विज्ञापनयुग – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
लेखक को गजलें, भजन और गीत सुनने का शौक था किन्तु उसके साथ उसके साथ उसे विज्ञापन भी सुनने पड़ते थे। परिणाम यह हुआ कि जब भी वह भजन, गजलें व गीत सुनता उसके दिमाग में उसके विज्ञापन गूँजते लगते और वह उन गजलों और भजनों का भरपूर लुफ्त नहीं उठा पता था। लेखक को हर नाम हर चेहरे व गायन में भी विज्ञापन गूँजने लगता है। सब जड़-चेतन, चीजें अब विज्ञापन का कारण बन जाता है। अत: विज्ञापन दिन भर लेखक का पीछा करते हैं।
Solution 2:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
लेखक की दृष्टि में हर चीज़ का एक नया मूल्य उभर रहा है। कभी उत्कृष्ट कला का उदाहरण रहीं अजंता और एलोरा की मूर्तियाँ आज सौंदर्य प्रसाधन के विज्ञापन के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। देश के सारे मंदिर, किले, स्मारक, स्तंभ, खंडहर आदि किसी न किसी वस्तु का विज्ञापन बने हुए हैं। ‘मीनाक्षी’ व ‘रामेश्वरम्’ के मंदिर भी विज्ञापन कला के उपयोगी साधन के प्रतीक बन गए हैं।
Solution 3:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
कभी उत्कृष्ट कला का उदाहरण रहीं अजंता और एलोरा की मूर्तियाँ आज सौंदर्य प्रसाधन के विज्ञापन के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। देश के सारे मंदिर, किले, स्मारक, स्तंभ, खंडहर आदि सभी लोगों में उत्सुकता जगाने एवं पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करनेवाले विज्ञापन के साधन बने हुए हैं। ‘मीनाक्षी’ व ‘रामेश्वरम्’ के मंदिर भी किसी विशेष सीमेंट की मजबूती के विज्ञापन के उपयोगी साधन के प्रतीक बन गए हैं।
Solution 4:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
बहुत-सी चीजें एक दूसरे का विज्ञापन हैं। पत्र, लेखक का विज्ञापन है, लेखक, पत्र का विज्ञापन है। सौंदर्य, सौंदर्य साधनों का विज्ञापन है और सौंदर्य-साधन सौंदर्य के विज्ञापन हैं। लम्बे काले बाल तेल के, तो ‘केश तेल’ लम्बे बालों का विज्ञापन है। इस प्रकार कई बहुत सी चीजें विज्ञापन के लिए एक-दूसरे से जुड़ी हैं। बहुत-सी चीजें अपना विज्ञापन आप देती हैं, जैसे – उपदेशकता, आलोचकता, नेतागीरी इत्यादि।
Solution 5:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार का वर्णन किया है।
आज विज्ञापन की कला का हर क्षेत्र में प्रयोग हो रहा है। सिरदर्द, टूथ-पेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन, डबल रोटी, फसल, कलाकृतियों व उनकी मजबूती सभी का विज्ञापन में, प्रयोग किया जाता है। आनेवाले युग में, शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और साहित्य, इनका केवल विज्ञापन कला के लिए ही उपयोग रह जाएगा।
Solution 6:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
लेखक के पड़ोसी सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक उन्हें भजन, गजलें और गीत सुनाते हैं। उनके साथ-साथ चाय, तेल, सिरदर्द की टिकियों के विज्ञापन भी सुनाते है। लेखक को अब विज्ञापन की आदत-सी लग गई है। अब जब लेखक दूसरी जगह पर भी गालिब की गजल या सूरदास के भजन सुनते है तो उसके साथ उनके दिमाग में उनके विज्ञापन के शब्द अपने आप गूँजने लगते हैं। यह सब उनके पड़ोसियों की ही कृपा है।
Solution 7:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
गेहूँ की फसल के विज्ञापन के साथ कपड़े की मील, डबल रोटी, बेकरी और वॉटर फ्रूफ जूतें विज्ञापन से जुड़े हुए होते हैं। क्योंकि नई फसल से प्राप्त हुए पैसे की एक ही उपयोगिता है – उससे कपड़े खरीदना। कपड़े की मील डबल रोटी की बेकरी का विज्ञापन इसलिए क्योंकि मिल में काम करनेवाला डबलरोटी खाकर ही काम पर जा सकते हैं और बेकरी वॉटर फ्रूफ जूतें का विज्ञापन हैं क्योंकि इंसान बारिश में वॉटर फ्रूफ जूतों के बिना रोटी प्राप्त करने कामपर नहीं जा सकते।
Solution 8:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
आज के युग में विज्ञापन से बचना मुश्किल है क्योंकि आप जहाँ जाएँ विज्ञापन की लपेट से भाग नहीं सकते। घर में बंद होकर बैठ जाएँ तो विज्ञापन रोशनदानों के रास्ते हवा में तैरते आते हैं। बाहर निकले तो सड़क के खंभों, चौराहों पर दिख जाएँगे। यहाँ तक के विज्ञापन आपकी समस्याओं से संबंधित परामर्श भी देते हैं जैसे – बाल झड़ना, थकान आदि।
इससे स्पष्ट है कि आज विज्ञापन की लपेट से नहीं बचा जा सकता।
Solution 9:
विज्ञापनयुग इस हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध में लेखक ने दर्शाया है कि वर्तमान युग का दूसरा नाम प्रोपगंडा है। इस पाठ द्वारा लेखक मोहन राकेश जी ने आज के युग में विज्ञापन के प्रचार, प्रसार और उसकी भयावहता का वर्णन किया है।
पृथ्वी की दोनों ध्रुवों की हर जगह का उपयोग विज्ञापन के लिए किया जा सकता है। दवाई की शीशियों में माखन के डिब्बों के विज्ञापन, कंबलों में चाय आदि के विज्ञापन, बैंकों की दीवारों पर लॉटरी आदि के विज्ञापन, अस्पताल की दीवारों पर सेहत बनाने वाली दवाई आदि आई के विज्ञापन लगाए जा सकते है।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
- अजंता के चित्र और एलोरा की मूर्तियाँ कभी अछूती कला का उदहारण रही होंगी।
- गेहूँ की फसल एक कपड़े की मिल का विज्ञापन है।
- रेल और जहाज के टिकटों पर बीमा कंपनियों का विज्ञापन हो सकता है।
- अस्पतालों की दीवारों पर मैट्रिमोनियल विज्ञापन लगाए जा सकते हैं।
Solution 2:
- बर्नाड शॉ के नाटक हमें यह बतलाते हैं कि ब्रिटेन के कौन-सी प्रेस में सबसे अच्छी छपाई होती है।
- भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के लिए झगड़ा हो रहा है कि वहाँ के सेबों का मुरब्बा बहुत अच्छा होता है, जिसे सिर्फ एक ही कंपनी तैयार करती है।
- उपदेशकता, आलोचकता और नेतागीरी आदि चीजें अपना विज्ञापन आप देती हैं।
- बहुत-सी शिक्षण संस्थाओं का उपयोग सांप्रदायिक संस्थाओं के विज्ञापन के लिए किया जाता है।
- लेखक को हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देता है।
भाषा अध्ययन
Solution 1:
Solution 2:
बुड्ढा, छह, नए, केंद्र, बहुत-सी, किसी-न-किसी, अणुबम, व्यक्तिगत।
Solution 3:
Solution 4: