CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 3 are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 3.
CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 3
Board | CBSE |
Class | 10 |
Subject | Social Science |
Sample Paper Set | Paper 3 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 10 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 3 of Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium is given below with free PDF download Answers.
समय : 3 घण्टे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 26 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न के अंक उसके सामने दिए गए हैं।
- प्रश्न संख्या 1 से 7 अति लघु-उत्तरीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।
- प्रश्न संख्या 8 से 18 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- प्रश्न संख्या 19 से 25 तक प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- प्रश्न संख्या 26 मानचित्र से सम्बंधित है। इसके दो भाग हैं 26(A) और 26(B) / 26(A) 2 अंक का इतिहास से तथा 26(B) 3 अंक का भूगोल से है। मानचित्र का प्रश्न पूर्ण होने पर उसे अपनी उत्तर-पुस्तिका के साथ नत्थी करें।
- पूर्ण प्रश्न-पत्र में विकल्प नहीं हैं। फिर भी कई प्रश्नों में आंतरिक विकल्प हैं। ऐसे सभी प्रश्नों में से प्रत्येक से आपको एक ही विकल्प हल करना है।
प्र० 1.
1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में बैठक क्यों हुई? 1
अथवा
सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दियों में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों की ओर रुख क्यों करने लगे थे? 1
अथवा
1887 में लिवरपूल के एक जलपोत मालिक चार्ल्स बूथ ने ईस्ट एंड (पूर्वी छोर) में लंदन के अल्पकुशल मजदूरों का पहला सामाजिक सर्वेक्षण क्यों किया? 1
प्र० 2.
‘रोमन कैथलिक चर्च’ ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर पाबंदियाँ क्यों लगाईं? 1
अथवा
उपन्यास जनभाषा का उपयोग क्यों करते हैं? 1
प्र० 3.
उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को वर्गीकरण कीजिए। उत्तर- उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को दो रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है-जैव संसाधन तथा अजैव संसाधन।
(i) जैव संसाधन – ऐसे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-मनुष्य,
मछली पालन, जंगल आदि।
(ii) अजैव संसाधन – ऐसे संसाधन जिनका निर्माण निर्जीव पदार्थों द्वारा किया जाता है अजैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-चट्टानें, खनिज पदार्थ आदि।
प्र० 4.
‘चुनौती कोई समस्या नहीं है, बल्कि उन्नति का अवसर है।’ कथन का विश्लेषण कीजिए। 1
प्र० 5.
आय के अतिरिक्त विकास के किन्हीं दो लक्ष्यों का उल्लेख कीजिए। (\(\frac { 1 }{ 2 }\) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) = 1)
प्र० 6.
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, तो इस प्रकार की गतिविधियाँ किस आर्थिक क्षेत्रक के अंतर्गत आती हैं? 1
प्र० 7.
साख (ऋण) के अनौपचारिक क्षेत्रक के कोई दो उदाहरण दीजिए। (\(\frac { 1 }{ 2 }\) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) = 1)
प्र० 8.
‘रिन्डरपेस्ट’ का 1890 के दशक में अफ्रीका के लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभावों का वर्णन कीजिए। (3 x 1 = 3)
अथवा
19वीं शताब्दी में भारतीय बुनकरों की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
19वीं शताब्दी के दौरान लंदन को साफ-सुथरा करने के लिए उठाए गए किन्हीं तीन कदमों का वर्णन कीजिए।
प्र० 9.
“मुद्रण क्रांति’ ने सूचना और ज्ञान से उनके संबंधों को बदलकर लोगों की ज़िन्दगी बदल दी।” कथन का विश्लेषण कीजिए। (1 x 3 = 3)
अथवा
जेन ऑस्टिन और शारलॉट ब्रॉण्ट द्वारा क्रमशः लिखित ‘प्राइड एण्ड प्रेज्युडिस’ तथा ‘जेन आयर’ उपन्यासों की विषय-वस्तु में अंतर स्पष्ट कीजिए।
प्र० 10.
भारत में उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव किस प्रकार बढ़ रहा है? व्याख्या कीजिए। (1 x 3 = 3)
प्र० 11.
“सघन और सक्षम परिवहन का जाल स्थानीय और राष्ट्रीय विकास हेतु पूर्व-अपेक्षित है।” कथन का विश्लेषण कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 12.
तीसरे प्रकार की शासक व्यवस्था को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बनाने के लिए 1992 में भारतीय संविधान में किए गए संशोधन के किन्हीं तीन प्रावधानों का वर्णन कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 13.
सामाजिक विभाजन की राजनीति के परिणामों को निर्धारित करने वाले तीन कारकों की व्याख्या कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 14.
“धर्म-निरपेक्षता कुछ व्यक्तियों या पार्टियों की एक विचारधारा नहीं है, परंतु यह हमारे देश की नींवों में से एक है।” कथन की परख कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 15.
धारणीयता का मुद्दा विकास के लिए किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। 3
प्र० 16.
संगठित और असंगठित क्षेत्र की सेवा शर्तों में अंतर स्पष्ट कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 17.
देश के विकास के लिए सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज आवश्यक क्यों है? किन्हीं तीन कारणों की व्याख्या कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 18.
बाज़ार में शोषण से बचाने के लिए उपभोक्ताओं में जागरूकता कैसे फैलाई जा सकती है? किन्हीं तीन तरीकों को स्पष्ट कीजिए। (3 x 1 = 3)
प्र० 19.
यूरोप में 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
वियतनाम में उपनिवेशवाद के विरुद्ध भावनाओं के विकास में विभिन्न धार्मिक समूहों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
प्र० 20.
‘असहयोग आंदोलन’ किस प्रकार शहरी मध्य वर्ग की हिस्सेदारी के साथ शहरों में शुरू हुआ? आर्थिक मोर्चे पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए। (2 + 3 = 5)
अथवा
कांग्रेस संगठन में महिलाओं को किसी भी महत्त्वपूर्ण पद पर जगह देने से क्यों हिचकिचाती रही? महिलाओं ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए।
प्र० 21.
“1980 व 1990 के दशक में भारत सरकार ने कृषि सुधार के लिए अनेक संस्थागत तथा प्रौद्योगिकीय सुधारों की शुरुआत की।” इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
भारत में प्रचलित ‘गहन जीविका कृषि’ और ‘वाणिज्यिक कृषि’ की तुलना कीजिए।
प्र० 22.
किसी देश की आर्थिक उन्नति विनिर्माण उद्योगों के विकास से क्यों मापी जाती है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। 5
प्र० 23.
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के किन्हीं पाँच प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए। (5 x 1 = 5)
प्र० 24.
“व्यक्ति की आजादी और गरिमा के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन प्रणाली से काफी आगे है।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। (5 x 1 = 5)
अथवा
“लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। (5 x 1 = 5)
प्र० 25.
विदेशी व्यापार किस प्रकार विभिन्न देशों के बाजारों का एकीकरण कर रहा है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। (5 x 1 = 5)
अथवा
हम अपने दैनिक जीवन में वैश्वीकरण के प्रभावों का किस प्रकार अनुभव करते हैं? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
प्र० 26.
(A) दो लक्षण (a) और (b) दिए गए भारत के राजनीतिक रेखा-मानचित्र में अंकित किए गए हैं। इन लक्षणों को निम्नलिखित जानकारी की सहायता से पहचानिए और उनके सही नाम उनके निकट खींची गई रेखाओं पर लिखिए : (2 x 1 = 2)
(a) वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अधिवेशन हुआ।
(b) वह स्थान जहाँ गाँधीजी ने सूती मिल मजदूरों के पक्ष में सत्याग्रह किया।
(B) इसी दिए गए भारत के राजनीतिक रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित को उपयुक्त चिह्नों से दर्शाइए और उनके नाम लिखिए : (3 x 1 = 3)
(i) राजा साँसी–अंतर्राष्ट्रीय हवाई-पत्तन
(ii) भद्रावती-लोहा एवं इस्पात संयंत्र
(iii) पश्चिमी बंगाल को सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क
नोट: निम्नलिखित प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए प्रश्न संख्या 26 के स्थान पर हैं : (5 x 1 = 5)
- उस राज्य का नाम लिखिए जहाँ नील की खेती करने वाले किसानों ने सत्याग्रह किया था।
- उस राज्य का नाम लिखिए जहाँ गांधीजी ने नमक कानून तोड़ा था।
- उस राज्य का नाम लिखिए जहाँ राजा साँसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई-पत्तन स्थित है।
- उस राज्य का नाम लिखिए जहाँ सलेम लोहा एवं इस्पात संयंत्र स्थित है।
- उस राज्य का नाम लिखिए जहाँ नरोरा आणविक ऊर्जा संयंत्र स्थित है।
Answers
उत्तर 1.
सन् 1885 में अफ्रीका के देशों को आपस में बाँटने के उद्देश्य से यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में बैठक हुई। उन्होंने अफ्रीका के नक्शे पर लकीरें खींचकर इस कार्य को पूरा किया।
अथवा
सत्रहवीं शताब्दी में विश्व व्यापार के विस्तार तथा दुनिया के विभिन्न भागों में उपनिवेशों की स्थापना के कारण वस्तुओं की माँग में अत्यधिक बढ़ोतरी होने लगी। सौदागरों को यह पता लग गया था कि इस बढ़ी हुई माँग को केवल शहरों में रह कर पूरा नहीं किया जा सकता। अतः वे गाँवों की ओर रुख करने लगे।
अथवा
1887 में लिवरपूल के एक जलपोत मालिक चार्ल्स बूथ ने ईस्ट एंड (पूर्वी छोर) में लंदन के अल्पकुशल मजदूरों का सर्वेक्षण लंदन में फैली गरीबी तथा आवासीय समस्या को उजागर करने के उद्देश्य से किया। सर्वेक्षण में उसने पाया कि लंदन के कम से कम 10 लाख लोग बहुत गरीब हैं तथा उनकी औसत आयु 29 साल से अधिक नहीं थी। आमतौर पर उनकी मृत्यु अपने काम करने के स्थान, अस्पताल अथवा पागलखाने में होती थी।
उत्तर 2.
धर्मविरोधी विचारों तथा धर्म के नाम पर उठाए जाने वाले सवालों से परेशान होकर रोमन कैथलिक चर्च ने प्रकाशकों तथा पुस्तक विक्रेताओं पर पाबंदियाँ लगाई तथा तत्पश्चात् उन्होंने सन् 1558 में प्रतिबंधित किताबों की एक सूची तैयार करके अपने पास रखनी शुरू कर दी।
अथवा
जनभाषा का अर्थ है लोगों द्वारा बोले जाने वाली सामान्य भाषा अर्थात् आम बोल-चाल की भाषा। उपन्यासों में जनभाषा का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि उपन्यास लोगों द्वारा बोली जाने वाली भिन्न-भिन्न भाषाओं से निकटता बनाकर, एक राष्ट्र के विविध समुदायों के लिए एक सांझे विश्व का निर्माण करते हैं। राष्ट्र की तरह उपन्यास भी कई संस्कृतियों को एकत्रित करते हैं।
उत्तर 3.
उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को दो रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है-जैव संसाधन तथा अजैव संसाधन।
- जैव संसाधन – ऐसे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-मनुष्य, मछली पालन, जंगल आदि।
- अजैव संसाधन – ऐसे संसाधन जिनका निर्माण निर्जीव पदार्थों द्वारा किया जाता है अजैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-चट्टानें, खनिज पदार्थ आदि।
उत्तर 4.
चुनौती कोई समस्या नहीं है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। परंतु यदि मनुष्य उने चुनौतियों को समस्या न समझ कर उनको अवसर के रूप में लेता है तो यही चुनौतियाँ उसके जीवन में उन्नति का मार्ग खोलती हैं। एक बार यदि हमने चुनौतियों पर जीत प्राप्त कर ली तो हम पहले की तुलना में उन्नति के और अधिक उच्च स्तर पर पहुँच जाते हैं।
उत्तर 5.
उच्च-स्तरीय जीवन, प्रदूषण मुक्त वातावरण, उच्च साक्षरता दर, भष्ट्राचार मुक्त देश, निर्धनता की समाप्ति, सभी वर्गों के लिए समान व्यवहार, सभी के लिए आदर आदि।
उत्तर 6.
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके वस्तुओं का उत्पादन करते हैं तो इस प्रकार की गतिविधियाँ प्राथमिक क्षेत्रक के अंतर्गत आती हैं। प्राथमिक क्षेत्रक उन सभी उत्पादों का आधार है, जिन्हें हम क्रमशः निर्मित करते हैं। उदाहरण-कृषि, डेयरी, मत्स्यन तथा वन। प्राथमिक क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रके भी कहा जाता है।
उत्तर 7.
अनौपचारिक क्षेत्रक में साहूकार, जमींदार, नियोक्ता, मित्र, रिश्तेदार आदि द्वारा ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
उत्तर 8.
‘रिन्डरपेस्ट’ का अफ्रीका में फैलना – 1890 के दशक में अफ्रीका में ‘रिन्डरपेस्ट’ नामक बीमारी ब्रिटिश आधिपत्य वाले एशियाई देशों से आए पशुओं द्वारा फैली। पूर्वी अफ्रीका से शुरू होकर यह महामारी जंगल में लगी आग की तरह पश्चिमी अफ्रीका में फैलकर अफ्रीका के अटलांटिक तट तक पहुँच गई।
‘रिन्डरपेस्ट’ के प्रभाव – मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी का लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। इस महामारी के कारण लगभग 90% पशुओं की मौत हो गई। पशुओं के खत्म होने से अफ्रीकियों की आजीविका का प्रमुख साधन समाप्त हो गया जिसके फलस्वरूप अफ्रीकियों को बागान मालिकों, खान मालिकों तथा औपनिवेशिक ताकतों का गुलाम बनने पर विवश होना पड़ा।
अथवा
19वीं शताब्दी में भारतीय बुनकरों के समक्ष आने वाली तीन प्रमुख समस्याएँ :
- मैनचेस्टर से आयातित कपड़ा आने के कारण स्थानीय बाजार सिकुड़ने लगा। वहाँ की मशीनों द्वारा कम लागत से तैयार कपड़े इतने सस्ते थे कि उन्होंने खरीददारों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया तथा भारतीय कपड़ा उसके आगे टिक नहीं पाया। इस कारण भारतीय कपड़ा बुनकरों का निर्यात बाज़ार ढह गया।
- 1860 के दशक में भारतीय बुनकरों को एक नई समस्या का सामना करना पड़ा। उन्हें अच्छी किस्म की कपास पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अमेरिका में गृहयुद्ध छिड़ने के कारण ब्रिटेन को अमेरिका से कपास मिलना बंद हो गया परिणामस्वरूप भारत से कपास का अधिक मात्रा में निर्यात होने लगा। कपास के अभाव में भारतीय बुनकरों को कच्चा माल अधिक कीमत पर लेना पड़ता था जिससे अब कपड़ा बुनना फायदे का सौदा नहीं रहा था।
- भारतीय कारखानों में कपड़े का अत्यधिक उत्पादन होने से लोगों द्वारा कारखानों में निर्मित कपड़ों को पसंद किया जाने लगा। इस प्रकार बुनकर उद्योग नगण्य होता चला गया।
अथवा
19वीं शताब्दी में लंदन को साफ-सुथरा बनाने के लिए अनेक प्रयास किए गए है।
- भीड़-भाड़ वाली बस्तियों से भीड़ को कम करने, खुले स्थानों को हरा-भरा करने, आबादी कम करने के प्रयास किए गए तथा शहरों को योजनाबद्ध ढंग से विकसित किया गया।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन तथा न्यूयार्क जैसे शहरों पर आवासीय बोझ को कम करने के लिए अपार्टमेंट्स के विशाल ब्लॉक स्थापित किए गए।
- आवास की भारी कमी को नियंत्रित करने के लिए किराया नियंत्रण कानून लागू किया गया।
- लंदन के लिए नए ‘फेफड़ों का प्रबंध करने की माँग को उठाया गया। लंदन के इर्द-गिर्द हरित पट्टी विकसित करके देहात तथा शहर की दूरियों को कम करने का प्रयत्न किया गया।
- वास्तुकार एवं योजनाकार एबेनेजर हावर्ड ने ‘गार्डन सिटी’ की अवधारणा को प्रस्तुत किया। गार्डन सिटी पेड़-पौधों से घिरा एक ऐसा सुंदर स्थान था जहाँ लोग रहने के अतिरिक्त काम भी कर सकें। यह माना गया कि ऐसे हरे-भरे स्थान पर बेहतर नागरिक पैदा हो सकते हैं। (कोई तीन)
उत्तर 9.
- मुद्रण क्रांति से पूर्व किताबें न केवल महँगी होती थीं अपितु उन्हें पर्याप्त मात्रा में छापना भी संभव नहीं था। उस समय आम जनता मौखिक संस्कृति में जीती थी। मुद्रण क्रांति के आने से न केवल किताबों के उत्पादन में वृद्धि हुई साथ ही उनकी कीमतों में भी भारी गिरावट हुई। इस क्रांति के कारण किताबों की हर प्रति में लगने वाला श्रम तथा समय भी बहुत कम हो गया। इसका परिणाम यह हुआ कि किताबें समाज के व्यापक वर्गों तक भी पहुँच गईं।
- किताबों तक पहुँच आसान होने के कारण एक नई संस्कृति का विकास हुआ। उस समय साक्षरता दर बहुत कम थी। आम लोग, विशेषकर अनपढ़ लोगों के लिए धार्मिक किताबों तथा गाथा-गीतों का वाचन किया जाता था। लोककिस्से भी उनके लिए बोलकर पढ़े जाते थे। उस समय ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक ही होता था। आम लोग सामूहिक रूप से दास्ताने सुनने अथवा प्रदर्शन देखने जाते थे।
- मुद्रण क्रांति को व्यापक करने के लिए मुद्रकों ने लोकगीत तथा लोककथाओं को छापना शुरू कर दिया। इन किताबों को तस्वीरों के माध्यम से बनाया गया था। इसका मुख्य कारण यह था कि अनपढ़ व्यक्ति भी गाकर पढ़े गए गीतों अथवा कथाओं को सुनकर अपना मनोरंजन कर सकें।
अथवा
जेन ऑस्टिन ने अपने उपन्यासों में 19वीं सदी में ब्रिटेन के महिला जगत को भली प्रकार से समझने तथा उनकी मानसिक भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास किया गया। उन्होंने अपने उपन्यास ‘प्राइड एण्ड प्रेज्युडिस’ में एक ऐसे समाज को चित्रित किया है जहाँ महिलाओं को धनी तथा अधिक ज़मीन-जायदाद वाले वर खोजकर शादियाँ करने के लिए प्रेरित किया जाता था। अतः जेन ऑस्टिन ने अपने उपन्यास में महिला जगत को उनकी भावनाओं, अनुभवों तथा उनकी पहचान से जुड़े मुद्दों को समझा तथा सराहा।। शारलॉट ब्रॉण्ट के सन् 1847 में प्रकाशित उपन्यास ‘जेन आयर’ में जेन को दृढ़ व्यक्तित्व तथा स्वतंत्र विचार रखने वाली महिला के रूप में प्रदर्शित किया गया। उस समय महिलाओं को शांत रहने व शालीन रहने की प्रवृत्ति अपनाने के लिए कहा जाता था। परंतु जेन ने सामाजिक बुराइओं के प्रति अपना विरोध स्वतंत्र रूप से प्रदर्शित किया। अतः इन दोनों उपन्यासों को सहानुभूतिपूर्ण पाठक मिले।
उत्तर 10.
भारत में उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव पढ़ रहा है जिसके कारण कारण निम्नलिखित हैं :
- उद्योगों को स्थापित करने, मशीनों को चलाने तथा वस्तुओं का निर्माण करने के लिए अत्यधिक मात्रा में अलवणीय जल की आवश्यकता होती है।
- अधिकांश मशीनों को चलाने के लिए विद्युत/ऊर्जा की आपूर्ति भी जल विद्युत के माध्यम से होती है। भारत में कुल विद्युत का लगभग 22% भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है।
- शहरों में बढ़ती जनसंख्या तथा लोगों की जीवनशैली के कारण भी जल तथा ऊर्जा की आवश्यकता में बढ़ोतरी हुई है।
- नदियों, तालाबों में घरेलू तथा औद्योगिक अपशिष्ट, रसायन, कीटनाशक तथा कृषि में प्रयुक्त होने वाले उर्वरकों के द्वारा जल दूषित होती है। यह भी जल के अभाव को एक मुख्य कारण है।
उत्तर 11.
इस कथन में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि सघन एवं सक्षम परिवहन का जाल तथा संचार के साधन स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय व्यापार के लिए पूर्व-अपेक्षित है। इसे निम्न कारणों द्वारा सिद्ध किया जा सकता है।
- परिवहन तथा संचार एक-दूसरे के पूरक हैं। इनके अभाव में व्यापार करना संभव नहीं है।
- आज संसार के प्रत्येक क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का आदान-प्रदान एवं वस्तुओं का आयात-निर्यात तीव्र गति वाले परिवहन तथा संचार के साधनों द्वारा आसानी से किया जा सकता है।
- लोगों के जीवन को समृद्ध तथा आरामदायक बनाने के लिए स्थानीय तथा राष्ट्रस्तरीय व्यापार ने अर्थव्यवस्था में काफी सहयोग दिया है।
- रेल परिवहन, वायु परिवहन तथा जल परिवहन-समाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा तथा इंटरनेट आदि (परिवहन तथा संचार) के विकास में अनेक प्रकार से सहायक है।
- इनके विकास के परिणामस्वरूप आज भारत अपने विशाल आकार, भाषाई तथा सामाजिक विविधताओं, सांस्कृतिक बदलावों के बावजूद भी विश्व के सभी क्षेत्रों से सुचारू रूप से जुड़ा हुआ है।
उत्तर 12.
तीसरे प्रकार की शासक व्यवस्था को अधिक प्रभावी तथा शक्तिशाली बनाने के लिए विकेंद्रीकरण की दिशा में 1992 में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए :
- अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से करना संवैधानिक बाध्यता है।
- निर्वाचित स्वशासी निकायों के सदस्य तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों के लिए भी सीटें आरक्षित की गई हैं।
- कम से कम एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए भी आरक्षित की गई हैं।
- प्रत्येक राज्य में पंचायत तथा नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र संस्था का गठन किया गया है।
- राज्य सरकारों को अपने राजस्व तथा अधिकारों का कुछ अंश स्थानीय स्वशासी निकायों को भी देने का प्रावधान किया गया है।
उत्तर 13.
सामाजिक विभाजन की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारक :
1. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना – यदि लोग खुद को विशिष्ट तथा अलग मानने लगते हैं तो अन्य लोगों के साथ तालमेल बिठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। उदाहरणतया उत्तरी आयरलैण्ड के लोग स्वयं को केवल प्रोटेस्टेंट या कैथलिक के रूप में पहचानते थे इसलिए उनकी समस्याएँ हल नहीं हो पा रही थीं। परंतु यदि पहचान राष्ट्रीय स्तर की पहचान की पूरक है तो सब कुछ बहुत आसान हो जाता है। इसके विपरीत भारत के लोग स्वयं को भारतीय कहने में प्राथमिकता देते हैं। तत्पश्चात् उन्हें किसी प्रदेश, क्षेत्र, भाषा समूह, धार्मिक तथा सामाजिक समुदाय में वर्गीकृत किया जाता है।
2. समुदाय की माँगों के प्रति राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण – सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाला दूसरा मुख्य कारक यह है कि विभिन्न राजनीतिक दल समुदाय की माँगों को किस प्रकार उठा रहे हैं। संविधान के अंतर्गत केवल उन्हीं माँगों को स्वीकृति दी जाती है जो देश एवं नागरिकों के कल्याण के लिए हों अथवा जिनकी स्वीकृति से किसी भी समुदाय को ठेस न पहुँचे। श्रीलंका में केवल सिंहली’ की माँग तमिल समुदायों के हितों के विरुद्ध थी।
3. विभिन्न समुदायों की माँगों पर सरकार का रुख – सरकार यदि सत्ता में साझेदारी कर अल्पसंख्यकों की मांगों को मानने को तैयार हो तो सामाजिक विभाजन नहीं होता। परंतु यदि इस प्रकार की माँगों को दबाया जाता है तो सामाजिक विभाजन बढ़ता चला जाता है। श्रीलंका में सरकार ने राष्ट्रीय एकता के नाम पर तमिलों के हितों को दबाया था। इसका परिणाम गृहयुद्ध की स्थिति के रूप में उभरा।
उत्तर 14.
“धर्म-निरपेक्षता कुछ व्यक्तियों या पार्टियों की एक विचारधारा नहीं है, परंतु यह हमारे देश की नींवों में से एक है।” यह कथन बिल्कुल सत्य है। सांप्रदायिकता हमारे देश के लोकतंत्र के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए भारत में धर्मनिरपेक्ष शासन की व्यवस्था की गई है। इसे सफलतापूर्वक चलाने के लिए संविधान में अनेक प्रावधान किए गए हैं जो निम्नलिखित हैं :
- भारत में किसी भी धर्म को राष्ट्रीय धर्म के रूप में स्वीकृति नहीं दी गई है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान में इस्लाम तथा श्रीलंका में बौद्ध धर्म को राष्ट्रीय धर्म माना गया है, परन्तु भारत के संविधान में किसी भी धर्म को विशेष दर्जा नहीं दिया गया।
- भारत के संविधान में विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले सभी नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने तथा उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
- संविधान में धर्म के आधार पर किए गए भेदभाव को अवैधानिक घोषित किया गया है।
- संविधान में धार्मिक समुदायों में समानता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है।
उत्तर 15.
धारणीयता का अर्थ है कि प्रकृति के विभिन्न साधनों का प्रयोग इस प्रकार किया जाए ताकि उसका अस्तित्व समाप्त न हो जाए। धारणीयता विकास का ऐसा स्तर है जिसमें विकास वर्तमान में पर्यावरण को बिना हानि पहुचाएँ तथा साथ ही भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। हमें प्रकृति के संसाधनों को बहुत सावधानी एवं समझदारी से प्रयोग करना चाहिए ताकि उनका लाभ वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होता रहे।
प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कोयला, कच्चे तेल आदि, के भण्डार सीमित तथा अनवीकरणीय हैं अर्थात् इन्हें एक बार प्रयोग करने के पश्चात् प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। हमें प्राकृतिक संसाधनों को मानव शोषण से बचाना चाहिए। इनके दोहने पर रोकथाम लगाना अति आवश्यक है, अन्यथा वर्तमान पीढ़ी के साथ ही आने वाली पीढ़ियों को भी प्राकृतिक संसाधनों के लाभों से वंचित रहना पड़ेगा। ऐसा सम्पूर्ण विश्व के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण होगा। हमें अपने संसाधनों का प्रयोग एक सीमित मात्रा में तथा बड़ी सूझबूझ के साथ करना चाहिए।
उत्तर 16.
उत्तर 17.
ऋण से अभिप्राय उधार लेने से है। यह ऋण देने वाले (ऋणदाता) और ऋण लेने वाले के बीच एक सहमति है जिसमें ऋणदाता अदायगी की शर्तों के अनुसार धन, वस्तु अथवा सेवाओं को ऋणस्वरूप देकर ऋण लेने वाले से भविष्य में ऋण अदायगी का वादा लेता है।
सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज देश के विकास के लिए निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण है :
- सस्ते और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज (ऋण) द्वारा लोगों की आय बढ़ सकेगी जिसके परिणामस्वरूप बहुत से लोग अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सस्ता कर्ज ले सकेंगे।
- सस्ते कर्ज द्वारा किसान उत्तम किस्म के बीजों तथा आधुनिक कृषि उपकरणों को खरीद सकते हैं तथा इनके उपयोग से अच्छी फसल उगा सकते हैं।
- कर्ज सस्ता होने से छोटे व्यवसायी अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं तथा नवीन उद्योगों में भी धन निवेश कर सकते हैं। इसके साथ-साथ सस्ते तथा सामर्थ्य अनुकूल कर्ज कुटीर तथा अन्य गृह उद्योगों के लिए वरदान सिद्ध हो सकते हैं।
उत्तर 18.
उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए जागरूकता फैलाना अति आवश्यक है। उपभोक्ताओं को निम्न तरीकों द्वारा जागरूक किया जा सकता है :
- उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना चाहिए। सरकार विभिन्न जनसंचार साधनों के माध्यम, जैसे-समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, पोस्टर्स आदि, से उपभोक्ताओं के साथ हो रही धोखाधड़ी को उजागर कर उपभोक्ताओं को सजग कर सकती है। उदाहरणस्वरूप, जागो ग्राहक जागो नामक कार्यक्रम के द्वारा जनता को उनके अधिकारों तथा उनके शोषण के प्रति आगाह किया जाता है।
- संविधान में वर्णित उपभोक्ता के विभिन्न अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए उपभोक्ताओं के समक्ष इससे संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
- उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की रक्षा हेतु आवश्यक जानकारी लेने के लिए स्वयं भी आगे आना चाहिए। उपभोक्ता आंदोलन तभी प्रभावकारी हो सकते हैं जब उपभोक्ता उनमें सक्रिय रूप से भाग लें।
उत्तर 19.
यूरोप में 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :
- बाल्कन क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी। इनमें आधुनिक रोमेनिया, बुल्गेरिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मॉन्टिनिग्रो शमिल थे तथा वहाँ के निवासियों को ‘स्लाव’ के नाम से जाना जाता था। बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था।
- बाल्कन क्षेत्र में रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के फैलने और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति बहुत अधिक विस्फोटक हो गई। उसके अधीन विभिन्न यूरोपीय राष्ट्रीयताएँ एक के बाद एक उसके चुंगल से निकल कर स्वतंत्रता की घोषणा करने लगीं।
- बाल्कन लोगों ने आज़ादी या राजनीतिक अधिकारों के अपने दावों को राष्ट्रीयता का आधार दिया। जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की, बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया।
- बाल्कन समस्याओं के अधिक प्रभावी होने के कारण कई प्रतिस्पर्धाएँ सामने आईं। रूस, जर्मनी, इग्लैंड, आस्ट्रो-हंगरी की प्रत्येक ताकत बाल्कन राज्य पर अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थी। जिसके कारण इस इलाके में कई युद्ध हुए और अंततः प्रथम विश्व युद्ध हुआ।
अथवा
धर्म लोगों के सामाजिक तथा सास्कृतिक जीवन पर बहुत गहरी छाप छोड़ता है। वियतनाम पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से फ्रांसीसियों ने वियतनामियों के धर्म संबंधी मामलों में हस्तक्षेप किए जिसके परिणामस्वरूप वियतनाम में उपनिवेशवाद के विरुद्ध भावनाओं के विकास में अनेक धार्मिक आंदोलन हुए।
1. वियतनामियों का धार्मिक विश्वास बौद्ध धर्म, कनफ्यूशियस और स्थानीय रीति-रिवाज़ों पर आधारित था। परंतु फ्रांसीसी मिशनरियों ने वियतनामियों पर ईसाई धर्म को जबरन थोपने का प्रयास किया। परिणाम यह हुआ कि सन् 1868 में एक भयंकर विद्रोह हुआ जिसे स्कॉलर्स रिवोल्ट अर्थात् विद्वानों का विद्रोह के नाम से जाना जाता है। यह आंदोलन फ्रांसीसी उपनिवेशवाद तथा ईसाई धर्म के प्रसार के विरोध में शुरू हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व शाही दरबार के अफसरों के हाथ में था। उन्होंने नगू अन और हातिएन प्रांतों में बगावत का नेतृत्व किया तथा 1,000 से ज्यादा ईसाइयों का कत्ल कर दिया। 17वीं सदी के आंरभ से ही कैथलिक मिशनरी स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ने में लगे हुए थे। उन्होंने लगभग 3,00,000 लोगों को ईसाई बना भी लिया था। इस विद्रोह को भले ही सख्ती से कुचल दिया गया हो परंतु इसके द्वारा फ्रांसीसियों के विरुद्ध देशभक्तों में एक नए उत्साह का संचार हुआ।
2. सन् 1939 में हुइन्ह फू सो नामक आंदोलनकारी ने मेकोंग डेल्टा क्षेत्र में होआ हाओ नामक एक अन्य आंदोलन आंरभ किया। वह जादू-टोना करते थे तथा गरीबों की मदद करते थे। वह बालिका वधुओं की खरीद-फरोख्त, अनावश्यक खर्चे, जुए तथा शराब अफीम व्यापार के विरोधी थे। फ्रांसीसियों ने उनके आंदोलन को दबाने का प्रयास किया तथा उन्हें पागल घोषित करके पागलखाने भेज दिया। परंतु वहाँ जिस डॉक्टर ने उनको पागल प्रमाणित करना था वह उनका अनुयायी बन गया और उसने उन्हें स्वस्थ घोषित कर दिया। अंततः फ्रांसीसी सरकार ने उन्हें लाओस भेज दिया।
उत्तर 20.
शहरों में असहयोग आंदोलन शहरी मध्य वर्ग की हिस्सेदारी के साथ शुरू हुआ।
- हज़ारों विद्यार्थियों ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूल-कॉलेजों का बहिष्कार कर दिया। मुख्याध्यापकों तथा शिक्षकों ने स्कूलों से इस्तीफा दे दिया। वकीलों ने भी मुकद्दमे लड़ना बंद कर दिया।
- मद्रास के अतिरिक्त अधिकतर प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।
- विदेशी वस्तुओं तथा विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया गया। व्यापारियों ने भी विदेशी वस्तुओं का व्यापार करने से मना कर दिया।
आर्थिक क्षेत्र पर इस आंदोलन का व्यापक प्रभाव पड़ा :
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार तथा शराब की दुकानों का घेराव किया गया। विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। सन् 1921 से 1922 तक विदेशी कपड़ों का आयात घटकर लगभग आधा रह गया तथा उसकी कीमत ₹ 102 करोड़ से घटकर ₹ 57 करोड़ रह गई।
- बहुत सारे व्यापारियों ने विदेशी वस्तुओं का व्यापार तथा विदेशी व्यापार में निवेश करने से मना कर दिया।
- आम लोगों ने विदेशी वस्त्रों को त्याग दिया तथा भारतीय कपड़े पहनना शुरू कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कपड़ा मिलों तथा हरकरघों को नया जीवन मिला। खादी काफी लोकप्रिय हुई।
अथवा
गांधीजी के आह्वान पर महिलाओं ने राष्ट्रसेवा को एक पवित्र कर्तव्य माना। परन्तु इससे महिलाओं की स्थिति में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं आया। गांधीजी का मानना था कि घर चलाना, चूल्हा-चौका करना तथा अच्छी माँ व पत्नी की भूमिकाओं का निर्वाह करना ही औरत का प्रमुख कर्त्तव्य है। इसी सोच के चलते लंबे समय तक कांग्रेस संगठन में किसी भी महत्त्वपूर्ण पद पर महिलाओं को जगह देने से हिचकिचाती रही।
महिलाओं का बड़ी संख्या में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेना इसकी एक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी :
- गांधीजी को सुनने के लिए महिलाएँ घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जुलूसों में भाग लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़े का बहिष्कार तथा शराब की दुकानों का घेराव किया। कई महिलाओं को जेल भी भेजा गया।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान ऊँची जाति की महिलाएँ शहरी क्षेत्रों में तथा संपन्न किसान परिवारों की महिलाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय थीं।।
उत्तर 21.
सरकार ने कृषि सुधार के लिए ऑपरेशन फ्लड (हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति) जैसी रणनीति अपनाई परन्तु इसका विकास कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित होने के कारण सरकार ने 1980 व 1990 के दशक में कृषि सुधार के लिए अनेक संस्थागत तथा प्रौद्योगिकीय सुधारों की शुरूआत की जो निम्नलिखित हैं :
- सरकार द्वारा 1980 व 1990 के दशक में व्यापार भूमि विकास कार्यक्रम आरंभ किया गया जो संस्थागत तथा तकनीकी सुधारों पर आधारित था।
- किसानों को बचाने के लिए प्राकृतिक आपदा (सूखा, चक्रवात, बाढ़, आग व बीमारी) की स्थिति में फसल बीमा का प्रावधान किया गया है। किसानों को कम दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण बैंक, सहकारी समिति तथा बैंकों की स्थापना की गई।
- भारत सरकार ने किसानों के हित के किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) तथा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (PAIS) भी आरंभ की है।
- किसानों को कृषि संबंधी शिक्षा देने के लिए आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर कृषि संबंधी कार्यक्रम, जैसे मौसम की जानकारी के बुलेटिन तथा कृषि संबंधी जानकारी आदि, प्रसारित किए जाते हैं।
- किसानों को बिचौलियों तथा दलालों के शोषण से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य तथा फसलों के खरीद मूल्य सरकार द्वारा निश्चित किए जाते हैं।
अथवा
भारत में प्रचलित ‘गहन जीविका कृषि तथा वाणिज्यिक कृषि के मध्य विभेद :
उत्तर 22.
विनिर्माण उद्योग-जो उद्योग कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं काउत्पादन करते हैं, विनिर्माण उद्योग अथवा वस्तु निर्माण उद्योग कहलाते हैं।
उदाहरण – कागज़ लकड़ी से, चीनी गन्ने से, लोहा-इस्पाते लौह अयस्क से तथा एल्युमिनियम बॉक्साइट से बनाया जाता है।
विनिर्माण उद्योग को विशेषतः आर्थिक विकास की रीढ़ निम्नलिखित कारणों से समझा जाता है :
- विनिर्माण उद्योग न केवल कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक हैं, बल्कि ये द्वितीयक व तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध कराकर कृषि पर हमारी निर्भरता को कम करते हैं।
- विनिर्माण उद्योग देश में औद्योगिक विकास, बेरोजगारी में कमी लाने तथा गरीबी उन्मूलन में सहायक सिद्ध हुआ है।
- निर्मित वस्तुओं का निर्यात विदेशी व्यापार को बढ़ाता है जिससे अपेक्षित विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
- आदिवासी तथा पिछड़े हुए क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना करने से धार्मिक असमानताओं को कम किया जा सकता है।
- औद्योगिक विकास देश में आर्थिक समृद्धि लेकर आता है क्योंकि यह कच्चे माल को बहुमूल्य उत्पाद में परिवर्तित कर देता है।
उत्तर 23.
लोकतंत्र में राजनीतिक दल अनेक कार्य करते हैं। इनके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :
- जनमत का निर्माण – राजनीतिक दल देश की समस्याओं को स्पष्ट करके जनता के समक्ष रखते हैं जिससे जनमत के निर्माण में सहायता मिलती है।
- नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा – प्रत्येक राजनीतिक दल देश की समस्याओं तथा उनके समाधान के बारे में अपनी नीति तैयार करता है।
- चुनाव लड़ना – राजनीतिक दल चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं तथा उनको विजयी बनाने हेतु चुनाव प्रचार करते हैं। जिसमें प्रत्येक दल विभिन्न माध्यमों द्वारा अपनी नीतियों को जनता तक पहुँचाते हैं। तथा अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हैं।
- सरकार बनाना – चुनाव में जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है वह दल सरकार का गठन करता है एवं देश का शासन चलाता है।
- जनता तथा सरकार के बीच कड़ी – राजनीतिक दल जनता तथा सरकार के बीच कड़ी का काम करते हैं। वे जनता की माँगों को सरकार के समक्ष रखते हैं तथा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जनता को अवगत करवाते हैं।
उत्तर 24.
नागरिक की गरिमा और आज़ादी को सुरक्षित रखने के लिए लोकतंत्र अति महत्त्वपूर्ण है।” यह कथन निम्नलिखित कारणों से सिद्ध होता है :
- लोकतंत्र लोगों का शासन है। शासन की शक्तियाँ जनता में निहित होती हैं। इसमें समस्त जनता की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उन्नति की जाती है। किसी विशेष वर्ग के हितों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता।
- लोकतंत्र समानता पर आधारित होता है। प्रत्येक व्यक्ति को शासन में भाग लेने का अधिकार होता है। जाति, धर्म, जन्म, वंश आदि का कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
- स्वतंत्रता भी लोकतंत्र का महत्त्वपूर्ण गुण है। समुदाय बनाने, धर्म के अनुसार पूजा-पाठ करने, भाषण देने, प्रेस आदि की स्वतंत्रता सबको प्राप्त होती है।
- लोकतंत्र में लोग कानूनों का पालन स्वाभाविक रूप से करते हैं। जनता स्वयं ही कानून बनाती है अथवा जनता की इच्छानुसार उनके चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा कानूनों का निर्माण किया जाता है।
- लोकतंत्र प्रगतिशील सरकार है। इसमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक सुधार किए जाते हैं। जनता के प्रतिनिधि इस बात का प्रयास करते हैं कि शासन में अधिक से अधिक सुधार किए जाएं, जिससे राजनीतिक और सामाजिक बुराइयों को दूर किया जा सके।
अथवा
लोकतंत्र द्वारा विभिन्न सामाजिक विविधताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए कई स्थितियों का होना अनिवार्य है। लोकतंत्र का सीधे-सीधे अर्थ केवल बहुमत की राय से शासन करना नहीं है। बहुमत को सदा ही अल्पमत का ध्यान रखना होता है। तभी, सरकार जन-सामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व कर पाती है। बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल अथवा भाषायी आधार के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं होता। बहुमत के शासन का अर्थ होता है कि इसके प्रत्येक फैसले या चुनाव में अलग-अलग लोग और समूह बहुमत का निर्माण कर सकते हैं या बहुमत में हो सकते हैं। लोकतंत्र तभी तक लोकतंत्र रहता है जब तक प्रत्येक नागरिक को किसी न किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बनने का अवसर मिलता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
उत्तर 25.
विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में निम्न प्रकार से सहायक है :
- विदेशी व्यापार अपने देश के बाजारों के साथ-साथ शेष विश्व के बाजारों में भी अपनी वस्तुएँ तथा सेवाएँ प्रदान करने के लिए उत्पादकों को अवसर उपलब्ध करवाता है।
- विदेशी व्यापार के कारण ही उत्पादक अपने देश के बाजारों के साथ ही विदेशी बाजारों में विदेशी कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
- विदेशी व्यापार विदेशों से वस्तुएँ आयात करके उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं में चुनाव के अनेक विकल्प उपलब्ध करवाने में भी सहायक होता है।
- विदेशी व्यापार के कारण ही एक देश की वस्तुओं का किसी विदेशी बाज़ार में सरलता से आवागमन होता है। उपभोक्ता को एक ही स्थान पर अपने देश से हजारों मील दूर देशों की वस्तुएँ उपलब्ध हो जाती हैं।
उदाहरणस्वरूप, भारतीय बाजार में असंख्य ब्रांड्स के जूते एवं चप्पलें उपलब्ध हैं। एक उपभोक्ता, जिसे अंतर्राष्ट्रीय प्रवृत्तियों का पूर्ण ज्ञान है, किसी भी स्थानीय ब्रांड जैसे बाटा, लखानी आदि और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड जैसे रिबोक, नाइकी, एडीडास आदि के जूते-चप्पलों के बीच चुनाव कर अपनी पसंद के जूते एवं चप्पल खरीद सकता है।
अथवा
वैश्वीकरण के भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़े :
- वैश्वीकरण के कारण शिक्षित, कुशल तथा धनी लोगों को बहुत लाभ हुआ :
- देसी तथा विदेशी उत्पादकों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं, विशेषकर धनी वर्ग, को बहुत फायदा हुआ है। धनी लोग कम कीमत पर अच्छी किस्म के कई उत्पादों को खरीद कर एक उच्च जीवन
स्तर का आनंद उठाते हैं। - बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में पिछले 20 वर्षों में मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, शीतल पेय, फास्ट फूड तथा बैंकिंग सेवाओं आदि में अपने निवेश में बहुत वृद्धि की है।
- इन सभी उद्योगों तथा सेवा क्षेत्रों में नए अवसरों का सृजन हो रहा है।
- बड़ी भारतीय कम्पनियों को इस प्रतिस्पर्धा ने बहुत लाभ पहुँचाया है। अब वे भी नवीन प्रौद्योगिकी तथा उत्पादन विधियों में निवेश कर रहे हैं।
- कुछ भारतीय कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों के साथ सफल सहभागिता कर लाभ अर्जित किया है। वैश्वीकरण के कारण कुछ भारतीय कम्पनियाँ बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ बन कर उभरी हैं।
- देसी तथा विदेशी उत्पादकों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं, विशेषकर धनी वर्ग, को बहुत फायदा हुआ है। धनी लोग कम कीमत पर अच्छी किस्म के कई उत्पादों को खरीद कर एक उच्च जीवन
- हालांकि, उत्पादकों और मज़दूरों के बीच वैश्वीकरण समान नहीं है। छोटे उत्पादकों, कुटीर उद्योगों और मजदूरों को वैश्वीकरण से हानि हुई है :
- वैश्वीकरण ने कई छोटे उत्पादकों, कुटीर उद्योगों और मजदूरों के सामने एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के चलते ये छोटे उद्योग अब खत्म होते जा रहे हैं। अत: इनमें लगे लोगों के सिर पर बेरोजगारी का खतरा मंडराने लगा है। (भारतीय लघु उद्योगों में लगभग 20 लाख मज़दूर कार्यरत है।)
- प्रतिस्पर्धा के दबाव के कारण नियोक्ता मजदूरों को स्थायी आधार पर रोज़गार नहीं देते जिससे वे मजदूरों को साल भर के लाभ देने से बच जाते हैं।
- मजदूरों की नौकरियाँ अब सुरक्षित नहीं रह गई हैं। उनका वेतन बहुत कम है जिससे उन्हें पर्याप्त पैसा कमाने के लिए काम के घंटे बढ़ाने पड़ते हैं।
अतः एक ऐसे ‘न्यायसंगत वैश्वीकरण’ की आवश्यकता है जिसके द्वारा नियोक्ताओं और मजदूरों को समान लाभ मिल सकें।
उत्तर 26.
- जहाँ नील की खेती करने वाले किसानों ने सत्याग्रह किया था- बिहार (चम्पारण)
- जहाँ गांधीजी ने नमक कानून तोड़ा था- गुजरात (डांडी)
- जहाँ राजा साँसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई-पत्तन स्थित है- पंजाब (अमृतसर)
- जहाँ सलेम लोहा एवं इस्पात संयंत्र स्थित है- तमिलनाडु
- जहाँ नरोरा आणविक ऊर्जा संयंत्र स्थित है- उत्तरप्रदेश
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