भारत की सांस्कृतिक एकता संकेत बिंदु:
- सांस्कृतिक एकता का अर्थ
- अनेकता में एकता
- भाषा व बोली में समानता धर्म निरपेक्षता
- हमारे पर्व और त्योहार
- उपसंहार।
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भारत की सांस्कूतिक एकता पर अनुच्छेद लेखन | Paragraph on Cultural Unity of India in Hindi
भारत की सांस्कूतिक एकता पर निबंध | Essay on Cultural Unity of India in Hindi
सांस्कृतिक एकता राष्ट्र की एकात्मकता का प्रमाण है; मानव की जन्मजात उच्छंखल प्रवृत्तियों पर प्रतिबंध की परिचायक है: व्यक्ति और राष्ट की उन्नति का सोपान है: विश्व के विशाल प्रांगण में व्यक्ति की पहचान का प्रतीक है। सांस्कृतिक एकता का अर्थ भारत की दो, तीन या चार धार्मिक वृत्तियों से जुड़ा संस्कृति का मिलन नहीं, न ही इसका अर्थ एक मिश्रित संस्कृति का उदय है। इसका सीधा-सा अर्थ है कि हिंदू धर्म में विभिन्न मत-मतांतरों के होते हए भी खान-पान, रहन-सहन, पूजा-उपासना में विभेद होते रहते हुए भी विश्व का हिंदू सांस्कृतिक दृष्टि से एक सूत्र में बँधा है, वह एक है।
परंपराएँ, मान्यताएँ, आस्थाएँ, जीवनमूल्य उसके इस्पाती स्तंभ हैं। भारत विभेदों का समुद्र है, शायद इसलिए इसे उपमहाद्वीप माना जाता है। यहाँ ढाई कोस पर बोली बदलती है। संविधान स्वीकृत 22 भाषाएँ हैं। अनेक धर्मों को मानने वाले लोग यहाँ हैं। परिधान की विविधता में यहाँ इंद्रधनुषी सप्त रंगों के दर्शन होते हैं। रुचि की विविधता तथा जलवायु की आवश्यकता के अनुसार खान-पान में विभिन्नता है, पर ये विभिन्नताएँ भारतीय संस्कृति की एकता का पोषक ही हैं, बाधक नहीं हैं। पर्व और त्योहार हमारी सांस्कृतिक एकता की आधारशिला हैं तथा एकात्मदर्शन के साक्षी हैं।
देश में पाए जाने वाले अनेक तीर्थ भी हमारी अटूट सांस्कृतिक एकता के प्रमाण हैं। इस सांस्कृतिक एकता के कारण सृष्टि के आदि से चली आ रही भारतीय संस्कृति आज भी गौरव और गर्व से विश्व के प्रांगण में उन्नत मस्तक किए है। यही कारण है कि हमारी संस्कृति काल के अनेक थपेड़े खाकर भी आज अपने आदि स्वरूप में जीवित है।