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Jamun Ka Ped Class 11 Question Answer NCERT Solutions

Contents

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 18 – गद्य भाग – जामुन का पेड़ provide comprehensive guidance and support for students studying Hindi Aroh in Class 11. These NCERT Solutions empower students to develop their writing skills, enhance their language proficiency, and understand official Hindi communication.

Class 11th Hindi Gadya Khand Chapter 18 Jamun Ka Ped Questions and Answers

जामुन का पेड़ प्रश्न उत्तर

कक्षा 11 हिंदी आरोह के प्रश्न उत्तर पाठ 18

लेखक परिचय

● जीवन परिचय-कृश्नचंदर का जन्म पंजाब के गुजरांकलां जिले के वजीराबाद गाँव में 1914 ई. में हुआ। इनकी प्राथमिक शिक्षा जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में हुई। 1930 ई. में वे उच्च शिक्षा के लिए लाहौर आ गए तथा फॉरमेन क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया। 1934 ई. में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए किया। इसके बाद ये फिल्म जगत से जुड़ गए और अंत तक मुंबई में ही रहे। इन्हें साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया। इनका निधन 1977 ई. में हुआ।

● रचनाएँ-इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
कहानी-संग्रह-एक गिरजा-ए-खंदक, यूकेलिप्ट्स की डाली।
उपन्यास-शिकस्त, जरगाँव की रानी, सड़क वापस जाती है, आसमान रौशन है, एक गधे की आत्मकथा, अन्नदाता, हम वहशी हैं, जब खेत जागे, बावन पत्ते, एक वायलिन समंदर के किनारे, कागज की नाव, मेरी यादों के किनारे।

● साहित्यिक विशेषताएँ-प्रेमचंद के बाद जिन कहानीकारों ने कहानी विधा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, उनमें कृश्नचंदर का नाम महत्वपूर्ण है। इनका प्रगतिशील लेखक संघ से गहरा संबंध था। इस विचारधारा का असर इनके साहित्य पर भी मिलता है। ये उन लेखकों में हैं, जिन्होंने लेखन को ही रोजी-रोटी का सहारा बनाया।

कृश्नचंदर ने उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज और लेख भी बहुत से लिखे हैं, लेकिन उनकी पहचान कहानीकार के रूप में अधिक हुई है। महालक्ष्मी का पुल, आईने के सामने आदि उनकी मशहूर कहानियाँ हैं। उनकी लोकप्रियता इस कारण भी है कि वे काव्यात्मक रोमानियत और शैली की विविधता के कारण अलग मुकाम बनाते हैं। कृश्नचंदर उर्दू कथा -साहित्य में अनूठी रचनाशीलता के लिए बहुचर्चित रहे हैं। वे प्रगतिशील और यथार्थवादी नजरिए से लिखे जाने वाले साहित्य के पक्षधर थे।

पाठ का सारांश

‘जामुन का पेड़’ कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। प्रस्तुत पाठ यह स्पष्ट करता है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यस्पद है। यह व्यवस्था के संवेदनशून्य व अमानवीयता के रूप को भी बताता है।

रात को चली आँधी में सचिवालय के पार्क में जामुन का पेड़ गिर गया। सुबह माली ने देखा कि उसके नीचे एक आदमी दबा पड़ा है। उसने यह सूचना तुरंत चपरासी को दी। इस तरह मिनटों में दबे आदमी के पास भीड़ इकट्ठी हो गई। क्लकों को रसीले जामुनों की याद आ रही थी, तभी माली ने आदमी के बारे में पूछा। उन्हें उस आदमी के जीवित होने में संदेह था, तभी वह दबा आदमी बोल पड़ा। माली ने पेड़ हटाने का सुझाव दिया, परंतु सुपरिंटेंडेंट ने अपने ऊपर के अधिकारी से पूछने की बात कही। इस तरह बात डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वांइट सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी, मिनिस्टर के पास पहुँची। मंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा और उसी क्रम में बात नीचे तक पहुँची और फाइल चलती रही।

दोपहर को भीड़ इकट्ठी हो गई। कुछ मनचले क्लर्क सरकारी इजाजत के बिना पेड़ हटाना चाहते थे कि तभी सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कही कि यह काम कृषि विभाग का है। वह उन्हें फाइल भेज रहा है। कृषि विभाग ने पेड़ हटवाने की जिम्मेदारी व्यापार विभाग पर डाल दी। व्यापार विभाग ने कृषि विभाग पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दूसरे दिन भी फाइल चलती रही। शाम को इस मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग के पास भेजने का फैसला किया गया, क्योंकि यह फलदार पेड़ है।

रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया, जबकि उसके चारों तरफ पुलिस का पहरा था। माली ने उसके परिवार के बारे में पूछा तो दबे हुए आदमी ने स्वयं को लावारिस बताया। तीसरे दिन हॉर्टीकल्चर विभाग से जवाब आया कि आजकल ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम जोर-शोर से चल रही है। अत: जामुन के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

एक मनचले ने आदमी को काटने की बात की। इससे पेड़ बच जाएगा। दबे हुए आदमी ने इस पर आपत्ति की कि ऐसे तो वह मर जाएगा। आदमी काटने वाले ने अपना तर्क दिया कि आजकल प्लास्टिक सर्जरी उन्नति कर चुकी है। यदि आदमी को बीच में से काटकर निकाल लिया जाए तो उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ा जा सकता है। इस बात पर फाइल मेडिकल विभाग भेजी गई। वहाँ से रिपोर्ट आई कि सारी जाँच-पड़ताल करके पता चला कि प्लास्टिक सर्जरी तो हो सकती है, किंतु आदमी मर जाएगा। अत: यह फैसला रद्द हो गया।

रात को माली ने उस आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलझने के आसार हैं। दबे हुए आदमी ने गालिब का एक शेर सुनाया

“ये तो माना कि तगाफूल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!”

यह सुनकर माली हैरान हो गया। आदमी के शायर होने की बात सारे सचिवालय में फैल गई, फिर यह चर्चा शहर में फैल गई और तरह-तरह के कवि व शायर वहाँ इकट्ठे हो गए। वे सभी अपनी रचनाएँ सुनाने लगे। कई क्लर्क उस आदमी से अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे। जब यह पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है, तो सब-कमेटी ने यह मामला कल्चरल डिपार्टमेंट को सौंप दिया। साहित्य अकादमी के सचिव के पास फाइल पहुँची। सचिव उसी समय उस आदमी का इंटरव्यू लेने पहुँचा। दबे हुए आदमी ने बताया कि उसका उपनाम ओस है तथा कुछ दिन पहले उसका लिखा हुआ ‘ओस के फूल’ गद्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है। सचिव ने आश्चर्य जताया कि इतना बड़ा लेखक उनकी अकादमी का सदस्य नहीं है। आदमी ने कहा कि मुझे पेड़ के नीचे से निकालिए। सचिव उसे आश्वासन देकर चला गया।

अगले दिन सचिव ने उसे साहित्य अकादमी का सदस्य चुने जाने की बधाई दी। आदमी ने उसे पेड़ के नीचे से निकालने की प्रार्थना की तो उसने असमर्थता जताई। उसने कहा कि यदि तुम मर गए तो वे उसकी बीवी को वजीफा दे सकते हैं। उनके विभाग का संबंध सिर्फ कल्चर से है। पेड़ काटने का काम आरी-कुल्हाड़ी से होगा। वन विभाग को लिख दिया गया है। शाम को माली ने बताया कि कल वन विभाग वाले पेड़ काट देंगे।

माली खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था। दूसरे दिन वन विभाग के लोग आरी-कुल्हाड़ी लेकर आए तो विदेश विभाग के आदेश से यह कार्य रोक दिया गया। यह पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सचिवालय में दस साल पहले लगाया था। पेड़ काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ जाएँगे। दूसरे पीटोनिया सरकार राज्य को बहुत सहायता देती है। दो देशों की खातिर एक आदमी के जीवन का बलिदान दिया जा सकता है।

अंडर सेक्रेटरी ने बताया कि प्रधानमंत्री विदेश दौरे से सुबह वापस आ गए हैं। अब वे ही निर्णय देंगे। शाम के पाँच बजे स्वयं सुपरिंटेंडेंट कवि की फाइल लेकर आया और चिल्लाया कि प्रधानमंत्री ने सारी जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए पेड़ काटने की अनुमति ो दे दी। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा। तुम्हारी फाइल पूरी हो गई। ܪ

परंतु कवि का हाथ ठंडा था। उसके जीवन की फाइल भी पूरी हो चुकी थी।

शब्दार्थ

पृष्ठ संख्या 102
झक्कड़-आँधी। सेक्रेटेरियेट-सचिवालय।

पृष्ठ संख्या 103
रुआँसा-रोता हुआ-सा। ताज्जुब-हैरानी। वजनी-भारी। अंडर- -अवर सचिव। डिप्टी-उप। ज्वाइंट-संयुक्त।

पृष्ठ संख्या 104
मनचला-बेफ्रिक। हुकूमत-शासन। अर्जेंट-अति आवश्यक। मार्क करना-अंकित करना। हॉर्टीकल्चर-उद्यान-कृषि। इजाजत–अनुमति।

पृष्ठ संख्या 105
वारिस-उत्तराधिकारी। लावारिस-जिसका कोई न हो।

पृष्ठ संख्या 106
युक्ति-तरीका। प्लास्टिक सर्जरी-शरीर पर त्वचा लगाने की शल्य चिकित्सा। एक्शन-कार्यवाही। तगापुल-उपेक्षा। खाक-मिट्टी। अचंभा-हैरानी।

पृष्ठ संख्या 107
आलोचना-समीक्षा। गदय-लयहीन रचना।

पृष्ठ संख्या 108
गुमनामी-अपरिचय। बंदोबस्त-इंतजाम।

पृष्ठ संख्या 109
जवाब देना-समाप्त होना। अंदेशा-संदेह।

पृष्ठ संख्या 110
निजीव—प्राणहीन। पाँत—पंक्ति।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. ‘क्या मुश्किल है?’ माली बोला, ‘अगर सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें, तो अभी पंद्रह-बीस माली, चपरासी और क्लर्क लगाकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है।” ‘माली ठीक कहता है,” बहुत-से क्लर्क एक साथ बोल पड़े, ‘लगाओ ज़ोर, हम तैयार हैं।” एक साथ बहुत-से लोग पेड़ को उठाने को तैयार हो गए। ‘ठहरो!” सुपरिंटेंडेंट बोला, ‘मैं अंडर-सेक्रेटरी से पूछ लें।” सुपरिटेंडेंट अंडर-सेक्रेटरी के पास गया। अंडर-सेक्रेटरी डिप्टी सेक्रेटरी के पास गया। डिप्टी सेक्रेटरी ज्वाइंट सेक्रेटरी के पास गया। ज्वाइंट सेक्रेटरी चीफ़ सेक्रेटरी के पास गया। चीफ़ सेक्रेटरी मिनिस्टर के पास गया। मिनिस्टर ने चीफ़ सेक्रेटरी से कुछ कहा। चीफ़ सेक्रेटरी ने ज्वाइंट सेक्रेटरी से कुछ कहा। ज्वाइंट सेक्रेटरी ने डिप्टी सेक्रेटरी से कहा। डिप्टी सेक्रेटरी ने अंडर-सेक्रेटरी से कहा। फाइल चलती रही। इसी में आधा दिन बीत गया। (पृष्ठ-103-104)

प्रश्न

  1. माली ने क्या सुझाव दिया? क्यों?
  2. इस अश में किस पर व्यय किया गया है?
  3. काम करने के तरीके के विषय में अपनी राय बताइए?

उत्तर-

  1. माली ने सुझाव दिया कि अगर सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें तो पंद्रह-बीस आदमी मिलकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है। वह दबे हुए आदमी के बारे में चिंतित था।
  2. इस अंश में सरकारी कार्यालयों की कामटालू कार्यशैली पर व्यंग्य किया गया है। सरकार में हर व्यक्ति एक-दूसरे पर जिम्मेवारी टालता है। वे संवेदनशील विषयों पर भी शीघ्र निर्णय नहीं लेते और कागजी कार्यवाई में व्यस्त रहते हैं।
  3. काम करने के तरीके के बारे में मेरी राय है कि हर काम को सहजता तथा आडंबररहित तरीके से करना चाहिए। मानवीय सहानुभूति के कामों में तो कागजी कार्यवाई न्यूनतम होनी चाहिए।

2. दोपहर के खाने पर दबे हुए आदमी के चारों ओर बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मनचले क्लकों ने समस्या को खुद ही सुलझाना चाहा। वे हुकूमत के फैसले का इंतजार किए बिना पेड़ को अपने-आप हटा देने का निश्चय कर रहे थे कि इतने में सुपरिंटेंडेंट फाइल लिए भागा-भागा आया। बोला-‘हम लोग खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। हम लोग व्यापार-विभाग से संबंधित हैं, और यह पेड़ की समस्या है, जो कृषि-विभाग के अधीन है। मैं इस फाइल को अर्जेंट मार्क करके कृषि-विभाग में भेज रहा हूँ-वहाँ से उत्तर आते ही इस पेड़ को हटवा दिया जाएगा।’।(पृष्ठ-104)

प्रश्न

  1. कहाँ और क्यों भीड़ इकट्ठी हो गई?
  2. मनचले क्लर्क किन्हें कहा गया है? क्यों?
  3. क्लर्क पेड़ को हटाने में क्यों नहीं सफल हो सके?

उत्तर-

  1. सचिवालय में रात को आँधी आने से एक पेड़ गिर पड़ा तथा उसके नीचे एक व्यक्ति दब गया। वह जीवित था। दफ्तर में खबर फैली तो दोपहर के भोजन के समय उस दबे हुए व्यक्ति के चारों तरफ भीड़ इकट्ठी हो गई।
  2. मनचले क्लर्क उन्हें कहा गया जो पेड़ के नीचे दबे आदमी की पीड़ा को समझकर सहायता करने के लिए तत्पर थे। अफसरों की नजर में ये लोग अनुशासनहीन थे, क्योंकि वे अफसरों की जी-हजूरी नहीं करते थे।
  3. क्लर्क पेड़ हटाने का निर्णय ले चुके थे। वे सरकारी आदेश की प्रतीक्षा नहीं कर सकते थे। तभी सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर आया और कहा कि यह समस्या कृषि-विभाग की है हमारी नहीं। अत: क्लर्क पेड़ हटाने में सफल नहीं हो सके।

3. हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी साहित्य-प्रेमी आदमी जान पड़ता था। उसने लिखा था, ‘आश्चर्य है, इस समय जब हम ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम ऊँचे स्तर पर चला रहे हैं, हमारे देश में ऐसे सरकारी अफसर मौजूद हैं जो पेड़ों को काटने का सुझाव देते हैं, और वह भी एक फलदार पेड़ को, और वह भी जामुन के पेड़ को, जिसके फल जनता बड़े चाव से खाती है! हमारा विभाग किसी हालत में इस फलदार वृक्ष को काटने की इजाजत नहीं दे सकता।’ (पृष्ठ-105)

प्रश्न

  1. हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के सचिव को क्या कहा गया हैं? उसने क्या टिप्पणी की?
  2. हॉटकल्चर डिपार्टमेंट ने किस बात की इजाजत नहीं दी और क्यों?
  3. इस गद्यांश में किस व्यवस्था पर व्यग्य किया गया है?

उत्तर-

  1. हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को साहित्य-प्रेमी कहा गया है। उसने टिप्पणी की कि इस समय हम ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम बड़े स्तर पर चला रहे हैं। ऐसे में किसी सरकारी अफसर द्वारा पेड़ काटने की बात हास्यास्पद है।
  2. हॉर्टीकल्चर विभाग ने जामुन का पेड़ काटने की इजाजत नहीं दी, क्योंकि यह पेड़ फलदार है और इसके फल जनता बड़े चाव से खाती है।
  3. इस गद्यांश में लालफीताशाही का पता चलता है। सरकारी विभागों में तालमेल नहीं होता तथा हर विभाग अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है। उनमें संवेदनशीलता नहीं होती।

4. दूसरे दिन माली ने चपरासी को बताया, चपरासी ने क्लर्क को, क्लर्क ने हैड-क्लर्क को। थोड़ी ही देर में सेक्रेटेरियेट में यह अफ़वाह फैल गई कि दबा हुआ आदमी शायर है। बस, फिर क्या था। लोगों का झुंड-का-झुंड शायर को देखने के लिए उमड़ पड़ा। इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। सेक्रेटेरियेट का लॉन भाँति-भाँति के कवियों से भर गया और दबे हुए आदमी के चारों ओर कवि-सम्मेलन का-सा वातावरण उत्पन्न हो गया। सेक्रेटेरियेट के कई क्लर्क और अंडर-सेक्रेटरी तक जिन्हें साहित्य और कविता से लगाव था, रुक गए। कुछ शायर दबे हुए आदमी को अपनी कविताएँ और दोहे सुनाने लगे। कई क्लर्क उसको अपनी कविता पर – आलोचना करने को मजबूर करने लगे। (पृष्ठ 106-107)

प्रश्न

  1. माली ने दूसरे दिन क्या सूचना दी? उसका क्या परिणाम हुआ?
  2. सरकारी कर्मचारियों ने क्या काम करना शुरू कर दिया?
  3. इस गद्यांश में निहित व्यग्य स्पष्ट करें।

उत्तर-

  1. माली ने दूसरे दिन बताया कि दबा हुआ आदमी शायर है। यह अफवाह पूरे सचिवालय तथा शाम तक शहर की गली-गली में यह चर्चा फैल गई। दबे व्यक्ति के आसपास तथाकथित साहित्यकारों की भीड़ इकट्ठी होने लगी।
  2. सरकारी कर्मचारियों को जैसे ही पता चला कि पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति शायर है तो सचिवालय के साहित्य प्रेमी क्लर्क और अंडर-सेक्रेटरी, वहाँ रुक गए। कुछ ने उसे अपनी कविताएँ व दोहे सुनाए तो कुछ उससे अपनी कविता पर टिप्पणी करने को विवश तक करने लगे।
  3. इस गद्यांश में मानवीय संवेदनहीनता का यथार्थ रूप दिखाया गया है। लोग दबे हुए कवि को देखने आते हैं, परंतु उसे बचाने का प्रयास नहीं करते। वे तमाशबीन हैं। साहित्य जगत के लोग भी अपनी शायरी के लिए समय-असमय का ध्यान नहीं रखते। सरकारी कर्मचारी हर स्थिति में आम व्यक्ति का शोषण करते हैं।

5. ‘यह हम नहीं कर सकते।” सेक्रेटरी ने कहा, ‘और जो हम कर सकते थे, वह हमने कर दिया है, बल्कि हम तो यहाँ तक कर सकते हैं कि अगर तुम मर जाओ, तो तुम्हारी बीवी को क्ज़ीफा दे सकते हैं, अगर तुम दरख़्वास्त दो, तो हम वह भी कर सकते हैं।’ ‘मैं अभी जीवित हूँ।” कवि रुक-रुककर बोला, ‘मुझे ज़िंदा रखो।” ‘मुसीबत यह है,” सरकारी साहित्य अकादमी का सेक्रेटरी हाथ मलते हुए बोला, ‘हमारा विभाम सिर्फ कल्चर से संबंधित है। पेड़ काटने का मामला कलम-दवात से नहीं, आरी-कुल्हाड़ी से संबंधित है। उसके लिए हमने फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अजेंट लिखा है।’ (पृष्ठ-108)

प्रश्न

  1. सचिव कया काम नहीं कर सकता?
  2. कल्चर विभाग क्या कार्य कर सकता हैं?
  3. साहित्य अकादमी के सचिव की क्या मजबूरी है?

उत्तर-

  1. सचिव दबे हुए शायर के ऊपर गिरे पेड़ को नहीं हटवा सकता था। क्योंकि यह उसके विभाग के कार्यक्षेत्र से बाहर का काम है।
  2. कल्चर विभाग शायर को अपनी अकादमी का सदस्य बना सकता है। अगर शायर की मृत्यु हो जाए तो वह उसकी पत्नी को वज़ीफा भी दे सकता है।
  3. साहित्य अकादमी के सचिव की मजबूरी है कि उनका कार्यक्षेत्र केवल कल्चर तक है। पेड़ काटने का मामला कलम-दवात से नहीं, आरी-कुल्हाड़ी से संबंधित है। वे शायर को बचाने के लिए वन विभाग को लिखते हैं।

6. दूसरे दिन जब फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी-कुल्हाड़ी लेकर पहुँचे तो उनको पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए। कारण यह था कि इस पेड़ को दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगाया था। अब अगर यह पेड़ काटा गया, तो इस बात का काफी अंदेशा था कि पीटोनिया सरकार से हमारे संबंध सदा के लिए बिगड़ जाएँगे।

‘‘ मगर एक आदमी की जान का सवाल है,” एक क्लर्क चिल्लाया।

‘‘ दूसरी ओर दो राज्यों के संबंधों का सवाल है,” दूसरे क्लर्क ने पहले क्लर्क को समझाया, ‘‘और यह भी तो समझो कि पीटोनिया सरकार हमारे राज्य को कितनी सहायता देती है-क्या हम उनकी मित्रता की खातिर एक आदमी के जीवन का भी बलिदान नहीं कर सकते?” (पृष्ठ-109)

प्रश्न

  1. कौन, कहाँ और क्यों पहुँचे?
  2. फॉरेस्ट विभाग को पेड़ काटने से क्यों रोक दिया गया?
  3. ‘दी राज्यों के सबंधों का सवाल हैं’-से क्या तात्पर्य है?

उत्तर-

  1. दूसरे दिन सचिवालय के लॉन में वन विभाग के व्यक्ति आरी-कुल्हाड़ी लेकर जामुन के पेड़ को काटने पहुँचे ताकि दबे हुए व्यक्ति को निकाला जा सके।
  2. फॉरेस्ट विभाग को पेड़ काटने से इसलिए रोक दिया गया कि यह पेड़ कोई दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री द्वारा सचिवालय के लॉन में लगाया गया था। पेड़ काटने से दोनों देशों के संबंध बिगड़ने का अंदेशा था।
  3. इस कथन का अर्थ है कि पेड़ काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ जाएँगे। दूसरे, उससे मिलने वाली भारी । आर्थिक सहायता भी बंद हो जाएगी। अत: एक आदमी की जान दो देशों की मित्रता पर कुर्बान की जा सकती है।

7. शाम के पाँच बजे स्वयं सुपरिंटेंडेंट कवि की फ़ाइल लेकर उसके पास आया, ‘सुनते हो!’ आते ही वह खुशी से फ़ाइल को हिलाते हुए चिल्लाया, ‘प्रधानमंत्री ने इस पेड़ को काटने का हुक्म दे दिया, और इस घटना की सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर ले ली है। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा, और तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे। सुनते हो? आज तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई।”

मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी…।

उसके जीवन की फ़ाइल भी पूर्ण हो चुकी थी। (पृष्ठ-109-110)

प्रश्न

  1. सुपरिटेंडट की खुशी का क्या कारण था?
  2. प्रधानमत्री ने कौन-सी जिम्मेवारी ली।
  3. ‘फाइल पूर्ण हो गई’ में निहित व्यग्यार्थ बताइए।

उत्तर-

  1. सुपरिंटेंडेंट इसलिए खुश था कि जिस फ़ाइल के जरिए वह दबे हुए व्यक्ति की जान बचाना चाहता था, वह प्रधानमंत्री की अनुमति के बाद पूर्ण हो गई। इस अनुमति के बाद उसे पेड़ काटने की जिम्मेदारी नहीं लेनी पड़ेगी।
  2. प्रधानमंत्री ने पीटोनिया के प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए इस पेड़ को काटने की अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी ली कि विदेश संबंध बाद में ठीक किए जा सकते हैं। पहले व्यक्ति की जान बचाई जाए।
  3. इसमें गहरा व्यंग्यार्थ निहित है। शायर पेड़ के नीचे दबा हुआ था। उस पेड़ को हटाने या काटने के लिए बनी फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग के बीच घूमती रही। इसमें कई दिन लग गए। इस दौरान व्यक्ति को बचाया जा सकता था, परंतु कागजी कार्रवाइयों के कारण वह व्यक्ति भी मर गया। जब तक पेड़ काटने की अनुमति मिली, तब तक शायर के जीवन की फाइल भी पूरी हो चुकी थी।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

पाठ के साथ

प्रश्न 1:
बेचारा जामुन का पेड़ा कितना फलदार था। और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।

(क) ये सवाद कहानी के किस प्रसग में आए हैं?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर-
(क) एक रात तेज़ आँधी से सेक्रेटरियेट के अहाते में जामुन का एक पेड़ गिर जाता है और उसके नीचे एक आदमी दब जाता है। सुबह लोगों की भीड़ जमा हो जाती है, उस समय यह संवाद कहा गया है।
(ख) इससे लोगों की संवेदनहीनता व स्वार्थपरता का ज्ञान होता है। आम व्यक्ति को दबे हुए व्यक्ति की चिंता नहीं है, उन्हें सिर्फ फल न मिलने की चिंता है। वे पेड़ गिरने पर दुख व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 2:
दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
उत्तर-
सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ रात की आँधी में गिर गया। इसके नीचे एक आदमी दब गया। उसे बचाने के लिए एक सरकारी फाइल बनी। वह एक विभाग से दूसरे विभाग में जाने लगी। माली ने उस आदमी को हौसला देते हुए उसे खिचड़ी खिलाई और कहा कि उसका मामला ऊपर तक पहुँच गया है। तब उस व्यक्ति ने आह भरते हुए गालिब का शेर कहा-

“ये तो माना कि तगापुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!”

माली उसे पूछता है कि क्या आप शायर हैं? उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया। फिर माली ने यह बात क्लकों को बताई। इस प्रकार यह बात सारे शहर में फैल गई। सेक्रेटेरियट में शहर-भर के कवि व शायर इकट्ठे हो गए। फाइल कल्चर डिपार्टमेंट को भेजी गई। वहाँ का सचिव उस व्यक्ति का इंटरव्यू लेने आया और उसे अकादमी का सदस्य बना दिया किंतु यह कहकर कि पेड़ से नीचे से निकालने का काम उसके विभाग का नहीं है वह फाइल वन विभाग को भेज या देता है। इससे पेड़ हटाने या काटने की अनुमति मिलने का रास्ता और लंबा हो गया है।

प्रश्न 3:
कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉटीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
उत्तर-
कृषि-विभाग ने मामला हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट को ही सौंपते हुए लिखा-“क्योंकि यह एक फलदार पेड़ का मामला है और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला करने का हकदार है। जामुन का पेड़ चूँकि एक फलदार पेड़ है। इसलिए यह पेड़ हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है।”

प्रश्न 4:
इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?
उत्तर-
इस पाठ में सरकार के निम्नलिखित विभागों की चर्चा की गई है-

(क) व्यापार-विभाग-इसका काम देश में होने वाले व्यापार से संबंधित है।
(ख) एग्रीकल्चर विभाग-इसका कार्य खेती-बाड़ी से संबंधित है।
(ग) हॉटीकल्चर विभाग-यह विभाग उद्यानों का रखरखाव करता है।
(घ) मेडिकल विभाग-इसका संबंध शल्य चिकित्सा, दवाई आदि से है।
(ड) कल्चरल विभाग-इसका संबंध कला व साहित्य से है।
(च) फॉरेस्ट विभाग-इसका संबंध जंगल के पेड़ों व वनस्पति से है।
(छ) विदेश-विभाग-इसका कार्य विदेशी राज्यों से संबंध बनाना है।

पाठ के   पता चलता है कि किसी भी विभाग में संवेदना नहीं है। हरेक विभाग अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता ह ।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1:
कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भग होता है?
उत्तर-
एक बार तो शुरुआती पहले दिन ही माली के कहने पर जमा हुई भीड़ तैयार थी कि सब मिलकर जोर लगाते हैं। उसी समय सुपरिंटेंडेंट बोला कि ‘ठहरो! मैं अंडर सेक्रेटरी से पूछ लें।’ और बस यह मामला ठप्प हो गया। दूसरा प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए फाइल कार्यालय में घूम रही थी तो कुछ मनचले किस्म के क्लर्क सरकारी फैसले के इंतजार के बिना इस पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि कृषि विभाग के अधीन आने वाले इस पेड़ को हम नहीं काट सकते। इस प्रकार संकल्प भी भंग हो जाता है।

प्रश्न 2:
यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर-
यह कहना बिल्कुल सही है कि यह कहानी हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। व्यक्ति पेड़ के नीचे दबा हुआ है। चारों तरफ भीड़ जमा है। वे जामुन के पेड़ तथा रसीले जामुनों की चर्चा कर रहे हैं, परंतु दबे व्यक्ति को बचाने का प्रयास नहीं होता। क्लकीं, अधिकारियों तथा विभागों की फूहड़ हरकतें हास्य के साथ करुणा को जाग्रत करती हैं। फाइल चलती रहती है। माली ही दया करके उसे खाना खिला देता है। कुछ लोग आदमी को काटकर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ने की बात कहते हैं। यह संवेदनहीनता का चरम रूप है। कल्चर विभाग का सचिव उसे अकादमी का सदस्य बना देता है, उससे मिठाई माँगता है, परंतु उसे बचाने का प्रयास नहीं करता। देशों के संबंध के नाम पर आम आदमी की बलि चढ़ाई जा सकती है। ये सभी घटनाएँ करुणा की गहनता को व्यक्त करती हैं।

प्रश्न 3:
यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर-
यदि हम माली के स्थान पर होते तो हुकूमत के फैसले का जरा भी इंतजार न करते और बिना किसी की परवाह किए दबे हुए आदमी को निकाल लेते, क्योंकि किसी भी विभाग, कानून और हुकूमत के फैसले से ज्यादा आवश्यक है किसी की जान बचाना। अतः सबसे पहले वही किया जाना चाहिए। इतने सारे लोगों के बीच महज औपचारिकता के चलते एक व्यक्ति की जान चली जाना मनुष्यता के नाम पर धब्बा है।

शीर्षक सुझाइए

कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं-

● कहानी में बार-बार फ़ाइल का ज़िक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फाइल पूर्ण होने की बात कही गई है।
● सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्यप्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है।
● कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है।

उत्तर-

(क) फाइल
(ख) दफ्तरी चक्कर
(ग) बेचारा इंसान भाषा की बात

भाषा की बात

प्रश्न 1:
नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए-
अर्जेट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी , चीफ़ सेक्रेटरी , मिनिस्टर, अंडर-सेक्रेटरी, हॉटकल्चर डिपार्टमेंट,  एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core - गद्य भाग - जामुन का पेड़-1

प्रश्न 2:
इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए-यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है। संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है-ड़सकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core - गद्य भाग - जामुन का पेड़-2
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core - गद्य भाग - जामुन का पेड़-3

प्रश्न 3:
साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।
उत्तर-

  • संवाददाता – आज आपके कार्यालय में जो घटना घटित हुई उसके लिए कौन जिम्मेदार है ?
  • चीफ़ सेक्रेटरी – इसके लिए कृषि और उद्यान विभाग जिम्मेदार हैं।
  • संवाददाता – क्यों, इतने दिन से दबे हुए इस आदमी के लिए आप क्या कर रहे थे?
  • चीफ़ सेक्रेटरी – जी हमने तो पहले ही दिन फ़ाइल तैयार करके आगे भेज दी थी।
  • संवाददाता – क्या आदमी को बचाने के बजाए फ़ाइल तैयार करना उचित कार्यवाही थी?
  • चीफ़ सेक्रेटरी – जी हाँ! यह तो कार्यालय का आवश्यक नियम है। इन औपचारिकताओं को तो मानना ही पड़ता है। (इस प्रकार साक्षात्कार को आगे बढ़ाया जा सकता है)

अन्य हल प्रश्न

बोधात्मक प्रशन

प्रश्न 1:
‘जामुन का पेड़’ पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर-
जामुन का पेड़ कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। यह पाठ यह स्पष्ट करता है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यस्पद है। यह व्यवस्था के संवेदनशून्य व अमानवीयता के रूप को भी बताता है।

प्रश्न 2:
माली को दबे हुए आदमी से सहानुभूति होने का क्या कारण था?
उत्तर-
माली का काम लॉन में लगे पेड़-पौधों की देखभाल करना था। रात की आँधी में सचिवालय के लॉन में खड़ा पेड़ गिर गया तथा उसके नीचे एक आदमी दब गया। माली ने विभाग को इसकी सूचना दे दी: जब तक पेड़ नहीं हटता, तब तक माली की ड्यूटी उसकी देखभाल की थी। इसलिए उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति से सहानुभूति हो गई। वह जल्द-से-जल्द इस समस्या से भी छुटकारा पाना चाहता था।

प्रश्न 3:
जामुन का पेड़ गिरा देखकर क्लर्क ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर-
लॉन में जामुन का पेड़ गिर गया। उसे देखकर क्लर्क को दुख हुआ, क्योंकि अब उसे उसके मीठे फल खाने को नहीं मिलेंगे। उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं थी।

प्रश्न 4:
माली ने दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए क्या शर्त लगाई?
उत्तर-
माली सरकारी कर्मचारी था। अगर वह स्वयं उस व्यक्ति को निकालने का निर्णय लेता तो ऊपर के अधिकारी उसे परेशान करते। अत: उसने अपनी परेशानी को देखते हुए सुपरिंटेंडेंट साहब से इजाजत लेने की बात कही। उसने कहा कि अगर सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें तो अभी पंद्रह-बीस माली, चपरासी और क्लर्क लगाकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है।

प्रश्न 5:
हॉर्टीकल्चर विभाग का जवाब व्यंग्यपूर्ण क्यों था?
उत्तर-
हॉर्टीकल्चर विभाग के सचिव ने जवाब दिया कि उनका विभाग ‘पेड़ लगाओ’ अभियान में जोर-शोर से जुटा हुआ है। ऐसे में किसी भी अधिकारी को पेड़ काटने की बात नहीं सोचनी चाहिए। जामुन फलदार पेड़ है। अत: फलदार पेड़ को काटने की अनुमति कदापि नहीं दे सकते। लेखक व्यंग्य करता है कि ऐसे अफसरों को अपनी नीतियों, फलों की अधिक चिंता रहती है, व्यक्ति की जान की नहीं।

प्रश्न 6:
पेड़ के बजाय आदमी को काटने की सलाह पर टिप्पणी करें।
उत्तर-
एक मनचले क्लर्क ने सलाह दी कि यदि जामुन के फलदार पेड़ को बचाने की जरूरत है तो उसके नीचे दबे आदमी को काटकर निकाल लो, फिर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ दिया जाएगा। इस तरीके से पेड़ भी बच जाएगा। यह सुझाव सरकारी बाबुओं की संवेदनशून्यता पर चोट करती है। ये ऊट-पटांग सुझाव देते हैं ताकि अफसर खुश रह सके।

प्रश्न 7:
साहित्य अकादमी के सचिव ने शायर को क्या बताया?
उत्तर-

उसने शायर को बताया कि तुम्हें केंद्रीय शाखा का सदस्य चुन लिया गया है और तुम्हारे मरणोपरांत तुम्हारी बीवी को वजीफा दिया जाएगा। परंतु हमारा विभाग पेड़ के नीचे से तुम्हें नहीं निकाल सकता। यह काम साहित्य अकादमी का नहीं है। हालाँकि हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अर्जेंट लिखा है।

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