प्रकृति का क्रूर परिहास बाढ़’ संकेत बिंदु:
- बाढ़ के कारण
- बाढ़ का स्वरूप
- बाढ़ के परिणाम
- बाढ़ एक अभिशाप
- उपसंहार।
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बाढ़ पर अनुच्छेद लेखन | Paragraph on Flood in Hindi
बाढ़ पर निबंध | Badh Par Nibandh – Paragraph on Flood in Hindi
बाढ़ भयंकरता का सूचक है, बाढ़ का दृश्य वीभत्स होता है, कारुणिक होता है, भयप्रद होता है। विनाशकारी जल-प्रयत्न मनुष्य की चिरसंचित और अजत जीवनोपयोगी सामग्री को नष्ट कर देता है। खेती और खेत को बर्बाद कर देता है। अँधेरा तथा पीने के जल का प्रभाव मन-मस्तिष्क को झकझोर देता है। पशु-धन को बहा ले जाता है। मकान टूटकर गिर जाते हैं। बेसहारा प्राणी प्रभु का स्मरण करते हुए ‘त्राहिमाम्’चिल्लाते हैं।
8-10 फुट तक घरों में घुसा पानी निकलने का नाम ही नहीं लेता। घर की सारी संपत्ति को नष्ट कर देता है। निरीह मानव पेय-जल, भोजन, वस्त्र आदि के अभाव और अग्नि की असुविधा से पीड़ित सहायता की खोज़ करता है। दूर-दूर तक जल-ही-जल दिखाई देता है। मक्खी-मच्छरों का साम्राज्य जल पर क्रीड़ा कर रहा होता है। बिजली के स्तंभ और सड़क के किनारे खड़े वृक्ष नतमस्तक होकर जल-प्रलय के सम्मुख आत्म-समर्पण करते दिखाई देते हैं।
विपत्ति कभी अकेले नहीं आती। जल-प्रलय की हानि समष्टिगत विनाश ही नहीं, व्याधि की जड़ भी है। जल से मच्छर उत्पन्न होते हैं, मच्छर मलेरिया फैलाते हैं, दूषित जल पीने से हैजा आदि बीमारियाँ फैलती हैं। भारतीय दर्शन के मतानुसार पृथ्वी पर पाप के भार को कम करने के लिए प्रकृति दंड देती है। बाढ़ प्रकृति का अभिशाप है। भारत में आने वाली प्रत्येक बाढ़ राज्य सरकारों की बाढ़ रोकने के प्रति अकर्मण्यता अथवा असमर्थता का प्रमाण है।
बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ दिए जाने वाले पदार्थ और धन में से अपना हिस्सा काटना अधिकारियों की अनैतिकता का दस्तावेज़ है। यदि बाढ़ के प्रकोप को रोकना संभव नहीं तो उसकी भयावहता को कम अवश्य किया जा सकता है।
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