प्रदूषित हवा हर साँस में – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
शताब्दियों पूर्वकाल में न प्राकृतिक स्त्रोतों का इतना दहन किया जाता था और न ही पेड़ों को काटा जाता था। न जनसंख्या की विकट समस्या थी और न इतना औद्योगिकरण था। प्राकृतिक संतुलन ठीक था। लोगों को शुद्ध जल और वायु मिलती थी।
आज का युग प्रौद्योगिकी का युग है जिसके चलते प्रकृति के साथ छेड-छाड की जा रही है। और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है।
Solution 2:
हमारे प्राकृतिक संसाधन जल, स्वच्छ वायु व हरे-भरे पेड़-पौधे हैं। मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है। कारखानों से निकला धुआँ व जहरीली गैसें नदियों के पानी एवं वातावरण को दूषित कर रही है। यातायात के साधन, एसी, कूलर और फ्रिज साधनों के प्रयोग से वातावरण में वैश्विक स्तर पर गर्मी बढ़ रही है। आज हर जगह ‘कंक्रीटीकरण’ बढ़ने से पेड़ों और वनों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है।
इस प्रकार आज की में प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग हो रहा है।
Solution 3:
वाहनों की निरंतर बढ़ती संख्या के कारण निर्माण होने वाली प्रदूषण समस्या को हम निम्नलिखित प्रकार से काबू में रख सकते हैं –
वाहनों से निकलने वाले धुएँ को नियंत्रित करने के लिए अनेक तकनीकें विकसित की गई हैं: जैसे ट्यून-अप, कैटेलिटिक रिएक्टर और इंधन में सुधार। इनका प्रयोग करना चाहिए।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- परंतु इसकी तुलना में वह साँस लेकर प्रतिदिन 15 किलोग्राम वायु का आदान-प्रदान करता है।
- आजकल शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक उद्योग स्थापित हुए हैं।
- वाहनों से निकलने वाले धुएँ को नियंत्रित करने के लिए अनेक तकनीकें विकसित की गई हैं।
Solution 2:
- नई-नई प्रौद्योगिकियों के प्रसार के कारण पैदा होने वाले उत्पादों से हमारी हवा भी जहरीली होती जा रही है।
- सबसे पहला और सबसे आवश्यक नियम यह सुनिश्चित करना है कि जलाने की क्रिया अधूरी न हो।
Solution 3:
- मनुष्य भोजन के बिना एक महीना जी सकता है।
- 3 दिसंबर, 1983 को भोपाल में प्राण घातक गैस दुर्घटना हुई थी।
- औद्योगिक चिमनियों और वाहनों का निकला धुँआ वायुमंडल में घुल-मिल जाता है।
- मनुष्य स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से बिजली घर, उवर्रक संयंत्र, सीमेंट और पीड़ानाशी बनानेवाले उद्योग या घना धुआँ तथा जहरीली गैस छोड़नेवाले उद्योग मानव आबादी से दूर होने चाहिए।
- कोलकाता का हर नागरिक साँस द्वारा प्रतिदिन दो पैकेट सिगरेट पीने के बराबर का जहरीला धुआँ लेता है।
- प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले उपकरण ‘अरेस्टर्स’ ‘स्क्रबर’ और फिल्टर हैं।
- पेड़ में ‘कार्बनडाई-ऑक्साइड’ को अवशोषित करने की क्षमता होती है।
- हरियाली ‘कार्बनडाई-ऑक्साइड’ को अवशोषित करती है।
Solution 4:
- चिमनियों से निकला धुआँ हवा में घूल-मिल जाता है।
- जहरीली गैसों, राख और मिट्टी के कणों से हवा दूषित हो जाती है।
- दूषित हवा का मनुष्य और वातावरण पर असर होता है, अनजाने में हमारे फेफड़ों में धीरे-धीरे प्रदूषक तत्व इकट्ठा होते जाते हैं।
- इस परिच्छेद में लेखक ने हमारा ध्यान वायु-प्रदूषण से होनेवाले खतरों की ओर खींचा है।
भाषा अध्ययन
Solution 1:
Solution 2:
- हररोज – क्रियाविशेषण अव्यय
- बिना – संबंधसूचक अव्यय, परंतु – समुच्चय बोधक अव्यय
- भी – समुच्चय बोधक अव्यय
Solution 3:
Solution 4:
- पेड़ कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा कम करने में हमारी मदद करते हैं।
- हम वायुप्रदूषण के शिकार हो रहे हैं।
- मनुष्य भोजन के बिना एक महीना जी सकता है।
Solution 5:
Solution 6:
Solution 7:
Solution 8:
Solution 9:
अ. यह ‘धन्यवाद’ किस बात का?
आ. संपादक महोदय ने मेरा लेख लौटा दिया है।
इ. तीसरे साहब ने मजाक उड़ाया।
ई. तुम्हारे पैर पड़ती हूँ।