संस्कृति – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ शब्दों का प्रयोग बहुत ही मनमाने ढ़ंग से होता है। इसके वास्तविक अर्थ को बहुत कम लोग समझते हैं। इन दोनों शब्दों के अंतर को स्पष्ट करने के लिए लेखक ने सुई-धागे का उदाहरण दिया है।
शरीर की ठीक प्रकार से रक्षा की जा सके इसलिए भी शायद सुई-धागे की खोज हुई हो। सुई-धागे का आविष्कार शरीर को ढँकने तथा सर्दियों में ठंड से बचने के उद्देश्य से हुआ होगा। आवश्यकतानुसार शरीर को सजाने की जरूरत महसूस हुई होगी इसलिए कपड़े के दो टुकड़ोंको एक करके जोड़ने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। वह है व्यक्ति विशेष की संस्कृति और उस संस्कृति द्वारा जो अविष्कार हुआ, जिस चीज का उसने अपने तथा दूसरों की भलाई के लिए अविष्कार किया उसका नाम है सभ्यता।
Solution 2:
लेखक ने त्याग की भावना को संस्कृति का एक रूप माना है। इसी संदर्भ में लेखक ने लेनिन, मार्क्स और सिद्धार्थ के उदाहरण दिए हैं। रूस के भाग्यविधाता लेनिन ने रूस के लोगों की सर्वांगीण उन्नति के लिए अथक प्रयास किए। वे अपना भोजन भी दूसरों को खिला देते थे। संसार के मजदूरों को सुखी देखने के लिए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुःख में बिता दिया। सिद्धार्थ ने मानवता के सुख के लिए अपना घर त्याग दिया था।
Solution 3:
सुई-धागे का आविष्कार शरीर को ढँकने तथा सर्दियों में ठंड से बचने के उद्देश्य से हुआ होगा। आवश्यकतानुसार शरीर को सजाने की जरूरत महसूस हुई होगी इसलिए कपड़े के दो टुकडों को एक करके जोड़ने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। वह है व्यक्ति विशेष की संस्कृति व्यक्ति विशेष की संस्कृति और उस संस्कृति द्वारा जो अविष्कार हुआ, जिस चीज का उसने अपने तथा दूसरों की भलाई के लिए अविष्कार किया उसका नाम है सभ्यता।
संस्कृति में मानव कल्याण की भावना निहित रहती है। किन्तु जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है वह संस्कृति नहीं ‘असंस्कृति’ है।
जिन साधनों के बल पर मानव आत्मविनाश में जुटा हुआ है, उसे हम असभ्यता कहेंगे क्योंकि इसमें मानव कल्याण की भावना निहित नहीं है।
Solution 4:
क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई।
1. वर्ण व्यवस्था के नाम पर मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं।
धर्म के नाम पर भी मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं जिसका परिणाम हम हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान नामक दो देश के रूप में देखते हैं।
2. मानव संस्कृत एक अविभाज्य वस्तु है। किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब –
जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
ख) मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण भी दिया है –
1. संसार के मज़दूरों को सुखी देखने के लिए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया।
2. सिद्धार्थ ने अपना घर केवल मानव कल्याण के लिए छोड़ दिया।
3. जब जापान पर परमाणु बम गिराया गया तब सारी संस्कृतियों ने इसका विरोध किया।
4. सांप्रदायिक हिंसा का सारा विश्व विरोधी है, तो सारा विश्व धर्म-भेद को भूलकर सारी संस्कृतियो की अच्छी बातों को खुले मन से स्वीकार करते हैं।
Solution 5:
लेखक के अनुसार संस्कृत व्यक्ति वह है जो अपनी बुद्धि तथा विवेक से किसी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन करता हो। जिस व्यक्ति में ऐसी बुद्धि तथा योग्यता जितनी अधिक मात्रा में होगी वह व्यक्ति उतना ही अधिक संस्कृत होगा। जैसे – न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था। तथा जिसने भी अपनी योग्यता से सुई-धागे की खोज की हो वह भी संस्कृत व्यक्ति था।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- आज तो घर-घर चूल्हा जलता है।
- रोगी बच्चे को सारी रात गोद में लिए जो माता बैठी रहती है, वह आखिर ऐसा क्यों करती है?
- सभ्यता है संस्कृति का परिणाम।
Solution 2:
- एक चीज़ है सुई-धागे का अविष्कार कर सकने की शक्ति और दूसरी चीज है सुई-धागे का अविष्कार।
- संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट-जाएगा तो वह असंस्कृति होकर ही रहेगी।
Solution 3:
- समझ और उपयोग के सन्दर्भ में सभ्यता और संस्कृति की जानकारी देते लेखक कहते हैं कि – जो शब्द कम समझ में आते हैं और जिनका उपयोग सबसे अधिक होता है, ऐसे दो शब्द हैं – सभ्यता और संस्कृति।
- जिस योग्यता, प्रवृत्त अथवा प्रेरणा के बल पर आग का व सुई-धागे का अविष्कार हुआ, वह है व्यक्तिविशेष की संस्कृति।
- जो वस्तु मनुष्य ने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की उसका नाम सभ्यता है।
- रूस का नेता लेनिन अपने डैस्क में रखे हुए डबलरोटी के सूखे टुकडें स्वयं न खाकर दूसरों को खिला दिया करता था।
- कार्ल मार्क्स ने संसार के सभी मजदूरों को सुखी देखने की चाहत में अपना जीवन दुख में बिताया।
- सिद्धार्थ ने घर का त्याग इसलिए किया कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत हो लड़ती कटती मानवता सुख से रह सके।
- संसार के बारे में लेखक बताते हैं कि क्षण-क्षण परिवर्तन होनेवाले संसार में किसी भी चीज को पकड़कर बैठा नहीं जा सकता।
- सुई धागे के अविष्कार में संस्कृति की प्रवृत्ति रही होगी।
- मानवसंस्कृति के माता-पिता भौतिक ‘प्रेरणा’ व ‘ज्ञानेप्सा’ को सकते हैं।
भाषा अध्ययन
Solution 1:
- भी
- पहले
- और
Solution 2:
सिद्धार्थ, किंतु, बुद्धि, टुकड़ा, शक्ति, प्रवृत्ति
Solution 3:
- आविष्कार
- संस्कृति
- शीतोष्ण
Solution 4:
Solution 5:
Solution 6: