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भारत की खोज NCERT Solutions for Class 8 Hindi
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
‘आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?’ ये प्रश्न अध्याय दो के शुरुआती हिस्से से लिए गए हैं। अब तक आप पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नों के क्या उत्तर हो सकते हैं ? जो कुछ आपने पड़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।
उत्तर:
यह भारत एक प्राचीन देश है। सदियों से यह विश्व का श्रेष्ठ गुरु रहा है। यह एक ऐसी संस्कृति का पुंज है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है। इतिहास के लंबे दौर में यह अलग-थलग नहीं रहा तथा विश्व के अन्य देशों के संपर्क में रहा। इसमें अमीर-गरीब, उच्च-निम्न, पढ़े-लिखे, अनपढ़ सभी प्रकार के लोग हैं। यह देश विभिन्न आक्रमणों तथा विद्रोहों के बाद भी निरंतर बना रहा तथा विकास करता रहा।
अतीत में भारत दूसरी संस्कृतियों का स्वागत करके उन्हें आत्मसात कर लेता था। यह बाहर से आने वाले विभिन्न जाति समूहों को यहाँ स्थान देता था। उनकी विशेषताओं को अपने में धारण करता तथा अपने गुण उन्हें प्रदान करता था। इसकी प्रमुख विशेषता थी कि ये बाहरी संस्कृतियों को अपने में आसानी से समाहित कर लेता था।
भारत ने लगातार होने वाले आक्रमणों तथा विद्रोहों के कारण अपनी शक्ति को खो दिया। लंबे समय तक की पराधीनता के कारण भी इसकी शक्ति का हास हुआ। लेकिन भारत ने इस शक्ति को पूरी तरह नहीं खोया। बल्कि यह भविष्य में विकास के उद्देश्य से पुनः अपनी शक्ति को एकत्रित कर रहा है। विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा भारत में कई ऐसी विशेषताएँ हैं जिन्हें जानदार कहा जा सकता है।
जैसे-भारत की प्राचीन संस्कृति, रीति-रिवाज, मान्यताएँ, विभिन्न धर्म, जातियाँ, महापुरुषों के उच्च विचार, आपसी सहयोग, एकता, विविधताओं में एकता, अखंडता, विकास के लिए निरंतर प्रयास, धर्मनिरपेक्षता तथा लोकतंत्र पर आधारित शासन प्रणाली।
प्रश्न 2.
आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?
उत्तर:
भारत तकनीक की दौड़ में पिछड़ गया और यूरोप जो तमाम बातों में एक जमाने से पिछड़ा हुआ था, तकनीकी प्रगति के मामले में आगे निकल गया। इसका कारण यह है कि इस तकनीकी विकास के पीछे विज्ञान की चेतना थी तथा उत्साह की मानसिकता थी जिसकी भारत में कमी थी। वहीं नयी तकनीकों ने पश्चिमी यूरोप के देशों को सैनिक बल दिया और उनके लिए अपना विस्तार करके पूरब पर अधिकार करना आसान हो गया।
प्रश्न 3.
नेहरू जी ने कहा कि-“मेरे खयाल से, हम सब के मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तसवीरें हैं और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते।” अब आप बताइए कि
(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तसवीर है?
(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तसवीर कैसी है और आपकी और उनकी तसवीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?
उत्तर:
(क) हमारे मन में अपनी मातृभूमि की बड़ी ही सुंदर तसवीर है। हम यहाँ के मैदानों और उन पर बसे अनगिनत छोटे-बड़े गाँवों, वर्षा ऋतु की मनभावन बरसात, ग्रीष्म ऋतु में झुलसी धरती, यहाँ बहने वाली विशाल नदियों, यहाँ पड़ने वाली भीषण सर्दी, बर्फ से ढके हिमालय पर्वत, बसंत ऋतु का अद्भुत सौंदर्य, कश्मीर के रूप में धरती का स्वर्ग, रंग-बिरंगे फूलों से भरे बागों तथा कलकल बहते झरनों की तसवीर भी अपने मन में बनाते हैं।
(ख) हमारे अधिकांश साथियों की मातृभूमि की तसवीर हमारी तसवीर जैसी ही है। जहाँ हम भारत के विभिन्न भागों, ऋतुओं और परिवर्तनों के बारे में सोचते हैं। वहीं हमारे अधिकांश साथी भी ऐसा ही सोचते हैं। हमारी तसवीरों में यही समानता है। वहीं हमारे कुछ साथी भारत के विकास के विषय में भी तसवीर बनाते हैं जो हमारी तसवीर से भिन्न है।
प्रश्न 4.
जवाहरलाल नेहरू ने कहा, “यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर-बेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है।” उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ में कहा है?
उत्तर:
नेहरू जी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह जीवन के तौर-तरीकों से अपरिचित नहीं है। उसने कलाओं और जीवन। की सुख-सुविधाओं में उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति कर ली है। उसने केवल सुंदर वस्तुओं का सृजन ही नहीं किया बल्कि आधुनिक सभ्यता के उपयोगी तथा ज्यादा ठेठ चिह्नों, अच्छे हमामों और नालियों के तंत्र का निर्माण भी किया है। यह बात भारत के विकास के संदर्भ में कही गई है।
प्रश्न 5.
सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के बारे में अनेक विद्वानों के कई मत हैं। आपके अनुसार इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा, तर्क सहित लिखिए।
उत्तर:
हमारे अनुसार शायद इस सभ्यता का अंत बाहरी आक्रमणों के कारण हुआ होगा। क्योंकि यह सभ्यता शांतिप्रिय थी तथा युद्ध में विश्वास नहीं रखती थी। इसका प्रमाण यही है कि यहाँ किसी प्रकार के हथियार नहीं मिले हैं। वहीं इस समय आर्यों ने भारत में प्रवेश कर लिया था। वे अपने को यहाँ स्थापित करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने हमले भी किए होंगे तथा युद्ध का मार्ग भी अपनाया होगा।
प्रश्न 6.
उपनिषदों में बार-बार कहा गया है कि-“शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और तन-मन दोनों अनुशासन में रहें।” आप अपने दैनिक क्रिया-कलापों में इसे कितना लागू कर पाते हैं ? लिखिए।
उत्तर:
ज्ञानार्जन या किसी भी तरह की उपलब्धि के लिए संयम, आत्मपीड़न और आत्मत्याग जरूरी है, इसलिए हमें अनुशासन में रहना चाहिए। हम अपने दैनिक क्रिया-कलापों में इसे पूरी तरह लागू करते हैं। हम अपने अधिकांश काम अनुशासित ढंग से करते हैं। साथ ही अपने तन तथा मन को स्वच्छ रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करते हैं। प्रतिदिन सुबह की सैर करते हैं। रात को जल्दी सो जाते हैं। वहीं सुबह जल्दी उठ जाते हैं।
प्रश्न 7.
नेहरू जी ने कहा कि-“इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए।” आपके अनुसार इतिहास लेखन में क्या-क्या शामिल किया जाना चाहिए? एक सूची बनाइए और उस पर कक्षा में अपने साथियों और अध्यापकों से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हमारे अनुसार इतिहास लेखन में अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतियों और इमारतों के अवशेषों, सिक्कों, साहित्य की सामग्री, विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों आदि को शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही परंपरागत वृत्तांतों, पौराणिक गाथाओं और कहानियों को भी आधार बनाया जा सकता है। वहीं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना चाहिए। इतिहास लेखन करते समय बीती घटनाओं, चरित्रों तथा महापुरुषों का विवेचन भी अनिवार्य है। वहीं वर्णन में तथ्यों का पूर्ण समावेश होना चाहिए। छात्र कक्षा में चर्चा करें।
प्रश्न 8.
“हमें आरंभ में ही एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है।” आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कौन-कौन सी – बातें/चीजें हैं जो हजारों साल पहले से चली आ रही है? आपस में चर्चा करके पता लगाइए।
उत्तर:
आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कई बातें/चीजें हैं जो हजारों साल पहले से चली आ रही हैं। जैसे-साहित्य और दर्शन, कला और नाटक, संगीत, पुरानी मान्यताएँ तथा रीति-रिवाज, आध्यात्म संबंधी मान्यताएँ, नीति संबंधी विचार, त्योहार, धर्म, आस्थाएँ, वेद, पुराण, उपनिषद, महाकाव्य, वृत्तांत मूर्तियाँ आदि।
प्रश्न 9.
आपने पिछले साल (सातवीं कक्षा में) बाल महाभारत कथा पढ़ी। भारत की खोज में भी महाभारत के सार को सूत्रबद्ध करने का प्रयास किया गया है-“दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हें खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो।” आप अपने साथियों से कैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं और स्वयं उनके प्रति कैसा व्यवहार करते हैं ? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हम अपने साथियों से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे सभी साथी सहयोग तथा एकता का भाव बनाकर रहें। वह हर स्थितियों में एक-दूसरे का साथ दें तथा हमारे सच्चे और हितैषी मित्र बनकर रहें। हम स्वयं भी अपने साथियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। हम अपने सभी साथियों का साथ हर परिस्थिति में देते हैं। वे हमें जो भी काम करने को कहते हैं, हम बिना किसी न-नुकर के कर देते हैं। हम कभी भी अपने साथियों का दिल नहीं दुखाते हैं।
प्रश्न 10.
प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा ज़मीन और उत्पादन पर ‘कर’ (tax) लगाया जाता रहा है। आजकल हम किन-किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं, सूची बनाइए।
उत्तर:
प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा जमीन और उत्पादन पर ‘कर’ लगाया जाता रहा है। आजकल हम जमीन और उत्पादन के साथ-साथ कई अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं पर कर देते हैं। जैसे-आमदनी पर कर, उत्पादन पर कर, बिक्री पर कर, राजस्व पर कर, आयात-निर्यात पर कर, उपज पर कर, निवास स्थान पर कर, व्यापार संबंधी कर, कई प्रकार की सेवाओं पर कर आदि।
प्रश्न 11.
(क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए।
(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन-कौन से प्रभाव देखे, जा सकते हैं? साथ मिलकर एक सूची बनाइए। (संकेत-खान-पान, पहनावा, फिल्में, हिंदी कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि।)
उत्तर:
(क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कई प्रभाव पड़े। विदेशों से भारत में आने वाले यात्री यहाँ से भारत की संस्कृति की विशेषताओं को अपने साथ ले गए। जैसे-विदेशों में भारतीय जीवन में मिलने वाली खाने-पीने की कई चीजें मिलने लगीं। साथ ही भारतीय कपड़ों का भी विदेशों में प्रचलन बढ़ा।
(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कई प्रभाव देखे जा सकते हैं। जैसे आज विदेशों में भारत के विभिन्न पकवान तथा खान-पान की चीजें मिलती हैं। भारत में पहने जाने वाले कपड़ों की भी विदेशों में काफी माँग है। वहीं आज भारत की हिंदी तथा अन्य भाषाओं की फिल्में भी विदेशों में काफी चलती हैं। इसके अतिरिक्त भी भारतीय संस्कृति के कई अन्य पहलू जैसे धर्म, दर्शन, नीति-शिक्षा आदि भी विदेशों में महत्त्वपूर्ण स्थान बना रहे हैं।
प्रश्न 12.
पृष्ठ संख्या 34 पर कहा गया है कि जातकों में सौदागरों की समुद्री यात्राओं/यातायात के हवाले भरे हुए हैं। विश्व/भारत के मानचित्र में उन स्थानों/रास्तों को खोजिए जिनकी चर्चा इस पृष्ठ पर की गई है।
उत्तर:
प्रश्न 13.
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक विषयों की चर्चा है, जैसे, “व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, उद्योग-धंधे, सिंचाई और जलमार्ग, जहाज़ और जहाजरानी, निगमें, जन-गणना, मत्स्य-उद्योग, कसाई खाने, पासपोर्ट और जेल-सब शामिल हैं। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी।” वर्तमान में इन विषयों की क्या स्थिति है? अपनी पसंद के किन्हीं दो-तीन विषयों पर लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान समय में इन सभी विषयों तथा क्षेत्रों में काफी सुधार हो गए हैं। आज हम शिक्षा और समझ के आधार पर पुरानी स्थितियों से काफी दूर हो गए हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण विषय निम्नलिखित हैं –
(i) सामाजिक रीति – रिवाज़ भारतीय समाज विभिन्न धर्मों, जातियों और मतों वाला है। भारत में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, फारसी, मुसलमान आदि विभिन्न मतों और धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। यहाँ अनगिनत जातियाँ और संप्रदाय हैं। लेकिन विश्व का जो देश कभी सर्वोपरि था, आज वह अनेक सामाजिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से ग्रस्त है।
भारतीय समाज में विभिन्न रीति-रिवाज तथा मान्यताएँ विद्यमान हैं। यहाँ की सबसे प्रमुख समस्या जातिवाद है। जिससे आपसी टकराहट उत्पन्न हो रही है। भारत की दूसरी प्रमुख सामाजिक समस्या नारी की दुर्दशा से संबंधित है। जो सामाजिक रीति-रिवाजों तथा मान्यताओं की उपज है। बाल विवाह, पर्दा प्रथा, अनमेल विवाह, रूढ़िवादिता, बहु विवाह के कारण नारी की स्थिति चिंताजनक बन गई है। पुरानी रीतियों के कारण बाल विवाह, पर्दा प्रथा और तलाक प्रथा में जकड़ी मुस्लिम स्त्रियाँ तो शिक्षा से भी वंचित हैं।
आज का भारतीय समाज स्वार्थ, भ्रष्टाचार और हिंसा की नींव पर खड़ा है जिसका कारण काफी हद तक हमारे रीति-रिवाज़ ही हैं। सामाजिक रीति-रिवाज़ों की बुराइयों के कारण ही भारतीय समाज खोखला हो रहा है। इन सामाजिक बुराइयों और समाज में व्याप्त समस्याओं को युवा वर्ग तथा समाज-सुधारक मिलकर ही दूर कर सकते हैं।
(ii) उद्योग – धंधे – भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। यद्यपि यहाँ प्रकृति ने प्रचुर साधन उपलब्ध कराए हैं। लेकिन पूँजी की कमी और तकनीकी ज्ञान के अभाव में पर्याप्त उन्नति नहीं हो सकी है। यदि बड़े उद्योगों की स्थापना के लिए पूँजी का अभाव हो तो लघु और कुटीर उद्योग-धंधे चलाना देश के लिए लाभकारी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु और कुटीर उद्योगों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनके माध्यम से अधिक श्रम-शक्ति को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। इनकी स्थापना दूर-दूर के गाँवों तथा कस्बों में की जा सकती है। लघु और कुटीर उद्योगों से राष्ट्रीय उत्पादन का एक बड़ा भाग प्राप्त होता है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। आज लघु उद्योगों के समक्ष पर्याप्त कच्चे माल की नियमित और उचित मूल्य पर उपलब्धि की समस्या है। अतः सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए जिससे इन उद्योग-धंधों का विकास हो सके।
(iii) कृषि भारत में प्राचीन काल से ही कृषि की परंपरा रही है। कृषि के माध्यम से भारत की एक बड़ी जनसंख्या का पेट पलता है। देश के काफी हिस्से में कृषि की जाती है। इसके अलावा कृषि के माध्यम से ही भारत की समस्त जनसंख्या को खाने-पीने के पदार्थ मिलते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय आय में भी कृषि का काफी महत्त्व है।
कृषि के क्षेत्र में आई हरित क्रांति के बाद से भारत ने काफी विकास किया है। आज हमें कृषि के क्षेत्र में काफी विकास दिखाई देता है। कृषि पुराने औजारों के स्थान पर नई-नई मशीनों के माध्यम से की जाने लगी है। लेकिन इन सबके बावजूद कृषि के समक्ष कई समस्याएँ भी हैं। फिर भी भारतीय कृषि निरंतर उन्नत हो रही है।
प्रश्न 14.
आजादी से पहले किसानों की समस्याएँ निम्नलिखित थीं-“गरीबी, कर्ज, निहित स्वार्थ, जमींदार, महाजन, भारी लगान और कर, पुलिस के अत्याचार………….” आपके विचार से आजकल किसानों की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर:
आजादी से पहले किसानों की कई समस्याएँ थीं। जैसे-गरीबी, कर्ज, निहित स्वार्थ, जमींदार, महाजन, भारी लगान और कर, पुलिस के अत्याचार आदि। आजकल के किसानों के आगे जहाँ गरीबी, कर्ज, भारी लगान, पुलिस के अत्याचार आदि समस्याएँ हैं, वहीं उनके सामने सिंचाई की उचित व्यवस्था, उन्नत किस्म के बीजों तथा खाद की कमी, अत्याधुनिक कृषि उपकरणों तथा मशीनों की कमी, मौसम की मार, बाजार को परिवर्तनशील स्थिति, उत्पादन में गिरावट, पर्याप्त कीमत न मिलना जैसी समस्याएँ भी हैं।
प्रश्न 15.
“सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते, उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए।” ऐसे कौन-कौन से सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं?
उत्तर:
सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते। उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे कई सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें हम बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं। जैसे
- अपने शहर, कॉलोनी या आसपास की सुरक्षा का ध्यान रखना।
- अपने आसपास की साफ-सफाई का ध्यान रखना।
- कानून तथा व्यवस्था का पालन करना।
- प्याऊ, मंदिरों तथा पार्क आदि की देखभाल करना।
- सड़कों व गलियों के निर्माण तथा रख-रखाव में योगदान देना।
- अपने क्षेत्र में पेड़ों की कटाई रोकना तथा नए पेड़ लगाना।
- त्योहारों के अवसर पर मेलों तथा उत्सवों का आयोजन करना।
प्रश्न 16.
महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए ‘हर स्थान पर और हर समय हमेशा उपलब्ध हैं। हमारे समय के शासक/लोक-सेवक इस कसौटी पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर:
हमारे समय के शासक तथा लोक-सेवक इस कसौटी पर बिलकुल भी खरे नहीं उतरते हैं। वे चुनावों के समय वोट माँगने जनता के पास आते हैं तथा जनता से तरह-तरह के वादे करते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे जनता को पूरी तरह भूल जाते हैं। यदि उन्हें जनता किसी कार्य के लिए निमंत्रण देती है तो वे काम के बोझ या समय की कमी की बात कहकर टाल देते हैं। जिस जनता ने उन्हें जिताया होता है उसी के लिए उनके पास समय नहीं होता है। कुछ नेता इसके विपरीत भी हैं। वे जनता के सच्चे साथी तथा मित्र के समान रहते हैं।
प्रश्न 17.
‘औरतों के परवे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।’ कैसे?
उत्तर:
औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई, क्योंकि इस कारण औरत को शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। वह समाज से अलग-थलग रही। औरत के पढ़े-लिखे न होने का प्रभाव उसके पति, बच्चों, परिवार तथा संपूर्ण समाज पर पड़ा। वहीं परदे में रहने के कारण वह सामाजिक जीवन में पूर्ण रूप से सम्मिलित नहीं हो पाई। समाज में नारी और पुरुष का समान स्थान है, लेकिन औरत के परदे में रहने के कारण उसे यह स्थान न मिल सका। जिससे सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।
प्रश्न 18.
मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए-
(क) अमीर खुसरो
(ख) कबीर
(ग) गुरु नानक
(घ) रहीम
उत्तर:
मध्यकाल में अनेक संत रचनाकारों ने विभिन्न रचनाओं का सृजन किया। इन रचनाकारों में अमीर खुसरो, कबीर, गुरु नानक, रहीम आदि प्रमुख हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
(क) अमीर खुसरो-अनगिनत पहेलियों तथा गीतों का निर्माण।
(ख) कबीर-कबीर की साखियाँ और पद।
(ग) गुरु नानक-गुरु ग्रंथ साहिब।
(घ) रहीम-रहीम के दोहे।
प्रश्न 19.
बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे
(क) अभिधा
(ख) लक्षणा
(ग) व्यंजना
बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है ? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है? “यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता…बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।”
उत्तर:
नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से व्यंजना का उदाहरण है। हमें ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि यहाँ नेहरू जी भारत के विकास न कर पाने का वर्णन कर रहे हैं।
प्रश्न 20.
“नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीण जनता की ओर ले गई। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुद्धिजीवियों के सामने आया………” आपके विचार से आजादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस ‘नयी ताकत’ की ओर इशारा कर रही हैं ? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आजादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया?
उत्तर:
हमारे विचार से आजादी की लड़ाई के बारे में कही गईं ये बातें नयी ताकत के रूप में ‘ग्रामीण समुदाय’ की ओर इशारा कर रही हैं। वह व्यक्ति जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने ग्रामीण जनता को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग किया। साथ ही उन्हें देश की आजादी के महत्त्व से अवगत कराया जिसने ग्रामीण जनता को भी आजादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया।
प्रश्न 21.
‘भारत माता की जय’-आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
उत्तर:
‘भारत माता की जय’ – नारे में भारत माता की जय की बात कही जाती है। क्योंकि भारतवासी अपनी जन्मभूमि से बहुत प्यार करते हैं और हमेशा उसकी जय ही चाहते हैं।
प्रश्न 22.
(क) भारत पर प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा।
(ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है?
उत्तर:
(क) भारत में प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे, जो इस प्रकार हैं –
- आर्यों द्वारा आक्रमण
- तुर्की शासकों के आक्रमण
- अफ़गानी शासकों के आक्रमण
- मंगोलों का आक्रमण
- मुगल शासकों के आक्रमण
- ब्रिटिश आक्रमण
(ख) भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से काफी अलग थी। इससे पहले हुए आक्रमणों में आक्रमणकारी यहाँ से धन आदि लूटकर वापस चले गए थे। लेकिन अंग्रेज भारत में व्यापार करने के बहाने से आए और यहीं बस गए। उन्होंने धीरे-धीरे संपूर्ण भारत पर कब्ता कर लिया। साथ ही भारत के विकास के लिए भी महत्त्वपूर्ण कार्य किए।
प्रश्न 23.
(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी। क्यों?
(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत काम करना पड़ा। क्यों?
उत्तर:
(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसद करती थी, क्योंकि अंग्रेजी सरकार भारत में लंबे समय तक शासन करना चाहती थी। वहीं यदि भारत में शिक्षा का प्रसार हो जाता तो भारतीय पढ़-लिखकर आजादी की मांग करने लगते जिससे ब्रिटिश शासन को खतरा हो सकता था। साथ ही शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय लोग शासन व्यवस्था में भी हस्तक्षेप करने लगते।
(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत सोचना पड़ा क्योंकि उन्हें नीचे के पदों पर कार्य करने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी। साथ ही उन्हें यह डर भी था कि शिक्षा को पूरी तरह नजरअंदाज करने से भारतीय विद्रोह न कर दें।
प्रश्न 24.
ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि-“नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था।” क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है? कैसे?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया है कि नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था। हाँ अब भी नया पूंजीवाद पूरे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व बाजार में होने वाले उतार-चढ़ावों का भारत के बाजार पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जैसे विश्व में तेल आदि की कीमतें बढ़ने पर भारत में भी तेल की कीमतों में वृद्धि होती है।
प्रश्न 25.
गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए
(क) कांग्रेस संगठन में।
(ख) लोगों में विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपतियों आदि में
(ग) आजादी की लड़ाई के तरीकों में।
(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।
उत्तर:
गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में अनेक तरह के बदलाव आए। जैसे
(क) कांग्रेस संगठन में-गाँधी जी के आने से कांग्रेस संगठन | पहले की अपेक्षा अधिक सक्रिय हो गया। अब इसमें मजदूर, किसान | आदि भी शामिल थे। जिस कारण यह संगठन पूरे भारत का संगठन
बन गया और एक नए जोश के साथ कार्य करने लगा
(ख) लोगों में-गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर लोगों में भी व्यापक बदलाव हुए। विद्यार्थी पहले की अपेक्षा और । अधिक उत्साह के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। स्त्रियाँ भी आजादी की लड़ाई में पूर्ण रूप से शामिल हो गईं। वहीं उद्योगपतियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में बराबर योगदान दिया तथा भारत के विकास के लिए प्रयास करने लगे।
(ग) आजादी की लड़ाई के तरीकों में-गाँधी जी के आने से आजादी की लड़ाई के तरीकों में भी काफी बदलाव आया। अब आजादी की लड़ाई शांतिपूर्ण तथा अहिंसा के माध्यम से की जाने लगी। अपनी समस्याओं को बातचीत तथा निवेदन के द्वारा सुलझाया जाने लगा।
(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में-गाँधी जी के लौटने पर साहित्य, संस्कृति तथा अखबार आदि में भी काफी बदलाव हुए। साहित्य का मुख्य विषय स्वतंत्रता बन गया। संस्कृति में भी कई नई बातों का समावेश हुआ। वहीं अखबारों में भी आजादी की लड़ाई से संबंधित लेख तथा विचार छपने लगे।
प्रश्न 26.
“अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है।” आपके विचार से भारत में किस-किस तरह के अंतर्विरोध हैं ? कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए। (संकेत-अमीरी-गरीबी, आधुनिकता-मध्ययुगीनता, सुविधा-संपन्न-सुविधा विहीन आदि)
उत्तर:
अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है। हमारे विचार से भारत में अनेक तरह के अंतर्विरोध हैं। जैसे-भारत में कुछ लोग बहुत धनवान हैं, तो कुछ लोग बहुत निर्धन। यहाँ आधुनिकता भी है और मध्ययुगीनता भी। यहाँ शासक है तो शासित भी। ब्रिटिश हैं तो भारतीय भी। सुविधाओं के भंडार हैं तो असुविधाएँ भी। अलग-अलग जातियाँ हैं, तो उनमें अखंड एकता भी है। यहाँ विभिन्न धर्म हैं लेकिन उनका स्तर एक ही
प्रश्न 27.
पृष्ठ संख्या 122 पर नेहरू जी ने कहा है कि-“हम भविष्य की उस ‘एक दुनिया’ की तरफ बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाति की अंतरराष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी।” आपके अनुसार उस ‘एक दुनिया’ में क्या-क्या अच्छा है और कैसे-कैसे खतरे हो सकते हैं?
उत्तर:
हमारे विचार में उस एक दुनिया में जहाँ हमें समझदारी, ज्ञान, मित्रता और सहयोग मिलेगा, वहीं हमें धोखा तथा कपट भी मिल सकता है। विकास की दौड़ में हम पिछड़ भी सकते हैं। विकास के साथ-साथ पतन के खतरे भी बने रहेंगे। लेकिन उस दुनिया में हम दूसरों की कृपा और सहारे के मोहताज़ नहीं होंगे। इस तरह हम सच्चे भारतीय और एशियाई ही नहीं होंगे, बल्कि अच्छे अंतरराष्ट्रीयतावादी और विश्व नागरिक होंगे।