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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
लिंग परिभाषा, भेद और उदाहरण – Gender/Ling In Hindi Examples
जिस चिह्न से यह ज्ञात हो कि कोई शब्द पुरुष-जाति के लिए प्रयुक्त हुआ है या स्त्री-जाति के लिए, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। हिंदी भाषा में लिंग के मुख्यतः दो भेद हैं :
- पुल्लिग (Masculine Gender)
- स्त्रीलिंग (Feminine Gender)
1. पुल्लिग (Masculine Gender)-जो शब्द पुरुष-जाति का बोध कराते हैं, वे ‘पुल्लिग’ कहलाते हैं।
पुल्लिग की पहचान
- जिन शब्दों के अंत में ‘अ’ हो वे प्रायः पुल्लिग होते हैं; जैसे-खेल, संसार, मिलाप, नाच आदि।
- जिन शब्दों के अंत में ‘आ’ हो वे पुल्लिग होते हैं; जैसे-लड़का, मोटा, छोटा, कपड़ा आदि।
- जिन शब्दों के अंत में ‘आव’, ‘पा’, ‘पन’ और ‘न’ होते हैं वे पुल्लिग होते हैं; जैसे-बढ़ाबा, बुढ़ापा, बचपन, लेन-देन, अध्ययन, दमन आदि।
- देशों, पहाड़ों व समुद्रों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-भारतवर्ष, चीन, जापान, हिमालय, सतपुड़ा, अरब सागर, प्रशांत महासागर आदि।
- मासों व दिनों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-चैत, बैसाख, ज्येष्ठ, सोमवार, मंगलवार आदि।
- पृथ्वी को छोड़कर अन्य ग्रहों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-सूर्य, शनि, मंगल, चंद्र आदि।
- पेड़ों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-आम, पीपल, शीशम, वट, साल आदि।
- धातुओं के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-सोना, ताँबा, लोहा, पीतल, सीसा आदि। (अपवाद-चाँदी)
- अनाजों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-गेहूँ, चना, मक्का, चावल, जौ आदि।
- द्रव्य तथा पदार्थों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-पानी, तेल, घी, दही आदि।
- शरीर के कुछ अंगों के नाम पुल्लिग होते हैं; जैसे-सिर, गला, कान, होंठ, हाथ, पैर आदि।
- जिन शब्दों के अंत में ‘त्र’ वर्ण आता है वे पुल्लिग होते हैं; जैसे-शस्त्र, अस्त्र, वस्त्र, नेत्र, चरित्र, क्षेत्र आदि।
- कुछ नाम ऐसे होते हैं जो सदैव पुल्लिंग रूप में ही प्रयुक्त होते हैं; जैसे-तोता, मच्छर, कौआ, बिच्छू, खटमल आदि।
2. स्त्रीलिंग (Feminine Gender)-जो शब्द स्त्री-जाति का ज्ञान कराते हैं, वे ‘स्त्रीलिंग’ कहलाते हैं।
स्त्रीलिंग की पहचान
- हिंदी की ईकारांत संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं; जैसे-चिट्ठी, नाली, खेती, रोटी, मोटी, टोपी आदि। (अपवाद-पानी, घी, दही आदि द्रव्य पदार्थ)
- भाषाओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-जापानी, गुजराती, हिंदी, रूसी, अंग्रेज़ी आदि।
- तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या आदि।
- नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा आदि।
- नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-भरणी, कृतिका, रोहिणी आदि।
- भोजनों-मसालों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-रोटी, सब्जी, पूरी, जलेबी, मिर्ची, हल्दी आदि।
- शरीर के कुछ अंगों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-गर्दन, छाती, अंगुली, टाँग, जुबान, नाक, आँखें आदि।
- कुछ ऊकारांत शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-बालू, झाडू, लू आदि।
लिंग के उदाहरण
लिंग परिवर्तन संबंधी नियम
1. अतथा आ को ई करने से :
पुल्लिग | स्त्रीलिंग |
नर | नारी |
दादा | दादी |
नाना | नानी |
बकरा | बकरी |
बेटा | बेटी |
पुत्र | पुत्री |
नाला | नाली |
घोड़ा | घोड़ी |
लड़का | लड़की |
ब्राहमण | ब्राह्मणी |
देव | देवी |
गोप | गोपी |
गधा | गधी |
दास | दासी |
हिरन | हिरनी |
लंबा | लंबी |
नाला | नाली |
भतीजा | भतीजी |
मामा | मामी |
घोड़ा | घोड़ी |
मुर्गा | मुर्गी |
हरिण | हरिणी |
मेढक | मेढकी |
पीला | पीली |
2. अ तथा आ को इया करने से :
बूढ़ा | बुढ़िया |
गुड्डा | गुड़िया |
डिब्बा | डिबिया |
चिड़ा | चिड़िया |
बछड़ा | बछिया |
चूहा | चुहिया |
बिटिया | बंदरिया |
3. व्यवसायवाचक, जातिवाचक तथा उपनामवाचक शब्दों में इन या आइन जोड़ने से :
पुल्लिग | स्त्रीलिंग |
धोबी | धोबिन |
भंगी | भंगिन |
लुहार | लुहारिन |
तेली | तेलिन |
जोगी | जोगिन |
माली | मालिन |
कहार | कहारिन |
दूजन | दूजी |
नाई | नाइन |
जुलाहा | जुलाहिन |
पापिन | पापि |
हलवाई | हलवाइन |
चमार | चमारिन |
साँप | साँपिन |
4. संबंध, जाति तथा उपनामवाचक शब्दों में आनी/आणी जोड़ने से :
देवरानी | देवर |
क्षत्रिय | क्षत्राणी |
नौकर | नौकरानी |
मेहतर | मेहतरानी |
चौधरी | चौधरानी |
मुगल | मुगलानी |
सेठ | सेठानी |
इंद्र | इंद्राणी |
रुद्र | रुद्राणी |
पठान | पठानी |
5. प्राणीवाचक और जातिवाचक संज्ञाओं में नी जोड़ने से :
ऊँट | ऊँटनी |
शेर | शेरनी |
मोर | मोरनी |
सिंह | सिंहनी |
रीछ | रीछनी |
स्यार | स्यारनी |
राजपूत | राजपूतनी |
भाट | भाटनी |
भील | भीलनी |
जाट | जाटनी |
6. तत्सम अकारांत शब्दों के अंत में आ जोड़कर :
बाल | बाला |
कांत | कांता |
श्याम | श्यामा |
तनुज | तनुजा |
पालित | पालिता |
प्रिय | प्रिया |
सुत | सता |
पूज्य | पूज्या |
तनय | तनया |
चंचल | चंचला |
7. तत्सम संज्ञा शब्दों में अक का इका करने से :
लेखक | लेखिका |
गायक | गायिका |
पाठक | पाठिका |
संयोजक | संयोजिका |
बालक | बालिका |
सेवक | सेविका |
अध्यापक | अध्यापिका |
नायक | नायिका |
8. तत्सम शब्दों में ता कात्री करने से :
दाता | दात्री |
वक्ता | वक्त्री |
धाता | धात्री |
कर्ता | कत्री |
9. तत्सम शब्दों में मान और वान का क्रमशः मती और वती करने से :
पुल्लिग | स्त्रीलिंग |
सत्यवान | सत्यवती |
भगवान | भगवती |
रूपवान | रूपवती |
श्रीमन | श्रीमती |
बुद्धिमान | बुद्धिमती |
पुत्रवान | पुत्रवाती |
आयुष्मान | आयुष्मती |
बलवान | बलवती |
धनवान | धनवती |
10. इनी प्रत्यय जोड़ने से (अ और ई का इनी या इणी होगा):
यशस्वी | यशस्विनी |
हाथी | हाथीनी |
मनोहारी | मनोहारिणी |
एकाकी | एकाकिनी |
स्वामी | स्वामिनी |
हंस | हंसिनी |
11. नित्य पुल्लिग तथा नित्य स्त्रीलिंग शब्दों में क्रमशः मादा और नर शब्द जोड़ने से :
भालू | मादा भालू |
कोयल | नर कोयल |
मगरमच्छ | मादा मगरमच्छ |
नर चील | चील |
गैंडा | मादा गैंडा |
मक्खी | नर मक्खी |
खरगोश | मादा खरगोश |
गिलहरी | नर गिलहरी |
12. हिंदी में कुछ पुल्लिग शब्द अपने स्त्रीलिंग शब्द से भिन्न होते हैं :
पिता | माता |
भाई | बहन |
पुरुष | स्त्री |
साला | साली |
विद्वान | विदुषी |
पति | पत्नी |
ससुर | सास |
बैल | गाय |
सम्राट | सम्राज्ञी |
विधुर | विधवा |
कवि | कवयित्री |
बिलाव | बिल्ली |
राजा | रानी |
साहब | मेम |
वर | वधू |
पुत्र | पुत्रवधू |
13. कुछ सर्वनाम शब्दों का लिंग परिवर्तन इस प्रकार होता है :
मेरा | मेरी |
उसका | उसकी |
तुम्हारा | तुम्हारी |
तेरा | तेरी |
14. कई शब्दों का प्रयोग दोनों लिंगों में समान रूप से होता है :
नाक, मेज़, कुर्सी, साइकिल, सरकार, दही आदि।
15. कई पदबोधक शब्दों का प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से होता है, अतः ये शब्द उभयलिंगी शब्द कहलाते हैं।
प्रधानमंत्री, न्यायाधीश, राजदूत, राज्यपाल, सचिव आदि।
16. कुछ प्रत्यय युक्त शब्द भी उभयलिंगी होते हैं; जैसे-
पढ़ाकू, रटू, झगड़ालू, तैराक, भुलक्कड़, फक्कड़, दयालु आदि।
17. एक ही शब्द के पर्यायवाची शब्दों में से कुछ पुल्लिंग व कुछ स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-
व्यथा के पर्याय दुख, क्लेश (पुल्लिग) तथा वेदना, पीड़ा (स्त्रीलिग)।