यदि मैं प्रधानमंत्री होता संकेत बिंदु:
- कल्पना करना
- भारत की समस्याएँ
- समस्याओं का समाधान
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यदि मैं प्रधानमंत्री होता पर निबंध | Essay on If I Were Prime Minister In Hindi
मानव मन अनेक कल्पनाएँ करता है। वह इन्हें साकार रूप देने का प्रयत्न करता है। अनेक व्यक्ति इसमें सफल भी हो जाते हैं। कुछ नहीं भी होते। मैं कल्पना करने को बुरा नहीं मानता क्योंकि समस्त आविष्कार कल्पनाओं के ही साकार रूप हैं। मैं जब आधुनिक भारतीय समाज को देखता हूँ तो चिंतित हो जाता हूँ। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने बहुत प्रगति की है। इतना होने पर भी अधिकांश भारतीयों का जीवन अभावग्रस्त है। भ्रष्टाचार ने समाज के अंग-अंग को खोखला बना दिया है। मैं सोचता हूँ यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री बन जाता तो एक-एक समस्या का समाधान कर देता।
आज के भारत की समस्त समस्याओं की जननी जनसंख्या में अंधाधुंध वृद्धि है। मैं इसके समाधान के लिए कानून बनाता। प्रत्येक परिवार में दो से अधिक संतान होने पर प्रतिबंध लगा देता। इससे अनेक समस्याएँ स्वयं ही हल हो जातीं। आज निर्धनता का सबसे बड़ा कारण है परिवार का बड़ा होना। परिवार में कमाने वाला एक होता है तथा खाने वाले छह-छह, सात-सात। मैं यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाता हूँ कि आज भी कुछ लोगों के पाँच-पाँच, छह-छह बच्चे हैं। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए गाँव में छोटे परिवार के महत्व को समझाने के लिए पंचायत के सदस्यों को उत्तरदायित्व सौंपता। सभी विवाह कचहरी में किए जाते। वहाँ नव-दंपति को फ़ार्म में लिखित रूप में शपथ लेनी होती कि वे अधिक-से-अधिक दो बच्चे ही पैदा करेंगे।
प्रधानमंत्री बनने पर मैं प्रत्येक गाँव में समस्त सुविधाओं से पूर्ण स्कूल खुलवाता। इनमें योग्य अध्यापक-अध्यापिकाओं की नियुक्ति करवाता। प्रत्येक माता-पिता के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य कर दिया जाता। ऐसा न करने वाले माता-पिता को कठोर दंड दिया जाता। प्रौढ़ों की शिक्षा के लिए भी स्कूल खुलवाता। कस्बों, नगरों और महानगरों में सभी सरकारी स्कूलों का स्तर पब्लिक स्कूलों के समान कर देता। स्कूली शिक्षा निःशुल्क होती। स्कूलों का परीक्षा परिणाम संतोषजनक न होने पर शिक्षा अधिकारियों तक के विरुद्ध कार्यवाही की जाती। पूरे भारतवर्ष में एक जैसी शिक्षा-पद्धति होती। पाठ्य-पुस्तकें एक जैसी होतीं। पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा पर अधिक बल दिया जाता। स्कूली शिक्षा में अनिवार्य विषय कम कर देता। गणित अनिवार्य विषय न होता। दैनिक जीवन में काम आने वाले स्तर तक ही गणित का स्तर होता। परीक्षा-प्रणाली में संशोधन करके बोर्ड की परीक्षाएँ हटवा देता। बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी जिन-जिन क्षेत्रों में जाना चाहते, उसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षाएँ ली जाती।
कॉलेज की शिक्षा में व्यावसायिक-शिक्षा को जोड़ देता। कॉलेजों का स्वरूप पूर्णतया बदल देता। उच्च शिक्षा का स्वरूप ऐसा करता कि इसे प्राप्त करने वाला कोई भी युवा बेरोज़गार न होता। रोज़गार के नए-नए क्षेत्रों की व्यवस्था करता। सरकारी नौकरियों में गिने-चुने युवा ही जाते। बड़े-बड़े उद्योग-धंधों में नौकरियों के अधिक अवसर उपलब्ध होते। आधे सरकारी कर्मचारियों को नौकरी के नए विकल्प देता। सरकारी विभागों में पनप रही रिश्वतखोरी समाप्त कर देता। रिश्वत लेने और देने वालों को आजीवन कारावास के दंड का प्रावधान करता।
विधान सभाओं और संसद-सदस्यों के लिए कम-से-कम स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण करना अनिवार्य होता। अपराधियों के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देता। भ्रष्टाचार और घोटाले करने वाले राजनेताओं को मृत्यु-दंड दिया जाता। भारत के गाँव-गाँव तक बिजली, पानी, टेलीफ़ोन आदि की सुविधाएँ उपलब्ध कराता। किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य देता। क्रिकेट में बेईमानी करने वाले खिलाड़ियों को देशद्रोही के रूप में आजीवन कारावास की सजा दी जाती।
निर्धनों और वृद्धों की आर्थिक दशा सुधारने के विशेष कार्यक्रम होते। प्रत्येक भारतीय परिवार का अपना मकान होता। देश की समस्त झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियों को हटवा देता। एक-एक कमरे का सस्ता मकान बनवाकर उनमें निर्धनों के रहने की व्यवस्था करता।
सभी धर्मों को समान समझता। प्रत्येक गाँव, कस्बे, नगर और महानगर में सभी धर्मों के पूजा-स्थल साथ-साथ होते। उनमें सभी धर्मों की पूजा-पद्धतियों से उपासना की व्यवस्था होती। जाति के आधार पर नौकरियों की व्यवस्था न होती। प्रत्येक युवा के लिए पाँच वर्ष तक सेना की नौकरी करना अनिवार्य कर देता। सीमाओं की सुरक्षा पर सर्वाधिक ध्यान देता। प्रत्येक भारतीय को जीवन में एक बार सीमाओं पर रहने का अवसर देता।
नदियों के जल का सदुपयोग करता। बाढ़ों पर नियंत्रण की योजनाएँ बनवाता। जल और ताप बिजलीघर खुलवाता। अपराधियों को कड़े दंड देता जिससे लोग अपराध करने से पूर्व काँप जाते। व्यापारियों को उचित लाभ ही लेने पर विवश करता। महँगाई पर पूरा नियंत्रण रखता। बसों, रेलगाड़ियों आदि के किराए कम कर देता। प्रत्येक भारतीय को अन्य प्रांतों की भ्रमण-यात्रा पर विशेष छूट देता। टेलीविज़न के अश्लील कार्यक्रमों पर रोक लगा देता। नारियों के प्रति किसी भी प्रकार का अपराध करने पर कठोर कारावास दिया जाता।
भारत में इतनी अधिक समस्याएँ हैं, जिन्हें दूर करना सरल नहीं है। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो अपना पूर्ण जीवन इनका हल करने में लगा देता। अभी तो मैं विद्यार्थी हूँ। शिक्षा ग्रहण करके मैं राजनीति में प्रवेश लूँगा और एक दिन प्रधानमंत्री अवश्य बनूँगा। तब मैं अपने सपनों के भारत का निर्माण कर सकूँगा।