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Rachna ke Aadhar Par Vakya Bhed in Hindi | रचना के आधार पर वाक्य भेद की परिभाषा एवं उनके उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

Contents

Rachna ke Aadhar Par Vakya Bhed in Hindi रचना के आधार पर वाक्य भेद की परिभाषा एवं उनके उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।

रचना के आधार पर वाक्य भेद की परिभाषा और उदाहरण | Rachna ke Aadhar Par Vakya Bhed in Hindi  Examples

रचना के आधार पर वाक्य की परिभाषा

वाक्य: जब भी हमें अपने मन की बात दूसरों तक पहुँचानी होती है या किसी से बातचीत करनी होती है तो हम वाक्यों का सहारा लेकर ही बोलते हैं। यद्यपि वाक्य विभिन्न शब्दों (पदों) के योग से बनता है और हर शब्द का अपना अलग अर्थ भी होता है, पर वाक्य में आए सभी घटक परस्पर मिलकर एक पूरा विचार या संदेश प्रकट करते हैं। वाक्य छोटा हो या बड़ा, किसी – न – किसी विचार या भाव को पूर्णतः व्यक्त करने की क्षमता रखता है। अतः

ऐसा सार्थक शब्द – समूह, जो व्यवस्थित हो तथा पूरा आशय प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है। ‘वाक्य’ में निम्नलिखित बातें होती हैं :

  • वाक्य की रचना शब्दों (पदों) के योग से होती है।
  • वाक्य अपने में पूर्ण तथा स्वतंत्र होता है।
  • वाक्य किसी – न – किसी भाव या विचार को पूर्णतः प्रकट कर पाने में सक्षम होता है।

उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति कहता है ‘सफ़ेद जूते’ तो यह वाक्य नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यहाँ पर किसी ऐसे विचार या संदेश का ज्ञान नहीं होता जिसे वक्ता बताना चाहता हो। जबकि ‘मुझे सफ़ेद जूते खरीदने हैं एक पूर्ण वाक्य है, क्योंकि यहाँ ‘सफ़ेद जूतों’ के विषय में बोलने वाले का भाव, स्पष्टतः प्रकट हो रहा है।

वाक्य के अंग होते हैं

प्रत्येक वाक्य के दो खंड अथवा अंग होते हैं – कर्ता और क्रिया। कर्ता और क्रिया के विस्तार को ‘उद्देश्य और विधेय’ कहा जाता है।
1. उद्देश्य : वाक्य में कर्ता या उसके विस्तार या जिस व्यक्ति या वस्तु के बारे में कहा जाए, उसे ‘उद्देश्य’ कहते हैं। मुख्य रूप से कर्ता ही वाक्य में उद्देश्य कहलाता है।
‘मोहन बाज़ार जा रहा है।’

इस वाक्य में जो कुछ भी लिखा गया है, वह मोहन के विषय में है। इसलिए इस वाक्य में मोहन ही वाक्य का उद्देश्य है।

2. विधेय – वाक्य में कर्ता या उद्देश्य के बारे में जो कुछ भी कहा जाए उसे ‘विधेय’ कहते हैं। साधारणतः कर्ता उद्देश्य होता है और क्रिया विधेय होती है।
‘मोहन बाज़ार जा रहा है।’
इस वाक्य में ‘मोहन’ उद्देश्य है, इस बात को पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है। वाक्य का शेष अंश ‘बाज़ार जा रहा है’ मोहन के बारे में कहा गया है, इसलिए यह इस वाक्य का विधेय है। कुछ अन्य उदाहरण :

उददेश्य  विधेय
शीला  गाना गा रही है।
महात्मा गांधी  हमारे प्रिय नेता थे।
हमारे प्रिय नेता राजीव गांधी  की हत्या कर दी गई।
में  कल दिल्ली जाऊँगा।

उद्देश्य और विधेय का विस्तार

वास्तव में केवल क्रिया ही विधेय कही जाती है और क्रिया का कर्ता उद्देश्य कहलाता है किंतु जो शब्द उद्देश्य और विधेय की विशेषता प्रकट करते हैं अथवा उनके अर्थ में वृद्धि करते हैं, वे विस्तारक कहलाते हैं।

उद्देश्य के विस्तारक
उद्देश्य के अर्थ में विशेषता प्रकट करने के लिए जो शब्द अथवा वाक्यांश उसके साथ जोड़े जाते हैं, वे उद्देश्य – विस्तारक कहलाते हैं। जैसे :

  • काली गाय घास चरती है।
  • कमल का भाई मूर्ख है।
  • पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी विदेश चले गए।

उपयुक्त वाक्यों में ‘गाय’, ‘भाई’ तथा ‘शर्मा जी’ उद्देश्य हैं तथा ‘काली’, कमल का’ तथा ‘पड़ोस में रहने वाले’ यह तीनों क्रमशः उन तीनों उद्देश्यों के अर्थ में वृद्धि करने के कारण उद्देश्य के विस्तारक हैं। ऊपर के वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ने पर यह भी पता चलता है कि उद्देश्य – विस्तार शब्द प्रायः विशेषण, संबंधकारक या विशेषण वाक्य होते हैं। प्रथम वाक्य में ‘काली’ शब्द विशेषण है, दूसरे वाक्य में ‘कमल का’ संबंध कारक है और ‘पड़ोस में रहने वाले’ वाक्यांश है, जो कि विशेषण की तरह प्रयुक्त हुआ है।

विधेय के विस्तारक

विधेय के अर्थ में विशेषता लाने वाले शब्द विधेय – विस्तारक कहलाते हैं। जैसे :

  • घोड़ा तेज़ दौड़ रहा है।
  • भावेश परिश्रमी है।
  • राघव खाकर सो जाएगा।
  • विदेशियों ने भारत पर आक्रमण कर दिया।

ऊपर लिखे वाक्यों में ‘दौड़ रहा है’, ‘है’, ‘जाएगा’ तथा ‘कर दिया ये चारों विधेय हैं; तथा ‘तेज’, ‘परिश्रमी’, ‘खाकर’, ‘भारत पर’ तथा ‘आक्रमण’ ये पाँचों विधेय – विस्तारक हैं। इनमें ‘तेज’ क्रिया – विशेषण परिश्रमी’ पूरक, ‘खाकर’ पूर्वकालिक क्रिया, ‘भारत पर’ अधिकरण कारक तथा ‘आक्रमण’ शब्द कर्म है। यही विधेय – विस्तारक हैं।

इन विधेय – विस्तारक शब्दों पर विचार करने से यह स्पष्ट होता है कि क्रिया – विशेषण पूरक, पूर्वकालिक क्रिया, करण से लेकर अधिकरण तक के कारकों में से कोई – सा कारक और सकर्मक क्रिया का कर्म ही प्रायः विधेय – विस्तारक हो सकते हैं।

(क) पदों का क्रम एवं नियम
हिंदी के वाक्य में पदक्रम के निम्नलिखित नियम हैं :
1. कर्ता पहले और क्रिया अंत में होती है; जैसे – वह गया। राम पुस्तकं पढ़ता है। रमेश चलते – चलते शाम तक वहाँ जा पहुँचा। इन वाक्यों में ‘वह’, ‘राम’ तथा ‘रमेश’ कर्ता (पहले शब्द) हैं और ‘गया’, ‘पढ़ता है’, ‘जा पहुँचा’ क्रिया (अंतिम शब्द)।

2. क्रिया का कर्म या उसका पूरक क्रिया से पहले आता है तथा क्रिया कर्ता के बाद; जैसे – मैंने सेब खाया। पिता ने पुत्र को पैसे दिए। इन वाक्यों में सेब’, ‘पुत्र’ तथा ‘पैसे’ कर्म हैं, ‘खाया’ और ‘दिए’ क्रिया तथा ‘मैंने’ और ‘पिता’ कर्ता।

3. यदि दो कर्म हों तो गौण कर्म पहले तथा मुख्य कर्म बाद में आता है; जैसे – पिता ने पुत्र को पैसे दिए। इसमें ‘पुत्र’ गौण कर्म है तथा ‘पैसे’ मुख्य कर्म।

4. कर्ता, कर्म तथा क्रिया के विशेषक (विशेषण या क्रियाविशेषण) अपने – अपने विशेष्य से पहले आते हैं; जैसे: मेधावी छात्र मन लगाकर पढ़ रहा है।

इस वाक्य में मेधावी (विशेषण) तथा मन लगाकर (क्रियाविशेषण) क्रमशः अपने – अपने विशेष्य छात्र (संज्ञा) तथा क्रिया (पढ़ रहा है) से पहले आए हैं।

5. विशेषण सर्वनाम के पहले नहीं आ सकता, वह सर्वनाम के बाद ही आएगा; जैसे :
वह अच्छा है। यह काला कपड़ा है।

यहाँ सर्वनाम ‘वह’ और ‘यह’ के बाद ही विशेषण ‘काला’ और ‘अच्छा’ आए हैं।

6. स्थानवाचक या कालवाचक क्रियाविशेषण कर्ता के पहले या ठीक पीछे रखे जाते हैं; जैसे :
आज मुझे जाना है। तुम कल आ जाना।

इन वाक्यों में कालवाचक क्रियाविशेषण ‘आज’ और ‘कल’ अपने कर्ता ‘मुझे’ और ‘तुम’ के क्रमशः पहले तथा ठीक बाद में आए हैं।

7. निषेधार्थक क्रियाविशेषण क्रिया से पहले आते हैं; जैसे :
तुम वहाँ मत जाओ। मुझे यह काम नहीं करना।

इन वाक्यों में निषेधार्थक क्रियाविशेषण ‘मत’ तथा ‘नहीं’ क्रमशः अपनी क्रिया ‘जाओ’ तथा ‘करना’ से पहले आए हैं।

8. प्रश्नवाचक सर्वनाम या क्रियाविशेषण प्रायः क्रिया से पहले आते हैं; जैसे :
तुम कौन हो? तुम्हारा घर कहाँ है?

इन वाक्यों में प्रश्नवाचक सर्वनाम कौन’ तथा क्रियाविशेषण ‘कहाँ’ क्रिया से पहले आए हैं, किंतु जिस ‘क्या’ का उत्तर ‘हाँ’ या ‘ना’ में हो, वह वाक्य के प्रारंभ में आते हैं।
क्या तुम जाओगे? क्या तुम्हें खाना खाना है?

9. प्रश्नवाचक या कोई अन्य सर्वनाम जब विशेषण के रूप में प्रयुक्त हो, तो संज्ञा से पहले आएगा; जैसे :
यहाँ कितनी किताबें हैं? कौन आदमी आया है?

इन वाक्यों में ‘यहाँ’ तथा ‘कौन’ प्रश्नवाचक सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर क्रमशः ‘किताबें’ तथा ‘आदमी’ (संज्ञा) से पहले आए हैं।

10. संबोधन तथा विस्मयादिबोधक शब्द प्रायः वाक्य के आरंभ में आते हैं; जैसे :
अरे रमा! तुम यहाँ कैसे? ओह ! मैं तो भूल गई थी।

11. संबंधबोधक अव्यय तथा परसर्ग संज्ञा और सर्वनाम के बाद आते हैं; जैसे :
राम को जाना है।
उसको भेज दो।
वह मित्र के साथ घूमने गया है।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘को’ तथा ‘के’ परसर्ग संज्ञा व सर्वनाम राम, उस तथा मित्र के बाद आए हैं।

12. पूर्वकालिक ‘कर’ धातु के पीछे जुड़ता है; जैसे – छोड़ + कर = छोड़कर। इसके अलावा पूर्वकालिक क्रिया, मुख्य क्रिया से पहले आती है; जैसे :
वह खाकर सो गया। वह आकर पढ़ेगा।

इन वाक्यों में ‘खाकर’ तथा ‘आकर’ (पूर्वकालिक) ‘सो गया’ तथा ‘पढ़ेगा’ (क्रिया) से पहले आए हैं।

13. भी, तो, ही, भर, तक आदि अव्यय उन्हीं शब्दों के पीछे लगते हैं, जिनके विषय में वे निश्चय प्रकट करते हैं; जैसे :
मैं तो (भी, ही) घर गया था। मैं घर भी (ही) गया था।

इन दोनों वाक्यों में अव्यय ‘तो’, ‘भी’ तथा ‘ही’ क्रमशः ‘मैं’ और ‘घर’ के विषय में निश्चय प्रकट कर रहे हैं, इसलिए उनके पीछे लगे हुए हैं।

14. यदि…………..तो, जब……………तब, जहाँ……………वहाँ, ज्योंहि……………त्योंहि आदि नित्य संबंधी अव्ययों में प्रथम प्रधान वाक्य के पहले तथा दूसरा आश्रित वाक्य के पहले लगता है; जैसे :
जहाँ चाहते हो, वहाँ जाओ।
जब आप आएँगे, तब वह जा चुका होगा।

इन वाक्यों में जहाँ’ और ‘जब’ प्रथम प्रधान वाक्य के पहले तथा ‘वहाँ’ और ‘तब’ दूसरे आश्रित उपवाक्य के पहले लगे हैं।

15. समुच्चयबोधक अव्यय दो शब्दों या वाक्यों के बीच में आता है। तीन समान शब्द या वाक्य हों तो ‘और’ अंतिम से पहले आता है; जैसे :
दिनेश तो जा रहा है, लेकिन रमेश नहीं।
सीता, गीता और रमा तीनों ही आएँगी।

पहले वाक्य में समुच्चयबोधक अव्यय ‘लेकिन’ दो वाक्यों के बीच में आया है तथा दूसरे वाक्य में समुच्चयबोधक अव्यय ‘और’ तीन शब्द होने के कारण से अंतिम से पहले आया है।

16. वाक्य में विविध अंगों में तर्कसंगत निकटता होनी चाहिए; जैसे :
एक पानी का गिलास लाओ।
इस वाक्य में एक पानी’ निरर्थक है; ‘पानी का एक गिलास लाओ’, सार्थक है।

(ख) पदों का अन्वय एवं नियम
अन्वय का अर्थ है ‘मेल’। वाक्य में संज्ञा, क्रिया आदि आने पर पदों में परस्पर मेल होना चाहिए। यहाँ पर कुछ विशेष नियम दिए जा रहे हैं :
कर्ता, कर्म और क्रिया का अन्वय
1. यदि कर्ता के साथ कारक चिह्न या परसर्ग न हो, तो क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होगा; जैसे :
राधा खाना बनाती है। शीला पुस्तक पढ़ती है।

2. यदि कर्ता के साथ परसर्ग हो, तो क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार होगा; जैसे :
राम ने पुस्तक पढ़ी। रमा ने भोजन पकाया।

3. यदि कर्ता और कर्म दोनों के साथ परसर्ग हो, तो क्रिया सदा पुल्लिग, अन्य पुरुष, एकवचन में रहती है; जैसे :
पुलिस ने चोर को पीटा।

4. एक ही तरह का अर्थ देने वाले अनेक कर्ता एकवचन में और परसर्ग रहित हों, तो क्रिया एकवचन में होगी; जैसे :
यमुना की बाढ़ में उसका घर – बार और माल – असबाब बह गया।

5. यदि एक से अधिक भिन्न – भिन्न कर्ता, परसर्ग रहित हों, तो क्रिया बहुवचन में होगी; जैसे :
सीता और राधा पढ़ रही थीं। राकेश और मोहन जा रहे हैं।

6. यदि एक से अधिक भिन्न कर्ता लिंगों में हों, तो क्रिया अंतिम कर्ता के लिंग के अनुसार होगी; जैसे :
माँ और बेटा आए। उसके पास एक पायजामा और दो कमीजें थीं।

संबंध और संबंधी अन्याय का उदाहरण

1. का, के, की संबंधवाची विशेषण परसर्ग हैं। इनका लिंग, वचन और कारकीय रूप वही होता है, जो उत्तर पद (संबंधी) का होता है। जैसे :
शीला की घड़ी।
राजू का रूमाल।
रमा के कपड़े।

2. यदि संबंधी पद अनेक हों, तो संबंधवाची विशेषण परसर्ग पहले संबंधी के अनुसार होता है; जैसे :
शीला की बहन और भाई जा रहे थे।

ऐसे में परसर्गों को दोहराया भी जा सकता है; जैसे :
शीला की बहन और उसका भाई जा रहे थे।

संज्ञा और सर्वनाम अन्वय का उदाहरण

1. सर्वनाम का वचन और पुरुष उस संज्ञा के अनुरूप होना चाहिए, जिसके स्थान पर उसका प्रयोग हो रहा हो; जैसे :
राधा ने कहा कि वह अवश्य आएगी।
अध्यापक आए तो उनके हाथ में पुस्तकें थीं।

2. हम, तुम, आप, वे, ये आदि का अर्थ की दृष्टि से एकवचन के लिए भी प्रयोग होता है, किंतु इनका रूप बहुवचन ही रहता है; जैसे :
आप कहाँ जा रहे हो?
लड़के ने कहा, “हम भी चलेंगे।”

विशेषण और विशेष्य अन्वय का उदाहरण

1. विशेषण का लिंग और वचन, विशेष्य के अनुसार होता है; जैसे :
अच्छी साड़ी, छोटा बच्चा, काला घोड़ा, काले घोड़े, काली घोड़ी।

2. यदि अनेक विशेष्यों का एक विशेषण हो, तो उस विशेषण के लिंग, वचन और कारकीय रूप तुरंत बाद में आने वाले विशेष्य के अनुसार होंगे; जैसे :
पुराने पलंग और चारपाई बेच दी।
अपने मान और सम्मान के लिए जिए।

3. यदि एक विशेष्य के अनेक विशेषण हों, तो वे सभी विशेष्य के अनुसार होंगे; जैसे :
सस्ती और अच्छी किताबें।
गंदे और मैले – कुचैले कपड़े।

रचना के आधार पर वाक्य भेद उदाहरण

रचना के आधार पर वाक्य के मुख्य तीन भेद हैं :
1. सरल या साधारण वाक्य
2. जटिल या मिश्र वाक्य
3. संयुक्त वाक्य या यौगिक वाक्य।

1. सरल या साधारण वाक्य (Simple Sentence) – जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक ही विधेय हो, उसे ‘सरल या साधारण वाक्य’ कहा जाता है; जैसे :
(क) राम बाज़ार जा रहा है।
(ख) वह पुस्तक पढ़ रहा है।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘राम’ तथा ‘पुस्तक’ कर्ता हैं तथा ‘जा रहा है’ तथा ‘पढ़ रहा है’ क्रिया हैं। एक ही कर्ता तथा एक ही क्रिया होने के कारण ये सरल वाक्य हैं।

सरल वाक्य में कर्ता और क्रिया के अलावा कर्म तथा उनके पूरक भी सम्मिलित किए जा सकते हैं।

1. राहुल पढ़ा। (कर्ता – क्रिया)
2. राहुल पढ़ रहा है। (कर्ता – क्रिया – विस्तार)
3. पड़ोस में रहने वाला राहुल पढ़ रहा है। (विस्तार कर्ता – क्रिया – विस्तार)
4. राहुल ने पुस्तक पढ़ी। (कर्ता – कर्म – क्रिया)
5. राहुल ने मित्र को पुस्तक दी। (कर्ता – कर्म – कर्म क्रिया)
6. राहुल ने अपने प्रिय मित्र को कहानी की पुस्तक दी। (कर्ता – कर्म का विस्तार, कर्म – कर्म का विस्तार – कर्म – क्रिया)

2. जटिल या मिश्र वाक्य (Complex Sentence) – जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य के साथ एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य जुड़े हों तो, उसे ‘जटिल या मिश्र वाक्य’ कहा जाता है; जैसे :
(क) वह कौन – सा क्षेत्र है जहाँ महिलाओं ने अपना कदम नहीं रखा?
(ख) गहन – से – गहन संकट हो फिर भी वह हँसता रहता है।

उपवाक्य के कितने भेद हैं

मिश्र वाक्य में आश्रित उपवाक्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :
(क) संज्ञा उपवाक्य
(ख) विशेषण उपवाक्य
(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य।

(क) संज्ञा उपवाक्य – जिस आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्म या पूरक के रूप में प्रयुक्त होता है, उसे ‘संज्ञा उपवाक्य’ कहते हैं; जैसे :
राजू ने कहा कि वह कल मुंबई जा रहा है।

इस वाक्य में ‘वह कल मुंबई जा रहा है’ वाक्य संज्ञा उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य बहुधा प्रधान उपवाक्य से ‘कि’ योजक द्वारा जुड़े होते हैं।

(ख) विशेषण उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य अपने प्रधान वाक्य की किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे ‘विशेषण उपवाक्य’ कहते हैं; जैसे :
वही व्यक्ति उन्नति करता है जो परिश्रमी होता है।

इस वाक्य में जो परिश्रमी होता है’ वाक्य, पहले उपवाक्य व्यक्ति का विशेषण होने के कारण, विशेषण उपवाक्य है। विशेषण उपवाक्य प्रायः संबंधवाचक सर्वनाम ‘जो’ और उसके विभिन्न रूपों (जिसके, जिन्होंने, जिससे, जिसने, जिन, जिसके लिए आदि) तथा संबंधवाचक क्रियाविशेषण (जहाँ, जितना, जैसे, अब आदि) के द्वारा प्रधान उपवाक्य से जुड़े होते हैं।

(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया का विशेषण बनकर आता है, वह क्रियाविशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे :
जब तुम मेरे घर आए तब मैं घर पर नहीं था।

इस वाक्य में ‘मैं घर पर नहीं था’ मुख्य उपवाक्य है तथा ‘जब तुम मेरे घर आए’ क्रियाविशेषण उपवाक्य है। इसके पाँच भेद होते हैं :
1. कालसूचक उपवाक्य – जब मैं घर पहुँचा तब वर्षा हो रही थी।
ज्योंहि मैं स्कूल से बाहर आया, खेल आरंभ हो गया।

2. स्थानवाचक उपवाक्य – जहाँ तुम रहते हो, मैं भी वहीं रहता हूँ।
जिधर हम जा रहे हैं, उधर आज कोई नहीं गया।

3. रीतिवाचक उपवाक्य – आपको वैसे करना चाहिए, जैसे मैं कहता हूँ।
बच्चे वैसे करते हैं, जैसे उन्हें सिखाया जाता है।

4. परिमाणवाचक उपवाक्य – उसने जितना परिश्रम किया, उतना ही अच्छा परिणाम मिला।
जैसे – जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे – वैसे धूप में खड़े रहना कठिन हो जाएगा।

5. परिणाम अथवा हेतुसूचक – यदि वर्षा अच्छी होती तो उपज बढ़ जाती।
उपवाक्य – वह ज़रूर परिश्रम करेगा ताकि अच्छे अंक ले सके।
वह इसलिए आएगा ताकि आपसे बात कर सके।

3. संयुक्त वाक्य या यौगिक वाक्य (Compound Sentence) – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल अथवा मिश्र वाक्य योजकों द्वारा जुड़े हों, उन्हें ‘संयुक्त वाक्य या यौगिक वाक्य’ कहते हैं। संयोजक द्वारा जुड़े रहने पर भी प्रत्येक वाक्य अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखता है और एक – दूसरे पर आश्रित नहीं रहता। ये ‘समानाधिकरण वाक्य’ कहलाते हैं। इसमें समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग संयोजक रूप में, विभाजक रूप में, विरोधदर्शक रूप में और परिणामबोधक रूप में होता है; जैसे:

(क) कंडक्टर ने सीटी बजाई और बस चल पड़ी। (संयोजक)
(ख) आप पहले आराम करेंगे या आप के लिए खाना ले आऊँ। (विभाजक)
(ग) मैं आप का काम अवश्य कर देता लेकिन क्या करूँ व्यस्त हूँ। (विरोधदर्शक)
(घ) उसने बहुत मेहनत की थी इसलिए वह कक्षा में प्रथम आया। (परिणामबोधक)

वाक्य विश्लेषण शब्द

संश्लेषण का शाब्दिक अर्थ है ‘मिलाना’। अनेक वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य बनाना ही संश्लेषण कहलाता है। वाक्य संश्लेषण वाक्य विश्लेषण का विपरीतार्थक है। वाक्य विश्लेषण में हम सुगठित वाक्य को खंड – खंड कर समझते हैं तथा वाक्य संश्लेषण में हम खंड – खंड वाक्यों तथा वाक्यांशों को जोड़कर एक सरल वाक्य में परिवर्तित करते हैं।

वाक्य – संश्लेषण के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया को ध्यान में रखना आवश्यक है :
1. सभी वाक्यों में से मुख्य क्रिया को चुनना।
2. शेष वाक्यों में से पद या पदबंध बनाना।
3. पूर्वकालिक क्रिया का प्रयोग करना।
4. उपसर्ग या प्रत्यय के योग से नए शब्द का निर्माण करना।
5. वाक्यों के केंद्रीय भाव को बरकरार रखना।

वाक्य विश्लेषण उदाहरण:

1. राहल मेरा मित्र है।
वह मेरे कमरे में आया।
वह मेरी किताब उठाकर ले गया।
वाक्य – संश्लेषण : मेरा मित्र राहुल मेरे कमरे में आकर मेरी किताब उठाकर ले गया।

2. वह बाजार गया।
उसने केले खरीदे।
उसने अपने बच्चों को केले दिए।
वाक्य – संश्लेषण : उसने बाज़ार से केले खरीदकर अपने बच्चों को दिए।

3. मैंने एक व्यक्ति को देखा।
वह बहुत दुबला – पतला था। वह सड़क पर सो रहा था।
वाक्य – संश्लेषण : मैंने एक दुबले – पतले व्यक्ति को सड़क पर सोते देखा।

4. मैं अकेला था।
चार गुंडों ने मुझे बहुत पीटा।
उन्होंने मुझे सड़क के किनारे फेंक दिया।

वाक्य – संश्लेषण : मुझे अकेले को चार गुंडों ने पीटकर सड़क के किनारे फेंक दिया। वाक्य – संश्लेषण में एक से अधिक सरल वाक्यों को एक सरल, एक संयुक्त तथा एक मिश्र वाक्य में संश्लिष्ट किया जाता है।

उदाहरण :

1. वह मुंबई गया।
उसने वहाँ नया व्यापार शुरू किया।
सरल वाक्य – मुंबई जाकर उसने वहाँ नया व्यापार शुरू किया।
संयुक्त वाक्य – वह मुंबई गया और उसने वहाँ जाकर नया व्यापार शुरू किया।
मिश्र वाक्य – जब वह मुंबई गया तब उसने वहाँ नया व्यापार शुरू किया।

2. आज बहुत वर्षा हुई।
आज की वर्षा से बाढ़ आ गई।
सरल वाक्य – आज की मूसलाधार वर्षा से बाढ़ आ गई।
संयुक्त वाक्य – आज बहुत वर्षा हुई और इसी कारण बाढ़ आ गई।
मिश्र वाक्य – चूँकि आज मूसलाधार वर्षा हुई अत: बाढ़ आ गई।

3. दो दिन वह गाँव में रहा।
वह सबका प्रिय हो गया।
सरल वाक्य – वह दो दिन गाँव में रहकर सबका प्रिय हो गया।
संयुक्त वाक्य – वह दो दिन गाँव में रहा और सबका प्रिय हो गया।
मिश्र वाक्य – जब वह दो दिन गाँव में रहा, तब वह सबका प्रिय हो गया।

वाक्य रूपांतरण के उदाहरण

वाक्य जब अपना एक रूप से दूसरा रूप परिवूतत करता है, तब वाक्य – रूपांतरण होता है।

इस प्रकार किसी भी एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदलने की प्रक्रिया को ‘वाक्य – परिवर्तन’ कहा जाता है। वाक्य के रूप को परिवूतत करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि उसके अर्थ में किसी तरह का कोई परिवर्तन न आया हो। देखिए कुछ उदाहरण :

सरल वाक्य से मिश्र वाक्य :
1. सरल वाक्य – साहसी विद्यार्थी उन्नति करते हैं।
मिश्र वाक्य जो विद्यार्थी साहसी होते हैं, वे उन्नति करते हैं।

2. सरल वाक्य असफल होने पर शोक करना व्यर्थ है।
मिश्र वाक्य जब असफल हो गए, तो शोक करना व्यर्थ है।

3. सरल वाक्य – कमाने वाला खाएगा।
मिश्र वाक्य – जो कमाएगा, वह खाएगा।

4. सरल वाक्य उसका सब कुछ खो गया।
मिश्र वाक्य – उसके पास जो कुछ था, वह खो गया।

5. सरल वाक्य निर्धन व्यक्ति कुछ नहीं खरीद सकता।
मिश्र वाक्य – जो व्यक्ति निर्धन है, वह कुछ नहीं खरीद सकता।

6. सरल वाक्य – संतोषी आदमी जंगल में मंगल मनाते हैं।
मिश्र वाक्य – जो संतोषी होते हैं, वे जंगल में मंगल मनाते हैं।

7. सरल वाक्य – कुछ लोग नाम के लिए दान करते हैं।
मिश्र वाक्य – कुछ लोग इसलिए दान करते हैं, कि उनका नाम हो।

मिश्र वाक्य से सरल वाक्य :

1. मिश्र वाक्य – संकट आ जाए, तो घबराना उचित नहीं।
सरल वाक्य – संकट आने पर घबराना उचित नहीं। .

2. मिश्र वाक्य – मैं नहीं जानता कि उसका जन्म कहाँ हुआ है?
सरल वाक्य मैं उसका जन्म – स्थान नहीं जानता।

3. मिश्र वाक्य – जिन छात्रों ने परिश्रम किया वे उत्तीर्ण हो गए।
सरल वाक्य – परिश्रम करने वाले छात्र उत्तीर्ण हो गए।

4. मिश्र वाक्य – जीवन की कृतार्थता यह है कि वह दृढ़ हो पर अड़ियल न हो।
सरल वाक्य – अड़ियल न होकर दृढ़ होने में ही जीवन की कृतार्थता है।

5. मिश्र वाक्य – अगर चीफ़ का साक्षात् माँ से हो गया, तो कहीं लज्जित न होना पड़े।
सरल वाक्य – चीफ़ का साक्षात् माँ से होने पर कहीं लज्जित न होना पड़े।

सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य :

1. सरल वाक्य – सुरेश के आ जाने से सब प्रसन्न हो गए।
संयुक्त वाक्य – सुरेश आ गया, अतः सब प्रसन्न हो गए।

2. सरल वाक्य – के छिपने पर अँधेरा छा गया।
संयुक्त वाक्य – सूर्य छिपा और अँधेरा छा गया।

3.सरल वाक्य – मैं अपना शेष जीवन अमेरिका में बिताऊँगी।
संयुक्त वाक्य – मैं अमेरिका जाऊँगी तथा अपना शेष जीवन वहीं बिताऊँगी।

4. सरल वाक्य – प्रात:काल होने पर चिड़ियाँ चहचहाने लगती हैं।
संयुक्त वाक्य – प्रात:काल होता है और चिड़ियाँ चहचहाने लगती हैं।

5. सरल वाक्य – भोर होते – होते हम लोग मुरादाबाद पहुंचे।
संयुक्त वाक्य – भोर हुई और हम लोग मुरादाबाद पहुंचे।

6. सरल वाक्य – गरीब को लूटने के अतिरिक्त उसने उसकी हत्या भी कर दी।
संयुक्त वाक्य – उसने न केवल गरीब को लूटा, बल्कि उसकी हत्या भी कर दी।

संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य :

1. संयुक्त वाक्य – सुषमा आई और चली गई।
सरल वाक्य – सुषमा आकर चली गई।

2. संयुक्त वाक्य – वह केवल पढ़ता ही नहीं बल्कि लिखता भी है।
सरल वाक्य – पढ़ने के अतिरिक्त वह लिखता भी है।

3. संयुक्त वाक्य अतिथि आए और कार्यक्रम शुरू हुआ।
सरल वाक्य – अतिथि के आते ही कार्यक्रम शुरू हुआ।

4. संयुक्त वाक्य – तुम बाहर गए और वह भी चला गया।
सरल वाक्य – तुम्हारे बाहर जाते ही वह भी चला गया।

5. संयुक्त वाक्य – सुबह पहली बस पकड़ो और शाम तक लौट आओ।
सरल वाक्य सुबह पहली बस पकड़कर शाम तक लौट आओ।

6. संयुक्त वाक्य सिनेमा छूट गया और प्रेक्षक घर जाने लगे।
सरल वाक्य – सिनेमा छूट जाने पर प्रेक्षक घर जाने लगे।

संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य :

1. संयुक्त वाक्य – रमेश आया और मोहन चल दिया।
मिश्र वाक्य – जैसे ही रमेश आया, वैसे ही मोहन चल दिया।

2. संयुक्त वाक्य – विद्यार्थी परिश्रमी है, तो अवश्य सफल होगा।
मिश्र वाक्य – जो विद्यार्थी परिश्रमी है, वह अवश्य सफल होगा।

3. संयुक्त वाक्य – मनोरमा गाती है और राधा नाचती है।
मिश्र वाक्य – जब मनोरमा गाती है तो राधा नाचती है।

4. संयुक्त वाक्य – गार्ड ने हरी झंडी दिखाई और ट्रेन चल पड़ी।
मिश्र वाक्य – जैसे ही गार्ड ने हरी झंडी दिखाई वैसे ही ट्रेन चल पड़ी।

5.संयुक्त वाक्य – गांधी जी स्वराज चाहते थे और वह हमें मिल गया है।
मिश्र वाक्य गांधी जी जो स्वराज चाहते थे वह हमें मिल गया है।

6.संयुक्त वाक्य संकटों ने उसे हर तरह से घेरा, किंतु वह निराश नहीं हुआ।
मिश्र वाक्य – यद्यपि वह हर तरह के संकटों से घिरा था तथापि निराश नहीं हुआ।

मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य :

1. मिश्र वाक्य – ज्योंहि रात्रि के बारह बजे, त्योंहि मैंने पढ़ना बंद कर दिया।
संयुक्त वाक्य – रात्रि के बारह बजे और मैंने पढ़ना बंद कर दिया।

2. मिश्र वाक्य – जब उसने मुझे देखा, तो खिसक गया।
संयुक्त वाक्य उसने मुझे देखा और खिसक गया।

3. मिश्र वाक्य – जैसे ही मैंने दूध पीया, वैसे ही मैं सो गया।
संयुक्त वाक्य – मैंने दूध पिया और सो गया।

4.मिश्र वाक्य – जिसका मुझे भय था, वही हुआ।
संयुक्त वाक्य – इसका मुझे भय था और यही हुआ।

5. मिश्र वाक्य – वह लड़का बीमार था इसलिए वह डॉक्टर के पास गया।
संयुक्त वाक्य – लड़का बीमार था इसलिए वह डॉक्टर के पास गया।

6. मिश्र वाक्य – मैंने जो घोड़ा खरीदा, वह बहुत तेज़ दौड़ता है।
संयुक्त वाक्य – मैंने घोड़ा खरीदा और वह बहुत तेज़ दौड़ता है।

सरल वाक्य का संयुक्त और मिश्र वाक्य में परिवर्तन :

1. सरल वाक्य – कामायनी पुस्तक जयशंकर प्रसाद ने लिखी थी।
संयुक्त वाक्य – यह कामायनी पुस्तक है और इसे जयशंकर प्रसाद ने लिखा था। मिश्र वाक्य यह जो कामायनी पुस्तक है, इसे जयशंकर प्रसाद ने लिखा था।

2. सरल वाक्य – मैंने एक दुबला – पतला व्यक्ति देखा।
संयुक्त वाक्य – मैंने एक व्यक्ति देखा और वह दुबला – पतला था।
मिश्र वाक्य – मैंने उस व्यक्ति को देखा, जो दुबला – पतला था।

3. सरल वाक्य बेईमान व्यक्ति को जल्द ही पकड़ा जाएगा।
संयुक्त वाक्य – वह व्यक्ति बेईमान है और जल्द ही पकड़ा जाएगा।
मिश्र वाक्य – चूँकि वह व्यक्ति बेईमान है, इसलिए जल्द ही पकड़ा जाएगा।

दो सरल वाक्यों का साधारण, संयुक्त तथा मिश्र वाक्य में परिवर्तित करना :

1. मेरे पास कामायनी’ है।
इसे जयशंकर प्रसाद ने लिखा है।
साधारण वाक्य – मेरे पास जयशंकर प्रसाद की लिखी कामायनी है।
संयुक्त वाक्य – मेरे पास कामायनी है और इसे जयशंकर प्रसाद ने लिखा है।
मिश्र वाक्य – मेरे पास कामायनी है, जिसे जयशंकर प्रसाद ने लिखा है।

2.शशि परिश्रमी है।
वह कक्षा में प्रथम आती है।
साधारण वाक्य – परिश्रमी शशि कक्षा में प्रथम आती है।
संयुक्त वाक्य – शशि परिश्रमी है और वह कक्षा में प्रथम आती है।
मिश्र वाक्य – चूँकि शशि परिश्रमी है, इसलिए वह कक्षा में प्रथम आती है।

3. सूर्य उगा।
अँधेरा भागा।
साधारण वाक्य – सूर्य के उगते ही अंधेरा भागा।
संयुक्त वाक्य – सूर्य उगा और अँधेरा भागा।
मिश्र वाक्य – जैसे ही सूर्य उगा, वैसे ही अँधेरा भागा।

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