महात्मा गांधी संकेत बिंदु:
- गांधीजी का परिचय
- जन्म
- पढ़ाई-लिखाई
- व्यवसाय
- अंग्रेजों के साथ मुठभेड़
- मृत्यु
- उपसंहार।
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महात्मा गांधी पर अनुच्छेद लेखन | Paragraph on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
एक विद्वान ने महात्मा गांधी जी के लिए सच ही कहा था-“भविष्य में लोग विश्वास नहीं कर पाएंगे कि गांधी हमारे युग में हाड़-मांस का बना एक मानव था, देवता नहीं।” _गांधी जी ने अपने जीवन में ऐसे-ऐसे असाधारण कार्य किए कि वे अपने जीवन में ही देवतुल्य सम्मान के अधिकारी हो गए थे। गांधी जी जैसा व्यक्तित्व विश्व इतिहास में कभी-कभी जन्म लेता है। एक ऐसा व्यक्तित्व जो अपने प्रभाव से युग की धारा को मोड़ने में समर्थ होता है। बहुत कम जन्म लेते हैं। गांधी जी एक ऐसा ही व्यक्तित्व रखते थे। गांधी जी का वास्तविक नाम मोहनदास था।
उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। गांधी के पिता करमचंद गांधी और दादा आखा गांधी विभिन्न रियासतों में दीवान का कार्य करते रहे। गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की अल्पायु में ही कस्तूरबा के साथ हो गया। गांधी जी स्वभाव से कम बोलने वाले संकोची किस्म के युवक थे। वकालत में असफल होने के बाद उन्होंने अत्याचारी अंग्रेज़ का सामना करने की ठानी। अफ्रीका में अत्याचारी, गोरी अंग्रेज़ सरकार निरीह कालों पर जिस प्रकार का जुल्म ढा रही थी, वह गांधी के लिए असह्य था। गांधी ने सत्याग्रह का प्रयोग किया और इस अन्याय का मुकाबला ‘अहिंसा, सदाचार, स्वावलंबन के माध्यम से किया। गांधी जी को भारी जन सहयोग मिला और उनका यह सत्य अहिंसा-सत्याग्रह का प्रयोग सफल रहा। गांधी जी भारत लौटकर आए।
भारत की स्थिति दक्षिण अफ्रीका से अच्छी नहीं थी। ब्रिटिश सरकार का स्वेच्छाकार, अन्याय और शोषण पराकाष्ठा पर था। गांधी जी ने अपना कार्य शुरू किया। गांधी जी का कहना था कि आजादी की लड़ाई पूर्णतः अहिंसक होनी चाहिए। सिर्फ आज़ादी प्राप्त करना ही काफी नहीं है, बल्कि सामाजिक बुराइयों को दूर करना भी उतना ही आवश्यक है। गांधी जी ने छुआ-छूत, जाति-पाति, नशाखोरी आदि के विरुद्ध आंदोलन छेड़कर लोगों को जाग्रत किया। 1942 में गांधी जी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा देते हुए असहयोग आंदोलन का सूत्रपात किया।
जिसका परिणाम हुआ 15 अगस्त 1947 को भारत को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई। 30 जनवरी 1948 के दिन हमारा दुर्भाग्य रहा जिस दिन एक व्यक्ति की नादानी की वजह से महात्मा गांधी हमें हमेशा के लिए छोड़कर चले गए।