CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi B |
Sample Paper Set | Paper 2 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B is given below with free PDF download solutions.
समय :3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं-क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [15 अंक]
प्रश्न 1:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (9)
एक समय था, जब मनुष्य जंगलों में आदिमानव के रूप में भटकता था, प्रकृति को दास था। प्राकृतिक आपदाओं से भयभीत था। पर्वतों के ऊँचे शिखर उसे डराते थे। नदियों का प्रवाह उसके साहस को चुनौती देता था, सागर की लहरें उसके मन को भयभीत करती थीं, परंतु कहते हैं न, आवश्यकता आविष्कार की जननी है। अत: इसी आवश्यकता के कारण मनुष्य ने अपने अंदर के साहस को बटोरा। अपनी शक्ति का संग्रह कर प्रकृति से लोहा लेने लगा। उसने अंतरिक्ष की टोह (खोज) ली। नक्षत्रों और तारों की दुनिया जानी। उसने पृथ्वी की कोख से खनिज पदार्थ ढूंढे। उसने आग का, पहिए का आविष्कार कर सबको न केवल अचंभे में डाल दिया, बल्कि उसके दम पर क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिखाया। क्या मनोरंजन, क्या शिक्षा और क्या चिकित्सा क्षेत्र! कुछ भी विज्ञान से अछूता न रहा। दूरदर्शन, सिनेमा आदि ने मनुष्य के ज्ञान एवं शिक्षा का प्रसार एवं प्रचार किया। विभिन्न तकनीकों से आज उसने मौसम पर भी नियंत्रण कर लिया है। कृषि आदि कार्यों के लिए प्रकृति के मोहताज रहे मनुष्य ने आज सर्दी में गर्मी का और गर्मी में सर्दी का आनंद देने वाले कूलर, पंखे, फ्रिज, एयरकंडीशनर तक तैयार कर लिए। आज बारह महीने मौसमी फलों एवं सब्ज़ियों का आनंद उठाया जा सकता है। घर बैठे पूरी दुनिया के मौसम का हाल जाना जा सकता है। विज्ञान के बल पर अनेक प्रकार की भविष्यवाणियाँ की जा सकती हैं।
(क) प्राचीन समय में मनुष्य को प्रकृति का दास क्यों समझा जाता था? (2)
(ख) वैज्ञानिक आविष्कारों से मनुष्य के जीवन में क्या परिवर्तन आए हैं? (2)
(ग) “आवश्यकता आविष्कार की जननी है।” प्रस्तुत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
(घ) निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए (2)
(i) संग्रह (ii) दास
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक बताइए। (1)
प्रश्न 2:
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (6)
मिट्टी तन है मिट्टी मन है, मिट्टी दाना-पानी है।
मिट्टी ही तन बदने हमारा, सो सब ठीक कहानी है।
पर जो उल्टा समझ इसे ही बने आप ही ज्ञानी है।
मिट्टी करता है जीवन को और बड़ा अज्ञानी है।
समझ सदा अपना तन मिट्टी, मिट्टी में जो रमाता है।
मिट्टी करके सर बस अपना, मिट्टी में मिल जाता है।
जगत है सच्चा, तनिक न कच्चा, समझो बच्चों इसका भेद |
खाओ पीओ कर्म करो नित, कभी न लाओ मन में खेद।
रचा उसी का है यह जग तो, निश्चय उसको प्यारा है।
इसमें दोष लगाना अपने लिए दोष का द्वारा है।
ध्यान लगाकर जो देखो, तुम सृष्टि की सुधराई को
बात-बात में पाओगे तुम उस सृष्टा की चतुराई को
चलोगे सच्चे दिल जो तुम निर्मल नियमों के अनुसार
तो अवश्य प्यारे जानोगे, सारा जगत सच्चाई सार।
(क) कवि ने मिट्टी की महिमा का बखान करते हुए क्या कहा है? (2)
(ख) कैसे लोग अपने तन-मन को मिट्टी में मिला देते हैं और कैसे? (2)
(ग) प्रस्तुत काव्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। (2)
खंड {ख} व्याकरण [15 अंक]
प्रश्न 3:
(क) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए (2)
(i) आह्लाद
(ii) भिज्ञ
प्रश्न 4:
(क) निम्नलिखित शब्दों में अनुस्वार का प्रयोग कीजिए (1)
(i) समक्षक (ii) चञ्चल
(ख) निम्नलिखित शब्दों में अनुनासिक का प्रयोग कीजिए (1)
(i) आसू (ii) गाव
(ग) निम्नलिखित शब्दों में से सही नुक्ता वाले शब्द समूह चुनकर लिखिए (1)
(i) खुद्, ज्यादा
(ii) खुद्, अफसर
(iii) ज्यादा, अफ़सर
(iv) ज़्यादा, अफ़सर
प्रश्न 5:
(क) ‘दुर्भाग्य’ शब्द में से उपसर्ग व मूल शब्द को अलग-अलग करके लिखिए। (1)
(ख) ‘साहित्यिक’ शब्द में से मूल शब्द व प्रयुक्त प्रत्यय को अलग-अलग करके लिखिए। (1)
(ग) प्रत्यय से क्या अभिप्राय है? (1)
प्रश्न 6:
(क) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए (2)
(i) निः + पाप (ii) कृत् + अंत
(ख) निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए (2)
(i) प्रत्युपकार (ii) भगवद्भक्ति ।
प्रश्न 7:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3)
(क) गांधीजी ने कहा, “मैं स्वराज्य लिए बिना नहीं लौटुंगा।”
प्रस्तुत वाक्य में कौन-सा विराम-चिह्न प्रयुक्त हुआ है?
(ख) निर्देशक चिह्न का प्रयोग करते हुए एक उदाहरण लिखिए।
(ग) हंस पद चिह्न का प्रयोग कहाँ किया जाता है?
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [25 अंक]
प्रश्न 8:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘दु:ख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए कि हमारी पोशाक कब हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है? (2)
(ख) लेखक को क्या आशंका थी और वह कब निर्मूल (निराधार) नहीं लगी? ‘तुम कब जाओगे, अतिथि पाठ के आधार पर बताइए। (2)
(ग) ज़मीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं? ‘कीचड़ का काव्य पाठ के आधार पर लिखिए। (1)
प्रश्न 9:
लेखिका को देखकर ‘की’ अचंभित क्यों रह गया? पाठ ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ के आधार पर स्पष्ट करते हुए लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5)
अथवा
महादेव भाई किस प्रकार की पुस्तक पढ़ते थे तथा उनकी लेखन शैली कैसी थी? ‘शुक्रतारे के समान पाठ के आधार पर लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए।
प्रश्न 10:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) चंदन के संपर्क में रहने से क्या प्रभाव पड़ता है? रैदास के पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
(ख) एक फूल की चाह कविता के अनुसार, अछूत होने का आरोप किस पर लगाया गया तथा उसे क्या दंड दिया गया? (2)
(ग) ‘अग्नि पथ’ कविता में कवि का जीवन के प्रति कैसा दृष्टिकोण झलकता है? (1)
प्रश्न 11:
मनुष्य को अपना मान-सम्मान बनाए रखने की प्रेरणा कवि रहीम कैसे देते हैं? स्पष्ट कीजिए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
‘आदमीनामा’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 12:
लेखक किस घटना से भीतर तक काँप उठा तथा साँप ने अपनी शक्ति का प्रमाण किस प्रकार दिया? ‘स्मृति पाठ के आधार पर लगभग 150 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5)
अथवा
‘गिल्लू को लेखिका का साथ बहुत पसंद था।’ इस कथन को प्रमाण सहित स्पष्ट कीजिए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
खंड {घ} लेखन [25 अंक]
प्रश्न 13:
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
1. जनसंख्या वृद्धि
संकेत बिंदु
- एक भयावह समस्या
- जनसंख्या वृद्धि के कारण
- इसके दुष्परिणाम एवं समाधान
2. जीवन में त्योहारों का महत्त्व
संकेत बिंदु
- त्योहारों की आवश्यकता
- त्योहारों के प्रकार एवं उसके लाभ
- एकता और बंधुत्व का वाहक
3. संचार क्रांति
संकेत बिंदु
- संचार क्रांति का अर्थ
- संचार क्रांति के प्रकार
- वैज्ञानिक उपलब्धि
प्रश्न 14:
अपने विद्यालय में आए नए शिक्षक की विशेषताओं के बारे में बताते हुए अपने मित्र को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आपके बड़े भाई ने आपको किसी शर्त पर एक खास भेट देने की बात कही थी। आप वह शर्त जीत गए हैं, उन्हें नम्रतापूर्वक शर्त की याद दिलाते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
प्रश्न 15:
दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर 20 से 30 शब्दों में चित्र का वर्णन अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए। (5)
अथवा
प्रश्न 16:
दूरदर्शन के कार्यक्रमों के विषय में पिता और पुत्री के बीच संवाद लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए। (5)
अथवा
महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध के संबंध में दो स्त्रियों के संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 17:
एक टूर एंड ट्रैवलर्स कंपनी की ओर से लोगों को कम पैसों में अमरनाथ यात्रा कराने से संबंधित एक विज्ञापन 25 से 50 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
किसी कोचिंग संस्थान का विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
जवाब
उत्तर 1:
(क) गद्यांश के अनुसार, प्राचीन समय में मनुष्य को प्रकृति का दास इसलिए समझा जाता था, क्योंकि वह प्राकृतिक शक्तियों के नियंत्रण में रहता था। प्राकृतिक शक्तियों के विरुद्ध जाने की क्षमता उसके पास नहीं थी। इसी कारण वह प्राकृतिक आपदाओं से भयभीत रहता था।
(ख) अंतरिक्ष, मनोरंजन, शिक्षा, चिकित्सा, कृषि व मौसम इत्यादि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो विज्ञान के आविष्कारों से अछूता हो। इन वैज्ञानिक आविष्कारों के माध्यम से आज मनुष्य ने अपनी जीवन-शैली को अत्यंत सरल बना दिया है।
(ग) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि मनुष्य ने सदैव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नए-नए आविष्कार किए हैं। और उसकी आवश्यकताएँ ही उसके आविष्कारों का मूल आधार रही हैं। आग, पहिए, सिनेमा, चिकित्सा, मौसम विज्ञान इत्यादि से संबंधित आविष्कार उसकी आवश्यकताओं के ही परिणाम हैं।
(घ) शब्द विपरीतार्थक
(i) संग्रह विग्रह
(ii) दास स्वामी
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक ‘विज्ञान का मानव जीवन में महत्त्व’ हो सकता है।
उत्तर 2:
(क) कवि ने मिट्टी की महिमा का बखान करते हुए कहा है कि हमारा तन, मन समस्त भौतिक जीवन एवं साधन मिट्टी से ही निर्मित हुए हैं और अंततः उसी में विलीन हो जाएँगे।
(ख) जो व्यक्ति मिट्टी की महिमा को न समझते हुए स्वयं को अधिक बुद्धिमान, ज्ञानी दिखाने की कोशिश करता है, वास्तव में वह बहुत बड़ा अज्ञानी होता है और अपने को मिट्टी में मिला देता है अर्थात् नष्ट कर देता है।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में मिट्टी की महिमा का बखान किया गया है। अतः इसका सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक ‘मिट्टी की महिमा’ होना चाहिए।
उत्तर 3:
(क) (i) आ + ह् + ल् + आ + ६ + अ
(ii) भ् + इ + ज् + ञ् + अ
उत्तर 4:
(क) (i) संरक्षक (ii) चंचल
(ख) (i) आँसू (ii) गाँव
(ग) (i) ज़्यादा, अफ़सर
उत्तर 5:
(क) उपसर्ग दुर् मूल शब्द भाग्य
(ख) मूल शब्द साहित्य प्रत्यय इक
(ग) वे शब्दांश जो शब्दों के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे-गुण (मूल शब्द) + कारी (प्रत्यय) = गुणकारी
उत्तर 6:
(क) (i) निष्पाप
(ii) कृदंत
(ख) (i) प्रत्युपकार = प्रति + उपकार
(ii) भगवद्भक्ति = भगवत् + भक्ति
उत्तर 7:
(क) गाँधीजी ने कहा, “मैं स्वराज्य लिए बिना नहीं लौहूँगा।” इस वाक्य में उद्धरण चिह्न का प्रयोग हुआ है। यहाँ गाँधीजी की कही गई बातों को उसी रूप में कहने के कारण उद्धरण चिह्न का प्रयोग हुआ है।
(ख) किसी वाक्य, वाक्यांश या पद की ओर ध्यान दिलाने के लिए विशेष अर्थ सूचित करने के लिए, किसी की उक्ति प्रकट करने के लिए अथवा नाटक में किसी पात्र का कथन प्रकट करने के लिए निर्देशक चिह्न का प्रयोग होता है. जैसे सरकार के तीन अंग इस प्रकार हैं कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा व्यवस्थापिका।
(ग) जब लिखते समय कोई शब्द छूट जाता है, तब हंस (λ) पदचिह्न का प्रयोग होता है।
उत्तर 8:
(क) जब हम किसी निम्न श्रेणी के व्यक्ति के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त करना चाहते हैं, उसके दुःख से आहत होकर हम अपनी संवेदना अभिव्यक्त करना चाहते हैं, उनकी व्यथा पर अपनी भावनाओं का मरहम लगाना चाहते हैं, तब हमारे द्वारा धारण की गई उच्चवर्गीय पोशाक हमें हमारा कर्तव्य करने से रोकती है और संवेदनशीलता के मार्ग में अड़चन उत्पन्न करती है। हमारी भावनाओं का प्रवाह पोशाक में ही उफ़न कर रह जाता है। ऐसे समय में पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है।
(ख) दो दिन तक लेखक द्वारा अच्छी प्रकार आदर-सत्कार किए जाने के पश्चात् भी अतिथि अपने जाने की अपेक्षा लेखक को धोबी को कपड़े देने के लिए कहने लगा, तो लेखक को यह आशंका हुई कि शायद अतिथि अभी नहीं जा रहा है। चौथे दिन भी जब अतिथि नहीं गया, तो लेखक को अपनी आशंका निर्मूल (निराधार) नहीं लगी।
(ग) कीचड़ के सूखने अर्थात् ज़मीन ठोस होने पर अनेक पशु उस पर आकर चहलकदमी तथा उछल-कूद करते हैं, जिससे उनके पदचिह्न उस पर अंकित हो जाते हैं।
उत्तर 9:
‘की’ लेखिका को देखकर अचंभित रह गया था, क्योंकि यहाँ दोपहर बाद बाहर बर्फीली हवाएँ चल रही थीं। ऐसे में तंबू से बाहर निकलना मुसीबतों और अपनी मृत्यु को दावत देना था, परंतु लेखिका अपने दल के दूसरे सदस्यों की सहायता करना चाहती थी, इसलिए उसने एक थरमस को जूस से और दूसरी को गरम चाय से भरने का निश्चय किया और बर्फीली हवा में ही तंबू से बाहर निकल पड़ी। कैंप क्षेत्र से बाहर आने पर लेखिका को मीन मिला तथा जय जेनेवा स्पर की चोटी के नीचे मिला। उसने लेखिका को ऐसे भयंकर मौसम में बाहर जाने से रोकने का प्रयास किया, परंतु लेखिका नहीं मानी। उसे तो ‘की’ से भी मिलना था, थोड़ा और नीचे उतरने पर उसे ‘की’ मिला। ऐसे मौसम में भी लेखिका ने दूसरों की सहायता के लिए अपनी जान का जोखिम उठाया एवं इतने दुर्गम रास्तों को पार कर यहाँ दोबारा आ पहुँची
थी।
अथवा
महादेव भाई साहित्यिक पुस्तकों की भाँति ही राजनीतिक विचारों और परिघटनाओं से संबंधित जानकारी देने वाली पुस्तकें भी पढ़ते रहते थे। भारत से संबंधित देश-विदेश की समकालीन राजनीतिक गतिविधियों और चर्चाओं की नई-से-नई जानकारी उनके पास मिल जाती थी। वे नए-नए समाचार-पत्र, मासिक पत्र तथा पुस्तकें पढ़ते रहते तथा ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ के लिए लेख लिखते रहते। महादेव भाई अपनी विशिष्ट शैली में इतनी शुद्ध और सटीक टिप्पणी करते थे कि लोग उनकी टिप्पणियों से अपने लेखन में सुधार किया करते थे। प्रथम श्रेणी की शिष्ट संस्कार संपन्न भाषा और मनोहारी लेखन शैली संबंधी ईश्वरीय देन महादेव जी को प्राप्त थी। यद्यपि गांधीजी के पास पहुँचने के बाद घमासान लड़ाइयों, आंदोलनों और समाचार-पत्रों की चर्चाओं की भीड़ और प्रसंगों के बीच साहित्यिक गतिविधियों के लिए उन्हें कभी समय न मिला। फिर भी गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद उन्होंने किया, जो ‘नवजीवन’ में प्रकाशित होने वाले मूल गुजराती की भाँति प्रत्येक सप्ताह ‘यंग इंडिया’ में छपता रहा।
उत्तर 10:
(क) चंदन के संपर्क में रहने से जिस प्रकार पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, ठीक उसी प्रकार कवि के हृदय में भी प्रभु के प्रेम की सुगंध व्याप्त हो गई है। कवि ने स्पष्ट किया है कि मुझमें और प्रभु में वही संबंध स्थापित हो चुका है, जो संबंध चंदन और पानी में है।
(ख) ‘एक फूल की चाह’ कविता में सुखिया के पिता पर अछूत होने के पश्चात् भी मंदिर में प्रवेश करने का आरोप लगाया गया। भगवान के तथाकथित ढोंगी भक्तों ने कहा कि सुखिया के पिता ने मंदिर की चिरकालिक पवित्रता नष्ट कर दी है। उसने देवी माँ को अपमानित किया है। सुखिया के पिता पर लगाए गए इन आरोपों के आधार पर ही न्यायालय ने उसे सात दिनों की कैद में रहने की सज़ा सुनाई।।
(ग) ‘अग्नि पथ’ कविता में कवि का जीवन के प्रति दृष्टिकोण प्रगतिशील है। वह संघर्ष करो और आगे बढ़ो में विश्वास करता है।
उत्तर 11:
कवि रहीम अपने दोहे में कहते हैं कि पानी का अत्यधिक महत्त्व है। यदि पानी समाप्त हो गया हो, तो न तो मोती अमूल्य रह जाता है और न ही मनुष्य महत्त्वपूर्ण रह पाता है, जिस प्रकार मोती की महत्ता उसके पानी अर्थात् उसकी कांति (चमक) से है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य की महत्ता उसके पानी अर्थात् उसके स्वयं के मान-सम्मान बनाए रखने से है। यदि मनुष्य ने अपना मान-सम्मान खो दिया, तो वह बिना पानी का हो जाता है, उसकी महत्ता समाप्त हो जाती है। कवि रहीम का कहना है कि चमक के बिना मोती बेकार है, मान-सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है और जल के बिना चुना या आटा महत्त्वहीन है, क्योंकि इन सबकी उपयोगिता इनमें निहित पानी के कारण ही होती है। पानी के बिना सब सूना है, सब व्यर्थ है। पानी ही इनमें जीवन शक्ति प्रदान करता है और पानी से वंचित हो जाने पर ये चीजें व्यर्थ हो जाती हैं तथा किसी काम की नहीं रहतीं।
अथवा
‘आदमीनामा’ कविता में कवि ने आदमी को ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना बताते हुए, उसकी स्वभावगत विशेषताओं को दर्शाया है। कवि ने आदमी के अच्छे-बुरे व्यवहार से भी परिचित कराया है। ‘आदमीनामा’ कविता में आदमी के विविध स्वभावों एवं गुणों की चर्चा की गई है। कोई राजा होता है, तो कोई रंक। कोई हमेशा स्वादिष्ट भोजन करता है, तो कोई पूरा जीवन रूखी-सूखी खाकर ही व्यतीत कर लेता है। कोई मस्जिद में कुरान पढ़ता है। और नमाज अदा करता है, तो कोई मस्जिद में आए लोगों की जूतियाँ ही चुरा लेता है। कोई आदमी किसी की पुकार सुनकर उसे बचाने के लिए अपनी जान तक दे देता है, तो कोई आदमी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरों की जान ही ले लेता है। वह रक्षक भी है और भक्षक भी। वह पालक भी है और संहारक भी। वस्तुतः कवि आदमी में छिपी अनेक संभावनाओं को स्पष्ट करते हुए यह बताना चाहता है कि भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के कारण आदमी को भिन्न-भिन्न स्वरूपों में जीवन जीना पड़ता है।
उत्तर 12:
लेखक जब चिट्ठियाँ निकालने कुएँ में उतरा, तब उसका सामना अत्यंत खतरनाक ज़हरीले साँप से हुआ। साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को पाने के प्रयास में जब लेखक ने डंडे को साँप के दाएँ पड़ी चिट्ठी की ओर बढाया, तो साँप का फन पीछे की ओर हुआ। लेखक बताता है कि उस समय ऐसा लगा जैसे फुसकार के साथ कोई काली बिजली कड़ककर डंडे पर गिरी हो। लेखक इस घटना से भीतर तक काँप गया। उसके हाथों से डंडा छूट गया और अचानक उछलने के बाद जब वह पुनः स्थिर हुआ, तब उसने देखा कि डंडे के सिरे पर तीन-चार जगहों पर पीव जैसी विष की बूंदें लगी हुई थीं। लेखक ने इसी कारण ऐसा कहा है कि डंडे पर विष उगलकर साँप ने जैसे अपनी शक्ति का प्रमाण दे दिया था। इससे यह भी पता चलता है कि जीव-जंतु भी अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अपनी ओर से अंत समय तक भरपूर प्रयास करते हैं। वे हार मानने या समर्पण करने के लिए तुरंत तैयार नहीं होते। अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संघर्षरत मनुष्यों को लेखक और साँप दोनों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
अथवा
गिल्लू वास्तव में एक अत्यधिक संवेदनशील प्राणी था और उसे लेखिका महादेवी वर्मा से गहरा लगाव था। पाठ के अंतर्गत इसके अनेक प्रमाण विद्यमान हैं।
- जब भी लेखिका महादेवी वर्मा अपना कमरा खोलकर अंदर आती थीं, तो गिल्लू उनके शरीर पर ऊपर से नीचे दौड़ने लगता था, लेकिन यदि कोई अन्य व्यक्ति अंदर आता, तो वह ऐसा नहीं करता था।
- गर्मियों के दिनों में वह लेखिका के पास रहने के लालच में उनके पास रखी सुराही के साथ चिपका रहता था।
- गिल्लू ने लेखिका के अस्वस्थ रहने के दौरान उपचार में अपनी ओर से एक परिचारिका की भाँति यथासंभव भूमिका निभाई।
- लेखिका के अस्वस्थ होने पर अस्पताल में रहने के दौरान गिल्लू ने अपना मनपसंद भोजन काजू तक खाना कम कर दिया।
- अपने अंतिम समय में गिल्लू ने लेखिका की उँगली पकड़ ली।
उत्तर 13.1:
जनसंख्या वृद्धि
जनसंख्या का अनियंत्रित रूप से बढ़ना ही जनसंख्या वृद्धि है। नियंत्रित जनसंख्या संसाधन है, परंतु अनियंत्रित जनसंख्या एक बड़ी समस्या है। समस्या भी ऐसी जो सुरसा की भाँति मुँह खोले खड़ी हो। तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। सबसे पहला कारण है-अशिक्षा, जबकि दूसरा है-अंधविश्वास। अशिक्षित लोग बच्चों को भगवान की देन मानकर परिवार नियोजन नहीं अपनाते या उसे धर्म विरुद्ध मानते हैं। उनकी यही मानसिकता राष्ट्र और समाज के विकास में बाधक बनती है। पारिवारिक कलह, कुपोषण, बेरोज़गारी, अशिक्षा, गरीबी, भटकाव आदि इसी समस्या के भयानक कुपरिणाम हैं।
जनसंख्या वृद्धि से समाज की समग्र प्रगति बाधित होती है। यह सीमित संसाधनों पर एक भार के समान है, जिससे संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है तथा विकास के परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं पड़ते। इसी का परिणाम है कि गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसी समस्याएँ बनी रहती हैं। लोग समुचित स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ नहीं। उठा पाते। जनसंख्या वृद्धि समाज को एक अवसादग्रस्त स्थिति में लाकर खड़ा कर देती है। वास्तव में, जनसंख्या वृद्धि हमारा सुख-चैन छीन रही है। इसके समाधान हेतु जनजागरण, शिक्षा और परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार आवश्यक है, तभी देश का विकास संभव है।
उत्तर 13.2:
जीवन में त्योहारों का महत्त्व
मनुष्य के जीवन की एकरसता को तोड़कर खुशियों का पिटारा लेकर आने का कार्य त्योहार ही करते हैं। त्योहारों की आवश्यकता हमें स्वयं को प्रकृति, संस्कृति और समाज से जोड़ने के लिए भी महसूस होती है। भारतवर्ष जैसे देश में तो बार-के-बारह महीने पर्व-त्योहारों का वातावरण बना रहता है। वास्तव में देखें, तो पर्व । उल्लास एवं उमंग के प्रतीक हैं। पर्व मुख्यतः दो प्रकार के होते हैंराष्ट्रीय और धार्मिक स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती आदि राष्ट्रीय पर्व हैं, तो होली, दीपावली, ईद, क्रिसमस आदि धार्मिक पर्व हैं। इन पर्वो के माध्यम से हम अपनी विभिन्न प्रकार की भावनाओं को प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक पर्व-त्योहार अपने साथ किसी-न- किसी प्रकार का संदेश लेकर आता है। जैसे-‘दीपावली’ अंधकार पर प्रकाश की विजय के पर्व के रूप में मनाई जाती है, तो होली, ईद आदि भाईचारे का संदेश देती हैं। ‘दशहरा’ अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व है। ये पर्व-त्योहार आपसी कटुता को मिटाकर हमें प्रेम और भाईचारे का संदेश प्रेषित करते हैं। त्योहार हमारी आस्था और उदारता के प्रमाण हैं। इनसे व्यक्ति का सामाजिक और मानसिक विकास होता है। ये हमें एकता और बंधुत्व के सूत्र में बाँधकर मज़बूती प्रदान करते हैं। अतः कह सकते हैं कि मानव के जीवन में त्योहारों का बहुत महत्त्व है।
उत्तर 13.3:
संचार क्रांति
पूरी दुनिया को विकास की दिशा में अग्रसर करने का श्रेय जन-संचार क्रांति को ही जाता है। ‘संचार क्रांति’ का वास्तविक अर्थ ज्ञान, सूचना, मनोरंजन आदि संबंधी अभिव्यक्ति का व्यापक स्तर पर प्रसार ही है। आज के इस वैज्ञानिक युग में पलक झपकते ही सूचना एवं मीडिया का प्रत्येक स्वरूप उपलब्ध हो जाता है। जन-संचार अर्थात् मीडिया के मुख्यतः दो प्रकार हैं- प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक पत्र-पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीफ़ोन, फ़िल्म, इंटरनेट आदि इसके सशक्त माध्यम हैं। वैज्ञानिक तकनीक की इस उपलब्धि ने जीवन को तीव्र विकास की गति प्रदान की है। आज आवश्यकता है इस क्रांति का सही और सकारात्मक उपयोग करने की। संचार की आधुनिकतम सुविधाओं की सहायता से संचार व्यवस्था रॉकेट युग में पहुँच चुकी है। संचार के साधनों की सहायता से हम मिनटों में दुनिया के किसी भी कोने में अपना संदेश भेज व प्राप्त कर सकते हैं। संचार माध्यमों से समाज के प्रत्येक वर्ग के लोग प्रभावित होते हैं। अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह समाज को व्यापक स्तर पर दिशा प्रदान करती है।
उत्तर 14:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 10 अक्टूबर, 20XX
प्रिय मित्र आशीष,
मैं यहाँ कुशल मंगल हूँ, आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ कुशलपूर्वक होंगे। इस पत्र के माध्यम से मैं तुम्हें हमारे विद्यालय में आए नए अध्यापक की विशेषताओं के बारे में बताना चाहता हैं। कुछ समय पूर्व ही हमारे विद्यालय में हिंदी के नए अध्यापक नियुक्त हुए हैं। उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली है। उनका व्यवहार अत्यंत विनम्र है। वे छात्रों की समस्याओं को सुनते हैं। तथा उन्हें उचित समाधान भी सुझाते हैं। वह किसी भी छात्र से भेदभाव नहीं करते। शिक्षक होने के साथ-साथ वे अच्छे लेखक भी हैं। उनकी लिखी पुस्तकें मैंने पढ़ी हैं, जिनमें जीवन के प्रति उनका सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाई देता है। वे सदैव ही छात्रों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उनके गुणों और व्यक्तित्व से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ। मैं भी उनके जैसा एक आदर्श शिक्षक बनना चाहता हूँ।
अंकल आंटी को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
क.ख.ग.
अथवा
श्रीराम छात्रावास,
दिल्ली।
दिनांक 10 जुलाई, 20XX
आदरणीय भाई साहब,
प्रणाम्।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आप भी सपरिवार कुशलतापूर्वक रहें। आप सबकी बहुत याद आ रही है, इसी कारण अगले सप्ताह मैं घर आ रहा हैं। मैया, इसके साथ ही मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूँ कि गत मार्च में आपने मुझसे शर्त लगाई थी एवं वादा किया था कि यदि वार्षिक परीक्षा में मैंने 90% से अधिक अंक प्राप्त किए तो आप मुझे एक खास भेट देंगे।
कल ही मेरा परीक्षा परिणाम आया है और आपको यह जानकर अपार खुशी होगी कि मैंने 92% अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की है। मेरा आपसे अनुरोध है कि मुझे वह खास भेट देकर कृतार्थ करें, मैं उस अमूल्य भेंट की चाह में घर आ रहा हैं। माताजी-पिताजी को चरण-स्पर्श।
आपका
रंजन
उत्तर 15:
(i) प्रस्तुत चित्र में एक मगरमच्छ पानी में तैर रहा है।
(ii) मगरमच्छ की पीठ पर एक बंदर बैठा हुआ है।
(iii) चित्र से स्पष्ट होता है कि मगरमच्छ के मस्तिष्क में बंदर का हृदय खाने की इच्छा है।
(iv) मगरमच्छ की इस इच्छा को बंदर भी समझ गया है, इसलिए वह दु:खी है।
(v) बंदर इस समस्या से छुटकारा पाने का उपाय भी सोच रहा है।
अथवा
(i) प्रस्तुत चित्र में एक बरामदे में चार स्त्रियाँ बैठी हुई तथा एक स्त्री खड़ी हुई दिखाई दे रही है।
(ii) दो स्त्रियाँ बाँस की डंडियों से एक बड़ी-सी टोकरी बना रही हैं। और दूसरी ओर अकेले, बैठी हुई स्त्री लंबे गिलास के आकार की टोकरी बना रही है।
(iii) एक स्त्री झुककर बैठी हुई है। वह बॉस की पतली-पतली डंडियों को रंग रही है।
(iv) जो स्त्री खड़ी हुई है, वह इन सब स्त्रियों का मार्ग-दर्शन करती हुई प्रतीत हो रही है।
(v) सभी स्त्रियों की वेशभूषा एक समान है और वे पूर्ण रूप से अपने कार्य के प्रति समर्पित हैं।
उत्तर 16:
पिता आजकल दूरदर्शन पर कार्यक्रमों की स्पर्धा में अच्छे-बुरे का ध्यान नहीं रह गया है।
पुत्री हाँ, पिताजी! ऐसा तो है, पर कुछ अच्छे भी हैं।
पिता हो सकता है, पर अधिकांश कार्यक्रम तो ऐसे हैं, जिनका ने कोई उद्देश्य है और न ही कोई औचित्य।
पुत्री लेकिन पिताजी! दूरदर्शन पर तो ऐसे अनेक कार्यक्रम आते हैं, जो हमारे ज्ञान-विज्ञान को बढ़ाते हैं एवं स्वस्थ मनोरंजन भी करते हैं।
पिता मैं तो जब भी देखता हूँ या तो फ़िल्मी गीत दिखाई देते हैं या विज्ञापन या फिर पूरी फ़िल्म पुत्री यह तो सही कहा आपने।
पिता इनके कारण लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को जो हानि हो रही है, उसकी ओर न तो फ़िल्म निर्माताओं का ध्यान जाता है और न ही उसे दूरदर्शन पर प्रसारित करने वाले अधिकारियों का।
अथवा
सीमा अरे रेखा! तुमने आज का अखबार पढ़ा?
रेखा नहीं! अभी तो नहीं पढ़ा, क्यों क्या हुआ?
सीमा होना क्या था, वही महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते हुए अपराध के विषय में एक और घटना छपी है।
रेखा कैसी घटना?
सीमा पाँच साल की छोटी बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना।
रेखा क्या! पाँच साल की छोटी बच्ची के साथ ऐसी घटना?
सीमा हाँ! आजकल समाज में पता नहीं क्या-क्या हो रहा है? जहाँ नारी को पूजा जाता था, आज वहीं उसके साथ दुष्कर्म की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं।
रेखा यह तो बहुत ही गंभीर विषय बनता जा रहा है। इस दिशा में उचित कदम उठाए जाने बहुत आवश्यक हैं।
सीमा तुम सही कह रही हो। सरकार तथा समाज के प्रत्येक नागरिक को जागरूक होकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा, ताकि भविष्य में किसी महिला के साथ ऐसा न हो।
उत्तर 17:
अथवा
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