मेले का आँखों देखा वर्णन संकेत बिंदु:
- मेलों का महत्व
- मेले का वर्णन
- मेले का प्रभाव
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
मेले का आँखों देखा वर्णन पर निबंध | Essay on Visiting Fair In Hindi
मेले अथवा प्रदर्शनी किसी देश व समाज के सांस्कृतिक दूत हैं जो उसके जीवन के यथार्थ की झाँकी पेश करते हैं। जनजीवन में इनका महत्वपूर्ण स्थान होता है। हमारा देश भारत एक विशाल और महान देश है। यह सांस्कृतिक रूप से सम्पन्न देशों में गिना जाता है। भारत में समय-समय पर तथा स्थान-स्थान पर मेलों का आयोजन होता रहता है। ये मेले देश की सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े होते हैं। इसलिए जन सामान्य में ये मेले उत्साह, उल्लास एवं उमंग का संचार करते हैं। साथ ही मनोरंजन के साधन के रूप में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग का एक प्रमुख नगर है मेरठ। वहाँ मेरे चाचा जी रहते हैं। वे प्रायः दिल्ली आते रहते हैं और हमारे साथ ही ठहरते हैं। पिछले वर्ष वे होली के अवसर पर एक सप्ताह हमारे साथ रहे। लौटते समय वे मुझे नौचंदी का मेला दिखाने के लिए अपने साथ मेरठ ले गए। कुछ दिनों बाद वहाँ नौचंदी का मेला शुरू हुआ। मेरठ में इस मेले की खूब धूमधाम थी। नौचंदी का मेला उत्तर भारत का महत्वपूर्ण मेला माना जाता है।
यह प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल में मेरठ नगर में आयोजित किया जाता है। इसके लिए एक स्थान निश्चित है। लगभग 10-15 दिन तक नगर में मेले की खूब धूमधाम रहती है। मैं भी चाचा जी के साथ कई बार मेला देखने गई। मेले का प्रवेश द्वार ‘शंभूनाथ गेट’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह द्वार बहुत आकर्षक ढंग से सजाया गया था। गेट से होकर हमने मेले के मैदान में प्रवेश किया। यहाँ चारों ओर दुकानें सजी हुई थीं। दुकानों पर हर प्रकार का सामान बेचा जा रहा था। रात्रि के समय मेले का बाजार बिजली की रोशनी से जगमगा रहा था। लोग अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीद रहे थे।
चाचा जी हमें एक अल्पाहार गृह में ले गए जहाँ हमने आइसक्रीम खाई। चाट-पकौड़ी और गोल-गप्पे वालों की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ थी। मेले में रोशनी और सफ़ाई का प्रबंध देखने योग्य था। मेले में मनोरंजन की सामग्री-झूले, सरकस आदि भी थे। इस मेले की एक विशेषता यह भी थी कि यहाँ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता था। किसी दिन कवि-सम्मेलन तो किसी दिन मुशायरा तथा कभी नाटक तो कभी कव्वाली दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। पुलिस विभाग सतर्कतापूर्वक मेले की व्यवस्था बनाए रखता था।
बालचर संगठन और सेवा समिति आदि भी सेवा-कार्य में संलग्न रहते हैं। इसके अतिरिक्त अग्निशमन दल की गाड़ियाँ भी हर समय तैयार रहती हैं। परिवार-नियोजन, कृषि-विभाग, जन-कल्याण विभाग आदि के कैंप भी लगे रहते हैं जो जनता की सेवा करते हैं। संस्कृति एवं साम्प्रदायिक एकता की दृष्टि से मेले की विशेष भूमिका है। यहाँ चंडी देवी का मंदिर है तो साथ ही वालेमियाँ की मजार भी है। उनके अनुयायी यहाँ आकर अपने विश्वास और आस्था के अनुसार पूजा-पाठ करते हैं। इस प्रकार यह मेला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।