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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
संबंधबोधक (Sambandh Bodhak) की परिभाषा भेद और उदाहरण | Preposition in Hindi Examples
संबंधबोधक किसे कहते हैं
संबंधबोधक (Preposition) जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य में दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं, उन्हें ‘संबंधबोधक’ या ‘परसर्ग’ कहते हैं; जैसे :
- सीता घर के भीतर बैठी है।
- शीत के कारण गरीब का बुरा हाल था।
यहाँ हम पाते हैं कि इन वाक्यों में के भीतर’ तथा ‘के कारण’ शब्द संबंधबोधक अव्यय हैं। इन्हें परसर्गीय शब्द भी कहा जा सकता है, लेकिन संबंधबोधक अव्यय परसर्ग रहित भी होते हैं; जैसे-मैं रातभर जागता रहा। इस प्रकार संबंधबोधक अव्यय के दो रूप हमारे सामने आते हैं :
(क) परसर्ग सहित-के बारे, के समान, के सिवा।
(ख) परसर्ग रहित-भर, बिना, पहले, मात्र, अपेक्षा।
इस प्रकार-पहले, सामने, आगे, पास, परे, द्वारा, बिना, ऊपर, नीचे, भीतर, अंदर, ओर, मध्य, बीच में, बाद, निकट, कारण, साथ, समेत, विरुद्ध, पश्चात्, सरीखा, तक, सदृश, प्रतिकूल, मात्र, अपेक्षा, मार्फत आदि संबंधबोधक अव्यय की कोटि में आते हैं।
संबंधबोधक अव्यय के भेद
अर्थ के अनुसार संबंधबोधक अव्यय के कुल आठ भेद हैं :
- कालबोधक अव्यय,
- स्थानबोधक अव्यय,
- दिशाबोधक अव्यय,
- साधनबोधक अव्यय,
- विषयबोधक अव्यय,
- सादृश्यबोधक अव्यय,
- मित्रताबोधक अव्यय,
- विरोधबोधक अव्यय।
संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण
1. कालबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से काल का बोध हो, वे ‘कालबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे-से पहले, के लगभग, के पश्चात्।
- ट्रेन समय से पहले आ गई।
- उसके जाने के लगभग एक घंटे बाद जाऊँगा।
2. स्थानबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से स्थान का बोध हो, वे ‘स्थानबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे-के पास, के किनारे, से दूर।
- स्कूल के पास ही राजू का घर है।
- तालाब के किनारे ही बगीचा है।
3. दिशाबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से दिशा का बोध हो, उसे ‘दिशाबोधक अव्यय’ कहते हैं; जैसे-की ओर, के आस-पास।
- आग की ओर मत जाना।
- घर के आस-पास ही रहना।
4. साधनबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से साधन का बोध हो, उन्हें ‘साधनबोधक अव्यय’ कहते हैं; जैसे-के द्वारा, के जरिए , के मार्फत।
- आपके आने की सूचना श्याम के द्वारा मिली।
- उसके जरिए यह काम होगा।
5. विषयबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से विषय की जानकारी प्राप्त हो, वे ‘विषयबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे-के बारे, की बाबत आदि।
- गांधी जी के बारे में बहुत कहा गया है।
- मोहन की बाबत बात करने आया हूँ।
6. सादृशबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से सादृश्यता का बोध हो, वे सादृशबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे के समान, की भाँति, के योग्य, की तरह, के अनुरूप आदि।
- गांधी जी के समान सत्यवादी बनो।
- सीता, सावित्री की भाँति जीवन जियो।
7. मित्रताबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से मित्रता का बोध प्रकट हो, वे ‘मित्रताबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे-के अलावा, के सिवा, के अतिरिक्त, के बिना आदि।
- मोहन के सिवा मेरा कौन है।
- रामू के बिना मैं नहीं जाऊँगा।
8. विरोधबोधक अव्यय-जिन अव्यय शब्दों से विरोध व्यक्त होता है, वे ‘विरोधबोधक अव्यय’ कहलाते हैं; जैसे के विरुद्ध, के खिलाफ़, के उलटा।
- उसके विरुद्ध मत बोलो।
- मेरे खिलाफ़ कोई चुनाव नहीं लड़ेगा।