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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
एकार्थक शब्द (Ekarthak Shabd) की परिभाषा भेद और उदाहरण | Monologue Examples In Hindi
एकार्थक शब्द की परिभाषा
बहुत से शब्द ऐसे हैँ, जिनका अर्थ देखने और सुनने मेँ एक-सा लगता है, परन्तु वे समानार्थी नहीँ होते हैँ। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि उनमेँ कुछ अन्तर भी है। इनके प्रयोग मेँ भूल न हो इसके लिए इनकी अर्थ-भिन्नता को जानना आवश्यक है।
एकार्थक शब्द के उदाहरण
समानार्थी प्रतीत होने वाले भिन्नार्थी शब्द:
अगम | – | जहाँ न पहुँचा जा सके। |
दुर्गम | – | जहाँ पहुँचना कठिन हो। |
अलौकिक | – | जो सामान्यतः लोक या दुनिया मेँ न पाया जाये। |
अस्वाभाविक | – | जो प्रकृति के नियमोँ के विरुद्ध हो। |
असाधारण | – | सांसारिक होकर भी अधिकता से न मिले, विशेष। |
अनुज | – | छोटा भाई। |
अग्रज | – | बड़ा भाई। |
भाई | – | छोटे बड़े दोनों के लिए। |
अनुभव | – | व्यवहार या अभ्यास से प्राप्त ज्ञान। |
अनुभूति | – | चिन्तन या मनन से प्राप्त आंतरिक ज्ञान। |
अनुरूप | – | समानता या उपयुक्तता का बोध होता है। |
अनुकूल | – | पक्ष या अनुसार का भाव प्रकट होता है। |
अस्त्र | – | फेँककर चलाए जाने वाले हथियार। |
शस्त्र | – | हाथ मेँ पकड़कर चलाए जाने वाले हथियार। |
अवस्था | – | जीवन का बीता हुआ भाग। |
आयु | – | सम्पूर्ण जीवन काल। |
अपराध | – | कानून के विरुद्ध कार्य करना। |
पाप | – | सामाजिक तथा धार्मिक नियमोँ के विरुद्ध आचरण। |
अनुरोध | – | आग्रह (हठ) पूर्वक की गई प्रार्थना। |
आग्रह | – | हठ। |
अभिनन्दन | – | सराहना करना, बधाई। |
अभिवन्दन | – | प्रणाम, नमस्कार करना। |
स्वागत | – | किसी के आगमन पर प्रकट की जाने वाली प्रसन्नता। |
अणु | – | पदार्थ की सबसे छोटी इकाई। |
परमाणु | – | तत्त्व की सबसे छोटी इकाई। |
अधिक | – | आवश्यकता से बढ़कर। |
अति | – | आवश्यकता से बहुत अधिक। |
पर्याप्त | – | जितनी आवश्यकता हो। |
अर्चना | – | मात्र बाह्य सत्कार। |
पूजा | – | आन्तरिक एवं बाह्य दोनोँ सत्कार। |
अर्पण | – | छोटोँ द्वारा बड़ोँ को दिया जाना। |
प्रदान | – | बड़ोँ द्वारा छोटोँ को दिया जाना। |
अमूल्य | – | जिस वस्तु का कोई मूल्य ही न आँका जा सके। |
बहुमूल्य | – | अधिक मूल्यवान वस्तु। |
अशुद्धि | – | भाषा सम्बन्धी लिखने बोलने की गलती। |
भूल | – | सामान्य गलती। |
त्रुटि | – | बड़ी गलती। |
असफल | – | व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है। |
निष्फल | – | कार्य के लिए प्रयुक्त होता है। |
अहंकार | – | घमण्ड, स्वयं को अत्यधिक समझना। |
अभिमान | – | गौरव, दूसरोँ से श्रेष्ठ समझना। |
आचार | – | सामान्य व्यवहार, चाल चलन। |
व्यवहार | – | व्यक्ति विशेष के प्रति परिस्थिति विशेष मेँ किया गया आचरण। |
आनंद | – | खुशी का स्थायी और गंभीर भाव। |
आह्लाद | – | क्षणिक एवं तीव्र आनंद। |
उल्लास | – | सुख प्राप्ति की अल्पकालिक क्रिया, उमंग। |
प्रसन्नता | – | साधारण आनंद का भाव। |
आधि | – | मानसिक कष्ट। |
व्याधि | – | शारीरिक कष्ट। |
आवेदन | – | अधिकारी से की जाने वाली प्रार्थना। |
निवेदन | – | विनयपूर्वक की जाने वाली प्रार्थना। |
आशंका | – | अनिष्ट की कल्पना से उत्पन्न भय। |
शंका | – | सन्देह। |
आविष्कार | – | नवीन वस्तु का निर्माण करना। |
अनुसंधान | – | रहस्य की खोज करना। |
अन्वेषण | – | अज्ञात स्थान की खोज करना। |
आज्ञा | – | बड़ोँ द्वारा छोटे को किसी कार्य को करने हेतु कहना। |
अनुमति | – | स्वीकृति। |
आवश्यक | – | किसी कार्य को करना जरूरी। |
अनिवार्य | – | कार्य जिसे निश्चित रूप से करना हो। |
आरम्भ | – | बहुत ही साधारण और सामान्य शुरुआत। |
प्रारम्भ | – | ऐसी शुरुआत जिसमेँ औपचारिकता, महत्ता और साहित्यता हो। |
ईर्ष्या | – | दूसरे की उन्नति पर जलना। |
द्वेष | – | अकारण शत्रुता। |
स्पर्धा | – | एक दूसरे से आगे बढ़ने की भावना। |
उत्साह | – | निर्भीक होकर कार्य करना। |
साहस | – | भय की उपस्थिति मेँ कार्य करना। |
उत्तेजना | – | आवेग। |
प्रोत्साहन | – | बढ़ावा। |
उद्यम | – | परिश्रम, प्रवास। |
उद्योग | – | उपाय, प्रयत्न। |
उपकरण | – | साधन। |
उपादान | – | सामग्री। |
कष्ट | – | मुख्यतः शारीरिक पीड़ा। |
क्लेश | – | मानसिक पीड़ा। |
दुःख | – | सभी प्रकार से सामान्य दुःख को प्रकट करने वाला शब्द। |
कन्या | – | वह अविवाहित लड़की जो रजस्वला न हुई हो। |
लड़की | – | सामान्य अविवाहित या विवाहित किसी की लड़की। |
पुत्री | – | अपनी बेटी। |
कृपा | – | किसी का दुःख दूर करने का प्रयास। |
दया | – | किसी के दुःख से प्रभावित होना। |
संवेदना | – | अनुभूति जताना। |
सहानुभूति | – | किसी के दुःख से प्रभावित होकर अपनी अनुभूति जताना। |
कृतज्ञ | – | उपकार मानने वाला। |
आभारी | – | उपकार करने वाले के प्रति मन के भाव प्रकट करने वाला। |
खेद | – | सामान्य दुःख। |
शोक | – | स्वजनोँ के अनिष्ट से होने वाला दुःख। |
विषाद | – | निराशापूर्ण दुःख। |
तन्द्रा | – | हल्की नीँद। |
निन्द्रा | – | गहरी नीँद। |
नक्षत्र | – | स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित आकाशीय पिण्ड। |
ग्रह | – | सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित आकाशीय पिण्ड। |
नमस्कार | – | बराबर वाले के प्रति नम्रता प्रकट करने हेतु। |
प्रणाम | – | अपने से बड़ोँ को अभिवादन या उनके प्रति नम्रता प्रकट करने के लिए प्रणाम का प्रयोग शब्द का प्रयोग किया जाता है। |
नमस्ते | – | यह छोटे एवं बड़े सभी के लिए अभिवादन का प्रचलित शब्द है। |
प्रलाप | – | व्यर्थ की बात। |
विलाप | – | दुःख मेँ रोना। |
परिणाम | – | किसी वस्तु का धीरे धीरे दूसरा रूप धारण करना। |
फल | – | किसी स्थिति के कारण उत्पन्न होने वाला लाभ। |
परिश्रम | – | सभी प्रकार की मेहनत को व्यक्त करने वाला शब्द। |
श्रम | – | मात्र शारीरिक मेहनत। |
परामर्श | – | सलाह मशविरा सूचक शब्द। |
मंत्रणा | – | गोपनीय सलाह मशविरा। |
प्रसिद्धि | – | बड़ाई। |
ख्याति | – | विशेष प्रसिद्धि। |
पीड़ा | – | शारीरिक कष्ट। |
वेदना | – | सामान्य अल्पकालिक हार्दिक दुःख। |
व्यथा | – | गंभीर दीर्घकालिक मानसिक दुःख। |
पीछे | – | क्रम को सूचित करने वाला शब्द। |
बाद मेँ | – | समय का भाव सूचित करने वारा शब्द। |
बहुत | – | ज्यादा (बिना तुलना के)। |
अधिक | – | ज्यादा (तुलना मेँ)। |
भय | – | अनिष्ट के कारण मन मेँ उठा विचार (डर)। |
आतंक | – | शारीरिक और मन मेँ उठा भय। |
त्रास | – | भयवश होने वाला कष्ट। |
यातना | – | दूसरोँ के द्वारा दिया गया कष्ट। |
भवदीय | – | आपका, तुम्हारा। |
प्रार्थी | – | प्रार्थना करने वाला। |
भ्रम | – | किसी बात के लिए विषय गलत समझते हुए गलत धारणा बना लेना। |
सन्देह | – | किसी के विषय मेँ निश्चय हो जाना। |
भागना | – | भयवश दौड़ना। |
दौड़ना | – | सामान्यतः तेज चलना। |
भाषण | – | सामान्य व्याखान। |
प्रवचन | – | धार्मिक विषय पर व्याख्यान। |
मनुष्य | – | मानव जाति के स्त्री पुरुष दोनोँ का बोध कराने वाला शब्द। |
पुरुष | – | मानव पुल्लिँग। |
मंत्री | – | परामर्श देने वाला। |
सचिव | – | मंत्री के आदेश को प्रचारित करने वाला। |
मन | – | इन्द्रियोँ, विषयोँ का ज्ञान कराने वाला। |
चित्त | – | चेतना का प्रतीक। |
अन्तःकरण | – | सत् असत्, उचित अनुचित का ज्ञान कराने वाला। |
महाशय | – | इस शब्द का प्रयोग प्रायः साधारण लोगोँ के लिए किया जाता है। |
महोदय/मान्यवर | – | इस शब्द का प्रयोग बड़े लोगोँ के लिए किया जाता है। |
मित्र | – | समवयस्क, जो अपने प्रति प्यार रखता हो। |
सखा | – | साथ रहने वाला समवयस्क। |
सगा | – | आत्मीयता रखने वाला। |
सुहृदय | – | सुंदर हृदय वाला, जिसका व्यवहार अच्छा हो। |
लड़का | – | बाल मानव। |
पुत्र | – | अपना लड़का। |
लज्जा | – | दूसरे के द्वारा अपने बारे मेँ गलत सोचने का अनुमान। |
ग्लानि | – | अपनी गलती पर होने वाला पश्चाताप। |
संकोच | – | किसी कार्य को करने मेँ होने वाली झिझक। |
यथेष्ट | – | अपेक्षित या जितना वांछनीय हो। |
पर्याप्त | – | पूरी तरह से प्राप्त। |
व्यापार | – | किसी काम मेँ लगे रहना। |
व्यवसाय | – | थोड़ी मात्रा मेँ खरीदने और बेचने का कार्य। |
वाणिज्य | – | क्रय विक्रय और लेन देन। |
व्याख्यान | – | मौखिक भाषण। |
अभिभाषण | – | लिखित व्याख्यान। |
विनय | – | अनुशासन एवं शिष्टतापूर्ण निवेदन। |
अनुनय | – | किसी बात पर सहमत होनेकी प्रार्थना। |
आवेदन | – | योग्यतानुसार किसी पद केलिए कथन द्वारा प्रस्तुत होना। |
प्रार्थना | – | किसी कार्य सिद्धि के लिए विनम्रतापूर्ण कथन। |
श्रद्धा | – | महानजनोँ के प्रति आदर भाव। |
भक्ति | – | देवताओँ के प्रति आदर भाव। |
श्रीयुत् | – | इस शब्द का प्रयोग आदर के लिए किया जाता है। हमारे यहाँ इसका प्रयोग बहुत कम होता है। |
श्रीमान् | – | इस शब्द का प्रयोग भी आदर के लिए किया जाता है। हमारे यहाँ इसका प्रयोग अधिक होता है। श्रीयुत् और श्रीमान् का अर्थ समान सा ही है। |
स्त्री | – | कोई भी नारी। |
पत्नी | – | किसी की विवाहिता स्त्री। |
स्नेह | – | बड़ोँ का छोटोँ के प्रति प्रेम। |
प्रेम | – | प्यार। |
प्रणय | – | पति पत्नी, प्रेमी प्रेमिका का प्रेम। |
सभ्यता | – | भौतिक विकास। |
संस्कृति | – | कलात्मक एवं आध्यात्मिक विकास। |
सुंदर | – | आकर्षक वस्तु। |
चारु | – | पवित्र और सुंदर वस्तु। |
रुचिर | – | सुरुचि जाग्रत करने वाली सुंदर वस्तु। |
मनोहर | – | मन को लुभाने वाली वस्तु। |
हेतु | – | अभिप्राय। |
कारण | – | कार्य की पृष्ठभूमि। |