संत कवि भारती (तुलसी) – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत प्रश्न तुलसीदास द्वारा रचित पदावली से लिया गया है। यहाँ पर कवि ने परोपकार के महत्त्व को दर्शाया है।
कवि के अनुसार परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है। जब हम परोपकार द्वारा किसी के दुःख को दूर करते हैं, तब बदले में हमें भी खुशी मिलती है। परोपकार की महिमा का वर्णन हमारे सारे वेदों और पुराणों में भी मिलता है। सारे विद्वान भी इसी बात को समझाते हैं।
अत:कवि दूसरों की भलाई के काम को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं।
Solution 2:
प्रस्तुत प्रश्न तुलसीदास द्वारा रचित पदावली से लिया गया है। यहाँ पर कवि ने अपने आराध्य देव श्रीराम की सर्वव्यापकता को सिद्ध किया है।
कवि के अनुसार ईश्वर अनंत है। उसी प्रकार उनकी कथाएँ भी अनंत है। उसे संपूर्ण रूप से कोई नहीं जान पाया है। हर व्यक्ति अपने-अपने ढंग से ईश्वर की कथा कहता है। सभी ज्ञानी, संतों और विद्वानों ने अपने-अपने अलग ढंगों से श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया है। उनकी महिमा जितनी भी गाई जाय कम है। उनकी सच्ची महिमा का ज्ञान उनकी कथा का बखान और सुनने वाले ही जानते हैं।
अत:जो लोग ईश्वर को सत्य और सर्वव्यापक मानते हैं उन लोगों को ही श्रीरामचंद्र जी का चरित सुहाता है।
Solution 3:
प्रस्तुत प्रश्न तुलसीदास द्वारा रचित पदावली से लिया गया है। प्रस्तुत पदावली में कवि ने गुरु की महिमा का वर्णन किया है।
आध्यात्मिकता का मार्ग हमें गुरु ही बताता है। गुरु ही हमें गलत-सही, उचित-अनुचित और सत्य और असत्य का ज्ञान कराता है। जिस किसे भी ऐसे सद्गुरु की प्राप्ति हो जाती है, वे वास्तव में बड़े भाग्यशाली होते हैं।
अत:कवि के अनुसार जिसने अपने आपको गुरु के चरणों में समर्पित कर दिया है। वह मनुष्य ही समस्त जग को अपने वश में कर सकता है।
Solution 4:
संत तुलसीदास परोपकार को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं और दूसरों को पीड़ा पहुँचाना सबसे बड़ा पाप समझते हैं। ईश्वर सर्वव्यापक है। ईश्वर की कथाओं को अनंत रूपों में कहा और सुनाया जाता है। कवि के अनुसार गुरु के चरणों की धूल से बड़ा कोई ऐश्वर्य नहीं है इस चरण-धूलि को पाने वाला सब-कुछ पा लेता है।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- कहेऊँ तात जानहिं कोबिद नर।
- कलप कोटि लगि जाहिं न गाए।
- ते जनु सकल बिभव बस करहीं।
- मोहि सम यहु अनुभयेऊ न दू जें।
Solution 2:
- कवि के अनुसार दूसरों को कष्ट पहुँचाना सबसे बड़ा पाप है।
- हरि की कथाओं को लोग अनेकों प्रकार से कहते हैं और लोग इसे रूचि से सुनते हैं।
- तुलसीदास द्वारा रचित तीन रचनाएँ -विनय-पत्रिका, गीतावली और रामचरितमानस है।
- जो लोग गुरु की चरण-धूलि को मस्तक पर धारण कर लेते हैं वे लोग ही समस्त संसार को अपने वश में कर लेते हैं।
Solution 3:
- परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।
- हरि अनंत हरिकथा अनंता। कहहि-सुनहि बहु विधि सब संता।
- रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए।
- जे गुरु चरन रेनु सिर धरहीं। ते जनु सकल बिभव बस करहीं।