एक दिन भी जी मगर – Maharashtra Board Class 9 Solutions for हिन्दी लोकभारती
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लघु उत्तरीय प्रश्न
Solution 1:
प्रस्तुत प्रश्न ‘एक दिन भी जी मगर’ कविता से लिया गया है जिसके कवि नीरज हैं। यहाँ पर कवि ने जीवन की सार्थकता पर प्रकाश डाला है।
कवि लंबे जीवन में विश्वास नहीं रखते हैं। उनके अनुसार भले ही जीवन छोटा हो पर उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए। मनुष्य अपने जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करे उस पर अडिग विश्वास रखकर चलें और ऐसे कार्य करे कि उसकी कीर्ति युगों तक सुनाई पड़े। कवि चाहते हैं कि मनुष्य दरिद्रता स्वीकार न करें और न ही दूसरों के सामने याचना करे।
अत:कवि चाहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन पथ पर कर्मशील बनकर यशस्वी व श्रेष्ठ जीवन जीकर जीवन को सार्थक करें।
Solution 2:
प्रस्तुत प्रश्न ‘एक दिन भी जी मगर’ कविता से लिया गया है जिसके कवि नीरज हैं। यहाँ पर कवि ने आज में जीने की सलाह दी है।
‘कल’ न तू जिंदगी का ‘आज’ बनकर जी, – कवि ने ऐसा अतीत की याद में खोए हुए दुखी और उदास मानव को कहा है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि मानव कर्मशील प्राणी है अत: उसे वर्तमान में जीना चाहिए। वर्तमान में जीने वाला व्यक्ति ही अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाता है। हर वर्तमान एक दिन अतीत में तब्दील हो जाता है इसलिए मानव को अतीत की असफलताओं को नजरंदाज करते हुए वर्तमान में जीना चाहिए।
इस प्रकार कवि ने मानव को आज में जीने का संदेश दिया है।
Solution 3:
प्रस्तुत प्रश्न ‘एक दिन भी जी मगर’ कविता से लिया गया है जिसके कवि नीरज हैं। यहाँ पर कवि ने आकाश की तरह जीवन बिताने के बारे में कहा है।
कवि कहते हैं कि पक्षी अपनी चंचल मनोवृत्ति होने के कारण आकाश में बिना किसी लक्ष्य के भटकता रहता है और बिना अपनी मंजिल प्राप्त किए मर जाता है। उसी प्रकार मनुष्य यदि अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त किए बिना इस संसार से चला गया तो दुनिया उसकी इस असफलता पर हँसेगी। लक्ष्य से भटककर इस प्रकार की निरर्थक मृत्यु की अपेक्षा कवि चाहता है कि मानव आकाश की तरह अटल जिए।
इस तरह आकाश की स्थिरता एवं अपने लक्ष्य के प्रति अविचल बने रहे के कारण कवि मनुष्य को अपने सपनों को आकाश जैसा ऊँचा रखने और आकाश बनकर जीने की सलाह देता है।
Solution 4:
प्रस्तुत प्रश्न ‘एक दिन भी जी मगर’ कविता से लिया गया है जिसके कवि नीरज हैं।
इस कविता द्वारा कवि ने मनुष्य को कर्मशील बनकर यश प्राप्त करने का संदेश दिया है। कवि के अनुसार मानव कर्मशील रहकर ही अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। मानव ने अपने जीवन काल में जो भी लक्ष्य निर्धारित किए हैं उसे प्राप्त करने क लिए उसे सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। कवि ने यह भी संदेश दिया है कि भले ही जीवन छोटा हो लेकिन उसमें यश, नाम और अर्थ होना चाहिए अर्थात् छोटे जीवन में भी हम कुछ ऐसा कर जाएँ कि युगों-युगों तक लोग हमारा गुणगान करते रहें।
इस प्रकार कवि ने मनुष्य को वर्तमान में जीने तथा उद्देश्य प्राप्ति के लिए सतत प्रयास करते रहने का संदेश दिया है।
Solution 5:
प्रस्तुत प्रश्न ‘एक दिन भी जी मगर’ कविता से लिया गया है जिसके कवि नीरज हैं। यहाँ पर बताया गया है कि मानव कब उपहास का पात्र बनता है।
जग लक्ष्यविहीन असफल मनुष्य पर हँसेगा।
जो व्यक्ति अपने अतीत का रोना रोते हैं, भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं और लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील नहीं रहते हैं वे जीवन में असफल होते जाते हैं। जग ऐसे ही कर्महीन और लक्ष्य से भटके मनुष्यों की असफलता और दीनता पर हँसता है।
हेतुलक्ष्यी प्रश्न
Solution 1:
Solution 2:
- भारत माता के सपूत एक सुखमय सुंदर स्वर्ग का निर्माण खुद को मिटाकर कर रहे हैं।
- कवि ने ‘आज का सरताज’ बनकर जीने की चाह व्यक्त की है।
- आज जगत की नजर मानव की दीनता पर पड़ रही है।