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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2

CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2.

CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2

Board CBSE
Class IX
Subject Hindi A
Sample Paper Set Paper 2
Category CBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme, as prescribed by the CBSE, is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A is given below with free PDF download solutions.

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैंक, ख, ग और घ।
  • चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

खंड {क} अपठित बोध [ 15 अंक ]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

भारत एक बड़ा देश है। बहुसांस्कृतिक, बहुजातीय, बहुभाषीय लोगों का देश। हर हिस्से के अलग रीति-रिवाज़, पोशाक की विभिन्नताएँ आदि मौजूद हैं, लेकिन देश के किसी हिस्से में भी चले जाइए, सारी विभिन्नताओं के बीच एक समानता ज़रूर है-सोने को लेकर गज़ब का प्यार। सौभाग्य का प्रतीक है-सोना। हमारी परंपराओं, मान्यताओं, रीति-रिवाज़ों, त्योहारों और संस्कारों से जुड़ा हुआ। युगों-युगों से ये हमें सम्मोहित करता रहा है। गज़ब की कशिश है इसकी चमक में, न जाने क्या जादू है इसमें। यह शुद्ध है, कालजयी, अजर और अमर है। हिंदुओं की मान्यता है कि सोना भगवान सूर्य का अंग है। उनकी अश्रुधारा से निकला हुआ, इसलिए उन्हीं के समान तेजवान और तीव्र ओज से भरपूर है। वैसे सोना न जाने कितनी पीढ़ियों से विरासत की भूमिका निभाता आ रहा है। माँ से बेटी और फिर इस तरह आगे की पीढ़ियों तक। यह महज़ एक धातु नहीं, बल्कि जीवन का एक हिस्सा है। सुख-दु:ख का साथी। हमेशा संबल और आत्मविश्वास देने वाला। ये राजाओं का प्यारा रहा और रंकों का भी तथा आध्यात्मिकता से भरपूर महात्माओं का भी।

(क) भारत देश कैसा देश है तथा भारत देश की विभिन्नताओं के बीच समानता को स्पष्ट कीजिए?
(ख) सोना किसका प्रतीक है व क्यों?
(ग) सोना अनेक पीढ़ियों से कौन-सी भूमिका निभाता आ रहा है व कैसे?
(घ) ‘रीति-रिवाज़’ में कौन-सा समास है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

देशप्रेम के ओ मतवालो, उनको भूल न जाना।
महाप्रलय की अग्रि-साध लेकर जो जग में आए,
विश्व बली शासन के भय जिनके आगे मुरझाए।
चले गए जो शीश चढ़ाकर अर्घ्य लिए प्राणों का,
चलें मज़ारों पर हम उनके आज प्रदीप जलाएँ।
टूट गईं बंधन की कड़ियाँ, स्वतंत्रता की बेला,
लगता है मन आज हमें कितना अवसन्न अकेला।
पंथ चिरंतन बलिदानों का विप्लव ने पहचाना,
देशप्रेम के ओ मतवालो, उनको भूल न जाना।

(क) काव्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बंधन की कड़ियाँ किस प्रकार टूटीं?
(ख) प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।

जीत गए हम, जीता विद्रोही अभिमान हमारा,
प्राणदान विक्षुब्ध तरंगों को मिल गया किनारा।
उदित हुआ रवि स्वतंत्रता का व्योम उगलता जीवन,
आज़ादी की आग अमर है, घोषित करता कण-कण,
कलियों के अधरों पर पलते रहे विलासी कायर,
उधर मृत्यु पैरों से बाँधे, रहा जूझता यौवन।
उस शहीद यौवन की सुधि हम क्षण भर को न बिसारे,
उसके पगचिह्नों पर अपने मन के मोती वारें।

(ग) “देशप्रेम के ओ मतवालो” कहकर किसकी ओर संकेत किया गया है?
(घ) आज़ादी के गीत कौन गाता रहा?
(ङ) “विक्षुब्ध’ का समानार्थी शब्द लिखिए।

खंड {ख} व्याकरण [ 15 अंक ]

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

(क) “प्रत्युपकार’ में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए।
(ख) ‘सु’ उपसर्ग लगाकर दो शब्द लिखिए।
(ग) “राजनैतिक’ में मूल शब्द और प्रत्यय अलग कीजिए।
(घ) “औना’ प्रत्यय लगाकर दो शब्द लिखिए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

(क) ‘भाई और बहन’ को समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए।
(ख) प्रतिदिन’ में समास-विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए।
(ग) ‘दोपहर’ का समास-विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में वाक्य-भेद बताइए

(क) यदि वह गया तो मैं चला आऊँगा।
(ख) वह जूते खरीदने के लिए बाज़ार नहीं गया।
(ग) क्या सुंदर उद्यान है!
(घ) तुमने मुझे क्यों नहीं बुलाया?

प्रश्न 6.
निम्नलिखित काव्यांशों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए

(क) रसवती रसना करके कही, कथित की कथनीय गुणावली।
(ख) कनक-कनक तै सौ गुनी, मादकता अधिकाय। या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।
(ग) चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहुँ ओर। सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
(घ) वह शर इधर गांडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ। धड़ से जयद्रथ को उधर सिर छिन्न से वैसे ही हुआ।

खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [ 30 अंक ]

प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

टोपी आठ आने में मिल जाती है और जूते उस ज़माने में भी पाँच रुपये से कम में क्या मिलते होंगे। जूता हमेशा टोपी से कीमती । रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। तुम भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे। यह विडंबना मुझे इतनी तीव्रता से पहले कभी नहीं चुभी, जितनी आज चुभ रही है, जब मैं तुम्हारा फटा जूता देख रहा हूँ। तुम महान् कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, जाने क्या-क्या कहलाते थे, मगर फोटो में भी तुम्हारा जूता फटा हुआ है।

(क) जूते व टोपी को किसका प्रतीक माना जाता है तथा इसके माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
(ख) “प्रेमचंद न जाने क्या-क्या कहलाते थे” पंक्ति के माध्यम से लेखक ने क्या स्पष्ट करना चाहा है?
(ग) लेखक को किसकी और कौन-सी बात चुभ रही है?

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

(क) सालिम अली की दृष्टि में पक्षियों एवं प्रकृति को मनुष्य की दृष्टि से देखना उसकी भूल क्यों है?
(ख) ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर कांजीहौस में पशुओं के साथ होने वाले व्यवहार को अपने शब्दों में लिखिए।
(ग) “शायद वह सपना सत्य हो जाता तो भारत की कथा कुछ और होती।”—यहाँ लेखिका ने भारत की किस कथा के विषय में बात की है? ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(घ) प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में एक स्थान पर लेखक ने लिखा है–विचित्र है यह अधूरी मुस्कान। प्रेमचंद की इस मुस्कान के अधूरे होने का कारण स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए।

हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहे कबीर सो जीवता, जो दुहँ के निकट न जाइ।

(क) कबीर ने हिंदू और मुसलमान दोनों को मृत क्यों कहा है?
(ख) कबीर के अनुसार कौन व्यक्ति जीवित है?
(ग) उपरोक्त साखी में किस बात की निंदा की गई है?

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

(क) “मेघ आए’ कविता में गाँव की ‘किशोर-कन्या’ किसका प्रतीक है? स्पष्ट कीजिए।
(ख) कवि ने कोयल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?
(ग) कवि ने प्रत्येक दिशा को मृत्यु की दिशा कहा है, क्या इसके सामने समर्पण कर देना उचित है? ‘यमराज की दिशा’ नामक कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
(घ) चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता का मुख्य भाव अपने शब्दों में लिखिए।

प्रश्न 11.
‘मेरे संग की औरतें पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि सद्व्यवहार और आत्मीयता से क्या किया जा सकता है? लेखिका की परदादी ने चोर के साथ क्या किया?
अथवा
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के माध्यम से लेखक समाज में व्याप्त किन विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता है?

खंड {घ} लेखन [ 20 अंक ]

प्रश्न 12.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 200-250 शब्दों में एक निबंध लिखिए

1. स्वदेश प्रेम

संकेत बिंदु

  • देश-प्रेम का अर्थ
  • स्वदेश प्रेम का स्वरूप
  • नागरिकों का कर्तव्य
  • स्वदेश प्रेम की आवश्यकता
  • उपसंहार

2. गाँवों का देश : भारत

संकेत बिंदु

  • गाँवों को देश से तात्पर्य
  • भारतीय गाँवों का चित्रण
  • गाँवों का वर्तमान स्वरूप
  • उपसंहार

3. जीवन में खेलों का महत्त्व

संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • खेलों के लाभ
  • खेलों का महत्त्व
  • उपसंहार

प्रश्न 13.
दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण 15 दिनों के अवकाश हेतु प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
अथवा
अपने मित्र को निबंध प्रतियोगिता में प्रथम आने पर बधाई-पत्र लिखिए।

प्रश्न 14.
आप शोभित हैं और अपने पिताजी से अपने विद्यालय की ओर से भ्रमण पर जाने के लिए अनुमति देने के लिए कह रहे हैं। उनसे हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
अथवा
‘स्वतंत्रता दिवस’ पर माँ और बेटे के मध्य होते संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

जवाब

उत्तर 1.
(क) भारत एक विस्तृत एवं व्यापक देश है। यहाँ बहुसांस्कृतिक, बहुजातीय, बहुभाषीय लोगों का वास है। भारत के प्रत्येक भाग में अलग रीति-रिवाज़, परिधान की विभिन्नताएँ आदि देखने को मिलती हैं, किंतु यहाँ विभिन्नताओं के होते हुए भी एक समानता देखने को मिलती है और वह समानता है। सोने के प्रति अनन्य प्रेम है।

(ख) सोना सौभाग्य का प्रतीक है। यह हमारी मान्यताओं, परंपराओं, रीति-रिवाज़ों, त्योहारों और संस्कारों से जुड़ा हुआ है। युगों-युगों से यह हमें सम्मोहित करता रहा है। इसकी चमक में एक विशेष प्रकार की आभा है। यह शुद्ध तथा नष्ट न होने वाला है।

(ग) सोना न जाने कितनी पीढ़ियों से धरोहर की भूमिका निभाता आ रहा है। माँ से बेटी और फिर इस प्रकार आगे की पीढ़ियों तक चलता रहता है। यह जीवन का एक भाग एवं सुख दुःख का साथी है।

(घ) ‘रीति-रिवाज’ में1 ‘द्वंद्व समास’ है। जिस समास में दोनों पद सामान्यतः प्रधान होते हैं तथा समुच्चयबोधक अव्यय का लोप कर दिया जाता है वहाँ द्वंद्व समास होता है। यहाँ रीति (पूर्वपद) रिवाज (उत्तरपद) दोनों ही प्रधान हैं तथा समुच्चयबोधक अव्यय ‘और’ का लोप है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘सौभाग्य का प्रतीक सोना ही होगा।

उत्तर 2.
(क) आज़ादी की लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान करने वाले शहीदों के कारण ही हमारी बंधन की कड़ियाँ टूटी हैं। उनके साहस व शक्ति से ही हम आज अपने देश में आज़ादी की साँस ले रहे हैं।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि हमें शहीदों का स्मरण करते रहना चाहिए। उन्होंने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए हमें परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराया तथा हमें सदैव उनके पदचिह्नों पर चलते रहना चाहिए।

(ग) “देश प्रेम के ओ मतवालो” कहकर देश के शहीदों की ओर संकेत किया गया है।

(घ) आज़ादी के गीत देशप्रेमी नवयुवक निर्भय भाव से गा रहे हैं।

(ङ) अशांत, अस्थिर।

उत्तर 3.

(क) प्रति-उपसर्ग; उपकारं-मूल शब्द
(ख) सुजान, सुरुचि
(ग) राजनीति-मूल शब्द; इक-प्रत्यय
(घ) बिछौना, खिलौना

उत्तर 4.

(क) भाई बहन – द्वंद्व समास
(ख) प्रत्येक दिन – अव्ययीभाव समास
(ग) दो पहरों का समूह – द्विगु समास

उत्तर 5.

(क) संकेतवाचक वाक्य
(ख) निषेधवाचक वाक्य
(ग) विस्मयवाचक वाक्य
(घ) प्रश्नवाचक वाक्य

उत्तर 6.
(क) अनुप्रास अलंकार यहाँ ‘र’ तथा ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

(ख) यमक अलंकार यहाँ ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे कनक का अर्थ-धतूरा है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।

(ग) श्लेष अलंकार यहाँ ‘सुबरन’ के तीन अर्थ हैं- सुंदर अक्षर, सुन्दर चेहरा और स्वर्ण। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

(घ) अतिशयोक्ति अलंकार अर्जुन के गांडीव से तीर निकलकर जैसे ही अलग हुआ, वैसे ही जयद्रथ का सिर धड़ से कटकर अलग हो गया। यहाँ प्रस्तुत प्रसंग का वर्णन बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है। अतः यहाँ \ अतिशयोक्ति अलंकार है।

उत्तर 7.
(क) टोपी को मान और सम्मान का एवं जूते को शक्ति और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। इसके माध्यम से लेखक यह स्पष्ट करता है कि दुर्भाग्यवश शक्ति और संपन्नता हमेशा मान और सम्मान पर भारी पड़ती हैं।

(ख) लेखक प्रेमचंद के बारे में कहता है कि वह महान् कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, न जाने क्या-क्या कहलाते थे। इसके माध्यम से लेखक यह स्पष्ट करना चाहता है कि प्रेमचंद के जीवन की यथार्थ स्थिति उनकी लोकप्रियता एवं महान् व्यक्तित्व के बिलकुल विपरीत थी।

(ग) लेखक को प्रेमचंद जैसे महान् साहित्यकार की दयनीय आर्थिक स्थिति की यथार्थता चुभ रही है।

उत्तर 8.
(क) सालिम अली की दृष्टि में पक्षियों एवं प्रकृति को मनुष्य की दृष्टि से देखना मनुष्य की भूल है, क्योंकि वह पक्षी जगत की संवेदनाओं और प्रकृति के सौंदर्य को भावना के स्तर पर नहीं देख पाता। वह स्वार्थवश अपने हित और लाभ के सीमित परिवेश में जकड़ा रहता है। इसलिए वह न तो पक्षियों से प्रेम कर पाता है और न प्रकृति के सौंदर्य को अनुभव करके रोमांचित हो पाता है।

(ख) कांजीहौस में पशुओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार होता था। सारा दिन बीत जाने के बाद भी खाने को एक तिनका तक नहीं मिलता था। सभी पशु ज़मीन पर मृतकों की भाँति पड़े रहते थे। कुछ न मिलने पर कांजीहौस के पशु दीवार की मिट्टी ही चाटते रहते थे, लेकिन इससे पेट तो नहीं भर सकता था। दिनभर में एक बार पीने के लिए पानी की व्यवस्था कर दी जाती थी। वहाँ बंद सभी पशुओं को मोटी रस्सी से बाँधकर रखा जाता था।

(ग) लेखिका महादेवी वर्मा ने अपने समय की सांप्रदायिक सद्भावना और पारस्परिक मेलजोल को याद करते हुए कहा है कि आज वह सब सपने जैसा लगता है। शायद वह सपना सत्य हो जाता, तो भारत की कथा कुछ और होती। लेखिका के समय में सभी धर्मों के लोग मिल-जुल कर रहते थे। यदि भारत अपनी इसी सांस्कृतिक धरोहर के साथ आगे बढ़ता तो निश्चय ही भारत की स्थिति आज कुछ और होती।

(घ) लेखक हरिशंकर परसाई को प्रेमचंद की मुसकान विचित्र लगती है और अधूरी भी, क्योंकि लेखक को उसमें उपहास और व्यंग्य दिखता है। प्रेमचंद की मुसकान के अधूरे होने का कारण आर्थिक विपन्नता थी एक ओर तो प्रेमचंद आर्थिक अभाव से जा रहे हैं, परंतु फिर भी वह दूसरों पर हँस रहे हैं। साथ ही प्रेमचंद की अंतर्भेदी सामाजिक दृष्टि आज की दिखावे की प्रवृत्ति एवं अवसरवादिता पर व्यंग्य है।

उत्तर 9.
(क) कबीर ने हिंदू और मुसलमान दोनों को मृत इसलिए कहा है, क्योंकि दोनों अपने-अपने ईश्वर को सर्वश्रेष्ठ मानने के लिए इतने कठोर हो गए हैं कि भेदभाव के व्यूह में पड़कर मनुष्यता को ही भूल गए हैं।

(ख) कबीर के अनुसार, वही व्यक्ति सच्चा साधक होकर जीवित है, जो सांप्रदायिक भेदभाव, धार्मिक अंधविश्वासों, हिंदू-मुस्लिम के भेदभाव और कटुता आदि मार्गों से दूर रहता

(ग) कबीर द्वारा रचित इस साखी में सांप्रदायिक भेदभाव तथा धार्मिक अंधविश्वासों की निंदा की गई है।

उत्तर 10.
(क) ‘मेघ आए’ कविता में गाँव की किशोर कन्या आँधी का प्रतीक है, जो बादल रूपी पाहुन (मेहमान) के आने की सूचना देने के लिए अपना घाघरा उठाकर तेज़ी से दौड़ने लगती है। यहाँ आँधी का मानवीकरण किया गया है।

(ख) कवि ने कोयल के बोलने की अनेक संभावनाएँ बताई हैं।

  • जैसे वह किसी का संदेश लेकर आई हो।
  • जैसे वह पागल हो गई है, जो आधी रात को चीख रही
  • वह कैद स्वतंत्रता सेनानियों के दुःख से पीड़ित है।
  • वह स्वतंत्रता सेनानियों में उत्साह भर रही है।

(ग) वर्तमान समय में कवि ने प्रत्येक दिशा को मृत्यु की दिशा कहा है, क्योंकि आज चारों ओर अन्याय, दुराचार, शोषण आदि का वर्चस्व स्थापित हो चुका है। इन सबके सामने समर्पण करना उचित नहीं है। हमें इनका विरोध करना चाहिए, क्योंकि ये मानवता के विकास में बाधक हैं।

(घ) चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने गाँव के प्राकृतिक सौंदर्य का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। उन्हें गाँव की भूमि व्यापारिक नगर से अधिक प्रिय लगती है। इस कविता में कवि ने अलसी, सरसों, चने आदि को मानवीकरण करते हुए उनका बहुत सजीव वर्णन किया है।

उत्तर 11.
सद्व्यवहार और आत्मीयता से किसी को भी सही मार्ग पर लाया जा सकता है; जैसे-लेखिका की परदादी ने चोर का हृदय परिवर्तन किया। चोर के आने पर उन्होंने शोर नहीं मचाया, अपितु उससे पानी पिलाने के लिए कहा और अपना खाली लोटा उसे पकड़ा दिया। कुएँ से पानी भरने के लिए कहते हुए उन्होंने उसे सुझाव दिया कि लोटे के मुँह पर कपड़ा कसकर बाँधना और तरीके से छानना। इस प्रकार लेखिका की परदादी ने उससे (चोर) माँ-बेटे का संबंध स्थापित कर उसे सही कार्य पर लाने का प्रयास किया। जिसके परिणामस्वरूप उस चोर ने चोरी छोडकर कृषि का कार्य अपना लिया। इस प्रकार मनुष्य की बुरी प्रवृत्तियों को दूर करने के लिए डर नहीं, अपितु आत्मीय संबंध उपयुक्त होते हैं, जिससे उसके विचारों को सरलती से परिवर्तित किया जा सकता है।
अथवा
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के माध्यम से लेखक समाज से पुरुषवादी मानसिकता को निकाल फेंकना चाहता है। पुरुषवादी मानसिकता के कारण ही हमारा समाज प्रगति की दिशा में अग्रसर नहीं हो रहा, बल्कि अन्य देशों की तुलना में पिछड़ता भी जा रहा है। हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय है। लड़कों व लड़कियों में भेदभाव किया जाता है। लड़कियों को सभी प्रकार के अधिकारों से वचित रखा जाता है, उन्हें विभिन्न प्रकार के सामाजिक बंधनों में बाँधकर रखा जाता हैं, उन्हें किसी भी प्रकार का निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती, साथ ही विभिन्न प्रकार के नियम भी उन पर लागू किए जाते हैं। इस प्रकार लेखक इस पाठ के माध्यम से समाज में व्याप्त विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता है, साथ ही महिलाओं को पूर्ण एवं स्वतंत्र रूप से जीने पर भी बलं देता है, जिससे एक स्वस्थ समाज की रचना तथा समाज का विकास किया जा सके।

उत्तर 12.
(क) स्वदेश प्रेम

देश प्रेम का अर्थ देश प्रेम का अर्थ है-देश से लगाव, देश के प्रति अपनापन। व्यक्ति जिस देश में जन्म लेता है, जिसमें रहता है। उसके प्रति लगाव होना स्वाभाविक है। हम जिस देश या समाज में जन्म लेते हैं, उसकी उन्नति में समुचित सहयोग देना हमारा परम कर्तव्य बनता है। स्वदेश के प्रति यही कर्तव्य-भावना इसके प्रति प्रेम अर्थात् स्वदेश प्रेम या देश-भक्ति का मूल स्रोत है।

स्वदेश प्रेम का स्वरूप इस देशप्रेम का सच्चा स्वरूप यही है कि हम अपने देश को अपना समझें, उसकी सांस्कृतिक परंपराओं, आचार-विचार, रहन-सहन और वेशभूषा के प्रति आस्थावान बनें। देश की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा और देश की शक्ति को अपनी शक्ति के रूप में समझें। ऐसे कार्य करें, जिनसे राष्ट्र का हित हो, राष्ट्र की सुख और शांति में अभिवृद्धि हो।

नागरिकों का कर्तव्य यदि कोई बाहरी शक्ति हमारे देश पर अपनी लोलुप (लालच) दृष्टि डाले, हमारी मातृभूमि पर अधिकार करना चाहे, तो हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए विदेशी आक्रमणकारियों का पूरी शक्ति से प्रतिरोध करें। अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से पहले राष्ट्र के हित को स्थान दें, क्योंकि व्यक्ति से पहले राष्ट्र है। अतः राष्ट्र के लिए तन-मन-धन सबका बलिदान कर देना हमारा प्रथम कर्तव्य है।

स्वदेश प्रेम की आवश्यकता स्वदेश प्रेम के लिए यह भी आवश्यक है कि हम अपने संपूर्ण राष्ट्र को अपना घर समझे। हमारा प्रेम केवल अपने ग्राम, नगर या प्रांत तक ही सीमित न हो, अपितु सारे देश के लिए प्रेम का भाव हमारे हृदय में होना चाहिए। राष्ट्र के किसी कोने पर यदि संकट के बादल मँडराते हैं, तो इस संकट को अपना संकट समझकर हमें उसके निवारण के लिए सुदृढ़ता से तत्पर रहना चाहिए। प्राचीनकाल में हमारे देश की

अवनति का मूल कारण यही था कि देश के नागरिकों ने कभी। स्वदेश प्रेम के महत्त्व को नहीं समझा। इस अमूल्य धरोहर का सच्चा उपयोग तभी संभव है, जब हमारा प्रत्येक कार्य स्वदेश प्रेम की भावना से परिपूर्ण हो। सत्य यही है कि वही देश उन्नति के शिखर पर पहुँचता है, जहाँ के निवासी स्वदेश प्रेम की महिमा को समझते हैं, स्वदेश की उन्नति में अपनी उन्नति तथा अवनति में अपनी अवनति समझते हैं।

उपसंहार हमें यह भी सोचना है कि हमारा स्वदेश प्रेम अन्य देशों की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा न बने। हमारा ध्येय तो यह होना चाहिए कि सभी देश सुखी और संपन्न बनें और वहाँ के निवासी स्वदेश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने-अपने राष्ट्र की उन्नति में हाथ बटाएँ। स्वदेश प्रेम का यही सच्चा रूप है, यही उसका आदर्श है।

(ख) गाँवों का देश : भारत

भारतमाता ग्रामवासिनी।
खेतों में फैला दृग श्यामल
शस्य भरा जन-जीवन आँचल
गंगा-यमुना में शचि श्रम जले
शीलमूर्ति सुख-दुःख उदासिनी।

गाँवों का देश से तात्पर्य भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है। यहाँ लगभग साढे पाँच लाख गाँव हैं। गाँवों में खेत हैं। गाँवों में भारतीय संस्कृति की लंबी परंपरा का इतिहास है। भारत गाँवों का देश है। यहाँ की 70% जनसंख्या आज भी गाँवों में निवास करती है। हमारे गाँव सभ्यता और संस्कृति के वाहक हैं। गाँवों का जीवन स्वच्छ, प्रदूषण रहित तथा कृषि आधारित है। अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं। किसान ही गाँवों के स्वरूप का निर्धारण करते हैं। चिलचिलाती धप, आँधी और वर्षा में भी किसान कर्मरत रहते है। सुबह से शाम तक मेहनत करने वाले किसान खेतों में काम करते हैं। वे कृषिजन्य उत्पादों पर ही निर्भर करते हैं। खेतों में चलते ट्यूबवेल, बहती नालियाँ और नालियों में दौड़ती ठंडा पानी जिस शीतलता की अनुभूति कराता है, वहीं गाँवों की चेतना का निर्माण करते हैं।

भारतीय गाँवों का चित्रण मेरा गाँव शहर के कोलाहल से दूर एक ऐसी संस्कृति का आभास कराता है, जो शहरों में प्रायः अनुपस्थित है। शहर से मेरा गाँव 20 किमी की दूरी पर है। एक चौड़ी सड़क शहर को गाँव से जोड़ती है। गाँव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि पहले लोग शहर तक पैदल या बैलगाड़ियों से आते-जाते थे, पर मैंने कभी इस प्रकार यात्रा नहीं की है। टैक्सी तथा बसे गाँव से शहर तक यात्रियों को ले जाती हैं। शहर से गाँव तक की सड़क अब पक्की है, पहले शायद ऐसी सड़क नहीं थी। सड़क के दोनों ओर घने पेड़ों की छाया है। गाँव के बाहर एक चौराहा है, जहाँ पंद्रह-बीस दुकानें हैं। गाँव में लगभग दो सौ घर हैं। अधिकांश घर पक्के हैं। गरीबों को पक्के आवास बनाने के लिए प्राप्त सरकारी सहायता के बाद फूस- मिट्टी के घर पुराने दिनों की बातें हो गई हैं। पेयजल के लिए सरकारी नलकूप लगा दिए गए हैं। सोलर लैंपों से रात को रोशनी फैल जाती है। गाँवों का चेहरा बदल रहा है, पर आत्मा नहीं बदली।

गाँवों का वर्तमान स्वरूप गाँव में अब काफी परिवर्तन हुए हैं तथा सरकार की नीतियों ने गाँव की समस्याओं को कम किया है। कीचड़ से भरी सड़कों की जगह पक्की सड़कें, चिकित्सा के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा शिक्षा के लिए विद्यालयों की स्थापना हुई है, परंतु बेकारी और गरीबी का संजाल अब भी व्याप्त है। आर्थिक विषमता ने गाँवों में दुविधाएँ उत्पन्न की हैं। लोग पहले संवेदना और सामाजिकता के स्तर पर जुड़ते थे, अब आर्थिक आवश्यकताओं से संबंध परिभाषित होने लगे हैं।

गाँव में शांति है, अपराध कम हैं, लेकिन गाँव राजनीति की युद्धभूमि बनते जा रहे हैं। राजनीतिक दलों ने अपने लाभ के लिए लोगों को बाँट दिया है। जातिवाद और संप्रदायवाद का बोलबाला गाँवों में अधिक है। पहले गाँव में निवास करने वाली जातियाँ सामाजिकता का निर्माण सहयोग के आधार पर करती थीं, किंतु अब ईष्र्या और संघर्ष का प्रसार हुआ है।

उपसंहार अन्ततः यही कहा जा सकता है कि गाँव में एक प्रकार का आनंद मिलता है, स्वच्छ वायु मिलती है। जीवन के संघर्षों के बीच गाँव में कुछ पल का विश्राम ही सारी पीड़ा को दूर कर देता है। अतः गाँवों के विकास की ओर ध्यान देने से देश का आधारे सुदृढ़ होगा। सरकार ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दे रही है, यह गाँवों के विकास के लिए एक सकारात्मक पहलू है।

(ग) जीवन में खेलों का महत्त्व

भूमिका मनुष्य की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सभी प्राणियों की अपेक्षा इसके मस्तिष्क का सर्वाधिक विकसित होना है। इसी के बल पर इसने पूरी दुनिया पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया है। किसी भी व्यक्ति का मस्तिष्क तभी स्वस्थ रह सकता है, जब उसका शरीर भी स्वस्थ रहे। इसलिए कहा गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अतः एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है। इस प्रकार मस्तिष्क के शरीर से और शरीर के खेल से पारस्परिक संबंधों को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है। कि खेल-कूद व्यक्ति के बहुमुखी विकास के लिए आवश्यक है।

खेलों के लाभ स्वास्थ्य की दृष्टि से खेल-कूद के अनेक लाभ हैं-इससे शरीर की मांसपेशियाँ एवं हड्डियाँ मज़बूत रहती हैं। रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है। पाचन क्रिया नियमित रहती है। शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है और फेफड़े भी सुदृढ रहते हैं। खेल-कूद के दौरान शारीरिक अंगों के सक्रिय रहने के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। इस प्रकार खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है।

खेलों का महत्त्व जीवन में जिस प्रकार शिक्षा महत्त्वपूर्ण है, उसी प्रकार मनोरंजन के महत्त्व को भी नकारा नहीं जा सकता। कार्य की थकान के बाद हमारे मस्तिष्क को मनोरंजन की आवश्यकता होती है। नियमित दिनचर्या में यदि खेल-कूद का समावेश कर लिया जाए, तो व्यक्ति के जीवन में उल्लास-ही-उल्लास छा जाता है। अवकाश के समय घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों से न केवल स्वस्थ मनोरंजन होता है, बल्कि ये आपसी मेल-जोल को बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होते हैं। खेल कोई भी हो यदि व्यक्ति पेशेवर खिलाड़ी नहीं है, तो उसके लिए इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य हो जाता है कि खेल को खेल के समय ही खेला जाए, काम के समय नहीं।

उपसंहार खेलों से लोगों में मिल-जुलकर रहने की भावना को विकास होता है। इस प्रकार हम निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि मनुष्य के सर्वांगीण एवं संतुलित विकास के लिए खेल-कूद को जीवन में पर्याप्त स्थान दिया जाना चाहिए।

उत्तर 13.
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।

दिनांक 04 मई, 20××

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
डी.ए.वी पब्लिक स्कूल,
द्वारका, नई दिल्ली।

विषय 15 दिनों के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।

महोदय,

सेवा में सविनय निवेदन यह है कि मैं नौवीं कक्षा के सेक्शन-‘सी’ का छात्र हूँ। कल दुर्घटना में मेरे बाएँ पैर की हड्डी टूट गई है, जिस पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया है। डॉक्टर के परामर्श के अनुरूप, मैं कम-से-कम 15 दिनों तक आराम करने के लिए विवश हूँ। अतः इस दौरान मैं विद्यालय भी नहीं आ सकता।

आशा है कि मेरी स्थिति को देखते हुए, आप मुझे 04 मई से 18 मई तक का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।

सधन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य
राहुल राज

अथवा

प्रिय मित्र दिव्यांशु,

आज ही पता चला कि हाल ही में संपन्न राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता के घोषित परिणाम में तुमने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई और मिलने पर मिठाई खिलाने के लिए तैयार रहना।

मित्र दिदांशु, तुमने तो सचमुच कमाल कर दिया। हालाँकि किसी कारणवश मैं इस प्रतियोगिता में सम्मिलित नहीं हो पाया था, लेकिन यदि सम्मिलित होता, तब भी मुझे यह विश्वास था कि तुम ही प्रथम स्थान प्राप्त करते। तुम्हारी लेखन-शैली से तो मैं बहुत पहले से ही प्रभावित था, अब सभी को तुम्हारी लेखन शैली की विशेषताओं का पता चल गया है।

मेरे माता-पिता तथा छोटा भाई भी तुम्हें ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ भेज रहे हैं। आगरा आने पर घर पर मिलने अवश्य आना। अपने घर के सभी लोगों को मेरा यथोचित अभिवादन कहना।

तुम्हारा मित्र,
आशीष
कैंट एरिया, आगरा।

उत्तर 14.

शोभित पिताजी, मेरे विद्यालय के अनेक छात्र शैक्षिक भ्रमण के लिए जयपुर जा रहे हैं। मैं भी जाना चाहता हूँ।

पिताजी ये सभी बच्चे स्वयं ही योजना बना रहे हैं या फिर विद्यालय के निर्देशन में जा रहे हैं?

शोभित नहीं, नहीं, पिताजी! उन बच्चों को विद्यालय की ओर से ले जाया जा रहा है। इस शैक्षिक भ्रमण का आधा खर्च छात्र देगा और आधा विद्यालय

पिताजी अच्छा, यदि ऐसा है तो जाओ, लेकिन हमेशा शिक्षकों की देखरेख में रहना और किसी भी प्रकार की शिकायत का अवसर मत देना।

शोभित पिताजी, आप निश्चित रहें। मैं अपने शिक्षकों के प्रत्येक निर्देश का पालन करूंगा।

पिताजी अच्छी बात है। तुम अपनी पूरी तैयारी कर लो और किसी चीज़ की आवश्यकता हो, तो बता देना।

शोभित धन्यवाद, पिताजी!

अथवा

बेटा माँ कल हमारे विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।

माँ अच्छा……. तुम्हें पता है भारत को 70 वर्ष पूर्व 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता मिली थी।

बेटा उससे पहले भारत किन लोगों के अधीन था?

‘माँ बेटा, उससे पहले यहाँ अंग्रेज़ों का शासन था।

बेटा तो फिर, हमें स्वतंत्रता कैसे मिली?

माँ लाखों लोगों ने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया और भारत को स्वतंत्र कराया। तुमने भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, लाला लाजपत | राय, बाल गंगाधर तिलक, सुभाषचन्द्र बोस आदि का नाम सुना है। इन सभी लोगों ने स्वतंत्रता की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई।

बेटा मैंने पढ़ा है कि महात्मा गांधीजी ने भारत को अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग से स्वतंत्र करवाने का प्रयत्न किया और सफल हुए।

माँ हाँ, उन्हें राष्ट्रपिता भी कहते हैं।

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