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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
मुहावरे (Muhavare) की परिभाषा भेद और उदाहरण – Idioms in Hindi Grammar वाक्य प्रयोग की Examples
मुहावरे की परिभाषा
‘मुहावरा’ शब्द हिंदी भाषा में अरबी भाषा की देन है। इसका शाब्दिक अर्थ है ‘अभ्यास’ या ‘बातचीत’। ऐसा शब्द, वाक्यांश, वाक्य जो सामान्य से भिन्न किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराए और सामान्य अर्थ से भिन्न किसी और अर्थ में रूढ़ हो जाए, उसे मुहावरा’ कहते हैं। ये हमारी तीव्र हृदयानुभूति को अभिव्यक्त करने में सहायक होते हैं। इनका जन्म आम लोगों के बीच होता है। लोकजीवन में प्रयुक्त भाषा में इनका उपयोग बड़े ही सहज रूप में होता है। इनके प्रयोग से भाषा को प्रभावशाली, मनमोहक तथा प्रवाहमयी बनाने में सहायता मिलती है। सदियों से इनका प्रयोग होता आया है और आज भी इनके अस्तित्व को भाषा से अलग नहीं किया जा सकता।
यह कहना निश्चित रूप से गलत नहीं होगा कि मुहावरों के बिना भाषा अप्राकृतिक तथा निर्जीव जान पड़ती है। इनका प्रयोग आज हमारी भाषा और विचारों की अभिव्यक्ति का एक अभिन्न तथा महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। यही नहीं इसने हमारी भाषा को गहराई दी है तथा उसमें सरलता तथा सरसता भी उत्पन्न की है। यह मात्र सुशिक्षित या विद्वान लोगों की ही धरोहर नहीं है, इसका प्रयोग अशिक्षित तथा अनपढ़ लोगों ने भी किया है। इस प्रकार ये वैज्ञानिक युग की देन नहीं हैं। इनका प्रयोग तो उस समय से होने लगा, जिस समय मनुष्य ने अपने भावों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया था।
यदि गहराई से अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि अन्य भाषाओं में भी इनको उतना ही महत्त्व मिला है जितना हिंदी में। बात कहने का तरीका एक ही है, मात्र शब्द बदल गए हैं; जैसे : हिंदी में ‘डींगें मारना’ तथा अंग्रेज़ी में-To blow one’s own trumpet. इससे यह स्पष्ट होता है कि सभी भाषाओं में मानव मन की अभिव्यक्ति, प्रवृत्ति, भावों का आदान-प्रदान सामान्य रूप से एक जैसा ही रहा है। इसलिए इनकी उपस्थिति हर भाषा में प्रचुर संख्या में पाई जाती है।
मुहावरे उदाहरण सहित
वाक्यों में मुहावरों के प्रयोग से संबंधित कुछ विशेष बातें
- मुहावरों के रूप को बदला नहीं जा सकता है अर्थात् इनमें प्रयुक्त शब्दों को उसी रूप में स्वीकार करना होता है; जैसे- ‘अंग टूटना’ को ‘शरीर टूटना’ के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
- वास्तविक अर्थ के साथ इनका प्रयोग न करके रूढ़ अर्थ के साथ ही इनका प्रयोग किया जाना चाहिए; जैसे ‘आसमान पर थूकना’। यदि इस मुहावरे का वास्तविक अर्थ लिया जाए तो निश्चित रूप से हास्यास्पद ही होगा। इसका रूढ़ अर्थ ‘अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति का अनादर करना’ ही सही माना जाएगा।
- मुहावरे का वाक्य में प्रयोग होने से उसकी क्रिया वाक्य में लिंग, वचन, कारक के अनुसार परिवर्तित हो जाएगी।
- मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करते समय इसके लाक्षणिक अर्थ की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए तथा इसके अशुद्ध प्रयोग से बचना चाहिए अन्यथा अर्थ का अनर्थ होने की संभावना रहती है।
- इसका प्रयोग सीमित तथा आवश्यकतानुसार होना चाहिए। अनावश्यक मुहावरों के प्रयोग से भाषा का रूप विकृत हो जाता है।
- मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करते समय विद्यार्थियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे इनका प्रयोग बड़ों की कमियों अथवा उनके दोष प्रकट करने के लिए नहीं कर रहे हैं।
हिंदी भाषा में मुहावरों पर यदि अध्ययन किया जाए तो इनकी कोई सीमा नहीं है। सहस्रों मुहावरे हैं, जिनको संकलित करना अत्यंत कठिन कार्य है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यहाँ कुछ आवश्यक व महत्त्वपूर्ण मुहावरे दिए जा रहे हैं :
मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
प्रमुख मुहावरे और उनका वाक्यों में प्रयोग
अ–ए | |
1. | अंग – अंग ढीला होना (बहुत थक जाना) – सुबह से शाम तक काम करते – करते अब तो अंग – अंग ढीला हो गया है। |
2. | अंधे की लाठी (एकमात्र सहारा) – राहुल अपनी विधवा माँ की अंधे की लाठी है। |
3. | अंगार उगलना (क्रोधवश कटु शब्द बोलना) – मेरे छोटे भाई ने ऐसे अंगार उगले, जिन्हें मैं कभी न भूल सकूँगी। |
4. | अंगारों पर पैर रखना (जान – बूझकर विपत्ति सहना) – दिलेर सिंह जैसे दुस्साहसी व्यक्ति से भिड़कर, तुम अंगारों पर पैर रखने का प्रयत्न कर रहे हो। |
5. | अँगूठा दिखाना (साफ इनकार कर देना) – मैंने राहुल से उसकी पुस्तक माँगी तो उसने अँगूठा दिखा दिया। |
6. | अँधेरे घर का उजाला (होनहार पुत्र, जिस पर आशाएँ टिकी हों) – सुजाता के तीनों पुत्रों में से महेश ही अँधेरे घर का उजाला है। |
7. | अँधेरगर्दी मचाना (लूट मचाना/अन्याय करना) – आजकल सभी राजनेताओं ने अँधेरगर्दी मचा रखी है। |
8. | अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) – मनोज तो अक्ल का दुश्मन है, उससे किसी समझदारी की उम्मीद मत करना। |
9. | अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ सिद्ध करना) – दिनेश तो सभी को मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करता रहता है। |
10. | अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – भारत के छोटे – छोटे राज्य अपनी अलग खिचड़ी पकाते थे इसलिए अंग्रेज़ों ने उन्हें आसानी से नष्ट कर दिया। |
11. | अपना ही राग अलापना (अपनी ही बात कहते जाना) – आजकल सभी अपना ही राग अलापते हैं। कोई किसी की कुछ नहीं सुनता। |
12. | अगर – मगर करना (टाल – मटोल करना) – अगर – मगर मत करो। काम करना है तो करो वर्ना चलते बनो।। |
13. | अक्ल पर पत्थर पड़ना (अज्ञान से काम लेना) – न जाने क्यों उस समय मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे, जो मैंने अपने भाई को इतने कटु शब्द कह दिए। |
14. | अक्ल का पुतला (बुद्धिमान) – आजकल के विदयार्थी अपने – आप को अक्ल का पुतला समझते हैं। |
15. | अपना – सा मुँह लेकर रह जाना (असफलता से लज्जित होना) – खेल में हार जाने के कारण विद्यार्थी अपना – सा मुँह लेकर रह गए। |
16. | अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (स्वयं विनाश को आमंत्रण देना) – पढ़ाई ठीक ढंग से न करके विद्यार्थी स्वयं अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारते हैं। |
17. | अपने मुँह मियाँ मिठू बनना (अपनी प्रशंसा आप करना) – आजकल के नेता अपने मुँह मियाँ मिठू बनते हैं। |
18. | अपने पैरों पर खड़ा होना (अपने सहारे अपना कार्य करना) – लालबहादुर शास्त्री ने बचपन से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया था। |
19. | अठखेलियाँ सूझना (दिल्लगी करना) – वहाँ तुम्हारे पिता जी अस्वस्थ हैं और यहाँ तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रही हैं। |
20. | आँखें खुलना (होश आना) – आठवीं की वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने के बाद मेरी आँखें खुल गईं। |
21. | आँखें तरसना (देखने के लिए जी चाहना) – विदेश में गए हुए अपने बेटे को देखने के लिए उसकी आँखें तरस गईं। |
22. | आँखें फेर लेना (उदासीन हो जाना) – उसने अपने बेटे की ओर से आँखें फेर ली हैं। |
23. | आँखों का तारा (अति प्रिय) – वह तो अपनी माँ की आँखों का तारा है। |
24. | आँच न आने देना (तनिक कष्ट न होने देना) – हमारे देश के नाम पर आँच न आने देने के लिए हमें कुछ भी कर गुजरना चाहिए। |
25. | आँसू पीकर रह जाना (अति शोक में चुप रह जाना) – अपने बच्चों को पेटभर रोटी देने में असमर्थ विधवा माँ आँसू पीकर रह जाती है। |
26. | आकाश के तारे तोड़ना (असंभव काम करना) – हर प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए आकाश के तारे तोड़कर लाने के वायदे करता है। |
27. | आकाश – पाताल का अंतर (बहुत अधिक अंतर) – रवि और रमेश के स्वभाव में आकाश – पाताल का अंतर है। |
28. | आग में घी डालना (क्रोध को भड़काना) – माँ तो पहले से ही नाराज़ थीं। तुम्हारी शिकायत ने आग में घी डालने का काम कर दिया। |
29. | आड़े हाथों लेना (कठोरता से पेश आना) – पुत्र के रात को देर से घर आने पर, पिता ने उसे आड़े हाथों लिया। |
30. | आस्तीन का साँप (कपटी मित्र, धोखेबाज़) – मैं नहीं जानता था कि राजीव आस्तीन का साँप निकलेगा। |
31. | आटे – दाल का भाव मालूम होना (कष्ट का अनुभव होना) – अभी तो पिता का धन उड़ाते हो; जब अपने पैरों पर खड़े होगे, तब आटे – दाल का भाव मालूम होगा। |
32. | आग लगाना (उपद्रव मचाना, शांति नष्ट करना) – दुष्ट व्यक्ति हर जगह आग लगाते रहते हैं। |
33. | आग – बबूला होना (अति क्रोध में आ जाना) – अपने पुत्र की धृष्टता पर पिता आग – बबूला हो गए। |
34. | आकाश – पाताल एक करना (अति कठिन परिश्रम करना) – आकाश – पाताल एक करके उसने सफलता प्राप्त की है। |
35. | आसमान टूट पड़ना (अकस्मात् महान विपत्ति आना) – पुत्र की अकाल मृत्यु का समाचार सुनकर माँ पर जैसे आसमान टूट पड़ा हो। |
36. | आसमान सिर पर उठाना (अधिक कोलाहल करना) – पिता के घर से जाते ही बच्चों ने आसमान सिर पर उठा लिया। |
37. | ईंट से ईंट बजाना (पूर्ण रूप से नष्ट करना) – नादिरशाह ने दिल्ली में ईंट से ईंट बजा दी। |
38. | ईंट का जवाब पत्थर से देना (दुष्ट से दुष्टता करना) – आज के युग में वही सफल होता है, जो ईंट का जवाब पत्थर से देता है। |
39. | ईद का चाँद होना (कठिनाई से दिखाई देना) – दो महीने बाद मिले अपने मित्र से श्याम ने कहा कि तुम तो ईद का चाँद हो गए हो। |
40 | ईमान बेचना (बेईमान होना) – आज के नेताओं ने अपना ईमान बेच दिया है। |
41. | नटी गंगा बहाना (नियम विरुद्ध कार्य करना) – आलसी राम ने ढेर – सा काम कर आज उलटी गंगा बहा दी। |
42. | उड़ती चिड़िया पहचानना (दिल की बात समझ लेना) – हमसे चाल चलने से क्या लाभ? हम तो उड़ती चिड़िया पहचान लेते हैं। |
43. | उल्लू बनाना (मूर्ख बनाना) – श्याम रामू को उल्लू बनाकर अपना काम निकाल रहा है। |
44. | उल्लू सीधा करना (स्वार्थ सिद्ध करना) – नेता लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए झूठे वादे करते हैं। |
45. | उँगली पर नचाना (वश में रखना) – आजकल के नेता राजनीति को अपनी उँगली पर नचा रहे हैं। |
46. | उँगली उठाना (हानि पहुँचाने की चेष्टा करना) – हमारे रहते तुम पर उँगली उठाने का किसी में साहस नहीं है। |
47. | एक लाठी से हाँकना (अच्छे – बुरे का अंतर न करना) – क्या शिक्षित क्या अशिक्षित – तुम तो सभी को एक ही लाठी से हाँकते हो। |
48. | एड़ी – चोटी का जोर लगाना (खूब दौड़धूप करना) – नौकरी की तलाश में मोहन ने एड़ी – चोटी का जोर लगा दिया। |
क–घ | |
49. | कंगाली में आटा गीला होना (गरीबी में और अधिक हानि होना) – नौकरी तो पहले ही छूट गई, ऊपर से पत्नी को बीमारी ने घेर लिया। कंगाली में आटा गीला होता ही है। |
50. | कंधे से कंधा मिलाना (आपस में सहयोग करना) – आजकल स्त्रियाँ हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। |
51. | कमर कसना (किसी काम को करने का दृढ़ निश्चय करना) – रामू ने अपने व्यवसाय को ऊपर लाने के लिए कमर कस ली है। |
52. | कमर टूटना (हतोत्साहित हो जाना) – पुत्र की अकाल मृत्यु से वृद्ध पिता की कमर टूट गई। |
53. | कमर सीधी करना (थकान मिटाना) – अब पहले कमर सीधी करने के बाद ही आगे काम होगा। |
54. | कलेजा फटना (बहुत दुख होना) – वृद्ध पिता को रोते देख मेरा कलेजा फट गया। |
55. | कलेजा मुँह को आना (मन विकल/दुखी होना) – उसकी दर्दभरी कहानी सुनकर कलेजा मुँह को आ गया। |
56. | कसौटी पर कसना (परीक्षा लेना) – चरित्र की कसौटी पर कसने से ही मनुष्य का वास्तविक मूल्य प्रकट होता है। |
57. | कफ़न सिर पर बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना) – स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में क्रांतिकारी सिर पर कफ़न बाँध कर निकलते थे। |
58. | कलई खुलना (भेद खुलना) – सी०बी०आई० के छापों ने बड़े – बड़े अफ़सरों की कलई खोल दी। |
59. | कलेजा ठंडा होना (मन में शांति पाना) – दुश्मनों को हराकर ही मेरा कलेजा ठंडा होगा। |
60 | कलेजे का टुकड़ा (अत्यधिक प्रिय) – हर बच्चा अपने माँ – बाप के कलेजे का टुकड़ा होता है। |
61. | कलेजे पर पत्थर रखना (धीरज रखना) – पति की मृत्यु के बाद श्यामा को कलेजे पर पत्थर रखना पड़ा। |
62. | कन्नी काटना (बचना) – जब से कमल ने बुरा व्यवहार किया है, करण उससे कन्नी काटने लगा है। |
63. | कमर टूटना (हिम्मत टूट जाना) – जवान बेटे की मृत्यु के बाद दीनानाथ की कमर टूट गई। |
64. | कान पर जूं न रेंगना (असर न होना) – कितना भी समझा लो लेकिन आज के बच्चों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। |
65. | कानों – कान खबर न होना (बिलकुल खबर न होना) – पंकज ने विवाह भी कर लिया और किसी को कानों – कान खबर न हुई। |
66. | कान कतरना (बहुत अधिक चालाक होना) – विवेक तो आजकल बड़े – बड़ों के कान कतरने लगा है। |
67. | कालिख पोतना (बदनाम करना) – भावेश ने चोरी करके अपने पिता के नाम पर कालिख पोत दी है। |
68. | काम तमाम करना (मार डालना) – तलवार के एक ही वार से शत्रु का काम तमाम हो गया। |
69. | कान का कच्चा होना (बिना सोचे – विचारे किसी पर विश्वास करना) – मनुष्य को कभी भी कान का कच्चा नहीं होना चाहिए। |
70. | कान भरना (चुगली करना) – कान के कच्चे हो तभी उसने तुम्हारे कान भर दिए। |
71. | कानाफूसी करना (चुपके – चुपके बातें करना) – तुम दोनों को कानाफूसी करते हुए बहुत देर से देख रहा हूँ। |
72. | किताब का कीड़ा (हर समय पढ़ते रहने वाला) – पूर्णिमा तो किताब का कीड़ा है। उससे पिक्चर चलने की उम्मीद मत करना। |
73. | कुत्ते की मौत मरना (बुरी मौत मरना) – देशद्रोही! अब तुम्हें कुत्ते की मौत मारा जाएगा। |
74. | खरी – खरी सुनाना (स्पष्ट और कठोर वचन कहना) – विशाल किसी से नहीं डरता। वह सभी को खरी – खरी सुना देता है। |
75. | खटाई में पड़ना (अनिश्चित रहना) – मंत्री के त्यागपत्र दे देने के कारण कर्मचारियों की माँगों का मामला अब खटाई में पड़ गया है। |
76. | खाई पाटना (मन मुटाव कम करना) – सरला और क्षमा में लड़ाई हुई थी, लेकिन भावना ने दोनों के बीच की खाई पाट दी है। |
77. | खाक छानना (भटकना) – लगता है, सारी दिल्ली की खाक छानकर आए हो। |
78. | खाक में मिलाना (नष्ट करना) – घर से भागकर शीला ने अपने पिता की इज्जत को खाक में मिला दिया। |
79. | खिल्ली उड़ाना (हँसी उड़ाना) – बिना मतलब किसी की खिल्ली उड़ाना अच्छी बात नहीं। |
80 | खून का चूंट पीना (क्रोध को भीतर ही भीतर सहना) – अपने क्रोधी स्वभाव के कारण हुए नुकसान के बाद अब मेहता जी ने खून का चूंट पीना सीख लिया है।। |
81. | खून का प्यासा (भयंकर शत्रु) – पाकिस्तान हमेशा ही हिंदुस्तान के खून का प्यासा रहा है। |
82. | खून सूखना (डर जाना) – बेटे की कार का एक्सीडेंट हुआ यह सुनकर शर्मा जी का खून सूख गया। |
83. | खून – पसीना एक करना (कठोर परिश्रम करना) – खून – पसीना एक करके मज़दूर अपने लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाता है। |
84. | ख्याली पुलाव पकाना (कपोल कल्पनाओं में डूबे रहना) – कुछ काम भी करो। ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नहीं होगा। |
85. | गंगा नहाना (बड़ा कार्य पूर्ण करना) – पुत्री का विवाह संपन्न होने के बाद माता – पिता को लगा कि मानो वे गंगा नहा लिए हैं। |
86. | गर्दन झुकना (लज्जित होना) – पुत्र जब चोरी करते हुए पकड़ा गया तो पिता की गर्दन झुक गई। |
87. | गजभर की छाती होना (गौरव से भर जाना) – पुत्र के प्रथम आने पर माता – पिता की छाती गजभर की हो गई। |
88. | गर्दन उठाना (विरोध करना) – 1857 की क्रांति के बाद भारतवासियों ने अंग्रेजों के सामने गर्दन उठाना शुरू कर दिया था। |
89. | गर्दन पर सवार होना (पीछे पड़े रहना) – पैसों के लिए हर समय बच्चे माँ की गर्दन पर सवार रहते हैं। |
90 | गले पड़ना (मुसीबत पीछे पड़ना) – गरीब दयाराम की एक बार मदद क्या की वह तो गले पड़ गया। |
91. | गले का हार (प्रिय वस्तु) – जासूसी उपन्यास तो आजकल रोहण के गले का हार बन गए हैं। |
92. | गड़े मुर्दे उखाड़ना (पुरानी बातें दोहराना) – जब तुम लोगों में समझौता हो ही गया है तो फिर छोड़ो, गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या फायदा? |
93. | गाँठ बाँधना (अच्छी प्रकार याद रखना) – मेरी बात गाँठ बाँध लो, कभी गलत रास्ते पर मत जाना। |
94. | गाल बजाना (बकवास करना) – गाल बजाते फिरते हो, कोई ठोस कार्य क्यों नहीं कर दिखाते। |
95. | गागर में सागर भरना (थोड़े शब्दों में बहुत भाव भर देना) – इस कविता में तो मानो कवि ने गागर में सागर भर दिया हो। |
96. | गिरगिट की तरह रंग बदलना (सिद्धांतहीन होना) – हेमा का विश्वास मत करना, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलती है। |
97. | गीदड़ भभकी (व्यर्थ की धमकी) – मकान मालिक की गीदड़ भभकी से डरने की ज़रूरत नहीं है। वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। |
98. | गुड़ – गोबर कर देना (काम बिगाड़ देना) – मेरा काम बन ही चुका था, पर उसने आकर सब गुड़ – गोबर कर दिया। |
99. | गूंगे का गुड़ (मात्र अनुभव) – इस कविता का अध्ययन तो गूंगे का गुड़ है। |
100. | घड़ों पानी पड़ना (अधिक लज्जित होना) – अपने फेल होने की सूचना सुनकर रमेश पर घड़ों पानी पड़ गया। |
101. | घर का उजाला (इज्जत बढ़ाने वाला) – राजेंद्र में अनेक खूबियाँ हैं, वही तो घर का उजाला है। |
102. | घाट – घाट का पानी पीना (बहुत घूम – फिरकर अनुभव प्राप्त करना) – घाट – घाट का पानी पीकर ही आज वह इतना आगे आया है। |
103. | घाव पर नमक छिड़कना (दुखी को अधिक दुखी करना) – वह पहले ही दुखी है, फिर पुरानी बातें याद करवाकर उसके घाव पर नमक छिड़कना ठीक नहीं। |
104. | घी के दिए जलाना (खुशियाँ मनाना) – जब भैया विदेश से इंजीनियर की डिग्री लेकर आए तो घर पर घी के दिए जलाए गए। |
105. | घोड़े पर सवार होना (शीघ्रता में होना) – दिनेश जब देखो तब घोड़े पर सवार होकर आता है। कभी रुकता ही नहीं है। |
106. | घोड़े बेचकर सोना (निश्चित रहना) – उसे किसी की कोई परवाह नहीं, वह तो घोड़े बेचकर सोता है। |
चं–झ | |
107. | चंपत हो जाना (गायब हो जाना) – पुलिस को आते देख चोर चंपत हो गया। |
108. | चाँद पर थूकना (निर्दोष पर दोष लगाना) – उस महात्मा के चरित्र पर गलत बात कहना चाँद पर थूकने के बराबर है। |
109. | चाँदी होना (लाभ ही लाभ होना) – जब से सुंदरलाल ने नया व्यवसाय शुरू किया है, उसकी चाँदी हो गई है। = |
110. | चादर तानकर सोना (निश्चित हो जाना) – परीक्षा समाप्त होते ही करण चादर तानकर सो गया है। |
111. | चार सौ बीस होना (धोखेबाज़ होना) – पड़ोसी रामदीन का विश्वास मत करना, वह तो चार सौ बीस है। |
112. | चार चाँद लगाना (अत्यधिक शोभा बढ़ाना) – ताजमहल इस देश की सुंदरता को चार चाँद लगाता है। |
113. | चादर से बाहर पाँव पसारना (आय से बढ़कर व्यय करना) – चादर से बाहर पाँव पसारने से कुछ नहीं होगा, थोड़ा तंगी में जीना सीखो। |
114. | चिकनी – चुपड़ी बातें करना (खुशामद करना) – मैं तुम्हारी चिकनी – चुपड़ी बातों में आने वाला नहीं, अब तो अपना काम पूरा करके ही रहूँगा। |
115. | चिकना घड़ा होना (बेअसर होना) – आजकल के बच्चे चिकने घड़े होते हैं। उन पर किसी बात का कोई असर नहीं होता। |
116. | चींटी के पर निकलना (छोटे व्यक्ति का घमंड करना) – पैसे आते ही हलवाई प्यारेलाल भी सर चढ़कर बोलने लगा है, लगता है चींटी के पर निकल आए हैं। |
117. | चुल्लूभर पानी में डूब मरना (अत्यंत लज्जित होना) – चोरी करके तुमने ऐसा कार्य किया है कि तुम्हें चुल्लूभर पानी में डूब मरना चाहिए। |
118. | चेहरा उतरना (निराशा का अनुभव करना) – अपनी असफलता की खबर सुनकर उसका चेहरा उतर गया। |
119. | चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबरा जाना) – पुलिस को सामने देख चोर के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। |
120. | चैन की बंसी बजाना (आनंद से जीवन बिताना) – रिटायर होने के बाद अब वह चैन की बंसी बजा रहा है। |
121. | चोली – दामन का साथ (अत्यंत घनिष्ठता होना) – मोहन और सोहन इतने गहरे मित्र हैं कि उनका तो चोली – दामन का साथ है। |
122. | छठी का दूध याद आना (भारी संकट पड़ना) – अब तक पिता की कमाई पर ऐश करते रहे, जब खुद कमाना पड़ेगा तो छठी का दूध याद आ जाएगा। |
123. | छक्के छुड़ाना (साहस खोना) – भारतीय क्रिकेट टीम ने पाकिस्तानी टीम के छक्के छुड़ा दिए। |
124. | छप्पर फाड़ कर देना (बिना मेहनत के बहुत देना) – दुखी क्यों होते हो भगवान जब देगा तो छप्पर फाड़ कर देगा। |
125. | छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या होना) – सुरेश को कक्षा में प्रथम आया देख रमेश की छाती पर साँप लोटने लगा। |
126. | ज़बान बदलना (कही हुई बात से बदल जाना) – क्षत्रिय लोग कभी अपनी ज़बान से नहीं बदलते हैं। |
127. | जान में जान आना (मन को चैन मिलना) – दो घंटे से रमेश का इंतज़ार हो रहा था, उसे सही – सलामत घर आया देख सभी की जान में जान आ गई। |
128. | जी चुराना (काम से बचने के लिए बहाना बनाना) – रमेश सदा काम करने से जी चुराता है। |
129. | जी – छोटा होना (उत्साह कम होना) – बच्चों को उनके मनपसंद काम न करने देने से उनका जी छोटा होता है। |
130. | जोड़ – तोड़ करना (उपाय करना) – सुधीर जोड़ – तोड़ कर अपना घर चला रहा है। |
ट–ढ | |
131. | टाँग अड़ाना (हस्तक्षेप करना) – बड़े जब बात कर रहे हों तो बच्चों का बीच में टाँग अड़ाना अच्छी बात नहीं। |
132. | टूट पड़ना (सहसा आक्रमण कर देना) – राजपूत योद्धा अकबर की सेना पर टूट पड़े। |
133. | टेढी उँगली से घी निकालना (शक्ति से कार्य सिद्ध करना) – यदि तुम अपना काम करवाना चाहते हो, तो कड़ाई से काम लेना होगा, बिना उँगली टेढ़ी किए घी नहीं निकलेगा। |
134. | टेढ़ी खीर (कठिन कार्य) – डॉक्टर बनना बड़ी टेढ़ी खीर है। |
135. | ठेस लगना (दुख होना) – जब कोई अपना धोखा देता है तो बड़ी ठेस लगती है। |
136. | ठोकर खाना (हानि उठाना) – उसे अपना काम स्वयं करने दो, ठोकर खाकर ही कुछ सीख पाएगा। |
137. | ठोक बजाकर (जाँच कर) – किसी भी व्यक्ति से ठोक बजाकर ही संबंध स्थापित करने चाहिए। |
138. | डंके की चोट पर कहना (खुलेआम कहना) – मैं डंके की चोट पर कह रहा हूँ कि मेरे भाई ने कोई बुरा काम नहीं किया है। |
139. | डकार जाना (हड़प लेना, ली हुई वस्तु वापस न करना) – मोहन का सौतेला भाई पिता के मरने पर सारी संपत्ति डकार गया। |
140. | डूबते को तिनके का सहारा होना (संकटग्रस्त व्यक्ति को कुछ सहायता प्राप्त होना) – इस संकट के समय में तुम्हारा साथ, मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा है। |
141. | ढेर करना (मार गिरा देना) – भारत की नौसेना ने दुश्मनों को ढेर कर दिया। |
त–न | |
142. | तिलों में तेल न होना (काम न होने की या कुछ मिलने की आशा न होना) – कपूत को चालाकी से रुपये माँगते देख माँ ने कहा कि इन तिलों में तेल नहीं है, जाकर अपना दाँव कहीं और लगाओ। |
143. | तिल को ताड़ करना (साधारण बात को बढ़ा – चढ़ाकर कहना) – मज़ाक को समझना सीखो, तिल को ताड़ करने की आवश्यकता नहीं। |
144. | तीन – तेरह होना (तितर – बितर होना) – वीर राजपूत सिपाहियों के सामने शत्रुओं की सेनाएँ तीन – तेरह हो गईं। |
145. | तूती बोलना (धाक बैठना) – भारतीय सैनिकों की हर जगह तूती बोलती है। |
146. | थूककर चाटना (बदल जाना) – थूककर चाटना राजपूतों की शान के खिलाफ़ है। |
147. | दाँत खट्टे करना (हराना) – भारतीय सेना के जवानों ने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए। |
148. | दाँतों तले उँगली दबाना (आश्चर्य करना) – ताजमहल की भव्यता व सुंदरता को देखकर विदेशी भी दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं। |
149. | दाँत पीसना (क्रोध करना) – वह बेचारा दाँत पीसकर रह गया। |
150. | दाँत काटी रोटी होना (गहरी मित्रता होना) – शीला और सुषमा की क्या पूछते हो, उनकी तो आपस में दाँत काटी रोटी है। |
151. | दाल न गलना (काम न बनना) – मोहन दिनेश से एक बड़ी रकम हड़पना चाहता था, लेकिन उसकी दाल न गली। |
152. | दाल में काला होना (संदेह होना) – समय देकर वह अब तक नहीं आया, लगता है दाल में कुछ काला है। |
153. | दिमाग में भूसा होना (पूर्णतः मूर्ख होना) – दिमाग में भूसा होने के कारण ही रमा आठवीं कक्षा में दो बार फेल हो गई। |
154. | दूज का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) – बहुत बार तुमसे मिलने का प्रयत्न किया लेकिन तुम मिले नहीं, तुम तो आजकल दूज का चाँद हो रहे हो। |
155. | धरती पर पाँव न पड़ना (अभिमान से भरा होना) – रजिया अपनी सुंदरता पर इतराती है। आजकल तो उसके धरती पर पाँव नहीं पड़ते। |
156. | धुन का पक्का (निश्चय पर स्थिर रहने वाला) – शीला अपनी धुन की पक्की है, इस बार कक्षा में अवश्य प्रथम आएगी। |
157. | नज़रों से गिरना (अप्रिय होना) – जब से आशीष नकल करते पकड़ा गया है, तभी से अध्यापकों की नज़रों में गिर गया है। |
158. | नमक मिर्च लगाना (बढ़ा – चढ़ाकर बात बताना) – रमा की बात का क्या विश्वास। वह हर बात नमक मिर्च लगाकर कहती है। |
159. | नाक कटना (बेइज्जती होना) – बेटी घर से क्या भागी, दीनानाथ की तो नाक कट गई। |
160. | नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने ऊपर कोई संकट न आने देना) – दिव्या की सास तो कभी अपनी नाक पर मक्खी नहीं बैठने देती। |
161. | नाक – भौं चढ़ाना (घृणा प्रकट करना) – आजकल बच्चों को होटल का खाना ही पसंद है। घर का खाना देखते ही वे नाक – भौं चढ़ाते हैं। |
162. | नाक में दम करना (बहुत परेशान करना) – कुछ शैतान बच्चों ने अध्यापक की नाक में दम कर रखा है। |
163. | नाक रगड़ना (बड़ी दीनता से प्रार्थना करना) – उसके बार – बार नाक रगड़ने पर मुझे उसे नौकरी देनी ही पड़ी। |
164. | नाकों चने चबाना (बहुत कठिन कार्य करना) – कक्षा में प्रथम आने के लिए कवींद्र को नाकों चने चबाने होंगे। |
165. | नानी याद आना (होश ठिकाने आ जाना) – देखने में तो आसान काम था, लेकिन पूरा करने में नानी याद आ गई। |
166. | नौ – दो ग्यारह होना (भाग जाना) – पुलिस की आहट पाते ही चोर नौ – दो ग्यारह हो गए। |
प–म | |
167. | पत्थर की लकीर (दृढ़) – वह कभी झूठ नहीं बोलता, उसने जो कुछ भी कहा उसे पत्थर की लकीर समझो। |
168. | पगड़ी उछालना (अपमानित करना) – अपनी बुरी आदतों के लिए अपने पिता की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं। |
169. | पलकें बिछाना (प्रेमपूर्वक स्वागत करना) – अपने मेहमानों के स्वागत में पलकें बिछाना हम भारतीयों की संस्कृति में है। |
170. | पहाड़ टूट पड़ना (बड़ा संकट आना) – शेयर के भाव गिरते ही उस पर तो मानो पहाड़ टूट पड़ा हो। |
171. | पाँचों उँगलियाँ घी में होना (अधिक लाभ होना) – लॉटरी खुलने के बाद तो जगत सिंह की पाँचों उँगलियाँ घी में हैं। |
172. | पापड़ बेलना (कठिन साधना करना) – इस पद तक पहुँचने के लिए उसे खूब पापड़ बेलने पड़े हैं। |
173. | पानी में आग लगाना (शांति को अशांति में बदलना) – यदि सास बहू मिल – जुलकर रह रही हों, तो पड़ोसिनें पानी में आग लगाने से बाज़ नहीं आतीं। |
174. | पाला पड़ना (सामना होना) – दिनेश को अब पता चलेगा बॉक्सिंग में अब की बार उसका अपने से अधिक शक्तिशाली प्रतियोगी से पाला पड़ा है। |
175. | पानी – पानी होना (लज्जित होना) – स्कूल में अपने बेटे की करतूतें देख माता – पिता पानी – पानी हो गए। |
176. | पीठ दिखाना (हारकर भागना) – वीर व्यक्ति लड़ाई के मैदान में कभी पीठ नहीं दिखाते।। |
177. | पेट में दाढी होना (कम उम्र में ही जानकार होना) – आजकल छोटे – छोटे बच्चों की बातें सुनकर हैरानी होती है? लगता है पेट में दाढ़ी लेकर पैदा होते हैं। |
178. | पैरों तले जमीन खिसकना (घबराहट भरी हैरानी) – चुनावी दंगल में अपनी पार्टी की करारी हार देखकर नेता जी के पैरों तले जमीन खिसक गई। |
179. | पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख लगना) – सुबह से मैंने कुछ नहीं खाया, अब तो पेट में चूहे कूद रहे हैं। |
180. | फूंक – फूंककर पैर रखना (बहुत सोच – विचारकर काम करना) – ख़राब समय में कुशल व्यक्ति फूंक – फूंककर पैर रखता है। |
181. | फूट – फूटकर रोना (बहुत रोना) – अपने पिता की मृत्यु की खबर सुनकर वह फूट – फूटकर रो पड़ा। |
182. | फूला न समाना (अत्यंत प्रसन्न होना) – कक्षा में प्रथम आने की खबर सुनकर राकेश फूला न समाया। |
183. | बहती गंगा में हाथ धोना (अवसर का लाभ उठाना) – आज का हर नेता बहती गंगा में हाथ धोने की सोचता है। |
184. | बट्टा लगाना (कलंक लगाना) – तुम्हें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कि तुम्हारे माता – पिता के नाम पर बट्टा लगे। |
185. | बाएँ हाथ का खेल (अति सरल कार्य) – इस विशाल पेड़ पर चढ़ना तो मेरे बाएँ हाथ का खेल है। |
186. | बाजी मारना (आगे निकल जाना) – इस वर्ष कक्षा में सुरेश रमेश से बाज़ी मार गया। |
187. | बाल – बाल बचना (दुर्घटना होते – होते बच जाना) – रेल दुर्घटना में दुर्गा बाल – बाल बच गई। |
188. | बीड़ा उठाना (दृढ़ प्रतिज्ञा करना) – मैंने इस बार कक्षा में प्रथम आने का बीड़ा उठाया है। |
189. | भाड़े का टट्ट (पैसे लेकर काम करने वाला) – रमेश तो आजकल भाड़े का टटू बन गया है। |
190. | भीगी बिल्ली होना (डर से दुबकना) – अध्यापक को देखते ही वह भीगी बिल्ली बन गया। |
191. | भूत सवार होना (किसी काम के लिए हठ करना) – आजकल उसे पढ़ाई का भूत सवार है। |
192. | भैंस के आगे बीन बजाना (मूर्ख को उपदेश देना) – किसी अशिक्षित के सामने गीता का पाठ करना भैंस के आगे बीन बजाने के समान है। |
193. | भौंह चढ़ाना (नाराज़ होना) – भौंह चढ़ाने से क्या फायदा, जो कुछ भी है, वह कहकर अपनी बात खत्म करो। |
194. | मक्खी मारना (कुछ न करना) – मक्खी मारने के अलावा तुम्हें कोई काम नहीं। |
195. | मुँह फुलाना (रूठ जाना) – वह बिना कारण ही मुँह फुला लेता है। |
196. | मुँहतोड़ जवाब देना (पूरा – पूरा जवाब देना) – उसके प्रश्न का मैंने ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया कि वह एकदम चुप ही हो गया। |
197. | मुट्ठी गरम करना (रिश्वत देना) – आजकल भ्रष्टाचार इतना ज़्यादा फैल गया है कि बिना मुट्ठी गरम किए कोई काम ही नहीं होता। |
य–ह | |
198. | रंग में भंग डालना (बना बनाया खेल बिगाड़ देना) – लड़ाई करके उसने अच्छी भली पार्टी के रंग में भंग डाल दिया। |
199. | रंग जमाना (धाक जमाना) – अपनी मधुर वाणी से उसने महफिल में अपना रंग जमा लिया। |
200 | राई का पहाड़ बनाना (बढ़ा – चढ़ाकर बात करना) – उसकी तो आदत ही है, राई का पहाड़ बनाना। |
201. | लकीर का फकीर बनना (अंधविश्वासी होना) – इस आधुनिक युग में भी कुछ लोग लकीर के फकीर बने हुए हैं। |
202 | लहू का चूंट पीना (गुस्सा शांत करना) – अपनी वृद्ध माता के बर्ताव पर उसे गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह लहू का चूंट पीकर रह गया। |
203 | लोहा मानना (प्रभाव स्वीकार करना) – सभी राष्ट्र भारतीय सेनाओं की वीरता का लोहा मानते हैं। |
204 | लोहे के चने चबाना (कठिन काम करना) – एवरेस्ट पर चढ़ना लोहे के चने चबाना है। |
205 | सिर उठाना (विरोध करना) – पाकिस्तान आजकल हिंदुस्तान के सामने बहुत सिर उठा रहा है। |
206 | सिर नीचा होना (अपमानित होना) – कुपुत्र के कारनामों से माता – पिता का सिर नीचा हो गया। |
207 | सूर्य को दीपक दिखाना (प्रसिद्ध व्यक्ति का परिचय देना) – राजीव गांधी के बारे में कुछ कहना सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर है। |
208 | हक्का – बक्का रह जाना (आश्चर्यचकित हो जाना) – उसके घर की चकाचौंध देखकर मैं तो हक्का – बक्का रह गया। |
209 | हाथ धोकर पीछे पड़ना (बुरी तरह पीछा करना) – मुझे अपना काम उससे करवाना है, इसीलिए मैं उसके पीछे हाथ धोकर पड़ा हूँ। |
210. | हाथ फैलाना (याचना करना) – हाथ फैलाकर यदि जीवन में कुछ पाया तो वह व्यर्थ ही है। |
211. | हाथ – पाँव फूल जाना (डर जाना) – दरवाज़े पर आए मकान मालिक को देखकर किरायेदार के हाथ – पाँव फूल गए। |
212. | हाथों – हाथ बिकना (बहुत जल्दी बिकना) – सरस्वती हाउस की किताबें हाथों – हाथ बिक जाती हैं। |
कुछ अन्य मुहावरे
1. | अंगारों पर पैर रखना – जान – बूझकर मुसीबत में पड़ना। |
2. | अन्न – जल उठना – स्थान विशेष पर रहने का संयोग न होना। |
3. | अपना राग अलापना – अपने स्वार्थ की ही बातें करना। |
4. | अपने पैरों पर खड़े होना – स्वावलंबी होना। |
5. | आँखें नीची होना – लज्जित होना। |
6. | आँखें ठंडी होना – अत्यधिक शांति या प्रशंसा मिलना। |
7. | ईश्वर को प्यारा होना – मर जाना। |
8. | कटे पर नमक छिड़कना – दुखी व्यक्ति को और अधिक दुखी करना। |
9. | गंगा नहाना – बड़ा कार्य पूर्ण करना, कृतार्थ होना। मुहावरे |
10. | गोबर – गणेश होना – मूर्ख होना। |
11. | टोपी उछालना – किसी का अपमान करना। |
12. | ठंडा पड़ जाना – मर जाना, मंदा होना। |
13. | तारे गिनना – व्यग्रता से प्रतीक्षा करना। |
14. | तारे तोड़ लाना – बहुत बड़ा काम कर डालना। |
15. | तेली का बैल होना – हमेशा काम में लगे रहना। |
16. | दम तोड़ना – आखिरी साँस गिनना, मर जाना। |
17. | दाँतों में जीभ होना – चारों ओर विरोधियों के बीच घिरे रहना। |
18. | दाहिना हाथ होना – बहुत बड़ा सहायक होना। |
19. | दिमाग चाटना – अनावश्यक बोलकर परेशान करना। |
20. | दूज का चाँद होना – बहुत कम दिखाई देना। |
21. | धरती पर पाँव न पड़ना – अभिमान से भरा होना। |
22. | नमक हलाल होना – कृतज्ञ होना। |
23. | नाक रख लेना – इज्जत बचा लेना। |
24. | नींव का पत्थर होना – मुख्य सहायक होना। |
25. | पॉव में शनीचर होना – एक स्थान पर स्थिर न होना। |
26. | पारा उतरना – क्रोध शांत होना। |
27. | भूत सवार होना – कुपित होना, किसी काम के लिए हठ पकड़ लेना। |
28. | भौंह चढ़ाना – नाराज़ होना। |
29. | मगज़ चाटना – अनावश्यक बोलकर परेशान करना। |
30. | मीठी नींद सोना – निश्चित होकर सोना। |
31. | यमपुर पहुँचाना – मार डालना। |
32. | शर्म से पानी – पानी होना – बहुत लज्जित होना। |
33. | सड़क नापना – व्यर्थ में इधर – उधर घूमना। |
34. | सिर से पानी गुजर जाना – सहनशीलता की सीमा टूट जाना। |
35. | सूरज को दीपक दिखाना – अत्यधिक विद्वान व्यक्ति को कुछ बतलाना। |
36. | सूरज पर थूकना – समर्थ व्यक्ति का व्यर्थ में अपमान करना, निर्दोष को दोषी बताना। |
37. | सोने पर सुहागा होना – अच्छी चीज़ का और अच्छा होना। |
38. | हथियार डालना – पराजय स्वीकार कर लेना। |
पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ के पाठों में आए मुहावरे
पाठ-1: बड़े भाई साहब
1. | पहाड़ के समान (अत्यंत मुश्किल) – शिक्षिका के द्वारा दिया गया गृह – कार्य मुझे पहाड़ के समान लग रहा था। |
2. | प्राण सूख जाना (अत्यधिक डर जाना) – साँप को अपने सामने अचानक देख मेरे प्राण सूख गए। |
3. | हँसी – खेल नहीं है (साधारण काम नहीं है) – एवरेस्ट की चढ़ाई करना हँसी खेल नहीं है। |
4. | ऐरा – गैरा नत्थू खैरा (कोई भी व्यक्ति) – आजकल ऐरा – गैरा नत्थू खैरा हाथ में मोबाइल लिए घूमता है। |
5. | आँखें फोड़ना (रात – रात भर पढ़ना) – रात – दिन आँखें फोड़कर भी वह कक्षा में प्रथम न आ सका। |
6. | लगती बातें कहना (चुभती बातें कहना) – सास अपना बड़प्पन दिखाने के लिए बहू को लगती बातें कहती रहती है। |
7. | सूक्ति – बाण चलाना (नीति की बातें सीखाना/उपदेश देना) – छोटे से अपराध पर पिता ने ऐसे सूक्ति – बाण चलाए कि मैं नत – मस्तक हो गया। |
8. | जिगर के टुकड़े – टुकड़े करना (मन का उत्साह समाप्त करना) – अध्यापक की डाँट ने जिगर के टुकड़े – टुकड़े कर दिए। |
9. | जान तोड़कर मेहनत करना (अधिक मेहनत करना) – किसान जान तोड़कर मेहनत करके फसल उगाता है। |
10. | साये से भागना (बहुत अलग या दूर रहना) – गौतम क्रूर प्रकृति का है। मैं तो उसके साये से भी भागता हूँ। |
11. | दबे पाँव आना (छिपकर आना) – चोर ने दबे पाँव घर में प्रवेश किया। |
12. | प्राण निकलना (अत्यंत भयभीत होना) – गणित के अध्यापक को देखकर रमेश के प्राण निकल जाते हैं। |
13. | घुड़कियाँ खाना (डाँट डपट सहना) – बच्चों को अपने अध्यापकों की घुड़कियाँ खाने को मिले तो यह उनका सौभाग्य होता है। |
14. | आड़े हाथों लेना (कठोरतापूर्वक व्यवहार करना) – बदमाश बच्चों को आड़े हाथों लेना आवश्यक होता है। |
15. | सिर पर नंगी तलवार लटकना (सिर पर मौत मंडराना) – आज आतंकवाद के कारण ऐसा लगता है मानो सिर पर नंगी तलवार लटक रही है। |
16. | दिली हमदर्दी होना (हृदय से प्रेम होना) – राहुल अनाथ है और मुझे उससे दिली हमदर्दी है। |
17. | घाव पर नमक छिड़कना (दुखी व्यक्ति को और अधिक दुख देना) – एक तो मेरी पुस्तक चोरी हो गई और तुम हँसकर मेरे घाव पर नमक छिड़क रहे हो। |
18. | खून जलाना (बहुत मेहनत करना) – माता – पिता अपना खून जलाकर अपने बच्चों का लालन – पालन करते हैं। |
19. | हेकड़ी जताना (घमंड दिखाना) – कुछ लोग जाने – अनजाने हेकड़ी जताने से भी नहीं चूकते। |
20. | हेकड़ी जताना (शेखी मारना) – मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊँगा कि हेकड़ी जताना भूल जाएगा। |
21. | भाँप लेना (पहचान लेना) – रवि के मन की कुटिलता को मैंने भाँप लिया था। |
22. | तलवार खींच लेना (लड़ने के लिए म्यान से तलवार बाहर निकाल लेना) – महाराणा प्रताप ने शत्रु को सामने देख तलवार खींच ली। |
23. | टूट पड़ना (भारी संख्या में पहुँचना) – प्रदर्शनी देखने के लिए भारी भीड़ टूट पड़ी। |
24. | नामोनिशान मिटा देना (अस्तित्व को समाप्त कर देना) – घमंड ने तो अच्छे – अच्छों का नामोनिशान मिटा दिया है। |
25. | सिर फिर जाना (बुद्धि ठिकाने न रहना) – अधिक धन आ जाने के कारण उसका सिर फिर गया है। |
26. | पानी देने वाला (कठिन समय में साथ देने वाला) – हर बच्चे का फर्ज बनता है कि वह अपने माता के अंतिम समय में उन्हें चुल्लू भर पानी दें। |
27. | दीन – दुनिया से जाना (कहीं का न रहना) – अपनी इन हरकतों को अगर नहीं छोड़ोगे तो दीन – दुनिया से जाने के लिए तैयार हो जाओ। |
28. | अंधे के हाथ बटेर लगना (निर्गुणी को कोई अमूल्य वस्तु अनायास प्राप्त होना) – रामनाथ अंगूठा छाप होने पर भी एम०एल०ए० बन गया। यह तो, अंधे के हाथ बटेर लगने जैसा है। |
29. | दाँतों पसीना आ जाना (अत्यंत मुश्किल काम करना) – पहाड़ को काटकर रास्ता बनाना दाँतों पसीना आने जैसा काम है। |
30. | अंधा चोट निशाना पड़ना (अचानक ही कोई चीज़ मिलना) – कक्षा में प्रथम आया देख सभी ने कहा कि सुमित का अंधा चोट निशाना पड़ गया। |
31. | राह लेना (पीछा छोड़ना, चले जाना) – मुझे तुम्हारी कोई सहायता नहीं चाहिए। जाओ तुम अपनी राह लो। |
32. | पन्ने रँगना (बेकार में लिखना) – सही उत्तर लिखो। खामखा पन्ने क्यों रँग रहे हो? |
33. | हाथ से न जाना (चूकना) – यह सुनहरा मौका हाथ से नहीं जाना चाहिए। |
34. | शब्द चाटना (अच्छी तरह पढ़ना) – यदि पास होना है तो इस किताब का एक – एक शब्द चाट जाओ। |
35. | मुठभेड़ होना (सामना होना, कलह होना) – जब चंद्रशेखर आजाद से अंग्रेजों की मुठभेड़ हुई तो उसने उन्हें नाकों चने चबवा दिए। |
36. | हाथ – पाँव फूल जाना (परेशानी देखकर घबरा जाना) – अचानक सामने साँप को देखकर उसके हाथ – पाँव फूल गए। |
37. | पैसे – पैसे को मुहताज होना (बहुत गरीब और मज़बूर होना) – व्यवसाय में घाटा लगने के बाद से अमीरचंद पैसे – पैसे को मुहताज हो गए हैं। |
38. | मुँह चुराना (शर्म के मारे बचना) – गलत काम करके मुँह चुराने से क्या फायदा! सच बोलकर मन की शांति वापस ले लो। |
39. | बे – सिर – पैर की बातें करना (असंगत और तर्कहीन बात करना) – आजकल के बच्चे बे – सिर – पैर की बातें करते हैं। |
40. | ज़मीन पर पाँव न रखना (ऐंठ या शेखी दिखलाना) – थोड़े पैसे क्या आ गए अब रामदीन ज़मीन पर पाँव नहीं रखता। |
41. | गिरह बाँधना (गाँठ बाँधना) – उसने अपने बड़ों की बातों को गिरह बाँध लिया है। |
42. | नत मस्तक होना (सम्मान करना) – मैं अपने गुरुजन को सामने देख नत मस्तक हो गया। |
43. | जी ललचाना (मुँह में पानी आना) – जब भी मैं सामने मिठाई देखता हूँ मेरा जी ललचाने लगता है। |
44. | अपना रंग दिखाना (विविध आचरण करना) – अब मेरा मित्र भी दूसरों की संगत में आकर अपना रंग दिखाने लगा है। |
45. | सुध – बुध खोना (बेसुध हो जाना) – अपने बेटे की दुर्घटना की ख़बर सुनकर माँ सुध – बुध खो बैठी। |
46. | तंद्रा भंग होना (गहरी नींद से जाग जाना/होश आना) – मस्ती में गाड़ी चला रहे विवेक के सामने अचानक बस आने पर उसकी तंद्रा भंग हो गई। |
47. | विस्मित होना (आश्चर्य चकित रह जाना) – माल्या को कक्षा में प्रथम स्थान पर देख सभी विस्मित हो गए। |
48. | सुध – बुध खो देना (होश – हवास न रह जाना) – स्वामी जी की बातें सुनकर उसने सुध – बुध खो दी। |
49. | ठिठक जाना (रुक जाना) – बिल्ली के रास्ता काटने पर वह ठिठक गया। |
50. | किंकर्तव्यविमूढ़ होना (असमंजस की स्थिति में पड़ जाना) – अचानक सामने साँप को देख वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। |
पाठ-2: डायरी का एक पन्ना
1. | रंग दिखाना (असलियत सामने आना) – अभी कल ही तो तुम आए हो और अभी से रंग दिखाने लगे। |
2. | टूट जाना (निराश हो जाना) – तुम्हारे स्वार्थी स्वभाव से मेरा दिल टूट गया है। |
पाठ-3 : तताँरा वामीरो कथा
1. | आग बबूला हो उठना (अत्यधिक गुस्सा होना) – अपने बेटे की करतूत देख माँ आग बबूला हो उठी। |
2. | सुराग न मिलना (सूत्र न मिलना) – सुराग न मिलने पर बड़े – बड़े अपराधी भी छूट जाते हैं। |
3. | चक्कर खा जाना (धोखा खा जाना) – हमशक्ल भाइयों को साथ – साथ देख कोई भी चक्कर खा जाता है। |
4. | बाट जोहना (इंतज़ार करना) – मैं अपने मित्र की सुबह से बाट जोह रहा हूँ। |
5. | खुशी का ठिकाना न रहना (बहुत प्रसन्न होना) – कक्षा में प्रथम आने पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। |
6. | आवाज़ उठाना (विरोध प्रकट करना) – दहेज प्रथा के विरोध में हम सभी को मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए। |
पाठ-4: तीसरी कसम के शिल्पकार
1. | चेहरा मुरझाना (उदासी छा जाना) – जब पिता ने रवि की माँग पर खिलौना लाकर नहीं दिया तो रवि का चेहरा मुरझा गया। |
2. | दो से चार बनाना (मुनाफ़ा करना) – एक अच्छा व्यापारी दो से चार बनाना भली – भाँति जानता है। |
3. | आँखों से बोलना (हाव – भाव से मन की बात बताना) – राधा मुँह से कम आँखों से अधिक बोलती है। |
4. | जिंदगी नर्क हो जाना (बुरी दशा हो जाना) – बुढ़ापे में बीमारी के कारण रामदीन की जिंदगी नर्क हो गई है। |
पाठ-5: गिरगिट
1. | मज़ा चखाना (बदला लेना) – मुझसे बदतमीजी की तो ऐसा मज़ा चखाऊँगी कि तुम याद रखोगे। |
2. | मत्थे मढ़ना (ज़िम्मे लगाना) – सड़े – गले आम वह हमारे मत्थे मढ़ गया है। |
3. | अपने रास्ते चलना (अपने बंधे – सधे ढंग से आचरण करना) – तुम दुनिया को नहीं चला सकते, दुनिया अपने रास्ते पर चलती है। |
पाठ-6 : अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले
1. | घर से बेघर करना (घर से बाहर निकाल देना) – गरीबी ने मनोज को घर से बेघर कर दिया। |
2. | मिट्टी में मिलाना (बर्बाद करना) – कमल ने चोरी करके अपने परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी। |
3. | एकांत को शांत करना (एकांत में सहारा बनना) – बुढ़ापे में दरवाजे के बाहर खूटे से बँधी गाय दीनानाथ के एकांत को शांत करती है। |
4. | आँखों में आँसू आ जाना (अश्रुपात होना) – भगवान श्री कृष्ण की लीला सुन वे इतना भाव – विभोर हो गए कि उनकी आँखों में आँसू आ गए। |
पाठ-7 : पतझड़ में टूटी पत्तियाँ
1. | दुआ माँगना (भलाई चाहना) – माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए दुआएँ माँगती रहती हैं। |
2. | सजग रहना (चौकन्ना रहना) – हमें अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहना चाहिए। |
3. | उलझन में पड़ना (परेशानी में पड़ना) – वह दूसरों की लड़ाई के बीच बोलकर, उलझन में पड़ना नहीं चाहता। |
पाठ-8 : कारतूस
1. | आँखों में धूल झोंकना (भ्रमित करना) – चोर पुलिस की आँखों में धूल – झोंककर चला गया। |
2. | मुट्ठी भर आदमी (थोड़े से आदमी) – मुट्ठी भर आदमी भी सत्ता पलट सकते हैं। |
3. | नफ़रत कूट – कूटकर भरी होना (बहुत अधिक नफ़रत होना) – आतंकवादियों के लिए हम सभी के मन में नफ़रत कूट – कूटकर भरी है। |
4. | काम तमाम कर देना (मार देना) – दुश्मनों का काम तमाम करके ही सैनिक वापस लौटे। |
5. | जान बख्श देना (घोर संकट से मुक्ति दिलाना) – अपहरणकर्ताओं ने बच्चे की जान बख़्श दी, इससे अधिक अच्छी बात और क्या हो सकती है। |
6. | हक्का – बक्का खड़ा रह जाना (आश्चर्य चकित हो खड़ा रहना) – अपने मित्रों में अचानक हुई लड़ाई को देख वह हक्का – बक्का खड़ा रह गया। |
7. | कामयाब होना (सफ़ल होना) – वह इस जंग से कामयाब होकर ही लौटेगा। |