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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
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वाक्य अशुद्धि शोधन की परिभाषा भेद और उदाहरण – Vaakya Ashudhhi Shodhan in Hindi Examples
वाक्य रचना में मुख्य रूप से दो बातों को विशेष महत्त्व दिया जाता है। पहला, व्याकरण सिद्ध पदों को क्रम से रखना तथा उन पदों का परस्पर संबंध स्पष्ट करना। इन्हीं दो नियमों के आधार पर वाक्य की रचना होती है। वाक्य–विन्यास के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्न दो विषय आते हैं :
(क) पदों का क्रम
(ख) पदों का अन्वय।
(क) पदों का क्रम एवं नियम हिंदी के वाक्य में पदक्रम के निम्नलिखित नियम हैं :
1. कर्ता पहले और क्रिया अंत में होती है; जैसे–वह गया। राम पुस्तक पढ़ता है। रमेश चलते–चलते शाम तक वहाँ जा पहुँचा। इन वाक्यों में ‘वह’ ‘राम’ तथा ‘रमेश’ कर्ता (पहले शब्द) हैं और ‘गया’. ‘पढता है’. ‘जा पहँचा’ क्रिया (अंतिम शब्द)।
2. क्रिया का कर्म या उसका पूरक क्रिया से पहले आता है तथा क्रिया कर्ता के बाद; जैसे–मैंने सेब खाया। पिता ने पुत्र को पैसे दिए। इन वाक्यों में सेब’, ‘पुत्र’ तथा ‘पैसे’ कर्म हैं, ‘खाया’ और ‘दिए’ क्रिया तथा ‘मैंने’ और ‘पिता’ कर्ता।
3. यदि दो कर्म हों तो गौण कर्म पहले तथा मुख्य कर्म बाद में आता है; जैसे–पिता ने पुत्र को पैसे दिए। इसमें ‘पुत्र’ गौण कर्म है तथा ‘पैसे’ मुख्य कर्म।
4. कर्ता, कर्म तथा क्रिया के विशेषक (विशेषण या क्रियाविशेषण) अपने–अपने विशेष्य से पहले आते हैं; जैसे :
मेधावी छात्र मन लगाकर पढ़ रहा है। इस वाक्य में मेधावी (विशेषण) तथा मन लगाकर (क्रियाविशेषण) क्रमशः अपने–अपने विशेष्य छात्र (संज्ञा) तथा क्रिया (पढ़ रहा है) से पहले आए हैं।
5. विशेषण सर्वनाम के पहले नहीं आ सकता, वह सर्वनाम के बाद ही आएगा; जैसे :
वह अच्छा है। यह काला कपड़ा है।
यहाँ सर्वनाम ‘वह’ और ‘यह’ के बाद ही विशेषण ‘काला’ और ‘अच्छा’ आए हैं।
6. वक या कालवाचक क्रियाविशेषण कर्ता के पहले या ठीक पीछे रखे जाते हैं; जैसे :
आज मुझे जाना है। तुम कल आ जाना।
इन वाक्यों में कालवाचक क्रियाविशेषण ‘आज’ और ‘कल’ अपने कर्ता ‘मुझे’ और ‘तुम’ के क्रमश: पहले तथा ठीक बाद में आए हैं।
7. निषेधार्थक क्रियाविशेषण क्रिया से पहले आते हैं; जैसे :
तुम वहाँ मत जाओ। मुझे यह काम नहीं करना।
इन वाक्यों में निषेधार्थक क्रियाविशेषण ‘मत’ तथा ‘नहीं’ क्रमशः अपनी क्रिया ‘जाओ’ तथा ‘करना’ से पहले आए हैं।
8. प्रश्नवाचक सर्वनाम या क्रियाविशेषण प्रायः क्रिया से पहले आते हैं; जैसे :
तुम कौन हो? तुम्हारा घर कहाँ है?।
इन वाक्यों में प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘कौन’ तथा क्रियाविशेषण ‘कहाँ’ क्रिया से पहले आए हैं, किंतु जिस ‘क्या’ का उत्तर ‘हाँ’ या ‘ना’ में हो, वह वाक्य के प्रारंभ में आते हैं।
क्या तुम जाओगे? क्या तुम्हें खाना खाना है?
9. प्रश्नवाचक या कोई अन्य सर्वनाम जब विशेषण के रूप में प्रयुक्त हो, तो संज्ञा से पहले आएगा; जैसे :
यहाँ कितनी किताबें हैं? कौन आदमी आया है?
इन वाक्यों में यहाँ’ तथा ‘कौन’ प्रश्नवाचक सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर क्रमशः ‘किताबें’ तथा ‘आदमी’ (संज्ञा) से पहले आए हैं।
10. संबोधन तथा विस्मयादिबोधक शब्द प्रायः वाक्य के आरंभ में आते हैं; जैसे :
अरे रमा! तुम यहाँ कैसे? ओह ! मैं तो भूल गई थी।
11. संबंधबोधक अव्यय तथा परसर्ग संज्ञा और सर्वनाम के बाद आते हैं; जैसे :
राम को जाना है।
उसको भेज दो।
वह मित्र के साथ घूमने गया है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘को’ तथा ‘के’ परसर्ग संज्ञा व सर्वनाम राम, उस तथा मित्र के बाद आए हैं।
12. पूर्वकालिक ‘कर’ धातु के पीछे जुड़ता है; जैसे–छोड़ + कर = छोड़कर। इसके अलावा पूर्वकालिक क्रिया, मुख्य क्रिया से पहले आती है; जैसे :
वह खाकर सो गया। वह आकर पढ़ेगा।
इन वाक्यों में ‘खाकर’ तथा ‘आकर’ (पूर्वकालिक) ‘सो गया’ तथा ‘पढ़ेगा’ (क्रिया) से पहले आए हैं।
13. भी, तो, ही, भर, तक आदि अव्यय उन्हीं शब्दों के पीछे लगते हैं, जिनके विषय में वे निश्चय प्रकट करते हैं; जैसे :
मैं तो (भी, ही)घर गया था। मैं घर भी (ही) गया था।
इन दोनों वाक्यों में अव्यय ‘तो’, ‘भी’ तथा ‘ही’ क्रमशः ‘मैं’ और ‘घर’ के विषय में निश्चय प्रकट कर रहे हैं, इसलिए उनके पीछे लगे हुए हैं।
14. यदि . तो, जब . तब, जहाँ .. . वहाँ, ज्योंहि ..त्योंहि आदि नित्य संबंधी अव्ययों में प्रथम प्रधान वाक्य के पहले तथा दूसरा आश्रित वाक्य के पहले लगता है। जैसे :
जहाँ चाहते हो, वहाँ जाओ। जब आप आएँगे, तब वह जा चुका होगा।
इन वाक्यों में ‘जहाँ’ और ‘जब’ प्रथम प्रधान वाक्य के पहले तथा ‘वहाँ’ और ‘तब’ दूसरे आश्रित उपवाक्य के पहले लगे हैं।
15. समुच्चयबोधक अव्यय दो शब्दों या वाक्यों के बीच में आता है। तीन समान शब्द या वाक्य हों तो ‘और’ अंतिम से पहले आता है; जैसे :
दिनेश तो जा रहा है, लेकिन रमेश नहीं। सीता, गीता और रमा तीनों ही आएँगी।
पहले वाक्य में समुच्चयबोधक अव्यय ‘लेकिन’ दो वाक्यों के बीच में आया है तथा दूसरे वाक्य में समुच्चयबोधक अव्यय ‘और’ तीन शब्द होने के कारण से अंतिम से पहले आया है।
16. वाक्य में विविध अंगों में तर्कसंगत निकटता होनी चाहिए; जैसे : एक पानी का गिलास लाओ। इस वाक्य में एक पानी’ निरर्थक है; ‘पानी का एक गिलास लाओ’, सार्थक है।
(ख) पदों का अन्वय एवं नियम
अन्वय का अर्थ है ‘मेल’। वाक्य में संज्ञा, क्रिया आदि आने पर पदों में परस्पर मेल होना चाहिए। यहाँ पर कुछ विशेष नियम दिए जा रहे हैं :
कर्ता, कर्म और क्रिया का अन्वय
1. यदि कर्ता के साथ कारक चिह्न या परसर्ग न हो, तो क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होगा; जैसे :
राधा खाना बनाती है। शीला पुस्तक पढ़ती है।
2. यदि कर्ता के साथ परसर्ग हो, तो क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार होगा; जैसे :
राम ने पुस्तक पढ़ी।
रमा ने भोजन पकाया।
3. यदि कर्ता और कर्म दोनों के साथ परसर्ग हो, तो क्रिया सदा पुल्लिग, अन्य पुरुष, एकवचन में रहती है; जैसे :
पुलिस ने चोर को पीटा।
4. एक ही तरह का अर्थ देने वाले अनेक कर्ता एकवचन में और परसर्ग रहित हों, तो क्रिया एकवचन में होगी; जैसे :
यमुना की बाढ़ में उसका घर–बार और माल–असबाब बह गया।
5. यदि एक से अधिक भिन्न–भिन्न कर्ता, परसर्ग रहित हों, तो क्रिया बहुवचन में होगी; जैसे :
सीता और राधा पढ़ रही थीं।
राकेश और मोहन जा रहे हैं।
6. यदि एक से अधिक भिन्न कर्ता लिंगों में हों, तो क्रिया अंतिम कर्ता के लिंग के अनुसार होगी; जैसे :
माँ और बेटा आए। उसके पास एक पायजामा और दो कमीजें थीं।
संबंध और संबंधी का अन्वय
1. का, के, की संबंधवाची विशेषण परसर्ग हैं। इनका लिंग, वचन और कारकीय रूप वही होता है, जो उत्तर पद (संबंधी) का होता है; जैसे:
शीला की घड़ी।
राजू का रूमाल।
रमा के कपडे।
2. यदि संबंधी पद अनेक हों, तो संबंधवाची विशेषण परसर्ग पहले संबंधी के अनुसार होता है; जैसे :
शीला की बहन और भाई जा रहे थे।
ऐसे में परसर्गों को दोहराया भी जा सकता है; जैसे :
शीला की बहन और उसका भाई जा रहे थे।
संज्ञा और सर्वनाम का अन्वय
1. सर्वनाम का वचन और पुरुष उस संज्ञा के अनुरूप होना चाहिए, जिसके स्थान पर उसका प्रयोग हो रहा हो; जैसे :
राधा ने कहा कि वह अवश्य आएगी।
अध्यापक आए तो उनके हाथ में पुस्तकें थीं।
2. हम, तुम, आप, वे, ये आदि का अर्थ की दृष्टि से एकवचन के लिए भी प्रयोग होता है, किंतु इनका रूप बहुवचन ही रहता है; जैसे:
आप कहाँ जा रहे हो?
लड़के ने कहा, “हम भी चलेंगे।”
विशेषण और विशेष्य का अन्वय
1. विशेषण का लिंग और वचन, विशेष्य के अनुसार होता है; जैसे :
अच्छी साड़ी, छोटा बच्चा, काला घोड़ा, काले घोड़े, काली घोड़ी।
2. यदि अनेक विशेष्यों का एक विशेषण हो, तो उस विशेषण के लिंग, वचन और कारकीय रूप तुरंत बाद में आने वाले विशेष्य के अनुसार होंगे; जैसे :
पुराने पलंग और चारपाई बेच दी।
अपने मान और सम्मान के लिए जिए।
3. यदि एक विशेष्य के अनेक विशेषण हों, तो वे सभी विशेष्य के अनुसार होंगे; जैसे :
सस्ती और अच्छी किताबें।
गंदे और मैले–कुचैले कपड़े।
वाक्यगत अशुद्धियाँ
भावों की अभिव्यक्ति प्रायः दो प्रकार से हुआ करती है–एक, वाणी द्वारा हम अपने विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं तथा दूसरे, लेखनी द्वारा हम अपनी भावनाओं को लिपिबद्ध करते हैं। भावों को लिपिबद्ध करने के लिए आवश्यक है कि भाषा पर हमारा पूर्ण अधिकार हो, अन्यथा अस्पष्ट, अशुद्ध और दूषित भाषा के माध्यम से हमारे भावों का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाएगा।
भाषा का सौंदर्य मूलतः दो बातों पर निर्भर है। एक तो वक्ता अथवा लेखक के पास विपुल शब्द–भंडार हो और दूसरे उसे शब्दार्थ का सम्यक् ज्ञान हो। इसके अभाव में भाव अथवा अभिप्राय सही ढंग से व्यक्त नहीं किया जा सकता। व्याकरण ही भाषा को व्यवस्थित करने का साधन है, लेकिन केवल व्याकरण के नियमों को हृदयंगम करने मात्र से हम भाषा में शुद्धता और सुंदरता नहीं ला सकते। भाषा को परिमार्जित, सशक्त और आकर्षक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम प्रत्येक शब्द की आत्मा को समझें और उस पर अधिकार कर उसे अपनी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बना लें।
मनुष्य के मन के भावों को अभिव्यक्त करने के लिए वाक्यों में शब्दों का उपयुक्त और क्रमबद्ध प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। उचित और अनुरूप शब्दों का वरण तथा उनका व्यवस्थित नियोजन सही और सुंदर वाक्य–रचना के मुख्य उपकरण हैं। संक्षेप में शुद्ध लेखन से आशय है–ऐसे लेखन से जिसमें सार्थक और उपयुक्त शब्दावली का उपयोग हो। अलंकारों, मुहावरों और कहावतों का विषय के अनुरूप उचित प्रयोग हो। भाषा अस्वाभाविकता से दूषित न हो और वर्तनी व्याकरणानुकूल हो तथा अभिव्यक्ति एक अनूठी भंगिमा के साथ पूर्णता को प्राप्त हुई हो। भाषा शुद्ध तब हो सकती है, जब शुद्ध वाक्यों का प्रयोग किया गया हो। अच्छी हिंदी लिखने के लिए यह आवश्यक है कि हम शब्दों और वाक्यों के शुद्ध प्रयोग को जानें। इस प्रकरण में हम वाक्यगत अशुद्धियों पर प्रकाश डालेंगे।
वाक्यों की अशुद्धियाँ
1. क्रम दोष
वाक्य में प्रत्येक शब्द, व्याकरण के नियमों के अनुसार सही क्रम में होना चाहिए। कर्ता, क्रिया और कर्म को उपयुक्त स्थानों पर रखना अत्यंत आवश्यक है। मिश्र वाक्य में प्रधान वाक्य तथा उसके अन्य उपवाक्यों को ठीक क्रम में न रखने पर वाक्य अशुद्ध हो जाता है; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
मैंने उस घने जंगल में अनेक पशु और पक्षी उड़ते उड़ते देखे। | मैंने उस घने जंगल में अनेक पशु और पक्षी चरते और और चरते देखे। |
वह किताब जो कोने में रखी है, वह बहुत अच्छी है। | जो किताब कोने में रखी है, वह बहुत अच्छी है। |
वे तो मेल–जोल बढ़ाना चाहते हैं, पर आपका मुँह मुँह देखना नहीं चाहते। | वे तो मेल–जोल बढ़ाना चाहते हैं, पर आप उसका देखने को जी नहीं चाहता है। |
इस विद्यालय में जो विद्यार्थी डॉक्टर बनना चाहते हैं, उनको इस विद्यालय में शिक्षा दी जाती है। | जो विद्यार्थी डॉक्टर बनना चाहते हैं, उनको इस विद्यालय में शिक्षा दी जाती है। |
यह घटना जब मैं दस वर्ष का था, उस समय की है। | यह घटना उस समय की है, जब मैं दस वर्ष का था। |
सच में क्या तुम्हें प्रथम स्थान मिला है। | क्या सचमुच तुम्हें प्रथम स्थान मिला है? |
जहाज़ के डूबते ही कप्तान नीचे कूद पड़ा। | कप्तान डूबते हुए जहाज से नीचे कूद पड़ा। |
दरअसल में वह उससे प्रेम करता है। | दरअसल वह उससे प्रेम करता है। |
पंचों ने जो निर्णय लिया वह सभी को मान्य था। | पंचों का निर्णय सभी को मान्य था। |
जाऊँ कहाँ, मैं तो आप पर ही निर्भर करता हूँ। | कहाँ जाऊँ, जब मैं आप पर निर्भर हूँ। |
2. पुनरुक्ति दोष
एक ही वाक्य में एक शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग अथवा पर्यायवाची शब्द का प्रयोग भी दोषपूर्ण हो जाता है और आडंबर की रुचि सूचित करता है; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
राधा मेरी परम प्रिय स्नेही है। | राधा मेरी परम प्रिय है। |
नेता को हमेशा जनता के हितकर कल्याण की बातें सोचनी चाहिए। | नेता को हमेशा जनता के कल्याण की बातें सोचनी चाहिए। |
मैं आपका सदैव आभार का भार मानता रहूँगा। | मैं आपका सदैव आभार मानता रहूँगा। या मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा। |
आइए, पधारिए आपका स्वागत है। | आइए, आपका स्वागत है। |
तुम्हें वहाँ कभी भी नहीं जाना चाहिए। | तुम्हें वहाँ कभी नहीं जाना चाहिए। |
मेघ पानी बरसाते हैं। | मेघ बरसते हैं। |
कश्मीर में कई दर्शनीय स्थल देखने योग्य हैं। | कश्मीर में कई दर्शनीय स्थल हैं। या कश्मीर में कई स्थल देखने योग्य हैं। |
वह गुनगुने गरम पानी से स्नान करता है। | वह गुनगुने पानी से स्नान करता है। या वह गर्म पानी से स्नान करता है। |
आपका भवदीय। | आपका या भवदीय दोनों समान शब्द होने के कारण किसी एक शब्द का प्रयोग किया जाएगा। |
पिछले कुछ वर्षों के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता बढ़ी है। | पिछले कुछ वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता बढ़ी है। |
बिना कठोर परिश्रम किए तुम सफल नहीं हो सकते। | कठिन परिश्रम के बिना तुम सफल नहीं हो सकते। |
भैंस का ताकतवर दूध होता है। | भैंस का दूध ताकतवर होता है। |
3. संज्ञा संबंधी अशुद्धियाँ
हम संज्ञा को प्रयुक्त करते समय उसके सही अर्थ से अनभिज्ञ, अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए उसका अशुद्ध प्रयोग कर जाते हैं। इस प्रयोग के द्वारा हमारे कथन का सही अर्थ भी स्पष्ट नहीं होता तथा भाषा भी दोषपूर्ण हो जाती है। कुछ अशुद्ध प्रयोग नीचे देखे जा सकते हैं :
अशुद्ध | शुद्ध |
राम आजकल शुद्ध भाषा लिखने का व्यायाम कर रहा है। | राम आजकल शुद्ध भाषा लिखने का अभ्यास कर रहा है। |
जीवन और साहित्य का घोर संबंध है। | जीवन और साहित्य का घनिष्ठ संबंध है। |
सामाजिक कुरीतियों का एकमात्र कारण अज्ञान है। | सामाजिक कुरीतियों का एकमात्र कारण अज्ञानता है। |
निरपराधी को दंड देना अनुचित है। | निरपराध को दंड देना अनुचित है। |
विद्यार्थियों ने प्रधानाध्यापक को अभिनंदन पत्र प्रदान किया। | विद्यार्थियों ने प्रधानाध्यापक को अभिनंदन–पत्र अर्पित किया। |
गुलाम अली खाँ गाने की कसरत कर रहे हैं। | गुलाम अली खाँ गाने का अभ्यास कर रहे हैं। |
कविता पढ़कर उसे आनंद का आभास हुआ। | कविता पढ़कर उसे आनंद का अनुभव हुआ। |
मैं जान बूझकर गलती कर बैठा। | मैं अनजाने में गलती कर बैठा। |
नदियाँ अपने साथ उपजाऊ रेत लाती हैं। | नदियाँ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी लाती हैं। |
यह एक इतिहासिक घटना है। | यह एक ऐतिहासिक घटना है। |
उनके गले में मोती की कड़ियाँ हैं। | उनके गले में मोती की लड़ियाँ हैं। |
डाकू के पैरों में हथकड़ियाँ हैं। | डाकू के पैरों में बेड़ियाँ हैं। |
बेफ़जूल बात मत करो। | फ़जूल बात मत करो। |
लिखने में शुद्धताई बरतो। | लिखने में शुद्धता बरतो। |
मैं मिठाई खरीदने के हेतु बाज़ार गई थी। | मैं मिठाई खरीदने हेतु बाज़ार गई थी। |
4. लिंग संबंधी अशुद्धियाँ
लिंग के प्रयोग में भी सामान्य रूप से अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
मुझे बहुत गुस्सा आती है। | मुझे बहुत गुस्सा आता है। |
बिजली का बटन दबाते ही बत्ती जल उठा। | बिजली का बटन दबाते ही बत्ती जल उठी। |
सीता और राम आई। | सीता और राम आए। |
मैंने उसकी मस्तक पर टीका लगायी। | मैंने उसके मस्तक पर टीका लगाया। |
राधा ने मोहन से झूठ बोली थी। | राधा ने मोहन से झूठ बोला था। |
राजू ने मुझे मथुरा दिखाई। | राजू ने मुझे मथुरा दिखाया। |
रानी मधुर स्वर में बोला। | रानी मधुर स्वर में बोली। |
उसने अपना पर्स उठाई। | उसने अपना पर्स उठाया। |
जादूगर का जादू अच्छी थी। | जादूगर का जादू अच्छा था। |
वसंत ऋतु अच्छा लगता है। | वसंत ऋतु अच्छी लगती है। |
आज बाज़ार में एक भी दुकान नहीं खुला। | आज बाज़ार में एक भी दुकान नहीं खुली। |
उसका संतान अच्छा है। | उसकी संतान अच्छी है। |
कल माता जी आ रहे हैं। | कल माता जी आ रही हैं। |
बालक ने रोटी खाया। | बालक ने रोटी खाई। |
मैं आपका दर्शन करने आया हूँ। | मैं आपके दर्शन करने आया हूँ। |
मैं नया पोशाक पहनूँगा। | मैं नई पोशाक पहनँगा। |
पिता जी ने पुस्तक पढ़ा। | पिता जी ने पुस्तक पढ़ी। |
हमारे माता जी बाज़ार गए हैं। | हमारी माता जी बाजार गई हैं। |
5. वचन संबंधी अशुद्धियाँ
वचन के प्रयोग में असावधानी के कारण अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
गुलाब के पौधे पर मैंने कई फूलों को देखा। | गुलाब के पौधे पर मैंने कई फूल देखे। |
तुम इसका दाम देते जाओ। | तुम इसके दाम देते जाओ। |
डाकू कई हज़ारों रुपये लूट कर ले गए। | डाकू हज़ारों रुपये लूट कर ले गए। |
इसमें पैसे खर्च होता है। | इसमें पैसे खर्च होते हैं। |
उन्हें दो रन मिल गया। | उन्हें दो रन मिल गए। |
लगता है मानसून आ गई। | लगता है मानसून आ गया। |
लड़के और लड़कियाँ पढ़ रही हैं। | लड़के और लड़कियाँ पढ़ रहे हैं। |
रामचरितमानस पढ़कर पाठक की आँख खुल गई। | रामचरितमानस पढ़कर पाठक की आँखें खुल गईं। |
सीता की आँख से आँसू बह रहा है। | सीता की आँखों से आँसू बह रहे हैं। |
अनेकों स्त्री–पुरुष वहाँ आए थे। | अनेक स्त्री–पुरुष वहाँ आए थे। |
उन्होंने हाथ जोड़ा। | उन्होंने हाथ जोड़े। |
हर एक आदमी आएँगे। | हर एक आदमी आएगा। |
उनके पास बहुत सोने हैं। | उनके पास बहुत सोना है। |
मैंने पीतले खरीदे। | मैंने पीतल खरीदा। |
प्रत्येक चित्र बुरे नहीं होते। | प्रत्येक चित्र बुरा नहीं होता। |
6. सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ सर्वनाम संबंधी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। सर्वनाम का यथास्थान प्रयोग न करना, सर्वनामों का अधिक प्रयोग करना या गलत सर्वनामों का प्रयोग करना प्रायः देखा गया है; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
अध्यापक ने उससे पाठ पढ़ने को कहा परंतु रमेश ने ऐसा नहीं किया। | अध्यापक ने रमेश को पाठ पढ़ने को कहा परंतु उसने ऐसा नहीं किया। |
श्याम ने उसे आवाज़ लगाई पर राधा चली गई। | श्याम ने राधा को आवाज़ लगाई पर वह चली गई। |
वह जो अपराध करता है उसे दंड देना चाहिए। | जो अपराध करता है, उसे दंड देना चाहिए। |
मेरा ध्यान मेरी माँ की ओर था। | मेरा ध्यान अपनी माँ की ओर था। (संबंधार्थक सर्वनाम में अपना, अपनी, अपने शब्द प्रयुक्त होते हैं।) |
मैंने मेरी पेन मेरे मित्र को दे दी। | मैंने अपना पेन अपने मित्र को दे दिया। |
इनने आपका घर देखा है। | इन्होंने आपका घर देखा है। |
वह अच्छे आदमी नहीं हैं। | वे अच्छे आदमी नहीं हैं। |
तुम तुम्हारे घर जाओ। | तुम अपने घर जाओ। |
मैंने तेरे को कितनी बार कहा। | मैंने तुझसे कितनी बार कहा। |
हमारे राष्ट्र में भ्रष्टाचार देखकर मुझे बड़ा दुख होता है। | अपने राष्ट्र में भ्रष्यचार देखकर मुझे बड़ा दुख होता है। |
यह उपन्यास जो है वह प्रेमचंद का लिखा हुआ है। | यह उपन्यास प्रेमचंद का लिखा हुआ है। |
मेरी साड़ी तुमसे अच्छी है। | मेरी साड़ी तुम्हारी साड़ी से अच्छी है। |
दूध में कौन पड़ गया है? | दूध में क्या पड़ गया है? |
तुम मेरे तरफ़ क्यों चले आ रहे हो? | तुम मेरी तरफ़ क्यों चले आ रहे हो? |
धर्म जो है उसका पालन करो। | धर्म का पालन करो। |
जो लोग बाढ़ पीड़ित हैं, उसके परिवारों को सहायता देना सरकार का दायित्व है। | जो लोग बाढ़ से पीड़ित हैं, उनके परिवारों को सहायता देना सरकार का दायित्व है। |
मेरे को आपका काम बहुत पसंद है। | मुझे आपका काम बहुत पसंद है। |
अपने को यहाँ से जाने की कोई जल्दी नहीं है। | मुझे यहाँ से जाने की कोई जल्दी नहीं है। |
7. विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ विशेषण संबंधी अनेक अशुद्धियाँ देखने में आती हैं। विशेषणों के अनावश्यक, अनुपयुक्त तथा अनियमित प्रयोग से वाक्य भद्दा व प्रभावहीन हो जाता है; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
गाय काली चर रही है। | काली गाय चर रही है। |
हवा ठंडी बह रही थी। | ठंडी हवा बह रही थी। |
मुंबई में मैंने बड़ी–बड़ी होटलें देखी। | मुंबई में मैंने बड़े–बड़े होटल देखे। |
एक बड़ा–सा कील लाओ। | एक बड़ी–सी कील लाओ। |
आज की ताज़ी खबरें सुनो। | आज की ताज़ा खबरें सुनो। |
दहेज की लेन–देन बहुत बुरी रिवाज़ है। | दहेज का लेन–देन बहुत बुरा रिवाज़ है। |
मोहन की बुद्धि बड़ी विशाल है। | मोहन की बुद्धि बड़ी तेज़ है। |
साहित्य और जीवन का घोर संबंध है। | साहित्य और जीवन का घनिष्ठ संबंध है। |
सिंह एक वीभत्स जानवर है। | सिंह एक भयानक जानवर है। |
शीला के तीव्र आग्रह करने पर मैं उसके घर गई। | शीला के अधिक आग्रह करने पर मैं उसके घर गई। |
उसकी बुद्धि बड़ी विशाल है। | उसकी बुद्धि बड़ी सूक्ष्म है। |
तुम दोनों में सबसे बुद्धिमान कौन है? | तुम दोनों में अधिक बुद्धिमान कौन है? |
डॉक्टरों ने कागजात का निरीक्षण किया। | डॉक्टरों ने कागजात की जाँच की। |
दुष्टों के भय से डरो मत। | दुष्टों से डरो मत। |
किसी को क्षमा करने में ही बड़ाईपन है। | किसी को क्षमा करने में ही बड़प्पन है। |
एक दूध का गिलास दो। | दूध का एक गिलास दो। |
गुप्त रहस्य की बातें तुम्हें कैसे पता चलीं? | रहस्य की बातें तुम्हें कैसे पता चलीं? |
हाथियों की दहाड़ सुनकर हम डर गए। | हाथियों की चिंघाड़ सुनकर हम डर गए। |
8. क्रिया संबंधी अशुद्धियाँ क्रियापदों संबंधी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं; जैसे :क्रियापदों का अनावश्यक प्रयोग, आवश्यकता के समय प्रयोग न करना, अनुपयुक्त क्रियापद का प्रयोग, सहायक क्रिया में अशुद्धि तथा क्रियाओं में असंगति के कारण ये अशुद्धियाँ होती हैं।
अशुद्ध | शुद्ध |
क्या यह सही होता है? | क्या यह सही है? |
आप यह कंबल पहन लें। | आप यह कंबल ओढ़ लें। |
जल्दी से कुरता डाल लो। | जल्दी से कुरता पहन लो। |
साहब ने बोला कि कल तुम्हारी छुट्टी है। | साहब ने कहा कि कल तुम्हारी छुट्टी है। |
जूता निकाल दो। | जूता उतार दो। |
किसी के स्नेह का मूल्य मापा नहीं जा सकता। | किसी के स्नेह का मूल्य आँका नहीं जा सकता। |
15 अगस्त हमें हमारे शहीद सैनिकों का स्मरण दिलाता है। | 15 अगस्त हमें हमारे शहीद सैनिकों का स्मरण कराता है। |
मैं संकल्प लेता हूँ कि इस वर्ष कड़ी मेहनत करूँगा। | मैं संकल्प करता हूँ कि इस वर्ष कड़ी मेहनत करूँगा। |
सुनिए अंदर चले आओ। | सुनिए, अंदर चले आइए। |
मैं तुम्हें श्रद्धा के साथ यह पुस्तक समर्पण करती हूँ। | मैं तुम्हें श्रद्धा के साथ यह पुस्तक समर्पित करती हूँ। |
आपने क्या अभी तक काम पूरा नहीं किए हैं? | आपने क्या अभी तक काम पूरा नहीं किया है? |
तुम लोगों को यह काम करने चाहिए? | तुम लोगों को यह काम करना चाहिए? |
बच्चों से रोए नहीं जाते। | बच्चों से रोया नहीं जाता। |
उसका प्राण निकल रहा है। | उसके प्राण निकल रहे हैं। |
हमें प्रतिदिन चरखा कातना चाहिए। | हमें प्रतिदिन चरखा चलाना चाहिए। |
लड़के अध्यापक को प्रश्न पूछते हैं। | लड़के अध्यापक से प्रश्न करते हैं। |
भारतीय वीरों के सामने शत्रु की सेनाएँ दौड़ गईं। | भारतीय वीरों के सामने शत्रु की सेनाएँ भाग गईं। |
यह पुस्तक विद्वतापूर्ण लिखी गई है। | यह पुस्तक विद्वतापूर्वक लिखी गई है। |
वह दंड देने के योग्य है। | वह दंड पाने के योग्य है। |
छात्रों का सफल होना परिश्रम पर निर्भर करता है। | छात्रों की सफलता परिश्रम पर निर्भर करती है। |
9. क्रियाविशेषण संबंधी अशुद्धियाँ क्रियाविशेषण संबंधी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। विशेष रूप से इसका अनावश्यक, अशुद्ध, अनुपयुक्त तथा अनियमित प्रयोग भाषा को अशुद्ध बनाता है; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
जैसा करोगे, उतना ही भरोगे। | जैसा करोगे, वैसा ही भरोगे। |
वह बड़ा चालाक है। | वह बहुत चालाक है। |
वहाँ चारों ओर बड़ा अंधकार था। | वहाँ चारों ओर घना अंधकार था। |
वह अवश्य ही मेरे घर आएगा। | वह मेरे घर अवश्य आएगा। |
वह स्वयं ही अपना काम कर लेगा। | वह स्वयं अपना काम कर लेगा। |
स्वभाव के अनुरूप तुम्हें यह कार्य करना चाहिए। | स्वभाव के अनुकूल तुम्हें यह कार्य करना चाहिए। |
देश में सर्वस्व शांति है। | देश में सर्वत्र शांति है। |
उसे लगभग पूरे अंक प्राप्त हुए। | उसे पूरे अंक प्राप्त हुए। |
वह बड़ा दूर चला गया। | वह बहुत दूर चला गया। |
उसने आसानीपूर्वक काम समाप्त कर लिया। | उसने आसानी से काम समाप्त कर लिया। |
जंगल में बड़ा अंधकार है। | जंगल में घना अंधकार है। |
यद्यपि वह मेहनती है, तब भी सफलता प्राप्त नहीं करता। | यद्यपि वह मेहनती है, तथापि वह सफलता प्राप्त नहीं करता। |
मुंबई जाने में एकमात्र दो दिन शेष हैं। | मुंबई जाने में केवल दो दिन शेष हैं। |
जितना गुड़ डालोगे वही मीठा होगा। | जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा। |
यदि परिश्रम से पढ़ोगे तब अच्छे अंक प्राप्त करोगे। | यदि परिश्रम से पढ़ोगे तो अच्छे अंक प्राप्त करोगे। |
10. कारकीय परसर्गों की अशुद्धियाँ शुद्ध रचना के लिए कारकीय परसर्गों का समुचित प्रयोग करना आवश्यक है। सामान्य रूप से ‘ने’, ‘को’, ‘से’, के द्वारा’, ‘में’, ‘पर’, ‘का’, ‘की’, ‘के’, ‘के लिए’ आदि परसर्गों के गलत प्रयोग से अशुद्धियाँ उत्पन्न हो जाती हैं; जैसे :
अशुद्ध | शुद्ध |
शीला ने पढ़ती है। | शीला पढ़ती है। |
उसने राम को पूछा। | उसने राम से पूछा। |
उसका लड़के का नाम राज है। | उसके लड़के का नाम राज है। |
उसको पेट में दर्द हो रहा है। | उसके पेट में दर्द हो रहा है। |
बच्चों से गुस्सा करना व्यर्थ है। | बच्चों पर गुस्सा करना व्यर्थ है। |
वह हँसी से बात टाल गया। | वह हँसी में बात टाल गया। |
दीन–दुर्बलों को प्यार करना मानवता है। | दीन–दुर्बलों से प्यार करना मानवता है। |
दशरथ को चार पुत्र थे। | दशरथ के चार पुत्र थे। |
मेरा मित्र ने मुझको मदद की। | मेरे मित्र ने मेरी मदद की। |
पिता जी घर आए और खाना खाया। | पिता जी घर आए और उन्होंने खाना खाया। |
वे अभी–अभी खाना खाए हैं। | उन्होंने अभी–अभी खाना खाया है। |
मैं खाना नहीं खाया हूँ। | मैंने खाना नहीं खाया है। |
आपने मुसकरा दिया। | आप मुसकरा दिए। |
मैं बाजार को जा रहा हूँ। | मैं बाजार जा रहा हूँ। |
दस बजने को पंद्रह मिनट हैं। | दस बजने में पंद्रह मिनट हैं। |
वह देर में खाना खाता है। | वह देर से खाना खाता है। |
उन्होंने एक मित्र परिचय दिया। | उन्होंने एक मित्र का परिचय दिया। |
यह बात कहने पर कठिनाई है। | यह बात कहने में कठिनाई है। |
वह ऑफिस पर बैठा मेरी प्रतीक्षा कर रहा है। | वह ऑफिस में बैठा मेरी प्रतीक्षा कर रहा है। |
शिक्षा के द्वारा वह आगे बढ़ा। | शिक्षा के कारण वह आगे बढ़ा। |
कल सभा के बीच इस पर विचार होगा। | कल सभा में इस पर विचार होगा। |
खिड़की खुलने से प्रकाश आएगा। | खिड़की खुलने पर प्रकाश आएगा। |
11. मुहावरे संबंधी अशुद्धियाँ मुहावरे हमारी भाषा को सुंदर, समृद्ध व प्रभावशाली बनाते हैं। इनका प्रयोग करते समय यह विशेष ध्यान रखना होता है कि इनका रूप विकृत और हास्यास्पद न हो। यहाँ पर मुहावरे संबंधी अशुद्धियों पर प्रकाश डाला गया है।
अशुद्ध | शुद्ध |
उसके तो सारे इरादों पर पानी बह गया। | उसके तो सारे इरादों पर पानी फिर गया। |
ऐसा लगता है कि उसने पहले से ही तुम्हारे कान खा दिए हैं। | ऐसा लगता है कि उसने पहले से ही तुम्हारे कान भर . लिए हैं। |
हमारे देश ने शत्रु देशों को पराजित करने का बीड़ा उठाया है। | हमारे देश ने शत्रु देशों को पराजित करने का बीड़ा–चबाया है। |
पुलिस को देखते ही लाला के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। | पुलिस को देखते ही लाला के चेहरे पर हवाइयाँ दौड़ने लगीं। |
वह चुपचाप दम साधे उठ खड़ा हुआ। | वह चुपचाप दम साधे पड़ा रहा। |
तुम्हारे घर की सीढ़ियाँ चढ़ते–चढ़ते मेरा दम घुट गया। | तुम्हारे घर की सीढ़ियाँ चढ़ते–चढ़ते मेरा दम फूल गया। |
सिपाही ने अपराधी का सिर तलवार से उठा दिया। | सिपाही ने अपराधी का सिर तलवार से उड़ा दिया। |
मैं तो सिर का कफ़न बाँधकर घर से निकला हूँ। | मैं तो सिर पर कफ़न बाँधकर घर से निकला हूँ। |
आजकल पूँजीपति गरीबों का गला घोंट रहे हैं। | आजकल पूँजीपति गरीबों का गला काट रहे हैं। |
अक्ल के घोड़े चराने में तो तुम जैसा कोई नहीं। | अक्ल के घोड़े दौड़ाने में तो तुम जैसा कोई नहीं। |
देश पर प्राण कुर्बान करना सैनिक का धर्म है। | देश पर प्राण न्योछावर करना सैनिक का धर्म है। |
इस बच्चे को किसी की दृष्टि लगी है। | इस बच्चे को किसी की नज़र लगी है। |