CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 3 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 3.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 3
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi B |
Sample Paper Set | Paper 3 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 3 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं-क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [15 अंक]
प्रश्न 1:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (9)
भारत में खेलों के सामने जो आधारभूत चुनौती है, उसमें पहली इसे पाठ्यक्रम से अतिरिक्त गतिविधि के रूप में समझा जाना है। प्रायः विद्यालयों में शिक्षा के दबाव के कारण खेलकूद को दैनिक क्रियाकलाप से अलग कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त विद्यालयों का समय और उसके बाद ट्यूशन कक्षाओं के कारण बच्चों के पास मनोरंजन के लिए खेलने का कोई वक्त बचता ही नहीं, तो उसे पेशे के रूप में अपनाने की बात तो काफ़ी दूर की बात है। इस तरह पहली अवस्था में ही खेलों में रुचि की बलि चढ़ जाती है।
दूसरे, आमतौर पर यह माना जाता है कि खेलों में करियर बड़ा अनिश्चित होता है और उनमें अच्छे अवसर नहीं मिलते। इसलिए बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान देने का दबाव डाला जाता है, भले ही खेलों में उनकी रुचि हो या उनमें जन्मजात प्रतिभा हो, ताकि उनके जीवन में स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके। तीसरे, खेलों में भेदभाव काफ़ी है और सीढ़ियाँ बहुत चढ़नी पड़ती हैं। बच्चे शुरू से क्रिकेट, फुटबॉल और टेनिस जैसे खेलों के प्रचार और शानों-शौकत से अभिभूत होते हैं। इन खेलों का मीडिया में व्यापक कवरेज़ और उनके साथ जुड़े नाम और प्रसिद्धि ताइक्वांडो, खो-खो, तीरंदाजी जैसे अन्य खेलों को पीछे छोड़ देते हैं। चौथे, ज़िलों और उपनगरीय क्षेत्रों में खेल परिसरों और अकादमियों की कमी के कारण बच्चों के लिए आगे बढ़ने की समस्या पैदा हो जाती है। खेल क्लब और अकादमियाँ मुख्यत: महानगरों में ही होती हैं। पाँचवें, खेलों में प्रशिक्षण के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। न केवल अकादमी में प्रवेश पाने के लिए भारी खर्चा करना होता है, वरन् खेल सामग्री, पोशाक और यहाँ तक कि पौष्टिक आहार के लिए भी भारी खर्च की ज़रूरत होती है। भारत में खेलों की उपेक्षा की जाती रही है और भविष्य में शायद ही इसे पेशे के रूप में अपनाया जाए।
(क) प्रारंभिक अवस्था में ही खेलों में रुचि की बलि किस प्रकार चढ़ा दी जाती है? स्पष्ट कीजिए। (2)
(ख) बच्चों पर पढ़ाई का दबाव क्यों डाला जाता है? (2)
(ग) खेल को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता क्यों होती है? (2)
(घ) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक तर्क सहित दीजिए। (2)
(ङ) प्रसिद्धि शब्द के समानार्थक शब्द लिखिए। (1)
प्रश्न 2:
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20 – 30 शब्दों में लिखिए
(क) धूल को आँखों में जाने के लिए कवि क्यों प्रेरित कर रहा है? (2)
(ख) “ज़िंदगी की सीलन से जनम लो, आगे बढो, दीपक बनो” काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
(ग) प्रस्तुत काव्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक बताइए। (1)
खंड {ख} व्याकरण [15 अंक]
प्रश्न 3:
(क) निम्नलिखित वर्ण-विच्छेद के लिए उपयुक्त शब्द लिखिए (2)
(i) व् + इ + ज् + ञ् + आ + न् + अ
(ii) त् + र् + इ + श् + ऊ + ल् + अ
(ख) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करते हुए मानक रूप लिखिए (1)
(i) शेख (ii) सञ्चार
प्रश्न 4:
(क) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर लगे अनुनासिक चिह्नों के प्रयोग वाले शब्द छाँटकर लिखिए (1)
महिलाएँ, कॅठ, पाँचवाँ, अहँकार
(ख) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर नुक्ते के प्रयोग वाले शब्द छाँटकर लिखिए (1)
ज़हाज़, आज़माइश, ख़रगोश, फ़रियाद
प्रश्न 5:
(क) निम्नलिखित शब्दों में मूल शब्द व उपसर्ग अलग-अलग करके लिखिए (1)
दुबला, भरपेट
(ख) निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्द व प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग-अलग करके लिखिए (2)
उपयोगी, संपादकीय
प्रश्न 6:
(क) विसर्ग संधि को सोदाहरण परिभाषित कीजिए। (2)
(ख) निम्नलिखित संधि-विच्छेद से निर्मित शब्द लिखिए (2)
(i) अनु + उदित
(ii) निः + तुर
प्रश्न 7:
निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए (3)
(क) क्या शिक्षक आज अनुपस्थित हैं।
(ख) राम लक्ष्मण दोनों भाई थे
(ग) वह पढ़ते पढ़ते सो गया
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [25 अंक]
प्रश्न 8:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) पाठ ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा के आधार पर बताइए कि यात्री दल का पहला कैंप कहाँ लगा था, उसकी ऊँचाई कितनी थी और किसकी देख-रेख में रास्ता बनाया गया था?
(ख) ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के आधार पर गांधीजी और महादेव जी के संबंधों पर प्रकाश डालिए। (2)
(ग) धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर लिखिए कि धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए? (1)
प्रश्न 9:
“संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना”-इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ के संदर्भ में लगभग 100 शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (5)
अथवा
‘कीचड़ का काव्य पाठ के आधार पर लगभग 100 शब्दों में बताइए कि लेखक ने कीचड़ की जीवनोपयोगिता तथा उसके भौतिक महत्त्व को कैसे रेखांकित किया है?
प्रश्न 10:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘बिगरी बात बने नहीं दोहे के माध्यम से रहीम क्या कहना चाहते हैं? (2)
(ख) “महानगरों की सबसे बड़ी समस्या यंत्रवत् व्यस्तता एवं अजनबीपन है।” ‘नए इलाके में कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
(ग) आदमी पीर कैसे बनता है? ‘आदमीनामा’ कविता के आधार पर बताइए। (1)
प्रश्न 11:
कवि रैदास की भक्ति, दास्य-भाव की भक्ति है। सिद्ध कीजिए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
“एक फूल की चाह’ कविता के आधार पर लगभग 100 शब्दों में बताइए कि हाय ! फूल सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी’ पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
प्रश्न 12:
रास की जनसभा में हुए गांधीजी के स्वागत और भाषण का अपने शब्दों में उल्लेख करते हुए स्पष्ट कीजिए कि यह स्वाधीनता संघर्ष के लिए प्रेरणादायी था। उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
‘हामिद खाँ’ कहानी में हामिद खाँ को किस बात पर आश्चर्य होता है तथा उसमें लेखक के लिए प्रेम एवं अपनेपन का भाव किस कारण उमड़ा? लगभग 150 शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
खंड {घ} लेखन [25 अंक]
प्रश्न 13:
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80 से 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए । (5)
1. शहरों में यातायात-समस्या
संकेत बिंदु
- यातायात के विभिन्न साधन
- बस सेवा और नागरिकों को होने वाली असुविधाएँ
- थ्री-व्हीलर द्वारा होने वाली असुविधाएँ
2. भारतीय संस्कृति
संकेत बिंदु
- ऐतिहासिक परंपरा
- राष्ट्रीयता की भावना
- अनेकता में एकता
3. आत्मनिर्भरता
संकेत बिंदु
- आत्मनिर्भरता का अर्थ
- आत्मनिर्भरता सफलता का मूल मंत्र
- आत्मनिर्भरता ही जीने की कला है।
प्रश्न 14:
खोई हुई वस्तु लौटाने के लिए धन्यवाद देते हुए किसी अपरिचित को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए। (5)
अथवा
छात्रावास में रहने वाले अपने भाई या बहन को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखकर समय के सदुपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 15:
दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर 20 से 30 शब्दों में चित्र का वर्णन अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए। (5)
अथवा
प्रश्न 16:
आप अनिमेष हैं तथा आपकी छोटी बहन काम्या की तबीयत खराब है। उसे डॉक्टर को दिखाते हुए लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए। (5)
अथवा
बढ़ती हुई चोरी की घटनाओं पर दो महिलाओं के मध्य होने वाले संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 17:
उत्तम गुणवत्ता की कॉपियाँ अथवा नोटबुक्स बनाने वाली कंपनी की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में विज्ञापन लिखिए। (5)
अथवा
किसी संस्था को ‘O’ धनात्मक रक्त की आवश्यकता है इसके लिए लगभग 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
जवाब
उत्तर 1:
(क) प्रारंभिक अवस्था में ही खेलों में रुचि की बलि शिक्षा के दबाव के कारण चढ़ा दी जाती है। खेलकूद को दैनिक क्रियाकलाप से अलग कर दिया जाता है। इसके साथ ही विद्यालयों का समय और उसके बाद ट्यूशन कक्षाओं के कारण बच्चों के पास मनोरंजन के लिए खेलने का कोई समय नहीं बचता।
(ख) बच्चों पर पढ़ाई का दबाव इसलिए डाला जाता है, ताकि उनका जीवन स्थायी रूप से सुनिश्चित किया जा सके, क्योंकि सामान्यतः यह माना जाता है कि खेलों में करियर बड़ा अनिश्चित होता है और उनमें
अच्छे अवसर नहीं मिलते।
(ग) खेल को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए अत्यधिक निवेश की आवश्यकता इसलिए होती है, क्योंकि खेल अकादमी में प्रवेश पाने के लिए अधिक व्यय करना होता है। साथ ही खेल सामग्री, पोशाक और यहाँ तक कि पौष्टिक आहार के लिए भी अधिकव्यय की आवश्यकता होती है।
(घ) प्रस्तुत गद्यांश में भारत में खेलों के विकास की आधारभूत चुनौतियों की चर्चा की गई है, जिनमें खेलों को पाठ्यक्रम से अलग गतिविधि मानना, बच्चों पर पढाई का दबाव डालना, खेलों में भेदभाव की स्थिति तथा खेल को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता आदि के विषय में विस्तार से बताया गया है। अतः इसका उचित शीर्षक ‘भारत में खेलों के विकास की चुनौती हो सकता है।
(ङ) प्रसिद्धि ख्याति, यशस्वी, विख्यात
उत्तर 2:
(क) कवि धूल को आँखों में जाने के लिए प्रेरित कर रहा है, क्योंकि वह स्वयं को असहाय और पैरों से रौदी हुई अनुभव कर रही है। वस्तुतः यहाँ धूल के माध्यम से समाज के दबे-कुचले लोगों को शोषक वर्ग के
विरुद्ध आवाज़ उठाने की प्रेरणा दी जा रही है।
(ख) प्रस्तुत-काव्य पंक्ति का आशय यह है कि कवि समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को प्रेरित करते हुए कहता है कि अपने संघर्षपूर्ण जीवन से ही शक्ति एवं प्रेरणा लो और आगे बढ़कर सुविधाभोगी शोषक लोगों के अन्याय व अत्याचारों के विरुद्ध लड़ने की शक्ति रखो।
(ग) समूचे काव्यांश में ‘धूल’ की महिमा का ही वर्णन किया गया है, जिसमें अदम्य शक्ति एवं सामर्थ्य भरी पड़ी है। अतः प्रस्तुत काव्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक ‘धूल’ ही होना चाहिए।
उत्तर 3:
(क) (i) विज्ञान (ii) त्रिशूल
(ख) (i) शंख (ii) संचार
उत्तर 4:
(क) महिलाएँ, पाँचवाँ
(ख) आज़माइश, फ़रियाद
उत्तर 5:
(क) दुबला दु(उपसर्ग), बला (मूल शब्द)
भरपेट भर (उपसर्ग), पेट (मूल शब्द)
(ख) उपयोगी उपयोग (मूल शब्द), ई (प्रत्यय)
संपादकीय संपादक (मूल शब्द), ईय (प्रत्यय)
उत्तर 6:
(क) विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के संयोग से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदाहरण नि: + संदेह=निस्संदेह
(ख) (i) अनु+उदित = अनूदित
(ii) निः+ठुर =निष्ठुर
उत्तर 7:
(क) क्या शिक्षक आज अनुपस्थित हैं?
(ख) राम-लक्ष्मण दोनों भाई थे।
(ग) वह पढ़ते-पढ़ते सो गया।
उत्तर 8:
(क) यात्री दल द्वारा पहला कैंप हिमपात के ठीक ऊपर लगाया गया था, जो अत्यधिक ऊँचाई पर था। उसकी ऊँचाई लगभग 6,000 मी थी। वहाँ पर पहुँचने के लिए प्रेमचंद की देख-रेख में रास्ता बनाया गया था। (ख) गांधीजी और महादेव देसाई जी के आपसी संबंध अत्यधिक घनिष्ठ थे। गांधीजी स्वयं के प्रति उनकी निष्ठा एवं समर्पण भाव के कारण उन्हें अपने पुत्र के समान मानते थे। महादेव जी की निष्ठा का ही प्रमाण है कि वे प्रतिदिन 11 मील पैदल चलकर सेवाग्राम पहुँचते और गांधीजी के कार्य किया करते थे।
(ग) ‘धर्म की आड़’ पाठ के लेखक के दृष्टिकोण से धार्मिक भावना शुद्धाचरण से ओत-प्रोत होनी चाहिए। स्वच्छ आचरण और सदाचार ही धर्म की सच्ची उपासना है।
उत्तर 9:
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना” इस पंक्ति का आशय |’ है-संबंधों का बदलना। ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ के लेखक तथा अतिथि के बीच प्रारंभ में जो आत्मीयतापूर्ण संबंध थे, वे अब घृणा, तिरस्कार एवं बोरियत में परिवर्तित हो गए। उनके बीच का सौहार्दपूर्ण संबंध समय बीतने के साथ-साथ विरक्ति भाव में परिवर्तित होने लगा।
प्रारंभ में जब अतिथि आया था, तो लेखक ने उसे डिनर कराया, लंच कराया, सिनेमा दिखाया, खूब बातें करते हुए साथ-साथ ठहाके लगाए, लेकिन जब लेखक को लगने लगा कि अतिथि तो घर से जाने का नाम ही नहीं ले रहीं, तब उसके मन में उसके प्रति तिरस्कार की भावना आने लगी। हद तो तब हो गई, जब अतिथि ने धोबी से अपने कपड़े धुलवाने की इच्छा व्यक्त की।
लेखक के मन में अब उसके प्रति घृणा उत्पन्न होने लगी थी और वह ‘डिनर’ से चलकर ‘खिचड़ी’ पर आ गया। अब वह अतिथि को ‘गेट-आउट’ कहने के लिए भी मानसिक रूप से तैयार होने लगा। इस प्रकार, दोनों के बीच के संबंध परिवर्तन अर्थात् संक्रमण के दौर से गुज़रने लगे।
अथवा
‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के लेखक काका कालेलकर ने कीचड़ जैसी गंदी मानी जाने वाली वस्तु में भी सौंदर्य को देखा है तथा उसके महत्त्व व उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला है। कीचड़ का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि हमारा अन्न कीचड़ से ही उत्पन्न होता है। इसी अन्न से हम जीवन निर्वाह करते हैं। कीचड़ के रंगों का भी हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
कीचड़ को न पसंद करने वाले भी कीचड़ के रंगों का प्रयोग अपनी जीवनशैली में करते हैं। हम कीचड़ के रंगों का प्रयोग पुस्तकों के गत्तों, घरों की दीवारों और कीमती कपड़ों के लिए करते हैं। कीचड़ का रंग लोगों को भिन्न-भिन्न प्रकार से खुश करता है; जैसे कीचड़ का रंग श्रेष्ठ कलाकारों, चित्रकारों, मूर्तिकारों और छायाकारों (फ़ोटोग्राफरों) को खुश करता है। इसके अतिरिक्त, सूखे कीचड़ पर बने। पशु-पक्षियों के पदचिह्न भी उसकी सुंदरता को और बढ़ा देते। हैं। इस प्रकार, लेखक के द्वारा प्रस्तुत पाठ में कीचड़ की जीवनोपयोगिता तथा उसके भौतिक महत्व को रेखांकित किया गया है। लेखक काका कालेलकर ने कीचड़ के महत्त्व को अत्यंत काव्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया है।
उत्तर 10:
(क) कवि रहीम कहना चाहते हैं कि मनुष्य द्वारा की गई बात या कार्य एक बार खराब करने से वह पुनः लाख कोशिश करने से भी ठीक नहीं होता। इसलिए व्यक्ति को सोच-समझकर प्रत्येक कार्य करना चाहिए। (ख) कवि अरुण कमल ने अपनी कविता ‘नए इलाके में’ के द्वारा शहरों में तीव्र गति से होने वाले परिवर्तन की ओर संकेत किया है। इसी तीव्र परिवर्तन और भाग-दौड़ के कारण लोगों के पास समय का अत्यधिक अभाव हो गया है। कोई किसी से जान-पहचान रखना नहीं चाहता। सहायता माँगने पर कोई सहायता देने को तैयार नहीं होता। शहरों में अब पूर्व परिचितों का जैसे अभाव हो गया है।
(ग) जब आदमी दूसरों की भलाई के लिए अच्छे कार्य करता है तथा स्वयं को स्वार्थरहित कर लेता है, तब वह दुनिया में पीर बन जाता है।
उत्तर 11:
भक्त कवि रैदास की भक्ति, दास्य-भाव की भक्ति है। यह उनके पहले पद में ही स्पष्ट हो जाता है। कवि रैदास कहते हैं कि प्रभु मेरे स्वामी हैं और मैं उनका दास हूँ, सेवक हूँ। वे जहाँ भी होंगे मैं किसी-न-किसी रूप में उनका सहायक बनकर वहाँ उपस्थित रहूँगा। मेरे और प्रभु के बीच का संबंध इतना अनन्य व अटूट है कि मैं उनके बिना अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकता। प्रभु यदि चंदन हैं, तो मैं पानी हैं; वे मेघ हैं, तो मैं उनकी चाहत में झूमने वाला मोर हूं: वे चाँद हैं, तो मैं उनकी चिरप्रतीक्षा करने वाला चकोर हैं: वे मोती हैं, तो मैं धागा और यदि वे दीपक हैं, तो मैं उस दीपक की बाती हैं, जो दिन-रात उनके मिलन की इच्छा से जलता रहता है।
भक्त कवि रैदास अपने प्रभु के लिए इतने व्याकुल रहते हैं कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रहती। वे सदैव उन्हीं की चिंता में खोए रहते हैं, उन्हीं को याद करते रहते हैं। राम-नाम की रट उनकी जुबान से ऐसी चिपकी है कि उनका नाम लिए बिना रैदास का समय ही नहीं कटता है। राम-नाम की रट उनसे छूटने का नाम ही नहीं ले रही है। कवि ने राम को अपना स्वामी माना है तथा स्वयं को उनका दास कहा है। अतः रैदास के पदों से स्पष्ट होता है कि उनकी भक्ति दास्य-भाव की भक्ति है।
अथवा
“हाय! फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी’ पंक्ति के माध्यम से कवि एक पिता की उस असीम वेदना को दर्शाना चाहता है, जो अपनी बेटी से बहुत अधिक प्यार करता है, लेकिन सामाजिक स्थितियों के कारण विवश होकर उसे खो देता है। जिस पिता के लिए उसकी बेटी एक फूल के समान कोमल एवं नाजुक थी, उस पिता को वह राख के ढेर के रूप में मिलती है। उस फूल-सी बच्ची को राख की ढेरी में परिवर्तित करने वाला यह क्रूर समाज मानवीय संबंधों की गरिमा को नहीं पहचान पाता। अपनी बेटी की एक सामान्य-सी इच्छा को पूर्ण करने के लिए एक अस्पृश्य पिता को कारावास की सज़ा ही नहीं मिलती, बल्कि समाज के द्वारा उसकी बेटी छीन ली जाती है। एक पिता ने यह व्यंग्य समूचे समाज एवं सामाजिक व्यवस्था पर किया है, जिसने उसकी फूल जैसी बेटी को राख के ढेर में परिवर्तित कर दिया।
उत्तर 12:
दांडी यात्रा के क्रम में रास में गांधीजी का भव्य स्वागत हुआ था। इस अवसर पर दरबार समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और उन्होंने गांधीजी के साथ समस्त सत्याग्रहियों का पूरे उत्साह से स्वागत किया। गांधीजी को एक धर्मशाला में, जबकि शेष सत्याग्रहियों को तंबुओं में ठहराने की अच्छी व्यवस्था की गई थी। रास की जनसंख्या मात्र तीन हज़ार थी, जबकि गांधीजी की जनसभा में लगभग बीस हज़ार लोग उपस्थित थे। यह तथ्य रास जनसभा में गांधीजी के भव्य स्वागत का ही प्रमाण है। रास जनसभा को संबोधित करते समय गांधीजी ने जो महत्त्वपूर्ण बातें कहीं, वे इस प्रकार हैं।
(i) सरदार पटेल को जेल की सज़ा आपकी सेवा करने के पुरस्कार के रूप में मिली है।
(ii) आप लोग कब तक गाँवों को चूसने में अपना योगदान देते रहेंगे? सरकार ने जो लूट मचा रखी है, उसकी ओर क्या अभी तक आपकी आँखें खुली नहीं हैं?
(iii) अपने भाषण द्वारा उन्होंने लोगों को सरकारी नौकरी से त्याग-पत्र देने के लिए भी प्रेरित किया। इस प्रकार गांधीजी स्वाधीनता संघर्ष के अपने हथियारों-अहिंसा एवं असहयोग के आधार पर लोगों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
अथवा
लेखक से बातचीत के क्रम में हामिद खाँ को इस बात पर आश्चर्य होता है कि भारत में हिंदू एवं मुसलमान आपसी मेल-जोल से अत्यंत सौहार्दपूर्ण वातावरण में साथ-साथ रहते
हैं। उसे यह जानकर भी आश्चर्य हुआ कि भारत में हिंदू बढ़िया चाय पीने या पुलाव खाने के लिए मुसलमानी होटलों में जाते हैं। हामिद खाँ को इस बात पर विश्वास इसलिए होने लगा, क्योंकि लेखक स्वयं हिंदू होते हुए भी स्वेच्छा से एक मुसलमानी होटल पर खाना खाने आया हुआ है। इसी प्रसंग में हामिद खाँ कहता है कि किसी पर अधिकार जमा कर अर्थात् बलपूर्वक या उसे विवश करके उसका प्रेम प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह आंतरिक भावना है, जिसे केवल दिल देकर, उसका विश्वास जीतकर ही प्राप्त किया जा सकता है। हामिद खाँ लेखक से कहता है कि आप प्रेमपूर्वक मेरे होटल में खाना खाने आए हैं। इस प्रेम का मेरे दिल पर भी प्रभाव पड़ा है। कहने का आशय यह है कि लेखक द्वारा दिखाए गए अपनेपन की भावना के कारण ही हामिद खाँ के अंदर भी लेखक के लिए प्रेम एवं अपनापन
उमड़ा। प्रेम को केवल प्रेम के बल पर ही प्राप्त किया जा सकता है, मैं इस विचार से पूर्णतः सहमत हूँ।
उत्तर 13.1:
शहरों में यातायात-समस्या महानगरों में यातायात के अनेक साधन उपलब्ध हैं। इनमें रेल, बस, कार, जीप, स्कूटर, मोटरसाइकिल, रिक्शा, साइकिल आदि प्रमुख हैं। परिवहन के अनेक साधन होने के बाद भी जनता को यातायात की समस्या से जूझना पड़ता है। समाज में ऐसे लोगों की संख्या कम ही है, जो निजी वाहनों से यात्रा कर सकें। अधिक जनसंख्या स्थानीय या सरकारी परिवहन व्यवस्था (बस, रेल, मेट्रो आदि) पर निर्भर है। अभी देश में मेट्रो रेल सेवा कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध है। नगर बस सेवा ही सामान्य नागरिकों के लिए सस्ता एवं सुविधाजनक साधन है। इन बसों में समाज के प्रत्येक वर्ग का नागरिक यात्रा कर सकता है।
शहरों में जनसंख्या बढ़ने के अनुपात में परिवहन व्यवस्था का विस्तार नहीं हो पा रहा है। दिल्ली सहित देश की राजधानियों में सरकारी तथा निजी संस्थानों द्वारा परिवहन के लिए बस सेवा का संचालन किया जाता है। फिर भी लोगों को घंटों बस स्टैंड पर खड़े रहना पड़ता है, साथ ही बस के दरवाज़े पर लटककर जाने के लिए लोग विवश हैं। शहरों में श्री-व्हीलर की सुविधा भी उपलब्ध है। श्री-व्हीलर चालकों का अभद्र व्यवहार, मनमाना किराया वसूलना और स्थान-विशेष पर जाने के लिए मना कर देने की शिकायतें दिन-प्रतिदिन सामान्य होती जा रही हैं। जिस पर प्रशासन को गंभीर रूप से ध्यान देना चाहिए।
उत्तर 13.2:
भारतीय संस्कृति भारतीय संस्कृति का निर्माण लंबी ऐतिहासिक परंपरा की प्रतिफल है। इसके भौगोलिक विस्तार, रीति-रिवाज़ तथा देशी-विदेशी विचारों के सम्मिश्रण का अत्यधिक योगदान सांस्कृतिक परिदृश्य निर्माण में रहा है। भारत विश्व संस्कृति का ‘पालना’ है। इसने राष्ट्रीयता की भावना दी, लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया तथा मनुष्यता को सुख-समृद्धि की प्रवृत्तियाँ सौंपी। आध्यात्मिकता के साथ सामाजिक संस्कृति का ऐसा रूप दुनिया में कहीं संभव नहीं है। यहाँ अनेक धर्मों के लोग एक साथ निवास करते हैं। सबके अपने तीज-त्योहार, सबकी अपनी मान्यताओं के बीच एकता भारतीय आत्मा को स्वरूप प्रदान करती है। धर्म और दर्शन के देश में एक ही समय मंदिर का घंटा बजता है, तो मस्जिद में ‘अज़ान’ का स्वर सुनाई देता है। ‘अनेकता में एकता’ भारतीय संस्कृति का सार है। भारतीय संस्कृति में ग्रहणशीलता की असाधारण क्षमता है। अनेक शताब्दियों में आने वाली विदेशी जातियों को भी इसने भारतीय बनाया है।
उत्तर 13.3:
आत्मनिर्भरता आत्मनिर्भरता का अर्थ है किसी वस्तु अथवा कार्य हेतु स्वयं पर निर्भर रहना। आत्मनिर्भरता सफलता का मूल मंत्र है। आत्मनिर्भर व्यक्ति । ही घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान पाता है, लेकिन जो व्यक्ति आलसी होता है, वह अपने निर्वाह के लिए साधन भी नहीं जुटा पाता, उसके घर-परिवार वाले भी उसका सम्मान नहीं करते, फिर उसे समाज से सम्मान कैसे मिल सकता है? ऐसे व्यक्ति को बोझ के समान माना जाता है। आत्मनिर्भर व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं। उसे सिर आँखों पर बिठाकर रखना चाहते हैं। आत्मनिर्भर व्यक्ति का मन सदैव उत्साह तथा आत्मविश्वास से भरा रहता है। कठोर परिस्थितियों में भी वह निराश नहीं होता। आत्मनिर्भर व्यक्ति का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत होता है। वह केवल अपने तक ही सीमित न रहते हुए सदैव देश की उन्नति तथा विकास कार्यों में भी उचित योगदान देता है। और राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में लगा रहता है। आत्मनिर्भरता तो उसके लिए जीने की कला है। आत्मनिर्भर होने का एक ही उपाय है–सावधान और जागरूक रहकर निरंतर परिश्रम करना तथा आत्मविश्वास से भरा रहना क्योंकि परिश्रम और आत्मविश्वास वह कुंजी है, जिसके द्वारा आत्मनिर्भर बनकर सारे संसार को जीता जा सकता है।
उत्तर 14:
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 17 मई, 20XX
सम्माननीय राजीव,
सादर नमस्कार।
मेरी कक्षा दस की अंक तालिका आपके द्वारा भेजे जाने पर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई है। हम दोनों ही एक-दूसरे के लिए अपरिचित हैं, लेकिन आपके द्वारा इस मानवीय कार्य से मेरा रोम-रोम आपको धन्यवाद दे रहा है। मैं अंक तालिका खो जाने के कारण बहुत निराश था, लेकिन आपने मेरी सारी निराशा को आशा में बदल दिया। मैं बहुत प्रसन्न और उत्साहित हूँ। मैं तो समझता था कि आज के समय में ईमानदारी तथा
इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, किंतु आपने मेरी इस धारणा को खंडित करते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि आज भी समाज में ईमानदारी तथा इंसानियत जीवित है। सम्माननीय महोदय! आपकी ईमानदारी ने मुझमें एक आत्मविश्वास की अनुभूति प्रदान की है। यदि मुझे भी किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता करने का अवसर मिला, तो मैं उससे पीछे नहीं हहूँगा। इसके लिए हृदय से आपका धन्यवाद!
भवदीय
क,ख,ग,
अथवा
B-210, दरियागंज,
दिल्ली।
दिनांक 07 जून, 20XX
प्रिय अनुज, बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र न मिलने के कारण माताजी आज अत्यंत भावुक हो रही हैं, साथ ही तुम्हारे एक मित्र द्वारा जानकारी मिली है कि तुम अपना समय व्यर्थ के कार्यों में नष्ट कर रहे हो। इससे वे और भी चिंतित हो गई हैं।
हमारी सलाह है कि तुम समय के महत्त्व को समझो तथा अपना समय व्यर्थ नष्ट करने की अपेक्षा, उसका सदुपयोग करो, अन्यथा तुम्हारे विद्यार्जन में बाधा आ जाएगी। समय बड़ा बलवान है, यह भली-भाँति समझ लो। यदि एक बार यह अवसर निकल गया तो पश्चाताप के अतिरिक्त और कुछ प्राप्त नहीं होगा। व्यर्थ के कार्यों और आकर्षित गतिविधियों के लिए पूरी उम्र पड़ी है। अतः आशा है कि भविष्य में तुम समय के महत्व को समझते हुए अपना पूरा ध्यान विद्यार्जन में लगाओगे।
अच्छा अब पत्र समाप्त करता हूँ। माताजी का सस्नेह आशीर्वाद।
तुम्हारा अग्रज
रवि
उत्तर 15:
(i) दिए गए चित्र में एक बड़ा वृक्ष तथा एक बड़ा तालाब दिखाई दे रहा है।
(ii) अनेक छोटे पेड़-पौधे तथा जंतु भिन्न-भिन्न रूपों में दिखाई दे रहे हैं।
(iii) तालाब में एक बगुला खड़ा है, जिसके मुँह में मछली है तथा तालाब में एक बत्तख मी तैर रही है।
(iv) तालाब में एक मनुष्य भी मछली पकड़ रहा है और उसके काँटे में एक मछली फैंसी है।
(v) वृक्ष पर एक उल्लू तथा नीचे ज़मीन पर एक खरगोश बैठा है।
अथवा
(i) प्रस्तुत चित्र संगीत प्रशिक्षण संस्थान का लग रहा है।
(ii) चित्र में एक पुरुष तथा बालक दिखाई दे रहे हैं, जो गुरु-शिष्य प्रतीत हो रहे हैं।
(iii) पुरुष तबला तथा बालक हारमोनियम बजा रहा है।
(iv) चित्र में पीछे की ओर एक खिड़की, दरवाजा तथा पौधा दिखाई दे रहा है।
(v) फर्श पर एक कालीन बिछा हुआ है जिस पर बैठकर वे दोनों संगीत का अभ्यास कर रहे हैं।
उत्तर 16:
अनिमेष डॉक्टर साहब! पता नहीं, इसे क्या हो गया है? सुबह से ही तेज़ बुखार है।
डॉक्टर यह तुम्हारी बहन है?
अनिमेष हाँ, सर! इसका नाम काम्या है।
डॉक्टर ज़रा रुको, अभी देखकर बताता हूँ कि समस्या क्या है?
अनिमेष यह सुबह से कुछ खा-पी भी नहीं रही है।
डॉक्टर घबराने की कोई बात नहीं है। मौसम में अचानक परिवर्तन हो जाने के कारण इसे सर्दी लग गई है। मैंने ये दवाइयाँ लिख दी हैं, इन्हें सुबह-शाम एक-एक गोली दे देना।
अनिमेष और खाने में क्या देना है?
डॉक्टर ठंडी चीज़ों व बाहर के खाने के अतिरिक्त कुछ भी दे सकते हैं।
अनिमेष धन्यवाद डॉक्टर साहब, यह लीजिए आपकी फ़ीस।
डॉक्टर धन्यवाद।
अथवा
शीला अरे! मीना तुमने सुना कि हमारे पड़ोसियों के घर चोरी हो गई।
मीना चोरी! नहीं तो कब हुआ ये सब?
शीला कल रात को, लगभग 2 बजे की बात है।
मीना अच्छा! मुझे तो पता ही नहीं था। क्या-क्या सामान चोरी हुआ?
शीला घर में रखी सारी ज्वैलरी और कैश चोरी हो गया।
मीना हे भगवान! पता नहीं क्या हो गया है। आजकल तो चोरी की घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं।
शीला हाँ, तुम सही कह रही हो। लगता है कि चोरों को किसी का डर नहीं है।
मीना उन्होंने पुलिस में शिकायत की?
शीला हाँ! लेकिन पुलिस के साथ लोगों को भी अपने दायित्वों का पालन करना होगा।
मीना सही कह रही हो। पुलिस के साथ-साथ लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि चोरी की घटनाएँ न हों।।
शीला हाँ! बिलकुल, सही कहा जागरूकता बहुत आवश्यक है।
उत्तर 17:
अथवा
We hope the CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 3 help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 3, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.