जनसंख्या वृद्धि की समस्या संकेत बिंदु:
- जनसंख्या की तेजी से वृद्धि
- जनसंख्या वृद्धि के कारण
- जनसंख्या नियंत्रणा
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध | Essay on Problem of Population Growth In Hindi
आज जिधर नज़र दौड़ाएँ भीड़-ही-भीड़ दिखाई देती है। बस अड्डे हों, रेलवे स्टेशन हों अथवा हवाई अड्डे; स्कूल हों अथवा अस्पताल, बाज़ार हों अथवा गली-मौहल्ले, चारों ओर जनसमूह उमड़ा दिखाई देता है। ऐसा लगता है मनुष्यों की बाढ़ आ गई है। इन मनुष्यों के लिए खेत-खलिहान कटकर मकान बन गए, महानगरों में दसियों मंज़िलें भवन बन गए फिर भी लोगों को सिर छिपाने के लिए स्थान नहीं मिलता। इसके परिणामस्वरूप झुग्गियों की पंक्तियों की पंक्तियाँ बस्तियों में परिवर्तित हो गई हैं। जनसंख्या के तेज़ी से बढ़ने के कारण ही यह स्थिति आई है।
भारत की जनसंख्या 130 करोड़ को पार कर गई है। यह रुकने का नाम नहीं ले रही है। विश्व का प्रत्येक छठा व्यक्ति भारतीय हो जाएगा। इस तीव्र गति से हो रही जनसंख्या वृद्धि को रोकने के प्रयास हो रहे हैं परंतु इसके मार्ग में निरक्षरता की बहुत बड़ी भूमिका है। अधिकांश भारतीय अशिक्षित हैं। गाँवों-कस्बों तक शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। लोगों को शिक्षा के महत्व का ज्ञान नहीं है। समाज में अंधविश्वास और रूढ़िवादिता का बोलबाला है।
अशिक्षा के परिणामस्वरूप लोगों की धारणा है कि संतान होना ईश्वर के हाथ में है। इस कारण परिवार में वृद्धि होती चली जाती है। संतानोत्पत्ति रोकने के उपाय नहीं किए जाते। इसके लिए दवा और अन्य साधनों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके साथ ही भारतीय परिवारों में पुत्र मोह की लालसा के कारण भी जनसंख्या में वृद्धि होती चली जाती है। ‘बेटा बेटी एक समान’ की भावना के अभाव में लड़कियों के जन्म लेने के पश्चात् भी लड़के की चाह में संतान उत्पन्न की जाती है।
इसे तब तक नहीं रोकते जब तक लड़का जन्म नहीं लेता। इससे परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ती चली जाती है। इसके लिए लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है। आज लड़के-लड़कियों के लिए शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध हैं। लड़कियाँ वे सब कार्य कर सकती हैं। जो लड़के कर सकते हैं। युवतियाँ वे सब व्यवसाय अपना सकती हैं जो युवक अपना सकते हैं। इसलिए लड़के और लड़कियों में अंतर नहीं करना चाहिए।
जनसंख्या वृद्धि के कारण सभी प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। अन्न उत्पादन के क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है परंतु जनसंख्या में वृद्धि के कारण लोगों तक अन्न सस्ते मूल्यों में उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। जनसंख्या वृद्धि के कारण रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो रही। वस्तुओं की अधिक माँग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाना पड़ रहा है। इसके लिए अधिक-से-अधिक कारखाने लगाने पड़ रहे हैं। इसके कारण प्रदूषण बुरी तरह फैल रहा है। नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। भूमि के नीचे जल-स्तर कम होता जा रहा है।
यातायात के साधनों का विस्तार करने के कारण सड़कों पर वाहन अधिक आ गए हैं। इससे प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जनसंख्या जिस तेज़ी से बढ़ रही है उतनी तेज़ी से अस्पताल नहीं खुल रहे। रोगियों के इलाज के लिए सुविधाएँ नहीं मिल पातीं। जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसी कारण अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने की दिशा में सरकार की ओर से कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। परिवार नियोजन के साधनों का गाँव-गाँव और झोंपड़ी-झोंपड़ी तक प्रचार करना चाहिए। अशिक्षितों को ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ का महत्व बताना चाहिए। यदि इस दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य न किए गए तो भारत के अन्य विकास कार्यक्रमों के सुपरिणाम नहीं निकल सकते। कवि भी सावधान करते हुए कहता है-
जनसंख्या हर तरह से, सब लोगों पर भार।
सब मिलकर सोचें अभी, या डूबें मझधार॥