धर्म निरपेक्षता की प्रशंसा – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत प्रश्न ‘धर्मनिरपेक्षता की प्रशंसा’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक एन.के.नारायण हैं। इस पाठ में धर्मनिरपेक्षता के सही मायने, प्रजातंत्रात्मक देश में उसका स्थान तथा धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता आदि के बारे में जानकारी दी गई है।
सभी धर्मों के प्रति सम्मान की भावना ही धर्मनिरपेक्षता है। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में हर व्यक्ति को बिना जात-पाँत के, बिना भेदभाव के समान अवसर प्राप्त होता है। धर्मनिरपेक्षता हर व्यक्ति को मन की शांति और नैतिक अवलंबन, आशा और साहस पाने के हक को सुनिश्चित करती है।
हमारी संस्कृति हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में विश्वास करना सिखाती है। ऐसे परिवार में बहुसंख्यक समुदाय बड़े भाई की तरह होता है और उसे वैसा ही व्यवहार करना होता है। यदि छोटा भाई कुछ गलतियाँ करें तो उसे माफ़ कर देना चाहिए। हमारी अल्पसंख्यक आबादी 15 से 20 प्रतिशत है। भारत के कल्याण के लिए हमें उन्हें भी प्रेरित करना होगा।
भारत को धर्मनिरपेक्ष स्वरुप को मजबूत बनाने के लिए हमारे नेताओं को हर धार्मिक समूह की आकांक्षाओं और विश्वास को बढाकर प्रगति के कार्य करना चाहिए। उन्हें विभाजक नहीं योजक बनना चाहिए। नेताओं को अपने हर कार्य द्वारा धर्मनिरपेक्षता में विश्वास को जताना होगा। एक नेता को भविष्य में लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के उपायों के बारे में सोचना होगा। अपने कार्यों द्वारा देश के युवाओं में आशा, सहनशीलता और प्रेम का संदेश भेजना होगा।
हमें अपने देश को एक महान राष्ट्र बनाने के लिए एकता का माहौल बनाकर, उत्साहपूर्वक सांप्रदायिकता से लड़ना होगा तभी धर्मनिरपेक्षता संभव है।