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Pad Parichay In Hindi | पद परिचय की परिभाषा एवं उनके भेद और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

Contents

  • 1 पद परिचय की परिभाषा भेद और उदाहरण | Pad Parichay In Hindi Examples
    • 1.1 पद परिचय की परिभाषा
    • 1.2 पद परिचय की उदाहरण
    • 1.3 पद परिचय की भेद
    • 1.4 संज्ञा
    • 1.5 लिंग
    • 1.6 वचन
    • 1.7 कारक
    • 1.8 सर्वनाम
    • 1.9 विशेषण
    • 1.10 क्रिया
    • 1.11 क्रिया के भेद
    • 1.12 क्रियाविशेषण
    • 1.13 संबंधबोधक
    • 1.14 समुच्चयबोधक (योजक)
    • 1.15 समुच्चयबोधक के भेद
    • 1.16 पद परिचय हिंदी व्याकरण Examples with Questions and Answers
    • 1.17 पद परिचय अन्य उदाहरण

Pad Parichay In Hindi | पद परिचय की परिभाषा एवं उनके भेद और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।

पद परिचय की परिभाषा भेद और उदाहरण | Pad Parichay In Hindi Examples

वाक्य में आए शब्दों को पद कहते हैं। ये पद संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक होते हैं। इनका परिचय देना पद-परिचय कहलाता है। इसे व्याकरणिक परिचय भी कहते हैं।

पद परिचय की परिभाषा

व्याकरण की दृष्टि से वाक्य में आए पदों का परिचय देना पद-परिचय कहलाता है।

पद-परिचय देते समय शब्द के भेद, उपभेद, लिंग, वचन और कारक आदि का परिचय भी दिया जाता है। संज्ञा का पद-परिचय-
उदाहरण-
खुशी ने गृह-कार्य कर लिया।

खुशी-
1. संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. स्त्रीलिंग
3. एकवचन
4. कर्ता कारक ‘कर लिया’ क्रिया की कर्ता।

पद परिचय की उदाहरण

विजय यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
विजय – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता था’ क्रिया का कर्ता।
यहाँ – स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘पढ़ता था’ क्रिया का स्थान निर्देश।
दसवीं – विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य का विशेषण।
कक्षा में- संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – अकर्मक क्रिया, पढ़ धातु, अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन, भूतकाल, कर्तृवाच्य, इसका कर्ता विजय।

पद-परिचय करने के लिए सभी पदों का ज्ञान होना आवश्यक होता है। विद्यार्थी इनका पहले अध्ययन कर चुके हैं। यहाँ इनका संक्षिप्त परिचय दिया गया है।

पद परिचय की भेद

पद-भेद-पद के दो भेद होते हैं-
(क) विकारी
(ख) अविकारी।

(क) विकारी लिंग, वचन, कारक आदि के कारण इनका रूप बदल जाता है। विकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं-
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया।

संज्ञा

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को बताने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं; जैसे-तोता, गधा, आदमी, नरेशबाला, लंदन, क्रोध, ईमानदारी आदि। संज्ञा के भेद-संज्ञा के तीन भेद होते हैं-
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. भाववाचक संज्ञा।

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा-जिस संज्ञा शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी, वस्तु और स्थान आदि का पता चलता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
व्यक्तियों के नाम-सुभाषचंद्र, लक्ष्मीबाई, अन्नपूर्णा, राघव आदि।
प्राणियों के नाम-कामधेनु (गाय), ऐरावत (हाथी) आदि।
स्थानों के नाम-कनाडा, अमेरिका, जालंधर, पोरबंदर आदि।

2. जातिवाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से प्राणियों, वस्तुओं आदि की संपूर्ण जाति का पता चलता है, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-शहर, तालाब, पशु, पेड़, नदी, पहाड़, मेज़, पेट्रोल आदि।

जातिवाचक संज्ञा के भेद-जातिवाचक संज्ञा के दो भेद होते हैं-
(क) द्रव्यवाचक संज्ञा
(ख) समूहवाचक संज्ञा।
(क) द्रव्यवाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से द्रव्य पदार्थों का पता चलता है, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-ताँबा, सोना, लोहा, पेट्रोल, तेल, चाँदी, पीतल आदि।

(ख) समूहवाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से किसी समूह का पता चलता है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-कक्षा, भीड़, सभा, दल, टीम आदि।

3. भाववाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से किसी वस्तु के गुण-दोष, अवस्था, स्वभाव, दशा आदि का पता चलता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-ममता, ईमानदारी, शैशव, पतला, मोटापा, भय, क्रोध, सुंदरता आदि।

लिंग

शब्द के जिस रूप से उसके पुरुष जाति या स्त्री जाति के होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते हैं।
लिंग के भेद-लिंग के दो भेद होते हैं-
1. पुल्लिग
2. स्त्रीलिंग।

1. पुल्लिग-जिन शब्दों से उनके पुरुष जाति के होने का पता चलता है, उन्हें पुल्लिग कहते हैं; जैसे-हाथी, गधा, आदमी, शेर, धोबी, पतीला, पेड़ और नल आदि।
2. स्त्रीलिंग-जिन संज्ञा शब्दों से उनके स्त्री जाति के होने का पता चलता है, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे-गाय, नारी, सीढ़ी, भिंडी, बालिका, लीची, मिर्च, इलायची आदि।

वचन

शब्द के जिस रूप से उसके एक और अनेक होने का पता चलता है, उसे वचन कहते हैं।
वचन के भेद-वचन के दो भेद होते हैं-
1. एकवचन
2. बहुवचन।

1. एकवचन-जिन संज्ञा शब्दों से उनके एक होने का पता चलता है, उन्हें एकवचन कहते हैं; जैसे-केला, दरवाज़ा, लड़की, चम्मच, दीवार, कंघी आदि।
2. बहुवचन-जिन संज्ञा शब्दों से उनके एक से अधिक होने का पता चलता है, उन्हें बहुवचन कहते हैं; जैसे-खिड़कियाँ, गलियाँ, संतरे, रास्ते, तरकारियाँ, अध्यापिकाएँ आदि।

कारक

संज्ञा और सर्वनाम शब्दों का वाक्य की क्रिया के साथ संबंध प्रकट करने वाले शब्दों को कारक कहते हैं। कारक के भेद-कारक के आठ भेद होते हैं-
1. कर्ता
2. कर्म
3. करण
4. संप्रदान
5. अपादान
6. संबंध
7. अधिकरण
8. संबोधन।

  1. कर्ता कारक-क्रिया करने वाले को कर्ता कारक कहते हैं। कर्ता का विभक्ति-चिह्न ने होता है। कई बार ने चिह्न नहीं आता; जैसे-मानव ने आम खाया।
  2. कर्म कारक-वाक्य में क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर जिस अन्य संज्ञा/सर्वनाम शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक का विभक्ति चिह्न को होता है। इसका प्रयोग सकर्मक क्रिया के साथ होता है; जैसे-दुकानदार ने ग्राहक को सामान दिया।
  3. करण कारक-जिस साधन या माध्यम से क्रिया होने का पता चलता है, उसे करण कारक कहते हैं; जैसे-विभोर साइकिल से स्कूल गया। करण कारक के विभक्ति-चिह्न से, द्वारा, के द्वारा होते हैं।
  4. संप्रदान कारक-कर्ता जिसके लिए काम करता है या जिसे कुछ देता है, उसे संप्रदान कारक कहते हैं; जैसे-राधिका अलीशा के लिए मोबाइल लाई। संप्रदान कारक के विभक्ति-चिह्न हैं-को, के लिए, के वास्ते आदि।
  5. अपादान कारक-संज्ञा के जिस रूप से अलग होने या तुलना करने आदि का पता चलता है, उसे अपादान कारक कहते हैं; जैसे-यात्री बस से उतरे। अपादान कारक का विभक्ति-चिह्न से है।
  6. संबंध कारक-जिस शब्द से वाक्य में आए दो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों में संबंध प्रकट होता है, उसे संबंध कारक कहते हैं; जैसे-पल्लवी पारुल की बहन है। संबंध कारक के विभक्ति-चिह्न हैं-का, की, के, रा, री, रे।
  7. अधिकरण कारक-संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार, समय और स्थान आदि का पता चलता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति-चिह्न हैं-में, पर।
  8. संबोधन कारक-जिस संज्ञा शब्द का प्रयोग संबोधन के रूप में किया जाता है, उसे संबोधन कारक कहते हैं; जैसे-वाह भैया! तुमने कमाल कर दिया।

संबोधन कारक में संज्ञा/सर्वनाम शब्द से पहले अरे, रे, हे, अरी आदि शब्द लगाते हैं। इनके आगे विस्मयादिबोधक चिह्न ! लगाते हैं।

सर्वनाम

संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम शब्द हैं-मैं, हम, तू, तुम, आप, वह, यह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या। सर्वनाम के भेद-सर्वनाम के छह भेद होते हैं-

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम
  2. निजवाचक सर्वनाम
  3. निश्चयवाचक सर्वनाम
  4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  5. संबंधवाचक सर्वनाम
  6. प्रश्नवाचक सर्वनाम।

1. पुरुषवाचक सर्वनाम-पुरुषवाचक सर्वनामों का प्रयोग व्यक्तियों के लिए किया जाता है। बातचीत करते समय तीन स्थितियाँ रहती हैं-

  • पहली व्यक्ति जो बोलता है, वह वक्ता होता है।
  • दूसरी व्यक्ति जो सुनता है, वह श्रोता होता है।
  • तीसरी व्यक्ति वह होता है जिसके विषय में बातचीत की जाती है। वह अन्य व्यक्ति होता है। इन स्थितियों के आधार पर पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं-
    (क) उत्तम पुरुष
    (ख) मध्यम पुरुष
    (ग) अन्य पुरुष।

(क) उत्तम पुरुष-जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग वक्ता या लिखने वाले के लिए किया जाता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं; जैसे-मैंने कविता पढ़ी। मैं खाकर चलूँगा।
(ख) मध्यम पुरुष-जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग सुनने वाले और पढ़ने वाले के लिए किया जाता है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं; जैसे-तू कब आएगी? तुम्हारा बैग वहाँ रखा है।
(ग) अन्य पुरुष-जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग वक्ता या श्रोता किसी अन्य व्यक्ति के लिए करता है, उसे अन्य पुरुष कहते जैसे-वह धीरे-धीरे आई। उसे बुला लाओ।

2. निजवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग कर्ता के लिए किया जाता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-शुभी स्वयं आ जाएगी। हम आप ही चले जाएँगे।

3. निश्चयवाचक सर्वनाम-जिन सर्वनाम शब्द का प्रयोग किसी निश्चित प्राणी और वस्तु आदि के लिए किया जाता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-कॉपी उससे ले लो। जैकलीन वह है।

4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग किसी अनिश्चित प्राणी और वस्तु आदि के लिए किया जाता है, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-किसी ने पुकारा था। बैग से कुछ गिर गया है।

5. संबंधवाचक सर्वनाम-ऐसे सर्वनाम शब्द जो दो उपवाक्यों का आपस में संबंध जोड़ते हैं, संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे-जैसी करनी वैसी भरनी। जो गाएगा सो पुरस्कार पाएगा।

6. प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिन सर्वनाम शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी और कार्य आदि के विषय में प्रश्न करने का पता चलता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-पानी किसने गिरा दिया? शोर कौन मचा रहा है?

विशेषण

संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की विशेषता प्रकट करने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। विशेषण के भेद-विशेषण के चार भेद होते हैं-

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण।

1. गुणवाचक विशेषण-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम के गुण, दोष, रंग, रूप, आकार, स्थान आदि का पता चलता है, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-
नया कोट पहन लो।
गोल कागज़ उधर रखो।
गरीब किसान की परेशानी समझो।

2. संख्यावाचक विशेषण-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की संख्या संबंधी विशेषता का पता चलता है, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं; संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते हैं-
(क) निश्चित संख्यावाचक
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक।

(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण-संज्ञा और सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता का निश्चित बोध कराने वाले विशेषणों को निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-कक्षा में चालीस विद्यार्थी हैं। मेरी दूसरी पुस्तक उधर रखो।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की संख्या संबंधी विशेषता का निश्चित पता नहीं चलता, उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-बाढ़ में सैंकड़ों मकान गिर गए। सभा में अनेक लोग आए थे।

3. परिमाणवाचक विशेषण-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम की नाप-तौल का पता चलता है, उन्हें परिमाणवाचक
विशेषण कहते हैं; जैसे-
मानवी दो मीटर कपड़ा लाई।
स्कूटर में एक लीटर पेट्रोल डलवाओ।

परिमाणवाचक विशेषण के भेद-परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं-
(क) निश्चित परिमाणवाचक
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक।

(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की परिमाण संबंधी विशेषता का निश्चित पता बताने वाले विशेषणों को निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं;
जैसे-
विश्वास ने दो किलो सेब खरीदे।
भैया आधा लीटर तेल लाए।

(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण-जिन परिमाणवाचक विशेषणों से नाप-तौल का निश्चित पता नहीं चलता उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-
दीदी ने दाल में बहुत घी डाल दिया।
थोड़े चावल और दे दो।

4. सार्वनामिक विशेषण-ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा की विशेषता बताते हैं, सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं;
जैसे-
यह कमीज़ नहीं चाहिए।
तुम्हारी अध्यापिका आ गई। प्रविशेषण-विशेषण शब्दों की विशेषता बताने वाले विशेषणों को प्रविशेषण कहते हैं; जैसे-
नन्हा शिशु बहुत सुंदर है।
प्रमोद कम समझदार है।

क्रिया

जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का पता चलता है, उन्हें क्रिया कहते हैं;
जैसे-
दुकान खुल गई।
मोबाइल खरीदो।

धातु-क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं; जैसे-चल, उठ, बैठ, लिख, पढ़ आदि। इनके साथ प्रत्यय लगाकर क्रियाएँ बनती हैं;
जैसे-
चलना, उठना, बैठना, लिखना, पढ़ना।

क्रिया के भेद

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
1. अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया को कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-
नलिनी रोती है।
वंश भागता है।
डॉक्टर जाता है।

2. सकर्मक क्रिया-जिस वाक्य की क्रिया को कर्म की आवश्यकता होती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-
कल्पना साधना को संस्कृत पढ़ाती है।
लता तबला बजा रही है।

रचना के आधार पर क्रिया के भेद-
1. सामान्य क्रिया-जिस क्रिया में एक ही क्रिया हो, उसे सामान्य क्रिया कहते हैं; जैसे-
प्रधानाचार्य आए।
पुस्तकें उठाओ।
सुमीत ने गीत गाया।

2. संयुक्त क्रिया-किसी वाक्य की एक से अधिक क्रियाएँ मिलकर मुख्य क्रिया को स्पष्ट करती हैं, उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं; जैसे-
बस आ रही है।
गीत गाया जा रहा है।
चाय पी जा रही है।

3. नामधातु क्रिया-संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों से बनी क्रियाओं को नामधातु क्रिया कहते हैं;
संज्ञा से नामधातु क्रिया-लज्जा-लजाना, लात-लतियाना, फ़िल्म-फ़िल्माना।
सर्वनाम से नामधातु क्रिया-अपना-अपनापन।
विशेषण से नामधातु क्रिया-चिकना-चिकनाना, गरम-गरमाना, साठ-सठियाना।
अनुकरणात्मक धातुओं से नामधातु क्रिया-खट-खट-खटखटाना, बड़-बड़-बड़बड़ाना।

4. प्रेरणार्थक क्रिया-जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी को कार्य करने की प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसे-
नौकर ने बैठकर बरतन साफ़ किए।
पम्मी ने नहाकर पूजा की।

(ख) अविकारी या अव्यय
ऐसे शब्द जिनके रूप लिंग, वचन, कारक, काल, पुरुष आदि की दृष्टि से नहीं बदलते उन्हें अविकारी या अव्यय कहते हैं; जैसे-हाथोंहाथ, इधर, वाह, अथवा आदि।

अव्यय के भेद-अव्यय शब्द पाँच प्रकार के होते हैं-
1. क्रियाविशेषण
2. संबंधबोधक
3. समुच्चयबोधक (योजक)
4. विस्मयादिबोधक
5. निपात।

क्रियाविशेषण

क्रिया की विशेषता प्रकट करने वाले अव्यय शब्दों को क्रियाविशेषण कहते हैं। क्रियाविशेषण के भेद
(क) रीतिवाचक क्रियाविशेषण-जिन क्रियाविशेषण शब्दों से क्रिया होने की रीति या ढंग का पता चलता है, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-
आँधी अचानक आ गई।
कपड़े हाथोंहाथ बिक गए।

(ख) स्थानवाचक क्रियाविशेषण-जिन क्रियाविशेषण शब्दों से क्रिया होने के स्थान का पता चलता है, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-
उधर जाओगे तो स्कूल पहुँचोगे।
मधुरा ऊपर बैठी है।

(ग) कालवाचक क्रियाविशेषण-जिन क्रियाविशेषण शब्दों से क्रिया होने के काल का पता चलता है, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-
स्कूल परसों खुलेगा।
मौसी कल आएगी।
वर्षा अभी हो रही है।

(घ) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण-जिन क्रियाविशेषण शब्दों से क्रिया होने के परिमाण और मात्रा का पता चलता है, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-
रूपा जितना खाती है उतनी मोटी होती जाती है।
चाय में चीनी कम डालना।

संबंधबोधक

ऐसे अविकारी शब्द जो वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उनका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं, संबंधबोधक कहलाते हैं; जैसे-
रूपाणि के साथ रीतिका सूरत गई।
आकाश के पीछे कुत्ता भागने लगा।
टहनी के ऊपर तोते बैठे हैं।
बहन की तरह भाई भी समझदार है।

समुच्चयबोधक (योजक)

ऐसे अविकारी शब्द जो दो शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों को जोड़ते हैं, समुच्चयबोधक कहलाते हैं; जैसे-
अरुणिमा गिटार बजाएगी और प्रिया गाएगी।
चाय पिएँगे या कॉफ़ी पिएँगे।
ऋचा आ गई परंतु ध्रुव नहीं आया।
पहला प्रश्न करो अथवा दूसरा करो।

समुच्चयबोधक के भेद

(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधक-वे समुच्चयबोधक शब्द जो दो समान स्तर वाले उपवाक्यों और शब्दों को जोड़ते हैं, समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
संयोजक-मुकेश और सुधा भाषण देंगे।
किरण खेलती तो है परंतु डर-डरकर खेलती है।
विभाजक-डोसा खाओ चाहे इडली खाओ।
गृह कार्य कर लो नहीं तो अध्यापिका डाँटेगी।
विरोधदर्शक-भाषण दे दिया परंतु पुरस्कार नहीं मिला।
सड़क टूटी थी इसलिए स्कूटर सवार गिर गया। (परिणामदर्शक)

(ख) व्यधिकरण समुच्चयबोधक-वे समुच्चयबोधक शब्द जो एक प्रमुख उपवाक्य और एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को जोड़ते हैं, व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
कारणवाचक-चाय नहीं बनी क्योंकि दूध न था। – सोहिता श्रेष्ठ गायिका है इसलिए सम्मान पाती है।
स्वरूपवाचक-असीम सोचता था कि विक्रम प्रथम आएगा। – विकास मूर्ख नहीं है जो व्यर्थ झगड़ा करे।
उद्देश्यवाचक-मिस्त्री को बुलाओ जो कि नल ठीक करे। – इंदु मंच पर गई ताकि कविता सुना सके।
संकेतवाचक-यदि रुपए होते तो फ़िल्म देखते। – जब पापा आएँगे तब मॉल जाएँगे।

4. विस्मयादिबोधक ऐसे शब्द जो विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा और प्रशंसा आदि भावों को प्रकट करते हैं, विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।

  • हर्ष-आह, वाह आदि।
  • प्रशंसा-वाह, ओहो, सुंदर आदि।
  • विस्मय-अरे, हैं, क्या आदि।
  • शोक-उफ़, हाय, आह आदि।
  • संबोधन-अरे, अजी, अबे आदि।
  • चेतावनी-बचो, हटो, सावधान आदि।
  • अभिवादन-प्रणाम, नमस्ते, नमस्कार आदि।
  • घृणा-छिः, धिक्कार आदि।

5. निपात
ऐसे अविकारी शब्द जो वाक्य में किसी शब्द के बाद आकर उसके अर्थ को विशेष बल प्रदान करते हैं, निपात कहलाते हैं; जैसे-
ऋचा ही लघुकथा-वाचन करेगी।
विमल गाएगा तो विनीत भी गाएगा।
मनोज को सौ रुपए मात्र मिले।
पल्लवी जीवन भर माँ की देखभाल करती रही।

पद परिचय हिंदी व्याकरण Examples with Questions and Answers

1. संज्ञा पदों का परिचय
(क) बलराम ने नाश्ता कर लिया।
बलराम-(1) संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा (2) पुल्लिग (3) एकवचन (4) कर्ता कारक ‘कर लिया’ क्रिया का कर्ता।

(ख) कृति उदयपुर चली गई।
कृति-(1) संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा (2) स्त्रीलिंग (3) एकवचन (4) कर्ता कारक ‘चली गई’ क्रिया का कर्ता।

2. सर्वनाम पदों का परिचय
(क) वह पुस्तकालय गया।
वह-(1) सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम (2) पुल्लिग (3) एकवचन (4) कर्ता कारक ‘गया’ क्रिया का कर्ता।

(ख) हम इंडिया गेट देखने गए।
हम-(1) सर्वनाम, उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम (2) पुल्लिंग (3) बहुवचन (4) कर्ता कारक ‘देखने गए’ क्रिया का कर्ता।

3. विशेषण पदों का परिचय
(क) ललिता ने सुंदर फ्रॉक पहनी।
सुंदर-(1) विशेषण, गुणवाचक विशेषण (2) स्त्रीलिंग (3) एकवचन (4) ‘फ्रॉक’ संज्ञा की विशेषता।

(ख) छोटी बहन शोर मचा रही है।
छोटी-(1) विशेषण, गुणवाचक विशेषण (2) स्त्रीलिंग (3) एकवचन (4) ‘बहन’ संज्ञा की विशेषता।

4. क्रिया पदों का परिचय
(क) जब मैं पहुँचा तो विजय सो रहा था।
सो रहा था- (1) क्रिया, अकर्मक, भूतकाल (2) पुल्लिग (3) एकवचन (4) ‘विजय’ कर्ता की क्रिया।

(ख) मुझे प्रधानाचार्य से पुरस्कार मिला था।
मिला था-(1) क्रिया, सकर्मक (2) पूर्ण भूतकाल (3) पुल्लिग (4) एकवचन (5) ‘मुझे’ कर्ता की क्रिया।

5. क्रियाविशेषण पदों का परिचय
(क) चंद्रकांता मधुमिता के साथ उधर गई है।
उधर-(1) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण (2) ‘गई है’ क्रिया के स्थान की विशेषता।

(ख) आनंद हमारे घर परसों आएगा।
परसों-(1) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण (2) ‘आएगा’ क्रिया के काल की विशेषता।

6. संबंधबोधक पदों का परिचय
(क) दिनेश ने प्रकाश से पहले भोजन किया।
से पहले-(1) संबंधबोधक, कालवाचक (2) दिनेश और प्रकाश में संबंधसूचक।

(ख) रूपेश के साथ अमित अंबाला जाएगा।
के साथ-(1) संबंधबोधक, संगवाचक (2) रूपेश और अमित में संबंधसूचक।

7. समुच्चयबोधक (योजक) पदों का परिचय
(क) इला को पुस्तकें खरीदनी थीं परंतु नहीं खरीदीं।
परंतु-(1) समुच्चयबोधक, विरोधसूचक (2) ‘इला को पुस्तकें खरीदनी थीं’ और ‘नहीं खरीदीं’ उपवाक्यों को जोड़ने। का कार्य; विरोध दर्शाना।

(ख) सुमीत को बुला लाओ ताकि सुशांत को समझाए।
ताकि-(1) समुच्चयबोधक, उद्देश्यवाचक (2) ‘सुमीत को बुला लाओ’ और ‘सुशांत को समझाए’ उपवाक्यों को जोड़ने का कार्य; उद्देश्य स्पष्ट करना।

8. विस्मयादिबोधक पदों का परिचय
(क) अच्छा! रोहतक चले जाना।
अच्छा!-(1) विस्मयादिबोधक, स्वीकृतिसूचक (2) स्वीकृति के भाव को दर्शानेवाला।

(ख) अरे! हमारा स्कूल मैच जीत गया?
अरे!-(1) विस्मयादिबोधक, आश्चर्यसूचक (2) आश्चर्य के भाव को दर्शाने वाला।

पद परिचय अन्य उदाहरण

1. शीत ऋतु में हिमालय का क्षेत्र पूर्णतया बर्फ से ढक जाता है और वहाँ जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।

शीत विशेषण, गुणवाचक ऋतु संज्ञा का विशेषण, पुल्लिग।
ऋतु में जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
हिमालय का व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, संबंधकारक।
क्षेत्र जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता, ‘ढक जाना’ क्रिया का कर्ता।
पूर्णतया रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ढक जाता है क्रिया पद की विशेषता।
बर्फ़ से जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, करण कारक।
ढक जाता है अकर्मक क्रिया, पुल्लिग, एकवचन, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।
और समानाधिकरण समुच्चयबोधक।
वहाँ स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
जन जीवन- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक।
अस्त व्यस्त- रीतिवाचक क्रियाविशेषण, हो जाता है क्रिया का क्रियाविशेषण।
हो जाता है अकर्मक क्रिया, पुल्लिग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

2. कंचन यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ती है।

कंचन  संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ती है’ क्रिया की कर्ता।
यहाँ  स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘पढ़ता था’ क्रिया का स्थानसूचक, पुल्लिंग।
दसवीं  क्रमसूचक विशेषण, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य का विशेषण।
कक्षा में  संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ती है  अकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, पढ़ धातु, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

3. हम पार्क में गए परन्तु वहाँ अमरूद न मिले।

हम  पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, बहुवचन, पुल्लिग, कर्ता कारक, ‘गए’ क्रिया का कर्ता।
पार्क में  जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, अधिकरण कारक।
गए  अकर्मक क्रिया, उत्तम पुरुष, बहुवचन, पुल्लिग, भूतकाल, कर्तृवाच्य, ‘हम’ इसका कर्ता।
परंतु  व्यधिकरण समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ने वाला।
वहाँ  स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
अमरूद  जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक।
न  रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
मिले  सकर्मक क्रिया, मिल धातु, अन्य पुरुष, पुल्लिग, बहुवचन, कर्तृवाच्य, इस क्रिया का कर्म अमरूद है।

4. मोटे पदों का परिचय नरेंद्र मोदी जहाँ-जहाँ गए, उनका सर्वत्र स्वागत हुआ।

नरेंद्र मोदी  संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘गए’ क्रिया का कर्ता।
उनका  सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम, आदरसूचक बहुवचन, संबंध कारक, अन्य पुरुष, कर्ता कारक।
यह गुड़िया बहुत सुंदर है।
गुड़िया  संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्ता कारक ‘है’ क्रिया की कर्ता।
बहुत  परिमाणवाचक विशेषण, सुंदर विशेषण का प्रविशेषण।
सुंदर  विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, ‘गुड़िया’ विशेष्य का विशेषण।

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