करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान संकेत बिंदु:
- उन्नति का मूल-मंत्र अभ्यास
- सर्वत्र अभ्यास की आवश्यकता
- महान लोगों के जीवन का आधार अभ्यास
- निरंतर अभ्यास जीवन की साधना।
आप अधिक अनुच्छेद लेखन, लेख, घटनाओं, आयोजन, लोग, खेल, प्रौद्योगिकी और अधिक पढ़ सकते हैं।
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान पर निबंध | Essay on Karat Karat Abhyas Jadmati Hot Sujan In Hindi
उन्नति और सफलता का मूल-मंत्र अभ्यास है। सफलता के लिए किया गया परिश्रम अभ्यास से ही फलित होता है। एक बार किया हुआ श्रम मनवांछित फल नहीं देता; बार-बार के अभ्यास से ही फल-सिद्धि होती है। चाहे निर्माण कार्य हो, कला-कौशल को सीखना हो, किसी लक्ष्य तक पहुँचना हो अथवा विद्याध्ययन हो, सर्वत्र अभ्यास की आवश्यकता है। यहाँ तक कि प्रतिभावान व्यक्ति भी यदि अभ्यास न करे तो वह आगे नहीं बढ़ सकता।
किसी भी रचना में परिपक्वता अभ्यास से आती है। अभ्यास के बल पर एकलव्य प्रखर धनुर्धर; कालिदास, वाल्मीकि और तुलसीदास महाकवि; बोपदेव संस्कृत-प्राकृत के समर्थ वैयाकरण, अमिताभ बच्चन शती के महान ‘एक्टर’ और कपिलदेव शती के महान क्रिकेटर’ सिद्ध हुए। निरंतर अभ्यास जीवन में साधना का एक रूप है, जिसका सुख साधक को स्वतः मिलता है। किसी कवि का यह कथन बड़ा ही सार्थक है :
‘करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान॥’