उत्तर) आधुनिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक उन्नति के समानांतर हम
जिन समस्याओं से ग्रस्त हैं, उनमें मादक द्रव्य का सेवन एक अत्यंत गंभीर समस्या है। इस समस्या से कोई भी राष्ट्र अछूता नहीं है। सबसे बड़ी कठिनाई और चिंता की बात तो यह है कि इस व्यसन के शिकार शिक्षित और संपन्न लोग भी हो रहे हैं। सामान्यतः मादक द्रव्यों के घेरे में हेरोइन, मारफ़ीन, कोकीन, गाँजा, (हशीश) आदि द्रव्यों के प्रयोग सम्मिलित हैं, लेकिन विज्ञान उन सभी चीज़ों को मादक द्रव्य के अंतर्गत स्वीकार करता है, जो उत्तेजक द्रव्य या औषधि के रूप में हों। अंग्रेज़ी में इसे ‘ड्रग्स’ कहा जाता है, लेकिन मादक द्रव्य सेवन की समस्या का संबंध इस शब्द के वैज्ञानिक अर्थ से नहीं है। इस सामाजिक विकृति के परिणामस्वरूप इससे ग्रस्त व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर असामान्य हो जाता है। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में क्रमशः गिरावट आना, चिड़चिड़ापन, अवसाद, अकेलापन, झूठ बोलना, चोरी करना
आदि इसके लक्षण या प्रभाव हैं। कठोर कानून, व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं जन-जागरूकता के आधार पर इसके प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है।
उत्तर 13.2:
‘वृक्षारोपण’ का सामान्य अर्थ है-‘वृक्ष लगाना’, परंतु यदि
इसके अर्थ को विस्तृत एवं व्यापक संदर्भ में देखें तो इसका अर्थ है, मनुष्य एवं प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखना। वृक्ष लगाना एक सामान्य कार्य है, लेकिन इसके लाभ अत्यंत विशिष्ट एवं व्यापक हैं। वृक्ष हमारे वातावरण का तापमान नियंत्रित करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, ओज़ोन मंडल को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं तथा समय पर वर्षा करवाने में भी अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं। अनेक वृक्ष औषधियों का भंडार होते हैं। ये हमें फल-फूल और इमारत बनाने के लिए लकड़ी प्रदान करते हैं। वृक्ष की सूखी लकड़ियाँ ईंधन के रूप में हमारे काम आती हैं। वृक्षों के सूखे पत्तों से खाद भी बनाई जाती है तथा वृक्ष मिट्टी के कटाव को रोकते हैं। वैज्ञानिक विकास और उपभोक्तावाद की मानसिकता के कारण वनों को बहुत हानि हुई है। इस हानि की पूर्ति और सुखी जीवन हेतु ‘वृक्षारोपण’ एक अभियान बनकर सामने आया है।
इसका उद्देश्य अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाना तथा पेड़ों की कटाई बंद या कम करना है, क्योंकि वृक्ष गुणों की खान हैं और ये धरती पर जीवन की रक्षा करने में सक्षम हैं। अतः हमें भी वृक्ष लगाकर वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाना चाहिए।
उत्तर 13.3:
शिक्षा का संकुचित अर्थ विद्यालय से प्राप्त होने वाली शिक्षा है, लेकिन व्यापक दृष्टिकोण में देखें, तो सीखने योग्य प्रत्येक बात शिक्षा कहलाती है। इस दृष्टिकोण से यदि हम विचार करें, तो शारीरिक, मानसिक, नैतिक, व्यक्तिगत, सामाजिक एवं सामूहिक विकास के लिए उपयोगी एवं आदर्श बातें शिक्षा हैं। शिक्षा ही वह पक्ष है, जो मनुष्य को अन्य जीवों से श्रेष्ठ और विशेष स्थान प्रदान करती है। शिक्षा के बिना व्यक्ति का संपूर्ण और सर्वांगीण विकास संभव नहीं है।
यही कारण है कि प्राचीनकाल से ही शिक्षा मनुष्य को सुसभ्य और सुसंस्कृत बनाने में अपना योगदान देती आ रही है। जहाँ तक शिक्षा के उद्देश्यों की बात है, इसका अंतिम उद्देश्य केवल सूचना देना और विद्यार्थी को परीक्षाएँ पास कराना नहीं है। वास्तव में, शिक्षा हमारे मन के विचारों को शुद्ध करती है और हमें उदार बनाती है। शिक्षा का संबंध हमारे नैतिक विकास और सामाजिक चेतना के विकास से भी जुड़ा हुआ है। अतः इन व्यापक उद्देश्यों के साथ सामंजस्य बिठाकर अपने सम्यक एवं संतुलित व्यक्तित्व का विकास करने के लिए शिक्षा अपरिहार्य है।
उत्तर 14:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 22 सितंबर, 20XX
प्रिय अनुजा, सप्रेम। कल ही माताजी का पत्र मिला। उसे पढ़कर यह पता चला कि तुम्हारा मन आजकल पढाई में न लगकर अन्य लड़कियों के साथ फैशन व शॉपिंग में ही लगता है। यही कारण है कि प्रथम
सत्र की परीक्षा में तुम अच्छे अंक से उत्तीर्ण भी नहीं हो पाई हो। छोटी! ऐसे लोगों की संगति जीवन को कभी सही दिशा नहीं दे पाती है और सारा जीवन बर्बाद हो जाता है। इससे तुम्हारे भविष्य पर अँधेरा छा सकता है, जिससे तुम्हारे सपने कभी पूरे नहीं हो पाएँगे। बहन, तुम तो जानती हो कि कुसंगति में पड़कर कोई भी महान् नहीं बन सकता।
आशा है, तुम पढ़ाई में अपना मन लगाओगी और पुनः किसी को भी शिकायत का अवसर नहीं दोगी, क्योंकि फैशने और शॉपिंग के लिए सारा जीवन पड़ा है। यदि पढ़ाई का यह वक्त हाथ से निकल गया, तो फिर लौटकर कभी नहीं आएगा और तब तुम्हें पछतावा करने से भी कुछ प्राप्त नहीं होगा।
माँ को प्रणाम कहना|
तुम्हारा अग्रज
क, ख, ग,
अथवा
छात्रावास
दून पब्लिक स्कूल, मेरठ
दिनांक 13.03.20XX
पूजनीय माताजी,
चरण-स्पर्श।।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और कामना करता हूँ कि आप भी सपरिवार कुशलपूर्वक होंगी। माँ! आज मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। मुझे विद्यालय में हुए समारोह में सबके सामने प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया, जिसका वर्णन निम्न प्रकार है।
हमारे विद्यालय में जिला स्तर पर संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें बाहर से बड़े-बड़े अधिकारी, प्रतियोगी व अध्यापक हमारे विद्यालय में आए हुए थे। प्रतियोगिता दो दिवसीय थी। इन दो दिनों के दौरान प्रधानाचार्य जी ने सभी अतिथिगण व प्रतियोगियों के खाने-पीने तथा आतिथ्य करने का दायित्व मुझे सौंप दिया। मैंने पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से इस दायित्व को निभाने का प्रयास किया। दो दिन के बाद प्रतियोगिता का समापन हुआ तो विदाई समारोह में शीर्ष अधिकारी ने मेरे प्रबंधन व व्यवहार के लिए मेरी बहुत सराहना की। अंत में पारितोषिक वितरण समारोह के दौरान मुझे भी मुख्य अतिथि द्वारा प्रशस्ति-पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। मैं अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा था। शेष सब बाद में। पिताजी को मेरा प्रणाम कहना व बहन को प्यार।
आपका पुत्र
क, ख, ग,
उत्तर 15:
(i) दिए गए चित्र में एक किसान अपने दो बैलों के द्वारा कुएँ से पानी निकाल रहा है।
(ii) कुएँ के पास दो बड़े-बड़े वृक्ष दिखाई दे रहे हैं।
(iii) खेत में फसल उगी हुई है।
(iv) दो ग्रामीण महिलाएँ पानी ले जा रही हैं।
(v) चित्र में एक तालाब भी दिखाई दे रहा है।
अथवा
(i) प्रस्तुत चित्र में एक विद्यार्थी तथा विद्यालय को दिखाया गया है।
(ii) वह विद्यार्थी सात-आठ वर्ष की आयु का लग रहा है। उसकी पीठ पर पुस्तकों से भरा बैग है।
(iii) अपनी पीठ पर उठाए हुए भारी स्कूल बैग के कारण वह परेशान हो रहा है।
(iv) उसके बाल अस्त-व्यस्त हैं तथा मुँह पर पसीना आ गया है।
(v) विद्यालय से बाहर आते ही तेज धूप, गर्मी तथा भारी स्कूल बैग के कारण विद्यार्थी की स्थिति बिगड़ गई है।
उत्तर 16:
ड्राइवर मित्र, कल रात से लाइन में लगे हुए हैं। दोपहर होने को आई, लेकिन अभी तक सी.एन.जी. नहीं मिली।
कंडक्टर सरकार ने क्या सोचकर सी. एन. जी. को अनिवार्य किया?
ड्राइवर सरकार ने यह कार्य तो ठीक ही किया है। देखते नहीं, प्रदूषण कितना कम हो गया है।
कंडक्टर सही कहा तुमने, साथ ही सी.एन.जी. के लिए लगने वाली लंबी लाइन भी एक समस्या है।
ड्राइवर सरकार को चाहिए कि सी. एन. जी. स्टेशनों की संख्या बढ़ाए।
कंडक्टर सी. एन. जी. का उत्पादन भी बढ़ाना होगा। आशा है, शीघ्र ही यह समस्या समाप्त हो जाएगी।
अथवा
शीला अरे! मीना, कैसी हो?
मीना मैं ठीक हूँ शीला, तुम बताओ कैसी हो, आज यहाँ कैसे आना हुआ?
शीला मैं भी ठीक हूँ। मुझे बाज़ार से कुछ सामान लेना था, तो सोचा तुम्हें भी साथ ले चलँ।।
मीना तुम तो जानती हो कि महँगाई कितनी बढ़ गई है। इस महँगाई के कारण मेरा तो बाजार जाने का मन नहीं करता।
शीला हाँ बहन! पर क्या करें आवश्यक वस्तुएँ तो खरीदनी ही पड़ती हैं।
मीना आजकल सभी वस्तुओं के दाम इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि कुछ भी खरीदने से पहले कई बार सोचना पड़ता है।
शीला हाँ, तुम सही कह रही हो। इस महँगाई ने तो साधारण आदमी की कमर तोड़कर रख दी है।
मीना आए दिन घोटाले होते रहते हैं तभी तो महँगाई इतनी बढ़ती है।।
शीला तुम ठीक कहती हो। शायद सरकार ने इस दिशा में सोचना ही बंद कर दिया है।
मीना बहन! सरकार को इस महँगाई को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। तभी इस देश का विकास हो सकेगा।
उत्तर 17:
अथवा
We hope the CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 1 help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 1, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.