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हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।
विशेषण (Visheshan) की परिभाषा भेद और उदाहरण – Adjectives in Hindi Examples
निम्नलिखित वाक्यों में आए रंगीन शब्दों (पदों) पर ध्यान दीजिए :
- मदन काली कमीज़ पहनकर स्कूल आया।
- मेरा छोटा भाई बहुत शरारती है।
- आपके लिए वे मीठे संतरे लेकर आए हैं।
- खीर बनाने के लिए पाँच लीटर दूध चाहिए।
- कुछ अध्यापक पढ़ाना ही नहीं चाहते।
- मेरा बेटा अमेरिका जा रहा है।
- मकान बनवाने के लिए मुझे दस-बारह मज़दूर चाहिए।
- आप थोड़ी-सी चाय ही ले लें।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘काली’, ‘छोटा’ तथा ‘मीठे’ शब्द अपनी-अपनी संज्ञाओं के गुण बता रहे हैं कि कमीज़ का रंग काला है, भाई छोटा है तथा संतरों का स्वाद मीठा है। ‘पाँच लीटर’, ‘कुछ’, थोड़ी-सी’ शब्द अपनी-अपनी संज्ञाओं के परिमाण (मात्रा) बता रहे हैं। दस-बारह’ से मजदूरों की संख्या का पता चल रहा है तथा मेरा’ बेटे के विषय में बता रहा है कि वह किसका बेटा है। कहने का तात्पर्य है कि समस्त रंगीन शब्द किसी-न-किसी रूप में अपने आगे आने वाली संज्ञाओं की किसी-न-किसी विशेषता को प्रकट कर रहे हैं। व्याकरण में ये शब्द संज्ञा के पूर्व लगकर उसकी विशेषता बताते हैं। अतः इन्हें विशेषण’ कहा जाता है। जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण, संख्या, मात्रा या परिमाण आदि) बताते हैं, विशेषण’ कहे जाते हैं।
विशेषण शब्द जिस शब्द (संज्ञा या सर्वनाम) की विशेषता बताते हैं, उन शब्दों को विशेष्य’ के नाम से जाना जाता है; जैसे-लड़की, सीता, राम, वह आदि। इस प्रकार हम पाते हैं कि विशेषण के प्रयोग से विशेष्य वस्तु का यथार्थ परिचय तो मिलता ही है साथ ही साथ, भाषा भी प्रभावशाली हो जाती है। विशेषण’ व्यक्ति, प्राणी, वस्तु आदि का स्वरूप स्पष्ट कर उसे उसके वर्ग से अलग दर्शाकर उसकी विशेषताओं का परिचय देता है।
विशेषण के भेद (Kinds of Adjectives)
अर्थ की दृष्टि से विशेषण के मुख्य चार भेद हैं :
- गुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality)
- संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
- परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of Quantity)
- सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)
1. गुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality)-संज्ञा या सर्वनाम के गुण या दोष का बोध कराने वाले शब्द ‘गुणवाचक विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे-वह व्यक्ति दयावान है। गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार के विशेषण पाए जाते हैं :
1. | गुणबोधक | अच्छा, दानी, न्यायी, कृपालु। |
2. | दोषबोधक | झूठा, पापी, दुष्ट, कंजूस, अभिमानी। |
3. | स्वादबोधक | खट्टा, मीठा, कड़वा, तीखा, नमकीन। |
4. | गंधबोधक | खुशबूदार, सुगंधित, दुर्गंधित, बदबूदार। |
5. | रंगबोधक | काला, पीला, सुनहरा, नीला, हरा। |
6. | आकारबोधक | मोटा, लंबा, छोटा, चौकोर, गोल। |
7. | स्पर्शबोधक | कठोर, नरम, गुदगुदा, मुलायम, सख्त। |
8. | ध्वनिबोधक | मधुर, कर्कश। |
9. | कालबोधक | कल, परसों, पुरानी, प्राचीन, नवीन, क्षणिक, दैनिक, साप्ताहिक, मासिक। |
10. | स्थानबोधक | ग्रामीण, शहरी, विदेशी, जयपुरी, चीनी। |
11. | दशाबोधक | रोगी, निरोगी, रुग्ण, बीमार, बिगड़ा हुआ। |
12. | स्थितिबोधक | अगला, पिछला, पहला, पाँचवाँ, अंतिम। |
13. | दिशाबोधक | पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, भीतरी, बाहरी। |
14. | अवस्थाबोधक | गीला, सूखा, नम, शुष्क, तला हुआ, जला हुआ। |
2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है, वह ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहलाते हैं। संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं :
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण (Definite Numeral Adjective)-जिनसे निश्चित संख्या का बोध होता है, वे ‘निश्चित संख्यावाचक विशेषण’, कहलाते हैं; जैसे-दस विद्यार्थी, पाँच केले, चार वृक्ष आदि।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण (Indefinite Numeral Adjective)-इनसे निश्चित संख्या का बोध नहीं होता; जैसे : कुछ आम, थोड़े केले, कुछ लड़के, कई दर्शकगण आदि।
3. परिमाणवाचक विशेषण (Adjective trf Quantity)-मात्रा या तोल बताने वाले विशेषणों को ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे : दस किलो दूध, चार किलो आटा, चार गज़ ज़मीन, थोड़ा अनाज़ आदि। परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद हैं :
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
(क) निश्चित परिमाणमा विशेषण (Adjective of Definite Quantity)-जिन शब्दों से निश्चित परिमाण का बोध होता है, वे ‘निश्चित परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे : चार किलो दाल, दो मीटर कपड़ा आदि।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of Indefinite Quantity)- जिन शब्दों से परिमाण की अनिश्चितता का बोध हो, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे : कुछ दाल, थोड़ा आटा, बहुत चीनी आदि।
संख्यावाचक विशेषण और परिमाणवाचक विशेषण में अंतर
संख्यावाचक विशेषण का प्रयोग गणनीय वस्तुओं के लिए होता है, जबकि परिमाणवाचक विशेषण का प्रयोग अगणनीय वस्तुओं के लिए किया जाता है। सेब, पेंसिल, लड़के आदि गणनीय वस्तु हैं तो चावल, कपड़ा, ज़मीन आदि अगणनीय वस्तु।
4. सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)-जिन सर्वनामों का प्रयोग विशेषण के रूप में होता है, वे ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहलाते हैं; जैसे :वह लड़का भला है।कोई स्त्री द्वार पर आकर खड़ी है। यह पुस्तक तुम्हारी है। इन वाक्यों में वह, कोई त यह सर्वनाम होते हए भी विशेषण के रूप में प्रयक्त किए गए हैं। इसीलिए ये ‘सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं’ पुरुषवाचक (मैं, हम, तू, तुम) तथा निजवाचक (आप) सर्वनामों के अलावा शेष सभी सर्वनाम, सार्वनामिक रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। पाया जाता है कि पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम के संबंधकारकीय रूप विशेषण के समान प्रयुक्त किए जा सकते हैं; जैसे : मैं से मेरा, मेरी; तुम से तुम्हारा, तुम्हारी तथा हम से हमारा, हमारी।
सार्वनामिक विशेषण तथा सर्वनाम (Demonstrative Adjective and Pronoun)
कुछ लोग सर्वनाम तथा सार्वनामिक विशेषणों में अंतर नहीं करते। वस्तुतः दोनों रूप-रचना के स्तर पर समान होते हैं, केवल वाक्य में प्रयोग के स्तर पर दोनों में अंतर हो जाता है।
‘सर्वनाम’ के विषय में आप जानते ही हैं कि ये वे शब्द हैं जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं और वही प्रकार्य (function) करते हैं जो वह संज्ञा कर रही थी; जैसे-‘मोहन ईमानदार लड़का है।वह कभी झूठ नहीं बोलता। उसके पिता जी अध्यापक हैं। लेकिन जब सर्वनाम किसी संज्ञा (विशेष्य) के साथ लगकर उस संज्ञा की विशेषता बताते हैं, तब वे सार्वनामिक विशेषण कहे जाते हैं; जैसे :
(क) किसकी किताब चोरी हुई थी?
(ख) मेरे भाई अमेरिका जा रहे हैं।
(ग) उनके पास खाने के लिए कुछ भी सामान नहीं है।
विशेषण की उत्तमावस्था (Degrees of Adjectives) तुलना की दृष्टि से विशेषण की मुख्य तीन अवस्थाएँ होती हैं :
- मूलावस्था (Positive Degree),
- उत्तरावस्था (Comparative Degree),
- उत्तमावस्था (Superlative Degree)।
1. मूलावस्था (Positive Degree)-इसमें किसी वस्तु की किसी दूसरी वस्तु से तुलना नहीं की जाती। उसे श्रेष्ठ या बढ़-चढ़ कर नहीं बताया जाता, बल्कि वस्तु के गुण की चर्चा सामान्य रूप से की जाती है; जैसे-राधा सुंदर है। रवि अच्छा है। राकेश लंबा है।
2. उत्तरावस्था (Comparative Degree)-इसके अंतर्गत दो वस्तुओं का तुलनात्मक रूप प्रस्तुत होता है। एक वस्तु को दूसरी वस्तु से बढ़-चढ़कर बताया जाता है; जैसे : गीता, राधा से लंबी है। रमा से शीला की आवाज़ मधुर है। तुलनात्मक रूप प्रस्तुत करने के लिए ‘से’, की अपेक्षा, की तुलना में, से बढ़कर’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है; जैसे :
(क) रवि राजू की अपेक्षा ज्यादा होशियार है।
(ख) यह किताब उस किताब से बढ़कर रोचक है।
(ग) अनुराधा की तुलना में रमा थोड़ा कम बोलती है।
3. उत्तमावस्था (Superlative Degree)-इसमें किसी प्राणी, व्यक्ति या वस्तु की तुलना अन्य बहुत-से प्राणी, व्यक्ति अथवा वस्तुओं से की जाती है और उन सभी में से उसे सबसे अच्छा या बुरा बताया जाता है। तुलना की सीमा निर्धारित करने के लिए सब में, सबसे, सभी में, गाँव में, शहर में आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है; जैसे
(क) राम सबसे अच्छा लड़का है।
(ख) इस पूरे शहर में यह बाग़ देखने योग्य है।
इसके अलावा तुलनात्मक विशेषता को स्पष्ट करने के लिए ‘तर’ और ‘तम’ प्रत्यय लगाकर विशेषणों की रचना की जाती है। इस प्रकार के कुछ शब्द नीचे दिए जा रहे हैं :
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
लघु | लघुतर | लघुत्तम |
गरु | गुरुतर | गुरुतम |
सुंदर | सुंदरतर | सुंदरतम |
श्रेष्ठ | श्रेष्ठतर | श्रेष्ठतम |
बृहत् | बृहत्तर | बृहत्तम |
न्यून | न्यूनतर | न्यूनतम |
दृढ़ | दृढ़तर | दृढ़तम |
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
कोमल | कोमलतर | कोमलतम |
प्रिय | प्रियतर | प्रियतम |
योग्य | योग्यतर | योग्यतम |
प्रविशेषण किसे कहते हैं
जो शब्द विशेषण शब्दों की विशेषता बताते हैं, उन्हें ‘प्रविशेषण’ कहा जाता है; जैसे-वह बहुत मधुर गाता है। इन वाक्यों में ‘मधुर’ शब्द विशेषण है, लेकिन इसकी भी विशेषता ‘बहुत’ शब्द बतला रहा है। बहुत’ शब्द विशेषण की भी विशेषता बतला रहा है और इसलिए यह प्रविशेषण है। इस प्रकार :
“विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं।”
प्रविशेषण का उदाहरण
(क) वह सबसे तेज़ दौड़ता है।
(ख) उसका घर बहुत सुंदर है।
(ग) सोहन बहुत बुद्धिमान है।