इब्राहीम गार्दी – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत प्रश्न ‘वृंदावनलाल वर्मा’ द्वारा लिखित ‘इब्राहिम गार्दी’ नामक पाठ से लिया गया है।
इब्राहिम गार्दी सन् 1761 में पानीपत के युद्ध में मराठों की सेना के दस हजार सैनिकों का सेनापति था। युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की जीत और मराठों की हार हुई तथा इब्राहिम गार्दी घायल हो जाने के कारण पकड़ा गया। अब्दाली इब्राहिम गार्दी के नाम से ही नफरत थी और जब उसे यह पता चलता है कि घायल इब्राहिम गार्दी शुजाउद्दौला के पास है तो वह अपना दूत भेजकर इब्राहिम गार्दी को अपने सामने पेश करने के लिए शुजाउद्दौला के पास अपना दूत भेजता है।
Solution 2:
इब्राहिम गार्दी के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
- इब्राहिम गार्दी एक वफादार और नेक इंसान था।
- वह अपने देश के प्रति निष्ठा रखनेवाला महान देशभक्त था।
- वह अपने उसूलों और आदर्शों का पक्का था।
- वह स्वाभिमानी था।
- पानीपत के युद्ध में अहमदशाह अब्दाली से मराठों की हार के बाद, बंदी बनाए जाने पर वह सेनापति अब्दाली के हाथों मरना स्वीकार करता है परंतु अपना ईमान नहीं बेचता।
- आत्मा की शाश्वतता में उसे पूरा विश्वास था। उसका कहना था, कि शरीर के टुकड़े हो जाने से रूह के टुकड़े नहीं हो सकते।
Solution 3:
प्रस्तुत प्रश्न ‘वृंदावनलाल वर्मा’ द्वारा लिखित ‘इब्राहिम गार्दी’ नामक पाठ से लिया गया है।
इब्राहिम गार्दी सन् 1761 में पानीपत के युद्ध में मराठों की सेना के दस हजार सैनिकों का सेनापति था। युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की जीत और मराठों की हार हुई तथा इब्राहिम गार्दी घायल हो जाने के कारण पकड़ा गया। वह सेनापति अब्दाली के हाथों मरना स्वीकार करता है परंतु अपना ईमान नहीं बेचता। जब बात नहीं बनी तो अब्दाली मजहब के नाम पर बरगलाने लगा तब इब्राहिम ने ‘राम और रहीम’ को एक बताया। उसका साहस देखकर अब्दाली का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा और उसने इब्राहिम के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने की चेतावनी दी। परंतु इब्राहिम को आत्मा की शाश्वतता में उसे पूरा विश्वास था। उसका कहना था, कि शरीर के टुकड़े हो जाने से रूह के टुकड़े नहीं हो सकते। इब्राहिम की बात सुनकर अहमदशाह अब्दाली की क्रूरता कुछ कुंठित हो गई।
Solution 4:
प्रस्तुत प्रश्न ‘वृंदावनलाल वर्मा’ द्वारा लिखित ‘इब्राहिम गार्दी’ नामक पाठ से लिया गया है।
इब्राहिम गार्दी महान देशभक्त, साहसी और शूरवीर सेनापति था। इब्राहिम गार्दी सन् 1761 में पानीपत के युद्ध में मराठों की सेना के दस हजार सैनिकों का सेनापति था। युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की जीत और मराठों की हार हुई तथा इब्राहिम गार्दी घायल हो जाने के कारण पकड़ा गया। वह सेनापति अब्दाली के हाथों मरना स्वीकार करता है परंतु अपना ईमान नहीं बेचता।
इब्राहिम ने व्यक्तिगत धर्म से बढ़कर राष्ट्र-धर्म को माना। इब्राहिम ने अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। वह अब्दाली की क्रूरता का शिकार हुआ। वह शहीद हो गया। उसका साहस देखकर अब्दाली भी चकित रह गया। उसने देश की रक्षा से बढ़कर कोई धर्म नहीं यह सिखाया।
Solution 5:
प्रस्तुत प्रश्न ‘वृंदावनलाल वर्मा’ द्वारा लिखित ‘इब्राहिम गार्दी’ नामक पाठ से लिया गया है।
अहमदशाह अब्दाली बड़ा निर्दयी, क्रूर और जालिम अफगानी आक्रमणकारी था। उसने अवध के नवाब शुजाउद्दौला को साथ लेकर पानीपत का युद्ध जीत लिया। उसे घायल व् पीड़ित लोगों को कराहते हुए देखते में आनंद मिलता था। वह निहत्थों पर जुल्म ढ़ाने में अपनी शान समझता था। उसने सदाशिव राव भाऊ और विश्वासराव जैसे बहादुर मराठे सैनिकों का कत्ल करवा दिया।
Solution 6:
प्रस्तुत प्रश्न ‘वृंदावनलाल वर्मा’ द्वारा लिखित ‘इब्राहिम गार्दी’ नामक पाठ से लिया गया है।
विश्वासराव पेशवा नाना साहब के पुत्र थे। वह दस हजार बहादुर मराठा सिपाहियों में से एक नवयुवक थे। वह सिपाहियों की हौसला अफजाई करते थे। इब्राहिम गार्दी उसकी बहादुरी के प्रशंसक थे। वे उसे अपने मुल्क का ताज और सिपाहियों के हौसलों का ताज मानते थे।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1: