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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
चित्र वर्णन की परिभाषा और उदाहरण | Chitra Varnan in Hindi Examples
मनुष्य को ईश्वर ने कल्पनाशक्ति का वरदान दिया है। किसी भी वस्तु, दृश्य या चित्र को देखकर उसके मन में अनेक भाव जन्म लेने लगते हैं। हर व्यक्ति का अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है। अपने अनुभव के कारण किसी घटना व वातावरण के प्रति उसकी अपनी प्रतिक्रिया होती है। अपने इस अनुभव व प्रतिक्रिया को सशक्त व प्रभावशाली भाषा के माध्यम से व्यक्त कर पाना ही ‘चित्र वर्णन’ का उद्देश्य है। किसी चित्र को देखकर उससे संबंधित मन में उठने वाले भावों को अपनी कल्पनाशक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त करना ही ‘चित्र-वर्णन’ कहलाता है।
वर्णन के लिए दिया गया चित्र किसी घटना को दर्शाने वाला, कोई एक पूर्ण स्थिति को व्यक्त करने वाला, किसी व्यक्ति विशेष का या प्रकृति से संबंधित हो सकता है। किसी भी चित्र का वर्णन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
चित्र वर्णन worksheets with Answers
चित्र-लेखन की विशेषताएँ
- पहले चित्र को बारीकी से देख लेना चाहिए।
- चित्र में नज़र आ रही मुख्य बातों को बिंदुओं में लिख लेना चाहिए।
- चित्र में दिखाई दे रही वस्तुओं का वर्णन करते समय उसमें अपनी कल्पना के रंगों को भरना चाहिए।
- चित्र में दिखाई दे रहे व्यक्तियों के मुख के हाव-भाव के आधार पर चारित्रिक विशेषताएँ, सुख-दुख व आशा-निराशा का वर्णन करना चाहिए।
- यदि किसी महापुरुष अथवा चर्चित व्यक्ति का चित्र है तो उस व्यक्ति के प्रति निजी विचारों, भावों को प्रस्तुत किया जा सकता है।
- प्राकृतिक दृश्यों में कल्पना की उड़ान भरने का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।
- भावों को अभिव्यक्त करते समय अच्छे शब्दों व भाषा का प्रयोग सराहनीय होता है।
- वाक्य रचना करते समय उक्तियों, मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग भी भाषा को सुंदर बनाता है।
- वाक्य रचना पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
- उचित विराम-चिन्हों का प्रयोग भी आवश्यक होता है।
- चित्र वर्णन करना भी एक कला है जिसे अभ्यास के माध्यम से बेहतर बनाया जा सकता है।
- एक बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि चित्र-वर्णन करते समय अतिश्योक्ति का सहारा न लिया जाए अन्यथा अस्वाभाविक चित्रण अर्थ का अनर्थ भी कर सकता है।
Chitra Varnan in Hindi With Pictures and Answers
चित्र वर्णन के उदाहरण
दिए गए चित्रों को देखकर 20-30 शब्दों में उनका वर्णन कीजिए।
प्रस्तुत चित्र मंदिर का है। मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहाँ व्यक्ति श्रद्धाभाव से जाता है और अपने इष्टदेव की पूजा करके मानसिक शांति पाता है। अतः प्रातः काल सभी लोग मंदिर जाते हैं। इस चित्र में एक महिला हाथ में पूजा की थाली लिए मंदिर जा रही है। हिंदू धर्म में वृक्ष की पूजा का विधान है इसलिए प्रत्येक मंदिर के बाहर पीपल या केला का पेड़ एवं तुलसी का पौधा होता है। इस चित्र में भी एक वृक्ष है जिसके सामने खड़े होकर एक महिला पूजा कर रही है। एक बच्चा पूजा के लिए जाती हुई महिला से भिक्षा माँग रहा है उसके एक हाथ में पात्र है और उसने दूसरा हाथ भिक्षा के लिए फैला रखा है। सीढ़ियों के पास एक बच्चा बैठा है, जो कि अपाहिज है। वह मंदिर में आने वाले भक्तों से दया की भीख चाहता है।
यह चित्र रेलवे प्लेटफार्म का है। जिसमें एक गाड़ी खड़ी है। गाड़ी के अंदर यात्री बैठे हुए हैं। दो कुली सिर पर सामान रखकर हाथ में अटैची पकड़े चल रहे हैं। जिस व्यक्ति का सामान है वह उनके साथ चल रहा है। एक बच्चा हाथ में अखबार लिए बेचने के लिए घूम रहा है। दूसरी तरफ एक बच्चा अपनी बूट-पॉलिश की दुकान लगाए बैठा है। एक व्यक्ति हाथ में समाचार-पत्र लिए पढ़ रहा है। बच्चा उनके जूते की पॉलिश कर रहा है। किनारे पर एक कूड़ेदान रखा हुआ है, लेकिन कूड़ा चारों ओर फैला हुआ है। सरकार की ओर से साफ़-सफ़ाई की ओर ध्यान दिया जाता है। मगर जब तक प्रत्येक नागरिक अपना कर्तव्य नही निभाएँगे तब तक सभी प्रयत्न विफल होते रहेंगे।
यह दृश्य प्रात:काल सूर्योदय का है। आसमान का रंग सूर्य की लालिमा लिए हुए एक अनूठी छटा बिखेर रहा है। कुछ पक्षी उड़ रहे हैं कुछ पेड़ की डाल पर बैठे उड़ने की तैयारी में हैं। दो घर दिखाई दे रहे हैं जिनके बाहर सुन्दर फूलों के पौधे हैं। सामने कुआँ है उसके पास एक बड़ा वृक्ष है। दो स्त्रियाँ सिर पर घड़े रखकर कुएँ से पानी लेने जा रही हैं। चरवाहा भेड़ों को चराने के लिए ले जा रहा है। पूरा दृश्य मनमोहक छटा बिखेर रहा है। प्रात:काल का समय सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस समय भ्रमण करने से मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
नीरोगता उपचार जो चाहो, शक्ति का भंडार जो चाहो
प्रतिदिन करो सभी सैर, स्वस्थ रहोगे सभी पहर
यह चित्र दीपावली के त्योहार का है। यह त्योहार खुशियों का प्रकाश का त्योहार कहलाता है। चित्र में एक घर है जिसके सामने एक पंक्ति में दिए जल रहे हैं। घर के सामने एक बड़ा-सा मैदान है जहाँ बच्चे दीवाली का त्योहार मनाते दिखाई दे रहे हैं। दो बच्चे एक-दूसरे को मिठाई खिला रहे हैं। पास में एक लड़की खुशी से चहकती हुई मिठाई लेने के लिए हाथ बढ़ा रही है। उनके पीछे एक बच्चा अनार छुड़ाकर उसमें से निकलती रोशनी को देखकर खुश हो रहा है। दो बच्चे (शायद भाई बहन) पटाखे को छुड़ाने की तैयारी में हैं। पूरा चित्र खुशी की झलक दे रहा है।
जन-जन ने हैं दीप जलाए, लाखों और हजारों ही
धरती पर आकाश आ गया, शोभा लिए सितारों की।
यह दृश्य किसी महानगर के चौराहे का है। लाल बत्ती होने के कारण गाड़ियाँ रुकी हुई हैं। फुटपाथ पर एक बच्चा एक वृद्ध महिला को सड़क पार करवा रहा है। एक व्यक्ति अपने स्कूटर को आधे फुटपाथ तक ले आया है यह नियम के विरुद्ध है यातायात के लिए बनाए गए नियमों का पालन न करने से ही दुर्घटनाएँ होती हैं। कुछ लोग हरी बत्ती होने का इंतजार नहीं करते और गाड़ी दौड़ाकर ले जाते हैं। ऐसा करते समय गाड़ियाँ परस्पर टकरा जाती हैं और दुर्घटना हो जाती है। अतः वाहन चलाते समय यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए।
इस चित्र में एक वृद्धाश्रम का दृश्य नज़र आ रहा है। इस चित्र को देखकर हमारे समाज में फैली संवेदनहीनता की भावना उजागर हो रही है। हमारे माता-पिता या बुजुर्गों जो हमारी सामाजिक व्यवस्था के स्तंभ होते हैं, उन्हें जिस समय पारिवारिक सहयोग तथा साथ की ज़रूरत होती है उस समय वृद्धाश्रमों में भेजकर आज का युवक अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ रहा है। यहाँ सभी बुजुर्ग एक-दूसरे के साथ बातें करते, सैर करते हुए, बैठकर कैरम तथा साँप-सीढ़ी जैसे खेल खेलकर अपना मनोरंजन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। सभी के चेहरे पर दिखाई देने वाली मुस्कान बता रही है कि इस पल में वे सभी प्रसन्न हैं। यदि उनकी मानसिक स्थिति की बात की जाए तो निश्चित ही कहीं किसी कोने में वे अपने परिवार, अपने बच्चों की कमी अवश्य महसूस करते होंगे। लेकिन मेरा यह सोचना है कि आज की सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए वृद्धों के लिए इससे बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती जहाँ वे अपने हमउम्र के लोगों के साथ आनंदपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर रोम-रोम सिहर उठता है। रेल दुर्घटना में इंजन सहित चार डिब्बे पटरी से उतर गए हैं। जिस दूसरी ट्रेन से वह टकराई है उसके भी दो डिब्बे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल है। लोगों की चीख-पुकार से सारा वातावरण गूंज उठा है। सभी लोग असमंजस की स्थिति में नज़र आ रहे हैं। कुछ यात्री अपने साथ के यात्रियों की सहायता में जुटे हुए हैं। सेना के जवान भी लोगों की सहायता के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा रहे हैं। एक बच्चा अपने मृत माँ के पास बैठा रो रहा है। उस बच्चे के रोने को देख आस-पास के लोगों के हृदय भी पीडा से भर गए हैं। ऐसा लगता है कि यह आपदा प्रकति के प्रकोप की नहीं बल्कि मानवीय भल का परिणाम है। ऐसी दुर्घटनाओं को सावधान रहकर रोका जा सकता है। काश! मनुष्य अपनी लापरवाही को थोड़ी लगाम देना सीख जाए।