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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
वाच्य (Vachy) की परिभाषा भेद और उदाहरण – Voice in Hindi Grammar Examples
(क) मोहन पत्र लिखता है।
(ख) मोहन द्वारा पत्र लिखा जाता है।
(ग) मोहन से पत्र नहीं लिखा जाता।
उपर्युक्त वाक्यों में हम पाते हैं कि प्रथम वाक्य में क्रिया का रूप स्पष्ट करता है कि कर्ता द्वारा निर्दिष्ट व्यक्ति मोहन कुछ कार्य (पत्र लिखता है) करता है। अतः प्रथम वाक्य में क्रिया के रूप से स्पष्ट है कि यहाँ कर्ता की प्रधानता है। द्वितीय वाक्य में क्रिया का रूप बताता है कि कुछ कार्य (पत्र लिखना) होता है और वह कर्ता के द्वारा किया जाता है। अतः यहाँ कर्म (पत्र) की प्रधानता है और वही क्रिया-व्यापार का मूल संचालक है। तृतीय वाक्य में, न तो कर्ता की प्रधानता है और न ही कर्म की। यहाँ भाव की प्रधानता है। यह वाक्य केवल यह बताता है कि कर्ता (मोहन) क्रिया करने में असमर्थ है। इस प्रकार ये तीनों वाक्य क्रमशः कर्ता, कर्म और भाव की प्रधानता को सूचित करते हैं। क्रिया के विभिन्न रूपों का इस प्रकार की सूचना देना ही वाच्य कहलाता है। वाच्य को हम निम्नलिखित शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं :
वाच्य क्रिया का वह रूप है जो यह बताता है कि क्रिया-व्यापार का मूल संचालक कर्ता है अथवा कर्म, यह इस बात की ओर संकेत करता है कि कर्ता क्रिया को करने में समर्थ है अथवा नहीं।
इस प्रकार वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव की प्रधानता के आधार पर हिंदी में सामान्यतः वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं :
- कर्तृवाच्य (Active Voice)
- कर्मवाच्य (Passive Voice)
- भाववाच्य (Impersonal Voice)।
1. कर्तवाच्य (Active Voice)- इसमें क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से होता है तथा क्रिया के लिए वचन भी कर्ता के अनुसार ही होता है। इस प्रकार जिस प्रयोग में क्रिया द्वारा कही गई बात का मुख्य विषय कर्ता हो, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते हैं; जैसे :
(क) राधा कपड़े सी रही है।
(ख) रमेश खाना खा रहा है।
(ग) मैं पुस्तक लिखता हूँ।
इन वाक्यों में क्रिया का संबंध राधा, रमेश और मैं से है इसलिए इसे कर्तृवाच्य या कर्तरि प्रयोग कहा जाएगा।
2. कर्मवाच्य (Passive Voice)- इसमें क्रिया का सीधा संबंध कर्म से होता है। कर्म की प्रधानता वाले इन वाक्यों में कर्म कर्ता की स्थिति में होता है और क्रिया का रूप कर्म के अनुसार परिवर्तित होता है। कर्म के लिंग, वचन, पुरुष के आधार पर क्रिया में परिवर्तन होता है। इसमें एक से अधिक क्रियापदों का प्रयोग होता है। इसकी मुख्य क्रिया सकर्मक होती है।
नानी द्वारा कहानी सुनाई जाती थी।
मजदूरों द्वारा पेड़ काटा गया।
मोहन से भोजन किया जाता है।
मोहन द्वारा दरवाजा खोला गया।
यहाँ क्रिया का संबंध कर्म (भोजन तथा कहानी) से है। इसीलिए इसे कर्मवाच्य या कर्मणि प्रयोग कहा जाता है।
3. भाववाच्य (Impersonal Voice)- इसमें क्रिया का संबंध कर्ता और कर्म से न होकर ‘भाव’ से होता है। इसमें क्रिया के पुरुष, वचन और लिंग, कर्ता अथवा कर्म के अनुसार न होकर हमेशा अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन में ही रहते हैं। इसमें मुख्य रूप से अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है, साथ ही प्रायः निषेधार्थक वाक्य ही भाववाच्य कहलाते हैं; जैसे :
उससे पढ़ा नहीं जाता।
विमला से खाया नहीं जाता।।
इन वाक्यों में क्रिया का संबंध नहीं’ के भाव से है, इसीलिए इसे भाववाच्य या भावे प्रयोग कहा जाता है।
कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं :
1. कर्मवाच्य में कर्म अवश्य रहता है, परंतु भाववाच्य में वह कभी नहीं होता।
2. कर्मवाच्य में ‘जा’ का प्रयोग वैकल्पिक रूप से होता है, जबकि भाववाच्य में इसका प्रयोग अनिवार्य रूप से होता है; जैसे: ।
मोहन द्वारा दरवाज़ा खोला गया। (कर्मवाच्य)
विमला से खाया नहीं जाता। (भाववाच्य)
3. कर्मवाच्य की क्रिया सदैव सकर्मक होती है, जबकि भाववाच्य में अकर्मक या सकर्मक क्रिया का अकर्मकवत् प्रयोग होता है।
वाच्य परिवर्तन (Transformation of Voices)
उपर्युक्त विवेचित वाच्यों में कर्तृवाच्य अकर्मक और सकर्मक, दोनों प्रकार की क्रियाओं से; कर्मवाच्य, सकर्मक क्रियाओं से तथा ‘भाववाच्य’ केवल अकर्मक क्रियाओं से ही बनते हैं। यहाँ ‘कर्तृवाच्य’ से ‘कर्मवाच्य’ तथा ‘भाववाच्य’ बनाने की विधियों पर अलग-अलग विचार किया जाएगा।
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना
‘कर्मवाच्य’ केवल सकर्मक क्रियाओं से ही बनते हैं। अतः कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय निम्नलिखित परिवर्तन करने होते हैं :
(क) कर्तृवाच्य के मुख्य कर्ता के साथ से’ (कभी-कभी ‘द्वारा’) विभक्ति जोड़कर उसे ‘करण-कारक’ बना दिया जाता है; जैसे-रमा-रमा से, राजू ने राजू से, मैंने-मुझसे या मेरे द्वारा।
(ख) ‘जा’ धातु के क्रिया रूप कर्मवाच्य की (सामान्य भूतकालिक) मुख्य क्रिया के लिंग, वचन आदि के अनुसार जोड़कर ‘साधारण क्रिया’ को संयुक्त क्रिया’ बना दिया जाता है; जैसे : खाता है-खाया जाता है। घूमता हूँ-घूमा जाता है। को मारा-को मारा गया। लिख रहे थे-लिखे जा रहे थे।
(ग) कर्मवाच्य की क्रिया के लिंग, वचन आदि वाक्य के कर्म के अनुसार प्रयोग किए जाते हैं।
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना उदाहरण
कुछ उदाहरण :
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य | |
1. | आज आचार्य ने सुंदर भाषण दिया। | आज आचार्य दवारा सुंदर भाषण दिया गया। |
2. | मैंने पत्र लिखा। | मुझसे पत्र लिखा गया। |
3. | राम ने रावण को मारा। | राम के द्वारा रावण को मारा गया। |
4. | भारत ने नया उपग्रह छोड़ा। | भारत द्वारा नया उपग्रह छोड़ा गया। |
5. | राधा पुस्तक पढ़ती है। | राधा से पुस्तक पढ़ी जाती है। |
6. | रमा पुस्तक पढ़ेगी। | रमा के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाएगी। |
7. | माता बच्चे को खाना खिलाती है। | माता द्वारा बच्चे को खाना खिलाया जाता है। |
8. | अध्यापक विद्यार्थियों को पाठ पढ़ायेंगे। | अध्यापक से विद्यार्थियों को पाठ पढ़ाया जाएगा। |
9. | मैंने रमा को पत्र लिख दिया है। | मेरे द्वारा रमा को पत्र लिख दिया गया है। |
10. | अनेक चित्रकारों ने सुंदर चित्र बनाए। | अनेक चित्रकारों द्वारा सुंदर चित्र बनाए गए हैं। |
11. | अध्यापक ने विद्यार्थियों को डाँटा। | अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को डाँटा गया। |
12. | बूढ़ा सड़क पर जा रहा है। | बूढ़े से सड़क पर जाया जा रहा है। |
13. | ममता खाना पका रही है। | ममता से खाना पकाया जा रहा है। |
14. | पिता पुत्र को पैसे दे रहा है। | पिता से पुत्र को पैसे दिए जा रहे हैं। |
15. | सुरेश मिठाई लाएगा। | सुरेश से मिठाई लाई जाएगी। |
16. | गुरु जी गीता पढ़ाते हैं। | गुरु जी से गीता पढ़ाई जाती है। |
कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना
‘भाववाच्य’ केवल अकर्मक क्रियाओं से ही बनते हैं अर्थात् उनमें कर्म नहीं होता। अतः कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय :
(क) ‘कर्तृवाच्य’ से ‘कर्मवाच्य’ बनाने की विधि के नियम ‘क’ तथा ‘ख’ यहाँ भी पूरी तरह लागू होते हैं।
(ख) वाक्य की क्रिया (भाव) को ही वाक्य का कर्ता बना दिया जाता है; जैसे-हँसता है-हँसा जाता है। खेला खेला गया। सोएगा-सोया जाएगा। रो रही है-रोया जा रहा है।
(ग) ‘जा’ धातु के क्रिया-रूप कर्तृवाच्य के ‘काल-भेद’ के अनुसार जुड़ जाते हैं।
(घ) क्रिया सदैव अन्य पुरुष पुल्लिग तथा एकवचन में रहती है।
कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना उदाहरण
कुछ उदाहरण :
कर्तृवाच्य | भाववाच्य | |
1. | मैं नहीं खाता। | मुझसे खाया नहीं जाता। |
2. | वह खाता है। | उससे खाया जाता है। |
3. | वह नहीं दौड़ता। | उससे दौड़ा नहीं जाता। |
4. | वे जाते हैं। | उनसे जाया जाता है। |
5. | राधा नहीं पढ़ती है। | राधा से पढ़ा नहीं जाता। |
6. | उमा नहीं गाती। | उमा से गाया नहीं जाता। |
7. | रामू नहीं बोलता। | रामू से बोला नहीं जाता। |
8. | राजू तेज़ नहीं दौड़ता। | राजू से तेज़ नहीं दौड़ा जाता। |
9. | वह नहीं हँसता। | उससे हँसा नहीं जाता। |
10. | वह नहीं खेलता। | उससे नहीं खेला जाता। |
11. | रमेश अभी सोएगा। | रमेश से अभी सोया जाएगा। |
12. | राम नहीं पढ़ता। | राम से पढ़ा नहीं जाता। |
13. | वह खेलता है। | उससे खेला जाता है। |
14. | बच्चे अब चल नहीं सकते। | बच्चों से अब चला नहीं जा सकता। |
15. | पक्षी आकाश में उड़ते हैं। | पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है। |
16. | कुत्ता आँगन में सो रहा है। | कुत्ते के द्वारा आँगन में सोया जा रहा है। |
17. | रमेश मैदान में खेल रहा है। | रमेश से मैदान में खेला जा रहा है। |
काल in Hindi ( Tense)
काल का शाब्दिक अर्थ है ‘समय’। क्रिया के जिस रूप से कार्य-व्यापार के संपन्न होने के समय का बोध होता है, उसे ‘काल’ कहते हैं।
काल के प्रकार
काल तीन हैं :
- भूतकाल (Past Tense)
- वर्तमान काल (Present Tense)
- भविष्यत काल (Future Tense)।
1. भूतकाल (Past Tense) : क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय में कार्य-व्यापार होने का बोध हो, उसे ‘भूतकाल’ कहते हैं :
(क) कल वह मेरे घर आया था।
(ख) उसने मुझे पुस्तक दी थी।
(ग) वह घर गई होगी। क्रिया
2. वर्तमान काल (Present Tense) : क्रिया के जिस रूप से बीत रहे समय में कार्य-व्यापार संपन्न होने का बोध हो, उसे ‘वर्तमान काल’ कहते हैं।
(क) गीता खाना पका रही है।
(ख) सोहन पढ़ाई कर रहा है।
(ग) सुरेश खेल रहा है।
3. भविष्य काल (Future Tense) : क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में कार्य-व्यापार संपन्न होने का बोध हो, उसे ‘भविष्य काल’ कहते हैं।
(क) वह कल ज़रूर आएगा।
(ख) मुझे कल दिल्ली जाना है।
(ग) मैं आपसे मिलता रहूँगा।