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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) की परिभाषा भेद और उदाहरण – Attributive Compound In Hindi Examples
बहुव्रीहि समास की परिभाषा
जिस समास में दोनों खंड प्रधान न हों और समस्तपद अपने पदों से भिन्न किसी अन्य संज्ञा का बोध करवाते हों, तो उसे ‘बहुव्रीहि समास’ कहते हैं। इनका विग्रह करने पर विशेष रूप से ‘वाला’, ‘वाली’, ‘जिसका’, ‘जिसकी’, ‘जिससे’ आदि शब्द पाए जाते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि विग्रह पद संज्ञा पद का विशेषण रूप ही होता है; जैसे :
बहुव्रीहि समास की उदाहरण
विषधर | विष को धारण करने वाला अर्थात् शंकर |
त्रिलोचन | तीन हैं लोचन जिसके अर्थात् शंकर |
चारपाई | चार हैं पाए जिसके अर्थात चारपाई |
दिगंबर | दिशाएँ ही हैं अंबर (वस्त्र) जिसका वह (शंकर या जैन मुनि) |
नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका अर्थात् शंकर |
कमलनयन | कमल के समान नयन हैं जिसके अर्थात् विष्णु |
पंचानन | पाँच हैं आनन जिसके अर्थात् सिंह या शिव |
अष्टाध्यायी | आठ अध्यायों वाला (पाणिनि का व्याकरण) |
चक्रधर | चक्र को धारण करने वाला अर्थात् विष्णु |
लंबोदर | लंबा है उदर जिसका अर्थात् गणेश |
दशमुख | दश मुख वाला अर्थात् रावण |
गजानन | गज के समान आनन (मुख) वाला अर्थात् गणेश |
तिरंगा | तीन रंगों वाला अर्थात भारत का राष्टध्वज |
पीतांबर | पीत अंबर (वस्त्र) वाला अर्थात श्रीकष्ण |
षडानन | षड् (छ:) हैं आनन जिसके अर्थात् कार्तिकेय |
अल्पबुद्धि | अल्प है बुद्धि जिसकी अर्थात् व्यक्ति-विशेष |
दशानन | दश हैं आनन जिसके अर्थात् रावण |
सुलोचना | सुंदर हैं लोचन जिसके (सुंदर नयनों वाली स्त्री) |
चक्रपाणि | चक्र है हाथ में जिसके अर्थात् विष्णु |
अंशुमाली | अंशु (किरणे) हैं माला जिसकी अर्थात् सूर्य |
पतझड़ | झड़ते हैं पत्ते जिसमें अर्थात् ऋतु विशेष |
पंकज | पंक (कीचड़) में पैदा हो जो (कमल) |
चंद्रशेखर | शेखर (माथे) पर चंद्र है जिसके (शिवजी) |
घनश्याम | घन के समान श्याम है जो (कृष्ण) |
मयूरवाहन | मयूर की सवारी है जिसकी (कातकेय) |
मृगेंद्र | मृगों का इंद्र (राजा) है जो (सिंह) |
सुकेशी | सुंदर केश (किरणे) हैं जिसके (चाँद) |
चतुर्मुख | चार हैं मुख जिसके (ब्रह्मा) |
सहस्त्रबाहु | सहस्त्र भुजाएँ हैं जिसकी (कार्तवीर्य अर्जुन) |
चतुर्भुज | चार भुजाएँ हैं जिसकी (विष्णु) |
पद्मासना | पद्म (कमल) आसन है जिसका (सरस्वती) |
कुसुमाकर | कुसुमों (फूलों) का खजाना है जो (वसंत) |
मृत्युंजय | मृत्यु को जीतने वाला (शंकर) |
मृगलोचन | मृग जैसे लोचन हैं जिसके (स्त्री-विशेष) |
कुरूप | असुंदर रूप वाला (व्यक्ति-विशेष) |
उदारहृदय | उदार है हृदय जिसका (व्यक्ति-विशेष) |
प्रधानमंत्री | मंत्रियों में प्रधान है जो (पद-विशेष) |
महावीर | महान वीर है जो (हनुमान जी) |